आकाश का रंग color of sky in hindi
आकाश का रंग बदलता क्यों रहता है? सुबह के वक्त यह सुरमई, नारंगी, लाल तथा दिन के वक्त यह आकाशी, हल्का नीला तथा शाम के वक्त आकाश का रंग पुनः सुरमई, नारंगी, गुलाबी-लाल हो जाता है, रात के समय आकाश का रंग पूरी तरह काला हो जाता है, ऐसा क्यों होता है, आकाश का रंग समय समय पर क्यों बदलता रहता है?
दरअसल नीला आकाश जो हम देखते हैं वह वास्तव में कोई ठोस वस्तु नहीं है, पृथ्वी की सतह के ऊपर सेकड़ों किलोमीटर तक गैसों का एक वायुमंडल मौजूद है, यह वायुमंडल कई प्रकार की गैसों जैसे नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, ऑर्गन, पानी की वाष्प और धूल के कणों से मिलकर बना है. जब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है तो यह गैसों के परमाणुओं, पानी के कणों और धूल के कणों से चारों और बिखर जाता है इसे परावर्तन की प्रक्रिया भी कहते हैं, इसी परावर्तन की प्रक्रिया के द्वारा हमें आकाश का अलग-अलग रंग दिखाई देता है.
आकाश के रंग का कारण क्या है?
सूर्य के प्रकाश के दृश्य स्पेक्ट्रम में सात रंग पाए जाते हैं, नीले रंग की वेवलेंग्थ सबसे कम होती है तथा इसकी फ्रिकवेंसी सबसे ज्यादा होती है, यही वजह है कि नीला रंग सबसे ज्यादा परिवर्तित होता है, स्पेक्ट्रम के दूसरे सिरे पर लाल रंग होता है जिसकी वेवलेंथ सबसे लंबी होती है तथा frequncy सबसे छोटी होती है,
जब सूर्य आकाश में ऊंचाई पर स्थित होता है तो सूर्य की किरणें सभी और परावर्तित होती है जिससे कि हमें आकाश का रंग नीला दिखाई देता है, बारिश होने के बाद बादल छटने पर आकाश का रंग गहरा नीला दिखाई देता है क्योंकि तब वायुमंडल में पानी के कणों की मात्रा अधिक होती है यह पानी के कण गहरा नीला रंग अधिक परिवर्तित करते हैं इसलिए हमें बारिश के बाद आकाश का रंग गहरा नीला दिखाई देता है.
सुबह और शाम के वक्त अलग स्थिति होती है, जब सूर्य क्षितिज के नजदीक होता है तो सूर्य की किरणों को हम तक पहुंचने में ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है (ज्यादा मात्रा में वायु से गुज़ारना पड़ता है), नीले रंग के प्रकाश किरने ज्यादा परिवर्तित होती है इसीलिए यह हमारी आंखों तक पहुंचने के पहले काफी कम हो जाती है, इनकी वेवलेंथ कम होती है इसलिए यह देखने वाले तक कम पहुंचती है, दूसरी और लाल रंग की वेवलेंथ लंबी होती है इसलिए हमें शाम के वक्त सुरमई नारंगी गुलाबी लाल रंग दिखाई देता है, समय-समय पर वायुमंडल में पानी के कणों धूल के कणों की मात्रा और विभिन्न गैसों की मात्रा बदलती रहती है इसलिए हमें सुबह और शाम के वक्त अलग-अलग रंग दिखाई देते हैं.
अंतरिक्ष यात्री को आकाश का रंग काला क्यों दिखाई देता है.
अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन में रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स को आकाश का रंग पूरी तरह काला दिखाई देता है, इसका कारण यह है कि अंतरिक्ष में कोई भी वायुमंडल नहीं है, अतः सूर्य की किरने परिवर्तित नहीं होती है और सीधे दर्शक तक पहुंचती है इससे उन्हें केवल सूर्य ही दिखाई देता है, और आसपास के आकाश का रंग काला ही दिखाई देता है क्योंकि वहां से परावर्तित होकर कोई भी प्रकाश दर्शक तक नहीं पहुंचता है, चंद्रमा पर से देखने पर भी दिन और रात दोनों ही समय आकाश का रंग काला ही दिखाई देता है इसका कारण भी यही है कि चंद्रमा पर कोई भी वायुमंडल मौजूद नहीं है.
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