फजीलते इताअत – अल्लाह के हुक्म की इताअत की फ़ज़ीलत और बरकतें  

 (हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

इताअते खुदावन्दी के मा’ना तमाम नेकियों को पा लेना है, अल्लाह तआला ने कुरआने मजीद की बहुत सी आयात में लोगों को इसी बात की तरगीब दी है और इसी लिये अम्बियाए किराम को मबऊस फ़रमाया ताकि लोगों को नफ़्स की तारीकियों से निकाल कर अल्लाह तआला की मा’रिफ़त की रोशनियों में लाएं और वो उस जन्नत से नफ्अ अन्दोज़ हों जो नेकों के लिये तय्यार की गई है कि उस जैसी जन्नत किसी आंख ने नहीं देखी, किसी कान ने नहीं सुनी और किसी दिल में उस का तसव्वुर भी नहीं गुज़रा, लोगों को फुजूल नहीं पैदा किया गया बल्कि इस लिये पैदा किया गया है कि बुरों को उन की बुराई की सज़ा मिले और नेकों को उन की नेकियों का अज्र अता हो।

अल्लाह तआला इबादत से बे नियाज़ है, लोगों की बुराइयां न उसे नुक्सान पहुंचाती हैं और न ही उस के कमाल में कोई नक्स आता है। अगर मख्लूक़ अल्लाह तआला की इबादत न करे तब भी अल्लाह तआला की बारगाह में ऐसे फ़िरिश्ते हैं जो सुब्हो शाम रब की हम्द करते रहते हैं और कभी नहीं थकते।

जिस शख्स ने नेकी की, उस ने अपने लिये की और जिस ने गुनाह किया उस का अज़ाब उसी की गर्दन पर होगा, अल्लाह तआला गनी है और तुम फ़कीर हो।।

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हैरान कुन बात तो यह है कि हम अगर कोई गुलाम ख़रीदते हैं तो इस बात को पसन्द करते हैं कि वो हर वक्त ख़िदमते मामूरा पूरी तनदेही से सर अन्जाम देता रहे, हमारा मुतीअ व फ़रमां बरदार रहे हालांकि उसे मामूली कीमत से खरीदा गया है, इस की एक गलती पर इसे दुश्मन समझ लेते हैं, बे इन्तिहा गुस्सा करते हैं, इस का खाना बन्द कर देते हैं, इसे आंखों से दूर कर देते हैं या फिर इसे बेच देते हैं, लेकिन हम उस मालिके हक़ीकी की इताअत नहीं करते जिस ने हमें बेहतरीन सूरत में पैदा किया है, हम बारिश के कतरों के बराबर गुनाह करते हैं मगर वो अपनी ने’मतें हम से नहीं रोकता, अपनी रहमत की नुसरत (मदद) नहीं रोकता जिस के बिगैर हमारे लिये एक कदम चलना भी मुश्किल हो जाए, अगर वो चाहे तो हमें एक गुनाह के बदले पकड़ने पर कादिर है मगर वो हमें मोहलत देता है ताकि हम तौबा करें और वह तौबा क़बूल फ़रमा कर हमारे गुनाहों को बख़्श दे और हमारे उयूब (एबों को) ढांप ले।

हर अक्लमन्द ब खूबी जानता है कि इताअत व फ़रमां बरदारी के लाइक कौन है ! वो उसी ज़ात की तरफ़ मुतवज्जेह होता है, उसी के दामने रहमत में पनाह ढूंडता है, जब उस से कोई गुनाह सरज़द होता है तो वो अपने ख़ालिक़ की तरफ़ रुजूअ करता है, उस की रहमत से ना उम्मीद नहीं होता और उस के इन्आमात का शुक्र अदा करता रहता है यहां तक कि वो अल्लाह तआला के दोस्तों में शुमार होने लगता है, जब उसे मौत आती है तो वो दीदारे इलाही का मुश्ताक और रब्बे बे नियाज़ उस से मुलाकात का ख्वाहिशमन्द होता है।

हज़रते अबुदरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो ने हज़रते का’ब रज़ीअल्लाहो अन्हो से कहा : मुझे तौरात की एक ख़ास आयत सुनाओ ! उन्हों ने जवाब में यह आयत सुनाई, रब फ़रमाता है : नेकों को मेरे दीदार का शौक है और मैं उन की मुलाकात का उन से भी ज़ियादा ख्वाहिशमन्द हूं हज़रते का’ब ने कहा : इस आयत के हाशिये में लिखा हुवा था : जिस ने मुझे तलाश किया, पा लिया और जिस ने किसी और को ढूंडा वह मेरे दीदार से महरूम रहा । हज़रते अबुदरदा फ़रमाने लगे : ब खुदा मैं ने हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से भी ऐसे ही सुना है।

दुनिया वालों को हजरते दावूद अलैहहिस्सलाम  की जबानी पैगामे इलाही

हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम  की तरफ़ अल्लाह तआला ने वहयी  फ़रमाई : ऐ दावूद ! मेरा येह पैगाम दुनिया वालों तक पहुंचा दो, मैं उस का दोस्त हूं जो मुझे दोस्त रखता है, अपनी मजलिस में आने वालों का हम मजलिस हूं, जो मेरे ज़िक्र से उल्फ़त रखता है मैं उस से उल्फ़त रखता हूं, जो मुझ से दोस्ती रखता है मैं उस से दोस्ती रखता हूं, जो मुझे पसन्द करता है मैं उसे पसन्द करता हूं, जो मेरा फ़रमां बरदार बन जाता है मैं उस का कहना कबूल करता हूं, जो शख्स भी दिल की गहराइयों से मुझे महबूब जानता है मैं उसे अपने लिये पसन्द करता हूं और उस से बे मिसाल महब्बत करता हूं, जिस ने हकीकतन मुझे तलब किया, उस ने मुझे पा लिया और जिस ने मेरे गैर को तलब किया वो मुझ से महरूम रहा, पस ऐ दुनिया वालो ! तुम कब तक दुनिया के धोके में रहोगे ? मेरी करामत, दोस्ती और मजलिस की तरफ़ आओ ! और मुझ से उन्स रखो, मैं तुझे अपनी महब्बत से माला माल कर दूंगा क्यूंकि मैं ने अपने दोस्तों का खमीर इब्राहीम खलीलुल्लाह, मूसा नजियुल्लाह और मोहम्मद सफ़ियुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के खमीर से बनाया है, उन की रूहें अपने नूर से और उन की ने’मतें अपने जमाल से पैदा की हैं।

 

एक सिद्दीक पर इल्हाम का नुजूल और सिद्दीक़ीन की सिफ़ात

एक मर्दे सालेह से मरवी है कि रब्बुल इज्जत ने एक सिद्दीक़ पर इल्हाम फ़रमाया कि मेरे बन्दों में कुछ ऐसे बन्दे भी हैं जो मुझे महबूब रखते हैं, मैं उन्हें महबूब रखता हूं, वो मेरे मुश्ताके दीदार हैं, मैं उन का मुश्ताके दीदार हूं, वो मुझे याद करते हैं, मैं उन्हें याद फ़रमाता हूं, वो मेरी तरफ़ देखते हैं और मैं उन पर निगाहे रहमत डालता हूं, अगर तू उन के रास्ते पर चलेगा तो मैं तुझे महबूब बनाऊंगा और अगर तू ने उन का रास्ता न अपनाया तो मैं तुझ से दुश्मनी रखूगा । उस सिद्दीक़ ने पूछा : या अल्लाह ! उन की अलामतें क्या हैं ? तो रब्बे जुल जलाल ने फ़रमाया : “वो दिन ढलने का ऐसा ख़याल रखते हैं जैसे मेहरबान चरवाहा अपनी बकरियों का ख़याल रखता है वो गुरूबे शम्स के ऐसे मुश्ताक होते हैं जैसे सूरज डूबने के बाद परिन्दा अपने आश्याने में पहुंचने का मुश्ताक होता है।”

जब रात भीग जाती है, तारीकी बढ़ जाती है, बिस्तर बिछा दिये जाते हैं, लोग उठ जाते हैं और दोस्त दोस्तों के साथ खुश गप्पियां करते हैं तो वो मेरे लिये खड़े हो जाते हैं, मेरे लिये चेहरों का फ़र्श बिछा देते हैं (सजदे करते हैं) मेरे कलाम में मुझ से हम कलाम होते हैं, मेरे इन्आमात की आरजू करते हैं, उन की सारी रात गिर्या व जारी करते, रहमत की उम्मीद रखते और खौफे अज़ाब से डरते हुवे, क़ियाम व कुऊद, रुकूअ व सुजूद में गुज़र जाती है, मुझे अपनी नज़रे रहमत की क़सम ! वो मेरी वज्ह से गुनाह का बोझ नहीं उठाते और मुझे अपनी समाअत की कसम ! वो मेरी महब्बत का शिक्वा नहीं करते, मैं पहले पहल उन्हें तीन चीजें अता करता हूं : उन के दिलों में अपना नूर डाल देता हूं जिस से वोह मेरी खबर पा लेते हैं जैसे मैं उन की खबर पाता हूं। दूसरे यह कि अगर ज़मीनो आस्मान अपनी तमाम तर अश्या के साथ उन के मीज़ाने अमल में रख दिये जाएं तब भी उन के पल्ले हल्के होंगे और मैं उन की नेकियां भारी कर दूंगा। तीसरे यह कि मैं अपनी रहमत को उस की तरफ़ मुतवज्जेह कर देता हूं और वो इस बात को जान लेता है कि वो जो कुछ मांगेगा मैं उसे दे दूंगा।

मुश्ताकाने खुदावन्दी की सिफत – अल्लाह के महबूब मुश्ताक बन्दे

अल्लाह तआला ने हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम  की तरफ़ वहयी की, कि ऐ दावूद ! तुम जन्नत का तजकिरा करते हो मगर मुझ से मेरे मुश्ताकों में शुमूलिय्यत की दुआ क्यूं नहीं करते ? आप ने अर्ज की : या अल्लाह ! तेरे मुश्ताक कौन हैं ? रब्बे जुल जलाल ने फ़रमाया : मेरे मुश्ताक वो

हैं जिन के दिलों को मैं ने हर कदूरत से पाक कर दिया है, उन्हें मनहिय्यात से मुतनब्बेह कर दिया है, वो अपने दिल के गोशों से मुझे देखते हैं और मेरी रहमत के उम्मीद वार रहते हैं, मैं उन के दिलों को दस्ते रहमत में ले कर आस्मानों पर रखता हूं और अपने मुकर्रब फ़रिश्तों को बुलाता हूं, फ़रिश्ते इकट्ठे हो कर मुझे सजदा करते हैं और मैं फ़रमाता हूं : मैं ने सजदा करने के लिये तुम्हें नहीं बुलाया बल्कि तुम्हें अपने मुश्ताक हाए दीदार के दिल दिखाने के लिये बुलाया है, यह अहले शौक़ काबिले फ़न हैं, इन के दिल आस्मान पर ऐसे चमकते हैं जैसे ज़मीन पर सूरज चमकता है।

ऐ दावूद ! मैं ने मुश्ताकों के दिल अपनी रज़ा से, उन का ऐश अपने नूर से पैदा किया है, मैं ने उन्हें अपना हम राज़ बनाया हैं, उन के वुजूद दुनिया में मेरी निगाहे रहमत का मरजअ हैं और मैं ने उन के दिलों में एक रास्ता बनाया है जिस से वो मेरा दीदार करते हैं और उन का शौक़ फुजूं से फुजूं तर होता रहता है।

हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम  ने अर्ज की : या अल्लाह ! मुझे अपने किसी मुश्ताक का दीदार करा दे, रब तआला ने फ़रमाया : दावूद लुबनान के पहाड़ पर जाओ, वहां मेरे चौदह मुहिब्ब रहते हैं जिन में जवान और बूढ़े सभी शामिल हैं उन्हें मेरा सलाम कहो और कहना अल्लाह तआला फ़रमाता है : तुम मेरे दोस्त और महबूब हो वो तुम्हारी खुशी में खुश होता है और तुम्हें बहुत महबूब रखता है और फ़रमाता है : तुम मुझ से कोई हाजत क्यूं नहीं बयान करते ? हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम  उन से मुलाकात के लिये रवाना हुवे और उन्हें एक चश्मे के करीब पाया वो अल्लाह तआला की अजमतो जलाल पर गौरो फ़िक्र कर रहे थे।

जब उन्हों ने हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम  को देखा तो वो इधर उधर छुप जाने के लिये उठ खड़े हुवे, हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम  ने फ़रमाया : मैं अल्लाह का रसूल हूं और तुम्हारे पास अल्लाह का पैग़ाम पहुंचाने आया हूं तो वो नज़रें झुकाए सरापा इश्तियाक बने उस का फरमान सुनने के लिये वापस आ गए, हज़रते दावूद ने फ़रमाया : मैं तुम्हारी तरफ़ अल्लाह का रसूल बन कर आया हूं, अल्लाह तआला तुम्हें सलाम कहता है और फ़रमाता है : तुम मुझ से हाजत क्यूं नहीं तलब करते मुझे अपनी ज़रूरतों के लिये क्यूं नहीं पुकारते ताकि मैं तुम्हारा कलाम सुनूं तुम मेरे दोस्त और महबूब हो, मैं तुम्हारी खुशी से खुश होता हूं, तुम्हारी महब्बत को बेहतर समझता हूं और मैं हर वक्त मेहरबान, शफ़ीक़ मां की निगाह से तुम को देखता हूं।

जब उन्हों ने ये सुना तो उन के रुख्सारों पर आंसू बहने लगे, उन का शैख पुकार उठा : ऐ रब ! तू पाक है, तू पाक है, हम तेरे गुलाम और गुलामों की औलाद हैं, हमारी गुज़श्ता उम्रों के वो लम्हात जो तेरे ज़िक्र से गफलत में गुज़रे उन्हें मुआफ़ फ़रमा दे। दूसरा बोला : तू पाक है, तू पाक है, हम तेरे गुलाम और गुलामों के बेटे हैं जो मुआमलात हमारे और तेरे दरमियान हैं, हमें उन में हुस्ने नज़र अता फरमा। तीसरे ने कहा : ऐ अल्लाह ! तू पाक है ऐ अल्लाह ! तू पाक है हम तेरे गुलाम और तेरे गुलामों की औलाद  हैं, ऐ रब ! तू ने हमें दुआ की तरगीब दी है और तुझे मालूम है कि हमें अपने लिये किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं है, हम पर मुकम्मल एहसान फ़रमा और अपने रास्ते पर हमेशा गामजन रख।

एक और मुहिब्ब यूं कहने लगा : इलाही ! हम तेरी रजामन्दी को पूरी तरह नहीं पा सकते, हमारी इमदाद फ़रमा ताकि हम इसे पा लें। एक और मुहिब्ब ने कहा : तू ने हमें नुत्फे से पैदा किया और अपनी ज़ात में तफ़क्कुर की दौलत बख़्शी है ऐ अल्लाह ! तू ने हमें कलाम की तरगीब दी है, जो तेरी शाने अज़मत के फ़म में मश्गूल हैं और तेरे जलाल में गौरो फ़िक्र करते हैं और हम तुझ से तेरे नूर के कुर्ब की दरख्वास्त करते हैं। एक और मुहिब्ब पुकार उठा कि तेरी अज़मते शान, दोस्तों से इन्तिहाई कुर्ब और मुहिब्बीन पर बे शुमार इन्आमात की वज्ह से हमारी ज़बानें दुआ मांगने से रुक गई हैं। एक और बोला : तू ने हमारे दिलों को अपने ज़िक्र की तौफ़ीक़ बख़्शी, अपनी रहमत में मश्गूल फ़रमा कर सारी दुनिया से बे नियाज़ कर दिया, कमा हक्कुहु शुक्र अदा न कर सकने की हमारी तक्सीर को मुआफ़ फ़रमा दे।

एक और ने कहा : ऐ अल्लाह ! तू जानता है कि हमारी तमन्ना तेरे दीदार के सिवा और कुछ भी नहीं है। एक और ने कहा : मालिक गुलाम से मांगने को फ़रमाता है मगर गुलाम अपने लिये मांगने की जुरअत नहीं कर सकता, हमें नूर इनायत फ़रमा ताकि हम आस्मान की तारीकियों से निकल कर तेरी बारगाह में आएं।।

एक ने कहा : हम यह दुआ मांगते हैं कि हमारी यह इबादत कबूल फ़रमा ले और हमें हमेशा इसी पर काइम रख, एक और मुहिब्ब ने कहा : तू ने हमें जो फजीलत और इन्आमात बख़्शे हैं उन्हें मुकम्मल फ़रमा दे। दूसरे ने कहा : दुनिया में हमें किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं है, हमें अपना जमाले जहां आरा दिखा दे।

एक और मुहिब्ब ने कहा : मेरी आंखें दुनिया और इस की जैबो जीनत से कोर कर दे और | मेरे दिल को आखिरत के ख़यालात से पाक फ़रमा दे।

एक और मुहिब्ब ने कहा : मैं ने तेरी रिफ्अत और पाकी को जान लिया और दोस्तों से तुझ को जो महब्बत है उस को पहचान लिया है, हम पर यह एहसान और फ़रमा कि हम को ऐसा कर दे कि हम तेरे सिवा किसी और चीज़ का दिल में ख़याल तक न लाएं।

फिर अल्लाह तआला ने हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम  की तरफ़ वहयी  फ़रमाई कि ऐ दावूद ! इन से कह दो, मैं ने तुम्हारी बातें सुन कर उन्हें कबूल कर लिया है, तुम एक दूसरे से अलग अलग हो जाओ और खुद को दीदार के लिये आमादा कर लो मैं तुम्हारे और अपने दरमियान हाइल पर्दे उठाने वाला हूं ताकि तुम मेरे नूर और जलाल को देखो।

हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम  ने अर्ज किया : या अल्लाह ! इन्हें यह मकाम कैसे मिला है ? रब ने फ़रमाया : हुस्ने जन, दुनिया और इस के लवाजिमात से किनारा कशी, मेरे हुजूर मुनाजात और तन्हाई में हाज़िर होने की वज्ह से इन्हें यह मकाम मिला है और इस मक़ाम को वो ही पाता है जो दुनिया और माफ़ीहा को छोड़ दे, इस से बिल्कुल तअल्लुक न रखे, दिल को मेरी याद से मा’मूर कर ले, तमाम मख्लूक को छोड़ कर मुझे पसन्द कर ले तब मैं उस पर रहमत नाज़िल करता हूं उसे दुनियावी अलाइक से आज़ाद कर देता हूं, उस के और अपने दरमियान हिजाबात उठा देता हूं, वो ह मुझे ऐसे देखता है जैसे कोई इन्सान अपने सामने किसी चीज़ को देखता है, हर लम्हा उसे अपनी इज्जतो करामत का नजारा दिखाता हूं, उसे नूरे मा’रिफ़त से सरफ़राज़ करता हूं, जब वो ह बीमार हो जाता है तो मैं मेहरबान मां की तरह उस की तीमार दारी करता हूं, अगर वो ह प्यासा होता है तो मैं उसे सैराब करता हूं और उसे अपने ज़िक्र से गिज़ा फ़राहम करता हूं।

ऐ दावूद !  जब मैं उस से यह सुलूक करता हूं तो वो दुनिया और इस के अलाइक से नाबीना हो जाता है, उसे दुनिया से कोई महब्बत नहीं रहती, वो मेरे सिवा किसी की तरफ़ तवज्जोह नहीं देता, वो जल्दी मरने को पसन्द करता है मगर मैं उस की मौत ना पसन्द करता हूं क्यूंकि सारी मख्लूक में वो ही तो मेरी नज़रे रहमत का मूरीद व मरजअ होता है, वो ह मेरे सिवा किसी को नहीं देखता और मैं उस के सिवा किसी और को पसन्द नहीं करता।

ऐ दावूद ! अगर तू उसे इस हालत में देखे कि उस का जिस्म पुर ऐब हो, दुबला हो, उस के आ’जा टूट चुके हों और उस का दिल निज़ाम से बे रब्त हो चुका हो तो जब मैं फ़रिश्तों में उस पर फ़न करता हूं और आस्मान वालों में उस का तजकिरा करता हूं तो वो यह सुन कर अपनी इबादत और ख़ौफ़ को ज़ियादा कर देता है।

ऐ दावूद ! मुझे अपनी इज्जतो जलाल की क़सम ! मैं उसे जन्नतुल फ़िरदौस में जगह दूंगा और उस के दिल को अपने दीदार से मा’मूर कर दूंगा यहां तक कि वो ह राज़ी हो जाएगा।

 मुश्ताकाने खुदावन्दी नुक्सान से मामून हैं।

अल्लाह तआला ने हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम  से फ़रमाया कि मेरी महब्बत के मुश्ताक़ बन्दों से कह दीजिये : तुम्हें उस वक़्त कोई महरूमी नहीं होगी जब कि मैं मख्लूक के सामने हिजाबात डाल दूं तो तुम बे पर्दा दिल की आंखों से मेरा दीदार करते रहोगे और तुम्हें कोई ज़रर नहीं होगा जब कि मैं ने दुनिया के बदले तुम्हें दीन दे दिया और तुम्हें मेरी रिज़ा की ख्वास्तगारी के बाइस दुनिया पर मेरी नाराज़ी कोई नुक्सान नहीं देगी।

अल्लाह और दुनिया की महब्बत दिल में यक्जा नहीं हो सकतीं।

हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम  की खबरों में यह भी मरकूम था कि अल्लाह तआला ने हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम  की तरफ़ वहयी  की, कि अगर तुम मेरी महब्बत का दावा करते हो तो दिल से दुनिया की महब्बत निकाल दो क्यूंकि मेरी और दुनिया की महब्बत एक दिल में नहीं समा सकतीं।

ऐ दावूद ! दुनिया से मेल जोल रखो मगर महब्बत ख़ालिसतन मुझ से ही रखो, तुम मेरे दीन की पैरवी करो, लोगों के अदयान की पैरवी न करो, जो चीज़ तुम को मेरी महब्बत के शायां नज़र आए उसे हासिल करो, जिस चीज़ में तुम्हें मुश्किल पेश आए तो उस में मेरी पैरवी करो, मैं तुम्हारे अहवालो हवाइज की इस्लाह कर दूंगा, तुम्हारा काइदो रहबर बनूंगा सवाल से पहले अता करूंगा, मसाइब में तुम्हारी मदद करूंगा, मैं ने अपनी ज़ात की क़सम खाई है कि मैं अपने उस बन्दे को बदला दूंगा जो तलबे सादिक़ और पुख्ता इरादों के साथ मेरे हुजूर गर्दन झुका के आता है और वोह यह समझता है कि मुझ से बे नियाज़ी व बे ए’तिनाई मुमकिन नहीं है, जब तू इस मकाम पर पहुंच जाएगा तो मैं तुम से रुस्वाई और वहशत को दूर कर दूंगा, तुम्हारे दिल में लोगों से बे नियाज़ी डाल दूंगा क्यूंकि मैं ने अपनी ज़ात की कसम खाई है कि जब कोई बन्दा दुनिया से तअल्लुक तोड़ कर मेरी ज़ात पर भरोसा करते हुवे मुतमइन हो जाता है तो मैं उसे दुनिया से माला माल कर देता हूं, आ’माल में तज़ाद पैदा न करो, लोगों से बे परवाह हो जाओ, तुम को तुम्हारा साथी कोई फ़ाइदा नहीं देगा अपना ध्यान मुझ तक महदूद रखो, मेरी मा’रिफ़त की कोई हद नहीं है इसे महदूद न समझो, मुझ से जितना ज़ियादा तलब करोगे उतना अता करूंगा, मेरे देने की कोई हद नहीं है और बनी इस्राईल को बताओ कि मेरे और मेरी किसी मख्लूक के दरमियान रिश्तेदारी नहीं है, मेरे बारे में उन के अज़ाइम को और उन की रगबत को बढ़ाओ, उन्हें उस जन्नत का मुज़दा सुनाओ जिसे किसी आंख ने नहीं देखा किसी कान ने नहीं सुना और किसी दिल पर उस का तसव्वुर नहीं गुज़रा, मुझे हर वक़्त आंखों के सामने समझो ! मुझे सर की आंख से नहीं, दिल की आंख से देखो।

मैं ने अपनी इज्जत और जलाल की कसम खाई है कि जो बन्दा जान बूझ कर ताख़ीर से मेरी इबादत करेगा, मैं उसे सवाब नहीं दूंगा, सीखने वालों से तवाज़ोअ से पेश आओ ! और मुरीदीन पर ज़ियादती न करो ! मेरे मुहिब्ब अगर उस मक़ाम को जानते जो मैं ने मुरीदीन के लिये मुकर्रर किया है तो वोह भी उसी रास्ते पर चलना पसन्द करते।

ऐ दावूद ! किसी मुरीद को उस की सरमस्ती से होशयार न करो, उसे मेरी ज़ात में मगन रहने दो मैं तुम को जहीद (बे इन्तिहा कोशिश करने वाला) लिखूगा, और जिसे मैं अपने यहां जहीद लिख देता हूं उस पर मख्लूकात से कोई खौफ़ और मोहताजी बाक़ी नहीं रहती।

ऐ दावूद ! मेरा कलाम खूब समझो और इसे मज़बूती से पकड़ लो, अपनी ज़ात के लिये अपने नफ्स से नेकियां लो, दुनिया में मश्गूल न हो ताकि मुझ से तुम्हारी महब्बत पसे पर्दा न चली जाए, मेरे बन्दों को मेरी रहमत से ना उम्मीद न करो, मेरे लिये अपनी ख्वाहिशात को ख़त्म कर दो क्यूंकि मैं ने शहवात कमजोर बन्दों के लिये बनाई हैं, कवी मर्दो को ख्वाहिशाते नफ़्सानी से क्या काम ? क्यूंकि यह मेरी बारगाह में मुनाजात की शीरीनी को ख़त्म कर देती हैं, मेरे यहां ताकतवरों का अज़ाब यह है कि जब वो  मेरे दीदार की लज्जत पा लेने के करीब होते हैं, मैं उन की अक्लों पर पर्दा डाल देता हूं और वो महरूम रहते हैं, मैं अपने दोस्त के लिये दुनिया और दुनिया की वज्ह से अपनी दूरी पसन्द नहीं करता।

ऐ दावूद ! मेरे और अपने दरमियान मख्लूक को न लाओ कहीं इस की सर मस्ती तुम को मेरी महब्बत से दूर न कर दे क्यूंकि ये मखलूक मेरे इरादत मन्द बन्दों के लिये चोरों की तरह है, हमेशा रोजे रखो शहवात को तर्क कर सकोगे, खुद को बे रोज़ा होने से बचाओ क्यूंकि मुझे हमेशा रोज़े रखने वाले बहुत पसन्द हैं।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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आमाल, मीज़ान और जहन्नम की आग रियाकार का अज़ाब

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 

मीज़ाने अमल और नामए आमाल के दाएं या बाएं हाथ में दिये जाने के बारे में गौर करते रहना तुम्हारे लिये ज़रूरी है क्यूंकि हिसाब के बाद लोगों की तीन जमाअतें होंगी : एक जमाअत वो होगी जिस की कोई नेकी नहीं होगी, तब आगे से एक सियाह गर्दन नुमूदार होगी जो उन्हें इस तरह उचक लेगी जैसे परन्दा दाने उचक लेता है और उन्हें लपेट कर आग में डाल देगी और आग उन्हें निगल लेगी, फिर पुकार कर कहा जाएगा : इन की बद बख़्ती दवामी है और इन के लिये किसी भलाई की तवक्कोअ नहीं है। दूसरी जमाअत वो होगी जिस की कोई बुराई नहीं होगी, उस दिन निदा आएगी कि हर हाल में अल्लाह की हम्द करने वाले खड़े हो जाएं, वो खड़े हो जाएंगे और निहायत इतमीनान से जन्नत में दाखिल होंगे फिर रातों को इबादत करने वालों, तिजारत और खरीदो फरोख्त के बाइस ज़िक्रे खुदा से न रुकने वालों को इसी तरह जन्नत में भेजा जाएगा और कहा जाएगा कि इन के लिये दवामी सआदत है जिस के बाद कोई दुख तक्लीफ़ नहीं है। तीसरी जमाअत वो होगी जिन के नामाए आमाल में नेकियां और गुनाह दोनों दर्ज होंगे लेकिन उन्हें खबर नहीं होगी जब तक अल्लाह तआला अपनी रहमत और अपने अज़ाब का इज़हार फ़रमाए । उन लोगों के नामए आमाल में गुनाह और नेकियां लिपटी हुई होंगी उन के आमाल मीज़ान किये जाएंगे और उन की आंखें नामए आमाल की तरफ़ होंगी कि कौन से हाथ में आता है और मीज़ान का पल्ला किधर झुकता है और यह ऐसी खौफनाक हालत होगी जिस से लोगों के होश उड़ जाएंगे।

 

आखिरत की याद में हजरते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा का रोना

हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लमने  हज़रते आइशा  रज़ीअल्लाहो अन्हा की गोद में सर रखा और आप को ऊंघ आ गई, हज़रते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा आख़िरत को याद कर के रो पड़ीं और उन के आंसू हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के चेहरए अन्वर पर गिरे तो हुजूर की आंख खुल गई। आप ने फ़रमाया : आइशा ! क्यूं रोती हो ? अर्ज किया  : हुजूर आख़िरत को याद कर के रोती हूं, क्या लोग कियामत के दिन अपने घर वालों को याद करेंगे ? आप ने फ़रमाया : ब खुदा ! तीन जगहों में लोगों को अपने सिवा कुछ याद नहीं होगा :

जब मीज़ाने अद्ल रखा जाएगा और आमाल तोले जाएंगे, लोग सब कुछ भूल कर यह देखेंगे कि उन की नेकियां कम होती हैं या ज़ियादा ? (2)……नामए आमाल दिये जाने के वक़्त यह सोचेंगे कि दाएं हाथ में मिलता है या बाएं हाथ में, और 3..पुल सिरात से गुज़रते हुवे सब कुछ भूल जाएंगे।

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि क़ियामत के दिन इन्सानों को मीज़ान के सामने खड़ा किया जाएगा और एक फ़रिश्ता मुकर्रर कर दिया जाएगा, अगर उस की नेकियां भारी हो गई तो वोह फ़रिश्ता बुलन्द आवाज़ से कहेगा कि फुलां ने सआदते अबदी हासिल कर ली है और उसे कभी बद बख्ती से वासता नहीं पड़ेगा और अगर उस की बुराइयां ज़ियादा हो गई तो फ़रिश्ता बुलन्द आवाज़ से पुकारेगा जिस की आवाज़ तमाम मख्लूक सुनेगी कि फुलां ने दाइमी बद बख़्ती पा ली है उस के लिये कभी कोई सआदत नहीं होगी, तब अज़ाब के फ़रिश्ते लोहे के कोड़े लिये आग के कपड़े पहने हुवे आएंगे और जहन्नमियों को जहन्नम में ले जाएंगे।

फ़रमाने नबवी है कि क़ियामत के दिन अल्लाह तआला हज़रते आदम अलैहहिस्सलाम  को बुला कर फ़रमाएगा कि उठिये और जहन्नमियों को जहन्नम में भेज दीजिये, हज़रते आदम अलैहहिस्सलाम  पूछेगे कि कितनों को जहन्नम में भेजूं ? रब फ़रमाएगा कि हर हज़ार में से नव सो निनानवे को भेज दीजिये

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सहाबए किराम ने जिक्रे कियामत पर खौफ से हंसना बन्द कर दिया

सहाबए किराम रज़ीअल्लाहो अन्हुम ने जब यह बात सुनी तो वो ना उम्मीद हो गए और हंसना मुस्कुराना छोड़ दिया। हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने जब येह मुशाहदा फ़रमाया तो इरशाद किया कि अमल करो और ख़ातिर जम्अ रखो, रब्बे जुल जलाल की क़सम ! जिस के कब्जए कुदरत में मेरी जान है, काफ़िर इन्सानों और शैतान के चेलों के इलावा दो ऐसी मख्लूकात भी हैं जो अपनी तादाद में तुम से बहुत ज़ियादा हैं। सहाबा ने पूछा : वो कौन हैं ? आप ने फ़रमाया : याजूज और माजूज, सहाबए किराम यह सुनते ही खुश हो गए। आप ने मजीद फ़रमाया : अमल करो और इतमीनान रखो ब खुदा ! तुम कियामत के दिन लोगों में ऐसे होगे जैसे ऊंट के पहलू में तिल या जैसे जानवर की टांग पर नुक्ता होता है।

ऐ फ़ानी दुन्या के धन्दों में मगन और फ़रेब खुर्दा गाफ़िल इन्सान ! इस दारे फ़ानी में गौरो फ़िक्र न कर बल्कि उस मन्ज़िल की फ़िक्र कर जिस के मुतअल्लिक़ खबर दी गई है कि वो तमाम इन्सानों का पड़ाव है चुनान्चे, फ़रमाने इलाही है : “और तुम में से हर एक उस पर गुजरने वाला है तेरे रब का हतमी (पक्का) वा’दा यह है फिर हम परहेज़गारों को नजात देंगे और ज़ालिमों को उस में गिरा हुवा छोड़ेंगे।

 

वहां पर तेरा उतरना यकीनी और तेरी नजात मश्कूक है लिहाज़ा दिल को उस जगह से खौफ़ज़दा कर शायद कि तू इस तरह नजात का रास्ता पा ले और मख्लूकात के हालात के मुतअल्लिक सोच जब वो कियामत की सख्तियों के मुतअल्लिक़ अन्दाजे लगा रहे होंगे और वो उस दुख और दहशत में मुब्तला होंगे और नज़रें उठा कर अपने नामए आमाल की हक़ीक़त के इज़हार का इन्तिज़ार कर रहे होंगे और किसी शफाअत करने वाले के मुन्तज़िर होंगे कि अचानक एक हौलनाक अन्धेरा मुजरिमों को घेर लेगा और भड़कती हुई आग उन पर साया फ़िगन होगी और उस की शिद्दते गज़ब से वो मकरूह आवाजें, चीख और पुकार सुनेंगे, उस दम वो अपनी हलाकत का यकीन कर लेंगे, लोग घुटनों के बल गिर जाएंगे उस वक़्त नेक लोग भी अपने बुरे अन्जाम से खौफ़ज़दा होंगे उस वक्त अज़ाब का फ़रिश्ता पुकारेगा कि फुलां बिन फुलां कहां है जो खुद को दुनिया में तूले अमल से तसल्लियां दिया करता था और अपनी ज़िन्दगी को बुरे आमाल में तज दिया, पस अज़ाब के फ़रिश्ते लोहे के गुर्ज़ ले कर बढ़ेंगे और उस का बहुत ही भयानक इस्तिकबाल करेंगे या’नी उसे सख्त अज़ाब के लिये ले जाएंगे, उसे जहन्नम के गार में डाल कर कहेंगे : अब अज़ाब का मज़ा चखो, तुम तो बड़े बुजुर्ग और मेहरबान थे।

जहन्नम के चन्द अजाब

और वोह उसे ऐसी जगह ठहराएंगे जिस में किनारे तंग, तारीक रास्ते और पोशीदा हलाकतें होंगी, मुजरिम उस में दाइमन रहेगा, उस में आग भड़काई जाएगी, उन का मश्रूब गर्म पानी और उन का ठिकाना जहन्नम होगा, अज़ाब के फ़रिश्ते उन्हें मुन्तशिर करेंगे और जहन्नम उन्हें जम्अ करेगा, वह हलाकत के मुतमन्नी होंगे मगर उन्हें मौत नहीं आएगी, उन के पाउं पेशानियों से बंधे होंगे और उन के चेहरे गुनाहों की सियाही से काले होंगे, वो हर चहार सू पुकारते फिरेंगे : ऐ मालिक ! हमारे लिये सज़ा का वादा पूरा हो चुका । ऐ मालिक ! लोहा हमें फ़ना कर देगा हमारी खालें उतर गई । ऐ मालिक ! हमें इस से निकाल, हम दोबारा बुरे आमाल नहीं करेंगे, अज़ाब के फ़रिश्ते जवाब में कहेंगे : उस वक्त तुम्हें तुम्हारा तअस्सुफ़ कोई “मआमन” फ़राहम नहीं करेगा

और तुम इस ज़िल्लत की जगह से कभी नहीं निकल सकोगे, इसी में रहो और कोई दूसरी बात न करो। अगर तुम इस से निकाल भी दिये गए तो तुम वो ही  कुछ करोगे जो पहले किया करते थे।

तब वो ना उम्मीद हो जाएंगे और अपने गुनाहों पर इन्तिहाई परेशानी का इज़हार करेंगे मगर उन्हें नदामत नहीं बचाएगी और न ही उन का अज़ाब “अफ्सोस” दूर कर सकेगा बल्कि वो बांध कर मुंह के बल नीचे डाल दिये जाएंगे और उन के ऊपर-नीचे, दाएं-बाएं आग होगी और वो सरापा गर्के आतिश होंगे। उन का खाना-पीना, बिस्तर, लिबास सब कुछ आग का होगा और वो आग के शो’लों में लिपटे होंगे, जहन्नम के कतरान का लिबास और लोहे के डन्डे उन की सज़ा के लिये होंगे और जन्जीरों की गिरां बारी तंगी की वज्ह से आवाज़ पैदा कर रही होगी, वो जहन्नम की गहराइयों में शिकस्त खुर्दगी के साथ सर गर्दा होंगे और उस की आग में सख्त परेशान होंगे, आग उन्हें ऐसा उबाल देगी जैसे हांडियों में उबाल आता है और वो गिर्या व जारी करेंगे, मौत को बुलाएंगे, जूं ही वोह हलाकत की तमन्ना करेंगे, उन के सरों पर जहन्नम का खोलता पानी उंडेला जाएगा जिस से उन की आंतें और चमड़ा गल जाएगा और उन के लिये लोहे के हथोड़े होंगे जिन से उन की पेशानियों को तोड़ा जाएगा, उन के मुंह से पीप बहने लगेगी और प्यास से उन के जिगर टुकड़े टुकड़े हो जाएंगे, उन की आंखों की पुतलियां उन के रुख्सारों पर बहेंगी जिस से उन के रुख्सारों का गोश्त उधड़ जाएगा और जब उन का चमड़ा गल जाएगा तो दूसरा चमड़ा पैदा हो जाएगा, उन की हड्डियां गोश्त से खाली होंगी, उन की रूह का रिश्ता रगों से काइम होगा, जो जिस्म से लिपटी हुई होंगी वो आग की गर्मी से फूली होंगी और वो उस वक्त मौत की तमन्ना करेंगे मगर उन्हें मौत नहीं आएगी।

अगर तुम उन्हें इस हालत में देखो तो नज़र आएगा कि उन की शक्लें बहुत ज़ियादा सियाह हैं, आंखें अन्धी, ज़बानें गूंगी, कमरें शिकस्ता, हड्डियां रेज़ा रेज़ा, कान बहरे, चमड़ा चीथड़ों की तरह पारा पारा, हाथ गर्दनों के पीछे बंधे हुवे या’नी शिकन की हुई पेशानी और पाउं यक्जा, मुंह के बल आग पर चलते हुवे, अपनी पलकों से गर्म लोहा रौंदते हुवे, उन के तमाम आ जाए बदन में भड़कती हुई आग होगी, जहन्नम के सांप और बिच्छू उन के जिस्म पर चिमटे हुवे होंगे तो येह मनाज़िर देख कर तुम्हारी क्या हालत होगी !

अब ज़रा उन के हौलनाक अज़ाब की तफ्सील पर गौर करो और जहन्नम की वादियों और घाटियों के सिलसिले में तअम्मुल करो।

फ़रमाने नबवी है कि जहन्नम में सत्तर हज़ार वादियां हैं, हर वादी में सत्तर हज़ार घाटियां हैं और हर घाटी में सत्तर हज़ार सांप और सत्तर हज़ार बिच्छू हैं, काफ़िरों और मुनाफ़िकों को इन तमाम जगहों ही में जाना होगा।

रियाकार का अजाब – दिखावा करने वाले का अज़ाब

हज़रते अली सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : वादिये हुज्न या हज्न की घाटी से पनाह मांगो ! पूछा गया : हुजूर वो क्या है ? आप ने फ़रमाया : वो जहन्नम की एक ऐसी वादी है जिस से हर रोज़ जहन्नम भी सत्तर मरतबा पनाह मांगता है, ये वादी अल्लाह तआला ने रियाकार कारियों के लिये तय्यार की है।

यह जहन्नम की वुस्अत, इस की वादियों की घाटियां, ज़िन्दगी के नशेबो फ़राज़ और ख्वाहिशाते नफ़्सानी की तादाद के बराबर हैं और जहन्नम के दरवाजे इन्सानी जिस्म के उन आ’ज़ा की तादाद के बराबर है जिन से इन्सान जराइम का इतिकाब करता है, वो एक दूसरे के ऊपर हैं, ऊपर वाला जहन्नम, फिर सकर, फिर लज़ा, फिर हुतमा, फिर सईर, फिर जहीम और सब से नीचे हाविया है, ज़रा हाविया की गहराई का तसव्वुर करो, जिस कदर इन्सान की शहवाते नफ़्सानी गहरी होंगी, इसी कदर उसे हाविया की गहराई में ठिकाना मिलेगा और जैसे इन्सान की हर उम्मीद एक दूसरी बड़ी उम्मीद पर ख़त्म होती इसी तरह हाविया की हर गहराई दूसरी गहराई पर जा कर रुकती है।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हम ने एक धमाका सुना । हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जानते हो यह क्या है ? हम ने कहा : अल्लाह और उस के रसूल सल्लल्लाहो अलैह व सल्लमबेहतर जानते हैं, आप ने फ़रमाया : सत्तर साल पेशतर जहन्नम के किनारे से पथ्थर लुढ़काया गया था जो अब उस की गहराई में जा पहुंचा है।(यह उस की आवाज़ थी) ।

दरजाते जहन्नम – दोज़ख के दर्जे

अब जहन्नम के दरजात पर गौर कीजिये ! बेशक आखिरत अपने तबकात और खसाइस के ए’तिबार से बहुत अजीम है, जैसे दुनिया में लोगों के मुख़्तलिफ़ दरजात हैं इसी तरह जहन्नम में मुख्तलिफ़ दरजात होंगे जो गुनाहों का आदी और सख्त ना फ़रमान होगा वो आग में गर्क होगा और मा’मूली तौर पर गुनाह करने वाला एक महदूद हद तक जलेगा इसी तरह आग भी गुनहगार के गुनाहों के मुताबिक़ अज़ाब देगी क्यूंकि अल्लाह तआला किसी पर एक ज़र्रे के बराबर जुल्म नहीं करता है लिहाज़ा हर इन्सान को एक जैसा अज़ाब नहीं होगा बल्कि गुनाहों की मिक्दार के मुताबिक़ सज़ा मिलेगी मगर जहन्नम का सब से मा’मूली अज़ाब भी अगर दुनिया पर पेश कर दिया जाए तो उस की हिद्दत (तेज़ी) से सारी दुनिया जल कर भसम हो जाए।

फ़रमाने नबवी है कि जहन्नम का मामूली अज़ाब यह होगा कि दोज़खी को आग के जूते पहनाए जाएंगे जिस की गर्मी से उस का दिमाग खोलता होगा ।

इस मामूली अज़ाब से उस बड़े अज़ाब का अन्दाज़ा लगाओ ! अगर तुम्हें आग के जलाने में शुबहा हो तो अपनी उंगली इस दुनिया की आग में डाल कर देखो तो तुम्हें पता चल जाएगा, अगर्चे इस दुन्यावी आग को जहन्नम की आग से कोई निस्बत नहीं है लेकिन सोचो तो, जब यह आग दुनिया के सख्त तरीन अज़ाबों में शुमार होती है तो उस आग का क्या आलम होगा ! अगर जहन्नमी वहां इस दुन्यावी आग को पा लें तो खुशी से दौड़ते हुवे उस में घुस जाएं । (इसी में अपनी नजात समझें)

आतशे दोजख और इस दुनिया की आग

इसी लिये बा’ज़ अहादीस में है कि जहन्नम की आग को सत्तर मरतबा रहमत के पानी से धो कर दुन्या में लोगों के इस्ति’माल के लिये भेजा गया है बल्कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया है कि अल्लाह तआला ने हुक्म दिया कि जहन्नम में आग भड़काई जाए, हज़ार साल के बा’द जहन्नम सुर्ख हो गया फिर हज़ार साल तक आग भड़काई गई जिस से वह सफ़ेद हो गया, जब मजीद हज़ार साल आग भड़काई गई तो वह बिल्कुल सियाह और तारीक तरीन हो गया।

फ़रमाने नबवी है : जहन्नम ने रब्बे अज़ीम से शिकायत की, कि मेरे बा’ज़ हिस्से बा’ज़ हिस्सों की तपिश से फ़ना हो रहे हैं तो अल्लाह तआला ने उसे सिर्फ दो सांसों की इजाजत दे दी, एक गर्मी में और एक सर्दी में, गर्मियों में गर्मी की शिद्दत उस के गर्म सांस से और सर्दी की शिद्दत उस के सर्द सांस से होती है।

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : क़ियामत के दिन मालदार तरीन काफ़िरों को लाया जाएगा और उसे आग में गौता दे कर पूछा जाएगा कि तू ने दुनिया में कोई नेमत पाई थी ? वो कहेगा : बिल्कुल नहीं, फिर एक ऐसे शख्स को लाया जाएगा जिस ने दुन्या में सब से ज़ियादा दुख उठाए होंगे, उसे जन्नत में ले जा कर बाहर निकाला जाएगा और पूछा जाएगा : तू ने कभी कोई दुख पाया है ? वोह कहेगा : नहीं।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि अगर मस्जिद में एक हज़ार या इस से भी जियादा लोग मौजूद हों और वहां जहन्नमी शख्स सांस ले तो वो सब के सब मर जाएंगे।

बा’ज़ उलमा ने इस फ़रमाने इलाही की, कि “आग उन के मुंह को झुलस देगी।” तशरीह में लिखा है कि आग की एक ही लपेट से उन की हड्डियों का गोश्त नीचे गिर जाएगा।

अब उस पीप के मुतअल्लिक गौर करो जो इन्तिहाई बदबू दार बन कर उन के जिस्मों से इस कदर बहेगी कि वो उस में गर्क हो जाएंगे, कुरआने करीम में इसी को गस्साक़ का नाम दिया गया है।

हज़रते अबू सईद खुदरी रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया :

अगर दोज़खियों की पीप का एक डोल दुनिया में फेंक दिया जाए तो उस की बदबू से तमाम मख्लूक का दम घुट जाए।

जब दोज़ख़ी प्यास की शिद्दत महसूस करेंगे तो उन्हें यही पीने को दी जाएगी वो पीप का पानी हल्क में डालेंगे, एक घूँट लेंगे मगर उसे निगल नहीं सकेंगे और मौत हर जानिब से उन पर हम्ला करेगी मगर वो नहीं मरेंगे। अगर वो पानी की तमन्ना करेंगे तो उन्हें तांबे की रंगत जैसा पानी दिया जाएगा जो चेहरों को जला देता है, यह बहुत बुरा मशरूब है और जहन्नम बहुत बुरा ठिकाना है।

 

दोज़खियों का खाना

उन के तआम के मुतअल्लिक़ सोचो ! वोह जक्कम (थोहर) होगा जैसा कि फ़रमाने इलाही है:

“फिर तुम ऐ झुटलाने वाले गुमराहो ! जक्कूम का दरख्त खाने वाले हो, इस से पेट भरने वाले हो फिर इस पर गर्म पानी पीने वाले हो और प्यासे ऊंटों की तरह पीने वाले हो।”

मजीद फ़रमाया :

“वोह एक दरख्त है जो जहन्नम की गहराई से निकलता है उस का सर सांप के सरों की मानिन्द है फिर उन के लिये उस में गर्म पानी की मिलावट है फिर उन का दोज़ख़ की तरफ़ जाना है।”

वोह इन मराहिल से गुज़र कर जहन्नम में जाएंगे।

एक और इरशादे रब्बानी है : “वो जलती हुई आग में दाखिल होंगे खोलते हुवे चश्मे से पिलाए जाएंगे।”

बेशक हमारे पास (उन के लिये) बेड़ियां और आग है और गले में अटक जाने वाला खाना और दर्दनाक अज़ाब है।”(1)

हज़रते इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : अगर ज़क्कूम का एक कतरा दुन्या के दरयाओं और समन्दरों में डाल दिया जाए तो लोगों के लिये ज़िन्दगी दूभर हो जाए फिर उन लोगों का क्या हश्र होगा जिन की गिज़ा ही जक्कूम होगी ।

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : अल्लाह तआला ने जिन चीज़ों से महब्बत रखने का हुक्म दिया है उन्हें महबूब रखो और जिन चीज़ों से परहेज़ का हुक्म दिया है उन से परहेज़ करो, अल्लाह के अज़ाब और जहन्नम से डरो, अगर जन्नत का एक ज़र्रा तुम्हारे पास दुनिया में होता तो दुनिया तुम्हारे लिये इन्तिहाई जाज़िबे नज़र और पुर कशिश हो जाती है और अगर जहन्नम की आग की एक चिंगारी तुम्हारे साथ होती तो दुनिया तुम्हारे लिये इन्तिहाई मोहलिक और तबाह कुन बन जाती ।

हज़रते अबुद्दरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जहन्नमियों पर भूक मुसल्लत की जाएगी यहां तक कि वो अज़ाब को भूल कर खाने की इल्तिजा करेंगे उन की इल्तिजा के जवाब में उन्हें ज़रीअ पेश की जाएगी जो ऐलवे से ज़ियादा कड़वी और निहायत बदबूदार होगी जो न उन्हें फ़र्बा करेगी और न उन की भूक मिटाएगी, फिर खाने की दरख्वास्त करेंगे तो उन्हें ऐसा खाना दिया जाएगा जो उन के गले में अटक जाएगा तब उन्हें याद आएगा कि वो दुनिया में हल्क में फंसा हुवा लुक्मा पानी से उतारते थे लिहाज़ा वो पानी के लिये इल्तिजा करेंगे तो लोहे की सन्सियों से पकड़ कर गर्म पानी का बरतन उन के आगे लाया जाएगा, जब वो मुंह के करीब होगा तो तपिश से उन के चेहरे झुलस जाएंगे और जब वो पानी उन के पेट में पहुंचेगा तो उन की अंतड़ियां टुकड़े टुकड़े कर देगा, फिर वो कहेंगे कि जहन्नम के निगहबानों को बुलाओ और उन्हें बुला कर कहेंगे : अपने रब से दुआ करो वो हम पर एक दिन के अज़ाब की तखफ़ीफ़ कर दे, वो निगहबान कहेंगे : क्या तुम्हारे पास पैग़म्बर दलाइल ले कर नहीं आए थे ? जहन्नमी कहेंगे : हां आए थे। तब वो कहेंगे : तुम खुद दुआ करो (और काफ़िरों की दुआ कभी राहे रास्त पर नहीं आती)

फिर वो कहेंगे : मालिके जहन्नम को बुलाओ और उसे बुला कर कहेंगे : अल्लाह तआला हम पर मौत मुसल्लत कर दे। मालिक जवाब देगा : तुम्हें मरना नहीं है, हमेशा यहीं रहना है।

हज़रते आअमस रहमतुल्लाह अलैह का कौल है : उन की दुआ और मालिके जहन्नम  के जवाब के दरमियान एक हज़ार बरस गुज़र जाएंगे। फिर कहेंगे कि रब से बढ़ कर कोई मेहरबान नहीं है लिहाज़ा अपने रब के हुजूर में अर्ज करेंगे : ऐ रब ! हम पर बद बख़्ती गालिब आ गई और हम गुमराह हो गए अब हमें निकाल, अगर हम फिर वो ही काम करें तो हम ज़ालिम होंगे। उन्हें जवाब मिलेगा : दूर हो जाओ इसी जहन्नम में रहो और खामोश हो जाओ ! हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : उस वक्त उन्हें हलाकत, सख्ती और नदामत घेर लेगी और वो हर किस्म की भलाई से ना उम्मीद हो जाएंगे ।

हज़रते अबू उमामा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने इस फ़रमाने इलाही :

और वो पीप के पानी से सैराब किया जाएगा। वो उस का घूंट घूंट लेगा मगर गले से नहीं उतरेगा।

की तशरीह में फ़रमाया : जब ये पानी उस की नज़रों के सामने आएगा तो वो इसे बुरा समझेगा, जब होंटों के करीब आएगा तो चेहरों को झुलसा देगा और सर की खाल बालों समेत जला देगा, जब वो इसे पियेगा तो उस की आंतें काट कर बाहर निकाल देगा, फ़रमाने इलाही है :

“और उन को गर्म पानी पिलाया जाएगा जो उन की आंतें काट देगा।” ।

मजीद फ़रमाया : “और जब वो पानी तलब करेंगे तो उन्हें पीप जैसा पानी दिया जाएगा जो चेहरों को भून डालेगा।”

यह भूक के वक्त उन का खाना-पीना होगा।

अब दोज़ख के सांप बिच्छू, उन की जसामत, तेज़ ज़हर और दोज़खियों की रुस्वाई पर। गौर करो, सांप, बिच्छू जो उन पर मुसल्लत किये जाएंगे, उन के सख्त दुश्मन होंगे, एक लम्हा भी काटने और डंक मारने से बाज नहीं रहेंगे।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जिस शख्स को अल्लाह तआला ने माल दिया और उस ने ज़कात अदा नहीं की, क़ियामत के दिन उस का माल गन्जे सांप की शक्ल में आएगा जिस की पेशानी पर दो सियाह नुक्ते होंगे, वो उस के गले से लिपट कर उस के जबड़ों को पकड़ लेगा और कहेगा : मैं तेरा माल और तेरा खज़ाना हूं फिर आप ने ये आयत तिलावत की : “और जो हमारे दिये हुवे माल में बुख़्ल करते हैं

वो ये न समझें कि यह उन के लिये अच्छा है”। फ़रमाने नबवी है : जहन्नम में बख्ती ऊंटों की गर्दनों जैसे (मोटे और लम्बे) सांप होंगे जब वो फंफकारेंगे तो उन की गर्मी चालीस बरस के फ़ासिले से महसूस की जाएगी और हैबतनाक बिच्छू होंगे जिन की सांस की गर्मी चालीस बरस के फ़ासिले से महसूस की जाएगी सांप और बिच्छू उस आदमी पर मुसल्लत होंगे जिस पर दुनिया में बुख़्ल, बद खुल्की और लोगों को सताने का जुल्म आइद होगा और जिस में यह बुराइयां नहीं पाई जाती, उसे कोई तकलीफ़ नहीं दी जाएगी।

इस के बाद दोज़खियों के लम्बे चौड़े जिस्मों पर गौर करो, अल्लाह तआला उन के अजसाम के तूलो अर्ज में इज़ाफ़ा कर देगा ताकि उन्हें जियादा से ज़ियादा अज़ाब हो लिहाजा वो दोज़खी मुतवातिर अपने अजसाम पर जहन्नम की गर्मी और सांपों-बिच्छूओं के डंक झेलता रहेगा।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि जहन्नम में काफ़िर की दाढ़ उहुद पहाड़ के बराबर और उस का निचला होंट सीने पर पड़ा होगा और ऊपर वाला होंट इस कदर ऊपर उठा हुवा होगा जिस से सारा चेहरा छुपा होगा।

फ़रमाने नबवी है कि काफ़िर जहन्नम में अपनी ज़बान घसीट रहा होगा और लोग उस की ज़बान को रौंदते हुवे जाएंगे।

उन की इन अज़ीम जसामतों के बा वुजूद आग उन्हें जलाती रहेगी और कई कई मरतबा उन के चमड़े और गोश्त को तब्दील किया जाएगा हज़रते हसन रहमतुल्लाह अलैह इस इरशादे इलाही के बारे में कि “जब भी उन के चमड़े गल जाएंगे हम और चमड़े बदल देंगे”। कहते हैं कि आग उन के अज्साम को दिन में सत्तर हज़ार मरतबा जलाएगी मगर जूं ही उन के चमड़े जलेंगे, अल्लाह तआला दोबारा उन के अज्साम को मुकम्मल कर देगा।

फिर दोज़खियों की गिर्या व जारी, फरयादो फुगां और हलाकत व मौत की इल्तिजाओं के मुतअल्लिक गौर करो जो इब्तिदाए कयामत ही से उन का मुक़द्दर बन जाएगी।

फ़रमाने नबवी है : क़ियामत के दिन जहन्नम को सत्तर हज़ार मुहारें डाल कर लाया जाएगा और हर मुहार के साथ सत्तर हज़ार फ़रिश्ते होंगे।

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि जहन्नमियों पर गिर्या व जारी भेजी जाएगी, वो रोते रहेंगे यहां तक कि आंसू खत्म हो जाएंगे, फिर वो खून के आंसू रोएंगे यहां तक कि उन के चेहरों पर गढ़े पड़ जाएंगे, अगर इन में किश्तियां चलाई जाएं तो वो भी रवां हो जाएं ।

उन्हें गिर्या व जारी, आह, फ़रयाद और मौत की दुआ मांगने की इजाज़त होगी जिस से वो दिल का बोझ हलका करेंगे मगर बाद में उन्हें इस से भी मन्अ कर दिया जाएगा।

दोजखियों की इल्तिजाएं रद्द कर दी जाएंगी।

हज़रते मोहम्मद बिन का’ब रहमतुल्लाह अलैह से मरवी है कि अल्लाह तआला दोज़खियों की पांच बातों में से चार का जवाब देगा मगर पांचवें जवाब के बाद फिर कभी कलाम नहीं फ़रमाएगा, वह कहेंगे : ऐ रब तू ने हमें दो मरतबा मारा और दो मरतबा जिन्दा किया, हम ने अपने गुनाहों को मान लिया है पस कोई निकलने का रास्ता है ?

रब फ़रमाएगा : यह इस लिये है कि जब तुम्हें अल्लाह की वहदानिय्यत को बुलाया जाता था तो तुम कुफ्र करते थे अगर उस का शरीक लाया जाता था तो तुम मान लेते थे हुक्म सिर्फ अल्लाह बुजुर्ग व बरतर के लिये है।

फिर वो कहेंगे : ऐ रब हम ने देखा और सुना हमें वापस भेज ताकि हम नेक अमल करें। रब फ़रमाएगा : क्या तुम इस से पहले कसमें नहीं खाते थे कि तुम्हें कोई जवाल नहीं आएगा ।

फिर काफिर कहेंगे : ऐ रब हमें जहन्नम से निकाल, हम पहले से अच्छे अमल करेंगे।

रब फ़रमाएगा : क्या हम ने तुम्हें उम्र नहीं दी थी जिस में तुम नसीहत करने वाले की नसीहत को याद करते और तुम्हारे पास डराने वाला आया था अब तुम अज़ाब चखो ज़ालिमों को कोई मददगार नहीं है।

तब वो कहेंगे : ऐ रब हम पर बद बख़्ती गालिब आ गई और हम गुमराह हो गए थे ऐ रब हमें इस से निकाल अगर हम फिर इसी रास्ते पर लौटे तो हम जालिम होंगे।

और अल्लाह तआला उन्हें फ़रमाएगा जहन्नम में रहो और अब मत बोलो।

उन के लिये इन्तिहाई दरजे का अज़ाब होगा और फिर वो कभी बारी तआला से कलाम नहीं कर सकेंगे।

हज़रते मालिक बिन अनस रहमतुल्लाह अलैह से मरवी है : हज़रते ज़ैद बिन अस्लम ने इस फ़रमाने इलाही : “बराबर है हमारे लिये कि हम जज्अ व फज्अ करें”  या सब्र करें हमारे लिये भागने की जगह नहीं” की तशरीह में फ़रमाया : वो सो साल सब्र करेंगे, फिर सो साल आहो फुगां करेंगे, फिर सो साल सब्र करने के बाद कहेंगे : हमारे लिये सब्र करना और आहो बुका करना दोनों बराबर हैं।

फरमाने नबवी है कि कयामत के दिन मौत को एक मोटे मेंढ़े की शक्ल में ला कर जन्नत और जहन्नम के दरमियान ज़ब्ह किया जाएगा और कहा जाएगा : ऐ जन्नत वालो ! अब मौत का खौफ़ किये बिगैर हमेशा के लिये जन्नत में रहो और जहन्नम वालों से कहा जाएगा कि तुम्हें मौत नहीं आएगी, हमेशा के लिये जहन्नम में रहो ।

हज़रते हसन रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाया करते थे कि एक आदमी जहन्नम से हज़ार साल बाद निकलेगा, काश वो हसन हो।

किसी ने हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो को एक गोशे में रोता देख कर पूछा क्यूं रो रहे हो ? आप ने फ़रमाया : कहीं बे नियाज़ परवरदीगार मुझे जहन्नम में न डाल दे।

यह मजमूई तौर पर अज़ाबे जहन्नम की किस्में थीं, वहां के गम, तक्लीफ़ों और हसरतों की तफ्सील बहुत तवील है, उन के लिये बद तरीन अज़ाब यह होगा कि वो जन्नत की ने’मतें, रज़ाए खुदावन्दी और दीदारे इलाही से महरूम होंगे क्यूंकि दुन्या में खोटे सिक्के ख़रीदे और फिर उन के बदले चन्द रोज़ा ज़िन्दगी में इन्तिहाई रुस्वा कुन नफ़्सानी ख्वाहिशात खरीद लीं, वो अपने जाएअ शुदा आ’माल और बरबाद कर्दा अय्याम पर अफ्सोस करते हुवे कहेंगे : हाए अपसोस ! हम ने अपने जिस्मों को रब की ना फ़रमानी में तबाह कर दिया, हम ने ज़िन्दगी के मुख़्तसर अय्याम में अपने नफ्स को सब्र पर क्यूं न मजबूर किया, अगर हम उन गुज़रने वाले दिनों में सब्र कर लेते तो रब्बुल आलमीन के जवारे रहमत में जगह पाते, जन्नत और रज़ाए इलाही हासिल कर लेते।

हाए अफ्सोस ! उन की ज़िन्दगी गुनाहों में तबाह हो गई, मसाइब में घिर गए, दुन्यावी ने’मतों और लज्ज़तों का कोई हिस्सा उन के लिये बाकी न रहा, अगर वो बा वुजूद उन मसाइब के जन्नत की ने मतों का नज्जारा न करते तो उन की हसरत दो चन्द न होती मगर उन्हें जन्नत दिखाई जाएगी, चुनान्चे,

फ़रमाने नबवी है कि क़ियामत के दिन कुछ लोगों को जन्नत की तरफ़ लाया जाएगा जब वो जन्नत के करीब पहुंचेगे, उस की खुश्बू सूंघेगे, जन्नतियों के महल्लात को देखेंगे, तब अल्लाह तआला फ़रमाएगा : इन्हें वापस ले जाओ, इन का जन्नत में कोई हिस्सा नहीं है, वो ऐसी हसरत ले कर लौटेंगे कि अव्वलो आख़िर इस की मिसाल नहीं मिलेगी और कहेंगे ऐ रब ! अगर जन्नत और उस में रहने वालों के लिये जो इन्आमात तय्यार हैं वो दिखाने से पहले ही हमें जहन्नम में भेज देता तो हमें कुछ आसानी रहती, रब तआला फ़रमाएगा : ये तुम्हारे साथ इस लिये किया गया है कि जब तुम मेरी बारगाह में आते तो अकड़ कर आते लेकिन जब तुम लोगों से मिलते तो झुक झुक कर मिलते थे, लोगों को अपने दिलों में छुपी बातों से बे ख़बर रखते और रियाकारी से काम लेते थे। तुम लोगों से डरते थे मगर मुझ से नहीं डरते थे, तुम लोगों को बड़ा समझते थे और मुझे नहीं, तुम जाती गरज़ के लिये लोगों से तो तअल्लुकात ख़त्म कर देते थे मगर मेरे लिये नहीं, आज मैं तुम्हें दाइमी ने मतों से महरूम कर के दर्दनाक अज़ाब का मज़ा चखाऊंगा।।

हज़रते अहमद बिन हर्ब रहमतुल्लाह अलैह का कौल है : हम धूप पर साए को तरजीह देते हैं मगर जहन्नम पर जन्नत को तरजीह नहीं देते।

हज़रते ईसा अलैहहिस्सलाम  का इरशाद है कि कितने तन्दुरुस्त जिस्म, खूब सूरत चेहरे और शीरीं कलाम करने वाली ज़बानें, कल जहन्नम के तबकात में पड़े चीख़ रहे होंगे। (हजरते दावूद अलैहहिस्सलाम  की बारगाहे इलाही में इल्तिजा ।

हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम  ने बारगाहे इलाही में अर्ज की : इलाही ! जब मैं सूरज की तपिश पर सब्र नहीं कर सकता तो तेरे जहन्नम की आग पर कैसे सब्र करूंगा ? मैं कि तेरी रहमत की आवाज़ सुनने का हौसला नहीं रखता, तेरे अज़ाब की आवाज़ कैसे सुनूंगा ?

 

ऐ नातवां ! इन हौलनाकियों पर गौर कर और समझ ले कि अल्लाह तआला ने आग को उस की तमाम तर हौलनाकियों के साथ पैदा किया है और उस में रहने वालों को पैदा कर दिया है जो न कम होंगे न ज़ियादा, अल्लाह तआला उन का फैसला फ़रमा चुका है।

फ़रमाने इलाही है :

“और उन्हें हसरत के दिन से डराइये जब काम मुकम्मल किया जाएगा और वो गफलत में हैं और ईमान नहीं लाते ।”(1)

अपनी जान की कसम ! इस में कियामत की तरफ़ इशारा है बल्कि यौमे अज़ल मुराद है लेकिन चूंकि इन फैसलों का इज़हार कियामत के दिन होगा इस लिये इसे कियामत से मन्सूब किया गया है।

तुझ पर तअज्जुब है कि इस बात को जानते हुवे भी कि जाने मेरे हक़ में क्या फैसला हो चुका है तू दुन्यावी बुराइयों और लह्वो लड़ब में मश्गूल है और गफलत में पड़ा है, अगर तेरी तमन्ना येह है कि काश तुझे अपने ठिकाने और अन्जाम का पता चल जाए तो इस की चन्द अलामतें हैं, इन पर नज़र कर और फिर अपनी उम्मीदें काइम रख।

पहले तू अपने अहवाल और आ’माल को देख, अगर तू हर उस अमल पर कारबन्द है जिस के लिये अल्लाह तआला ने तुझे दुनिया में भेजा है और तुझे नेकियों से महब्बत है तो समझ ले कि तू जहन्नम से दूर है और अगर तू नेकी का इरादा करता है मगर ऐसे मवानेअ हाइल हो जाते हैं कि तू नेकी नहीं कर पाता लेकिन जब बुराई का इरादा करता है तो उसे आसानी से कर लेता है तो समझ ले तेरे लिये फैसला हो चुका है क्यूंकि जैसे बारिश का वुजूद सब्जे की नशो नुमा और धुवां आग पर दलालत करता है तो इसी तरह यह फेल भी बुरे अन्जाम का पता देता है।

फ़रमाने इलाही है: नेक ने’मतों और बदकार जहन्नम में होंगे।

अपने आ’माल को इन आयात के आईने में देख ! तब तू अपना मक़ाम पहचान लेगा।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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माल और औलाद तुम्हारे लिये आजमाइश हैं

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 फ़रमाने इलाही है : ऐ ईमान वालो तुम्हें तुम्हारा माल व औलाद अल्लाह से ग़ाफ़िल न करे और जिस ने ऐसा किया वो नुक्सान पाने वाले हैं।

मजीद इरशाद है :

बिला शुबा तुम्हारे माल और औलाद तुम्हारे लिये आजमाइश हैं और अल्लाह के नजदीक बहुत बड़ा अज्र है। लिहाज़ा जिस किसी ने भी माल और औलाद को अल्लाह तआला की रहमत पर तरजीह दी उस ने अज़ीम नुक्सान किया।

फ़रमाने इलाही है : जो दुन्या की ज़िन्दगी और आराइश चाहता हो हम इस में उन का पूरा फल दे देंगे और इस में कमी न देगें येह हैं वोह जिन के लिये आखिरत में कुछ नहीं मगर आग और अकारत गया जो कुछ वहां करते थे और नाबूद (बरबाद) हुवे जो उन के अमल थे। ११.१५: १ ) फ़रमाने इलाही है : इन्सान सरकशी करता है इस लिये कि वो खुद को गनी और बे परवा समझता है।

मजीद फ़रमाया : तुम्हें कसरते माल की तलब ने हलाक कर दिया।

फ़रमाने नबवी है कि जैसे पानी सब्जियां उगाता है इसी तरह माल और इज्जत की महब्बत इन्सान के दिल में निफ़ाक़ पैदा करते हैं।

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फ़रमाने नबवी है कि दो खतरनाक भेड़िये बकरियों के इहाते में घुस कर इतना नुक्सान नहीं करते जितना किसी मुसलमान के दीन में माल, इज्जत और वजाहत की तमन्ना नुक्सान करती है।

फ़रमाने नबवी है कि ज़ियादा दौलत मन्द हलाक हो गए मगर जिन्हों ने बन्दगाने ख़ुदा पर बे अन्दाज़ा माल ख़र्च किया (वोह हलाकत से महफूज़ रहे) और ऐसे लोग कम हैं.

आप से पूछा गया आप की उम्मत में सब से बुरे लोग कौन हैं ? फ़रमाया : दौलत मन्द !

फ़रमाने नबवी है कि अन करीब तुम्हारे बा’द एक क़ौम आने वाली है जो दुनिया की खुश रंग ने’मतें खाएंगे, खुश क़दम घोड़ों पर सवार होंगे, बेहतरीन, हसीन व खूबरू औरतों से निकाह करेंगे, बेहतरीन रंगो वाले कपड़े पहनेंगे, उन के मा’मूली पेट कभी नहीं भरेंगे, उन के दिल कसीर दौलत पर भी कनाअत नहीं करेंगे, सुब्हो शाम दुनिया को मा’बूद समझ कर इस की इबादत करेंगे, इसे अपना रब समझेगें, इसी के कामों में मगन और इसी की पैरवी में गामज़न रहेंगे। जो शख्स उन लोगों के ज़माने को पाए, उसे मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की वसियत है कि वो उन्हें सलाम न करे, बीमारी में उन की इयादत न करे, उन के जनाज़ों में शामिल न हो और उन के सरदारों की इज्जत न करे और जिस शख्स ने ऐसा किया उस ने इस्लाम को मिटाने में उन से तआवुन किया।

फ़रमाने नबवी है कि दुनिया, दुनियादारो के लिये छोड़ दो, जिस ने अपनी ज़रूरत से ज़ियादा दुनिया ले ली, उस ने बे ख़बरी में अपने लिये हलाकत ले ली।।

राहे खुदा में खर्च होने वाला माल बाकी रहता है।

फ़रमाने नबवी है कि इन्सान “मेरा माल ! मेरा माल !” करता है मगर तुम्हारे माल वो है जो तू ने खा लिया वो ख़त्म हो गया और जो पहन लिया वो पुराना हो गया, जो राहे खुदा में खर्च किया वो ही बाकी रहा । एक शख्स ने अर्ज़ किया : या रसूलल्लाह ! मुझे क्या हो गया है कि मैं मौत को अच्छा नहीं समझता ? आप ने फ़रमाया : तेरे पास कुछ मालो दौलत है ? उस ने अर्ज़ किया : जी हां। आप ने फ़रमाया : माल को राहे खुदा में खर्च कर दो क्यूंकि मोमिन का दिल अपने माल के साथ रहता है अगर वो माल को रोके रखता है तो उस का दिल मरने पर तय्यार नहीं होता और अगर वो माल को आगे भेज देता है (राहे मौला में खर्च कर देता है) तो उसे भी वहां जाने की आरजू होती है।

फ़रमाने नबवी है कि इन्सान के तीन दोस्त हैं : एक उस की मौत तक साथ रहता है, दूसरा कब्र तक और तीसरा कियामत तक साथ रहेगा, मौत तक का साथी उस का माल है, कब्र तक का साथ देने वाला उस का ख़ानदान है और क़ियामत तक साथ देने वाले उस के आ’माल हैं।

हज़रते ईसा अलैहहिस्सलाम  के हवारियों ने आप से पूछा : क्या वज्ह है कि आप पानी पर चलते हैं और हम नहीं चल सकते ? आप ने फ़रमाया : तुम मालो दौलत को कैसा समझते हो? वो बोले : अच्छा समझते हैं। आप ने फ़रमाया : मगर मेरे नज़दीक मिट्टी का ढेला और रूपिया बराबर है।

गुनहगार दौलत मन्द पुल सिरात से नहीं गुजर सकेगा।

हज़रते सलमान फ़ारिसी रज़ीअल्लाहो अन्हो ने हज़रते अबुदरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो को लिखा कि ऐ भाई ! खुद को इतनी दुनिया जम्अ करने से बचाओ जिस का तुम “शुक्र” अदा न कर सको क्यूंकि मैं ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को फ़रमाते हुवे सुना है कि अल्लाह तआला का इताअत गुज़ार दौलत मन्द अपना माल लिये कियामत में आएगा, वो पुल सिरात से गुज़रने लगेगा तो उस का माल कहेगा : गुज़र जा क्यूंकि तू ने मेरा हक़ अदा किया था और जब गुनहगार दौलत मन्द आएगा और पुल सिरात से गुज़रने लगेगा तो उस का माल कहेगा : तेरे लिये हलाकत हो तू ने मेरे बारे में अल्लाह तआला के मुकर्रर कर्दा हुकूक पूरे नहीं किये थे, पस उसे हलाकत में डाल दिया जाएगा।।

फ़रमाने नबवी है कि जब इन्सान मरता है तो फ़िरिश्ते कहते हैं : इस ने क्या भेजा था (राहे खुदा में क्या कुछ ख़र्च किया था?) और इन्सान कहते हैं : इस ने क्या कुछ छोड़ा है ?

फ़रमाने नबवी है कि जाएदाद न बनाओ, तुम दुन्या से महब्बत करने लगोगे ।

मरवी है कि किसी शख्स ने हज़रते अबुदरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो को सख्त सुस्त कहा, आप को ना गवार गुज़रा और आप ने अल्लाह तआला से बद दुआ की : ऐ अल्लाह ! जिस ने मुझे बुरा कहा है, उस के जिस्म को तन्दुरुस्त रख, उस को तवील ज़िन्दगी और कसीर मालो मनाल अता कर दे गोया उन्हों ने तन्दुरुस्ती और तवील ज़िन्दगी के साथ मालो दौलत की फ़रावानी को भी बुरा और उसे राहे रास्त से हटाने वाला समझा ।

हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो ने एक दिरहम हाथ पर रख कर फ़रमाया : तू जब तक मुझ से जुदा नहीं होगा, मुझे कोई फाइदा नहीं देगा।

मरवी है कि हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो ने उम्मुल मोमिनीन हज़रते जैनब बिन्ते जहश रज़ीअल्लाहो अन्हा की खिदमत में कुछ रकम भेजी, आप ने पूछा : यह क्या है ? लोगों ने कहा : हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो ने आप की खिदमत में रकम भेजी है। आप बोली : अल्लाह तआला उमर पर रहमत फ़रमाए, फिर एक पर्दा ले कर उस के चन्द टुकड़े किये और उस की थैलियां बना कर उन में रकम डाल कर तमाम की तमाम रिश्तेदारों और यतीमों में तक़सीम कर दी और हाथ उठा कर अल्लाह तआला से दुआ मांगी कि ऐ इलाहुल आलमीन ! कब्ल इस के कि मेरे पास आयिन्दा साल हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो की ऐसी ही रकम आए, मुझे दुनिया से उठा ले ! चुनान्चे, वो हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के विसाल के बाद सब से पहली जौजए मोहतरमा थीं जिन्हों ने सब से पहले इन्तिकाल फ़रमाया।

हज़रते हसन रहमतुल्लाह अलैह का कौल है : जिस ने दौलत को इज्जत दी अल्लाह ने उसे जलील किया। कहते हैं : जब रूपिया पैसा बनता है तो सब से पहले शैतान इन्हें उठा कर माथे से लगा कर चूमता है और कहता है जिस शख्स ने तुम से महब्बत की वो यक़ीनन मेरा बन्दा है।

हज़रते समीत बिन इजलान रहमतुल्लाह अलैह का कौल है : रूपिया पैसा मुनाफ़िकों की ऐसी मुहारें है जो उन्हें जहन्नम में ले जाते हैं।

हज़रते यहया बिन मुआज़ रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि रूपिया पैसा बिच्छू हैं, अगर तुम्हें इस की काट का मन्तर न आता हो तो इसे हाथ न लगाओ, अगर इस ने तुझे डंक मार दिया तो इस का ज़हर तुझे हलाक कर देगा, पूछा गया : इस का मन्तर क्या है ? आप ने फ़रमाया : हलाल से कमाना और सहीह काम में खर्च कर देना।

हज़रते अला बिन ज़ियाद कहते हैं : मेरे सामने दुनिया तमाम ज़ीनतों से मुज़य्यन हो कर आई तो मैं ने कहा : मैं तेरे शर से अल्लाह की पनाह चाहता हूं, दुनिया  ने कहा : अगर तुम मेरे शर से बचना चाहते हो तो रूपये पैसे दौलत से दुश्मनी रखो क्यूंकि दौलत को हासिल करना, दुनिया को हासिल करना है जो इन से अलग थलग रहे वो दुनिया से बच जाता है।

इसी लिये कहा गया है :

मैं ने ये राज़ पा लिया है और तुम भी समझ लो कि दौलत को छोड़ कर ही तकवा हासिल होता है। जब तू दुनिया पा कर उसे छोड़ दे तो वाकेई तू ने एक मुसलमान का सा तक्वा हासिल किया है।

एक शाइर कहता है : तुझे किसी की पैवन्द लगी कमीस या मोटी पिन्डली तक उठी हुई चादर (तहबन्द) धोके में न डाले। या उस की पेशानी पर निशाने इबादत धोके में न डाले तुम तो यह देखो कहीं वोह मालो दौलत से महब्बत तो नहीं करता।

हजरते उमर बिन अब्दुल अजीज रज़ीअल्लाहो अन्हो का मौत का वक़्त मरवी है कि हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रज़ीअल्लाहो अन्हो की मौत के वक्त मस्लमा बिन अब्दुल मलिक ने आ कर कहा : अमीरुल मोमिनीन ! आप ने ऐसा काम किया है जो पहले हुक्मरानों ने नहीं किया। आप अपनी औलाद को तंगदस्त छोड़ कर जा रहे हैं ? हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ के तेरह बच्चे थे, आप ने यह सुन कर फ़रमाया : मुझे उठा कर बिठाओ। जब आप बैठ गए तो फ़रमाया : तुम ने यह कहा है कि मैं ने इन के लिये मालो दौलत नहीं छोड़ी है ? मैं ने कभी इन का हक़ नहीं रोका और न कभी इन्हें दूसरों का हक़ दिया है, अगर यह इताअत गुज़ार रहेंगे तो अल्लाह तआला इन की ज़रूरतें पूरी करेगा, वोही नेकों का सरपरस्त है और अगर यह बदकार निकले तो मुझे इन की कोई परवाह नहीं है।

रिवायत है कि हज़रते मुहम्मद बिन का’ब अल कुरजी रहमतुल्लाह अलैह को कहीं से बहुत सी दौलत मिल गई, उन से कहा गया कि अपनी औलाद के लिये कुछ जम्अ कर दीजिये ! आप ने फ़रमाया कि मैं इसे अपने लिये अल्लाह के यहाँ जम्अ करूंगा और अपने रब को अपनी औलाद के लिये छोड़ जाऊंगा।।

मरवी है कि एक शख्स ने अबू अब्दे रब्बेह से कहा : ऐ बिरादर ! अपनी औलाद के लिये बुराई नहीं बल्कि भलाई छोड़ कर जाइये तो उन्हों ने अपने माल से एक लाख दिरहम निकाले ।

हज़रते यहूया बिन मुआज़ रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि दो मुसीबतें ऐसी हैं कि इन जैसी मुसीबतें अगले पिछले लोगों ने नहीं सुनी हैं, वह है मौत के वक़्त बन्दे का माल पर अफ्सोस, पूछा गया वह कैसे ? आप ने फ़रमाया : उस से तमाम दौलत छिन जाती है और दूसरे यह कि उसे तमाम दौलत का हिसाब अल्लाह को देना पड़ता है।

 

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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क़यामत हश्र के दिन अल्लाह का इंसाफ – माफ़ कर देने का ईनाम

 (हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 

असली गरीब मुफ्लिस कौन है?

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि जानते हो मुफ्लिस कौन है ? हम ने कहा : मुफ़्लिस वो है जिस के पास रुपया-पैसा और मालो मनाल न हो। आप ने फ़रमाया : नहीं, मेरी उम्मत में मुफ़्लिस वो है जो कियामत के दिन नमाज़, रोज़ा, ज़कात वगैरा का सवाब लिये हुवे आएगा मगर उस ने किसी को गाली, किसी की गीबत, किसी को ना हक़ क़त्ल, किसी पर जुल्म और किसी का माल खाया होगा, उस की तमाम नेकियां उन लोगों में तक्सीम कर दी जाएंगी, जब उस की नेकियां खत्म हो जाएंगी तो दूसरों के गुनाह उस पर डाल दिये जाएंगे और उसे जहन्नम में डाला जाएगा।

 

ऐ इन्सान ! ज़रा सोच ! उस दिन तेरी क्या हालत होगी ! तेरे पास कोई ऐसी नेकी नहीं है जिसे तू ने रिया और शैतान के वस्वसों से पाक हो कर किया होगा, अगर तू ने तवील मुद्दत में एक खालिस नेकी हासिल कर ली है तो वो भी कियामत में तेरे दुश्मन ले जाएंगे शायद तू ने अपने नफ़्स का मुहासबा करते हुवे देखा होगा कि अगर  तू सारी रात इबादत में और तमाम दिन रोज़ों में गुज़ारता है मगर तेरी ज़बान मुसलमानों की ग़ीबत से नहीं रुकती और तेरी नेकियां बरबाद हो जाती हैं, दीगर बुराइयां जैसे हराम की चीजें खाना, माले मश्कूक हज़्म कर जाना और मुकम्मल तौर पर इबादते इलाही न कर सकने की कोताही से तू कैसे छूट सकता है। जब कि उस दिन हर बे सींग वाली बकरी को सींग वाली बकरी से बदला दिलाया जाएगा।

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हज़रते अबू ज़र रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने दो बकरियों को आपस में सींग मारते हुवे देख कर फ़रमाया : अबू ज़र ! जानते हो ये ऐसा क्यूं कर रही हैं ? मैं ने कहा : नहीं। आप ने फ़रमाया : लेकिन अल्लाह तआला जानता है कि वो क्यूं एक दूसरे को सींग मार रही हैं और वो कियामत के दिन इन का फैसला फ़रमाएगा।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो कुरआने करीम की आयत : “ज़मीन के तमाम जानवर और तमाम परन्दे  तुम्हारी तरह एक उम्मत है”। की तफ्सीर में फ़रमाते हैं : क़यामत के दिन तमाम मख्लूक जानवर, दरिन्दे, परन्दे वगैरा उठाए जाएंगे और हर किसी को इन्साफ़ दिया जाएगा यहां तक कि बे सींग वाली बकरी को सींग वाली से बदला दिलाया जाएगा और फिर कहा जाएगा : तुम मिट्टी हो जाओ ! उस वक्त यह सुन कर हर काफ़िर यह पुकार उठेगा कि “काश मैं भी मिट्टी होता”

ऐ नातवां इन्सान ! उस वक्त जब कि तेरा नाम ए आ’माल नेकियों से खाली होगा तू सख़्त दुख में मुब्तला हो कर कहेगा : मेरी नेकियां कहां हैं ? और तुझ से कहा जाएगा कि वो ह तेरे दुश्मनों के नामए आ’माल में मुन्तकिल हो गई हैं। उस वक्त तू अपने नामए आ’माल को बुराइयों से भरा हुवा पाएगा जिन से बचने के लिये तू ने दुन्या में इन्तिहाई कोशिश की थी और रन्जो गम उठाया था, तब तू कहेगा : ऐ अल्लाह ! मैं ने तो ये गुनाह नहीं किये थे, तो तुझे कहा जाएगा कि ये उन लोगों की बुराइयां तेरे हिस्से में आई हैं जिन की तू ने गीबत की, गालियां दी और उन से लैन दैन, हमसाएगी, गुफ्तगू, मुबाहसों और दीगर मुआमलात में तू ने बद सुलूकी की थी।

हज़रते इब्ने मसऊद रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : शैतान जज़ीरतुल अरब में बुत परस्ती से ना उम्मीद हो गया है लेकिन वो अन करीब तुम्हारे बुरे अफ्आल से राजी हो जाएगा और ये ही बद आ’मालियां तबाह करने वाली हैं, जहां तक हो सके ज़ियादतियों से बचो क्यूंकि क़यामत के दिन एक ऐसा इन्सान भी आएगा जिस की नेकियां पहाड़ों की तरह होंगी और वो यह समझेगा कि मैं अन करीब नजात पा जाऊंगा मगर बराबर इन्सान आते जाएंगे और कहेंगे : ऐ अल्लाह ! इस ने हम पर जुल्म किया था। रब फ़रमाएगा : “इस की नेकियां मिटा दो !” यहां तक कि उस की कोई नेकी बाकी नहीं बचेगी, यह ऐसा ही है जैसे कुछ लोग सफ़र में एक सहरा में उतरे, उन के पास लकड़ियां नहीं थीं, वह इर्द गिर्द फैल गए और उन्हों ने लकड़ियां इकट्ठी की मगर आग जलाने से पहले ही वहां से चल दिये, यही हाल गुनाहों का है।)

जब यह आयते करीमा नाज़िल हुई : ……तर्जमए कन्जुल ईमान : “बेशक तुम्हें इन्तिकाल फ़रमाना है और उन को भी मरना है, फिर तुम कियामत के दिन अपने रब के पास झगड़ोगे” ।

तो हज़रते जुबैर रज़ीअल्लाहो अन्हो ने अर्ज की : या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम हम दुनिया में एक दूसरे के साथ जो ज़ियादतियां करते हैं वो लौटाई जाएंगी? आप ने फ़रमाया : हां ! ताकि हर मज़लूम को उस का हक़ दिलाया जाए । हज़रते जुबैर रज़ीअल्लाहो अन्हो ने कहा : “ब खुदा यह बात बहुत अजीम है।” ऐसा अजीम दिन जिस में किसी कदम को नहीं बख्शा जाएगा और न ही किसी थप्पड़ से दर गुज़र किया जाएगा ता आंकि हर मज़लूम को ज़ालिम से उस का हक़ दिलाया जाएगा।

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्होसे मरवी है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : अल्लाह तआला कयामत के दिन लोगों को बरह्ना, गुबार आलूद, खाली हाथ उठाएगा, फिर अल्लाह तआला फ़रमाएगा (और येह आवाज़ करीब व दूर यक्सां सुनी जाएगी) कि मैं बादशाह हूं, हर शख्स को उस के आ’माल के मुताबिक़ बदला देने वाला हूं, कोई जन्नती जन्नत में और कोई दोज़खी दोज़ख़ में बिगैर बदले दिये न जाएगा । हम ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से अर्ज़ किया : हुजूर बदला कैसे दिया जाएगा लोग तो बरह्ना और खाली हाथ होंगे ! आप ने फ़रमाया : नेकियों और गुनाहों के साथ बदले दिये और लिये जाएंगे  लिहाज़ा अल्लाह से डरो ! लोगों के माल छीन कर, उन की इज्जतें पामाल कर के, उन के दिल दुखा के और उन से बुरा सुलूक कर के उन पर जुल्म न करो क्यूंकि जो गुनाह बन्दे और खुदा तआला के दरमियान हैं वह बहुत जल्द मुआफ़ कर दिये जाएंगे।

जो शख्स गुनाह और लोगों से ज़ियादतियां कर के ताइब हो चुका हो उसे चाहिये कि वो नेकियों में दिल लगाए और इन को यौमे कियामत के लिये ज़खीरा बनाए, मजीद बर आं मुकम्मल इख्लास से ऐसी नेकियां करे जो अल्लाह तआला के सिवा कोई न जानता हो, मुमकिन है इसी के तुफैल अल्लाह तआला उसे अपना मुकर्रब बना ले और उन महबूब मोमिनों की जमाअत में इसे शामिल फ़रमा ले जिसे वो बा वुजूद ज़ियादतियों के अपने लुत्फ़ो करम से बख़्श देगा।

माफ़ कर देने का इनाम

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हम रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के साथ बैठे हुवे थे, अचानक हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने तबस्सुम फ़रमाया इस तरह कि आप के दन्दाने मुबारक नज़र आने लगे। हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो ने अर्ज़ किया : मेरे मां-बाप आप पर कुरबान हों ! हुजूर किस बात पर तबस्सुम फरमा रहे हैं ? आप ने फ़रमाया : मेरी उम्मत के दो आदमी अल्लाह की बारगाह में हाज़िर होंगे, उन में से एक कहेगा : “इलाहुल आलमीन ! मुझे इस भाई से इन्साफ़ दिलाइये।” रब तआला दूसरे आदमी से फ़रमाएगा कि इसे इस का हक़ दो ! वो अर्ज करेगा : “या इलाही ! मेरी नेकियों में कुछ बाकी नहीं रहा है।” अल्लाह तआला इन्साफ़ चाहने वाले से फ़रमाएगा : अब क्या कहते हो ? वोह कहेगा : “ऐ अल्लाह ! इस के इवज़ मेरे गुनाहों का भार इस पर कर दीजिये!” हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की चश्माए अतहर अश्कबार हो गई फिर फ़रमाया : बे शक यह बहुत शदीद दिन होगा, लोग अपने गुनाह दूसरों पर डालने के ख्वाहिशमन्द होंगे। अल्लाह तआला पहले शख्स से फ़रमाएगा कि नज़र उठा कर जन्नत को देखो ! वो जन्नत को देख कर कहेगा : मैं ने सोने चांदी के ऊंचे ऊंचे महल्लात देखे हैं जिन में मोती जड़े हुवे हैं, ये कौन से नबी, सिद्दीक़ या शहीद के लिये हैं ? रब्बे जुल जलाल फ़रमाएगा : जो इस की कीमत अदा करेगा उसे दूंगा। वो कहेगा : ऐ अल्लाह ! इन की कीमत किस के पास है ? अल्लाह तआला फ़रमाएगा : “तेरे पास इन की कीमत है और वो यह है कि तू अपने इस भाई को मुआफ़ कर दे” चुनान्चे, वो उसे मुआफ़ कर देगा और रब तआला फ़रमाएगा : अपने भाई का हाथ पकड़ कर इसे जन्नत में दाखिल कर दे। इस के बाद हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : अल्लाह से डरो ! और एक दूसरे से नेकी करो ! अल्लाह तआला कियामत के दिन मोमिनों में बाहम सुल्ह कराएगा।

इस इरशाद में यह ताकीद पाई जाती है कि इन्सान अपने अख़्लाक़ बेहतर बनाए, लोगों से नेकी करे । अब ऐ इन्सान ज़रा गौर कर ! अगर तेरा नामए आ’माल उस दिन मज़ालिम से पाक हो या अल्लाह तआला तुझे अपने लुत्फो करम से बख़्श दे और तुझे सआदते अबदी का यकीन हो जाए तो अल्लाह तआला की अदालत से वापस लौटते हुवे तुझे कितनी “खुशी और मसर्रत” होगी, तेरे जिस्म पर रज़ाए इलाही का लिबास होगा, तेरे लिये अबदी सआदत होगी और हमेशा रहने वाली ने’मतें हासिल होंगी, उस वक्त तेरा दिल खुशी व शादमानी से उड़ रहा होगा, तेरा चेहरा सफ़ेद व नूरानी होगा और चौदहवीं रात के चांद की तरह ताबां, तू सर उठाए हुवे फ़न के साथ लोगों में जाएगा, तेरी पीठ गुनाहों से ख़ाली होगी, जन्नत की हवाओं और रज़ाए इलाही की ठन्डक से तेरी पेशानी चमक रही होगी, सारी मख्लूक की निगाहें तुझ पर जमी होंगी, वो तेरे हुस्नो जमाल पर रश्क करेंगे, मलाइका तेरे आगे पीछे चल रहे होंगे और लोगों से कहेंगे : यह फुलां बिन फुलां है, अल्लाह तआला इस से राजी हुवा और इसे राजी कर दिया, इसे सआदते अबदी मयस्सर आ गई है और इसे कभी भी शकावत से हम किनार नहीं होना पड़ेगा। क्या तू ये मक़ाम उस मक़ाम से बुलन्द नहीं समझता जिसे तू रिया, तसन्नोअ, मुनाफ़क़त और जैबो जीनत से लोगों के दिलों में बनाता है। अगर तू इस बात को अच्छा समझता है और यक़ीनन वो ही मकामे आख़िरत अच्छा है, तो इख्लास और अल्लाह तआला के हुजूर निय्यते सादिक़ के साथ हाज़िरी दे, फिर तू यह बुलन्द मर्तबा हासिल कर लेगा।

नामए आ‘ माल का बुराइयों से भरा होना और इस का अन्जाम

अगर ऐसा न हुवा और तेरे नामए आ’माल से तमाम बुराइयां निकलीं जिन्हें तू मा’मूली समझता था हालांकि अल्लाह तआला के नज़दीक वो बहुत बड़ी गलतियां थीं, इसी वज्ह से तुझ पर अल्लाह तआला का इताब हो और वो फ़रमाए : ऐ बदतरीन इन्सान ! तुझ पर मेरी ला’नत हो, मैं तेरी इबादत कबूल नहीं करता, तो यह आवाज़ सुनते ही तेरा चेहरा सियाह हो जाएगा, फिर अल्लाह तआला की नाराजी के सबब अल्लाह के फ़रिश्ते तुझ पर नाराज़ हो जाएंगे और कहेंगे : तुझ पर हमारी और तमाम मख्लूक की तरफ़ से ला’नत हो, उस वक्त अज़ाब के फ़रिश्ते अपनी भरपूर बद मिज़ाजी, बद खुल्की और वहशत नाक शक्लों के साथ रब तआला की नाराज़ी की वज्ह से इन्तिहाई गुस्से में तेरी तरफ़ बढ़ें और तेरी पेशानी के बालों को पकड़ कर तुझे तमाम लोगों के सामने मुंह के बल घसीटें, लोग तेरे चेहरे की सियाही देखें, तेरी रुस्वाई देखें! और तू हलाकत को पुकारे और फ़रिश्ते तुझे कहें तू आज एक हलाकत को नहीं बहुत सी हलाकतों को बुला और फ़रिश्ते पुकार कर कहें, येह फुलां बिन फुलां है, अल्लाह तआला ने आज इस की रुस्वाइयों का पर्दा चाक कर दिया है, इस के बुरे आ’माल की वज्ह से इस पर ला’नत की है और दाइमी बद बख़्ती इस को नसीब हुई है। और यह अन्जाम बसा अवकात ऐसे गुनाहों का होता है जिसे तू ने लोगों से छुप कर किया हो, उन से शर्मिन्दगी या इज़हारे तक्वा के तौर पर तू ने ऐसा किया हो मगर इस से बढ़ कर तेरी बे वुकूफ़ी और क्या होगी कि तू ने चन्द आदमियों के डर से सिर्फ दुन्यावी रुस्वाई से बचते हुवे छुप कर गुनाह किया मगर उस “अज़ीम रुस्वाई” से जो सारी दुन्या के सामने होगी और उस में अल्लाह तआला की नाराज़ी, अज़ाबे अलीम और अज़ाब के फ़रिश्तों का तुझे जहन्नम की तरफ़ घसीटना और दूसरे अज़ाब शामिल होंगे, तू ने बचने की कोई तदबीर न की। कियामत में तेरी यही कैफ़िय्यात होंगी मगर अफ्सोस कि तुझे पेश आने वाले खतरात का ज़र्रा भर एहसास नहीं है।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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क़यामत में सूर फूंकना, जिस्मों का हश्र व मरने के बाद उठाना

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 

फ़रमाने नबवी है : मैं कैसे सुकून पाऊं जब कि साहिबे सूर या’नी हज़रते इस्राफ़ील अलैहहिस्सलाम  ने सूर मुंह में लिया हुवा है, पेशानी झुकाई हुई है और कान अल्लाह तआला के फ़रमान पर मुतवज्जेह कर रखे हैं कि उसे कब सूर फूंकने का हुक्म मिले और वो सूर फूंकें।

नफ्खे सूर सूर फूंकना क्या है?

हज़रते मक़ातिल रहमतुल्लाह अलैह का क़ौल है कि सूर एक बूक या सिंग की तरह है जिसे हज़रते इस्राफ़ील अलैहहिस्सलाम बिगुल की तरह अपने मुंह में लिये हुवे हैं, इस सूर की गोलाई आस्मानो जमीन की चौड़ाई (गोलाई) के बराबर है, हज़रते इस्राफ़ील टिकटिकी बांधे अर्श की तरफ़ देख रहे हैं कि उन्हें कब सूर फूंकने का हुक्म होता है, जब पहली मरतबा सूर फूंका जाएगा तो शिद्दते इज़तिराब बैचेनी  से जिब्राईल, मीकाईल, इस्राफ़ील और इज़राईल के सिवा ज़मीनो आस्मान के सब जानदार हलाक हो जाएंगे फिर इज़राईल को हुक्म होगा और वो उन तीनों फरिश्तों की रूह भी कब्ज़ कर लेगा, इस के बा’द इज़राईल को भी फ़ना से हम किनार कर दिया जाएगा यहां तक कि नफ़्खे सूर को चालीस गुज़र जाएंगे, तब अल्लाह तआला इस्राफ़ील को ज़िन्दा करेगा और वो उठ कर दोबारा सूर फूंकेंगे चुनान्चे,फ़रमाने इलाही है :

“फिर दोबारा सूर फूंका जाएगा पस अचानक वो अपने पैरों पर खड़े हो जाएंगे और दोबारा जिन्दा होना देख रहे होंगे”।

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फ़रमाने नबवी है कि जब से इस्राफ़ील को पैदा किया गया है सूर उस के मुंह में है और वो एक कदम आगे और एक क़दम पीछे रखे हुक्मे खुदावन्दी के इन्तिज़ार में है।

होशयार हो जाओ और सूर फूंके जाने के वक्त से डरो ! उस वक्त में लोगों की ज़िल्लत और रुस्वाई और आजिज़ी का तसव्वुर करो जब कि दूसरी मरतबा सूर फूंक कर उन्हें खड़ा किया जाएगा और वो अपने मुतअल्लिक अच्छा या बुरा फैसला सुनने के मुन्तज़िर होंगे और ऐ इन्सान ! तू भी उन की ज़िल्लत व परेशानी में बराबर का शरीक होगा बल्कि अगर तू दुन्या में आसूदा हाल और दौलत मन्द है तो जान ले कि उस दिन दुनिया के बादशाह तमाम मख्लूक़ से ज़ियादा ज़लील और हक़ीर होंगे और वो च्यूंटियों की तरह पामाल होंगे, उस वक्त जंगलों और पहाड़ों से दरिन्दे सर झुकाए कियामत की हैबत से सहमे हुवे अपनी सारी दरिन्दगी

और वहशत भूल कर लोगों में घुल मिल जाएंगे, ये दरिन्दे अपने किसी गुनाह के सबब नहीं बल्कि सूर की ख़ौफ़नाक आवाज़ की शिद्दत की वज्ह से जिन्दा हो जाएंगे और इन्हें लोगों से ख़ौफ़ और वहशत तक महसूस नहीं होगी, चुनान्चे, फ़रमाने इलाही है:

“और जब वहशी जानवर उठाए जाएंगे”। फिर शैतान और सख्त ना फ़रमान अपनी ना फ़रमानी और सरकशी के बाद अल्लाह तआला के हुजूर हाज़िर होने के लिये इन्तिहाई जिल्लत से इस फ़रमाने इलाही की ताईद में हाज़िर होंगे :

“पस कसम है तेरे रब की हम उन्हें शैतानों के साथ इकठ्ठा करेंगे फिर उन्हें जहन्नम के इर्द गिर्द जानूओं के बल गिरे हुवे हाज़िर करेंगे”। ज़रा सोचो ! उस वक्त तुम्हारा क्या हाल होगा ! और जब लोग कब्र से उठाने के बाद नंगे पैर और नंगे बदन मैदाने कियामत में जो एक साफ़ शफ्फ़ाफ़ ज़मीन होगी जिस में कोई कजी और टीला नहीं होगा, आएंगे, उस पर न कोई टीला होगा कि इन्सान इस के पीछे ओझल हो जाए और न ही कोई घाटी होगी जिस में इन्सान छुप जाए बल्कि वो हमवार ज़मीन होगी जिस पर लोग गिरोह दर गिरोह लाए जाएंगे, बेशक रब्बे जुल जलाल अज़ीम कुदरतों का मालिक है जो रूए ज़मीन के गोशे गोशे से तमाम मख्लूक को एक ही मैदान में सूर फूंकने के वक्त जम्अ फ़रमाएगा, दिल इस लाइक है कि उस दिन बेकरार हों और आंखें खौफ़ ज़दा हों।

अहवाले क़यामत के बारे में नबी स.व.स. के इरशादाद  नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का फरमान है कि कियामत के दिन लोग एक चटयल मैदान में खड़े किये जाएंगे जो हर किस्म के दरख्तों, ऊंचे नीचे टीलों और इमारतों से पाक होगा।

और यह ज़मीन दुनिया की जमीन जैसी नहीं होगी बल्कि ये सिर्फ नाम की ही जमीन है चुनान्चे, फ़रमाने इलाही है :

“उस दिन ज़मीन और आसमान दूसरे रूप में बदल दिये जाएंगे”। हज़रते इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो का क़ौल है कि उस ज़मीन में कमी बेशी की जाएगी, उस के दरख्त, पहाड़, वादियां, दरया सब खत्म कर दिये जाएंगे और उसे अकाजी चमड़े की तरह खींचा जाएगा (जिस तरह कच्चे चमड़े को खींचते हैं) वो बिल्कुल चटयल मैदान होगा जिस पर न किसी को कत्ल किया गया होगा और न ही उस पर कोई गुनाह हुवा होगा और आसमानों के सूरज, चांद और सितारे ख़त्म कर दिये जाएंगे।

ऐ नातवां इन्सान ! ज़रा सोच तो सही कि उस दिन की हौलनाकी और शिद्दत कितनी अजीम होगी जब कि लोग उस मैदान में जम्अ होंगे, तमाम सितारे बिखर जाएंगे और सूरज व चांद की रोशनी जाइल होने की वज्ह से ज़मीन अन्धेरे में डूब जाएगी और इसी हालत में आसमान अपनी उस तमाम अज़मत के बा वुजूद फट जाएगा, वो आसमान जिस का हुज्म पान सो बरस का सफ़र और जिस के अतराफ़ व अकनाफ़ पर मलाइका तस्बीह में मश्गूल हैं, उस के फटने की हैबतनाक आवाज़ तेरी कुव्वते समाअत पर ज़बरदस्त खौफ़ छोड़ जाएगी और आस्मान ज़र्दी माइल पिघली हुई चांदी की तरह बह जाएगा और सुर्खी माइल तेल जैसा हो जाएगा, आस्मान झड़ी हुई राख की तरह, पहाड़ रूई के गालों की तरह होंगे और बरह्ना पा लोग वहां बिखरे हुवे होंगे। फ़रमाने नबवी है कि लोग नंगे पैर नंगे बदन उठेंगे और अपने पसीने में कान की लौ तक गर्क होंगे।

उम्मुल मोमिनीन हज़रते सौदह रज़ीअल्लाहो अन्हा  ने अर्ज की : या रसूलल्लाह ! कैसा इब्रतनाक मन्ज़र होगा कि हम एक दूसरे को नंगा देखेंगे ! आप ने फ़रमाया : किसी को किसी का होश नहीं होगा।

उस दिन लोग नंगे होंगे मगर कोई किसी की तरफ़ मुतवज्जेह नहीं होगा क्यूंकि लोग मुख़्तलिफ़ सूरतों में चल रहे होंगे, बा’ज़ लोग पेट के बल और बा’ज़ मुंह के बल चलेंगे, उन्हें किसी की तरफ़ तवज्जोह करने का होश ही नहीं होगा।

कियामत के दिन की तीन हालतें ।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : कियामत के दिन लोग तीन हालतों में होंगे : सवार, पैदल और मुंह के बल चलने वाले, एक शख्स ने पुछा  कि मुंह के बल कैसे चलेंगे? आप ने फरमाया : जो पैरों पर चला सकता है वो मुंह के बल चलाने पर भी कादिर है।

आदमी की तबीअत में इन्कार का माद्दा बहुत है जिस चीज़ को देख नहीं पाता है उस का इन्कार कर देता है चुनान्चे, अगर इन्सान सांप को पेट के बल इन्तिहाई तेज़ रफ्तारी से दौड़ता हुवा न देखता तो ये बात कभी तस्लीम न करता कि पेट के बल दौड़ा और चला जा सकता है, जिन्हों ने पैरों पर किसी को चलते हुवे नहीं देखा होगा उन के लिये ये बात इन्तिहाई हैरत अंगेज़ होगी कि इन्सान सिर्फ पैरों पर चलता है लिहाज़ा तुम दुन्यावी कियास से काम लेते हुवे उख़रवी अजाइबात का इन्कार न करो, पस इस पर कियास कर लो कि अगर तुम ने दुन्या के अजाइबात न देखे होते और तुम्हें इन के मुतअल्लिक बताया जाता तो तुम तस्लीम करने से इन्कार कर देते।

ज़रा अपने दिल में ये सोचो कि जब तुम नंगे, जलीलो रुस्वा, हैरानो परेशान अपने मुतअल्लिक़ अच्छे या बुरे फैसले के मुन्तज़िर होगे तब तुम्हारी क्या हालत होगी !

अर्स ए  महशर की कैफ़िय्यत ।

मख्लूक के इज़दिहाम और भीड़ भाड़ के मुतअल्लिक ज़रा ख़याल करो कि अर्सए महशर में ज़मीनो आस्मान की तमाम मख्लूक फ़िरिश्ते, जिन्न, इन्सान, शैतान, जानवर, दरिन्दे, परन्दे सब जम्अ होंगे, फिर सूरज निकलेगा, उस की गर्मी पहले से दुगनी होगी और उस की हिद्दत तेज़ी  में मौजूदा कमी दूर हो जाएगी, सूरज लोगों के सरों पर एक कमान के फ़ासिले के बराबर आ जाएगा, उस वक्त अशें इलाही के साए के सिवा कहीं साया नहीं होगा और उस के साए में अबरार होंगे, सूरज की शदीद तमाज़त की वज्ह से हर जानदार शदीद दुख और बे पनाह मुसीबत में होगा, लोग एक दूसरे को हटाएंगे ताकि इज़दिहाम कम हो, उस वक्त लोग अल्लाह तआला के हुजूर हाज़िरी के ख़याल से इन्तिहाई शर्मिन्दा और ज़लीलो रुस्वा होंगे उस वक्त सूरज की गर्मी, सांसों की गर्मी, दिलों में पशेमानी की आग और ज़बरदस्त ख़ौफ़ व हिरास तारी होगा और हर एक बाल से पसीना बहना शुरूअ होगा, यहां तक कि वो कियामत के मैदान में पानी की तरह भर जाएगा और उन के जिस्म ब क़दरे गुनाह पसीने में डूबे होंगे बा’ज़ घुटनों तक, बा’ज़ कमर तक, बा’ज़ कानों की लौ तक और बा’ज़ सरापा पसीने में गर्क होंगे।

हज़रते इब्ने उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : लोग अल्लाह की बारगाह में खड़े होंगे यहां तक कि बा’ज़ लोग कानों तक पसीने में डूबे हुवे होंगे।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : कियामत में लोगों का पसीना सत्तर हाथ ऊंचा हो जाएगा और उन के कानों तक पहुंच जाएगा । इसे बुखारी व मुस्लिम ने रिवायत किया है।

एक और रिवायत है कि लोग चालीस बरस बराबर आस्मान की जानिब टिकटिकी बांधे देखते रहेंगे और शदीद तक्लीफ़ की वज्ह से पसीना उन के मुंह तक पहुंचा हुवा होगा।

हज़रते उक्बा बिन आमिर रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि क़ियामत के दिन सूरज लोगों के इन्तिहाई करीब होगा, लोगों को शदीद पसीना आएगा चुनान्चे, बा’ज़ लोग टखनों तक, बा’ज़ आधी पिन्डली तक, बा’ज़ घुटनों तक, बा’ज़ रानों तक, बा’ज़ कमर तक, बा’ज़ मुंह तक (और आप ने हाथ के इशारे से बतलाया कि उन्हें पसीने की लगाम लगी होगी) और बा’ज़ लोग पसीने में डूब जाएंगे और आप ने सर की तरफ़ इशारा फ़रमाया।

ए कमज़ोर इन्सान जरा क़यामत के रोज़ के पसीने और दुःख दर्द को याद कर और सोच उन में ऐसे लोग भी होंगे जो कहेंगे ऐ अल्लाह! हमें इस मुसीबत से निजात दे अगरचे तू हमें जहन्नम में भेज दे, और तू भी उन्ही में से एक होगा और तुझे मालूम नहीं की तू कहाँ तक पसीने में डूबा होगा.

हर वह इन्सान जिस का हज, जिहाद, रोज़ा, नमाज़, किसी भाई की ज़रुरत पूरी करने नेकी का हुक्म और बुराईयों से मना करने के सिलसिले में पसीना नहीं बहा रहा है क़यामत के दिन शर्मिंदगी और डर की वजह से उस का पसीना बहेगा और बहुत ज्यादा रंज और आलम होगा (की उस से एसा काम सरजद नहीं हुआ है)

अगर इन्सान जहालत और फ़रेब से किनारा काश होकर सोचे तो उसे मालूम होगा की इबादतों में सख्ती बर्दाश्त करना, कियामत के लम्बे सख्त और शदीद दिन के इंतेज़ार और पसीने के अज़ाब से बहुत ही आसान है.

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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अल्लाह के बजाय दुनिया वालों से, अमीर लोगों से उम्मीद रखना बुरा है

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 काफिरों से मेल मिलाप न रखो

फ़रमाने इलाही है : और ज़ालिमों की तरफ़ न झुको कि तुम्हें आग छूएगी ।

बा’ज़ मुफस्सिरीन का क़ौल है : अहले लुगत इस बात पर मुत्तफ़िक़ हैं कि “रुकून” मुतलक मैलान और तवज्जोह का नाम है, चाहे वो मैलान मा’मूली हो या ज़ियादा। अब्दुर्रहमान बिन जैद रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि यहां रुकून से मुराद छुपाना है या’नी उन के कुफ्र का इन्कार न करना । इकरमा का कौल है : रुकून से मुराद है उन कुफ्फ़ार से नेकी न करो, आयत के ज़ाहिरी मा’ना ये हैं कि कुफ्फार और बदकार मुसलमानों से बाहम मेल मिलाप न रखो।।

हज़रते निशापुरी रहमतुल्लाह अलैह अपनी तफ़्सीर में लिखते हैं  : मुहक्किकीन का कौल है कि जिस रुकून से मन्अ किया गया है वो है कुफ्फार के कुफ्र को अच्छा समझना, उन के तरीके कार को खूब जानना और दूसरों के सामने उन की तारीफ़ करना और गुमराही के कामों में उन का शरीके कार बनना है, हां अगर उन के मज़ालिम के सद्देबाब और नफ्अ अन्दोजी की वज्ह से उन से मेल मिलाप बढ़ाता है तो इस में कोई हरज नहीं है लेकिन मेरा ज़मीर ये कहता है कि तलबे मआश के लिये उन से मेल मिलाप की रुख्सत है मगर तकवा का तकाज़ा ये है कि उन से बिल्कुल अलहादगी की जाए, क्या अल्लाह तआला बन्दे की मुश्किलात में उसे काफ़ी नहीं है ?

मैं कहता हूं कि इमामे निशापूरी का कौल बिल्कुल सहीह है। आज के दौर में तो खुसूसी तौर पर इस बात की ज़रूरत है कि उन से तअल्लुकात न रखे जाएं क्यूंकि नेकी का हुक्म करना और बुराइयों से रोकना इस धोके और फ़रेबकारी के दौर में ना मुमकिन है और जब कि उन का जुल्म इस अन्दाज़ पर आ गया है कि उन से बाहम तअल्लुक हलाकत में डाल सकता है तो तुम्हारा उस शख्स के बारे में क्या खयाल है जो उन ज़ालिमों और सरकशों से जबरदस्त महब्बत करता है, उन की शराब नोशी और हराम कारी की महाफ़िल में शरीक होता है और उन के तकाज़ाए दोस्ती को पूरा करता है और उन के तर्जे मुआशरत में घुल मिल जाता है, उन का सा लिबास पहन कर खुश होता है और उन की ज़ाहिरी और फ़ानी रौनक को बेहतर समझता है और उन की मुआशी खुशहाली पर रश्क करता है, हालांकि अगर हक़ीक़त में देखा जाए तो ये सब चीजें एक दाने से भी हक़ीर और मच्छर के पर से भी ज़ियादा बे वकार हैं जब कि इन्सान दिल की गहराइयों से उन्हें चाहने लगे, चाहने वाला और जिसे चाहा गया है दोनों बे वक़ार हैं।

फ़रमाने नबवी है कि इन्सान अपने दोस्त के दीन पर होता है, तुम यह देखो कि तुम्हारा दोस्त कौन है ?

मन्कुल है कि अच्छे साथी की मिसाल अत्तार जैसी है, अगर वो इत्र नहीं देगा लेकिन तुम इत्र की खुश्बू से महरूम नहीं रहोगे और हर बुरे साथी की मिसाल लुहार की है अगर्चे वो तुझे नहीं जलाएगा मगर उस की धौंकनी का धुवां तुम तक ज़रूर पहुंचेगा

और कपड़ों को कसीफ़ कर देगा और तनफ्फुस को भी गज़न्द पहुंचाएगा)।

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अल्लाह के सिवा दूसरों को अपना वली बनाना

फ़रमाने इलाही है कि उन लोगों की मिसाल जिन्हों ने अल्लाह के सिवा अपने और मददगार बना लिये हैं मकड़ी के घर की सी मिसाल है (जो बहुत ही बूदा और कमजोर होता है)

फ़रमाने नबवी है कि जिस ने किसी दौलत मन्द की उस की दौलत की वज्ह से ता’ज़ीम की उस का एक तिहाई ईमान जाएअ हो गया।

फ़रमाने नबवी है : जब किसी फ़ासिक की तारीफ़ की जाती है तो अल्लाह तआला सख्त नाराज़ होता है और अर्श इलाही कांप जाता है

फरमाने इलाही है

“हम कियामत के मैदान में तमाम इन्सानों को उन के इमाम के साथ बुलाएंगे”। मुफ़स्सिरीने किराम का इमाम के तअय्युन में इख्तिलाफ़ है : हज़रते इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो और आप के रुफका इमाम से मुराद नामए आ’माल लेते हैं, चुनान्चे, फ़रमाने इलाही है : “ और जिस शख्स को दाएं हाथ में किताब दी जाएगी।

हज़रते ज़ैद रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है कि इमाम से मुराद रुत्बे की किताबें हैं और लोगों को “ऐ तौरात वाले !”, “ऐ इन्जील वाले !” और “ऐ कुरआन वाले !” कह कर बुलाया जाएगा।

हज़रते मुजाहिद रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि इमाम से मुराद नबी है। लोगों को यूं बुलाया जाएगा : ऐ इब्राहीम अलैहहिस्सलाम  की इत्तिबाअ करने वालो आओ ! ऐ मूसा अलैहहिस्सलाम  की इत्तिबा करने वालो आओ ! ऐ ईसा अलैहहिस्सलाम  की इत्तिबा करने वालो आओ ! और ऐ मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की इत्तिबाअ करने वालो आओ !

हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है कि इमाम से मुराद इमामे वक़्त है जिस के रोकने से वोह रुक जाते थे और जिस के हुक्म पर वो अमल करते थे।

हज़रते इब्ने उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जब अल्लाह तआला कियामत के दिन तमाम मख्लूक को जम्अ फ़रमाएगा तो हर ख़ाइन को झन्डा दिया जाएगा और कहा जाएगा : यह फुलां बिन फुलां की खियानत का झन्डा है।

तिर्मिज़ी वगैरा में हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने इस आयत की तफ्सीर में फ़रमाया : “लोगों में से एक आदमी को बुलाया जाएगा, उस के दाएं हाथ में नामए आ’माल दिया जाएगा, उस के जिस्म को साठ हाथ लम्बा कर के उस के सर पर चमकदार मोतियों का ताज रखा जाएगा, उस का चेहरा इन्तिहाई रोशन होगा, फिर वो अपने दोस्तों की तरफ़ जाएगा जो उसे दूर से देख कर कहेंगे : इस के मर्तबे में इज़ाफ़ा फ़रमा और हमें भी ऐसा ही मक़ाम इनायत फ़रमा । जब वो उन के पास आएगा तो कहेगा कि तुम्हें खुश खबरी हो, तुम में से हर एक को ये ही मक़ाम मिलेगा और काफ़िर का मुंह काला कर के उस का कद आदम अलैहहिस्सलाम  के क़द के बराबर साठ हाथ कर दिया जाएगा और उसे जुल्मत का ताज पहनाया जाएगा, वो अपने साथियों के पास आएगा वो उसे देख कर कहेंगे : ऐ अल्लाह ! हम इस के शर से पनाह चाहते हैं और हमें ऐसे अन्जाम से बचा, वो उन के पास आएगा तो वो कहेंगे : ऐ अल्लाह ! इसे रुस्वा कर । तब काफ़िर कहेगा कि अल्लाह तआला ने तुझे अपनी रहमत से दूर कर दिया, तुम में से हर एक के साथ ये ही सुलूक किया जाएगा।

फ़रमाने इलाही है: जब ज़मीन ज़लज़ले से हिलाई जाएगी और वोह अपने बोझ निकाल डालेगी।

हज़रते इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो इस आयत की तफ्सीर में फ़रमाते हैं कि ज़मीन नीचे से हिलेगी और इस के पेट में जितने मुर्दे और दफ़ीने हैं, सब को बाहर निकाल देगी। हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने यह आयत पढ़ी : “उस दिन ज़मीन अपनी ख़बरें बयान करेगी” और फ़रमाया : जानते हो इस की ख़बरें क्या हैं ? सहाबा ने अर्ज़ किया : अल्लाह और उस के रसूल सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम बेहतर जानते हैं, आप ने फ़रमाया : वो हर मर्द और हर औरत के हर उस अमल की गवाही देगी जो उस की पुश्त पर किया गया है।

तबरानी की हदीस है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : ज़मीन पर गुनाह करने से परहेज़ करो क्यूंकि वो तुम्हारी मां है और जो शख्स भी इस पर कोई अमल करता है वो उस की (कियामत के दिन) खबर देगी।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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Allah ke siwa kisi aur se mangna, duniyawalo se mangna, ameeron se mangna, insano se umeed rakhna, kafiron se meljol,

 

 

 

  फकीरों की फ़ज़ीलत – अपनी इच्छा से गरीबी को अपनाना (self imposed poverty in Islam)

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का फरमान है कि इस उम्मत के सब से बेहतरीन लोग फुकरा हैं और सब से पहले जन्नत में दाखिल होने वाले कमजोर लोग हैं।

फ़रमाने नबवी है : मेरी दो बातें हैं, जो इन्हें पसन्द करता है वो मुझे पसन्द करता है जो इन्हें बुरा समझता है वो मुझे बुरा समझता है, फ़क़र (माल दौलत का ना होना) और जिहाद ।

यह दुनिया उस का घर है जिस का कोई घर न हो

मरवी है कि जिब्रील अलैहिस्सलाम आप की ख़िदमत में हाज़िर हुवे और कहा : अल्लाह तआला आप को सलाम फ़रमाता है और फ़रमाता है कि अगर आप चाहें तो मैं पहाड़ सोने का बना दूं ! जो आप के साथ साथ रहे । हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने चन्द लम्हे खामोश रहने के बा’द फ़रमाया कि जिब्रील ! यह दुनिया तो उस का घर है जिस का कोई घर न हो, यह उस की दौलत है जिस के पास कोई दौलत न हो और इसे वो ही जम्अ करता है जो बेवुकूफ़ हो । जिब्रील बोले : ऐ अल्लाह के नबी ! अल्लाह तआला आप को इसी हक़ व सदाक़त पर कायम रखे।

मरवी है कि हज़रते ईसा अलैहहिस्सलाम  असनाए सफ़र में एक ऐसे शख्स के पास से गुज़रे जो कम्बल लपेटे सो रहा था, आप ने उसे जगा कर फ़रमाया : ऐ सोने वाले उठ ! और अल्लाह को याद कर ! उस शख्स ने कहा : तुम मुझ से और क्या चाहते हो कि मैं ने दुनिया को दुनियादारों के लिये छोड़ दिया है। आप ने फ़रमाया : तो फिर ऐ मेरे दोस्त ! सो जा।।

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अल्लाह अपने महबूब बन्दे के दिल से दुनिया की महब्बत निकाल देता है ।

हज़रते मूसा अलैहहिस्सलाम  एक ऐसे शख्स के करीब से गुज़रे जो ईंट का तक्या बनाए, कम्बल में लिपटा हुवा ज़मीन पर सो रहा था और उस की दाढ़ी और तमाम चेहरा गुबार आलूद हो रहा था। मूसा अलैहहिस्सलाम  ने अर्ज की : ऐ रब तआला ! तेरा यह बन्दा दुनिया में बरबाद हो गया। अल्लाह तआला ने मूसा अलैहहिस्सलाम  की तरफ़ वहयी  की और फ़रमाया : तुम्हें पता नहीं ! जब मैं किसी बन्दे पर अपने करम के दरवाजे मुकम्मल तौर पर खोल देता हूं, उस से दुनिया की उल्फ़त ख़त्म कर देता हूं।

हज़रते अबू राफेअ रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का एक मेहमान आया मगर आप के पास उस की मेज़बानी के लिये कुछ न था, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने मुझे खैबर के एक यहूदी के पास भेजा और फ़रमाया : उसे कहो कि रजबुल मुरज्जब के चांद तक हमें कर्ज या उधार में आटा दे दे। मैं उस यहूदी के पास गया तो उस ने कहा : कोई चीज़ गिरवी रखो तब आटा मिलेगा । मैं ने आप को खबर दी तो आप ने इरशाद फ़रमाया : ब खुदा ! मैं ज़मीनो आस्मान का अमीन हूं, अगर वो कर्ज या उधार में आटा दे देता तो मैं ज़रूर वापस करता, लो मेरी ये जिरह ले जाओ और उस के पास गिरवी रख दो । जब मैं जिरह ले कर निकला तो आप की तसल्ली के लिये ये आयत नाज़िल हुई “और ऐ सुनने वाले उस की तरफ़ अपनी आंखें न लगा जो हम ने काफिरों के जोड़ों (ज़न व शोहर) को बरतने के लिये दी है जीती दुनिया की ताज़गी”।

फ़रमाने नबवी है कि फ़क़र मोमिन के लिये घोड़े के मुंह पर हसीन बालों से भी ज़ियादा खूब सूरत है ।

फ़रमाने नबवी है कि जिस का जिस्म तन्दुरुस्त, दिल मुतमइन है और उस के पास एक दिन की गिज़ा मौजूद है तो गोया उसे (काइनात की) सारी दौलत मिल गई है।)

हज़रते का’बुल अहबार रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि अल्लाह तआला ने मूसा अलैहहिस्सलाम  से फ़रमाया : जब तू फ़क़र  को आता देखे तो कहना खुश आमदीद ! ऐ नेकों के लिबास !

दीनदार शिकार न कर सका और दुनियादार  को खूब शिकार हुवा

हज़रते अता खुरासानी रहमतुल्लाह अलैह से मन्कूल है : अल्लाह तआला के एक नबी का साहिले दरया से गुज़र हुवा, वहां उन्हों ने देखा कि एक शख्स मछलियों का शिकार कर रहा है। … उस ने अल्लाह तआला का नाम ले कर दरया में जाल डाला मगर कोई मछली न फंसी। फिर उन्ही नबी का गुज़र एक दूसरे शख्स के पास से हुवा जो मछलियों का शिकार कर रहा था, उस ने शैतान का नाम ले कर अपना जाल फेंका, जब जाल खींचा तो वोह मछलियों से भरा निकला । अल्लाह के नबी ने बारगाहे रब्बुल इज्जत में अर्ज की : ऐ आलिमुल गैब ! इस में क्या राज़ है ? अल्लाह तआला ने फ़िरिश्तों को हुक्म दिया कि मेरे नबी को उन दो शख्सों का मक़ामे आखिरत दिखलाओ, जब उन्हों ने पहले शख्स का अल्लाह तआला के हुजूर इज्जत व वकार और दूसरे शख्स की बे हुरमती देखी तो बे साख़्ता कह उठे : इलाहुल आलमीन ! मैं तेरी तक्सीम पर राज़ी हूं।

फ़रमाने नबवी है : मैं ने जन्नत को देखा उस में अक्सर फुकरा थे, मैं ने जहन्नम को देखा उस में अक्सर मालदार औरतें थीं।

एक रिवायत में है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने दरयाफ्त किया : मालदार कहां हैं ? तो मुझे बतलाया गया उन्हें मालदारी ने गिरफ़्तार कर रखा है।

एक दूसरी हदीस में है : मैं ने जहन्नम में अक्सर औरतों को देख कर कहा : ऐसा क्यूं है ? तो मुझे बतलाया गया ये इन की सोने और खुश्बूओं से महब्बत की वज्ह से है।

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम फ़रमाते हैं : “फ़क्र” दुनिया में मोमिन के लिये तोहफ़ा है।

एक रिवायत में है : अम्बियाए किराम में सब से आख़िर हज़रते सुलैमान अलैहहिस्सलाम  जन्नत में दाखिल होंगे क्यूंकि वो दुनियावी दौलत और इस की शाही रखते थे और सहाबा में हज़रते अब्दुर्रहमान बिन औफ़ रज़ीअल्लाहो अन्हो अपने मालदारी की वज्ह से सब से आखिर में जन्नत में जाएंगे।

दूसरी हदीस में है कि मैं ने उन्हें (हज़रते अब्दुर्रहमान बिन औफ़ को) घुटनों के बल जन्नत में दाखिल होते देखा ।

हज़रते ईसा अलैहहिस्सलाम  का कौल है कि मालदार बहुत दुश्वारी के साथ जन्नत में दाखिल होगा।

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के अहले बैत रज़ीअल्लाहो अन्हुम से मरवी है : आप ने फ़रमाया : जब अल्लाह तआला किसी इन्सान से महब्बत करता है तो उसे आजमाइश में डाल देता है और जब किसी से बहुत ज़ियादा महब्बत करता है तो उस के लिये ज़खीरा कर देता है। पूछा गया : हुजूर जखीरा कैसे होता है ? आप ने फ़रमाया : उस इन्सान के माल और औलाद में से कुछ बाक़ी नहीं रहता ।

हदीस शरीफ़ में है कि जब तू “फ़क़र” को अपनी तरफ़ मुतवज्जेह पाए तो उसे “खुश आमदीद” कह और “ऐ नेकों की अलामत” कह कर उस का खैर मक्दम कर और जब तुम मालो दौलत को अपनी तरफ़ आता देखो तो कहो, दुनिया में मुझे ये किसी गुनाह की जल्दी सज़ा मिल रही है ।

हज़रते मूसा अलैहहिस्सलाम  ने अल्लाह तआला से अर्ज किया : इलाही ! मख्लूक में तेरे दोस्त कौन से हैं ताकि मैं उन से महब्बत करूं, अल्लाह तआला ने फ़रमाया : फ़क़ीर और फुकरा ।

हज़रते ईसा अलैहहिस्सलाम  का फरमान है : मैं फ़कर  को दोस्त रखता हूं और मालदारी से नफ़रत करता हूं और आप को “ऐ मिस्कीन” कह कर बुलाया जाना सब नामों से अच्छा लगता।

जब अरब के सरदारों और मालदारों ने हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से कहा : आप अपनी मजलिस में एक दिन हमारे लिये और एक दिन उन फुकरा के लिये मुतअय्यन कीजिये, पस वो हमारे दिन में न आएं और हम उन के दिन में नहीं आएंगे। फुकरा से इन की मुराद हज़रते बिलाल, हज़रते सलमान, हज़रते सुहैब, हज़रते अबू ज़र, हज़रते खब्बाब बिन अल अरत, हज़रते अम्मार बिन यासिर, हज़रते अबू हुरैरा और अस्हाबे सुफ्फा के फुकरा रिज्वानुल्लाहो अलैहिम थे । हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने इस बात को मान लिया क्यूंकि उन फुकरा के लिबास से इन दौलत मन्दों को बदबू आती थी, उन फुकरा के लिबास ऊन के थे और पसीना आने की सूरत में उन के कपड़ों से जो बू आती थी वो अकरअ बिन हाबिस अत्तमीमी, उयैना बिन हिस्न अल फ़ज़ारी, अब्बास बिन मिरदास अस्सामी और दीगर मालदारों को बहुत बैचैन कर दिया करती थी चुनान्चे, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की इस बात पर रजामन्दी के बाइस कुरआने मजीद की ये आयात नाज़िल हुई :

और अपनी जान उन से मानूस रखो जो सुब्हो शाम अपने रब को पुकारते हैं, उस की रिज़ा चाहते और तुम्हारी आंखें उन्हें छोड़ कर और पर न पड़ें, क्या तुम दुनिया की जिन्दगी का सिंगार (जीनत) चाहोगे और उस का कहा न मानो जिस का दिल हम ने अपनी याद से गाफ़िल कर दिया और वोह अपनी ख्वाहिश के पीछे चला और उस का काम हद से गुज़र गया और फ़रमा दो कि हक़ तुम्हारे रब की तरफ़ से है तो जो चाहे ईमान लाए और जो चाहे कुफ्र करे

एक रोज़ हज़रते इब्ने उम्मे मक्तूम रज़ीअल्लाहो अन्हो ने हुजूर की खिदमत में हाज़िरी की इजाज़त तलब की, उस वक़्त आप के पास एक कुरैशी सरदार बैठा हुवा था, आप को इब्ने उम्मे मक्तूम की आमद पसन्दीदा मालूम नहीं हुई, तब अल्लाह तआला ने यह आयात नाज़िल फ़रमाई :  “उस ने तेवरी चढ़ाई और मुंह मोड़ लिया जब उस के पास नाबीना आया और किस चीज़ ने तुम्हें ये मा’लूम कराया कि शायद वो पाक हो जाता या नसीहत सुनता पस उसे नसीहत फ़ाइदा देती जो शख़्स बे परवाई करता है तुम उस की खातिर इसे रोकते हो। यहां नाबीना से मुराद हज़रते इब्ने उम्मे मक्तूम रज़ीअल्लाहो अन्हो और बे परवा शख्स से मुराद वो कुरैशी सरदार है जो हुजूर की खिदमत में आया हुवा था।

दुनिया के ना मुराद बन्दे का कियामत में एजाज

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से मरवी है : क़ियामत के दिन एक बन्दे को लाया जाएगा, अल्लाह तआला उस से इस तरह मा’ज़िरत करेगा जैसे दुनिया में एक शख्स दूसरे से मा’ज़िरत करता है और अल्लाह तआला फ़रमाएगा : मुझे मेरी इज्जत और जलाल की क़सम ! मैं ने तुझ से दुनिया को तेरी बे कद्री की वज्ह से नहीं फेरा था बल्कि उस इज्जत और करामत के सबब जो मैं ने तेरे लिये तय्यार की थी तुझे दुनिया से महरूम रखा, ऐ मेरे बन्दे ! लोगों की उन जमाअतों में जाओ, जिस किसी ने भी मेरी रज़ामन्दी की खातिर तुझे खिलाया, पिलाया या लिबास पहनाया, उस का हाथ पकड़ लो ! वह तुम्हारा है। लोग उस दिन पसीने में गर्क होंगे और वह सफ़ों को चीरता हुवा उन को तलाश कर के जन्नत में ले जाएगा।

फुकरा के पास दौलत है

फ़रमाने नबवी  है कि फुकरा को पहचानो और उन से भलाई करो, उन के पास दौलत है। पूछा गया कि हुजूर कौन सी दौलत है ? आप ने फ़रमाया : जब क़ियामत का दिन होगा, अल्लाह तआला उन से फ़रमाएगा जिस ने तुम्हें खिलाया पिलाया हो या कपड़ा पहनाया हो उस का हाथ पकड़ कर उसे जन्नत में ले जाओ ।

फ़रमाने नबवी है कि जब मैं (शबे मे’राज) जन्नत में गया तो मैं ने अपने आगे हरकत की आवाज़ सुनी, मैं ने देखा तो वो बिलाल थे, मैं ने जन्नत की बुलन्दियों पर देखा, वहां मुझे अपनी उम्मत के फुकरा और उन की औलाद  नज़र आई, मैं ने नीचे देखा तो मालदार नज़र आए और औरतें कम थीं, मैं ने सबब पूछा तो बतलाया गया कि औरतों को सोने और रेशम ने जन्नत से महरूम कर दिया है और मालदारों को उन के तवील हिसाबात ने ऊपर नहीं जाने दिया।

 

मैं ने अपने सहाबा को तलाश किया तो मुझे अब्दुर्रहमान बिन औफ़ नज़र न आए, कुछ देर बाद वो रोते हुवे आए, मैं ने पूछा : तुम मुझ से क्यूं पीछे रह गए ? तो अब्दुर्रहमान ने कहा : मैं बहुत दुख झेल कर आप की खिदमत में पहुंचा हूं, मैं तो समझ रहा था कि शायद मैं आप को नहीं देख पाऊंगा।

हज़रते अब्दुर्रहमान बिन औफ़ साबिक़ीने अव्वलीन मुसलमानों में से थे, हुजूर के जांनिसार और उन दस हज़रात में से थे जिन्हें हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने जन्नत की बिशारत दी है और उन मालदारों में से थे जिन के लिये हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : मगर जिस ने माल को ऐसे ऐसे खर्च किया इन्हें भी मालदारी ने इतनी मुसीबत में मुब्तला कर दिया ! – हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम एक ऐसे शख्स के पास से गुज़रे जिस के पास माल व मनाले दुनिया से कुछ नहीं था, आप ने फ़रमाया : अगर इस का नूर तमाम दुनिया वालों में तक्सीम किया जाए तो पूरा हो जाएगा।।

जन्नत के बादशाह

नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम फ़रमाते हैं : क्या मैं जन्नती बादशाहों के मुतअल्लिक तुम्हें बताऊं ? अर्ज की गई : फ़रमाइये । आप ने फ़रमाया : हर वो शख्स जिसे कमजोर व नातवां समझा गया, गुबार आलूद परेशान बालों वाला, वो फटी पुरानी चादरों वाला, जिसे कोई ख़ातिर में नहीं लाता है, अगर वो अल्लाह की कसम खा ले तो अल्लाह तआला उस की क़सम को ज़रूर पूरा करता है ।

हज़रते फ़ातिमा रज़ीअल्लाहो अन्हा  की गरीबी

हज़रते इमरान बिन हुसैन रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम मुझ से हुस्ने जन रखते थे, एक मरतबा हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लमने फ़रमाया : ऐ इमरान ! तुम्हारा मेरे नज़दीक एक ख़ास मक़ाम है, क्या तुम मेरी बेटी फ़ातिमा रज़ीअल्लाहो अन्हा  की इयादत को चलोगे ? मैं ने कहा : “मेरे मां-बाप आप पर कुरबान ! ज़रूर चलूंगा” चुनान्चे, हम रवाना हो गए और हज़रते फ़ातिमा रज़ीअल्लाहो अन्हा के दरवाजे पर पहुंचे, आप ने दरवाज़ा खट-खटाया और सलाम के बाद अन्दर आने की इजाज़त तलब फ़रमाई । हज़रते फ़ातिमा रज़ीअल्लाहो अन्हा ने फ़रमाया : तशरीफ़ लाइये ! आप ने  फ़रमाया : मेरे साथ एक और शख्स भी है, पूछा गया : हुजूर दूसरा कौन है ? आप ने फ़रमाया : इमरान ! हज़रते फ़ातिमा रज़ीअल्लाहो अन्हा  बोली : रब्बे जुल जलाल की कसम ! जिस ने आप को हक के साथ मबऊस फ़रमाया मैं सिर्फ एक चादर से तमाम जिस्म छुपाए हुवे हूं। आप ने दस्ते अक्दस के इशारे से फ़रमाया : तुम ऐसे ऐसे पर्दा कर लो, उन्हों ने अर्ज़ किया : इस तरह मेरा जिस्म तो ढक जाता है मगर सर नहीं छुपता, आप ने उन की तरफ़ एक पुरानी चादर फेंकी और फ़रमाया : तुम इस से सर ढांप लो, इस के बाद आप घर में दाखिल हुवे और सलाम के बाद पूछा : बेटी कैसी हो ? हज़रते फ़ातिमा रज़ीअल्लाहो अन्हा  ने अर्ज किया : हुजूर मुझे दोहरी तक्लीफ़ है, एक बीमारी की तक्लीफ़ और दूसरे भूक की तक्लीफ़ ! मेरे पास ऐसी कोई चीज़ नहीं है जिसे खा कर भूक मिटा सकू, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम यह सुन कर अश्कबार हो गए और फ़रमाया : बेटी घबराओ नहीं, रब की कसम ! मेरा रब के यहां तुम से ज़ियादा मर्तबा है मगर मैं ने तीन दिन से कुछ नहीं खाया है, अगर मैं अल्लाह तआला से मांगूं तो मुझे ज़रूर खिलाए मगर मैं ने दुनिया पर आख़िरत को तरजीह दी है। फिर आप ने हज़रते फ़ातिमा रज़ीअल्लाहो अन्हा  के कन्धे पर हाथ रख कर फ़रमाया : “खुश हो जाओ तुम जन्नती औरतों की सरदार हो !” उन्हों ने पूछा : हज़रते आसिया और मरयम कहां होंगी? आप ने फ़रमाया : आसिया अपने जमाने की औरतों की और तुम अपने ज़माने की औरतों की सरदार हो, तुम जन्नत के ऐसे महल्लात में रहोगी जिस में कोई ऐब, कोई दुख और कोई तक्लीफ़ नहीं होगी। फिर फ़रमाया : अपने चचाज़ाद के साथ खुश रहो, मैं ने तुम्हारी शादी दुनिया और आख़िरत के सरदार के साथ की है।

रूपये जमा  करने वाले पर चार मुसीबतों का नुजूल

हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जब लोग फुकरा से दुश्मनी रखें, दुनियावी शौकत व हश्मत का इज़हार करें और रूपिया जम्अ करने पर हरीस हो जाएं तो अल्लाह तआला उन पर चार मुसीबतें नाज़िल फ़रमाता है : कहत साली, ज़ालिम बादशाह, खाइन हाकिम और दुश्मनों की हैबत ।

हज़रते अबुदरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि एक दिरहम वाले से दो दिरहम वाले का हिसाब ज़ियादा होगा।

हजरते सईद बिन आमिर की गिर्या व जारी का बाइस

हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो ने हज़रते सईद बिन आमिर रज़ीअल्लाहो अन्हो के पास एक हज़ार दीनार भेजे, हज़रते सईद अपने घर में इन्तिहाई गमज़दा हालत में दाखिल हुवे, इन की बीवी ने पूछा : कोई खास बात हो गई है ? बोले : बहुत अहम बात हो गई है, फिर फ़रमाया : “मुझे कोई पुराना दूपट्टा दे दो,” फिर उसे फाड़ कर उस के टुकड़े किये और दीनारों की पोटलियां बना कर तक्सीम कर दी। और नमाज़ के लिये खड़े हुवे और सुबह तक रो रो कर इबादत करते रहे फिर फ़रमाया : मैं ने हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से सुना है : मेरी उम्मत के फुकरा मालदारों से पांच सो साल पहले जन्नत में दाखिल होंगे यहां तक कि अगर कोई मालदार आदमी इन की जमाअत में शामिल होगा तो उसे हाथ पकड़ कर बाहर निकाल दिया जाएगा।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि तीन आदमी बिला हिसाब जन्नत में दाखिल होंगे : वो शख्स जिस ने कपड़े धोने का इरादा किया मगर उस के दूसरे पुराने कपड़े नहीं थे जिन्हें पहन कर वो कपड़े धो ले। जो शख्स चूलहे पर दो-दो हांडियां नहीं चढ़ाता और जिस को पीने की दा’वत दे कर उस से ये न पूछा : तुम क्या पियोगे ?

हजरते सुफ्यान सौरी को फकरा से बे पायां महब्बत थी।

हज़रते सुफ़्यान सौरी रज़ीअल्लाहो अन्हो की महफ़िल में एक फ़क़ीर आया तो आप ने उसे फ़रमाया : आगे आ जाओ ! अगर तुम मालदार होते तो मैं तुम्हें आगे बढ़ने की इजाज़त न देता, इन की फुकरा से बे पायां महब्बत देख कर इन के मालदार दोस्त ये तमन्ना करते कि काश हम भी फ़कीर होते।

हज़रते मवमल रहमतुल्लाह अलैह का बयान है कि मैं ने हज़रते सुफयान  सौरी रज़ीअल्लाहो अन्हो की मजलिस में फ़क़ीर से ज़ियादा बा इज्जत और मालदार से ज़ियादा ज़लील किसी को नहीं देखा। ……

एक दानिशमन्द का कौल है कि इन्सान जितना तंगदस्ती से डरता है, अगर उतना जहन्नम से डरता तो दोनों से नजात पा लेता और जितनी इसे दौलत से महब्बत है अगर जन्नत से इसे इतनी महब्बत होती तो दोनों को पा लेता जितना ज़ाहिर में लोगों से डरता है अगर उतना बातिन में अल्लाह तआला से डरता तो दोनों जहानों में सईद शुमार होता।

हज़रते इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है कि जो मालदार की इज्जत और फ़कीर की तौहीन करता है, वो मलऊन है।

हज़रते लुक्मान ने अपने बेटे को नसीहत करते हुवे कहा कि फटे पुराने कपड़ों की वज्ह से किसी को हक़ीर न समझो क्यूंकि इस का और तुम्हारा रब एक है।

हज़रते यहूया बिन मुआज़ रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं कि फुकरा से तुम्हारी महब्बत रसूलों की सिफ़ात में से एक सिफ़त है, इन की मजालिस में आना नेकों की और इन की दोस्ती से दूर भागना मुनाफ़िकों की अलामत है।

बा’ज़ कुतुबे साबिक़ा में मरकूम था कि अल्लाह तआला ने अपने बा’ज़ अम्बिया अलैहिममुस्सलाम पर वह्यी  की, कि मेरी दुश्मनी से डरो, अगर मैं ने तुझे दुश्मन बना लिया तो तू मेरी आंख से गिर जाएगा और मैं तुझ पर मालो दौलत की बारिश करूंगा (या’नी मालो दौलत की फ़रावानी अल्लाह तआला के यहां बे क़द्री की मूजिब है।)

हज़रते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा  के पास हज़रते मुआविय्या, इब्ने आमिर रज़ीअल्लाहो अन्हुमा  और कुछ दूसरे लोगों ने एक लाख दिरहम भेजे, आप ने सब को एक ही दिन में तक्सीम कर दिया हालांकि आप की ओढ़नी पर पैवन्द लगे हुवे थे, आप की लौंडी ने कहा कि आप रोजे से हैं अगर आप मुझे एक दिरहम दे देतीं तो मैं गोश्त ले आती और आप इफ़्तार करतीं, आप ने यह सुन कर फ़रमाया : तुम मुझे पहले बता देतीं तो मैं एक दिरहम तुम्हें दे देती।।

हजरते आइशा को हुजर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की वसियत

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हज़रते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा को वसियत फ़रमाई : अगर तुम मुझ से मुलाकात की ख्वाहिश मन्द हो तो फुकरा जैसी ज़िन्दगी बसर करना, दौलत मन्दों की महफ़िलों से अलाहिदा रहना और ओढ़नी को पैवन्द लगाए बिगैर न उतारना ।

एक शख्स हज़रते इब्राहीम बिन अदहम रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत में दस हजार दिरहम। लाया और बड़ी आजिज़ी से इन्हें कबूल करने की दरख्वास्त की। आप ने इन्कार कर दिया और फ़रमाया : क्या तुम दस हज़ार दिरहम के बदले फुकरा के दफ्तर से मेरा नाम काटना चाहते हो बखुदा ! मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगा।

फ़रमाने नबवी है : उस शख्स के लिये खुश खबरी है जो इस्लाम पर चला और उस ने मा’मूली गुज़रान पर कनाअत कर ली।

फ़रमाने नबवी है : ऐ फुकरा तुम दिल की गहराइयों से अल्लाह की रज़ा पर राज़ी रहो, तुम्हें फ़क़र का सवाब मिलेगा वगरना नहीं । पहला कनाअत वाला और दूसरा राज़ी ब रज़ाए इलाही है. इस का मतलब यह भी हो सकता है कि हरीस को फ़क़र  का सवाब नहीं मिलेगा मगर बा’ज़ अहादीस से यह ज़ाहिर होता है कि उसे फ़कर का सवाब मिलेगा। अन करीब हम इस की मुकम्मल बहस करेंगे।

शायद अदमे रज़ा से ये मुराद है कि वो अल्लाह तआला के इस से माल रोक लेने को बुरा समझता है और बहुत से तालिबे दुनिया ऐसे हैं जो दिल में कभी भी अल्लाह तआला का मुन्किर होना पसन्द नहीं करते लिहाज़ा इन की तलब में कोई बुराई नहीं है लेकिन पहली बात आ’माल को तबाह कर देती है जिस में अल्लाह तआला के दौलत न देने को बुरा समझा जाता है।

हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि हर चीज़ की एक कुंजी चाबी होती है और जन्नत की चाबी फुकरा और मसाकीन की महब्बत है। अपने सब्र की वज्ह से वो क़यामत के दिन अल्लाह तआला के करीब होंगे।

हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि अल्लाह तआला को वो बन्दा सब से ज़ियादा महबूब है जो फ़कीर हो, अल्लाह की रज़ा पर राजी हो और उस के अताकर्दा रिज्क पर कनाअत करे

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने दुआ मांगी : ऐ अल्लाह ! मोहम्मद (स.अ.व.) के घराने की खुराक अन्दाज़े के मुताबिक़ हो और फ़रमाया : क़ियामत के दिन कोई फ़कीर और मालदार ऐसा नहीं होगा जो यह तमन्ना न करे कि मुझे दुनिया में खूराक के मुताबिक़ ही रिज्क दिया जाता ।

अल्लाह तआला ने हज़रते इस्माईल अलैहहिस्सलाम  की तरफ़ वही की, कि मुझे शिकस्ता दिलों के यहां तलाश करना, आप ने पूछा : वो कौन लोग हैं ? रब तआला ने फ़रमाया : वो सच्चे फुकरा हैं।

फ़रमाने नबवी है कि राज़ी ब रज़ा फ़क़ीर से ज़ियादा कोई फजीलत वाला नहीं है।

फ़रमाने नबवी है कि अल्लाह तआला कियामत के दिन इरशाद फ़रमाएगा कि मखलूक में मेरे दोस्त कहां हैं ? फ़रिश्ते पूछेगे या अल्लाह ! वो कौन हैं ? रब तआला फ़रमाएगा : वो मुसलमान फुकरा हैं जो मेरी अता पर कानेअ (कनाअत करने वाले)  थे और मेरी रज़ा पर राजी थे, उन्हें जन्नत में दाखिल करो ! चुनान्चे, लोग अभी अपने हिसाब में सरगर्दा होंगे कि वो लोग जन्नत में खा पी रहे होंगे ।

ये तो कनाअत गुज़ी और अल्लाह की रिज़ा पर राज़ी होने वालों का तजकिरा है,  अन करीब ज़ाहिदों का जिक्र भी उन के फ़ज़ाइल में आएगा।

कनाअत और रजाए इलाही

“कनाअत” और “रज़ा” के मुतअल्लिक़ बहुत सी अहादीस वारिद हुई हैं, यह बात खूब जेह्न नशीन कर लें कि कनाअत का उल्टा  “हिर्स व तम्”(लालच) है।

हज़रते उमर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का फ़रमान है कि लालच, तंगदस्ती है  और कनाअत मालदारी है जो लोगों से तम्अ नहीं रखता और कनाअत कर लेता है वो लोगों से बे परवा कर दिया जाता है।

हज़रते इब्ने मसऊद रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हर रोज़ एक फ़रिश्ता अर्श से मुनादी करता है, ऐ इन्सान ! गुमराह करने वाले ज़ियादा माल से किफ़ायत करने वाला थोड़ा माल बेहतर है।

हज़रते अबुदरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो का क़ौल है कि हर इन्सान की अक्ल में कमजोरी होती है, जब उस के पास मालो दौलत ज़ियादा आने लगता है तो वो बहुत खुश होता है मगर रात दिन की गर्दिश जो उस की उम्र कम कर रही है, उसे गमज़दा नहीं करती। अफ़सोस ! ऐ इन्सान ! तुझे माल की ज़ियादती कोई फ़ाइदा नहीं देगी जब कि तेरी उम्र बराबर कम होती जा रही है।

मालदारी क्या है ?

एक दाना से गना (मालदारी) के मुतअल्लिक़ पूछा गया तो उस ने जवाब दिया कि कलील उम्मीदें और मामूली रिज्क पर राजी रहना।

रिवायत है कि हज़रते इब्राहीम बिन अदहम रहमतुल्लाह अलैह खुरासान के उमरा में से थे, एक मरतबा वो महल से बाहर निकले तो उन्हें महल के करीब एक आदमी नज़र आया जिस के हाथ में एक रोटी थी जिसे खा कर वो सो गया, उन्हों ने अपने एक गुलाम से कहा : जब ये शख्स बेदार हो तो इसे मेरे पास लाना, चुनान्चे, उस के बेदार होने के बाद उसे लाया गया तो उन्हों ने पूछा : ऐ जवान ! तू भूका था और एक रोटी से सैर हो गया? उस शख्स ने कहा : हां ! फिर पूछा : तुम्हें नींद खूब आई ? वो बोला : हां ! आप ने दिल में सोचा मैं आयिन्दा दुनिया के हुसूल में सरगर्दा नहीं फिरूंगा, नफ़्से इन्सानी तो एक रोटी पर भी कनाअत कर लेता है।

एक शख्स ने आमिर बिन अब्दुल कैस रहमतुल्लाह अलैह को इस हालत में देखा कि वो नमक के साथ साग खा रहे थे। उस शख्स ने कहा : ऐ बन्दए खुदा ! क्या तू इतनी सी चीज़ पर राज़ी है ? आप ने फ़रमाया : मैं तुम्हें बतलाऊं, जो इतनी सी दुनिया पर राजी हो जाता है उसे किस चीज़ की खुश खबरी मिलती है ? फिर फ़रमाया : “जो दुनिया पर राजी हो जाता है उसे आखिरत नहीं मिलती और जो दुनिया से तर्के तअल्लुक कर लेता है उसे आख़िरत मिलती है।”

हज़रते मुहम्मद बिन वासेअ रहमतुल्लाह अलैह खुश्क रोटी पानी में भिगो कर नमक से खा लेते और फ़रमाते : जो दुनिया में इतनी मिक्दार पर राजी हो जाता है वो किसी का मोहताज नहीं रहता।

हज़रते हसन रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि अल्लाह तआला ने ऐसे लोगों पर ला’नत की है जो उस के तक्सीम कर्दा रिज्क पर राजी नहीं हुवे, फिर आप ने यह आयत पढ़ी :

“और आस्मानों में तुम्हारा रिज्क है और जिस चीज़ का तुम से वादा किया जाता है आस्मानों और ज़मीन के रब की क़सम वो हक़ है।“

हज़रते अबू ज़र रज़ीअल्लाहो अन्हो एक मरतबा लोगों में बैठे हुवे थे कि आप की बीवी ने आ कर कहा : तुम इन के साथ बैठे हुवे हो और घर में आटे की चुटकी और पानी का घूंट तक नहीं है ! आप ने फ़रमाया : तुम्हें पता नहीं हमारे सामने दुश्वार गुज़ार घाटियां हैं इन से वो नजात पाएगा जिस का बोझ हल्का होगा। जब आप की बीवी ने ये सुना तो चुप चाप घर में वापस चली गई।

हज़रते जुन्नून रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि बे सब्र भूका कुफ्र के बहुत करीब होता है।

एक दाना से पूछा गया कि तेरी दौलत क्या है ? उस ने जवाब दिया : ज़ाहिरी सफ़ाई, दिल में नेकी और लोगों से ना उम्मीदी।

रिवायत है कि अल्लाह तआला ने बा’ज़ साबिक़ा आस्मानी किताबों में फ़रमाया है : ऐ इन्सान ! अगर तुझे सारी दुनिया की दौलत मिल जाती तब भी तुझे दो वक्त की रोटी ही मयस्सर आती, अब जब कि मैं ने तुझे गिजा दे दी है और इस का हिसाब और के जिम्मे लगा दिया है तो ये मैं ने तुझ पर एहसान किया है।

कनाअत के मुतअल्लिक एक शाइर ने कहा है : अल्लाह से मांग, लोगों से न मांग, इन से ना उम्मीद हो कर कनाअत को अपना क्यूंकि लोगों से ना उम्मीद होने ही में इज्जत है। ..हर अज़ीज़ और यगाने से बे परवा हो जा, क्यूंकि लोगों से बे नियाज़ी ही मालदारी है.

एक और शाइर कहता है :.ऐ मालो दौलत को जम्अ करने वाले ! ज़माना हर किसी का मुक़द्दर देखता है, तू इस के किस किस दरवाजे को बन्द करेगा ? ..इस फ़िक्र में कि किस किस तरह उम्मीदें पूरी होंगी, क्या इस के साथ कोई दुश्वारी है या आसानी पस तू इस को छोड़ देगा। ..ऐ माल के जम्अ करने वाले ! तू ने दौलत इकठ्ठी कर ली, मुझे ये बतला तू ने इसे खर्च करने के लिये अपने दिन भी इकट्ठे कर लिये हैं ? (क्या तुझे ज़िन्दगी पर भरोसा है) .दौलत तेरे पास वारिसों का खजाना है, राहे खुदा में खर्च करने वाले माल के सिवा तेरा कोई माल नहीं है। .जब जवान इस बात पर ए’तिमाद करता है कि जिस जात ने तक्सीमे अरज़ाक़ किया है उसे भी रिज्क देगा। …तब उस की इज्जत महफूज़ हो जाती है, कभी उस पर मेल नहीं आता, और न ही उस का चेहरा कभी पुराना होता है। .जो शख्स कनाअत को पा लेता है उस पर कभी दुख का साया नहीं पड़ता।

 

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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फज़ीलते कनाअत – कनाअत (संतोष) फ़ज़ीलतें और बरकतें

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 

फ़कीर के लिये ज़रूरी है कि वो कानेअ (कम चीज़ पर राज़ी होने वाला) हो, मख्लूकात से उम्मीदें वाबस्ता न करे, उन के अम्वाल पर निगाह न रखे और न ही मालो दौलत के हुसूल में हरीस हो, यह उस वक्त मुमकिन है जब इन्सान ब कदरे ज़रूरत अपने खाने पीने पहनने और रिहाइश की चीजों पर मुतमइन हो जाए और हर मामूली चीज़ पर इक्तिफ़ा करे और अपनी उम्मीदें एक दिन या एक माह से ज़ियादा तवील न करे, क्यूंकि कसरत की तलब और तूले अमल से कनाअत का महूम ख़त्म हो जाता है. और इन्सान हिर्स और लालच में मुब्तला हो जाता है, फिर येही तम्अ और लालच उसे बद अख़्लाकी और बुराइयों पर आमादा करते हैं जिन से इन्सान की अच्छी आदात तबाह हो जाती हैं और हिर्स व तम्अ उस की फ़ितरते सानिया बन जाते हैं।

 

इन्सान के पेट को कब्र की मिट्टी ही भरती है

फ़रमाने नबवी है : अगर इन्सान को सोने की दो वादियां भी मिल जाएं तो वो तीसरी की तमन्ना करेगा, इन्सान के पेट को कब्र की मिट्टी ही पुर करती है और अल्लाह तआला तौबा करने वाले की तौबा को क़बूल फ़रमा लेता है।

हज़रते अबू वाक़िदी अल्लैसी रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है कि जब हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम पर वहयी नाज़िल होती तो हम ब गरजे ता’लीम हाज़िर होते, एक मरतबा हम हाज़िर हुवे तो आप ने फ़रमाया : अल्लाह तआला फ़रमाता है : हम ने मालो दौलत नमाज़ व ज़कात की अदाएगी के लिये दिया है, अगर इन्सान को सोने की एक वादी मिल जाए तो वो दूसरी की तमन्ना करेगा अगर दूसरी मिल जाए तो तीसरी की आरजू करेगा, इन्सान के पेट को क़ब्र की मिट्टी ही भर सकती है और अल्लाह तआला हर तौबा करने वाले की तौबा कबूल कर लेता है।

हज़रते अबू मूसा अश्अरी रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है : सूरए बराअत जैसी एक और सूरत भी नाज़िल हुई थी जो बाद में उठा ली गई, उस में था कि अल्लाह तआला इस दीन की ऐसी कौमों से इमदाद करवाएगा जिन के लिये भलाई में कोई हिस्सा नहीं होगा और अगर इन्सान को

दौलत की दो वादियां दे दी जाएं तो वो तीसरी वादी की तमन्ना करेगा, इन्सान का पेट कब्र की मिट्टी ही भरेगी और अल्लाह तआला तौबा करने वाले की तौबा को कबूल करता है ।

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का फ़रमान है : दो भूके कभी सैर नहीं होते, इल्म का भूका और दौलत का भूका ।

फ़रमाने नबवी है कि इन्सान बूढ़ा हो जाता है मगर दो चीजें जवान हो जाती हैं, हिर्स और दौलत की महब्बत ।

चूंकि येह खस्लत इन्सान को गुमराह कर देती है इस लिये अल्लाह तआला और उस के रसूल सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने कनाअत की तारीफ़ फ़रमाई है, चुनान्चे, फ़रमाने नबवी है कि उस शख्स के लिये खुश खबरी है जो इस्लाम के रास्ते पर चला और ज़िन्दगी की मामूली गुज़रान पर कनाअत कर ली।

फ़रमाने नबवी है : क़ियामत के दिन हर अमीर और फ़क़ीर येह तमन्ना करेगा कि इसे दुनिया में मामूली गिजा मुयस्सर आती ।

फ़रमाने नबवी है कि तवंगरी माल की कसरत से नहीं है बल्कि हकीकी मालदारी दिल की बे परवाई है।

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दुनिया की बहुत जुस्तजू मत करो

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हिर्स और दुनिया की बहुत जुस्तजू करने से मन्अ फ़रमाते हुवे इरशाद फ़रमाया कि ऐ लोगो ! अच्छे तरीके से रिज्क हासिल करो क्यूंकि बन्दे को वो ही कुछ मिलता है जो उस की किस्मत में लिख दिया गया है और कोई इन्सान अपना रिज्क खत्म किये बिगैर दुनिया से नहीं जाएगा।

मरवी है कि हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम  ने अल्लाह ता आला से सवाल किया : तेरा कौन सा बन्दा ज़ियादा गनी है ? इरशादे रब्बानी हुवा : जो मेरे अता कर्दा रिज्क पर कनाअत करता है, फिर पूछा : आदिल कौन है ? रब तआला ने फ़रमाया : जो अपने आप से इन्साफ़ करता है।

हज़रते अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : रूहुल कुद्स ने मुझे खबर दी है कि कोई शख्स दुनिया से अपना रिज्क पूरा किये बिगैर नहीं जाएगा लिहाज़ा अल्लाह तआला से डरो और रिज्के हलाल हासिल करो ।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है कि मुझे हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जब तुझे भूक लगे तो एक रोटी और पानी का पियाला तेरे लिये काफ़ी है और दुनिया की मजीद ख्वाहिश हलाकत है।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है कि मुझे हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : परहेज़गार बन ! तू सब से बड़ा आबिद होगा, कनाअत कर ! तू सब से बड़ा शुक्र गुज़ार होगा, जो अपने लिये पसन्द करता है वो ही दूसरों के लिये पसन्द कर ! तू मोमिन होगा।

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने लालच से मन्अ फ़रमाया

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने लालच से मन्अ फ़रमाया है चुनान्चे, हज़रते अबू अय्यूब अन्सारी रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है कि एक बदवी ने हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की खिदमत में अर्ज की : मुझे एक मुख्तसर नसीहत कीजिये ! आप ने फ़रमाया : हर नमाज़ को ज़िन्दगी की आखिरी नमाज़ समझ कर पढ़ ! कोई ऐसी बात न कर जिस पर कल मा’ज़िरत करनी पड़े और लोगों के माल से उम्मीद न रख ।

हज़रते औफ़ बिन मालिक अल अशजई रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है कि हम सात, आठ या नव आदमी हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के साथ बैठे हुवे थे, आप ने फ़रमाया : तुम रसूलल्लाह की बैअत नहीं करते ? चुनान्चे, हम ने हाथ बढ़ा कर बैअत की, हम में से किसी ने पूछा : या रसूलल्लाह ! आप ने हम से किस चीज़ की बैअत ली ? आप ने फ़रमाया : यह कि अल्लाह की इबादत करो, उसे ला शरीक समझो, पांच नमाजें पढ़ो, सुनो और इताअत करो, एक बात आप ने

आहिस्ता की, फिर फ़रमाया : और लोगों से किसी चीज़ का सवाल न करो। रावी कहते है कि हम में से कुछ ऐसे भी थे जिन का अगर कोड़ा गिर जाता तो वोह किसी से उठा कर देने का सवाल न करते ।

हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो  का फ़रमान है : लालच को तर्क, फ़क़र  और लोगों से ना उम्मीदी गना है, जो लोगों के मालो दौलत से ना उम्मीद रहता है वो सब से बे परवा हो जाता है।

किसी दाना से मालदारी के मा’ना पूछे गए तो उस ने जवाब दिया कि मुख़्तसर उम्मीदें और मा’मूली गुज़रान पर राज़ी होने का नाम गना है, इसी लिये कहा गया है :

..ऐश की सिर्फ चन्द घड़ियां हैं और कारहाए नुमायां अन्जाम देने के लिये वक्त कम है। .तू कनाअत कर उस ऐश पर जो तुझ को हासिल है और ख्वाहिशाते नफ्सानी को छोड़ कर आज़ाद हो जा और ऐश की ज़िन्दगी बसर कर। .बहुत से वो लोग जिन को मौत आई वोह सोना चांदी और लअलो जवाहिर छोड़ कर मर गए।

हज़रते मुहम्मद बिन वासेअ रहमतुल्लाह अलैह  खुश्क रोटी पानी में भिगो कर खाते और कहते : जो इस पर कनाअत कर ले वो ह किसी का मोहताज नहीं होगा।

बेहतरीन दौलत क्या है?

हज़रते सुफ्यान का कौल है कि तुम्हारे लिये बेहतरीन दौलत वो है जो तुम्हारे कब्जे में नहीं है और कब्जे में आई हुई दौलत में वो बेहतरीन दौलत है जो तुम्हारे हाथ से निकल गई है।

हज़रते इब्ने मसऊद रज़ीअल्लाहो अन्हो  का कौल है : हर दिन एक फ़रिश्ता पुकार कर कहता है कि ऐ इन्सान ! गुमराह करने वाले बहुत से माल से वो ह मा’मूली माल बेहतर है जो तुझे ज़िन्दा रहने में मदद दे।

हज़रते सुमैत् बिन अजलान रहमतुल्लाह अलैह  का फ़रमान है कि ऐ इन्सान तेरा बालिश्त भर पेट तुझे जहन्नम में न ले जाए। किसी दाना से पूछा गया : तेरा माल क्या है ? उस ने कहा : ज़ाहिर में पाकीज़गी, बातिन में नेकी और लोगों से ना उम्मीदी।

मरवी है कि रब्बे जुल जलाल ने इन्सान से फ़रमाया : अगर तुझे सारी दुनिया मिल जाती तब भी तुझे इस दुनिया से दो वक्त की खूराक मिलती, अब जब कि मैं ने दुनिया से तुझे सिर्फ खूराक दी है और इस का हिसाब दूसरों पर रख दिया है तो मैं ने येह तुझ पर एहसान किया है।

हज़रते इब्ने मसऊद रज़ीअल्लाहो अन्हो  का कौल है : जब तुम कोई हाजत तलब करो तो थोड़ी मांगो, इतना न मांगो कि दूसरे पर वबाल बन जाओ क्यूंकि जो कुछ तुम्हारा नसीब है वोह तुम्हें ज़रूर मिलेगा।

बनू उमय्या के एक हाकिम ने हज़रते अबू हाज़िम रहमतुल्लाह अलैह  की तरफ़ ख़त लिखा जिस में उन से किसी ज़रूरत के मुतअल्लिक़ पूछा गया ताकि वो  इसे पूरी कर दें। अबू हाज़िम रहमतुल्लाह अलैह  ने जवाब में लिखा, मैं ने अपनी ज़रूरतें अपने मालिक की बारगाह में पेश की हुई हैं, जिन को वो पूरा कर देता है, खुश हो जाता हूं और जिन को वोह रोक देता है उस से कनाअत कर लेता हूं।

किसी दाना से पूछा गया कि कौन सी चीज़ दाना के लिये बाइसे खुशी और दुख दूर करने का सामान है ? दाना ने जवाब दिया कि दाना के लिये सब से बड़ी खुशी नेक अमल और गम दूर करने में उस के मददगार अल्लाह की रिज़ा पर राज़ी रहना है।

एक दाना का कौल है : मैं ने लोगों में सब से गमज़दा हासिद को, सब से बेहतरीन ज़िन्दगी वाला कनाअत पसन्द को, सब से ज़ियादा मसाइब पर सब्र करने वाला लालची को, सब से ज़ियादा खुश तारिके दुनिया को और सब से ज़ियादा पशेमान हद से तजावुज़ करने वाला आलिम को पाया है। इसी मौजूअ पर कहा गया है

.जब जवान इस बात पर मुकम्मल ए’तिमाद करता है कि राजिके मुतलक उसे ज़रूर रिज्क देगा। .तो उस की इज्जत मैली नहीं होती और न ही उस का चेहरा कभी पुराना होता है। .जो शख्स कनाअत इख़्तियार कर लेता है उसे कभी किसी चीज़ की परवाह नहीं हुई और उस पर कभी दुख का साया नहीं पड़ता।

एक और शाइर कहता है :

कब तक मैं इस तरह सफ़र करता रहूंगा और ज़बरदस्त जद्दोजहद और ये आमदो रफ़्त जारी रखूगा? .मैं घर से दूर हमेशा दोस्तों से पोशीदा रहता हूं, उन्हें मेरे हालात का इल्म नहीं होता। .मैं कभी मशरिक़ में होता हूं और कभी मगरिब में, हिर्स का गलबा यूं है कि मेरे दिल में कभी मौत का खयाल ही नहीं आता। .अगर मैं कनाअत करता तो खुशहाली की ज़िन्दगी बसर करता क्यूंकि हकीकी तवंगरी कनाअत में है कसरते मालो दौलत तवंगरी नहीं है।

हजरते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो  का इरशाद

हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो  का इरशाद है कि क्या मैं तुम्हें न बतलाऊं कि मैं अल्लाह तआला के माल से क्या कुछ लेना हलाल समझता हूं? सुनो ! सर्दी और गर्मी के लिये दो चादरें और इस के इलावा मुझे हज, उमरह और गिजा के लिये कुरैश के मा’मूली जवान की शिकम सैरी के बक़दर गिजा की फ़राहमी । लोगो ! मैं मुसलमानों से आ’ला और अरफ़अ नहीं हूं, ब खुदा मैं नहीं जानता कि इतना लेना भी जाइज़ है या नहीं ? गोया आप इतनी सी मिक्दार में भी शक फ़रमा रहे थे कि कहीं येह कनाअत के दाइरे से खारिज तो नहीं है ?

एक बदवी ने अपने भाई को हिर्स से रोकते हुवे कहा : तुम दुनिया के तालिब हो और उस चीज़ के मतलूब हो जो कभी टल नहीं सकती, तुम ऐसी चीज़ को तलाश कर रहे हो जो पहले ही तुम्हारी हो चुकी है, गोया कि गाइब चीज़ तुम्हारे सामने और हाज़िर चीज़ तुम से मुन्तकिल होने वाली है, शायद तुम ने किसी हरीस को महरूम और किसी तारिके दुनिया को रिज्क पाते हुवे नहीं देखा है, इसी मौजूअ पर किसी शाइर ने कहा है :

..मैं देख रहा हूं कि तेरा तमव्वुल तेरे हिर्स को बढ़ा रहा है गोया कि तू नहीं मरेगा। .कभी तू अपनी हिर्स से रुक कर ये भी कहेगा कि बस मुझे ये काफ़ी है और मैं इस कदर पर राजी हूं। ।

एक हरीस लालची को सबक

हज़रते शा’बी रहमतुल्लाह अलैह  कहते हैं कि एक आदमी ने चन्डोल (चिड़या) को शिकार किया, चिड़या ने कहा : तुम मेरा क्या करोगे? उस आदमी ने कहा : ज़ब्ह कर के खाऊंगा, चिड़या ने कहा : ब खुदा ! मेरे खाने से तुम्हारा पेट नहीं भरेगा, मैं तुम्हें तीन ऐसी बातें बताऊंगी, जो मेरे खाने से कहीं बेहतर हैं, एक तो मैं तुम को इस कैद की हालत में ही बताऊं, दूसरी दरख्त पर बैठ कर और तीसरी पहाड़ पर बैठ कर बताऊंगी।

आदमी ने कहा : चलो ठीक है पहली बात बताओ ! चिड़या ने कहा : याद रखो गुज़री बात पर अपसोस न करना, आदमी ने उसे छोड़ दिया, जब वोह दरख्त पर जा कर बैठ गई तो आदमी ने कहा : दूसरी बात बताओ ! चिड़या ने कहा : ना मुमकिन बात को मुमकिन न समझना। फिर वोह उड़ कर पहाड़ पर जा बैठी और कहने लगी : ऐ बद नसीब ! अगर तू मुझे जब्ह कर देता तो मेरे पोटे से बीस मिस्काल के दो मोती निकलते, येह सुन कर वोह शख्स अफ्सोस से अपने होंट कांटते हुवे कहने लगा कि अब तीसरी बात बता दे ! चिड़या बोली : तुम ने तो पहली दो को भुला दिया है, अब तीसरी बात किस लिये पूछते हो ? मैं ने तुम से कहा था कि गुज़श्ता बात पर अफ्सोस न करना और ना मुमकिन चीज़ को मुमकिन न समझना, मैं तो अपने गोश्त, खून और परों समेत भी बीस मिस्काल की नहीं हूं चे जाएकि मेरे पोटे में बीस बीस मिस्काल के दो मोती हों, येह कहा और वोह उड़ गई।

येह इन्सान के इन्तिहाई हरीस होने की मिसाल है क्यूंकि वोह भी लालच में ना मुमकिन को मुमकिन समझते हुवे राहे हक़ से भटक जाता है।

हज़रते इब्ने सम्माक रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है : उम्मीदें तेरे दिल का जाल और पैरों की बेड़ियां हैं, दिल से उम्मीदें निकाल दे, तेरे पाउं बेड़ियों से आजाद हो जाएंगे।

हिर्स लालच की बुराई और मजम्मत

हज़रते अबू मुहम्मद अल यज़ीदी रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि मैं ख़लीफ़ा हारूनुर्रशीद के यहां आया तो वो एक ऐसे काग़ज़ को पढ़ रहा था, जिस पर आबे ज़र से कुछ लिखा हुवा था,

ख़लीफ़ा ने जब मुझे देखा तो मुस्कुरा दिया। मैं ने कहा : अमीरल मोमिनीन ! कोई खास बात है ? कहा : मैं ने बनू उमय्या के ख़ज़ाने में येह दो शे’र पाए जो मुझे बहुत अच्छे लगे हैं और मैं ने इन में एक और शे’र का इज़ाफ़ा कर दिया है :…जब तेरी हाजत रवाई का दरवाज़ा तुझ पर बन्द हो जाए तो रुक जा, कोई और तेरी हाजत रवाई कर देगा। .पेट का बन्दा होना इस के भरने के लिये काफ़ी है और काम की बुराइयों से बचने के लिये इन से इजतिनाब ज़रूरी है। ..और अपने मक्सद को हासिल करने के लिये रकीक हरकतें मत कर और इतिका मआसी से परहेज़ कर जिस की वज्ह से तू सज़ा से महफूज़ हो जाएगा।

इल्म इन्सान को हिर्स और गदायाने इबराम से महफूज रखता है –

हज़रते अब्दुल्लाह बिन सलाम रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने हज़रते का’ब रज़ीअल्लाहो अन्हो  से पूछा कि उलमा के इल्म हासिल कर लेने के बाद कौन सी चीज़ उन के दिलों से इल्म निकाल लेती है ? हज़रते का’ब रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने कहा : लालच, हिर्स और लोगों के आगे हाथ फैलाना । किसी शख्स ने हज़रते फुजैल रहमतुल्लाह अलैह  से इस कौल की तशरीह चाही तो इन्हों ने जवाब दिया कि इन्सान लालच में जब किसी चीज़ को अपना मतलूब व मक्सूद बना लेता है तो उस का दीन रुख्सत हो जाता है। हिर्स यह है कि इन्सान कभी इस चीज़ की और कभी उस चीज़ की तलब में रहता है यहां तक कि वो सब कुछ हासिल करना चाहता है और कभी इस मक्सद के हुसूल के लिये तेरा साबिका मुख़्तलिफ़ लोगों से पड़ेगा, जब वो तेरी ज़रूरतें पूरी करेंगे तो तेरी नाक में नकील डाल कर जहां चाहेंगे ले जाएंगे, वो तुझ से अपनी इज्जत चाहेंगे और तू रुस्वा हो जाएगा और इसी महब्बते दुनिया के बाइस जब भी तू उन के सामने से गुज़रेगा तो उन्हें सलाम करेगा और जब वो बीमार होंगे, तू इयादत को जाएगा और येह तेरे तमाम अफ्आल खुदा की रज़ा के लिये नहीं होंगे। तेरे लिये बहुत अच्छा होता अगर तू उन लोगों का मोहताज न होता।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

 

 

मज़म्मते दुनिया – इस ख़त्म हो जाने वाली दुनिया की बुराइयाँ

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 

बा’ज़ तारिकीने दुनिया (दुनिया को छोड़ देने वालों) का कहना है : नेक अमल करने में पेश पेश रहो, अल्लाह तआला से डरते रहो, झूटी उम्मीदों में न पड़ो, मौत को न भूलो और दुनिया से रगबत न रखो क्यूंकि यह फरेबी और मक्कार है जिस ने धोका दे कर राहे खुदा से दूर कर दिया, इस की झूटी उम्मीदों ने तुम्हें आज़माइश में डाल दिया और यह तुम्हारे सामने इन्तिहाई हसीन शक्ल (बहरूप) में बे पर्दा दुल्हन बन कर आती है, आंखें इसे देखती हैं, दिल इस पर फ़िदा हैं और रूहें इस की फ़ोफ्ता हैं मगर इस ने कितने आशिकों को क़त्ल कर दिया और अपने परवानों को जिल्लत व रुस्वाई के गढ़ों में धकेल दिया है ? तुम इसे निगाहे हकीकत बीन से देखो तो मा’लूम होगा, यह मसाइब का घर है, इस के

खालिक ने भी इस की मज़म्मत की है, इस का हर नया पुराना हो जाता है, इस की सल्तनत ख़त्म हो जाती है, इस का मुअज्जज़ ज़लील हो जाता है, इस की कसरत किल्लत में तब्दील हो जाती है, इस की महब्बत फ़ना हो जाती है, इस की भलाई गुज़र जाती है, अल्लाह तुम पर रहमत करे, गफ्लत से जागो, इस की मीठी नींद से बेदार हो जाओ क़ब्ल इस के कि कहा जाए : फुलां बीमार है या उसे जान के लाले पड़े हैं, कोई ऐसी दवा या ऐसा तबीब है जो उसे शिफ़ा दे ? फिर तबीब बुलाया जाए और वो तेरी ज़िन्दगी के बारे में ना उम्मीदी का इज़हार करे, फिर कहा जाए कि फुलां ने अपनी दौलत का हिसाब लगा कर वसिय्यत कर दी है, फिर कहा जाए : उस की ज़बान बन्द हो गई और वो अपने अज़ीजों से बात नहीं कर सकता और हमसायों को नहीं पहचान सकता है, उस वक्त तेरी पेशानी पर पसीने के क़तरे उभर आएं, तेरी आहो बुका सुनाई दे, मौत पर तेरा यकीन रासिख़ हो जाए, तेरी निगाह टिकटिकी बांध कर देखने लगे, तेरे अन्देशे सच साबित हों, तेरी ज़बान गुंग हो जाए, तेरे अज़ीज़ रोने लगें और तुझ से कहा जाए : वोह तेरा फुलां बेटा है, यह तेरा फुलां भाई है मगर तू उन से गुफ्तगू न कर सके, तेरी ज़बान पर मोहर लग जाए, तू इसे हिला न सके फिर तुझ पर मौत तारी हो, तेरे तमाम आ’ज़ा से रूह निकाली जाए और इसे आसमान की तरफ़ ले जाया जाए, उस वक़्त तेरे भाई तुझ पर जम्अ हो जाएं, तेरे लिये कफ़न लाया जाए, फिर तुझे नहला कर कफ़न पहनाया जाए, तेरी तमाम उम्मीदें मुन्कतअ हो जाएं और तेरे दुश्मन सुकून का सांस लें, तेरे अहले खाना तेरे माल की तरफ़ मुतवज्जेह हों और तू अपने आ’माल की सज़ा पाने के लिये तन्हा रह जाए।

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एक ज़ाहिद की एक बादशाह को नसीहतें

किसी तारिके दुनिया ने एक बादशाह से कहा कि दुनिया की मज़म्मत और इसे छोड़ देने का लोगों में सब से ज़ियादा मुस्तहिक वो शख्स है जो मालदार है और दौलत के बलबूते पर अपने काम अन्जाम दे रहा है, हो सकता है इस के माल पर कोई आफ़त नाज़िल हो कर इसे मोहताज कर दे या कोई आफ़त इस की जम्अ कर्दा पूंजी और इस के दरमियान तफ़रका डाल दे या कोई बादशाह इस के मालो दौलत को पामाल करता हुवा गुज़र जाए या कोई तकलीफ़ इस के जिस्म में सरायत कर जाए या दुनिया की कोई जान से प्यारी चीज़ इसे दोस्तों की नज़रों में गिरा दे और बई तौर पर भी दुनिया लाइके मज़म्मत है कि यह जो कुछ देती है वापस ले लेती है, यह एक ही वक्त में दो दो आदमियों से महब्बत करती है, यह हंसने वालों पर हंसती और रोने वालों पर रोती है, देते वक़्त वापसी का तकाज़ा भी कर देती है, आज मालदारों के सर पर ताज रखती है

और कल उसे मिट्टी में छुपा देती है, चाहे जाने वाला इसी के गम में मर गया हो और जिन्दा इसी के लिये जिन्दा हो, यह हर जाने वाले के वारिस के गले मिल जाती है और किसी तग़य्युर व तबहुल की परवाह नहीं करती।

हजरते हसन बसरी रज़ीअल्लाहो अन्हो  के इरशादात

हज़रते हसन बसरी रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रज़ीअल्लाहो अन्हो  को लिखा कि यह दुनिया कूच की जगह है, ठहरने का मकाम नहीं है, हज़रते आदम अलैहिस्सलाम  को आज़माइश के तौर पर इस पर उतारा गया था इस लिये अमीरुल मोमिनीन इस से दूर दूर रहिये। इस दुनिया का तोशा इस को छोड़ देना, इस की सरमाया दारी फ़को फ़ाका है, हर वक्त अपने चाहने वालों को कत्ल करती रहती है, इज्जत वाले को ज़लील और मालदार को फ़क़ीर बना देती है, यह ज़हर है जिसे इन्सान बे ख़बरी में खा कर मौत से हमकिनार हो जाता है, इस में जराहत का इलाज करने वाले मजरूह की तरह तवील दुख से बचने के लिये कुछ देर सब्र कीजिये और तवील बीमारी से बचने के लिये कुछ लम्हों तक इलाज की शिद्दत बरदाश्त कीजिये और इस फरेबी धोकेबाज़ से जो खूब बन ठन कर जल्वानुमा हुई है और मक्र का जाल फैलाए हुवे है, झूटी उम्मीदों की फ़िरावानी साथ लाई है और एक ऐसी दुल्हन का अन्दाज़ अपनाए है जिसे आंखें देखना चाहती हैं, जिस के दिल शैदाई हैं और जानें इस पर फ़िदाई हैं और यह तमाम चाहने वालों को ख़त्म करती चली आई है और मिटाती चली जाएगी, क्या कोई अक्लमन्द इस से नसीहत हासिल नहीं करता ?

जब इस का कोई आशिक इसे पा लेता है तो वो गुमराह हो जाता है और इस से कामिल शगफ़ के बाइस अपनी आखिरत को भी भूल जाता है यहां तक कि उस के कदम डगमगा जाते हैं और वो दाइमी हसरत में गिरिफ़्तार हो जाता है, उस पर मौत की सख़्तियां और दुख तारी होते हैं, कमाहक्कुहु न पाने की हसरत और मतलूब तक रसाई हासिल न कर सकने का अफसोस उसे और ज़ियादा दुखी बना देता है, उस की रूह शदीद दुख के आलम में बिगैर किसी ज़ादे राह के निकलती है और उस के कदम कहीं नहीं टिकते । अमीरल मोमिनीन ! इस से बचते रहिये क्यूंकि दुनियादार जब इस की मसर्रत में डूब जाता है तो वो इसे दुख में मुब्तला कर देती है, इस में नुक्सान पाने वाला फ़रेब ज़दा है, इस में नफ़्अ पाने वाला दोहरा फ़रेब खुर्दा है क्यूंकि इस की वुस्अत मसाइब तक जा पहुंची है, इस का वुजूद आमादए फ़ना है, इस की खुशी दुखों में लिपटी हुई है, जो इस का हो जाता है वो वापस नहीं लौटता और अन्जाम से बे खबर रहता है इस की उम्मीदें झुटी, तमन्नाएं बातिल, इस का साफ़ गदला, इस की ऐश मुख़्तसर है, इन्सान अगर गौर करे तो वो इस के ख़तरात में घिरा हुवा है, इस की ने’मतें पुर खतर और इस के अलम हौलनाक हैं, अल्लाह तआला ने इस की तम्बीह की है और नसीहत फ़रमाई है, अल्लाह के यहां इस की कोई कद्र नहीं

और न अल्लाह तआला ने इस पर कभी रहमत की नज़र डाली है। नबिय्ये अकरम दुनियासल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के हुजूर में इस के ख़ज़ाने और इन की कुन्जियां पेश की गई मगर आप ने कबूल करने से इन्कार कर दिया क्यूंकि अल्लाह तआला के यहां इस की हैसिय्यत मच्छर के पर से भी कम है, अगर आप इसे कबूल फ़रमा लेते तब भी अल्लाह तआला के खज़ानों में कोई फ़र्क न आता, देखना ! कहीं इस की महब्बत में हुक्मे खुदा की मुखालफ़त न हो, इस की उल्फ़त में अल्लाह की नाराज़ी न हो और इसे इस के मालिक की मन्शा के मुखालिफ़ मकाम न मिले । अल्लाह तआला ने इसे बतौरे आजमाइश मोमिनों से फेर दिया और अपने दुश्मनों की फ़रेफ़्तगी की वज्ह से इन्हें दौलत से मालामाल कर दिया, जो बे वुकूफ़ इसे पा लेता है वोह समझता है कि शायद अल्लाह ने इसे इज्जत दे दी है और यह भूल जाता है कि अल्लाह तआला के महबूब नबी दुनियासल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने अपने शिकमे मुबारक पर पथ्थर बांधे थे।

मजम्मते दुनिया में एक और हदीसे कुदसी

हदीसे कुदसी है : अल्लाह तआला ने हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम से फ़रमाया कि जब तू दौलतमन्दी को अपनी जानिब आता देखे तो समझ लेना कि किसी गुनाह की सज़ा आ रही है और जब फ़करो फ़ाक़ा को देखे तो कह खुश आमदीद, क्यूंकि यह नेकों की अलामत है। ऐ लोगो ! अगर चाहो तो ईसा अलैहिस्सलाम के नक्शे कदम पर चलो जो फ़रमाया करते थे कि भूक मेरी खाल, खौफ़ मेरी आदत, ऊन मेरा लिबास, सर्दियों  में सूरज की किरनें मेरी आग, चांद मेरा चराग, दो पाउं मेरी सवारी और जमीन की सब्जियां मेरी गिजा हैं, न सुब्ह मेरे पास कुछ होता है और न शाम को कुछ होता है मगर दुनिया में मुझ से बढ़ कर कोई गनी नहीं है।

 

हज़रते वब बिन मुनब्बेह रहमतुल्लाह अलैह  कहते हैं कि जब अल्लाह तआला ने हज़रते मूसा और हारून अलैहिस्सलाम को फ़रऔन की तरफ़ भेजा तो फ़रमाया : उस की दुनियावी शानो शौकत से खौफ़ज़दा न होना वो मेरी इजाज़त के बिगैर न बोल सकता है, न सांस ले सकता है और न ही पलक झपका सकता है क्यूंकि उस की पेशानी मेरे हाथ में है और दुनिया से उस की नफ्अ अन्दोजी तुम को तअज्जुब में न डाले, यह चीज़ दुनिया की रौनक है और बेवकूफों की जीनत, अगर मैं चाहूं तो तुम्हें ऐसी जाहो हश्मत और दुनियावी कद्रो मन्ज़िलत दे कर भेजूं कि फ़िरऔन देखते ही अपने इज्ज़ का इकरार कर ले लेकिन मैं ने तुम से दुनिया को पोशीदा कर लिया है और तुम्हारी तवज्जोह इस से हटा दी है क्यूंकि मैं अपने दोस्तों को दुनियावी नेमतों से दूर कर देता हूं जैसे मेहरबान गडरिया अपनी बकरियों को हलाकत खैज़ चरागाहों से दूर रखता है और मैं उन्हें दुनिया के फरेब से बचाता हूं जैसे चरवाहा अपने ऊंटों को खतरनाक जगहों से बचाता है, यह उन की हिकारत के लिये नहीं है बल्कि इस लिये है कि वो मेरी बख़्शी हुई इज्जत से पूरा हिस्सा पा लें, मैं अपने दोस्तों को इन्किसारी, खौफ, दिलों के खुशूअ व खुजूअ और तकवा से मुज़य्यन करता हूं जिन का असर उन के जिस्मों पर नुमायां होता है, ये ही उन का लिबास है, ये ही उन का ज़ाहिर और ये ही उन का बातिन है, ये ही उन की मतलूबा नजात, तमन्नाएं, काबिले फ़ख्न इज्जत और पहचान है, जब तुम उन से मिलो, नर्म बरताव करो और उन के लिये दिल और ज़बान को सरापा तवाज़ोअ बनाओ और याद रखो ! जिस ने मेरे किसी दोस्त को ख़ौफ़ज़दा किया उस ने मुझे जंग की दावत दी और मैं कियामत के दिन उस पर ग़ज़बनाक होऊंगा।

हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने एक दिन खुतबा दिया और फ़रमाया : बा खबर रहो ! तुम मरने वाले हो, मौत के बाद फिर उठाए जाओगे और अपने आ’माल की जज़ा व सज़ा पाओगे, तम्हें दुनिया की जिन्दगी धोके में मुब्तिला न कर दे. यह मसाइब में लिपटी हुई, नापाएदारी में मशहूर, धोके से मौसूफ़ और इस की हर चीज़ ज़वाल पज़ीर है, यह अपने चाहने वालों में डोल की तरह है, हमेशा एक हालत में नहीं रहती, इस में उतरने वाला मसाइब से नहीं बच सकता. कभी तो यह  अपने चाहने वालों पर खुशी व मसर्रत बिखेरती है और कभी गम व अन्दोह से हम किनार कर देती है, इस की हालतें मुख्तलिफ़ हैं, यह अदलती बदलती रहती है, इस में आराम काबिले मज़म्मत और वुस्अते माल नापाएदार है, यह अपने बसने वालों को तीरों की तरह कमान से निकाल कर निशानों पर मारती रहती है और उन्हें मौत से हम किनार करती रहती है।

हर किसी की मौत का वक्त मुकर्रर है और हर शख्स को पूरा रिज्क दिया जाता है और ऐ बन्दगाने खुदा ! बा खबर रहो, तुम उस रास्ते के राही हो जिस पर तुम से पहले तवील उम्रों वाले गुज़र चुके हैं, वोह तुम से ज़ियादा ताकतवर, बेहतरीन कारीगर और उम्दा यादगारें छोड़ने वाले थे मगर दुनिया के इन्किलाब में उन की आवाजें खामोश हो गई, उन के जिस्म बोसीदा, शहर वीरान और यादगारें मिट गई और मज़बूत महल्लात और मसर्रत के बदले में उन्हें पथ्थरों के तक्ये मिले और पथ्थरों से तय्यार शुदा क़बें उन का मदफ़न बनीं, उन के ठिकाने करीब हैं लेकिन उन के मकीन दर के हैं. वोह अपने कबीलें से अलाहिदा और अहले महल्ले से बे परवा हैं, उन का आबादी से कोई तअल्लुक नहीं, अज़ीज़ों और पड़ोसियों के करीब होते हुवे भी उन का बाहम कोई मेल मिलाप नहीं है और मेल मिलाप हो भी कैसे सकता है ? उन्हें मसाइब की चक्कियों ने पीस दिया है और नमनाक मिट्टी और पथ्थर उन्हें खा गए हैं. वोह चन्द रोजा जिन्दगी गुजार कर मर गए, उन की खुशहाली किस्सए पारीना बन गई, उन की मौत पर उन के अज़ीज़ रोए और वोह मिट्टी के नीचे जा सोए, उन्हों ने दुनिया से कूच किया, अब उन्हें वापस नहीं आना है, अफसोस ! सद अफ्सोस ! गोया वो एक हुक्म से जो काइल की ज़बान से निकल चुका, अब लौट कर किस तरह आ सकता है और उन के सामने कियामत के दिन तक आलमे बरजख है गोया तुम भी वैसे ही हो जैसे वो हो चुके, वो ही  दुख, वो ही कब्र में तन्हाई है, तुम उन कब्रों के गिरवी हो और उन्हीं में तुम्हें रहना है, तुम पर क्या बीतेगी अगर तुम उन बातों को देख लो जब क़ब्र खोली जाएंगी, दिलों के राज़ सामने होंगे और तुम आ’माल की जज़ा हासिल करने के लिये रब तआला के हुजूर खड़े होंगे, गुज़श्ता गुनाहों पर तुम्हारे जिगर फटने को होंगे, तमाम पर्दे हट जाएंगे और तमाम गुनाह और राज़ की बातें तुम्हारे सामने होंगी, तब हर एक को उस के आ’माल का बदला दिया जाएगा।

फ़रमाने इलाही है : “ताकि बुरे अपनी बुराइयों की सज़ा और नेक अपनी अच्छाइयों की जज़ा पाएं।”

मजीद फरमाया कि “नामए आ’माल रखे जाएंगे हर नेक व बद इसे देखेगा।”

रब्बे जुल जलाल हमें और आप को अपने अहकामात पर अमल पैरा होने और अपने दोस्तों के नक्शे कदम पर चलने की तौफ़ीक़ दे ताकि हम उस की रहमत के तुफैल खुल्दे बरी को हासिल कर लें, बिला शुबा वोह हमीदो मजीद है।

बा’ज़ दानाओं का कौल है कि दिन तीर और लोग निशाने हैं। ज़माना हर दिन एक तीर फेंकता है और तुझे दिन रात की गर्दिश के फ़रेब में मुब्तला कर देता है, यहां तक कि तेरे तमाम अज्जा बोसीदा हो जाते हैं, मरूरे अय्याम में तेरी बक़ा और सलामती ना मुमकिन है, अगर तुझे अपने ऊपर गुज़रे हवादिसाते ज़माना की खबर लग जाए जिन्हों ने तेरे वुजूद को नुक्सान में डाला है तो तुझे हर आने वाला दिन ख़ौफ़ज़दा कर दे और एक एक लम्हा तुझ पर भारी हो जाए लेकिन अल्लाह तआला की तदबीर हर तदबीर से बाला है, उस ने इन्सानों को दुनियावी लज्जतों की मिठास में डाल दिया है हालांकि यह दुनिया हुन्ज़ल (तुम्मा) से भी ज़ियादा तल्ख बनाई गई है। हर मद्दाह इस की ज़ाहिरी शानो शौकत की वज्ह से इस के उयूब समझने में नाकाम रहा है और हर वाइज़ इस के अजाइबात को बढ़ा चढ़ा कर बयान करता है, ऐ अल्लाह ! हमें नेकी की हिदायत दे। आमीन !

किसी दाना से दुनिया और बक़ा के मुतअल्लिक़ पूछा गया : उस ने कहा : इस का वफ़ा चश्मे ज़दन जितना है क्यूंकि जो वक़्त गुज़र गया है वो वापस नहीं आएगा और मुस्तक्बिल का तुझे इल्म ही नहीं है, हर दिन गुज़श्ता रात की खबर सुनाता है और लम्हात के गुज़रने की दास्तान बयान करता है, हवादिसाते ज़माना इन्सान को मुतवातिर तग़य्युर और नुक्सान से हम किनार करते रहते हैं, ज़माना जमाअतों को मुन्तशिर और परा गन्दा कर देता है और दौलत को मुन्तकिल करता रहता है, उम्मीदें तवील और ज़िन्दगी थोड़ी है और अल्लाह ही की तरफ़ हर काम को रुजूअ होना है।

हजरते उमर बिन अब्दुल अजीज रज़ीअल्लाहो अन्हो  का खुतबा

हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने खुतबे में फ़रमाया : ऐ लोगो ! तुम एक खास मक्सद के लिये पैदा किये गए हो, अगर तुम इस की तस्दीक करते हो तो तुम बे वुकूफ़ हो क्यूंकि तुम्हारे आ’माल वैसे नहीं हैं और अगर तुम इसे झुटलाते हो तो हलाकत में पड़ गए हो, तुम्हें इस दुनिया में हमेशा नहीं रहना है बल्कि एक जगह से दूसरी जगह मुन्तकिल होना है, ऐ बन्दगाने खुदा ! तुम ऐसे घर में रहते हो जिस का खाना गले में फन्दा है और जिस का पीना उच्छू लगना है, अगर तुम एक ने’मत के हुसूल में खुश होते हो तो दूसरी ने’मत की जुदाई तुम्हें मगमूम कर देती है, उस घर को पहचानो जिस की तरफ़ तुम को लौटना है और जिस में तुम को हमेशा रहना है, फिर आप रोते हुवे मिम्बर से उतर आए।

हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने अपने खुतबे में फ़रमाया : “मैं तुम्हें अल्लाह तआला से डरने और दुनिया को छोड़ने की वसिय्यत करता हूं, दुनिया तुम्हें छोड़ने वाली है मगर तुम उस से चिमटे हुवे हो, वो तुम्हारे अजसाम बोसीदा करती जा रही है और तुम उसे नया करने की फ़िक्र में हो, तुम्हारी मिसाल एक मुसाफ़िर की है, दुनिया में तुम सफ़रे आखिरत के लिये जादे राह तय्यार करने आए हो जिस तरह मुसाफ़िर को सफ़र के दरमियान आराम नहीं होता और वो शबो रोज़ तै मनाज़िल के लिये कदम मारता चला जाता है, इसी तरह दुनिया में करार नहीं लेना चाहिये और शबो रोज़ आ’माले सालेहा के क़दमों से सफ़रे आखिरत ते करना चाहिये।

बहुत से इन्सान ऐसे हैं जिन की अजल करीब आ गई और कुछ ऐसे हैं जिन की जिन्दगियों में से अभी एक ही दिन बाकी है, इसे तलाश करने वाला इस की तमन्ना में इसे छोड़ जाता है लिहाज़ा इस के दुख तक्लीफ़ पर वावेला मत करो क्यूंकि यह सब चीजें अन करीब ख़त्म होने वाली हैं, इस के मालो दौलत पर खुशी न मनाओ क्यूंकि यह अन करीब जाइल हो जाएगी, तालिबे दुनिया पर हैरानगी है कि वो दुनिया तलाश कर रहा है और मौत उस की तलाश में है, वो मौत से गाफ़िल है मगर मौत उस से गाफिल नहीं है।

अरबाबे तरीक़त का दुनिया के हुसूल में तरीकए कार

हज़रते मुहम्मद बिन अल हुसैन रज़ीअल्लाहो अन्हो  का कौल है कि जब अहले इल्मो फज्ल, साहिबे अदबो मारिफ़त लोगों को मालूम हुवा कि अल्लाह तआला ने दुनिया की मज़म्मत की है, वो उस के हुजूर में इन्तिहाई ज़लील चीज़ है और वो इसे अपने दोस्तों के लिये पसन्द नहीं करता और हुजूर दुनियासल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने इस से किनारा कशी पसन्द फ़रमाई है और सहाबए किराम रज़ीअल्लाहो अन्हो  को इस के फ़रेब से बचने की ताकीद की तो अहले इल्म हज़रात ने इस से दरमियानी हिस्सा लिया, बाकी को अल्लाह की राह में बांट दिया, वो कुते ला-यमूत (थोड़ी रोज़ी)  पर राजी हो गए और बाकी को छोड़ दिया, उन्हों ने मामूली कपड़ों से तन ढांपा, मामूली गिजा से भूक मिटाई और दुनिया को फ़ानी और आख़िरत को बाकी समझते हुवे वो दुनिया से एक सवार का ज़ादे राह ले कर चले, उन्हों ने दुनिया को वीरान और आखिरत को आबाद कर लिया और वो सरापा आखिरत की तरफ़ मुतवज्जेह हो गए जिस के मुतअल्लिक उन्हें यक़ीन था कि वो अन करीब इसे पा लेंगे और वो दिली तौर पर आखिरत की तरफ़ कूच कर गए जिस के मुतअल्लिक उन्हें कामिल यकीन था कि वो अन करीब अपने जिस्मों समेत उधर ही जाएंगे जहां वो तवील नेमतें हासिल करेंगे और मसाइब से उन्हें कोई वासता नहीं होगा और सब कुछ अल्लाह की तौफ़ीक़ से होगा जिस की पसन्द उन्हों ने अपनी पसन्द और जिस की ना पसन्दीदगी को उन्हों ने ना पसन्द समझ लिया है।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

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तर्के दुनिया – दुनिया को छोड़ देना

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 

कुरआने मजीद में दुनिया की मज़म्मत और दुनिया से तवज्जोह हटा कर आखिरत की जानिब माइल करने के लिये बे शुमार आयात हैं बल्कि अम्बियाए किराम की को भेजने का सबब येही चीज़ थी, कुरआने मजीद की आयात इतनी मशहूर हैं कि यहां इन के ज़िक्र से सिर्फ नज़र कर के सिर्फ बा’ज़ अहादीस के ज़िक्र पर ही इक्तिफ़ा (बस) करता हूं।

मजम्मते दुनिया में चन्द अहादीस – दुनिया के बारे में हदीस

मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का एक मुर्दा बकरी के पास से गुज़र हुवा। आप ने फ़रमाया : क्या यह  बकरी अपने मालिक को पसन्द है ? सहाबए किराम ने अर्ज़ की : इस की बदबू ही की वज्ह से तो यहां फेंक दिया गया है। आप ने फ़रमाया : ब खुदा ! दुनिया अल्लाह तआला के यहां इस मुर्दा बकरी से भी ज़ियादा बे वक़ार है, अगर अल्लाह तआला के यहां दुनिया का मक़ाम मच्छर के पर के बराबर भी होता तो कोई काफ़िर इस दुनिया से एक बूंद भी पानी न पी सकता।

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना और काफ़िर के लिये जन्नत है।

मजीद फ़रमाया : दुनिया मलऊन है, इस की हर वोह चीज़ मलऊन है जो अल्लाह के लिये न हो।

हज़रते अबू मूसा अश्अरी रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है कि हुजूर रहमतुल्लाह अलैह  ने फ़रमाया : जिस ने दुनिया से महब्बत की उस ने आखिरत को नुक्सान पहुंचाया और जिस ने आख़िरत से महब्बत की उस ने दुनिया को किसी लायक न समझा, तुम फ़ानी दुनिया पर बाक़ी रहने वाली चीज़ों को तरजीह दो।

फ़रमाने नबवी है कि दुनिया की महब्बत हर बुराई की बुन्याद है।

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हजरते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो  की अश्कबारी

हज़रते जैद बिन अरकम रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है कि हम हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ीअल्लाहो अन्हो  के मकान पर बैठे हुवे थे, आप ने पानी मंगवाया तो पानी और शहद हाज़िर किया गया, आप जब इसे मुंह के करीब ले गए तो बे इख्तियार रोने लगे, यहां तक कि पास बैठे हुवे सब सहाबए किराम भी रोने लगे, कुछ देर बाद आप ने फिर पीने का इरादा फ़रमाया मगर शहद और पानी देख कर दोबारा रोने लग गए यहां तक कि सहाबए किराम ने ख़याल किया कि शायद हम इस गिर्या की वज्ह दरयाफ़्त नहीं कर सकेंगे, जब आप ने अपने आंसू साफ़ किये तो सहाबए किराम ने अर्ज़ किया : ऐ ख़लीफ़तुर्रसूल ! आप के रोने का बाइस क्या था ? आप ने फ़रमाया : एक मरतबा मुझे रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की हमराही का शरफ़ नसीब हुवा, आप अपने जिस्मे मुबारक से किसी नज़र न आने वाली चीज़ को रफ्अ फ़रमा रहे थे, मैं ने अर्ज किया : हुजूर ! आप किस चीज़ को हटा रहे हैं ? आप ने फ़रमाया : मेरे पास अभी दुनिया आई थी, मैं ने उसे कहा : मुझ से दूर रहो ! वोह लौट गई है और यह कह गई है कि आप ने मुझ से किनारा कशी फ़रमा ली है मगर बाद में आने वाले ऐसा नहीं कर सकेंगे।

फ़रमाने नबवी है कि ऐसे इन्सान पर इन्तिहाई तअज्जुब है जो बिहिश्त पर ईमान रखते हुवे दुनिया के हुसूल में सरगर्म है।

दुनिया की एक तमसील मिसाल

मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम एक नज़ीला (कूड़े के ढेर) के करीब खड़े हुवे और फ़रमाया : दुनिया की तरफ़ आइये, आप ने एक पुराना चिथड़ा और बोसीदा हड्डी दस्ते मुबारक में ले कर फ़रमाया : यह  दुनिया है ।

इस तमसील से इस अम्र की तरफ़ इशारा था कि दुनिया की जीनत इस चिथड़े की तरह पुरानी हो जाएगी और चलते फिरते इन्सान की हड्डियां इस हड्डी की तरह बोसीदा हो जाएंगी।

फ़रमाने नबवी है : दुनिया सब्ज़ (खुश आयिन्द) और शीरीं है, अल्लाह तआला ने तुम्हें अपना ख़लीफ़ा बना कर भेजा है और वो तुम्हारे आ’माल से बा ख़बर है। बनी इस्राईल पर जब दुनिया फ़राख कर दी गई तो उन्हों ने अपनी तमाम तर कोशिशें जेवरात, कपड़ों, औरतों और इत्रियात के लिये वक्फ़ कर दी थीं (और उन का अन्जाम तुम ने देख लिया.

हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम का फ़रमान है कि दुनिया को मा’बूद बना कर उस के बन्दे न बन जाओ, अपना खज़ाना उस ज़ात के यहां जम्अ करो जो किसी की कमाई को जाएअ नहीं करता, दुनियावी ख़ज़ानों के लिये तो ख़ौफ़े हलाकत होता है मगर जिस के ख़ज़ाने ख़ुदा के यहां जम्अ हों वो कभी तबाह नहीं होंगे।

आप ने मजीद फ़रमाया : ऐ मेरे हवारियो ! मैं ने दुनिया को औंधे मुंह डाल दिया है तुम मेरे बाद कहीं इसे गले न लगा लेना, दुनिया की सब से बड़ी बुराई यह  है कि इस में आदमी अल्लाह का नाफ़रमान बन जाता है और इसे छोड़े बिगैर आखिरत की भलाई ना मुमकिन है दुनिया में दिलचस्पी न लो, इसे इब्रत की निगाह से देखो और बा खबर रहो, दुनिया की महब्बत हर बुराई की अस्ल है और एक लम्हे की ख्वाहिशे नफ़्सानी अपने पीछे तवील पशेमानी छोड़ जाती है और फ़रमाया कि दुनिया तुम्हारे लिये सवारी बनाई गई और तुम इस की पुश्त पर सवार हो गए तो अब बादशाह और औरतें तुम्हें इस से न उतार दें, रहा बादशाहों का मुआमला तो उन से दुनिया की वज्ह से मत झगड़ो, वह तुम्हारी दुनिया और तुम्हारी पसमांदा चीज़ों को तुम्हें वापस न करेंगे, रही औरतें तो उन से सौमो सलात (नमाज़ रोज़े) से होशयार रहो।

मजीद फ़रमाया : दुनिया तालिब भी है और मतबूल भी है, जो खुशनूदिये खुदा का तालिब होता है दुनिया उस की तालिब रहती है और उसे रिज्क बहम पहुंचाती है और जो दुनिया का तालिब होता है उसे आखिरत तलब करती है और मौत उसे गुद्दी से पकड़ कर ले जाती है।

हज़रते मूसा बिन यसार रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि अल्लाह तआला को अपनी मख्लूक में सब से ज़ियादा ना पसन्द यही दुनिया है, अल्लाह ने इसे जब से पैदा फ़रमाया है कभी नज़रे रहमत से नहीं देखा ।

रिवायत है कि हज़रते सुलैमान बिन दावूद अलैहिस्सलाम  एक मरतबा अपने तख्त पर कहीं जा रहे थे, परिंदे आप पर साया कर रहे थे, इन्सान और जिन्नात आप के दाएं बाएं बैठे थे, बनी इस्राईल के एक आबिद ने देख कर कहा : ऐ सुलैमान ! ब खुदा ! अल्लाह ने आप को मुल्के अज़ीम दिया है। आप ने यह  सुन कर फ़रमाया कि बन्दए मोमिन के नामए आ’माल में दर्ज सिर्फ एक तस्बीह मेरी तमाम सल्तनत से बेहतर है क्यूंकि यह  सब फ़ानी है मगर तस्बीह बाकी रहने वाली है।

फ़रमाने नबवी है : तुम्हें माल की कसरत ने मश्गूल रखा है, इन्सान कहता है मेरा माल, मेरा माल, मगर अपने माल में, जो तू ने खाया वो ख़त्म हो गया, जो पहना वो पुराना हो गया, जो राहे खुदा में खर्च किया वो ही  बाकी रहेगा।

फ़रमाने नबवी है : “दुनिया उस का घर है जिस का कोई घर न हो, उस का माल है जिस का कोई माल न हो, बेवुकूफ़ ही इसे जम्अ करता है, बे इल्म ही इस के लिये झगड़ता है ना समझ ही इस के लिये दुश्मनी और हसद करता है और बे यकीन ही इस के हुसूल की कोशिश करता है।”

फ़रमाने नबवी है : जिस की सब से बड़ी तमन्ना हुसूले दुनिया है, अल्लाह तआला के यहां उस का कोई हिस्सा नहीं है, अल्लाह तआला ऐसे के दिल पर चार चीज़ों को मुसल्लत कर देता है, दाइमी गम, दाइमी मश्गूलिय्यत, दाइमी फ़क्र और कभी न पूरी होने वाली आरजूएं।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है : मुझ से हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : तुझे दुनिया की हक़ीक़त दिखलाऊं ? मैं ने अर्ज की : हां या रसूलल्लाह ! आप सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम मेरा हाथ पकड़ कर मुझे मदीने की एक वादी में ले गए जहां कूड़ा पड़ा था और उस में गन्दगी, चीथड़े और इन्सान के सर की बोसीदा हड्डियां थीं। आप सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : “ऐ अबू हुरैरा ! यह  सर भी तुम्हारे सरों की तरह हरीस थे और इन में तुम्हारी तरह बहुत आरजूएं थी मगर आज यह  खाली हड्डियां बन चुकी हैं, जिन पर खाल भी नहीं रही और अन करीब यह  मिट्टी हो जाएंगे, यह  गन्दगी इन के खानों के रंग हैं जिन्हें इन्हों ने कमा कमा कर खाया, आज लोग इन से मुंह फेर कर गुज़रते हैं, यह  पुराने चीथड़े जो कभी इन के मल्बूसात थे, आज हवा इन्हें उड़ाए फिरती है और यह  इन की सवारियों की हड्डियां हैं जिन पर सवार हो कर यह  शहर शहर घूमा करते थे, जो इस दर्दनाक अन्जाम पर रोना पसन्द करता हो उसे रोना चाहिये ।” हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो  फ़रमाते हैं : फिर मैं और हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम बहुत रोए

रिवायत है कि जब आदम को ज़मीन पर उतारा गया तो अल्लाह तआला ने फ़रमाया : तबाही के लिये इमारतें बनाओ और मौत के लिये बच्चे पैदा करो।

हज़रते दावूद बिन हिलाल रहमतुल्लाह अलैह  से मरवी है कि हज़रते इब्राहीम . के सहीफ़ों में मरकूम है कि ऐ दुनिया ! तू “नेककारों” की नज़र में अपनी तमाम तर जैबो जीनत के बा वुजूद बे वकार है, मैं ने उन के दिलों में तेरी अदावत और तुझ से बे तवज्जोगी रख दी है, मैं ने तुझ जैसी बे वकार कोई और चीज़ नहीं पैदा की, तेरी हर अदा झूटी और फ़ानी है, मैं ने तेरी पैदाइश के वक्त फैसला फ़रमा दिया था कि न तू किसी के पास हमेशा रहेगी और न ही वो हमेशा रहेगा, अगर्चे तुझे पाने वाला कितना ही बुख़्ल करता रहे, नेककारों के लिये मेरी बिशारत है, जिन के दिल मेरी रज़ा पर राज़ी हैं और जिन के दिल सिद्क़ व इस्तिकामत का गहवारा हैं, उन के लिये खुश खबरी है कि जब वो कब्रों से गरौह दर गरौह उठेंगे तो मैं उन्हें यह  जज़ा दूंगा कि उन के आगे नूर होगा और फ़रिश्ते उन्हें घेरे हुवे उन की तमन्नाओं के मर्कज़ या’नी बिहिश्त में पहुंचाएंगे। – हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का फ़रमान है : दुनिया ज़मीनो आसमान के दरमियान मुअल्लक है। इसे अल्लाह तआला ने जब से पैदा फ़रमाया है कभी नज़रे रहमत से नहीं देखा, कियामत के दिन दुनिया बारगाहे खुदावन्दी में अर्ज करेगी : मुझे अपने दोस्तों के मुक़द्दर में लिख दे। रब फ़रमाएगा : मैं दुनिया में इस मिलाप को ना पसन्द करता था और आज भी इसे ना पसन्द करता हूं।

हजरते आदम अलैहिस्सलाम की हैरानी व सरगर्दानी

मरवी है कि जब हज़रते आदम ने ममनूआ शजर से खा लिया तो इन्हें पेट में गिरानी महसूस हुई हालांकि जन्नत की ने’मतों में यह  बात नहीं है। हज़रते आदम अलैहिस्सलाम क़ज़ाए हाजत के लिये चारों तरफ़ हैरान फिर रहे थे कि अल्लाह तआला के हुक्म से फ़रिश्ता हाज़िर हुवा और कहने लगा : आदम ! हैरान क्यूं फिर रहे हो? आप ने फ़रमाया : मैं अपने पेट की गिरानी ख़त्म करना चाहता हूं, फ़रिश्ता बोला : इस गिरानी को कहां डालोगे ? जन्नत के फर्श पर, तख्तों पर, दरख्तों के साये में, जन्नत की नहरों के किनारों पर ? जन्नत में इन चीजों की कोई जगह नहीं, आप दुनिया में चले जाएं।

फ़रमाने नबी सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम है कि क़ियामत के दिन ऐसे लोग आएंगे जिन के आ’माले हसना तहामा के पहाड़ों के बराबर होंगे, मगर उन्हें जहन्नम की तरफ़ ले जाया जाएगा। सहाबए किराम रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने पूछा : वो नमाज-रोज़ा अदा करने वाले होंगे ? फ़रमाया : हां ! वो रोज़ादार और रात का एक हिस्सा इबादत में गुजारने वाले होंगे मगर वोह दुनिया के चाहने वाले होंगे।

फ़रमाने नबी सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम है : बन्दए मोमिन दो खौफ़ों के दरमियान रहता है, आ’माले गुज़श्ता पर फ़िक्रमन्द रहता है और आने वाले वक़्त के लिये परेशान रहता है कि अल्लाह तआला की क़ज़ा व क़द्र में मेरे लिये क्या मरकूम है । बन्दा अपनी ज़िन्दगी से अपने लिये भलाई पैदा करे, अपनी दुनिया से आख़िरत को संवारे, हयात से मौत को और जवानी से बुढ़ापे को आरास्ता करे क्यूंकि दुनिया तुम्हारे लिये और तुम आखिरत के लिये बनाए गए हो, रब्बे जुल जलाल की कसम ! जिस के कब्जए कुदरत में मेरी जान है, मौत के बाद बन्दे के लिये और कोई तकलीफ़ देह चीज़ नहीं है और दुनिया के बाद बिहिश्त या दोज़ख़ के सिवा कोई और ठिकाना नहीं है।

हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम का फ़रमान है कि जिस तरह एक बरतन में आग और पानी जम्अ नहीं हो सकते इसी तरह एक दिल में दुनिया और आख़िरत की महब्बत जम्अ नहीं हो सकती।

मरवी है कि हज़रते जिब्रील ने नूह अलैहिस्सलाम से पूछा कि आप ने तो बहुत तवील उम्र पाई है, यह  फ़रमाएं कि आप ने दुनिया को कैसा पाया ? आप ने फ़रमाया : “दुनिया एक सराए है जिस के दो दरवाज़े हैं, एक दरवाजे से दाखिल हुवा और दूसरे दरवाजे से मैं निकल गया।”

हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम से कहा गया कि आप अपनी रिहाइश के लिये घर क्यूं नहीं बनाते ? आप ने फ़रमाया  गुज़श्ता लोगों के यह  पुराने मकान मेरी रिहाइश के लिये बहुत हैं।

फ़रमाने नबवी है कि दुनिया से डरो, यह  हारूत व मारूत से भी ज़ियादा जादूगर है।

हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम सहाबए किराम में तशरीफ़ लाए और फ़रमाया : कौन है जो अल्लाह तआला से अन्धेपन का नहीं बल्कि बसारत का सुवाल करता है ? बा ख़बर हो जाओ ! जो दुनिया की तरफ़ माइल हो गया और इस से बे इन्तिहा उम्मीदें रखने लगा उस का दिल अन्धा हो गया और जिस ने दुनिया से किनारा कशी कर ली और इस से कोई मख्सूस उम्मीदें न रखीं, अल्लाह तआला ने उसे नूरे बसीरत अता फ़रमा दिया, वो ता’लीम के बिगैर इल्म और तलाश के बिगैर हिदायत याब हो गया । तुम्हारे बा’द एक कौम आएगी जिन की सल्तनत की बुन्याद क़त्ल और जोरो जफ़ा पर होगी, जिन की अमीरी व तमव्वुल बुख़्ल व तकब्बुर से भरपूर होगी और नफ़्सानी ख्वाहिशात के सिवा उन्हें किसी चीज़ से महब्बत नहीं होगी। ख़बरदार तुम में से कोई अगर वो वक्त पाए और मालदारी की कुव्वत रखते हुवे फ़क़र पर राजी हो जाए, महब्बत पा सकने के बा वुजूद उन से अदावत पर राजी रहे और रिजाए इलाही में इज्जत हासिल कर सकने के बा वुजूद तवाज़ोअ से ज़िन्दगी बसर करे तो अल्लाह तआला उसे पचास सिद्दीकों का दरजा देगा।

मरवी है कि एक मरतबा हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम  सख़्त बारिश में घिर गए, आप को पनाह तलाश करते हुवे एक खैमा नज़र आया, जब करीब पहुंचे तो देखा कि उस में एक औरत बैठी हुई है, वापस लौटे तो पहाड़ का एक गार नज़र आया, वहां जा कर देखा तो एक शेर खड़ा था। आप ने उस पर हाथ रखा और अर्ज की : ऐ रब्बे जुल जलाल ! तू ने हर चीज़ का ठिकाना बनाया है, मगर मेरा कोई ठिकाना नहीं है। रब तआला ने फ़रमाया : तेरा ठिकाना मेरी रहमत है, मैं कियामत के दिन अपने दस्ते कुदरत से पैदा कर्दा सो हूरों से तेरा अक्द करूंगा और तेरी दा’वते वलीमा चार हज़ार साल जारी रहेगी, हर साल के दिन दुनिया की ज़िन्दगी के बराबर होंगे और निदा करने वाला मेरे फ़रमान से निदा करेगा : ऐ दुनिया से किनारा कशी करने वालो ! आओ और ज़ाहिदे आज़म ईसा बिन मरयम अलैहिस्सलाम की शादी देखो।

हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम का फ़रमान है कि तालिबे दुनिया के लिये हलाकत हो, वो दुनिया को कैसे छोड़ कर मरेगा जिस की सारी तवज्जोह, ए’तिमाद और भरोसा इसी दुनिया पर है, यह  लोग अपनी नापसन्दीदा चीज़ (मौत) का कैसे मुकाबला करेंगे जो इन्हें महबूब चीजों से जुदा कर देगी और जिस के बारे में इन को पहले से ही बता दिया गया था, हलाक हो वो शख्स जिस की तमाम तर कोशिशें हुसूले दुनिया के लिये हैं, जिस के आ’माल गुनाहों पर मुश्तमिल हैं वो कल कियामत के दिन अपने गुनाहों से कैसे रिहाई पाएगा?

अल्लाह तआला ने हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम की तरफ़ वहय की : ऐ मूसा ! तुम्हारा ज़ालिमों के घर से क्या तअल्लुक ? तुम अपनी तवज्जोह और तअल्लुक इस दुनिया से जो बहुत बुरा घर है, हटा लो, यह  सिर्फ उसी के लिये अच्छी है जो इस में रह कर अपने ख़ालिक को राजी कर लेता है, ऐ मूसा ! मैं हर मज़लूम को ज़ालिम से उस का हक़ दिलाऊंगा।

सरवरे कौनैन सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का अन्सार से खिताब

मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हज़रते अबू उबैदा बिन ज़र्राह रज़ीअल्लाहो अन्हो  को बहरैन भेजा, वो वहां से मालो दौलत ले कर आए, जब अन्सार को उन की आमद की इत्तिलाअ मिली तो वो सब सुब्ह की नमाज़ में हाज़िर हुवे, नमाज़ से फ़ारिग हो कर हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने उन्हें देखा तो हुजूर ने मुस्कुरा कर फ़रमाया : शायद तुम्हें अबू उबैदा के माल ले कर आने की खबर मिल गई है। उन्हों ने अर्ज की : जी हां ! आप ने फ़रमाया : “तुम्हें मुबारक हो ! रब्बे जुल जलाल की कसम ! मुझे तुम्हारे बारे में फ़को फ़ाका का खौफ़ नहीं है बल्कि मैं उस वक्त से डरता हूं जब तुम पर पहली उम्मतों की तरह दुनिया फ़राख हो जाएगी और तुम इस में पहली उम्मतों की तरह मश्गूल हो कर हलाक हो जाओगे ।

हज़रते अबू सईद खुदरी रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : “मैं अक्सर इस बात का अन्देशा करता हूं जब अल्लाह तआला तुम पर यह  दुनिया अपनी तमाम फ़ितना सामानियों के साथ फ़राख कर देगा।”

फरमाने नबवी है : अपने दिलों को दुनिया की याद में न लगाओ। आप ने दुनिया की याद से मन्अ कर दिया है जब कि इन्सान अपनी तमाम तर तवज्जोह इसी पर मरकूज़ कर दे।

बेगौर और कफ़न लाशें

हज़रते अम्मार बिन सईद रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है कि हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम का एक ऐसी बस्ती से गुज़र हुवा जिस के मकीन मुख्तलिफ़ अतराफ़ और रास्तों पर मुर्दा पड़े हुवे थे। आप ने अपने हवारियों से फ़रमाया : यह  लोग अल्लाह तआला की नाराज़ी का शिकार हैं वरना इन्हें ज़रूर दफ्न किया जाता । हवारियों ने अर्ज़ की : हम चाहते हैं कि हमें इन के हालात का पता चल जाए, हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम ने रब तआला से दुआ मांगी तो रब्बे जुल जलाल ने फ़रमाया : जब रात आ जाए तो इन से पूछना, यह  अपनी हलाकत का सबब बताएंगे। जब रात हुई तो हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम ने कहा : ऐ बस्ती वालो ! एक आवाज़ आई : लब्बैक या रूहुल्लाह ! आप ने पूछा : तुम्हारी यह  हालत क्यूं है और इस अज़ाब के नुजूल का बाइस क्या है ? जवाब आया : हम ने आफ़िय्यत की ज़िन्दगी गुज़ारी और जहन्नम के मुस्तहिक़ क़रार पाए, इस लिये कि हम दुनिया से महब्बत रखते थे और गुनहगारों की पैरवी किया करते थे। आप ने पूछा : तुम्हें दुनिया से कैसी महब्बत थी ? जवाब आया : जैसे मां को बच्चे से महब्बत होती है, जब हमारे पास दुनिया आ जाती हम निहायत मसरूर होते और जब दुनिया चली जाती तो हम निहायत गमगीन हो जाते । आप ने फ़रमाया : क्या वज्ह है कि सिर्फ तू ही जवाब दे रहा है और तेरे बाकी साथी ख़ामोश हैं ? जवाब मिला : ताक़तवर पुर हैबत फ़रिश्तों ने इन को आग की लगामें डाली हुई है। आप ने फ़रमाया : फिर तू कैसे जवाब दे रहा है ? जवाब मिला : मैं इन में रहता ज़रूर था मगर इन जैसी बद आ’मालियां नहीं करता था, जब अज़ाबे इलाही आया तो मैं भी इस की लपेट में आ गया, अब मैं जहन्नम के किनारे पर लटका हुवा हूं, क्या खबर इस से नजात पाता हूं या इस में गिर जाता हूं। हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम ने हवारियों को फ़रमाया : नमक से जव की रोटी खाना, फटा पुराना कपड़ा पहनना और कूड़े के ढेर पर सो जाना, दुनिया और आखिरत की भलाई के लिये बहुत उम्दा है।

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की अज़बा नामी ऊंटनी थी जो तेज़ रफ़्तारी में सब से उम्दा थी, एक दफ़्आ एक बदवी की ऊंटनी इस से आगे निकल गई जिस की वज्ह से सहाबा को बहुत अफ्सोस हुवा, आप ने फ़रमाया : यह  कानूने कुदरत है कि हर कमाल को जवाल नसीब होता है।

हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : “कौन है जो समन्दर की लहरों पर इमारत बनाए ! यह  दुनिया इसी तरह है तुम इसे जाए करार न बनाओ।

हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम से कहा गया : हमें एक ऐसी चीज़ बतलाइये जिस के सबब अल्लाह तआला हमें महबूब बना ले, फ़रमाया : तुम दुनिया से अदावत रखो, अल्लाह तआला तुम्हें महबूब रखेगा।

हज़रते अबुदरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जो कुछ मैं जानता हूं अगर तुम जानते तो कम हंसते और जियादा रोते और दुनिया पर आखिरत को तरजीह देते ।

हजरते अबुदरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो  का मुसलमानों से खिताब

हज़रते अबुदरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने फ़रमाया : ऐ लोगो ! जो कुछ मैं जानता हूं अगर तुम जानते तो आबादी छोड़ कर वीरान टीलों की तरफ निकल जाते और अपने को रियाज़त में मश्गूल करते, गिर्या व जारी करते और ज़रूरी सामान के इलावा तमाम मालो मताअ छोड़ देते, लेकिन दुनिया तुम्हारे आ’माल की मालिक बन गई है और दुनिया की उम्मीदों ने तुम्हारे दिल से आखिरत की याद मिटा कर रख दी है, और तुम (इस के लिये) जाहिलों की तरह सरगर्दी हो, तुम में से बाज़ लोग जानवरों से भी बदतर हैं, जो अपनी ख्वाहिशात में अन्धे बन कर अन्जाम की फ़िक्र नहीं करते, तुम सब “दीनी भाई” होते हुवे एक दूसरे से महब्बत नहीं करते हो और न ही एक दूसरे को नसीहत करते हो, तुम्हारे खबसे बातिन ने तुम्हारे रास्ते जुदा कर दिये हैं, अगर तुम सिराते मुस्तकीम पर चलते तो ज़रूर बाहम महब्बत करते, तुम दुनियावी उमूर में तो बाहम मश्वरे करते हो मगर आख़िरत के उमूर में मश्वरा नहीं करते और तुम उस ज़ात से महब्बत नहीं रखते जो तुम्हें महबूब रखता है और तुम्हें आखिरत की भलाई की तरफ़ ले जाना चाहता है।

यह  सब इस लिये है कि तुम्हारे दिलों में ईमान कमज़ोर पड़ चुका है, अगर तुम आख़िरत की भलाई और बुराई पर यकीन रखते जैसे दुनियावी ऊंच नीच पर यकीन रखते हो तो तुम दुनिया पर आख़िरत को तरजीह देते क्यूंकि आखिरत तुम्हारे आ’माल की मालिक है। अगर तुम यह  कहो कि हम पर दुनिया की महब्बत गालिब है तो यह  तुम्हारा बेकार बहाना है क्यूंकि तुम मुकर्ररा मीआद पर आने वाली आखिरत पर इस दुनिया को तरजीह दे रहे हो और अपने जिस्म को उन कामों से दुख दर्द झेलने पर मजबूर कर रहे हो जिन्हें तुम कभी भी नहीं पा सकते, तुम बड़े ना हन्जार हो, तुम ईमान की हक़ीक़त को पहचानते ही नहीं। अगर तुम्हें मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की लाई हुई किताब (कुरआने मजीद) में शक है तो हमारे पास आओ ! हम तुम्हारी ऐसे नूर की तरफ़ राहनुमाई करेंगे जिस से तुम्हारे दिल मुतमइन हो जाएं, ब खुदा ! तुम कम अक्ली का बहाना बना कर जान नहीं छुड़ा सकते क्यूंकि दुनियावी उमूर में तुम पुख्ता राय वाले हो और इन्हें ब खूबी सर अन्जाम दे रहे हो। तुम्हें क्या हो गया है ! तुम मा’मूली सी दुनिया पर खुश हो जाते हो और मामूली से दुनियावी नुक्सान पर इन्तिहाई रन्जीदा हो जाते हो, तुम्हारे चेहरे और ज़बानें दुख की मुज़हिर है और तुम इसे मुसीबत कहते हो और तुम दुनिया पर गुनाहों से आलूदा ज़िन्दगी बसर करते हो और दीन के अक्सर अहकामात को नज़र अन्दाज़ कर देते हो और इस से न तुम्हारे चेहरों पर शिकन आती है और न ही तुम्हारी हालत में कोई तग़य्युर पैदा होता है। ऐसा मा’लूम होता है जैसे अल्लाह तआला तुम से बरी हो, तुम बाहम महब्बत रखते हो, मगर अल्लाह तआला के हुजूर हाज़िरी को अपनी बद आ’मालियों की वज्ह से बहुत बुरा समझते हो, तुम ख़ाइन बन गए और उम्मीदों के पीछे दौड़ने लगे और मौत का इन्तिज़ार ख़त्म कर दिया। मैं अल्लाह तआला से दुआ मांगता हूं : वो मुझे तुम से अलाहिदगी बख़्शे और मुझे अपने महबूब की ख़िदमत में पहुंचा दे। अगर तुम में नेक बनने की तड़प है तो मैं तुम्हें बहुत कुछ बता चुका, अल्लाह तआला से ने मतों का सवाल करो, बहुत आसानी से पा लोगे, मैं अपने और तुम्हारे लिये अल्लाह से दुआ मांगता हूं।

 

हजरते ईसा अलैहिस्सलाम का एक नासिहाना इरशाद

हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम ने अपने हवारियों से फ़रमाया : जिस तरह दुनियादार दुनिया की चाहत में मामूली से दीन पर राजी हैं तुम भी दीन की सलामती के लिये मामूली सी दुनिया पर राजी हो जाओ।

इसी मौजूअ पर किसी शाइर ने कहा है :

मैं ने लोगों को देखा है वोह थोड़े से दीन पर राजी हो गए मगर थोड़ी सी दुनिया पर राज़ी नहीं हुवे। जिस तरह दुनियादार दुनिया के बदले दीन से बे नियाज़ हो गए हैं तू भी दीन के बदले दुनिया से बे नियाज़ हो जा।

हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : ऐ दुनिया को सोने चांदी के लिये तलब करने वाले ! तर्के दुनिया बहुत उम्दा चीज़ है।

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : मेरे बाद तुम पर दुनिया आएगी और तुम्हारे ईमान को ऐसे खा जाएगी जैसे आग लकड़ियों को खा जाती है।

दुनिया की महब्बत सब से बड़ा गुनाह है।

अल्लाह तआला ने हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम की तरफ़ वहय की : ऐ मूसा ! दुनिया की महब्बत में मश्गूल न होना, मेरी बारगाह में इस से बड़ा कोई गुनाह नहीं है।

रिवायत है कि हज़रते मूसा एक रोते हुवे शख्स के पास से गुज़रे, जब आप वापस हुवे तो वो शख्स वैसे ही रो रहा था, मूसा ने बारी तआला से अर्ज किया : या अल्लाह ! तेरा बन्दा तेरे खौफ़ से रो रहा है, अल्लाह तआला ने फ़रमाया : मूसा ! अगर आंसू के रास्ते इस का दिमाग बाहर निकल आए और इस के उठे हुवे हाथ टूट जाएं तब भी मैं इसे नहीं बख्शुन्गा क्यों  कि यह  दुनिया से महब्बत रखता है।

हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो  का क़ौल है कि जिस शख्स में छे आदतें पाई जाती हैं, वो नारे जहन्नम से दूर और जन्नत का तालिब है

अल्लाह को पहचान कर उस की इबादत की।

शैतान को पहचान कर उस की मुखालफ़त की।

हक़ को पहचान कर उस की इत्तिबा की।

बातिल को पहचान कर उस से इजतिनाब किया। दुनिया को पहचान कर उसे तर्क कर दिया। और आखिरत को पहचान कर उस का तलबगार रहा।

हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो  का क़ौल है कि अल्लाह तआला ने उन लोगों पर रहम फ़रमाया जिन के पास दुनिया अमानत के तौर पर आई और उन्हों ने इसे खियानत के बिगैर लौटा दिया और अल्लाह की बारगाह में बहुत सबुक- बार रवाना हुवे।

मज़ीद फ़रमाया : जो तुझे दीन की तरफ़ रगबत दिलाए उसे कबूल कर ले और जो तुझे दुनिया की तरफ रगबत दिलाए, उसे उस के गले में डाल दे। (क़बूल न कर)

दुनिया एक गहरा समुन्दर है

हज़रते लुक्मान अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे को वसियत की, कि यह  दुनिया बहुत गहरा समन्दर है, इस में बहुत लोग गर्क हो गए हैं, इस से गुजरने के लिये खौफे खुदा की किश्ती बना, जिस में भराव ईमाने खुदावन्दी का हो और इसे तवक्कुल के रास्तों पर चला ताकि नजात पा जाए वरना नजात की कोई सूरत नहीं है।

हज़रते फुजेल रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि मैं इस इरशादे रब्बानी :

“बिला शुबा हम ने जमीन की चीज़ों को जमीन के लिये जीनत बना दिया है ताकि आजमाएं कौन अच्छे अमल करता है और हम इन चीज़ों को बन्जर ना काबिले ज़राअत बनाने वाले हैं।” मैं बहुत गौरो फ़िक्र करता हूं। एक हकीम का क़ौल है कि तुझे दुनिया में जो कुछ मिला है तुझ से पहले भी कुछ लोग इस के मालिक बने थे और तेरे बा’द भी और लोग इस के मालिक बनेंगे, तेरे लिये दुनिया में सुब्हो शाम की रोटी है, इस रोटी के लिये खुद को हलाकत में न डाल, दुनिया से रोज़ा रख और आखिरत पर इफ्तार कर, दुनिया का माल ख्वाहिशात हैं और इन का मनाफ़ेअ नारे जहन्नम है।

किसी राहिब से ज़माने के मुतअल्लिक़ पूछा गया, उस ने जवाब दिया : यह  जिस्मों को पुराना करता है, उम्मीदें बढ़ाता है, मौत को करीब करता है और आरजूओं को दूर कर देता है। दुनिया वालों के मुतअल्लिक़ पूछा गया तो उस ने कहा : जिस ने दुनिया को पा लिया वो दुख में मुब्तला हुवा और जिस ने इसे न पाया वो मुसीबत में घिर गया इसी लिये कहा गया है :

जो दुनियावी ऐशो इशरत के सबब इस की तारीफ़ करता है, मुझे ज़िन्दगी की क़सम अन करीब वह इसे बुरा भला कहेगा। जब दुनिया चली जाती है तो हसरत छोड़ जाती है और जब आती है तो बहुत से गम साथ ले कर आती है।

एक दाना का कौल है : “दुनिया थी और मैं नहीं था, यह  दुनिया रहेगी और मैं नहीं रहूंगा, मैं इस की परवा नहीं करता हूं क्यूंकि इस की ज़िन्दगी कलील है, इस की सफ़ा में भी कदूरत है, इस में रहने वाले इस के जाइल होने, मुसीबत के नाज़िल होने और मौत के आने से सख्त खौफ़ज़दा रहते हैं।” ।

एक और दाना का कौल है : दुनिया इन्सान को उस की मन्शा के मुताबिक़ नहीं मिलती, या तो ज़ियादा मिलती है या फिर कम । हज़रते सुफियान रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है : तुम दुनिया की ने’मतों को देखो वो अपनी बुराई की वज्ह से हमेशा नालाइकों के पास ही होती हैं।

हज़रते अबू सुलैमान दुर्रानी रहमतुल्लाह अलैह  का क़ौल है कि जब किसी तालिबे दुनिया को दुनिया मिलती है तो वो ज़ियादा की तमन्ना करता है और जब किसी तालिबे आखिरत को आख़िरत का अज्र मिलता है तो वो ज़ियादा की तमन्ना करता है, न उस की तमन्ना ख़त्म होती है और न इस की तमन्ना ख़त्म होती है।

एक शख्स ने हज़रते अबू हाज़िम रहमतुल्लाह अलैह  से दुनिया की महब्बत का शिकवा किया और यह  भी बतलाया कि मेरा कोई घर नहीं है। आप ने कहा : जो कुछ तुम को अल्लाह ने दिया है इस में से सिर्फ रिज्के हलाल ले लो और इसे सहीह मसरफ़ में खर्च करो, इस तरह तुम को दुनिया की महब्बत कोई नुक्सान नहीं देगी और आप ने यह  इस लिये फ़रमाया कि अगर तू ने अपने नफ्स को इस से लगाया तो यह  तुझे ऐसी तक्लीफ़ में डाल देगी कि तू दुनिया से तंग हो जाएगा और इस से निकलने की कोशिश करेगा।

हज़रते यहूया बिन मुआज़ – रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि दुनिया शैतान की दुकान है, इस में से कुछ न लो, अगर तुम ने कुछ ले लिया तो शैतान तलाश करता हुवा तुम तक पहुंच जाएगा।

खालिस सोने पर मिटटी की ठीकरी के टुकड़े को तरजीह किस तरह हो सकती है?

हज़रते फुजैल रहमतुल्लाह अलैह  का क़ौल है कि अगर दुनिया मिट जाने वाले सोने और आखिरत बाकी रहने वाली ठीकरी की होती, तब भी फ़ानी चीज़ पर बाकी रहने वाली चीज़ को तरजीह देना मुनासिब होता जबकि यह  दुनिया ठीकरी है और आख़िरत ख़ालिस सोना है मगर हम ने फिर भी दुनिया को पसन्द कर लिया है।

हज़रते अबू हाज़िम रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि तलबे दुनिया से बचो, मैं ने सुना है जो शख्स दुनिया की तौकीर करता है, कियामत के दिन उसे बारगाहे खुदावन्दी में खड़ा कर के कहा जाएगा : यह  उस चीज़ की इज्जत करता था जिसे अल्लाह ने जलील पैदा किया था।

हज़रते इब्ने मसऊद रहमतुल्लाह अलैह  का क़ौल है : इस दुनिया में हर शख्स बतौरे मेहमान है और यहां की हर चीज़ उधार  है, मेहमान आख़िर कूच कर जाता है और उधार चीज़ वापस करनी पड़ती है।

इसी मौजूअ पर एक और शाइर ने इस तरह इज़हारे ख़याल किया है :

यह  माल और औलाद उधार चीजें हैं इन्हें एक दिन यक़ीनन वापस करना है।

हज़रते राबिआ रहमतुल्लाह अलैहा के यहां इन के साथी जम्अ हुवे और दुनिया की मज़म्मत का जिक्र छेड़ दिया। आप ने कहा : चुप हो जाओ ! दुनिया का ज़िक्र न करो ! शायद तुम्हारे दिलों के किसी गोशे में दुनिया की महब्बत ज़रूर मौजूद है क्यूंकि जिस शख्स को जिस चीज़ से महब्बत हो जाती है वह अक्सर उस का जिक्र करता है।

हज़रते इब्राहीम बिन अदहम रहमतुल्लाह अलैह  से दुनिया के बारे में सवाल किया गया तो उन्हों ने फ़रमाया :

हम ने दुनिया के लिये दीन को पारा पारा कर दिया मगर न दुनिया मिली और न दीन बाकी रहा। वो बन्दा खुश नसीब होता है जिस ने अल्लाह की तरफ़ तवज्जोह की और दुनिया को बेहतर आखिरत की उम्मीद में सर्फ कर दिया।

एक और शाइर कहता है:

दुनिया के तलबगार की अगर्चे तवील उम्र हो और उसे हर किस्म का ऐशो नशात मुयस्सर हो। मगर मैं इसे उस शख्स जैसा समझता हूं जिस ने एक इमारत बनाई और वो इमारत मुकम्मल होते ही ज़मीन बोस हो गई हो।

एक और शाइर कहता है :

यह  दुनिया आखिर किसी और की तरफ़ मुन्तकिल हो जाएगी, इसे राहे खुदा में खर्च कर दे, . तुझे बख्शिश से हम किनार करा देगी। तेरी दुनिया साए की तरह है, कुछ देर तेरे ऊपर साया गुस्तर रहेगी और फिर ढल जाएगी।

हज़रते लुक्मान ने अपने बेटे से कहा : ऐ बेटे ! दुनिया को आख़िरत के लिये बेच दे दोनों तरफ़ से नफ्अ उठाएगा और आख़िरत को दुनिया के लिये न बेच कि दोनों तरफ से नुक्सान में रहेगा।

हज़रते मुतर्रिफ़ बिन शिख्खीर रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि बादशाहों के ऐशो निशात और नर्मो नाजुक लिबास को न देखो बल्कि यह  देखो कि वो दुनिया से कितनी जल्दी जा रहे हैं और कैसा बुरा ठिकाना उन को मिलेगा।

हज़रते इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो  का कौल है, अल्लाह तआला ने दुनिया के तीन हिस्से किये हैं, एक हिस्सा मोमिन के लिये, दूसरा मुनाफ़िक के लिये और तीसरा हिस्सा काफ़िर का है। मोमिन इसे ज़ादे राह बनाता है, मुनाफ़िक जैबो जीनत करता है और काफ़िर इस से नफ्अ अन्दोज़ होता है।

बा’ज़ सालिहीन का कौल है कि दुनिया मुर्दार है, जो इसे हासिल करना चाहता है वो कुत्तों की ज़िन्दगी बसर करने पर तय्यार है, इसी लिये कहा गया है :

ऐ दुनिया को अपने करीब बुलाने वाले ! तू इसे न बुला, सलामत रहेगा। जिस फ़रेबी को तुम अपने पास बुला रहे हो वो हैबतनाक और गुनाह से मा’मूर चीज़ है।

हज़रते अबुद्दरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो  का कौल है कि अल्लाह तआला के यहां दुनिया की बे क़द्री इस लिये है कि हर गुनाह इसी में परवान चढ़ता है और इस से किनारा कशी किये बिगैर अल्लाह तआला की ने’मतों को नहीं पाया जा सकता, इसी लिये कहा गया है :

जब अक्लमन्द ने दुनिया को जांचा तो इसे दोस्त के लिबास में एक दुश्मन नज़र आया। इसी मौजूअ पर चन्द अश्आर यह  भी है :

ऐ अव्वल रात में खुश खुश सोने वाले ! हवादिसाते ज़माना कभी रात के आखिरी हिस्से में भी नाज़िल होते हैं। दिन रात की गर्दिश ने उन सदियों को भी फ़ना कर दिया जो खुशहाली में बे मिसाल थीं। गर्दिशे दौरां ने ऐसे कितने मुल्कों को वीरान कर दिया जो ज़माने में सुख-दुख देने वाले थे। .ऐ फ़ानी दुनिया को गले लगाने वाले ! तू सुब्हो शाम सफ़र में है (फिर गले लगाने से क्या फाइदा ?) .तू ने दुनिया से तअल्लुक़ ख़त्म क्यूं नहीं किया ताकि जन्नतुल फ़िरदौस में इफ्फ़त मआब हूरों से हम आगोश हो सकता। .अगर तू जन्नत में सुकूनत का ख्वाहिश मन्द है तो तुझे नारे जहन्नम से बे ख़ौफ़ नहीं होना चाहिये।

हज़रते अबू उमामा बाहिली रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि जब हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को मबऊस फ़रमाया गया तो शैतान अपने लश्कर के पास आया, उन्हों ने शैतान से कहा : एक नबी मबऊस हुवा है और इस के साथ उस की उम्मत भी है। शैतान ने पूछा : क्या वोह लोग दुनिया को पसन्द करते हैं ? उन्हों ने कहा : हां । शैतान ने कहा : फिर तो कोई परवा नहीं, अगर वोह बुतों को नहीं पूजते तो न पूजें, हम उन्हें तीन बातों में फंसाएंगे : दूसरे की चीज़ ले लेना, गैर पसन्दीदा जगहों पर खर्च करना और लोगों के हुकूक़ अदा न करना येही तीन चीजें तमाम बुराइयों की बुन्याद हैं।

एक आदमी ने हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो  से दुनिया की तारीफ़ पूछी : आप ने फ़रमाया : मैं उस घर की क्या तारीफ़ करूं जिस का सेहतमन्द अस्ल में बीमार, जिसका बे खौफ़ पशेमान, जिस का मुफ़्लीस गमगीन, जिस का मालदार मसाइब में मुब्तला हो और जिस के हलाल का हिसाब हो, हराम पर अज़ाब हो और मश्कूक पर मलामत हो । यही बात आप से दूसरी मरतबा पूछी गई तो आप ने फ़रमाया : वजाहत से बयान करूं या मुख़्तसर जवाब दूं ? अर्ज किया गया : मुख्तसरन फ़रमाइये ! आप ने फ़रमाया : इस के माले हलाल का हिसाब है और हराम पर अज़ाब है।

हज़रते मालिक बिन दीनार रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि ज़बर दस्त जादूगर से बचो जो उलमा के दिलों पर भी जादू चला लेती है और फ़रमाया गया : वो जादूगर दुनिया है।

दुनिया किस सूरत में मुजाहमत करती है

हज़रते अबू सुलैमान अद्दारानी रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि जब दिल में आख़िरत का तसव्वुर बसा हुवा हो तो दुनिया इस से मुज़ाहमत करती है और जब दिल में दुनिया का तसव्वुर बसा हो तो आख़िरत कोई मुजाहमत नहीं करती इस लिये कि आखिरत के तसव्वुरात करीमाना हैं

और दुनियावी वसाविस इन्तिहाई जाहिलाना हैं और यह  बहुत बड़ी बात है। हमारे खयाल में इस सिलसिले में जनाबे सय्यार बिन अल हकम रहमतुल्लाह अलैह  की बात ज़ियादा दानिशमन्दाना है, इन्हों ने कहा है : दुनिया और आख़िरत दोनों दिल में जम्अ होती हैं फिर इन में जो गालिब आ जाए दूसरा फरीक उस का ताबेअ बन जाता है।

 दुनिया का गम बढ़ता है तो आखिरत का गम कम हो जाता है।

हज़रते मालिक बिन दीनार रहमतुल्लाह अलैह  का इरशाद है : तुम जिस कदर दुनिया के लिये गमगीन होते हो उसी कदर आखिरत का गम कम हो जाता है और जिस क़दर आखिरत का गम खाते हो इसी क़दर दुनिया का गम मिट जाता है, आप का यह  कौल हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो  के इस इरशाद से माखूज़ है कि दुनिया और आखिरत दो सोकनें हैं, एक को जितना राज़ी करोगे, दूसरी उतनी ही नाराज़ होगी।

हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो  क़ौल है : ब खुदा ! रब ने ऐसी कौमें भी पैदा की हैं जिन के सामने यह  दुनिया मिट्टी की तरह बे वकार थी, उन्हें दुनिया के आने जाने की कोई परवाह नहीं थी चाहे वो इस के पास हो या उस के पास हो।

किसी ने हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो  से ऐसे शख्स के मुतअल्लिक़ पूछा जिस को अल्लाह तआला ने माल दिया है, वो इस से राहे खुदा में देता है और सिलए रहमी करता है, क्या ऐसा शख्स तलाशे मआश करे ताकि कुछ और दुनिया हासिल करे ? आप ने फ़रमाया : नहीं, अगर सारी दुनिया उसी के दामन में सिमट आए तब भी उस के लिये बस एक दिन की रोज़ी होगी।

हज़रते फुजेल रज़ीअल्लाहो अन्हो  का कौल है कि अगर मुझे सारी दुनिया कस्बे हलाल की सूरत में मिल जाए मगर आख़िरत की भलाई इस में न हो तो मैं इस से इस तरह दामन बचा के निकल जाऊंगा जैसे तुम मुर्दार से दामन बचा के निकल जाते हो।

जब हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो  शाम की ममलुकत में दाखिल हुवे तो हज़रते अबू उबैदा रज़ीअल्लाहो अन्हो  एक ऊंटनी पर आप के इस्तिकबाल के लिये हाज़िर हुवे जिस की नकील रस्सी की थी, सलाम व दुआ के बाद हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो इन के खेमे में तशरीफ़ लाए, वहां ऊंट के पालान, तल्वार और ढाल के इलावा कुछ नहीं था, हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने पूछा : कोई और सामान भी है ? उन्हों ने अर्ज़ किया : हमारे आराम के लिये येही कुछ काफ़ी नहीं है?

हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो  का कौल है कि दुनिया की महब्बत में डूब कर बनी इस्राईल ने अल्लाह की इबादत को छोड़ कर बुतों की इबादत शुरू की थी।

हज़रते सुफ्यान रज़ीअल्लाहो अन्हो  का कौल है कि बदन के लिये दुनियावी गिजा हासिल करो और दिल के लिये उख़रवी गिजा की तलाश करो।

हज़रते वहब रज़ीअल्लाहो अन्हो  का कौल है, मैं ने एक किताब में पढ़ा है कि दुनिया, अक्लमन्दों के लिये माले गनीमत और जाहिलों के लिये सामाने गफ़्लत है, उन्हों ने इस की हक़ीक़त न जानी यहां तक कि दुनिया से कूच कर गए, जब वहां उन पर इस की हक़ीक़त मुन्कशिफ़ हुई तो उन्हों ने वापसी का सुवाल किया जो ना मन्जूर हुवा।

हज़रते लुक्मान ने अपने बेटे से कहा : ऐ बेटे ! अगर तू ने दुनिया से बे तवज्जोगी बरती और आखिरत की तरफ़ मुतवज्जेह रहा तो ऐसे घर के करीब पहुंच गया जो इस घर से ब-दरजहा बेहतर है।

हज़रते सईद बिन मसऊद रहमतुल्लाह अलैह  का क़ौल है कि जब तुम किसी ऐसे शख्स को देखो जिस की दुनिया बढ़ रही हो और आखिरत कम हो रही हो मगर वो इस बात पर राजी हो तो समझ लो कि वोह शख्स फ़रेब खुर्दा है कि उस की सूरत मस्ख की जा रही है और उसे महसूस भी नहीं हो रहा है।

हज़रते अम्र बिन अल आस रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने मिम्बर पर खड़े हो कर फ़रमाया : ब खुदा ! मैं ने तुम जैसी कौम नहीं देखी, जिस चीज़ से हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम किनारा कश रहे तुम उस में मगन हो, ब खुदा नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम पर ऐसे तीन दिन कभी नहीं गुज़रे कि इन पर इन के माल से ज़ियादा कर्ज न हो।

हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने यह  आयत : पढ़ कर फ़रमाया कि जानते हो यह  किस का फ़रमान है ? यह  ख़ालिके दुनिया, मालिके दुनिया रब तआला का फ़रमान है। खुद को दुनिया में मश्गूलिय्यत से बचाओ ! दुनिया में बहुत से शग्ल हैं, अगर इन्सान दुनिया के किसी शागल का दरवाज़ा खोल देता है तो उस पर दुनिया के दस और दरवाजे खुद ब खुद खुल जाते हैं। ……तर्जमए कन्जुल ईमान : “तो हरगिज़ तुम्हें धोका न दे दुनिया की ज़िन्दगी । मजीद फ़रमाया कि इन्सान कितना मिस्कीन है, एक ऐसे घर पर राजी हो गया है जिस के हलाल का हिसाब होगा और हराम पर अज़ाब ! अगर वो कसबे हलाल से दुनिया हासिल करता है तो कियामत के दिन उस से इस का हिसाब लिया जाएगा और अगर माले हराम खाता है तो अज़ाब में मुब्तला होगा, इन्सान माल को कम समझता है मगर अफ्सोस कि अमल को कम नहीं समझता, दीनी मुसीबत पर खुश होता है और दुनियावी मुसीबत पर फ़रयाद व फुगां करता है।

हज़रते हसन बसरी रज़ीअल्लाहो अन्हो  ने हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ को एक खत लिखा जिस में बा’द अज़ तस्लीमात तहरीर फ़रमाया कि तुम आखिरी इन्सान हो जिन्हों ने मौत का प्याला पिया। आप ने जवाब में लिखा : बा’द अज़ तस्लीम गोया तुम दुनिया में कभी नहीं रहे और हमेशा आख़िरत में रहे हो । (या’नी मेरी तरह दुनिया में तुम भी रहते हो और मौत का प्याला तुम को भी पीना है)

हज़रते फुजेल बिन अयाज़ रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि दुनिया में आना आसान है मगर इस से निकलना सख्त मुश्किल है।

बा’ज़ सूफ़िया का कौल है कि उस शख्स पर इन्तिहाई तअज्जुब है जो मौत को हक़ समझते हुवे भी मसरूर है ! जहन्नम को यकीनी समझते हुवे भी हंसता है ! दुनिया की हलाकतों को देखते हुवे भी मुतमइन है ! तक़दीरे खुदा को यकीनी समझते हुवे भी गमगीन है !

हज़रते अमीरे मुआविया रज़ीअल्लाहो अन्हो  के पास नजरान का एक ऐसा शख्स आया जिस की उम्र दो सो साल थी, आप ने पूछा : तू ने दुनिया को कैसा पाया ? कहने लगा : बुरी भी है भली भी है, दिन के बदले दिन और रात के बदले रात, इस की बुराई और भलाई बराबर रहती है, बच्चा पैदा होता और इसे हलाक करने वाला हलाक कर देता है अगर नई मख्लूक पैदा न होती रहती तो मख्लूक बहुत पुरानी और वीरान वीरान सी हो जाती और अगर हलाक करने वाला न होता तो यह  दुनिया मख्लूक से भर जाती और अपनी तमाम तर वुस्अत के बा वुजूद तंग हो जाती । आप ने फ़रमाया : कुछ मांगना हो तो मांगो, उस ने जवाब दिया : मेरी गुज़श्ता उम्र लौटा दीजिये या अजले मुकर्ररा को टाल दीजिये, आप ने फ़रमाया : यह  चीजें तो मेरे दायरा ए इख्तियार में नहीं हैं, उस शख्स ने जवाब दिया फिर आप से मुझे कुछ और मांगना नहीं है।

हज़रते दावूद ताई रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि ऐ इन्सान ! तू उम्मीदों को पा कर खुश हो रहा है हालांकि तेरी अजल करीब आ गई है और तू ने नेक आ’माल में ताख़ीर की है, गोया यह  तेरे नहीं किसी और के काम आते।

हज़रते बिशर रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि जो शख्स अल्लाह से दुनिया मांगता है वो गोया अल्लाह की बारगाह में बहुत देर तक हिसाब के लिये ठहरने का सवाल करता है।

हज़रते अबू हाज़िम रहमतुल्लाह अलैह  का क़ौल है कि दुनिया में कोई भी चीज़ ऐसी नहीं है जो तुझे मसरूर करे मगर अल्लाह तआला ने इस में एक ऐसी सिफ़त भी रख दी है जो तुझे बुरी मा’लूम होगी।

हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है कि हर इन्सान दिल में तीन हसरतें ले कर मरता है एक यह  कि वो अपने जम्अ कर्दा माल से सैर होता और वो सैर नहीं हुवा, दूसरे यह  कि अपनी उम्मीदों को पायए तक्मील तक पहुंचाता मगर न पहुंचा सका और तीसरे यह  कि वो आखिरत के लिये नेक अमल भेजता और न भेज सका।

एक बन्दए मोमिन से किसी ने कहा कि मैं ने “गना” को पा लिया है। उस ने कहा : जिस ने खुद को दुनिया की गुलामी से आज़ाद कर लिया, हक़ीकी मालदारी उसी ने पाई । (या’नी गना को पाने का दावा वो ही कर सकता है)

हज़रते अबू सुलैमान रहमतुल्लाह अलैह  का क़ौल है कि दुनिया की ख्वाहिशात से वो ही रुकता है जिस के दिल में आखिरत की फ़िक्र होती है। हज़रते मालिक बिन दीनार रहमतुल्लाह अलैह  का फरमान है कि हम ने महब्बते दुनिया में एक दूसरे से सुल्ह कर ली है, हम में से कोई किसी को न हुक्म देता है, न मन्अ करता है हालांकि अल्लाह तआला ने हमें इस चीज़ का हुक्म नहीं फ़रमाया, क्या खबर हम किस किस्म के अज़ाब में मुब्तला होंगे।

हज़रते अबू हाज़िम रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि दुनिया की मामूली सी महब्बत भी आखिरत से काफ़ी बे तवज्जोगी पैदा कर देती है।

हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो  फ़रमाया करते थे कि दुनिया की बे कद्री करो, यह अपनी बे क़द्री करने वालों पर बहुत आसान है। मजीद इरशाद फ़रमाया कि जब अल्लाह तआला किसी बन्दे की बेहतरी का इरादा फ़रमाता है तो उसे दुनिया का अतिय्या देता है, जब वो ख़त्म हो जाती है तो और दे देता है और जब बन्दा दुनिया को हकीर समझने लगता है तो अल्लाह तआला उसे बे अन्दाज़ा मालो दौलत दे देता है।

एक सालेह अपनी दुआ में कहा करते थे कि ऐ आस्मानों को ज़मीन पर गिरने से रोकने वाले ! मुझ से दुनिया को रोक ले ।

हज़रते मोहम्मद बिन मुन्कदिर रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि क़ियामत के दिन ऐसे शख्स  भी होंगे जिन्हों ने ज़िन्दगी के दिन रोजों में और रातें इबादत में गुज़ारी होंगी, राहे खुदा में मालो दौलत खर्च किया होगा, राहे खुदा में जिहाद किया होगा और मुन्करात से अपना दामन बचाया होगा मगर उन के बारे में कहा जाएगा : यह  वो हैं जिन्हों ने रब की हक़ीर कर्दा चीज़ को बहुत बड़ा समझा था और रब की बा अज़मत चीज़ों को इन्हों ने हक़ीर समझा था, ज़रा सोचो तो सही हम में कितने ऐसे हैं जो इस मुसीबत में मुब्तला नहीं हैं, इलावा अज़ीं गुनाहों के कोहे गिरां का बार भी हमारी गर्दनों पर मौजूद है।

हज़रते अबू हाज़िम रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि दुनिया और आखिरत दोनों के हुसूल में दुश्वारियां हैं। फ़र्क यह  है कि आखिरत के हुसूल में आप किसी को मददगार नहीं पाएंगे मगर दुनिया के हुसूल में जब भी किसी चीज़ की जानिब हाथ बढ़ाओगे तो दूसरे बद बख़्त को अपने से पहले मौजद पाओगे।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो  से मरवी है कि अल्लाह तआला ने जब से दुनिया को पैदा किया है वोह ज़मीनो आस्मान के दरमियान पुराने मश्कीजे की तरह लटकी हुई है और इसी तरह कियामत तक लटकती रहेगी, जब वो अल्लाह तआला से सवाल करती है ऐ अल्लाह ! तू ने मुझे क्यूं ना पसन्द फ़रमाया है ? तो रब्बे करीम फ़रमाता है : ऐ नाचीज़ ख़ामोश रह!

हज़रते अब्दुल्लाह बिन मुबारक रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि जब दुनिया की महब्बत और गुनाहों ने दिल को अपना शिकार बना लिया है, अब इस में भलाई कैसे पहुंच सकती है?

हज़रते वहब बिन मुनब्बेह रहमतुल्लाह अलैह  का क़ौल है : जिस शख्स का दिल किसी दुनियावी चीज़ से खुश हो गया वो दानाई से हट गया और जिस ने दुनियावी ख्वाहिशात को अपने पैरों तले रौंद दिया, शैतान उस के साए से भी भागता है और जिस का इल्म ख्वाहिशात पर गालिब आ गया, हकीक़त में वो ही गालिब है।

 

दुनिया से महब्बत रखने वाले को आखिरत नफा नहीं देती।

हज़रते बिश्र रहमतुल्लाह अलैह  से कहा गया कि फुलां आदमी मर गया है, आप ने फ़रमाया : उस ने दुनिया को जम्अ किया और आखिरत को जाएअ कर दिया। लोगों ने कहा : वो  तो यह  यह  नेकियां किया करता था। आप ने फ़रमाया : “जिस के दिल में दुनिया की महब्बत हो, उसे नेकी नफ्अ नहीं पहुंचाती।

एक सालेह का कौल है कि दुनिया हम से नफ़रत करती है मगर हम उस के पीछे भागते हैं, अगर वो भी हम से महब्बत करती होती तो खुदा जाने हमारा क्या हाल होता !

तर्के दुनिया व तालिबे दुनिया

एक दाना से पूछा गया कि दुनिया किस की है ? कहा : जिस ने इसे छोड़ दिया, पूछा गया : आख़िरत किस की है ? फ़रमाया : जिस ने इसे तलब किया। एक और दाना का कौल है कि दुनिया एक वीरान घर है और वो दिल दुनिया से भी ज़ियादा वीरान है जो इस की जुस्तजू में सरगर्दी है, जन्नत एक आबाद घर है वो दिल जन्नत से भी ज़ियादा आबाद है जो इसे तलब करता है।

 इमाम शाफेई रहमतुल्लाह अलैह  की अपने भाई को नसीहत

हज़रते जुनैद रहमतुल्लाह अलैह  फ़रमाते हैं कि इमाम शाफ़ेई रहमतुल्लाह अलैह  दुनिया में हक़ गो इन्सानों में से थे, इन्हों ने अपने भाई को खौफे खुदा की नसीहत की और फ़रमाया : ऐ भाई ! ये दुनिया लगज़िश की जगह और रुस्वा करने वाला घर है, इस की आबादी वीरानी की तरफ़ और इस में रहने वाले कब्रों की तरफ जा रहे हैं, इस की क़लील चीज़ भी जुदा होने वाली है, इस का तमव्वुल मुफ़्लिसी की तरफ रवां दवा है, इस की कसरत किल्लत है और इस की मुफ़्लिसी में मालदारी है, अल्लाह की तरफ़ तवज्जोह कर और उस के अताकर्दा रिज्क पर राजी हो जा, जन्नत को दुनिया में गिरवी न रख क्यूंकि तेरी ज़िन्दगी ढलता हुवा साया और गिरती हुई दिवार है लिहाज़ा अमल ज़ियादा कर और उम्मीदें कम कर दे।

हज़रते इब्राहीम बिन अदहम रहमतुल्लाह अलैह  ने एक शख्स से कहा कि तू ख्वाब के एक दिरहम को या बेदारी के एक दीनार को अच्छा समझता है ? उस ने कहा : बेदारी के एक दीनार को अच्छा समझता हूं । आप ने फ़रमाया : तू झूट कहता है क्यूंकि दुनिया के साथ तेरी महब्बत ख्वाब की महब्बत है और आखिरत के साथ महब्बत बेदारी की महब्बत है।

हज़रते इस्माईल बिन इयाश रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि हमारे दोस्त दुनिया को खिन्जीर का नाम दिया करते थे और कहते थे कि हम से दूर रह ! अगर उन्हों ने दुनिया के लिये इस से बुरा नाम पाया होता तो ज़रूर इस का नाम वो ही रखते।।

हज़रते का’ब रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है : तुम ने दुनिया से इतनी महब्बत की है कि इसे पूजने लगे हो। हज़रते यहूया बिन मुआज राजी रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि दाना तीन हैं

जिस ने दुनिया को छोड़ने से पहले दुनिया को तर्क कर दिया।..क़ब्र में जाने से पहले उसे बना लिया और .बारगाहे रब्बुल इज्जत में हाज़िरी से पहले उसे राजी कर लिया।

मजीद फ़रमाया कि दुनिया की तमन्ना ही इन्सान को अल्लाह की “इबादत” से रोक देती है जब कि इन्सान सरापा दुनिया ही का हो जाए (तो क्या हाल होगा)।

हज़रते बक्र बिन अब्दुल्लाह रहमतुल्लाह अलैह  का कौल है कि जो शख़्स दुनिया के साथ दुनिया से बे परवाई बरतना चाहता है, वो  शख़्स आग को भूसे से बुझा रहा है (कि इस से तो आग और भड़केगी)।

हज़रते बुन्दार रहमतुल्लाह अलैह  का क़ौल है कि जब तू दुनिया से किनारा कशी की बातें करने वाले दुनियादारों को देखे तो समझ लेना कि ये शैतान के मुरीद हैं। मजीद फ़रमाया : जो दुनिया की तरफ़ मुतवज्जेह हुवा उस के शो’ले (हिर्स) ने इसे राख कर दिया, जो आखिरत की तरफ़ मुतवज्जेह हुवा उस के शो’लों ने इसे कुन्दन का एक टुकड़ा बना दिया और जिस ने रब तआला की तरफ़ रुजूअ किया उस की वहदत की आग ने इसे बे मिसाल हीरा बना दिया।

हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो  का इरशाद है : दुनिया की छे चीजें हैं : 1 खाने की  2.पीने की 3 .पहनने की 4.सुवार होने की 5.शादी करने की और 6.सूंघने की।

…….सब से बेहतर खाने की चीज़ शहद है और वो मख्खी का लुआब(थूक) है। …पीने की सब से उम्दा चीज़ पानी है और इस में सब अच्छे बुरे शरीक हैं। …पहनने की सब से उम्दा चीज़ रेशम है और वो कीड़े का बुना हुवा है। …….सब से बेहतर सुवारी घोड़े की है और इसी पर इन्सान को क़त्ल किया जाता है। …….शादी के लिये औरत उम्दा चीज़ है मगर ये महले मुबाशरत के सिवा कुछ नहीं। औरत की सब से उम्दा चीज़ (चेहरे) को संवारा और सब से बुरी चीज़ (शर्मगाह) को चाहा जाता है। ……सूंघने वाली चीज़ों में मुश्क सब से उम्दा है और ये खून होता है।

बस ? समझ लो कि दुनिया क्या चीज़ है !!!

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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