Berukhi Hindi Shayari – बेरुख़ी हिंदी शायरी
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तेरी बेरूखी ने ये क्या सिला दिया मुझे
ज़हर गम-ए-जुदाई का पिला दिया मुझे
बहुत रोया बहुत तड़पा कई रातों तक मैं
पर तुमने एक कतरा भी आँसू नहीं दिया मुझे
***
रि श्तों में इतनी बेरुख़ी भी अच्छी नहीं हुज़ूर..
देखना कहीं मनाने वाला ही ना रूठ जाए तुमसे..!
***
“कभी ऐसी भी बेरुखी देखी है तू ने,
ऐ मेरे प्यारा सा दिल…”?”
लोग अक्सर आप से तुम, तुम से जान,
और जान से अनजान हो जाते हैं…!!!”?
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जिंदगी क्यो इतनी बरुखी कर रही है
हम कोैन सा यहा बार-बार आने वाले है
***
बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी ,
फिर भी बेइंतहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी !
*** Berukhi Hindi Shayari
तेरी बेरुखी को भी रुतबा दिया हमने , तेरे प्यार का हर क़र्ज़ अदा किया हमने , मत सोच के हम भूल गए है तुझे , आज भी खुदा से पहले याद किया है तुझे.
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खड़ा किसी कोने पे देखता हूँ खुद को और सामने मेरे वो जमाना याद आता है,
खोकर होश अपना जो देखा था हमने नजरे चुराकर,
मौसम-ए-बेरुखी में भी उस क़यामत का मुस्कुराना याद आता है,
सारा दिन जलते सूरज को हम डूबाते थे उस छिछली सी नदी के पानी में,
भुला दिया शायद तुमने उसको भी मुझे तो आज भी वो ठिकाना याद आता है,
***
ये तेरी बेरुख़ी की हम से आदत ख़ास टूटेगी,
कोई दरिया न ये समझे कि मेरी प्यास टूटेगी,
तेरे वादे का तू जाने मेरा वो ही इरादा है,
कि जिस दिन साँस टूटेगी उसी दिन आस टूटेगी.
***
अब शायद उसे किसी से मुहब्बत ज़ुरुर हो ।
मैं छीन लाया हूँ उस से उम्र भर की बेरुख़ी
***
शिकायत न करना किसी से बेरुखी की..
इंसान की फितरत ही होती है.
जो चीज़ पास हो उसकी कद्र नही करता.!
*** Berukhi Hindi Shayari
फेर कर मुंह आप मेरे सामने से क्या गये,
मेरे जितने क़हक़हे थे आंसुओं तक आ गये ,
भला ऐसी भी सनम आख़िर बेरुख़ी है क्या ?
न देखोगे हमारी बेबसी क्या…….?
***
तेरी बेरुखी ने छीन ली है
.
शरारतें मेरी और लोग समझते हैं
.
कि मैं सुधर गया हूँ ..!!
*** Berukhi Hindi Shayari
बेरुखी गर आपकी नजरें बयां करने लगे ,,फेर कर मुहं जाना मुनासिब लगने लगे ,,कह कहे जो चोट करते थे दिलों पर ,,जख्म थे नासूर होने लग गये ,,बे रुखी को रुख मिला हालत उधर ही बह गये ,,दिख रही थी बे रुखी आपकी ही और से ,,कह कहों की टीस उठने लगी थी जोर से
***
अब गिला क्या करना उनकी बेरुखी का…
दिल ही तो था…..भर गया होगा..!
***
उदास कयोँ होता है ऐ दिल उनकी बेरुखी पर……
वो तो बङे लोग है अपनी मर्जी से याद करते है…..!!!
*** Berukhi Hindi Shayari
बहुत बेरुखी से पेश आता है दिल
खुद से
कि अब प्यार भरी बातों की आदत
नहीं रही….!!
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इस बेरूखी पे आपकी यूं आ गई हंसी
आंखें बता रही हैं ज़रा सी हया तो है !
***
जो मेरी हो नहीं सकती, वो खुद की भी क्या होगी
मेरी इस बेरुखी को, वो समझती भी क्या होगी,
तेरी दुनिया से जाऊंगा, तुझे मैं भूल जाऊंगा
तेरी हर कसमे वादों को, मैं खुद ही निभाऊंगा,
*** Berukhi Hindi Shayari
सोचते हे सीख ले हम भी बेरुखी करना,
प्यार निभाते-२ अपनी ही कदर खो दी हमने।
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सालभर….तेरी बेरूखी से कत्ल होते रहे हैं हम,
अब तो तहरीरें बन गई है…उदासियाँ गुजरे साल की।
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इस क़दर जले है तुम्हारी बेरुख़ी से,
के अब आग से भी सुकून सा मिलने लगा है ….!!!
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कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा..,
जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे…!!
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डर तो उसे भी होगा बिछुड़ने का मुझसे…
मेरी बेरुख़ी से वो सहम क्यों नही जाता..
*** Berukhi Hindi Shayari
तेरी बेरुखी है तो क्या हुआ, तेरी यादों का रुख आज भी मेरी तरफ ही है ! जब भीे तन्हा देखती है मुझे …. अपना समझकर बहलाने चली आती है
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हमारी बेरुखी जो तुम्हें बुरी भी न लगे, इश्क किया था कभी या बातें थी बस ?
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कुछ बेरुखी से ही सही, पर देखते तो हो ! ये आपकी नफरत है कि, एहसान आपका !
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लोगो की बेरुखी देखकर तो अब हम खुश होते है, आँसु तो तब आते है जब कोइ प्यार के दो लफ्ज कहता है…..!!!
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मुख्तसर सी दिल्लगी से तो तेरी बेरुखी अच्छी थी कम से कम ज़िंदा तो थे एक कश्मकश के साथ
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सिखा दी बेरुखी भी ज़ालिम ज़माने ने तुम्हें, कि तुम जो सीख लेते हो हम पर आज़माते हो।
*** Berukhi Hindi Shayari
इन बादलो का मिजाज मेरे महबूब सा है, कभी टूट कर बरसते है कभी बेरुखी से गुजर जाते हैं
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देखो ये बेरुखी,प्यार की अदाएं बेक़रार दिल को, और बेक़रार करती है हसरतों के दीप जल तो रहें हैं मचलने को रोशनी, तेरा इंतज़ार करती है
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बेरुखी इस से बड़ी और भला क्या होगी एक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहीं
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तू हमसे चाँद इतनी बेरुखी से बात करता है हम अपनी झील में एक चाँद उतरा छोड़ आए हैं ।
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रहने दे अभी गुंजाइशें….. जरा अपनी बेरुखी में…. इतना ना तोड़ मुझे कि.,मैं किसी और से जुड़ जाऊँ..
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महफिल की बेरुखी भी नहीं शान भी नहीं, मैं अजनबी नहीं,मेरी पहचान भी नहीं।
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तूँ माने या ना माने पर दिल दुखा तो है , तेरी बेरुखी से कुछ गलत हुआ तो है
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बेरुखी है घुली इस मौसम में , अभी भी मोहब्बत का स्वाद बाकी है , रुक देख उसकी बेवफाई को , उसका एहसास के साथ ज़िंदगी की वफाई बाकी है!
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बादलों से मिलता हुआ मिजाज़ था मेरे यार का, कभी टूट के बरस गया कभी बेरुखी से गुज़र गया।।
*** Berukhi Hindi Shayari
मर तो जाता हूँ दुनिया की बेरुखी से दिन में रात को सोता हूँ तो कल की उम्मीद जिला देती है
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अब इश्क में बेरुखी न दे मुझको , बेहद गुम़ा रहा है तेरे इश्क पे मुझको ,
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तेरी बेरुखी में बहकाहूं ना होश है आज भी मुझे
रख दे दिल पर हाथ ज़राके पहचान जाऊं तुझे
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तेरी बेरुखी मेरी आदतों में शामिल है…!!
तू मोहब्बत से पेश आये तो अजीब लगता है..
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कोई रिश्ता जो न होता तो तूं खफा भी न होता फिर भी न जाने क्यों येँ बेरुखी तेरी महोब्बत का पता देती हैं
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उनका गुरूर कम पड जाए ऐ-खुदा, मुझे मेरे इश्क़ में इतना गुरूर दे वो नाम भी ले मेरा तो कदम लड़खड़ाये ऐ-खुदा, बेरुखी में उसे ऐसा सुरूर दे
*** Berukhi Hindi Shayari
हासिल-ए-इश्क़ के बारे में, सोंचता हूँ जब भी ; . तेरा मिलना याद आता है, तेरी बेरुखी नहीं !!.
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तुम्हारी बेरुखी के बाद खुद से भी बेरुखी सी हो गई, मैं जिंदगी से और जिंदगी मुझसे अजनबी सी हो गई..
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सुकून ए दिल को नसीब तेरी बेरुखी ही सही। हमारे दरमियाँ कुछ तो रहेगा चाहे वो फ़ासला ही सही!
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तेरी ये बेरुखी किस काम की रह जायेगी…………….!! आगया जिस रोज़ अपने दिल को समझाना मुझे…….!!
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तेरी सादगी का कमाल है मै इनायत समझ बैठा तेरी बेरुखी भी चुप सी है मै मुहब्बत समझ बैठा
*** Berukhi Hindi Shayari
Berukhi shayari in English font
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*ab shayad use kise se muhabbat zurur ho .main chhen laya hoon us se umr bhar ke Berukhi***
shikayat na karana kise se Berukhi ke..insan ke fitarat he hote hai.jo chez pas ho usake kadr nahe karata.!***
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teri Berukhi ne chhen le hai.shararaten mere aur log samajhate hain.ki main sudhar gaya hoon ..!!***
Berukhi hindi shayariBerukhi gar apake najaren bayan karane lage ,,fer kar muhan jana munasib lagane lage ,,kah kahe jo chot karate the dilon par ,,jakhm the nasoor hone lag gaye ,,be rukhe ko rukh mila halat udhar he bah gaye ,,dikh rahe the be rukhe apake he aur se ,,kah kahon ke tes uthane lage the jor se **
*ab gila kya karana unake Berukhi ka…dil he to tha…..bhar gaya hoga..!***udas kayon hota hai ai dil unake Berukhi par……vo to bane log hai apane marje se yad karate hai…..!!!**
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*is berookhe pe apake yoon a gae hanseankhen bata rahe hain zara se haya to hai !**
*jo mere ho nahin sakate, vo khud ke bhe kya hogemere is Berukhi ko, vo samajhate bhe kya hoge,teri duniya se jaoonga, tujhe main bhool jaoongateri har kasame vadon ko, main khud he nibhaoonga,**
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*salabhar….teri berookhe se katl hote rahe hain ham,ab to tahareren ban gae hai…udasiyan gujare sal ke.***
is qadar jale hai tumhare Berukhi se,ke ab ag se bhe sukoon sa milane laga hai ….!!!**
*kahan talash karoge tum dil ham jaisa..,jo tumhare Berukhi bhe sahe aur pyar bhe kare…!!***
*dar to use bhe hoga bichhudane ka mujhase…mere Berukhi se vo saham kyon nahe jata..***
Berukhi hindi shayariteri Berukhi hai to kya hua, teri yadon ka rukh aj bhe mere taraf he hai ! jab bhee tanha dekhate hai mujhe …. apana samajhakar bahalane chale ate hai
hamare Berukhi jo tumhen bure bhe na lage, ishk kiya tha kabhe ya baten the bas ?**
*kuchh Berukhi se he sahe, par dekhate to ho ! ye apake nafarat hai ki, ehasan apaka !*
**logo ke Berukhi dekhakar to ab ham khush hote hai, ansu to tab ate hai jab koi pyar ke do lafj kahata hai…..!!!**
*mukhtasar se dillage se to teri Berukhi achchhe the kam se kam zinda to the ek kashmakash ke sath**
*sikha de Berukhi bhe zalim zamane ne tumhen, ki tum jo sekh lete ho ham par azamate ho.*
** Berukhi hindi Shayari badalo ka mijaj mere mahaboob sa hai, kabhe toot kar barasate hai kabhe Berukhi se gujar jate hain*
**dekho ye Berukhi,pyar ke adaen beqarar dil ko, aur beqarar karate hai hasaraton ke dep jal to rahen hain machalane ko roshane, tera intazar karate hai**
*Berukhi is se bade aur bhala kya hoge ek muddat se hamen us ne sataya bhe nahin**
too hamase chand itane Berukhi se bat karata hai ham apane jhel mein ek chand utara chhod ae hain .**
*rahane de abhe gunjaishen….. jara apane Berukhi mein…. itana na tod mujhe ki.,main kise aur se jud jaoon..***
mahafil ke Berukhi bhe nahin shan bhe nahin, main ajanabe nahin,mere pahachan bhe nahin.**
*toon mane ya na mane par dil dukha to hai , teri Berukhi se kuchh galat hua to hai*
**Berukhi hai ghule is mausam mein , abhe bhe mohabbat ka svad bake hai , ruk dekh usake bevafae ko , usaka ehasas ke sath zindage ke vafae bake hai!*
**badalon se milata hua mijaz tha mere yar ka, kabhe toot ke baras gaya kabhe Berukhi se guzar gaya..***
Berukhi hindi shayarimar to jata hoon duniya ke Berukhi se din mein rat ko sota hoon to kal ke ummed jila dete hai*
**ab ishk mein Berukhi na de mujhako , behad guma raha hai teri ishk pe mujhako ,**
*teri Berukhi mein bahakahoon na hosh hai aj bhe mujherakh de dil par hath zarake pahachan jaoon tujhe***
teri Berukhi mere adaton mein shamil hai…!!too mohabbat se pesh aye to ajeb lagata hai..**
*koe rishta jo na hota to toon khafa bhe na hota fir bhe na jane kyon yen Berukhi teri mahobbat ka pata dete hain***
unaka guroor kam pad jae ai-khuda, mujhe mere ishq mein itana guroor de vo nam bhe le mera to kadam ladakhadaye ai-khuda, Berukhi mein use aisa suroor de**
* Berukhi hindi shayarihasil-e-ishq ke bare mein, sonchata hoon jab bhe ; . tera milana yad ata hai, teri Berukhi nahin !!.*
**tumhare Berukhi ke bad khud se bhe Berukhi se ho gae, main jindage se aur jindage mujhase ajanabe se ho gae..*
**sukoon e dil ko naseb teri Berukhi he sahe. hamare daramiyan kuchh to rahega chahe vo fasala he sahe!*
**teri ye Berukhi kis kam ke rah jayege…………….!! agaya jis roz apane dil ko samajhana mujhe…….!!**
*teri sadage ka kamal hai mai inayat samajh baitha teri Berukhi bhe chup se hai mai muhabbat samajh baitha***
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