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Hindi Poetry – Kash lot aaye bachpan

काश लोट आये बचपन
जब बचपन था तो जवानी एक सपना थी,
जब जवान हुए तो बचपन एक ज़माना हुआ।
जब  घर में रहते थे तो आज़ादी अच्छी लगती थी।
आज आज़ादी है फिर भी घर जाने की जल्दी रहती है।
कभी होटल में जाना पिज़्ज़ा बर्गर खाना अच्छा लगता था
आज घर पर आना और माँ के हाथ का खाना अच्छा लगता है ,
स्कूल में जिसके साथ झगड़ते थे आज उसे ही इंटरनेट पर ढूंढते हैं।

ख़ुशी किसमे होती है यह पता अब चला है।
बचपन क्या था इसका अहसास अब हुआ है।
काश बदल सकते हम ज़िन्दगी के कुछ साल,
काश जी सकते हम ज़िन्दगी फिर एक बार।

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