तवक्कुल की फज़िलत
(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)
फ़रमाने इलाही है :
बेशक अल्लाह तआला तवक्कुल करने वालों को महबूब रखता है। .
और उस से बुलन्द मकाम जिस का फ़ाइल अल्लाह तआला की महब्बत से मौसूम है और जिस का लिबास वगैरा अल्लाह तआला की किफ़ायत से आरास्ता है, कौन सा है ? बस वोह शख्स जिसे अल्लाह काफ़ी हो, निगहबानी करने वाला हो, अलबत्ता वोह अज़ीम कामयाबी पर फ़ाइजुल मराम हुवा क्यूंकि महबूब को न तो अज़ाब दिया जाता है और न उसे धुतकारा जाता है और न उसे दूर किया जाता है।
अहादीस में भी तवक्कुल और मुतवक्किलीन की फजीलत मरवी है : चुनान्चे, हज़रते इब्ने मसऊद रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : मैं ने तमाम उम्मतों को मक्के में हज के मौक़अ पर जम्अ होने की जगह देखा और मैं ने अपनी उम्मत को देखा, उस ने हर बुलन्दी व पस्ती को घेर रखा था, मुझे उन की कसरते ता’दाद और सूरतों ने बहुत मुतअज्जिब किया तब मुझ से कहा गया, क्या अब तुम राजी हो ? मैं ने कहा : हां ! फिर कहा गया : इन के साथ सत्तर हज़ार अफराद बिला हिसाब जन्नत में जाएंगे। आप से कहा गया : या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम! वोह कौन लोग हैं जो बिला हिसाब जन्नत में दाखिल होंगे? आप ने फ़रमाया : वोह लोग जो जिस्मों को नहीं दागते, फ़ालें नहीं लेते, चोरी छुपे लोगों की बातें नहीं सुनते और अपने रब पर तवक्कुल करते हैं । हज़रते अक्काशा रज़ीअल्लाहो अन्हो खड़े हो गए और अर्ज की : या रसूलल्लाह ! अल्लाह से दुआ कीजिये कि अल्लाह तआला मुझे इन में से कर दे, आप ने फ़रमाया : ऐ अल्लाह ! अक्काशा को इन में से कर दे ! फिर एक सहाबी ने खड़े हो कर अर्ज की : ऐ अल्लाह के नबी ! मेरे लिये भी दुआ कीजिये कि अल्लाह तआला मुझे भी इन में से कर दे ! आप ने फ़रमाया : अक्काशा तुम से सबक़त ले गए।
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अल्लाह पर तवक्कुल की हदीसे मुबारक
हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का फरमान है कि अगर तुम सहीह मा‘नों में अल्लाह पर तवक्कुल करते तो अल्लाह तआला तुम्हें परन्दों की तरह रिज्क देता जो सुब्ह भूके निकलते हैं और शाम को सैर हो कर आते हैं ।
फ़रमाने नबवी है : जो सब से कतए तअल्लुक कर के अल्लाह तआला से तअल्लुक जोड़ लेता है, अल्लाह तआला हर मुश्किल में उसे काफ़ी होता है और उसे ऐसे तरीके से रिज्क देता है जो उस के वहमो गुमान में भी नहीं होता और जो शख़्स दुनिया का हो जाता है अल्लाह तआला उसे दुनिया के सिपुर्द कर देता है।
फ़रमाने नबवी है : जो शख्स इस चीज़ को पसन्द करता है कि वोह सब लोगों से ज़ियादा मालदार हो, उसे चाहिये कि मौजूद रिज्क से ज़ियादा ए’तिमाद उस रिज्क पर करे जो अल्लाह के यहां मौजूद है।
मरवी है : हुज़र सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के अहले खाना जब फ़ाके से होते तो आप फ़रमाते कि नमाज़ के लिये खड़े हो जाओ और मेरे रब ने मुझे येही हुक्म दिया है।
और अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म करो
और इस पर सब्र करो। फ़रमाने नबवी है कि जिस शख्स ने जन्तर मन्तर किया और जिस्म को दागा, उस ने तवक्कुल नहीं किया।
मरवी है कि जब हज़रते जिब्रील अलैहहिस्सलाम ने हज़रते इब्राहीम अलैहहिस्सलाम को मुन्जनीक से आग में फेंके जाने के वक्त कहा : क्या तुम्हारी कोई हाजत है ? आप ने फ़रमाया कि तुम से मेरी कोई हाजत वाबस्ता नहीं है। आप अपने उस अहद को पूरा कर रहे थे जो इन्हों ने आग में फेंके जाने के लिये गरिफ़्तारी के वक्त किया था कि “मुझे मेरा रब काफ़ी है और वोह अच्छा कारसाज़ है” और अल्लाह तआला ने यह आयत नाज़िल फ़रमाई : और इब्राहीम जिस ने अपना कौल पूरा किया।
अल्लाह तआला ने हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम पर वहयी नाज़िल फ़रमाई : ऐ दावूद ! मेरा ऐसा कोई बन्दा नहीं जो मख्लूक को छोड़ कर मेरा दामने रहमत थाम लेता है और ज़मीनो आस्मान उस पर सख्तियां लाते हैं मगर मैं उस की सब दुश्वारियां दूर कर देता हूं और उस के लिये रास्ता निकाल देता हूं।
हज़रते सईद बिन जुबैर रज़ीअल्लाहो अन्हो कहते हैं कि मुझे बिच्छू ने डंग मारा तो मेरी वालिदा ने मुझे कसम दी कि मैं किसी झाड़ फूंक करने वाले के पास जा कर दम कराऊं, चुनान्चे, मन्तर पढ़ने वाले ने मेरा वोह हाथ पकड़ा जो नहीं डसा गया था और येह आयत पढ़ी :
और उस जिन्दा पर तवक्कुल कर जिसे मौत नहीं आएगी। और कहा कि इस आयत को सुनने के बाद किसी आदमी के लिये येह मुनासिब नहीं है कि वोह अल्लाह तआला के सिवा किसी और की पनाह तलाश करे ।
एक आलिम से ख्वाब में कहा गया कि जिस ने अल्लाह पर ए’तिमाद किया उस ने अपना रिज्क जम्अ कर लिया। बा’ज़ उलमा का कौल है कि मुकर्रर कर्दा रिज्क का हुसूल तुझे फ़र्ज़ कर्दा आ’माल से गाफ़िल न कर दे क्यूंकि इस तरह तेरी आक़िबत खराब हो जाएगी और तुझे वोही रिज्क मिलेगा जो तेरा मुक़द्दर हो चुका है।
यहूया बिन मुआज़ रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है कि बन्दे का बिगैर तलब किये रिज्क पा लेना इस बात की दलील है कि रिज्क को बन्दे की तलाश का हुक्म दिया गया है।
इब्राहीम बिन अदहम रज़ीअल्लाहो अन्हो फ़रमाते हैं कि मैं ने एक राहिब से पूछा : तुम कहां से खाते हो ? उस ने कहा मुझे इस की खबर नहीं है, रब्बे जलील से पूछ कि वोह मुझे कहां से खिलाता है।
हज़रते हरिम बिन हय्यान ने हज़रते उवैस करनी रज़ीअल्लाहो अन्हो से कहा : आप मुझे कहां जाने का हुक्म देते हैं ? उन्हों ने शाम की तरफ़ इशारा किया, हरिम बोले : वहां गुज़र अवकात कैसे होगी ? हज़रते उवैस ने फ़रमाया : हलाक हो जाएं वोह दिल जिन में खुदा पर ए’तिमाद नहीं है और वोह शक में पड़ गए हैं, ऐसे दिलों को नसीहत कोई फ़ाइदा नहीं देती है।
एक बुजुर्ग का कौल है कि जब से मैं अल्लाह तआला को अपना कारसाज़ बनाने पर राजी हुवा हूं, मुझे हर भलाई का रास्ता मिल गया है। ऐ अल्लाह ! हमें भी हुस्ने अदब अता फ़रमा दे। (आमीन)
-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब
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Allah par tawakkul, allah par bharosa,