एंटीबायोटिक के अधिक उपयोग का खतरा
हर साल हमें बारिश के मौसम में सर्दी जुकाम, वायरल फीवर, गले की खराश, आदि सामान्य बीमारियां होती है, यह बीमारियां बैक्टीरिया की वजह से होती है. बच्चे इनके प्रभाव में ज्यादा आते हैं, ऐसे में कई माता पिता बच्चों को एंटीबायोटिक मेडिकल स्टोर से खरीद कर दे देते हैं. वे चाहते हैं कि उनका बच्चा जल्दी से जल्दी ठीक हो जाए और स्कूल जा सके. लेकिन यह ठीक नहीं है.
एंटीबायोटिक्स जहां हमारे लिए फायदेमंद है वहीं इनका अधिक उपयोग हमारे लिए बहुत खतरनाक है!!! कई बार ऐसा होता है कि सामान्य बीमारियों में समझदार डॉक्टर बच्चों को एंटीबायोटिक्स का हेवी डोज नहीं देते हैं बल्कि हल्की दवाइयों उपचार कर देते हैं, ऐसी स्थिति में कई माता-पिता नाराज भी होते हैं, क्योंकि वह चाहते हैं कि उनका बच्चा जल्दी से जल्दी ठीक हो, लेकिन वह एंटीबायोटिक से होने वाले नुकसान को नहीं जानते हैं.
एंटीबायोटिक्स किस प्रकार कार्य करते हैं?
एंटीबायोटिक्स ऐसे पदार्थ होते हैं जो सूक्ष्म बैक्टीरिया को मार देते हैं, एंटीबायोटिक्स का सबसे पहले इस्तेमाल सन 1940 में किया गया तब यह मेडिकल साइंस में सबसे बड़ी खोज थी, परंतु एंटीबायोटिक्स का अधिक उपयोग करने से यह परिणाम सामने आया की एंटीबायोटिक्स जिन बैक्टीरिया को मार रहे थे वह बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स से लड़ने में सक्षम हो गए!!! और अब उन पर एंटीबायोटिक था कुछ भी असर नहीं होने लगा ऐसा एंटीबायोटिक्स का अधिक डोज़ देने के कारण हुआ.
इसके अलावा एंटीबायोटिक्स का कई साइड इफेक्ट भी होते हैं यह से पाचन क्रिया गड़बड़ हो जाना, दस्त लगना, और एलर्जी हो जाना इससे शरीर कमजोर हो जाता है.
एंटीबायोटिक्स किस प्रकार कार्य करते हैं यह जानने के लिए हमें सूक्ष्मजीवों को जानना जरूरी है. सूक्ष्मजीव जो बीमारियां पैदा करते हैं यह दो प्रकार के होते हैं जीवाणु और विषाणु (बैक्टीरिया और वायरस)
बैक्टीरिया और वायरस कई तरह की बीमारियां उत्पन्न करते हैं कई बार इन के लक्षण एक जैसे होते हैं लेकिन इनके कार्य करने की विधि अलग-अलग होती है
बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया क्या है?
बैक्टीरिया या जीवाणु एक कोशिका के बने जीव होते हैं. यह एक कोशिकीय जीव हमारे चारों ओर पाए जाते हैं. इनमें से ज्यादातर हमें कुछ नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. कुछ बैक्टीरिया पाचन क्रिया में सहायता करते हैं. कुछ बैक्टीरिया खाद्य पदार्थों को बनाने में भी काम आते हैं. जैसे कि दही और ब्रेड बनाने में इनका उपयोग किया जाता है
कुछ बेक्टेरिया हानिकारक होते हैं जो मनुष्य में बीमारियां उत्पन्न करते हैं, यह मनुष्य के अंदर प्रवेश कर अपनी संख्या को बड़ी तेजी से बढ़ाते हैं, एंटीबायोटिक्स हर प्रकार के बैक्टीरिया को मार देता है.
बीमारी पैदा करने वाले वायरस क्या है?
वायरस को पूर्ण जीव नहीं माना जाता क्योंकि यह केवल डीएनए का एक अणु होते हैं जिसके आसपास प्रोटीन का कवर होता है, वायरस स्वयं अपने आप अस्तित्व में नहीं रह सकते हैं उन्हें किसी जीव के शरीर के अंदर ही क्रियाशीलता प्राप्त होती है वायरस किसी अन्य जीव के शरीर के अंदर ही जाकर अपनी संख्या बढ़ा सकते हैं,बाहर के वातावरण में आने पर यह निष्क्रिय अणु बन जाते हैं.
एंटीबायोटिक्स वायरसों पर कुछ भी प्रभाव नहीं डालता है.
एंटीबायोटिक्स का अधिक उपयोग नुकसानदायक क्यों है?
अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक लेने से ऐसे जीवाणु पैदा होते हैं जो की एंटीबायोटिक से लड़ने में सक्षम होते हैं यह जीवाणु ताकतवर होते हैं और फिर इन पर किसी भी तरह के एंटीबायोटिक्स का असर नहीं होता है.
बार बार एंटीबायोटिक्स लेने और एंटीबायोटिक की अधिक मात्रा लेने से बैक्टीरिया अपने आप को बदल लेते हैं ऐसे बेक्टेरिया खतरनाक बन जाते हैं इस प्रक्रिया को बैक्टीरियल रेजिस्टेंस कहते हैं हिंदी में इसे जीवाणु प्रतिरोधकता कहते हैं.
बैक्टीरियल रेजिस्टेंस वर्तमान समय में एक बहुत बड़ी समस्या बन कर सामने आ रही है जो जीवाणु पहले एंटीबायोटिक से मर जाते थे अब उन पर किसी प्रकार के एंटीबायोटिक्स का कुछ भी प्रभाव नहीं हो रहा है यह बैक्टीरिया कई प्रकार की घातक बीमारियां जैसे निमोनिया, कानों का इन्फेक्शन, साइनस ,त्वचा के रोग, टीबी रोग आदि उत्पन्न कर रहे हैं.
एंटीबायोटिक्स अच्छे जीवाणुओं को भी मार देता है
मनुष्य के शरीर में कई ऐसे बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो कि हमारी पाचन क्रिया में सहायता करते हैं एंटीबायोटिक्स लेते हैं तो यह कई अच्छे बिटिया को भी मार देता है एंटीबायोटिक लेने से पाचन क्रिया गड़बड़ा जाती है और रोगी को दस्त लग जाते हैं जिससे वह काफी कमजोर हो जाता है और उसकी रोग से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है.
कितना एंटीबायोटिक्स लेना सुरक्षित है?
ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए? बीमार होने पर आपको कितना एंटीबायोटिक्स लेना चाहिए ताकि जीवाणु प्रतिरोधकता पैदा ना हो?
केवल बैक्टीरिया इंफेक्शन में ही एंटीबायोटिक ले!
हर सामान्य बीमारी जो कि सामान्य वायरसों से उत्पन्न होती है जैसे कि सर्दी जुकाम, बुखार ऐसी बीमारियों को स्वयं ठीक होने देना चाहिए या फिर वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से इनका इलाज करना चाहिए. ऐसी स्थितियों में एंटीबायोटिक्स नहीं लेना चाहिए. हर बीमारी में डॉक्टर की राय अवश्य लें एवं डॉक्टर को ही डिसाइड करने दें कि आपका रोक कितना गंभीर है और आपको किस प्रकार की दवाई लेनी है.
डॉक्टर की सलाह लें
प्रत्येक रोग में डॉक्टर की सलाह अवश्य लें तथा यह पता करें कि यह बीमारी बैक्टीरिया की वजह से है या वायरस की वजह से. इस बारे में डॉक्टर से बात करें डॉक्टर किस तरह की दवाई लिखने का दबाव ना बनाएं. सामान्य रोगों के लक्षण को दूर करने के लिए डॉक्टर से उपाय पूछे.
दवाई का एक डोस देने के बाद इंतजार करें क्योंकि प्रत्येक दवाई के कार्य करने का कुछ समय होता है जल्दी अच्छा होने के चक्कर में बार-बार एंटीबायोटिक्स का डोज ना ले अच्छा होने पर बचे हुए एंटीबायोटिक को मेडिकल स्टोर पर वापस कर दें या उसे नष्ट कर दें.
बैक्टीरिया से बचने के लिए साफ सफाई पर, हाइजीन पर अधिक ध्यान दें अपने शरीर और घर को हमेशा साफ रखें ताकि आप बेक्टेरिया और वायरस दोनों के इंफेक्शन से बचे रहें और आपको एंटीबायोटिक लेने की आवश्यकता ही ना पड़े.