राजस्थान के भरतपुर पक्षी अभयारण्य का इतिहास

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भरतपुर पक्षी अभयारण्य का इतिहास

राजस्थान के भरतपुर शहर से 2 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व दिशा में एक बड़ा पक्षी अभयारण्य स्थित है, यह भरतपुर पक्षी अभयारण्य के नाम से जाना जाता है इसका पूरा नाम Keoladeo Ghana National Park  है

इस पक्षी उद्यान में हजारों प्रकार के पक्षी देखे जा सकते हैं खासतौर पर सर्दियों के मौसम में यहां कई प्रवासी पक्षी दूर दूर से उडकर आते हैं, 230 तरह के पक्षी यहां वर्ष भर देखे जा सकते हैं यही इनका मूल आवास है,  विश्व भर से पक्षियों को प्रेम करने वाले बर्डवाचर इस राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में आते हैं क्योंकि उन्हें आसानी से हजारों प्रकार के पक्षी देखने को मिल जाते हैं, सन 1971 में राजस्थान के राष्ट्रीय पक्षी उद्यान को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया गया है.

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राजस्थान के भरतपुर पक्षी अभयारण्य का इतिहास क्या है?

इस पक्षी अभयारण्य को 250 वर्ष पूर्व बनाया गया था, इस पक्षी अभयारण्य क्षेत्र में एक शिव मंदिर है जिसका नाम Keoladeo  है, इसी के आधार पर इस अभ्यारण का नाम केवलादेव पक्षी अभयारण्य पड़ गया, यह पक्षी अभ्यारण एक निचले इलाके में मौजूद है, जब महाराजा सूरजमल ने एक बांध का निर्माण किया तो इस क्षेत्र में पानी भर गया और दलदली घास के मैदान और जंगल, छोटी छोटी झील, और तालाब बन गए जो कि पक्षियों के रहने और प्रवास के लिए उपयुक्त थे,  महाराजा सूरजमल ने सन 1726 से सन 1763 के बीच इस बांध का निर्माण करवाया था, इस बांध को तब अजन बंध नाम दिया गया था, महाराजा सूरजमल ने यह बांध दो नदियों के संगम स्थल पर बनवाया था यह नदियां गंभीर और बाणगंगा नदियां हैं.

राजा महराजाओं और अंग्रेजों ने लाखों पक्षी मार डाले 

यह पक्षी अभयारण्य भरतपुर के राजा महाराजाओं का शिकार स्थल बन गया,  भरतपुर के महाराजा यहां अंग्रेज अधिकारियों और ब्रिटिश वायसराय के सम्मान में शिकार महोत्सव आयोजित करते थे, सन 1930 में ऐसे ही एक शिकार आयोजन के दौरान 4273  Mallards और Teals पक्षी वायसराय ऑफ इंडिया Lord Linlithgow के द्वारा मार दिए गए थे.

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स्वतंत्रता के बाद 10 मार्च 1982 को इसे राष्ट्रीय पार्क घोषित किया गया, पहले यह राष्ट्रीय उद्यान  महाराजा भरतपुर की निजी संपत्ति और शिकार गाह थी, 13 मार्च सन 1976 को इसे पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया,  इसके बाद सन 1981 में इस पक्षी उद्यान को रामसर कन्वेंशन क्षेत्र घोषित किया गया,

इस पक्षी उद्यान में आखरी बार शिकार सन 1964 में किया गया था परंतु भरतपुर के महाराजा ने शिकार के अधिकार सन 1972 तक हासिल कर लिए थे.

सन 1985 में एक बड़ा बदलाव आया और इस पक्षी उद्यान को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया, अब यह पक्षी उद्यान  एक संरक्षित क्षेत्र है जो कि राजस्थान फॉरेस्ट एक्ट 1953 के तहत बनाया गया है इसलिए अब यह राजस्थान सरकार की संपत्ति है,  सन 1982 में सरकार ने यहां पशुओं के चरने पर रोक लगा दी थी इससे स्थानीय पशुपालकों और सरकार के बीच हिंसक टकराव सामने आया था.

भरतपुर का राष्ट्रीय बर्ड राष्ट्रीय पक्षी अभयारण्य केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी पृथ्वी के लिए अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यहां हजारों पक्षी सारी दुनिया से प्रवास करते हैं, प्रकृति और पक्षी पक्षियों को विनाश से बचाने के लिए विलुप्त होने से बचाने के लिए सरकार को आम जनता और पशुपालकों को इसके महत्व की जानकारी दिया जाना आवश्यक है ताकि इस पक्षी अभयारण्य में शिकार और दूसरी हानिकारक गतिविधियां ना हो.

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