बायनरी स्टार क्या होते हैं? Binary stars in hindi

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बायनरी स्टार सिस्टम की परिभाषा Definition of Binary stars

बायनरी स्टार सिस्टम यानि की दो तारो का समूह उसे कहते हैं जब दो तारे अपने सांझे द्रव्यमान केंद्र की परिक्रमा करते हैं, इसमें चमकीले तारे को प्रमुख तारा कहा जाता है तथा कम चमकीले और कम द्रव्यमान वाले तारे को साथी तारा कहा जाता है. अंग्रेजी में बायनरी स्टार सिस्टम की परिभाषा इस प्रकार दी जाती है.

“A binary star is a star system consisting of two stars orbiting around their common barycenter”

बायनरी स्टार सिस्टम का एस्ट्रोनॉमी में महत्व

बायनरी स्टार सिस्टम का एस्ट्रोनॉमी में बहुत महत्व है क्योंकि इनके द्वारा तारों का द्रव्यमान आसानी से पता लगाया जा सकता है,  बायनरी स्टार सिस्टम में दोनों तारे गुरुत्वाकर्षण के बल द्वारा आपस में बंधे होते हैं तथा दोनों एक ही केंद्र की परिक्रमा करते रहते हैं, यूनिवर्स में ज्यादातर तारे बायनरी स्टार सिस्टम के रूप में ही मौजूद है, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि करीब 85% तारे बाइनरी सिस्टम बनाते हैं, कई स्टार सिस्टम में 2 से अधिक तारे भी होते हैं इन्हें मल्टीपल सिस्टम कहा जाता है

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अलग-अलग बायनरी सिस्टम में तारों की दूरी कम या ज्यादा होती है, कई बायनरी सिस्टम तो ऐसे हैं जिनमें दोनों तारे अधिक निकट है तथा इनके बीच गैसों का आदान प्रदान भी होता है, जबकि कई बायनरी स्टार सिस्टम ऐसे हैं जिनके तारे आपस में हजारों एस्टॉनोमिकल यूनिट की दूरी पर मौजूद है, और इनके परिक्रमा काल हजारों सालों का होता है.

सबसे पहले सर विलियम हर्षल Sir William Herschel (1738-1822) ने बायनरी सिस्टम की खोज की, उन्होंने व्यवस्थित रूप से इनका अध्ययन किया और आकाश में 703 बायनरी स्टार सिस्टम का एक चार्ट बनाया.

बाइनरी सिस्टम में दोनों तारे एक अंडाकार कक्षा में केंद्र का चक्कर लगाते रहते हैं ,कई बार तारों का अंडाकार परिक्रमा पथ काफी लंबा हो सकता है,  ऐसे में यह तारे एक दूसरे से काफी दूर भी चले जाते हैं.

पृथ्वी के सबसे पास बायनरी स्टार सिस्टम कौन सा है

पृथ्वी के सबसे नजदीक अल्फा सेंचुरी नाम का बायनरी सिस्टम है जो कि हम से 4 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है, इस बाइनरी सिस्टम में दो तारे हैं जो कि एक दूसरे के काफी निकट मौजूद है इन दो तारों का नाम अल्फा सेंचुरी A और अल्फा सेंचुरी B भी रखा गया है यह दोनों तारे एक दूसरे से 11 एस्टॉनोमिकल यूनिट की दूरी पर है, यह दूरी उतनी है जितनी कि सूर्य से यूरेनस ग्रह की दूरी.

बायनरी स्टार सिस्टम कैसे बनते हैं

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वैज्ञानिकों  ने पता लगाया है कि जब किसी बड़े तारे का निर्माण होता है तो उसके आसपास बन रही डिस्क कभी कभी टूट जाती है इस टूटी हुई डिस्क से एक नई तारे का निर्माण होने लगता है जिससे की एक छोटा तारा बन जाता है,  दोनों तारे पूरी तरह बनने के बाद एक दूसरे के सांझे द्रव्यमान केंद्र चक्कर लगाते हैं और एक बायनरी स्टार सिस्टम बन जाता है.

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