कॉफी, कैफीन और वेट लॉस
कॉफी में कैफीन नाम का तत्व पाया जाता है, बाजार में जितने भी वेट लोस की दवाइयां मिलती हैं उन सब में केफीन होता है केफीन उन तत्वों में से एक है जो कि शरीर के ऊतकों में से वसा निकालने और मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में सहायता करता है.
केफीन किस तरह काम करता है?
केफीन हमारे शरीर में जाकर कुछ न्यूरोट्रांसमीटर्स को ब्लॉक कर देता है, इन न्यूरोट्रांसमीटर्स को ऐडेनोसाइन कहते हैं, इन्हें ब्लॉक करके कैफीन न्यूरॉन्स की क्रिया को बढ़ा देता है, सक्रिय न्यूरॉन्स डोपामाइन और नोरेपाइनेफ्रिन जैसे हारमोंस उत्पन्न करते हैं, इन हार्मोन की वजह से हम ऊर्जावान महसूस करते हैं और हमें नींद नहीं आती है.
कॉफी में कैफीन के अलावा भी कई उत्तेजक होते हैं जो कि हमारे मेटाबॉलिज्म रेट को बढ़ा देते हैं और यह हमें ऊर्जावान बना देते हैं.
कैफीन वसा बर्न करने में किस प्रकार सहायता करता है?
केफीन हमारे न्यूरॉन्स को उत्तेजित करता है, जो कि वसा कोशिकाओं को सिग्नल भेजते हैं यह सिग्नल मिलते ही बसा के अणु उत्तकों से अलग होकर ब्लड में आ जाते हैं, हार्मोन का स्तर बढ़ने से ऐसा होता है, एड्रेनालाईन नाम का हार्मोन ब्लड में आकर बसा के कोशिकाओं को घुलने का संकेत देता है.
वसा के पिघल कर ब्लड में आने से ही आपको वेट लॉस में मदद नहीं मिलती है, जब तक कि आप कोई शारीरिक क्रिया कर इस वसा को ऊर्जा में ना बदल दे! तभी केफीन लेना आपको वेट लॉस में मदद कर सकता है. कोल्ड केफीन का भी असर काफी की तरह ही होता है. कोल्ड कैफीन भी वेट लोस में मदद करता हे.
कैफीन मेटाबॉलिज्म क्रिया कैसे बढ़ाता है?
जिस दर से आप ऊर्जा की खपत करते हैं उस दर को रेस्तिंग मेटाबॉलिज्म रेट कहते हैं यह रेट जितनी ज्यादा अधिक होगी उतनी आसानी से आप अपना वजन कम कर सकेंगे कई तरह की स्टडीज बताती है कि कैफीन मेटाबॉलिज्म रेट को 3 से 11 परसेंट तक बढ़ा देता है.
लंबे समय अंतराल में कैफीन और वेट लॉस
कैफीन वेट लॉस में आपकी काफी मदद करता है, यह वसा को घोलने और आपके मेटाबॉलिज्म रेट को बढ़ाने में मदद करता है, लेकिन एक बार जब आप केफीन लेना शुरु करते हैं तो लंबे समय अंतराल के बाद आपका शरीर इसका आती हो जाता है फिर इसका उतना असर नहीं होता जितना की शुरुआती समय में होता है. इसके अलावा कॉफी पीने से आपकी भूख भी खत्म हो जाती है, यह बात भी वेट लॉस में मदद करती है.