एंटीबायोटिक पेनिसिलिन क्या है?
पेनिसिलिन एंटीबायोटिक योगिक है जोकि बैक्टीरिया को मारने का काम करता है पेनिसिलिन ही वह पहला एंटीबायोटिक योगिक था जिसकी खोज की गई और चिकित्सा में जिसका इस्तेमाल बैक्टीरिया से होने वाले रोगों को ठीक करने में किया जाने लगा, 1928 से लेकर आज तक यह सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला एंटीबायोटिक पदार्थ है.
एंटीबायोटिक क्या है अधिक एंटीबायोटिक लेने के क्या नुकसान है?
एंटीबायोटिक पेनिसिलिन की खोज किसने की थी?
पेनिसिलिन की खोज सन 1928 में एक स्कॉटिश वैज्ञानिक एलेग्जेंडर फ्लेमिंग ने की थी इसके आविष्कार के तुरंत बाद ही इसका इस्तेमाल शुरु नहीं हुआ क्योंकि उस समय बड़े पैमाने पर पेनिसिलिन को बनाना संभव नहीं समझा गया इसका उपयोग सन 1942 में शुरू हुआ.
एंटीबायोटिक पेनिसिलिन की खोज कैसे हुई?
पेनिसिलिन की खोज की कहानी बड़ी रोचक है, पेनिसिलिन के अविष्कारक सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग जो कि एक बैक्टीरियोलॉजी के प्रोफ़ेसर थे एक लंबी छुट्टी के बाद जब वह अपनी प्रयोगशाला में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उनके द्वारा रखी गई बैक्टेरिया की एक स्लाइड पर फफूंद लग गई है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वह गलती से स्लाइड और खिड़की खुली छोड़ गए थे, खुली खिड़की से फफूंद के कण अंदर आ गए और वे बैक्टीरिया की स्लाइड पर पनपने लगे, एलेग्जेंडर फ्लेमिंग ने देखा कि फफूंद के कारण बैक्टीरिया मर गए और उस फफूंद ने बैक्टीरिया की वृद्धि पर रोक लगा दी है.
शुरू में उन्होंने इस पदार्थ को “मोल्ड जूस” या फफूंद का जूस कहा और बाद में उन्होंने इसका नाम पेनिसिलिन रखा जो कि उस फफूंद के नाम पर था जो बैक्टीरिया की स्लाइड पर लग गई थी. उस फफूंद फंगस का नाम Penicillium notatum (scientific name P. Chrysogenum) है.
एंटीबायोटिक पेनिसिलिन कितने प्रकार की होती है?
पेनिसिलिन कई प्रकार की होती है, मुख्यतः इन्हें दो भागों में बांटा जा सकता है एक प्राकृतिक पेनिसिलिन और एक कृतिम पेनिसिलिन. प्राकृतिक पेनिसिलिन सीधे फंगस से प्राप्त की जाती है. अलग अलग तरह के जीवाणुओं को मारने के लिए पेनिसिलिन के आणविक स्ट्रक्चर को बदल दिया जाता है और कई प्रकार के कृत्रिम पेनिसिलिन प्राप्त कर ली जाते हैं इन्हें हम कृत्रिम पेनिसिलिन कहते हैं.
प्राकृतिक पेनिसिलिन में पेनिसिलिन G (Benzylpenicillin) और Penicillin V (Phenoxymethylpenicillin) आज भी उपयोग में लिए जाते हैं. पेनिसिलिन G हो सीधे नहीं खाया जा सकता क्योंकि यह आमाशय में पाए जाने वाले एसिड से क्रिया कर टूट जाता है और रक्त में नहीं पहुंच पाता है इसलिए इसे इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है.
Penicillin V एंटीबायोटिक की गोली मरीज को सीधे दी जा सकती है क्योंकि यह अमाशय में पाए जाने वाले एसिड से क्रिया नहीं करता नहीं करता और रक्त में पहुंचकर बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है
पेनिसिलिन किस तरह काम करती है?
सभी तरह की पेनिसिलिन एक ही तरह से कार्य कर बैक्टीरिया को मारती है, जब बैक्टीरिया विभाजित होता है तो पेनिसिलिन बैक्टीरिया की कोशिका की रक्षात्मक दीवार को नहीं बनने देता और उसे नष्ट कर देता है. पेनिसिलिन बैक्टीरिया के एंजाइम को रोक देता है जो कि कोशिका की दीवार बनाते हैं.
एंटीबायोटिक पेनिसिलिन से कौन-कौन सी बीमारियां ठीक होती है?
पेनिसिलिन का इस्तेमाल कई प्रकार के बैक्टीरिया से होने वाले रोगों को ठीक करने में क्या जाता है जैसे कि निमोनिया, श्वास नली में इन्फेक्शन, स्कारलेट बुखार, कान त्वचा मसूड़ों और मुंह के बैक्टीरिया इन्फेक्शन, गले का इन्फेक्शन, मेनिनजाइटिस, सिफलिस इत्यादि
पेनिसिलिन से सिफलिस नाम की STD ( सेक्सुली ट्रांसमिटेड डिजीज ) का इलाज किया जाता है.
एंटीबायोटिक पेनिसिलिन के साइड इफैक्ट्स क्या क्या है?
पेनिसिलिन के कई साइड इफैक्ट्स हो सकते हैं इससे मुख्यतः हाइपरसेंसटिविटी हो सकती है, टोक्यो में ही है एक्शन भी पैदा कर सकता है, एलर्जी, स्किन रैश, सूजन, और Hives नाम का स्किन रिएक्शन पेनिसिलिन से हो सकता है.