गुनाहों से डरने की फ़ज़ीलत
(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)
यह बात अच्छी तरह जेह्न नशीन कर लीजिये कि गुनाहों से मुतनब्बेह करने वाली बातों में खौफ़े इलाही, उस के इन्तिकाम का अन्देशा, उस की हैबत और शानो शौकत, उस के अज़ाब का डर और उस की गिरफ़्त बहुत नुमायां हैसिय्यत रखती हैं, फ़रमाने इलाही है कि
“जो लोग अल्लाह तआला के अहकामात की मुखालफ़त करते हैं वो इस अम्र से डरें कि उन्हें फ़ितना या दर्दनाक अज़ाब पहुंचे।”
मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम एक जवान के पास तशरीफ़ लाए जो नज्अ के आलम में था, आप ने फ़रमाया : अपने आप को किस आलम में पाते हो ? अर्ज किया : या रसूलल्लाह ! सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम मैं अल्लाह की रहमत का उम्मीद वार हूं और अपने गुनाहों से खौफ़ज़दा हूं। हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने येह सुन कर फ़रमाया कि किसी बन्दे के दिल में ऐसी दो बातें जम्अ नहीं होती मगर अल्लाह तआला उस बन्दे की उम्मीद पूरी कर देता है और गुनाहों के खौफ से उसे बे नियाज़ कर देता है ।
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वहब बिन वर्द से मरवी है : हज़रते ईसा . फ़रमाया करते थे कि जन्नत की महब्बत और जहन्नम का ख़ौफ़ मुसीबत के वक्त सब्र देता है और येह दो चीजें दुन्यावी लज्जतों, ख्वाहिशात और ना फ़रमानियों से दूर कर देती हैं।
हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है : ब खुदा तुम से पहले ऐसे लोग हो गुज़रे हैं जो गुनाहों को इतना अजीम समझते थे कि वो बेहद व बे हिसाब सोने चांदी की बख्शिशों को भी अपने एक गुनाह से नजात का ज़रीआ नहीं समझते थे।
फ़रमाने नबवी है कि जो कुछ मैं सुनता हूं, क्या तुम सुनते हो ? आसमान चर चराता है और उस का हक़ है कि वोह चर चराए, रब्बे जुल जलाल की क़सम ! आस मान में चार उंगल जगह नहीं है जिस में फ़रिश्ते बारगाहे इलाही में सजदा रेज़, कियाम करने वाला या रुकूअ करने वाला न हो, जो कुछ मैं जानता हूं अगर तुम जानते तो कम हंसते और ज़ियादा रोते और निकल जाते या पहाड़ों पर चढ़ जाते और अल्लाह तआला के शदीद इन्तिकाम और हैबतो जलाल के खौफ़ से अल्लाह तआला की पनाह ढूंडते ।
एक रिवायत में हज़रते बक्र बिन अब्दुल्लाह अल मज़नी रहमतुल्लाह अलैह का कौल है : जो लोग हंसते हुवे गुनाह करते हैं वो रोते हुवे जहन्नम में जाएंगे।
हदीस शरीफ़ में है : कि अगर मोमिन अल्लाह तआला के तय्यार कर्दा तमाम अज़ाबों को जानता तो कभी भी जहन्नम से बे खौफ़ न होता ।
सहीहैन में है, जब येह आयत नाज़िल हुई :
“और अपने करीबी रिश्तेदारों को डरा”।
तो आप सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम खड़े हो गए और फ़रमाया : ऐ गिरौह ए कुरैश ! अल्लाह तआला से अपने नफ्सों को खरीद लो, मैं तुम्हें अल्लाह तआला के मुआमलात में किसी चीज़ से बे परवा नहीं करूंगा, ऐ बनी अब्दे मनाफ़ ! (हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के रिश्तेदार) मैं तुम्हें अहकामे खुदावन्दी में किसी चीज़ से बे परवा नहीं करूंगा, ऐ अब्बास ! (रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के चचा) मैं आप को अल्लाह तआला के अज़ाब से किसी चीज़ से बे परवा नहीं करूंगा, ऐ सफ़िय्या ! (रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की फूफी) मैं तुम को अल्लाह के सामने किसी चीज़ से बे परवा नहीं करूंगा, ऐ फ़ातिमा ! (हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की बेटी) मेरे माल से जो चाहे मांग लो मगर मैं अल्लाह के सामने तुम्हें किसी चीज़ से बे परवा नहीं करूंगा।
हज़रते आइशा सिद्दीका रज़ीअल्लाहो अन्हा ने येह आयत पढ़ी : “और जो लोग अल्लाह की अताकर्दा चीजों से देते हैं और उन के दिल इस बात से डरते हैं कि वोह अल्लाह तआला की तरफ़ लौटने वाले हैं”।
और पूछा : या रसूलल्लाह ! सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम क्या येह वोह शख्स है जो ज़िना करता है, चोरी करता है, शराब पीता है मगर खौफे खुदा भी रखता है ? आप ने फ़रमाया : ऐ अबू बक्र की बेटी ! ऐसा नहीं है बल्कि इस से मुराद वोह शख्स है जो नमाज़ पढ़ता है, रोज़ा रखता है, सदक़ा देता है मगर इस बात से डरता है कि कहीं वोह ना मक्बूल न हों। इसे अहमद ने रिवायत किया है।
हज़रते हसन बसरी रज़ीअल्लाहो अन्हो से कहा गया : ऐ अबू सईद ! तुम्हारी क्या राए है ? हम ऐसे लोगों की मजलिस में बैठते हैं जो हमें रहमते खुदावन्दी से उम्मीदें वाबस्ता रखने की ऐसी बातें सुनाते हैं कि हमारे दिल खुशी से उड़ने लगते हैं, आप ने फ़रमाया : ब खुदा ! तुम अगर ऐसी कौम में बैठते जो तुम्हें खौफे खुदा की बातें सुनाते और तुम को अज़ाबे इलाही से डराते यहां तक कि तुम अम्न पा लो, वोह तुम्हारे लिये बेहतर है उस चीज़ से कि तुम ऐसे लोगों में बैठो जो तुम को बे खौफ़ी और उम्मीद में रखें यहां तक कि तुम को खौफ़ आ घेरे ।
फारूके आ‘जम और अल्लाह का खौफ
हज़रत फ़ारूके आज़म, उमर बिन ख़त्ताब सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को जब नेजे से ज़ख़्मी कर दिया गया और उन की वफ़ात का वक्त करीब आया तो उन्हों ने अपने बेटे से कहा : बेटे ! मेरा चेहरा ज़मीन पर रख दो, अफ्सोस ! और शदीद अफसोस ! अगर अल्लाह ने मुझ पर रहम न फ़रमाया । हज़रते इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो ने कहा : अमीरुल मोमिनीन ! आप को किस चीज़ का खौफ़ है? अल्लाह तआला ने आप के हाथ से फुतूहात कराई, शहर आबाद कराए। उन्हों ने कहा : मैं इस बात को पसन्द करता हूं कि मुझे बराबर ही में छोड़ दिया जाए या’नी न नुक्सान और न नफ्अ दिया जाए।
हज़रते जैनुल आबिदीन अली बिन हुसैन रज़ीअल्लाहो अन्हो जब वुजू से फ़ारिग होते तो कांपने लग जाते, लोगों ने सबब पूछा : तो आप ने फ़रमाया : तुम पर अफ्सोस है ! तुम्हें पता नहीं मैं किस की बारगाह में जा रहा हूं और किस से मुनाजात का इरादा कर रहा हूं।
हज़रते अहमद बिन हम्बल रज़ीअल्लाहो अन्हो ने फ़रमाया : खौफे खुदा ने मुझे खाने पीने से रोक दिया, अब मुझे खाने पीने की ख्वाहिशात नहीं होतीं।
सहीहैन की रिवायत है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने उन सात आदमियों का जिक्र किया कि जिस दिन कोई साया नहीं होगा तो अल्लाह तआला उन्हें अपने अर्श के साए में जगह देगा, उन में से एक वोह आदमी है जिस ने तन्हाई में अल्लाह तआला के अज़ाब और वईद को याद किया और अपने कुसूर याद कर के खौफ़े इलाही से उस की आंखों से आंसू बह निकले और ख़ौफ़े इलाही की वज्ह से वोह नाफरमानी और गुनाहों से किनारा कश हो गया।
अजाबे जहन्नम से महफूज दो आंखें
हज़रते इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : दो आंखें ऐसी हैं जिन्हें आग नहीं छूएगी, एक वोह आंख जो आधी रात में अल्लाह के ख़ौफ़ से रोई और दूसरी वोह आंख जिस ने राहे खुदा में निगहबानी करते हुवे रात गुज़ारी ।
हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : क़ियामत के दिन हर आंख रोएगी मगर जो आंख अल्लाह की हराम कर्दा चीज़ों से रुक गई, जो आंख राहे खुदा में बेदार रही और जिस आंख से ख़ौफ़े इलाही की वजह से मख्खी के सर के बराबर आंसू निकला वोह रोने से महफूज़ रहेगी।
खौफ़े इलाही से रोने वाला जहन्नम से आजाद है।
तिर्मिज़ी ने हसन और सहीह कह कर हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत की है कि रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : वोह शख्स जहन्नम में हरगिज़ दाखिल नहीं होगा जो अल्लाह के ख़ौफ़ से रोया यहां तक कि दूध दोबारा थन में लौट आए और राहे खुदा का गुबार और जहन्नम का धुवां यक्जा नहीं होंगे।
हज़रते अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ीअल्लाहो अन्हो का क़ौल है कि हज़ार दीनार राहे खुदा में खर्च करने से मुझे खौफे खुदा से एक आंसू बहा लेना ज़ियादा पसन्द है।
हज़रते औन बिन अब्दुल्लाह रज़ीअल्लाहो अन्हो कहते हैं : मुझे येह रिवायत मिली है कि इन्सान के ख़ौफ़ खुदा से बहने वाले आंसू उस के जिस्म के जिस हिस्से पर लगते हैं, उस हिस्से को अल्लाह तआला जहन्नम पर हराम कर देता है और हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का सीनए अन्वर रोने की वज्ह से ऐसे जोश मारता था जैसे हांडी उबलती और जोश मारती है (या’नी जैसे भड़कती आग पर हांडी जोश मारती है)
कन्दी का कौल है कि खौफे खुदा से रोने वाले का एक आंसू समन्दरों जैसी तवीलो अरीज़ आग को बुझा देता है।
इब्ने सम्माक की अपने नफ्स को सर जनिश
हज़रते इब्ने सम्माक रहमतुल्लाह अलैह अपने नफ्स को सर-ज़निश करते और फ़रमाते कि कहने को तो ज़ाहिदों जैसी बातें करते हो और अमल मुनाफ़िकों जैसा करते हो और इस कजरवी के बा वुजूद जन्नत में जाने का सुवाल करते हो ? दूर हो ! दूर हो ! जन्नत के लिये दूसरे लोग हैं जिन के आ’माल हमारे आ’माल से कतई मुख़्तलिफ़ हैं।
हजरत जा‘फ़र सादिक रज़ीअल्लाहो अन्हो की नसीहतें
हज़रते सुफ़यान सौरी रज़ीअल्लाहो अन्हो कहते हैं कि हज़रते जा’फ़रे सादिक़ रज़ीअल्लाहो अन्हो की खिदमत में, मैं हाज़िर हुवा और अर्ज़ की : ऐ रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के लख्ते जिगर ! मुझे वसिय्यत कीजिये ! आप ने फ़रमाया : “सुफ्यान ! झूटे में मुरुव्वत नहीं होती, हासिद में खुशी नहीं होती, गमगीन में भाईचारा नहीं होता और बद खुल्क के लिये सरदारी नहीं होती।” मैं ने कहा : ऐ रसूले खुदा के फ़रज़न्द ! कुछ और नसीहत फ़रमाइये ! आप ने फ़रमाया : ऐ सुफियान ! अल्लाह तआला की मन्अ कर्दा चीज़ों से रुक जा तू आबिद होगा, अल्लाह की तक्सीम पर राज़ी हो तू मुसलमान होगा, जैसी तुम लोगों से दोस्ती चाहते हो तुम भी उन के साथ वैसी दोस्ती रखो, तब तुम मोमिन होगे, बुरों से दोस्ती न रख वरना तू भी बुरे अमल करने लगेगा, चुनान्चे हदीस में है कि आदमी अपने दोस्त के तरीके पर होता है, तुम येह देखो कि तुम्हारी दोस्ती किस से है ? और अपने कामों में उन लोगों से मश्वरा लो जो खौफे खुदा रखते हों, मैं ने अर्ज़ किया : ऐ रसूले खुदा के फ़रज़न्द ! कुछ और नसीहत कीजिये ! आप ने फ़रमाया : जो बिगैर कबीले के इज्जत और बिगैर हुकूमत के हैबत चाहे उसे चाहिये कि खुदा की नाफरमानी की ज़िल्लत से निकल कर अल्लाह की फ़रमां बरदारी में आ जाए, मैं ने कहा : ऐ रसूले खुदा के फ़रज़न्द ! कुछ और नसीहत फ़रमाइये ! आप ने फ़रमाया : मुझे मेरे वालिद ने तीन बेहतरीन अदब की बातें सिखलाई और फ़रमाया : ऐ बेटे ! जो बूरों की सोहबत इख़्तियार करता है, सलामत नहीं रहता, जो बुरी जगह जाता है मुत्तहम होता है और जो अपनी ज़बान की हिफ़ाज़त नहीं करता शर्मिन्दगी उठाता है।
इब्ने मुबारक रज़ीअल्लाहो अन्हो का कहना है कि मैं ने वुहैब बिन वर्द रज़ीअल्लाहो अन्हो से पूछा कि जो शख्स अल्लाह की ना फ़रमानी करता है, क्या वोह इबादत का मज़ा पाता है? उन्हों ने कहा : नहीं और मा’सिय्यत का इरादा करने वाला भी नहीं।
इमाम अबुल फ़रज इब्ने जौज़ी रहमतुल्लाह अलैह का क़ौल है कि ख़ौफ़ ख्वाहिशाते नफ़्सानी को जलाने वाली आग है, जिस क़दर येह आग शहवात को जलाएगी और गुनाहों से रोकेगी, उस क़दर येह बेहतरीन होगी इसी तरह जिस क़दर येह खौफ़ इबादत पर बर अंगेख्ता करेगा उसी कदर येह बेहतरीन होगा और ख़ौफ़ साहिबे इज्जत कैसे नहीं होगा, इसी से ही तो पाक दामनी, तक्वा, परहेज़गारी, मुजाहदात और ऐसे उम्दा आ’माल का जुहूर होता है जिन से अल्लाह तआला का कुर्ब हासिल होता है जैसा कि आयात व अहादीस से साबित होता है चुनान्चे, इरशादे इलाही है :
“उन लोगों के लिये हिदायत और रहमत है जो
अपने रब से डरते हैं। और फ़रमाने इलाही है :
अल्लाह उन से राजी हुवा और वोह अल्लाह से राजी हुवे येह उस के लिये है जो अपने रब से डरा।
नीज़ फ़रमाने इलाही है:
और मुझ से डरो अगर तुम ईमानदार हो।
मजीद इरशाद हुवा :
और जो शख्स अपने परवरदिगार के आगे खड़े
होने से डरता है उस के लिये दो जन्नतें हैं।
और इरशाद फ़रमाया:
अलबत्ता नसीहत हासिल करेगा जो शख्स डरता है। फ़रमाने इलाही है : सिवाए उस के नहीं कि अल्लाह के बन्दों में से आलिम डरते हैं। और हर वोह आयत या हृदीस जो इल्म की फ़ज़ीलत पर दलालत करती है वोह खौफ़ की फ़ज़ीलत पर भी दलालत करती है क्यूंकि खौफ़ इल्म ही का फल है।
इब्ने अबिदुन्या की रिवायत है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया जब ख़ौफ़ ए खुदा से बन्दे का जिस्म कांपता है और उस के रोंगटे खड़े हो जाते हैं उस के गुनाह ऐसे झड़ते हैं जैसे सूखे दरख्त से पत्ते झड़ते हैं।हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : अल्लाह तआला फ़रमाता है : मुझे अपनी इज्जतो जलाल की कसम ! मैं अपने बन्दे पर दो ख़ौफ़ और दो अम्न जम्अ नहीं करता, अगर वोह दुन्या में मुझ से अम्न में (बे ख़ौफ़) होता है तो मैं कियामत के दिन ख़ौफ़ज़दा करूंगा और अगर दुन्या में वोह मुझ से डरता है तो मैं उसे कियामत के दिन बे खौफ़ कर दूंगा।
अबू सुलैमान अद्दारानी रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि हर वोह दिल जिस में ख़ौफ़ खुदा नहीं है वीराना है, और फ़रमाने इलाही है : पस खुदा की तदबीर से बे खौफ़ नहीं होते मगर ख़सारा पाने वाली कौम ही बे खौफ़ होती है।
-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब
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