अल्लाह से सच्ची मोहब्बत

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अल्लाह से मोहब्बत

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

Color Codes –  कुरआन मजीदहदीसे पाककौल (Quotes). 

कहते हैं की एक आदमी ने एक जंगल में एक बुरी सूरत को देख कर पुछा तू कौन है? उस ने जवाब दिया मै तेरा बुरा अमल हूँ? उस ने पुछा तुझ से निजात की भी कोई सूरत है? उस ने जवाब दिया की हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम पर दुरुद पढना, जैसा की हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का फरमान है

“मेरे ऊपर दरूद पुल सिरात के लिए नूर है, जो मुझ पर जुमा के दिन 80 मर्तबा दुरुद भेजता है, अल्लाह ताआला उसके 80 साल के गुनाहों को माफ़ कर देता है.”

 

दुरुद ना भेजने वाले से हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का एअराज़

 

एक आदमी  हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम पर दुरुद नहीं भेजता था, एक रात उसने ख्वाब में हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को देखा, आप ने उस की तरफ तवज्जोह नहीं फरमाई,  उस आदमी ने अर्ज़ किया क्या हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम मुझ से नाराज़ हैं इसलिए तवज्जोह नहीं फरमाई?  नहीं, मै तुम्हे पहचानता ही नहीं हूँ. अर्ज़ की गई हुज़ूर मुझे कैसे नहीं पहचानते जब की उलमा कहते हैं की आप अपने उम्मतियों को उन की माँ से भी ज्यादा पहचानते हैं. आप ने फ़रमाया, उलमा ने सच कहा है, लेकिन तूने मुझे दुरुद भेज कर अपनी याद ही नहीं दिलाई. मेरा कोई उम्मती मुझ पर जितना दुरुद भेजता है, में उसे उतना ही पहचानता हूँ. उस शख्श के दिल में यह बात बैठ गई, और उसने रोजाना एक सौ बार दरूद शरीफ पढना शुरू कर दिया. कुछ मुद्दत बाद हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के दीदार से फिर ख्वाब में मुशर्रफ हुआ. आप ने फ़रमाया की मै अब तुझे पहचानता हूँ, और में तेरी शफ़ाअत करूँगा. यह इसलिए क्यों की वह रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का मुहिब बन गया था. फरमाने इलाही है

“ऐ रसूल! उन से कह दीजिये की अगर तुम अल्लाह को दोस्त रखते हो तो मेरी पेरवी करो, अल्लाह ताआला तुम को दोस्त रखेगा”.

इस आयत की शान ए नुज़ूल यह है की जब हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने कअब बिन अशरफ और उस के साथियों को इस्लाम की दावत दी तो वह कहने लगे हम तो अल्लाह ताआला के बेटों की तरह हैं और उस से बहुत मोहब्बत करते हैं, तब अल्लाह ताआला ने अपने नबी सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से कहा उन से कह दीजिये! अगर तुम अल्लाह ताआला से मोहब्बत रखते हो तो मेरी पैरवी करों मै अल्लाह का रसूल हूँ” मैं तुम्हारी तरफ उस का पैगाम पहुँचाने वाला और तुम्हारे लिए अल्लाह की हुज्जत बन कर आया हूँ. मेरी पैरवी करोगे तो अल्लाह तुम्हे महबूब बनाएगा और तुम्हारे गुनाहों को माफ़ कर देगा. वह गफूर और रहीम है.

मोमिनो की मोहब्बत अल्लाह के साथ यह है की वह उस के हुक्मों पर अमल करें. उस की इबादत करें और उस की रज़ा के तलबगार रहें और अल्लाह ताआला की मोमिनों के साथ मोहब्बत यह है की वह उन की तरफ करे उन्हें सवाब अत फरमाए, उन के गुनाहों को माफ़ करे और उन्हें अपने रहमत से बेहतरीन तौफिक दे. इफ्फत और इस्मत अता फरमाए.

 

चार चीज़ों का झूठा दावा

जो शख्श चार चीज़ों के बगैर चार चीज़ों का दावा करता है वह झूठा है

1 जो जन्नत की मोहब्बत का दावा करता है मगर नेकी नहीं करता

2 जो शख्श नबी सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की मोहब्बत का दावा करता है मगर आलिमों और नेक लोगों को दोस्त नहीं रखता

3 जो आग से डरने का दावा करता है मगर गुनाह नहीं छोड़ता.

4 जो शख्श अल्लाह की मोहब्बत का दावा करता है मगर तकलीफों की शिकायत करता है जैसा की हज़रत राबिया बसरी र.अ. फरमाती हैं

“तू अल्लाह ताआला की नाफ़रमानी करता है हालाँकि ज़ाहिर में तू खुदा की मोहब्बत का दावेदार है,  मुझे ज़िन्दगी की कसम! यह अनोखी बात है. अगर तेरी मोहब्बत सच्ची होती तो तू उस की पैरवी करता क्यों की मुहिब जिस से मोहब्बत करता है उस की फरमाबरदारी करता है.”

और मोहब्बत की पहचान महबूब की मुवाफकत करने और उस के खिलाफ ना करने में हैं.

 

जनाबे शिबली रहमतुल्लाह अलैह से मोहब्बत का दावा

 एक जमाअत जनाब शिबली रहमतुल्लाह अलैह के पास आई और वह लोग कहने लगे, हम तुम से मोहब्बत करते हैं, आप ने उन्हें देख कर पत्थर मारे तो वह लोग भाग खड़े हुए. आप ने पुछा अगर तुम वाकई मुझ से मोहब्बत करते थे तो मेरी तरफ से दी गई इतनी सी तकलीफ पर क्यों भाग गए हो? फिर शिबली रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया, अहले मोहब्बत ने उल्फत का प्याला पिया तो उन पर यह फैली ज़मीन और शहर तंग हो गए, उन्होंने अल्लाह ताआला को ऐसे पहचाना जेसे पहचानने का हक़ है. वह उस की अज़मत में सरगर्दां और उस की कुदरत में हैरान हैं.उन्होंने मोहब्बत का जाम पिया और उस की मोहब्बत के समुन्दर में डूब गए और उस की बारगाह में मुनाजात से शीरीनी हांसिल की..फिर आपने यह शेर पढ़ा जिसका मतलब कुछ इस तरह था

“ऐ मौला तेरी मोहब्बत की याद ने मुझे मदहोश कर दिया, क्या तूने किसी ऐसे मोहब्बत करने वाले को देखा है जो मदहोश ना हो”

 

कहते हैं की जब ऊंट मस्त हो जाता है तो चालीस दिन तक घांस वगेरह नहीं खाता और अगर उस पर पहले से दो गुना बोझ लाद दिया जाये तब भी उसे उठा लेता है. इसलिए की जब उस का दिल महबूब की यात में तड़पता है तो उसे ना चारे की ख्वाइश होती है ना ही वह भारी भोझ उठाने से घबराता है. जब ऊंट अपने महबूब की याद में अपनी ख्वाइशों को छोड़ देता है और भारी बोझ उठा लेता है तो क्या तुमने भी कभी अल्लाह ताआला की रज़ा की खातिर अपनी ना जायज़ ख्वाइशों को छोड़ा है?कभी खाना पीना बंद किया है?कभी अपने जिस्म पर भारी बोझ डाला है?अगर तुमने इन कामों में से कोई काम नहीं किया तो तुम्हारा दावा झूठा है, जो तुम्हे न दुनिया में फायदा देगा ना आखिरत में ना मखलूक के नज़दीक फायदामंद है ना खालिक के हुज़ूर में.

हजरते अली करमअल्लाहो वजहहु फरमाते हैं – “जो जन्नत का उम्मीदवार हुआ उस ने नेकियों में जल्दी की जो जहन्नम से डरा उस ने खुद को ना जायज़ ख्वाइशों से रोक दिया और जिसे मौत का यकीन आ गया उस ने दुनिया की लज्ज़तों को ख़त्म कर दिया.”

जनाब इब्राहीम खवास रहमतुल्लाह अलैह से मोहब्बत के बारे में सवाल किया गया तो आप ने फ़रमाया मोहब्बत नाम है इरादों को ख़त्म कर देने तमाम सिफ्तों और ज़रूरतों को मुर्दा कर देने और अपने वजूद को इशारों के समंदर गर्क करने का.”  

*** हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ.-किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

Allah se mohabbat, shibli rahamatullah alaih ka kissa, 

      

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