क्या हंस वास्तव में मोती खाते हैं?

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हंस पक्षी की सम्पूर्ण जानकारी 

Do Swans really eat Perls? Do Swan separate milk from water?

हंस एक बहुत सुन्दर सफ़ेद रंग का पक्षी होता है जो कि  पक्षियों के Anatidae परिवार का सदस्य है तथा यह Cygnus वर्ग में आता है, हंस पक्षी की सुंदरता की वजह से इसके साथ कई कहानियां और मान्यताएं जुड़ी हुई है, अक्षर साहित्य में पढ़ने में आता है कि हंस पक्षी का खाना मोती और हीरे होते हैं तथा हंस पक्षी पानी और दूध को अलग कर सकता है,  इसे नीर क्षीर विवेक कहते हैं.

विश्व भर में हंस की कुल 6 से 7 जातियां पाई जाती है इनमें से प्रमुख Black-necked Swan, Black Swan, Mute Swan, Trumpeter Swan, Tundra swan, हंस पक्षी गीज़ और बत्तख के करीबी रिश्तेदार हैं,  आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि ऑस्ट्रेलिया में काले रंग के हंस पाए जाते हैं.

हंस अक्सर बड़ी झील और तालाब के पास ही पाए जाते हैं,  हंस प्रवासी पक्षी जो कि ठंड के मौसम में प्रभास करते हैं. हंस भारतीय पक्षी नहीं है, हंस ठन्डे इलाकों जैसे यूरोप और साइबेरिया में पाए जाते हैं.

सबसे बड़े हंस का आकार डेढ़ मीटर तक हो सकता है, तथा इसका वजन 15 किलो तक होता है हंस के पंखों का फैलाव 3 मीटर तक हो सकता है mute swan, trumpeter swan, और whooper swan  प्रजाति के हंस सबसे बड़े होते हैं, यूरोप में अक्सर इनके मांस के लिए इनका शिकार किया जाता है क्योंकि इनसे काफी मात्रा में स्वादिष्ट मास प्राप्त किया जा सकता है.

हंस को उड़ते हुए देखना बहुत ही शानदार नजारा होता है यह आकाश में भी V के आकार में उड़ते हैं सबसे आगे प्रमुख नर हंस उड़ता है जो पूरे समूह का रास्ता बताता है तथा उसके पीछे दो अलग अलग लाइनों में दूसरे हंस उड़ान भरते हैं. यह प्रवास करने के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर तक उड़ कर जाते हैं हंस 95  किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकते हैं. इनकी औसत गति 30 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा होती है.

हंसों की औसत उम्र 20 से 30 वर्ष के बीच होती है, अलग अलग प्रजाति में इसमें थोड़ा बहुत अंतर पाया जाता है उत्तरी अमेरिका में पाए जाने वाला trumpeter swan जो आकार में सबसे बड़ा होता है उसकी औसत उम्र 24 साल होती है,  mute swan नाम की प्रजाति का हंस 20 साल तक जिंदा रहता है, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में पाए जाने वाला काला हंस सबसे ज्यादा 40 वर्षों तक जीवित रह सकता है.

हंस पक्षी का आवास तथा भोजन

हंस को दलदली घास के मैदान पसंद होते हैं यह झील तालाबों नदियों और जल धाराओं के पास पाए जाते हैं,  हंस पूरी तरह शाकाहारी होते हैं यह मुख्यतः पौधों की जड़ें, नरम तने, कलियां, पत्ते तथा छोटे फल खाते हैं.

हंस 4 से 7 साल की उम्र में व्यस्क होते हैं, नर और मादा हंस बहुत लंबे समय के लिए जोड़ा बनाते हैं कभी-कभी यह पूरे जीवन काल तक साथ रहते हैं और कोई दूसरा साथी नहीं चुनते हैं, नर और मादा हंस सैकड़ों किलोमीटर का प्रवास करने के दौरान भी साथ रहते हैं.

हंस पक्षी जमीन पर ही घोसला बनाते हैं जो की पानी के करीब रहता है,  नर और मादा हंस दोनों मिलकर घोंसला बनाते हैं तथा अंडों को बारी-बारी से सेते हैं हंस के अंडों का आकार 113 X 74 मिलीमीटर का होता है इनके अंडे का वजन 340 ग्राम होता है हमसे एक बार में 4 से 7 अंडे देते हैं,  इन अण्डों से 34 से 45 दिन तक सेया जाता है, हंस पक्षी अपने घोंसले की आक्रामकता से रक्षा करते हैं पास जाने पर यह इंसानों पर भी हमला कर देते हैं.

क्या हंस मोती और हीरे खाते हैं ?

हंस वास्तव में शाकाहारी पक्षी होते हैं, केवल कभी-कभी यह छोटे कीड़े खा लेते हैं, इनके भोजन में मुख्यतः पत्तियां झील में होने वाले छोटे पौधे तने फूल की कलियां इत्यादि होते हैं,  हंस की कोई भी प्रजाति मोती नहीं खाती है, ना ही हंस हीरे खाते हैं यह सब काल्पनिक बातें लोक साहित्य में लिखी गई है. साहित्य में अलग-अलग बातों का वर्णन करने के लिए उपमाओं का उपयोग किया जाता है हंस का मोती खाने की बात भी एक उपमा है इसका वास्तविकता से कुछ लेना देना नहीं है. अगर एसा होता तो लोग एक भी हंस को जीवित ना छोड़ते उनके पेट से आसानी से हीरे मोती निकलने के चक्कर में सब को मार डालते. दूसरा सबूत यह हे की हजारों हंसो को मांस के लिए यूरोप में मारा जाता हे किसी एक के पेट से भी आज तक मोती नहीं निकले.

क्या हंस पानी और दूध अलग कर सकते हैं?  नीर क्षीर विवेक क्या होता है?

अक्सर किस्से और कहानियां और कविताओं में कहा गया है कि हंस दूध और पानी को अलग अलग कर देता है दूध और पानी के मिश्रण में से दूध पी लेता है पानी छोड़ देता है इसीलिए इसे काफी विवेक शील माना जाता है इस घटना को  नीर क्षीर विवेक नाम दिया गया है, लेकिन इसका वास्तविकता से कुछ लेना देना नहीं है हंस दूध और पानी अलग नहीं कर सकते किसी भी प्राणी के लिए संभव नहीं है, वास्तव में हंस की सुंदरता को देखकर हमारे पूर्वजों ने यह मान लिया कि यह  दिव्य पक्षी है इसके अंदर देवी शक्तियां होनी चाहिए और इस तरह उन्होंने हंस की शक्तियों की कल्पना की. हंस वास्तव में दूध और पानी को अलग नहीं कर पाता है.

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