काली चील ने इंसानों के साथ रहना सीख लिया है Black Kite adaptations  

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Black Kite  काली चील में अनुकूलन Adaptation in Black Kite

ब्लैक काईट काली चील एक मध्यम आकार का शिकारी पक्षी है, यह एक मौकापरस्त शिकारी होता है जो किअपना ज्यादातर समय आकाश में उड़ते हुए और ग्लाइड करते हुए बिताता है, यह शिकार कम करता है और अक्सर मृत जानवरों की तलाश करता है, भारतीय काली चील का आकार छोटा होता है,  काली चील की विश्व भर में कई प्रजातियां पाई जाती है जैसे कि

  • Black Kite
  • Red Kite
  • Brahminy Kite
  • Black Winged Kite

काली चील  का वैज्ञानिक नाम (Milvus migrans) है  यह Accipitridae परिवार का सदस्य है, इस पक्षी परिवार में कई प्रकार के पक्षी जैसे बाज़, हेरियर , बज्ज़र्ड आते हैं, इस वर्ग के दूसरे पक्षियों की तुलना में काली चील  शिकार करने के बजाय मृत भक्षी व्यव्हार प्रदर्शित करती है यह अपना ज्यादातर समय आकाश में मंडराते हुए गुज़रती है, इसके मुड़े हुए पंख और पूछ के द्वारा इसे आसानी से पहचाना जा सकता है. पूरे एशिया में इसकी काफी तादाद पाई जाती है इसलिए यह एक संकटग्रस्त प्रजाति नहीं है.

काली चील लगभग पूरे एशिया और ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है, तापमान के बदलाव के साथ कुछ प्रजातियां प्रवास भी करती हैं नीचे दिए गए मानचित्र में आप काली चील के प्रवासी अनुकूलन को देख सकते हैं,  काली चील की कुछ प्रजातियां यूरोप में भी पाई जाती है परंतु उनकी संख्या बहुत कम होती है.

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काली चील की अनुकूलन विशेषताएं Black kite adaptations

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एसा प्रतीत होता हे की काली चील ने मनुष्यों की आबादी के साथ रहना सीख लिया हे, छोटे आकार का यह शिकारी पक्षी भारतीय शहरों के रहने के लिए अनुकूलित हो गया है, जहाँ दूसरे पक्षी मानव गतिविधियों के कारण विलुप्त होते जा रहे हैं वही काली चील अनुकूलन की वजह से शहरों के आसपास अपना अस्तित्व बचाने में सफल रही है, काली चील धुए और आग की तरफ आकर्षित होती है, इसका कारण यह है कि जंगल में आग लगने पर छोटे जीव जंतु इससे घबराकर इधर उधर  भागते हैं जिन का शिकार काली चील आसानी से कर लेती.

यह मनुष्य की घनी आबादी के नजदीक भी रहने के अनुकूलित हो गई है, मनुष्य द्वारा फेंका गया जानवरों का मांस इसका मुख्य भोजन होता है, लगभग हर भारतीय शहर के आकाश में इसे उड़ते हुए देखा जा सकता है, कई शहरों में यह इंसानों के हाथ से खाने की चीजें छीन कर ले जाती है, मनुष्य द्वारा आहार के लिए पशुओं के मारे जाने के स्थान पर इनके झुण्ड अक्सर देखे जा सकते हैं, मनुष्य के साथ रहने के कारण काली चील शिकार पर ज्यादा निर्भर ना रहते हुए मृत जानवरों के मांस खाने के अनुकूलित हो गई.

काली चील के लम्बे मजबूत पंजे होते हैं जो इन्हें शिकार करने और शिकार को उठाकर ले जाने में मदद करते हैं,  काली चील की आंखें बहुत तेज होती है यह बहुत ऊंचाई से चूहे जैसे छोटे जानवरों को भी देख लेती है.

काली चील का भोजन और व्यहवार black kite habit and habitat

काली चील का मुख्य भोजन जानवरों का मांस, छोटी मछलियां, छोटे पक्षी, चमगादड़ आदि हैं.

भारतीय काली चील का प्रजनन काल जनवरी से लेकर फरवरी तक रहता है अंडों से निकले हुए बच्चे मानसून के पहले उड़ने लग जाते हैं  यह चील अपना घोंसला पेड़ की ऊंची शाखाओं पर बनाती है, यह एक ही घोसले को कई सालों तक इस्तेमाल करती है, घोंसला बनाने में नर और मादा दोनों सहयोग करते हैं, बच्चों के पालन में भी दोनों मिलकर कार्य करते हैं , काली चील एक बार में 2 से 3 अंडे देती है इन अन्डो को को 30 से 34 दिन तक सेया जाता है, अंडे से निकलने के बाद बच्चे 2 महीने तक घोंसले के अंदर ही रहते हैं.

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