तर्के दुनिया – दुनिया को छोड़ देना
(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)
कुरआने मजीद में दुनिया की मज़म्मत और दुनिया से तवज्जोह हटा कर आखिरत की जानिब माइल करने के लिये बे शुमार आयात हैं बल्कि अम्बियाए किराम की को भेजने का सबब येही चीज़ थी, कुरआने मजीद की आयात इतनी मशहूर हैं कि यहां इन के ज़िक्र से सिर्फ नज़र कर के सिर्फ बा’ज़ अहादीस के ज़िक्र पर ही इक्तिफ़ा (बस) करता हूं।
मजम्मते दुनिया में चन्द अहादीस – दुनिया के बारे में हदीस
मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का एक मुर्दा बकरी के पास से गुज़र हुवा। आप ने फ़रमाया : क्या यह बकरी अपने मालिक को पसन्द है ? सहाबए किराम ने अर्ज़ की : इस की बदबू ही की वज्ह से तो यहां फेंक दिया गया है। आप ने फ़रमाया : ब खुदा ! दुनिया अल्लाह तआला के यहां इस मुर्दा बकरी से भी ज़ियादा बे वक़ार है, अगर अल्लाह तआला के यहां दुनिया का मक़ाम मच्छर के पर के बराबर भी होता तो कोई काफ़िर इस दुनिया से एक बूंद भी पानी न पी सकता।
हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना और काफ़िर के लिये जन्नत है।
मजीद फ़रमाया : दुनिया मलऊन है, इस की हर वोह चीज़ मलऊन है जो अल्लाह के लिये न हो।
हज़रते अबू मूसा अश्अरी रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया : जिस ने दुनिया से महब्बत की उस ने आखिरत को नुक्सान पहुंचाया और जिस ने आख़िरत से महब्बत की उस ने दुनिया को किसी लायक न समझा, तुम फ़ानी दुनिया पर बाक़ी रहने वाली चीज़ों को तरजीह दो।
फ़रमाने नबवी है कि दुनिया की महब्बत हर बुराई की बुन्याद है।
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हजरते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो की अश्कबारी
हज़रते जैद बिन अरकम रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हम हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ीअल्लाहो अन्हो के मकान पर बैठे हुवे थे, आप ने पानी मंगवाया तो पानी और शहद हाज़िर किया गया, आप जब इसे मुंह के करीब ले गए तो बे इख्तियार रोने लगे, यहां तक कि पास बैठे हुवे सब सहाबए किराम भी रोने लगे, कुछ देर बाद आप ने फिर पीने का इरादा फ़रमाया मगर शहद और पानी देख कर दोबारा रोने लग गए यहां तक कि सहाबए किराम ने ख़याल किया कि शायद हम इस गिर्या की वज्ह दरयाफ़्त नहीं कर सकेंगे, जब आप ने अपने आंसू साफ़ किये तो सहाबए किराम ने अर्ज़ किया : ऐ ख़लीफ़तुर्रसूल ! आप के रोने का बाइस क्या था ? आप ने फ़रमाया : एक मरतबा मुझे रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की हमराही का शरफ़ नसीब हुवा, आप अपने जिस्मे मुबारक से किसी नज़र न आने वाली चीज़ को रफ्अ फ़रमा रहे थे, मैं ने अर्ज किया : हुजूर ! आप किस चीज़ को हटा रहे हैं ? आप ने फ़रमाया : मेरे पास अभी दुनिया आई थी, मैं ने उसे कहा : मुझ से दूर रहो ! वोह लौट गई है और यह कह गई है कि आप ने मुझ से किनारा कशी फ़रमा ली है मगर बाद में आने वाले ऐसा नहीं कर सकेंगे।
फ़रमाने नबवी है कि ऐसे इन्सान पर इन्तिहाई तअज्जुब है जो बिहिश्त पर ईमान रखते हुवे दुनिया के हुसूल में सरगर्म है।
दुनिया की एक तमसील मिसाल
मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम एक नज़ीला (कूड़े के ढेर) के करीब खड़े हुवे और फ़रमाया : दुनिया की तरफ़ आइये, आप ने एक पुराना चिथड़ा और बोसीदा हड्डी दस्ते मुबारक में ले कर फ़रमाया : यह दुनिया है ।
इस तमसील से इस अम्र की तरफ़ इशारा था कि दुनिया की जीनत इस चिथड़े की तरह पुरानी हो जाएगी और चलते फिरते इन्सान की हड्डियां इस हड्डी की तरह बोसीदा हो जाएंगी।
फ़रमाने नबवी है : दुनिया सब्ज़ (खुश आयिन्द) और शीरीं है, अल्लाह तआला ने तुम्हें अपना ख़लीफ़ा बना कर भेजा है और वो तुम्हारे आ’माल से बा ख़बर है। बनी इस्राईल पर जब दुनिया फ़राख कर दी गई तो उन्हों ने अपनी तमाम तर कोशिशें जेवरात, कपड़ों, औरतों और इत्रियात के लिये वक्फ़ कर दी थीं (और उन का अन्जाम तुम ने देख लिया.
हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम का फ़रमान है कि दुनिया को मा’बूद बना कर उस के बन्दे न बन जाओ, अपना खज़ाना उस ज़ात के यहां जम्अ करो जो किसी की कमाई को जाएअ नहीं करता, दुनियावी ख़ज़ानों के लिये तो ख़ौफ़े हलाकत होता है मगर जिस के ख़ज़ाने ख़ुदा के यहां जम्अ हों वो कभी तबाह नहीं होंगे।
आप ने मजीद फ़रमाया : ऐ मेरे हवारियो ! मैं ने दुनिया को औंधे मुंह डाल दिया है तुम मेरे बाद कहीं इसे गले न लगा लेना, दुनिया की सब से बड़ी बुराई यह है कि इस में आदमी अल्लाह का नाफ़रमान बन जाता है और इसे छोड़े बिगैर आखिरत की भलाई ना मुमकिन है दुनिया में दिलचस्पी न लो, इसे इब्रत की निगाह से देखो और बा खबर रहो, दुनिया की महब्बत हर बुराई की अस्ल है और एक लम्हे की ख्वाहिशे नफ़्सानी अपने पीछे तवील पशेमानी छोड़ जाती है और फ़रमाया कि दुनिया तुम्हारे लिये सवारी बनाई गई और तुम इस की पुश्त पर सवार हो गए तो अब बादशाह और औरतें तुम्हें इस से न उतार दें, रहा बादशाहों का मुआमला तो उन से दुनिया की वज्ह से मत झगड़ो, वह तुम्हारी दुनिया और तुम्हारी पसमांदा चीज़ों को तुम्हें वापस न करेंगे, रही औरतें तो उन से सौमो सलात (नमाज़ रोज़े) से होशयार रहो।
मजीद फ़रमाया : दुनिया तालिब भी है और मतबूल भी है, जो खुशनूदिये खुदा का तालिब होता है दुनिया उस की तालिब रहती है और उसे रिज्क बहम पहुंचाती है और जो दुनिया का तालिब होता है उसे आखिरत तलब करती है और मौत उसे गुद्दी से पकड़ कर ले जाती है।
हज़रते मूसा बिन यसार रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि अल्लाह तआला को अपनी मख्लूक में सब से ज़ियादा ना पसन्द यही दुनिया है, अल्लाह ने इसे जब से पैदा फ़रमाया है कभी नज़रे रहमत से नहीं देखा ।
रिवायत है कि हज़रते सुलैमान बिन दावूद अलैहिस्सलाम एक मरतबा अपने तख्त पर कहीं जा रहे थे, परिंदे आप पर साया कर रहे थे, इन्सान और जिन्नात आप के दाएं बाएं बैठे थे, बनी इस्राईल के एक आबिद ने देख कर कहा : ऐ सुलैमान ! ब खुदा ! अल्लाह ने आप को मुल्के अज़ीम दिया है। आप ने यह सुन कर फ़रमाया कि बन्दए मोमिन के नामए आ’माल में दर्ज सिर्फ एक तस्बीह मेरी तमाम सल्तनत से बेहतर है क्यूंकि यह सब फ़ानी है मगर तस्बीह बाकी रहने वाली है।
फ़रमाने नबवी है : तुम्हें माल की कसरत ने मश्गूल रखा है, इन्सान कहता है मेरा माल, मेरा माल, मगर अपने माल में, जो तू ने खाया वो ख़त्म हो गया, जो पहना वो पुराना हो गया, जो राहे खुदा में खर्च किया वो ही बाकी रहेगा।
फ़रमाने नबवी है : “दुनिया उस का घर है जिस का कोई घर न हो, उस का माल है जिस का कोई माल न हो, बेवुकूफ़ ही इसे जम्अ करता है, बे इल्म ही इस के लिये झगड़ता है ना समझ ही इस के लिये दुश्मनी और हसद करता है और बे यकीन ही इस के हुसूल की कोशिश करता है।”
फ़रमाने नबवी है : जिस की सब से बड़ी तमन्ना हुसूले दुनिया है, अल्लाह तआला के यहां उस का कोई हिस्सा नहीं है, अल्लाह तआला ऐसे के दिल पर चार चीज़ों को मुसल्लत कर देता है, दाइमी गम, दाइमी मश्गूलिय्यत, दाइमी फ़क्र और कभी न पूरी होने वाली आरजूएं।
हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : मुझ से हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : तुझे दुनिया की हक़ीक़त दिखलाऊं ? मैं ने अर्ज की : हां या रसूलल्लाह ! आप सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम मेरा हाथ पकड़ कर मुझे मदीने की एक वादी में ले गए जहां कूड़ा पड़ा था और उस में गन्दगी, चीथड़े और इन्सान के सर की बोसीदा हड्डियां थीं। आप सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : “ऐ अबू हुरैरा ! यह सर भी तुम्हारे सरों की तरह हरीस थे और इन में तुम्हारी तरह बहुत आरजूएं थी मगर आज यह खाली हड्डियां बन चुकी हैं, जिन पर खाल भी नहीं रही और अन करीब यह मिट्टी हो जाएंगे, यह गन्दगी इन के खानों के रंग हैं जिन्हें इन्हों ने कमा कमा कर खाया, आज लोग इन से मुंह फेर कर गुज़रते हैं, यह पुराने चीथड़े जो कभी इन के मल्बूसात थे, आज हवा इन्हें उड़ाए फिरती है और यह इन की सवारियों की हड्डियां हैं जिन पर सवार हो कर यह शहर शहर घूमा करते थे, जो इस दर्दनाक अन्जाम पर रोना पसन्द करता हो उसे रोना चाहिये ।” हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो फ़रमाते हैं : फिर मैं और हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम बहुत रोए
रिवायत है कि जब आदम को ज़मीन पर उतारा गया तो अल्लाह तआला ने फ़रमाया : तबाही के लिये इमारतें बनाओ और मौत के लिये बच्चे पैदा करो।
हज़रते दावूद बिन हिलाल रहमतुल्लाह अलैह से मरवी है कि हज़रते इब्राहीम . के सहीफ़ों में मरकूम है कि ऐ दुनिया ! तू “नेककारों” की नज़र में अपनी तमाम तर जैबो जीनत के बा वुजूद बे वकार है, मैं ने उन के दिलों में तेरी अदावत और तुझ से बे तवज्जोगी रख दी है, मैं ने तुझ जैसी बे वकार कोई और चीज़ नहीं पैदा की, तेरी हर अदा झूटी और फ़ानी है, मैं ने तेरी पैदाइश के वक्त फैसला फ़रमा दिया था कि न तू किसी के पास हमेशा रहेगी और न ही वो हमेशा रहेगा, अगर्चे तुझे पाने वाला कितना ही बुख़्ल करता रहे, नेककारों के लिये मेरी बिशारत है, जिन के दिल मेरी रज़ा पर राज़ी हैं और जिन के दिल सिद्क़ व इस्तिकामत का गहवारा हैं, उन के लिये खुश खबरी है कि जब वो कब्रों से गरौह दर गरौह उठेंगे तो मैं उन्हें यह जज़ा दूंगा कि उन के आगे नूर होगा और फ़रिश्ते उन्हें घेरे हुवे उन की तमन्नाओं के मर्कज़ या’नी बिहिश्त में पहुंचाएंगे। – हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का फ़रमान है : दुनिया ज़मीनो आसमान के दरमियान मुअल्लक है। इसे अल्लाह तआला ने जब से पैदा फ़रमाया है कभी नज़रे रहमत से नहीं देखा, कियामत के दिन दुनिया बारगाहे खुदावन्दी में अर्ज करेगी : मुझे अपने दोस्तों के मुक़द्दर में लिख दे। रब फ़रमाएगा : मैं दुनिया में इस मिलाप को ना पसन्द करता था और आज भी इसे ना पसन्द करता हूं।
हजरते आदम अलैहिस्सलाम की हैरानी व सरगर्दानी
मरवी है कि जब हज़रते आदम ने ममनूआ शजर से खा लिया तो इन्हें पेट में गिरानी महसूस हुई हालांकि जन्नत की ने’मतों में यह बात नहीं है। हज़रते आदम अलैहिस्सलाम क़ज़ाए हाजत के लिये चारों तरफ़ हैरान फिर रहे थे कि अल्लाह तआला के हुक्म से फ़रिश्ता हाज़िर हुवा और कहने लगा : आदम ! हैरान क्यूं फिर रहे हो? आप ने फ़रमाया : मैं अपने पेट की गिरानी ख़त्म करना चाहता हूं, फ़रिश्ता बोला : इस गिरानी को कहां डालोगे ? जन्नत के फर्श पर, तख्तों पर, दरख्तों के साये में, जन्नत की नहरों के किनारों पर ? जन्नत में इन चीजों की कोई जगह नहीं, आप दुनिया में चले जाएं।
फ़रमाने नबी सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम है कि क़ियामत के दिन ऐसे लोग आएंगे जिन के आ’माले हसना तहामा के पहाड़ों के बराबर होंगे, मगर उन्हें जहन्नम की तरफ़ ले जाया जाएगा। सहाबए किराम रज़ीअल्लाहो अन्हो ने पूछा : वो नमाज-रोज़ा अदा करने वाले होंगे ? फ़रमाया : हां ! वो रोज़ादार और रात का एक हिस्सा इबादत में गुजारने वाले होंगे मगर वोह दुनिया के चाहने वाले होंगे।
फ़रमाने नबी सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम है : बन्दए मोमिन दो खौफ़ों के दरमियान रहता है, आ’माले गुज़श्ता पर फ़िक्रमन्द रहता है और आने वाले वक़्त के लिये परेशान रहता है कि अल्लाह तआला की क़ज़ा व क़द्र में मेरे लिये क्या मरकूम है । बन्दा अपनी ज़िन्दगी से अपने लिये भलाई पैदा करे, अपनी दुनिया से आख़िरत को संवारे, हयात से मौत को और जवानी से बुढ़ापे को आरास्ता करे क्यूंकि दुनिया तुम्हारे लिये और तुम आखिरत के लिये बनाए गए हो, रब्बे जुल जलाल की कसम ! जिस के कब्जए कुदरत में मेरी जान है, मौत के बाद बन्दे के लिये और कोई तकलीफ़ देह चीज़ नहीं है और दुनिया के बाद बिहिश्त या दोज़ख़ के सिवा कोई और ठिकाना नहीं है।
हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम का फ़रमान है कि जिस तरह एक बरतन में आग और पानी जम्अ नहीं हो सकते इसी तरह एक दिल में दुनिया और आख़िरत की महब्बत जम्अ नहीं हो सकती।
मरवी है कि हज़रते जिब्रील ने नूह अलैहिस्सलाम से पूछा कि आप ने तो बहुत तवील उम्र पाई है, यह फ़रमाएं कि आप ने दुनिया को कैसा पाया ? आप ने फ़रमाया : “दुनिया एक सराए है जिस के दो दरवाज़े हैं, एक दरवाजे से दाखिल हुवा और दूसरे दरवाजे से मैं निकल गया।”
हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम से कहा गया कि आप अपनी रिहाइश के लिये घर क्यूं नहीं बनाते ? आप ने फ़रमाया गुज़श्ता लोगों के यह पुराने मकान मेरी रिहाइश के लिये बहुत हैं।
फ़रमाने नबवी है कि दुनिया से डरो, यह हारूत व मारूत से भी ज़ियादा जादूगर है।
हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम सहाबए किराम में तशरीफ़ लाए और फ़रमाया : कौन है जो अल्लाह तआला से अन्धेपन का नहीं बल्कि बसारत का सुवाल करता है ? बा ख़बर हो जाओ ! जो दुनिया की तरफ़ माइल हो गया और इस से बे इन्तिहा उम्मीदें रखने लगा उस का दिल अन्धा हो गया और जिस ने दुनिया से किनारा कशी कर ली और इस से कोई मख्सूस उम्मीदें न रखीं, अल्लाह तआला ने उसे नूरे बसीरत अता फ़रमा दिया, वो ता’लीम के बिगैर इल्म और तलाश के बिगैर हिदायत याब हो गया । तुम्हारे बा’द एक कौम आएगी जिन की सल्तनत की बुन्याद क़त्ल और जोरो जफ़ा पर होगी, जिन की अमीरी व तमव्वुल बुख़्ल व तकब्बुर से भरपूर होगी और नफ़्सानी ख्वाहिशात के सिवा उन्हें किसी चीज़ से महब्बत नहीं होगी। ख़बरदार तुम में से कोई अगर वो वक्त पाए और मालदारी की कुव्वत रखते हुवे फ़क़र पर राजी हो जाए, महब्बत पा सकने के बा वुजूद उन से अदावत पर राजी रहे और रिजाए इलाही में इज्जत हासिल कर सकने के बा वुजूद तवाज़ोअ से ज़िन्दगी बसर करे तो अल्लाह तआला उसे पचास सिद्दीकों का दरजा देगा।
मरवी है कि एक मरतबा हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम सख़्त बारिश में घिर गए, आप को पनाह तलाश करते हुवे एक खैमा नज़र आया, जब करीब पहुंचे तो देखा कि उस में एक औरत बैठी हुई है, वापस लौटे तो पहाड़ का एक गार नज़र आया, वहां जा कर देखा तो एक शेर खड़ा था। आप ने उस पर हाथ रखा और अर्ज की : ऐ रब्बे जुल जलाल ! तू ने हर चीज़ का ठिकाना बनाया है, मगर मेरा कोई ठिकाना नहीं है। रब तआला ने फ़रमाया : तेरा ठिकाना मेरी रहमत है, मैं कियामत के दिन अपने दस्ते कुदरत से पैदा कर्दा सो हूरों से तेरा अक्द करूंगा और तेरी दा’वते वलीमा चार हज़ार साल जारी रहेगी, हर साल के दिन दुनिया की ज़िन्दगी के बराबर होंगे और निदा करने वाला मेरे फ़रमान से निदा करेगा : ऐ दुनिया से किनारा कशी करने वालो ! आओ और ज़ाहिदे आज़म ईसा बिन मरयम अलैहिस्सलाम की शादी देखो।
हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम का फ़रमान है कि तालिबे दुनिया के लिये हलाकत हो, वो दुनिया को कैसे छोड़ कर मरेगा जिस की सारी तवज्जोह, ए’तिमाद और भरोसा इसी दुनिया पर है, यह लोग अपनी नापसन्दीदा चीज़ (मौत) का कैसे मुकाबला करेंगे जो इन्हें महबूब चीजों से जुदा कर देगी और जिस के बारे में इन को पहले से ही बता दिया गया था, हलाक हो वो शख्स जिस की तमाम तर कोशिशें हुसूले दुनिया के लिये हैं, जिस के आ’माल गुनाहों पर मुश्तमिल हैं वो कल कियामत के दिन अपने गुनाहों से कैसे रिहाई पाएगा?
अल्लाह तआला ने हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम की तरफ़ वहय की : ऐ मूसा ! तुम्हारा ज़ालिमों के घर से क्या तअल्लुक ? तुम अपनी तवज्जोह और तअल्लुक इस दुनिया से जो बहुत बुरा घर है, हटा लो, यह सिर्फ उसी के लिये अच्छी है जो इस में रह कर अपने ख़ालिक को राजी कर लेता है, ऐ मूसा ! मैं हर मज़लूम को ज़ालिम से उस का हक़ दिलाऊंगा।
सरवरे कौनैन सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का अन्सार से खिताब
मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हज़रते अबू उबैदा बिन ज़र्राह रज़ीअल्लाहो अन्हो को बहरैन भेजा, वो वहां से मालो दौलत ले कर आए, जब अन्सार को उन की आमद की इत्तिलाअ मिली तो वो सब सुब्ह की नमाज़ में हाज़िर हुवे, नमाज़ से फ़ारिग हो कर हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने उन्हें देखा तो हुजूर ने मुस्कुरा कर फ़रमाया : शायद तुम्हें अबू उबैदा के माल ले कर आने की खबर मिल गई है। उन्हों ने अर्ज की : जी हां ! आप ने फ़रमाया : “तुम्हें मुबारक हो ! रब्बे जुल जलाल की कसम ! मुझे तुम्हारे बारे में फ़को फ़ाका का खौफ़ नहीं है बल्कि मैं उस वक्त से डरता हूं जब तुम पर पहली उम्मतों की तरह दुनिया फ़राख हो जाएगी और तुम इस में पहली उम्मतों की तरह मश्गूल हो कर हलाक हो जाओगे ।
हज़रते अबू सईद खुदरी रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : “मैं अक्सर इस बात का अन्देशा करता हूं जब अल्लाह तआला तुम पर यह दुनिया अपनी तमाम फ़ितना सामानियों के साथ फ़राख कर देगा।”
फरमाने नबवी है : अपने दिलों को दुनिया की याद में न लगाओ। आप ने दुनिया की याद से मन्अ कर दिया है जब कि इन्सान अपनी तमाम तर तवज्जोह इसी पर मरकूज़ कर दे।
बेगौर और कफ़न लाशें
हज़रते अम्मार बिन सईद रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम का एक ऐसी बस्ती से गुज़र हुवा जिस के मकीन मुख्तलिफ़ अतराफ़ और रास्तों पर मुर्दा पड़े हुवे थे। आप ने अपने हवारियों से फ़रमाया : यह लोग अल्लाह तआला की नाराज़ी का शिकार हैं वरना इन्हें ज़रूर दफ्न किया जाता । हवारियों ने अर्ज़ की : हम चाहते हैं कि हमें इन के हालात का पता चल जाए, हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम ने रब तआला से दुआ मांगी तो रब्बे जुल जलाल ने फ़रमाया : जब रात आ जाए तो इन से पूछना, यह अपनी हलाकत का सबब बताएंगे। जब रात हुई तो हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम ने कहा : ऐ बस्ती वालो ! एक आवाज़ आई : लब्बैक या रूहुल्लाह ! आप ने पूछा : तुम्हारी यह हालत क्यूं है और इस अज़ाब के नुजूल का बाइस क्या है ? जवाब आया : हम ने आफ़िय्यत की ज़िन्दगी गुज़ारी और जहन्नम के मुस्तहिक़ क़रार पाए, इस लिये कि हम दुनिया से महब्बत रखते थे और गुनहगारों की पैरवी किया करते थे। आप ने पूछा : तुम्हें दुनिया से कैसी महब्बत थी ? जवाब आया : जैसे मां को बच्चे से महब्बत होती है, जब हमारे पास दुनिया आ जाती हम निहायत मसरूर होते और जब दुनिया चली जाती तो हम निहायत गमगीन हो जाते । आप ने फ़रमाया : क्या वज्ह है कि सिर्फ तू ही जवाब दे रहा है और तेरे बाकी साथी ख़ामोश हैं ? जवाब मिला : ताक़तवर पुर हैबत फ़रिश्तों ने इन को आग की लगामें डाली हुई है। आप ने फ़रमाया : फिर तू कैसे जवाब दे रहा है ? जवाब मिला : मैं इन में रहता ज़रूर था मगर इन जैसी बद आ’मालियां नहीं करता था, जब अज़ाबे इलाही आया तो मैं भी इस की लपेट में आ गया, अब मैं जहन्नम के किनारे पर लटका हुवा हूं, क्या खबर इस से नजात पाता हूं या इस में गिर जाता हूं। हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम ने हवारियों को फ़रमाया : नमक से जव की रोटी खाना, फटा पुराना कपड़ा पहनना और कूड़े के ढेर पर सो जाना, दुनिया और आखिरत की भलाई के लिये बहुत उम्दा है।
हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की अज़बा नामी ऊंटनी थी जो तेज़ रफ़्तारी में सब से उम्दा थी, एक दफ़्आ एक बदवी की ऊंटनी इस से आगे निकल गई जिस की वज्ह से सहाबा को बहुत अफ्सोस हुवा, आप ने फ़रमाया : यह कानूने कुदरत है कि हर कमाल को जवाल नसीब होता है।
हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : “कौन है जो समन्दर की लहरों पर इमारत बनाए ! यह दुनिया इसी तरह है तुम इसे जाए करार न बनाओ।
हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम से कहा गया : हमें एक ऐसी चीज़ बतलाइये जिस के सबब अल्लाह तआला हमें महबूब बना ले, फ़रमाया : तुम दुनिया से अदावत रखो, अल्लाह तआला तुम्हें महबूब रखेगा।
हज़रते अबुदरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जो कुछ मैं जानता हूं अगर तुम जानते तो कम हंसते और जियादा रोते और दुनिया पर आखिरत को तरजीह देते ।
हजरते अबुदरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो का मुसलमानों से खिताब
हज़रते अबुदरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो ने फ़रमाया : ऐ लोगो ! जो कुछ मैं जानता हूं अगर तुम जानते तो आबादी छोड़ कर वीरान टीलों की तरफ निकल जाते और अपने को रियाज़त में मश्गूल करते, गिर्या व जारी करते और ज़रूरी सामान के इलावा तमाम मालो मताअ छोड़ देते, लेकिन दुनिया तुम्हारे आ’माल की मालिक बन गई है और दुनिया की उम्मीदों ने तुम्हारे दिल से आखिरत की याद मिटा कर रख दी है, और तुम (इस के लिये) जाहिलों की तरह सरगर्दी हो, तुम में से बाज़ लोग जानवरों से भी बदतर हैं, जो अपनी ख्वाहिशात में अन्धे बन कर अन्जाम की फ़िक्र नहीं करते, तुम सब “दीनी भाई” होते हुवे एक दूसरे से महब्बत नहीं करते हो और न ही एक दूसरे को नसीहत करते हो, तुम्हारे खबसे बातिन ने तुम्हारे रास्ते जुदा कर दिये हैं, अगर तुम सिराते मुस्तकीम पर चलते तो ज़रूर बाहम महब्बत करते, तुम दुनियावी उमूर में तो बाहम मश्वरे करते हो मगर आख़िरत के उमूर में मश्वरा नहीं करते और तुम उस ज़ात से महब्बत नहीं रखते जो तुम्हें महबूब रखता है और तुम्हें आखिरत की भलाई की तरफ़ ले जाना चाहता है।
यह सब इस लिये है कि तुम्हारे दिलों में ईमान कमज़ोर पड़ चुका है, अगर तुम आख़िरत की भलाई और बुराई पर यकीन रखते जैसे दुनियावी ऊंच नीच पर यकीन रखते हो तो तुम दुनिया पर आख़िरत को तरजीह देते क्यूंकि आखिरत तुम्हारे आ’माल की मालिक है। अगर तुम यह कहो कि हम पर दुनिया की महब्बत गालिब है तो यह तुम्हारा बेकार बहाना है क्यूंकि तुम मुकर्ररा मीआद पर आने वाली आखिरत पर इस दुनिया को तरजीह दे रहे हो और अपने जिस्म को उन कामों से दुख दर्द झेलने पर मजबूर कर रहे हो जिन्हें तुम कभी भी नहीं पा सकते, तुम बड़े ना हन्जार हो, तुम ईमान की हक़ीक़त को पहचानते ही नहीं। अगर तुम्हें मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की लाई हुई किताब (कुरआने मजीद) में शक है तो हमारे पास आओ ! हम तुम्हारी ऐसे नूर की तरफ़ राहनुमाई करेंगे जिस से तुम्हारे दिल मुतमइन हो जाएं, ब खुदा ! तुम कम अक्ली का बहाना बना कर जान नहीं छुड़ा सकते क्यूंकि दुनियावी उमूर में तुम पुख्ता राय वाले हो और इन्हें ब खूबी सर अन्जाम दे रहे हो। तुम्हें क्या हो गया है ! तुम मा’मूली सी दुनिया पर खुश हो जाते हो और मामूली से दुनियावी नुक्सान पर इन्तिहाई रन्जीदा हो जाते हो, तुम्हारे चेहरे और ज़बानें दुख की मुज़हिर है और तुम इसे मुसीबत कहते हो और तुम दुनिया पर गुनाहों से आलूदा ज़िन्दगी बसर करते हो और दीन के अक्सर अहकामात को नज़र अन्दाज़ कर देते हो और इस से न तुम्हारे चेहरों पर शिकन आती है और न ही तुम्हारी हालत में कोई तग़य्युर पैदा होता है। ऐसा मा’लूम होता है जैसे अल्लाह तआला तुम से बरी हो, तुम बाहम महब्बत रखते हो, मगर अल्लाह तआला के हुजूर हाज़िरी को अपनी बद आ’मालियों की वज्ह से बहुत बुरा समझते हो, तुम ख़ाइन बन गए और उम्मीदों के पीछे दौड़ने लगे और मौत का इन्तिज़ार ख़त्म कर दिया। मैं अल्लाह तआला से दुआ मांगता हूं : वो मुझे तुम से अलाहिदगी बख़्शे और मुझे अपने महबूब की ख़िदमत में पहुंचा दे। अगर तुम में नेक बनने की तड़प है तो मैं तुम्हें बहुत कुछ बता चुका, अल्लाह तआला से ने मतों का सवाल करो, बहुत आसानी से पा लोगे, मैं अपने और तुम्हारे लिये अल्लाह से दुआ मांगता हूं।
हजरते ईसा अलैहिस्सलाम का एक नासिहाना इरशाद
हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम ने अपने हवारियों से फ़रमाया : जिस तरह दुनियादार दुनिया की चाहत में मामूली से दीन पर राजी हैं तुम भी दीन की सलामती के लिये मामूली सी दुनिया पर राजी हो जाओ।
इसी मौजूअ पर किसी शाइर ने कहा है :
मैं ने लोगों को देखा है वोह थोड़े से दीन पर राजी हो गए मगर थोड़ी सी दुनिया पर राज़ी नहीं हुवे। जिस तरह दुनियादार दुनिया के बदले दीन से बे नियाज़ हो गए हैं तू भी दीन के बदले दुनिया से बे नियाज़ हो जा।
हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : ऐ दुनिया को सोने चांदी के लिये तलब करने वाले ! तर्के दुनिया बहुत उम्दा चीज़ है।
हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : मेरे बाद तुम पर दुनिया आएगी और तुम्हारे ईमान को ऐसे खा जाएगी जैसे आग लकड़ियों को खा जाती है।
दुनिया की महब्बत सब से बड़ा गुनाह है।
अल्लाह तआला ने हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम की तरफ़ वहय की : ऐ मूसा ! दुनिया की महब्बत में मश्गूल न होना, मेरी बारगाह में इस से बड़ा कोई गुनाह नहीं है।
रिवायत है कि हज़रते मूसा एक रोते हुवे शख्स के पास से गुज़रे, जब आप वापस हुवे तो वो शख्स वैसे ही रो रहा था, मूसा ने बारी तआला से अर्ज किया : या अल्लाह ! तेरा बन्दा तेरे खौफ़ से रो रहा है, अल्लाह तआला ने फ़रमाया : मूसा ! अगर आंसू के रास्ते इस का दिमाग बाहर निकल आए और इस के उठे हुवे हाथ टूट जाएं तब भी मैं इसे नहीं बख्शुन्गा क्यों कि यह दुनिया से महब्बत रखता है।
हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो का क़ौल है कि जिस शख्स में छे आदतें पाई जाती हैं, वो नारे जहन्नम से दूर और जन्नत का तालिब है
अल्लाह को पहचान कर उस की इबादत की।
शैतान को पहचान कर उस की मुखालफ़त की।
हक़ को पहचान कर उस की इत्तिबा की।
बातिल को पहचान कर उस से इजतिनाब किया। दुनिया को पहचान कर उसे तर्क कर दिया। और आखिरत को पहचान कर उस का तलबगार रहा।
हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो का क़ौल है कि अल्लाह तआला ने उन लोगों पर रहम फ़रमाया जिन के पास दुनिया अमानत के तौर पर आई और उन्हों ने इसे खियानत के बिगैर लौटा दिया और अल्लाह की बारगाह में बहुत सबुक- बार रवाना हुवे।
मज़ीद फ़रमाया : जो तुझे दीन की तरफ़ रगबत दिलाए उसे कबूल कर ले और जो तुझे दुनिया की तरफ रगबत दिलाए, उसे उस के गले में डाल दे। (क़बूल न कर)
दुनिया एक गहरा समुन्दर है
हज़रते लुक्मान अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे को वसियत की, कि यह दुनिया बहुत गहरा समन्दर है, इस में बहुत लोग गर्क हो गए हैं, इस से गुजरने के लिये खौफे खुदा की किश्ती बना, जिस में भराव ईमाने खुदावन्दी का हो और इसे तवक्कुल के रास्तों पर चला ताकि नजात पा जाए वरना नजात की कोई सूरत नहीं है।
हज़रते फुजेल रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि मैं इस इरशादे रब्बानी :
“बिला शुबा हम ने जमीन की चीज़ों को जमीन के लिये जीनत बना दिया है ताकि आजमाएं कौन अच्छे अमल करता है और हम इन चीज़ों को बन्जर ना काबिले ज़राअत बनाने वाले हैं।” मैं बहुत गौरो फ़िक्र करता हूं। एक हकीम का क़ौल है कि तुझे दुनिया में जो कुछ मिला है तुझ से पहले भी कुछ लोग इस के मालिक बने थे और तेरे बा’द भी और लोग इस के मालिक बनेंगे, तेरे लिये दुनिया में सुब्हो शाम की रोटी है, इस रोटी के लिये खुद को हलाकत में न डाल, दुनिया से रोज़ा रख और आखिरत पर इफ्तार कर, दुनिया का माल ख्वाहिशात हैं और इन का मनाफ़ेअ नारे जहन्नम है।
किसी राहिब से ज़माने के मुतअल्लिक़ पूछा गया, उस ने जवाब दिया : यह जिस्मों को पुराना करता है, उम्मीदें बढ़ाता है, मौत को करीब करता है और आरजूओं को दूर कर देता है। दुनिया वालों के मुतअल्लिक़ पूछा गया तो उस ने कहा : जिस ने दुनिया को पा लिया वो दुख में मुब्तला हुवा और जिस ने इसे न पाया वो मुसीबत में घिर गया इसी लिये कहा गया है :
जो दुनियावी ऐशो इशरत के सबब इस की तारीफ़ करता है, मुझे ज़िन्दगी की क़सम अन करीब वह इसे बुरा भला कहेगा। जब दुनिया चली जाती है तो हसरत छोड़ जाती है और जब आती है तो बहुत से गम साथ ले कर आती है।
एक दाना का कौल है : “दुनिया थी और मैं नहीं था, यह दुनिया रहेगी और मैं नहीं रहूंगा, मैं इस की परवा नहीं करता हूं क्यूंकि इस की ज़िन्दगी कलील है, इस की सफ़ा में भी कदूरत है, इस में रहने वाले इस के जाइल होने, मुसीबत के नाज़िल होने और मौत के आने से सख्त खौफ़ज़दा रहते हैं।” ।
एक और दाना का कौल है : दुनिया इन्सान को उस की मन्शा के मुताबिक़ नहीं मिलती, या तो ज़ियादा मिलती है या फिर कम । हज़रते सुफियान रहमतुल्लाह अलैह का कौल है : तुम दुनिया की ने’मतों को देखो वो अपनी बुराई की वज्ह से हमेशा नालाइकों के पास ही होती हैं।
हज़रते अबू सुलैमान दुर्रानी रहमतुल्लाह अलैह का क़ौल है कि जब किसी तालिबे दुनिया को दुनिया मिलती है तो वो ज़ियादा की तमन्ना करता है और जब किसी तालिबे आखिरत को आख़िरत का अज्र मिलता है तो वो ज़ियादा की तमन्ना करता है, न उस की तमन्ना ख़त्म होती है और न इस की तमन्ना ख़त्म होती है।
एक शख्स ने हज़रते अबू हाज़िम रहमतुल्लाह अलैह से दुनिया की महब्बत का शिकवा किया और यह भी बतलाया कि मेरा कोई घर नहीं है। आप ने कहा : जो कुछ तुम को अल्लाह ने दिया है इस में से सिर्फ रिज्के हलाल ले लो और इसे सहीह मसरफ़ में खर्च करो, इस तरह तुम को दुनिया की महब्बत कोई नुक्सान नहीं देगी और आप ने यह इस लिये फ़रमाया कि अगर तू ने अपने नफ्स को इस से लगाया तो यह तुझे ऐसी तक्लीफ़ में डाल देगी कि तू दुनिया से तंग हो जाएगा और इस से निकलने की कोशिश करेगा।
हज़रते यहूया बिन मुआज़ – रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि दुनिया शैतान की दुकान है, इस में से कुछ न लो, अगर तुम ने कुछ ले लिया तो शैतान तलाश करता हुवा तुम तक पहुंच जाएगा।
खालिस सोने पर मिटटी की ठीकरी के टुकड़े को तरजीह किस तरह हो सकती है?
हज़रते फुजैल रहमतुल्लाह अलैह का क़ौल है कि अगर दुनिया मिट जाने वाले सोने और आखिरत बाकी रहने वाली ठीकरी की होती, तब भी फ़ानी चीज़ पर बाकी रहने वाली चीज़ को तरजीह देना मुनासिब होता जबकि यह दुनिया ठीकरी है और आख़िरत ख़ालिस सोना है मगर हम ने फिर भी दुनिया को पसन्द कर लिया है।
हज़रते अबू हाज़िम रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि तलबे दुनिया से बचो, मैं ने सुना है जो शख्स दुनिया की तौकीर करता है, कियामत के दिन उसे बारगाहे खुदावन्दी में खड़ा कर के कहा जाएगा : यह उस चीज़ की इज्जत करता था जिसे अल्लाह ने जलील पैदा किया था।
हज़रते इब्ने मसऊद रहमतुल्लाह अलैह का क़ौल है : इस दुनिया में हर शख्स बतौरे मेहमान है और यहां की हर चीज़ उधार है, मेहमान आख़िर कूच कर जाता है और उधार चीज़ वापस करनी पड़ती है।
इसी मौजूअ पर एक और शाइर ने इस तरह इज़हारे ख़याल किया है :
यह माल और औलाद उधार चीजें हैं इन्हें एक दिन यक़ीनन वापस करना है।
हज़रते राबिआ रहमतुल्लाह अलैहा के यहां इन के साथी जम्अ हुवे और दुनिया की मज़म्मत का जिक्र छेड़ दिया। आप ने कहा : चुप हो जाओ ! दुनिया का ज़िक्र न करो ! शायद तुम्हारे दिलों के किसी गोशे में दुनिया की महब्बत ज़रूर मौजूद है क्यूंकि जिस शख्स को जिस चीज़ से महब्बत हो जाती है वह अक्सर उस का जिक्र करता है।
हज़रते इब्राहीम बिन अदहम रहमतुल्लाह अलैह से दुनिया के बारे में सवाल किया गया तो उन्हों ने फ़रमाया :
हम ने दुनिया के लिये दीन को पारा पारा कर दिया मगर न दुनिया मिली और न दीन बाकी रहा। वो बन्दा खुश नसीब होता है जिस ने अल्लाह की तरफ़ तवज्जोह की और दुनिया को बेहतर आखिरत की उम्मीद में सर्फ कर दिया।
एक और शाइर कहता है:
दुनिया के तलबगार की अगर्चे तवील उम्र हो और उसे हर किस्म का ऐशो नशात मुयस्सर हो। मगर मैं इसे उस शख्स जैसा समझता हूं जिस ने एक इमारत बनाई और वो इमारत मुकम्मल होते ही ज़मीन बोस हो गई हो।
एक और शाइर कहता है :
यह दुनिया आखिर किसी और की तरफ़ मुन्तकिल हो जाएगी, इसे राहे खुदा में खर्च कर दे, . तुझे बख्शिश से हम किनार करा देगी। तेरी दुनिया साए की तरह है, कुछ देर तेरे ऊपर साया गुस्तर रहेगी और फिर ढल जाएगी।
हज़रते लुक्मान ने अपने बेटे से कहा : ऐ बेटे ! दुनिया को आख़िरत के लिये बेच दे दोनों तरफ़ से नफ्अ उठाएगा और आख़िरत को दुनिया के लिये न बेच कि दोनों तरफ से नुक्सान में रहेगा।
हज़रते मुतर्रिफ़ बिन शिख्खीर रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि बादशाहों के ऐशो निशात और नर्मो नाजुक लिबास को न देखो बल्कि यह देखो कि वो दुनिया से कितनी जल्दी जा रहे हैं और कैसा बुरा ठिकाना उन को मिलेगा।
हज़रते इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है, अल्लाह तआला ने दुनिया के तीन हिस्से किये हैं, एक हिस्सा मोमिन के लिये, दूसरा मुनाफ़िक के लिये और तीसरा हिस्सा काफ़िर का है। मोमिन इसे ज़ादे राह बनाता है, मुनाफ़िक जैबो जीनत करता है और काफ़िर इस से नफ्अ अन्दोज़ होता है।
बा’ज़ सालिहीन का कौल है कि दुनिया मुर्दार है, जो इसे हासिल करना चाहता है वो कुत्तों की ज़िन्दगी बसर करने पर तय्यार है, इसी लिये कहा गया है :
ऐ दुनिया को अपने करीब बुलाने वाले ! तू इसे न बुला, सलामत रहेगा। जिस फ़रेबी को तुम अपने पास बुला रहे हो वो हैबतनाक और गुनाह से मा’मूर चीज़ है।
हज़रते अबुद्दरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है कि अल्लाह तआला के यहां दुनिया की बे क़द्री इस लिये है कि हर गुनाह इसी में परवान चढ़ता है और इस से किनारा कशी किये बिगैर अल्लाह तआला की ने’मतों को नहीं पाया जा सकता, इसी लिये कहा गया है :
जब अक्लमन्द ने दुनिया को जांचा तो इसे दोस्त के लिबास में एक दुश्मन नज़र आया। इसी मौजूअ पर चन्द अश्आर यह भी है :
ऐ अव्वल रात में खुश खुश सोने वाले ! हवादिसाते ज़माना कभी रात के आखिरी हिस्से में भी नाज़िल होते हैं। दिन रात की गर्दिश ने उन सदियों को भी फ़ना कर दिया जो खुशहाली में बे मिसाल थीं। गर्दिशे दौरां ने ऐसे कितने मुल्कों को वीरान कर दिया जो ज़माने में सुख-दुख देने वाले थे। .ऐ फ़ानी दुनिया को गले लगाने वाले ! तू सुब्हो शाम सफ़र में है (फिर गले लगाने से क्या फाइदा ?) .तू ने दुनिया से तअल्लुक़ ख़त्म क्यूं नहीं किया ताकि जन्नतुल फ़िरदौस में इफ्फ़त मआब हूरों से हम आगोश हो सकता। .अगर तू जन्नत में सुकूनत का ख्वाहिश मन्द है तो तुझे नारे जहन्नम से बे ख़ौफ़ नहीं होना चाहिये।
हज़रते अबू उमामा बाहिली रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि जब हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को मबऊस फ़रमाया गया तो शैतान अपने लश्कर के पास आया, उन्हों ने शैतान से कहा : एक नबी मबऊस हुवा है और इस के साथ उस की उम्मत भी है। शैतान ने पूछा : क्या वोह लोग दुनिया को पसन्द करते हैं ? उन्हों ने कहा : हां । शैतान ने कहा : फिर तो कोई परवा नहीं, अगर वोह बुतों को नहीं पूजते तो न पूजें, हम उन्हें तीन बातों में फंसाएंगे : दूसरे की चीज़ ले लेना, गैर पसन्दीदा जगहों पर खर्च करना और लोगों के हुकूक़ अदा न करना येही तीन चीजें तमाम बुराइयों की बुन्याद हैं।
एक आदमी ने हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो से दुनिया की तारीफ़ पूछी : आप ने फ़रमाया : मैं उस घर की क्या तारीफ़ करूं जिस का सेहतमन्द अस्ल में बीमार, जिसका बे खौफ़ पशेमान, जिस का मुफ़्लीस गमगीन, जिस का मालदार मसाइब में मुब्तला हो और जिस के हलाल का हिसाब हो, हराम पर अज़ाब हो और मश्कूक पर मलामत हो । यही बात आप से दूसरी मरतबा पूछी गई तो आप ने फ़रमाया : वजाहत से बयान करूं या मुख़्तसर जवाब दूं ? अर्ज किया गया : मुख्तसरन फ़रमाइये ! आप ने फ़रमाया : इस के माले हलाल का हिसाब है और हराम पर अज़ाब है।
हज़रते मालिक बिन दीनार रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि ज़बर दस्त जादूगर से बचो जो उलमा के दिलों पर भी जादू चला लेती है और फ़रमाया गया : वो जादूगर दुनिया है।
दुनिया किस सूरत में मुजाहमत करती है
हज़रते अबू सुलैमान अद्दारानी रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि जब दिल में आख़िरत का तसव्वुर बसा हुवा हो तो दुनिया इस से मुज़ाहमत करती है और जब दिल में दुनिया का तसव्वुर बसा हो तो आख़िरत कोई मुजाहमत नहीं करती इस लिये कि आखिरत के तसव्वुरात करीमाना हैं
और दुनियावी वसाविस इन्तिहाई जाहिलाना हैं और यह बहुत बड़ी बात है। हमारे खयाल में इस सिलसिले में जनाबे सय्यार बिन अल हकम रहमतुल्लाह अलैह की बात ज़ियादा दानिशमन्दाना है, इन्हों ने कहा है : दुनिया और आख़िरत दोनों दिल में जम्अ होती हैं फिर इन में जो गालिब आ जाए दूसरा फरीक उस का ताबेअ बन जाता है।
दुनिया का गम बढ़ता है तो आखिरत का गम कम हो जाता है।
हज़रते मालिक बिन दीनार रहमतुल्लाह अलैह का इरशाद है : तुम जिस कदर दुनिया के लिये गमगीन होते हो उसी कदर आखिरत का गम कम हो जाता है और जिस क़दर आखिरत का गम खाते हो इसी क़दर दुनिया का गम मिट जाता है, आप का यह कौल हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो के इस इरशाद से माखूज़ है कि दुनिया और आखिरत दो सोकनें हैं, एक को जितना राज़ी करोगे, दूसरी उतनी ही नाराज़ होगी।
हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो क़ौल है : ब खुदा ! रब ने ऐसी कौमें भी पैदा की हैं जिन के सामने यह दुनिया मिट्टी की तरह बे वकार थी, उन्हें दुनिया के आने जाने की कोई परवाह नहीं थी चाहे वो इस के पास हो या उस के पास हो।
किसी ने हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो से ऐसे शख्स के मुतअल्लिक़ पूछा जिस को अल्लाह तआला ने माल दिया है, वो इस से राहे खुदा में देता है और सिलए रहमी करता है, क्या ऐसा शख्स तलाशे मआश करे ताकि कुछ और दुनिया हासिल करे ? आप ने फ़रमाया : नहीं, अगर सारी दुनिया उसी के दामन में सिमट आए तब भी उस के लिये बस एक दिन की रोज़ी होगी।
हज़रते फुजेल रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है कि अगर मुझे सारी दुनिया कस्बे हलाल की सूरत में मिल जाए मगर आख़िरत की भलाई इस में न हो तो मैं इस से इस तरह दामन बचा के निकल जाऊंगा जैसे तुम मुर्दार से दामन बचा के निकल जाते हो।
जब हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो शाम की ममलुकत में दाखिल हुवे तो हज़रते अबू उबैदा रज़ीअल्लाहो अन्हो एक ऊंटनी पर आप के इस्तिकबाल के लिये हाज़िर हुवे जिस की नकील रस्सी की थी, सलाम व दुआ के बाद हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो इन के खेमे में तशरीफ़ लाए, वहां ऊंट के पालान, तल्वार और ढाल के इलावा कुछ नहीं था, हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो ने पूछा : कोई और सामान भी है ? उन्हों ने अर्ज़ किया : हमारे आराम के लिये येही कुछ काफ़ी नहीं है?
हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है कि दुनिया की महब्बत में डूब कर बनी इस्राईल ने अल्लाह की इबादत को छोड़ कर बुतों की इबादत शुरू की थी।
हज़रते सुफ्यान रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है कि बदन के लिये दुनियावी गिजा हासिल करो और दिल के लिये उख़रवी गिजा की तलाश करो।
हज़रते वहब रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है, मैं ने एक किताब में पढ़ा है कि दुनिया, अक्लमन्दों के लिये माले गनीमत और जाहिलों के लिये सामाने गफ़्लत है, उन्हों ने इस की हक़ीक़त न जानी यहां तक कि दुनिया से कूच कर गए, जब वहां उन पर इस की हक़ीक़त मुन्कशिफ़ हुई तो उन्हों ने वापसी का सुवाल किया जो ना मन्जूर हुवा।
हज़रते लुक्मान ने अपने बेटे से कहा : ऐ बेटे ! अगर तू ने दुनिया से बे तवज्जोगी बरती और आखिरत की तरफ़ मुतवज्जेह रहा तो ऐसे घर के करीब पहुंच गया जो इस घर से ब-दरजहा बेहतर है।
हज़रते सईद बिन मसऊद रहमतुल्लाह अलैह का क़ौल है कि जब तुम किसी ऐसे शख्स को देखो जिस की दुनिया बढ़ रही हो और आखिरत कम हो रही हो मगर वो इस बात पर राजी हो तो समझ लो कि वोह शख्स फ़रेब खुर्दा है कि उस की सूरत मस्ख की जा रही है और उसे महसूस भी नहीं हो रहा है।
हज़रते अम्र बिन अल आस रज़ीअल्लाहो अन्हो ने मिम्बर पर खड़े हो कर फ़रमाया : ब खुदा ! मैं ने तुम जैसी कौम नहीं देखी, जिस चीज़ से हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम किनारा कश रहे तुम उस में मगन हो, ब खुदा नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम पर ऐसे तीन दिन कभी नहीं गुज़रे कि इन पर इन के माल से ज़ियादा कर्ज न हो।
हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो ने यह आयत : पढ़ कर फ़रमाया कि जानते हो यह किस का फ़रमान है ? यह ख़ालिके दुनिया, मालिके दुनिया रब तआला का फ़रमान है। खुद को दुनिया में मश्गूलिय्यत से बचाओ ! दुनिया में बहुत से शग्ल हैं, अगर इन्सान दुनिया के किसी शागल का दरवाज़ा खोल देता है तो उस पर दुनिया के दस और दरवाजे खुद ब खुद खुल जाते हैं। ……तर्जमए कन्जुल ईमान : “तो हरगिज़ तुम्हें धोका न दे दुनिया की ज़िन्दगी । मजीद फ़रमाया कि इन्सान कितना मिस्कीन है, एक ऐसे घर पर राजी हो गया है जिस के हलाल का हिसाब होगा और हराम पर अज़ाब ! अगर वो कसबे हलाल से दुनिया हासिल करता है तो कियामत के दिन उस से इस का हिसाब लिया जाएगा और अगर माले हराम खाता है तो अज़ाब में मुब्तला होगा, इन्सान माल को कम समझता है मगर अफ्सोस कि अमल को कम नहीं समझता, दीनी मुसीबत पर खुश होता है और दुनियावी मुसीबत पर फ़रयाद व फुगां करता है।
हज़रते हसन बसरी रज़ीअल्लाहो अन्हो ने हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ को एक खत लिखा जिस में बा’द अज़ तस्लीमात तहरीर फ़रमाया कि तुम आखिरी इन्सान हो जिन्हों ने मौत का प्याला पिया। आप ने जवाब में लिखा : बा’द अज़ तस्लीम गोया तुम दुनिया में कभी नहीं रहे और हमेशा आख़िरत में रहे हो । (या’नी मेरी तरह दुनिया में तुम भी रहते हो और मौत का प्याला तुम को भी पीना है)
हज़रते फुजेल बिन अयाज़ रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि दुनिया में आना आसान है मगर इस से निकलना सख्त मुश्किल है।
बा’ज़ सूफ़िया का कौल है कि उस शख्स पर इन्तिहाई तअज्जुब है जो मौत को हक़ समझते हुवे भी मसरूर है ! जहन्नम को यकीनी समझते हुवे भी हंसता है ! दुनिया की हलाकतों को देखते हुवे भी मुतमइन है ! तक़दीरे खुदा को यकीनी समझते हुवे भी गमगीन है !
हज़रते अमीरे मुआविया रज़ीअल्लाहो अन्हो के पास नजरान का एक ऐसा शख्स आया जिस की उम्र दो सो साल थी, आप ने पूछा : तू ने दुनिया को कैसा पाया ? कहने लगा : बुरी भी है भली भी है, दिन के बदले दिन और रात के बदले रात, इस की बुराई और भलाई बराबर रहती है, बच्चा पैदा होता और इसे हलाक करने वाला हलाक कर देता है अगर नई मख्लूक पैदा न होती रहती तो मख्लूक बहुत पुरानी और वीरान वीरान सी हो जाती और अगर हलाक करने वाला न होता तो यह दुनिया मख्लूक से भर जाती और अपनी तमाम तर वुस्अत के बा वुजूद तंग हो जाती । आप ने फ़रमाया : कुछ मांगना हो तो मांगो, उस ने जवाब दिया : मेरी गुज़श्ता उम्र लौटा दीजिये या अजले मुकर्ररा को टाल दीजिये, आप ने फ़रमाया : यह चीजें तो मेरे दायरा ए इख्तियार में नहीं हैं, उस शख्स ने जवाब दिया फिर आप से मुझे कुछ और मांगना नहीं है।
हज़रते दावूद ताई रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि ऐ इन्सान ! तू उम्मीदों को पा कर खुश हो रहा है हालांकि तेरी अजल करीब आ गई है और तू ने नेक आ’माल में ताख़ीर की है, गोया यह तेरे नहीं किसी और के काम आते।
हज़रते बिशर रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि जो शख्स अल्लाह से दुनिया मांगता है वो गोया अल्लाह की बारगाह में बहुत देर तक हिसाब के लिये ठहरने का सवाल करता है।
हज़रते अबू हाज़िम रहमतुल्लाह अलैह का क़ौल है कि दुनिया में कोई भी चीज़ ऐसी नहीं है जो तुझे मसरूर करे मगर अल्लाह तआला ने इस में एक ऐसी सिफ़त भी रख दी है जो तुझे बुरी मा’लूम होगी।
हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हर इन्सान दिल में तीन हसरतें ले कर मरता है एक यह कि वो अपने जम्अ कर्दा माल से सैर होता और वो सैर नहीं हुवा, दूसरे यह कि अपनी उम्मीदों को पायए तक्मील तक पहुंचाता मगर न पहुंचा सका और तीसरे यह कि वो आखिरत के लिये नेक अमल भेजता और न भेज सका।
एक बन्दए मोमिन से किसी ने कहा कि मैं ने “गना” को पा लिया है। उस ने कहा : जिस ने खुद को दुनिया की गुलामी से आज़ाद कर लिया, हक़ीकी मालदारी उसी ने पाई । (या’नी गना को पाने का दावा वो ही कर सकता है)
हज़रते अबू सुलैमान रहमतुल्लाह अलैह का क़ौल है कि दुनिया की ख्वाहिशात से वो ही रुकता है जिस के दिल में आखिरत की फ़िक्र होती है। हज़रते मालिक बिन दीनार रहमतुल्लाह अलैह का फरमान है कि हम ने महब्बते दुनिया में एक दूसरे से सुल्ह कर ली है, हम में से कोई किसी को न हुक्म देता है, न मन्अ करता है हालांकि अल्लाह तआला ने हमें इस चीज़ का हुक्म नहीं फ़रमाया, क्या खबर हम किस किस्म के अज़ाब में मुब्तला होंगे।
हज़रते अबू हाज़िम रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि दुनिया की मामूली सी महब्बत भी आखिरत से काफ़ी बे तवज्जोगी पैदा कर देती है।
हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो फ़रमाया करते थे कि दुनिया की बे कद्री करो, यह अपनी बे क़द्री करने वालों पर बहुत आसान है। मजीद इरशाद फ़रमाया कि जब अल्लाह तआला किसी बन्दे की बेहतरी का इरादा फ़रमाता है तो उसे दुनिया का अतिय्या देता है, जब वो ख़त्म हो जाती है तो और दे देता है और जब बन्दा दुनिया को हकीर समझने लगता है तो अल्लाह तआला उसे बे अन्दाज़ा मालो दौलत दे देता है।
एक सालेह अपनी दुआ में कहा करते थे कि ऐ आस्मानों को ज़मीन पर गिरने से रोकने वाले ! मुझ से दुनिया को रोक ले ।
हज़रते मोहम्मद बिन मुन्कदिर रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि क़ियामत के दिन ऐसे शख्स भी होंगे जिन्हों ने ज़िन्दगी के दिन रोजों में और रातें इबादत में गुज़ारी होंगी, राहे खुदा में मालो दौलत खर्च किया होगा, राहे खुदा में जिहाद किया होगा और मुन्करात से अपना दामन बचाया होगा मगर उन के बारे में कहा जाएगा : यह वो हैं जिन्हों ने रब की हक़ीर कर्दा चीज़ को बहुत बड़ा समझा था और रब की बा अज़मत चीज़ों को इन्हों ने हक़ीर समझा था, ज़रा सोचो तो सही हम में कितने ऐसे हैं जो इस मुसीबत में मुब्तला नहीं हैं, इलावा अज़ीं गुनाहों के कोहे गिरां का बार भी हमारी गर्दनों पर मौजूद है।
हज़रते अबू हाज़िम रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि दुनिया और आखिरत दोनों के हुसूल में दुश्वारियां हैं। फ़र्क यह है कि आखिरत के हुसूल में आप किसी को मददगार नहीं पाएंगे मगर दुनिया के हुसूल में जब भी किसी चीज़ की जानिब हाथ बढ़ाओगे तो दूसरे बद बख़्त को अपने से पहले मौजद पाओगे।
हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि अल्लाह तआला ने जब से दुनिया को पैदा किया है वोह ज़मीनो आस्मान के दरमियान पुराने मश्कीजे की तरह लटकी हुई है और इसी तरह कियामत तक लटकती रहेगी, जब वो अल्लाह तआला से सवाल करती है ऐ अल्लाह ! तू ने मुझे क्यूं ना पसन्द फ़रमाया है ? तो रब्बे करीम फ़रमाता है : ऐ नाचीज़ ख़ामोश रह!
हज़रते अब्दुल्लाह बिन मुबारक रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि जब दुनिया की महब्बत और गुनाहों ने दिल को अपना शिकार बना लिया है, अब इस में भलाई कैसे पहुंच सकती है?
हज़रते वहब बिन मुनब्बेह रहमतुल्लाह अलैह का क़ौल है : जिस शख्स का दिल किसी दुनियावी चीज़ से खुश हो गया वो दानाई से हट गया और जिस ने दुनियावी ख्वाहिशात को अपने पैरों तले रौंद दिया, शैतान उस के साए से भी भागता है और जिस का इल्म ख्वाहिशात पर गालिब आ गया, हकीक़त में वो ही गालिब है।
दुनिया से महब्बत रखने वाले को आखिरत नफा नहीं देती।
हज़रते बिश्र रहमतुल्लाह अलैह से कहा गया कि फुलां आदमी मर गया है, आप ने फ़रमाया : उस ने दुनिया को जम्अ किया और आखिरत को जाएअ कर दिया। लोगों ने कहा : वो तो यह यह नेकियां किया करता था। आप ने फ़रमाया : “जिस के दिल में दुनिया की महब्बत हो, उसे नेकी नफ्अ नहीं पहुंचाती।
एक सालेह का कौल है कि दुनिया हम से नफ़रत करती है मगर हम उस के पीछे भागते हैं, अगर वो भी हम से महब्बत करती होती तो खुदा जाने हमारा क्या हाल होता !
तर्के दुनिया व तालिबे दुनिया
एक दाना से पूछा गया कि दुनिया किस की है ? कहा : जिस ने इसे छोड़ दिया, पूछा गया : आख़िरत किस की है ? फ़रमाया : जिस ने इसे तलब किया। एक और दाना का कौल है कि दुनिया एक वीरान घर है और वो दिल दुनिया से भी ज़ियादा वीरान है जो इस की जुस्तजू में सरगर्दी है, जन्नत एक आबाद घर है वो दिल जन्नत से भी ज़ियादा आबाद है जो इसे तलब करता है।
इमाम शाफेई रहमतुल्लाह अलैह की अपने भाई को नसीहत
हज़रते जुनैद रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं कि इमाम शाफ़ेई रहमतुल्लाह अलैह दुनिया में हक़ गो इन्सानों में से थे, इन्हों ने अपने भाई को खौफे खुदा की नसीहत की और फ़रमाया : ऐ भाई ! ये दुनिया लगज़िश की जगह और रुस्वा करने वाला घर है, इस की आबादी वीरानी की तरफ़ और इस में रहने वाले कब्रों की तरफ जा रहे हैं, इस की क़लील चीज़ भी जुदा होने वाली है, इस का तमव्वुल मुफ़्लिसी की तरफ रवां दवा है, इस की कसरत किल्लत है और इस की मुफ़्लिसी में मालदारी है, अल्लाह की तरफ़ तवज्जोह कर और उस के अताकर्दा रिज्क पर राजी हो जा, जन्नत को दुनिया में गिरवी न रख क्यूंकि तेरी ज़िन्दगी ढलता हुवा साया और गिरती हुई दिवार है लिहाज़ा अमल ज़ियादा कर और उम्मीदें कम कर दे।
हज़रते इब्राहीम बिन अदहम रहमतुल्लाह अलैह ने एक शख्स से कहा कि तू ख्वाब के एक दिरहम को या बेदारी के एक दीनार को अच्छा समझता है ? उस ने कहा : बेदारी के एक दीनार को अच्छा समझता हूं । आप ने फ़रमाया : तू झूट कहता है क्यूंकि दुनिया के साथ तेरी महब्बत ख्वाब की महब्बत है और आखिरत के साथ महब्बत बेदारी की महब्बत है।
हज़रते इस्माईल बिन इयाश रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि हमारे दोस्त दुनिया को खिन्जीर का नाम दिया करते थे और कहते थे कि हम से दूर रह ! अगर उन्हों ने दुनिया के लिये इस से बुरा नाम पाया होता तो ज़रूर इस का नाम वो ही रखते।।
हज़रते का’ब रहमतुल्लाह अलैह का कौल है : तुम ने दुनिया से इतनी महब्बत की है कि इसे पूजने लगे हो। हज़रते यहूया बिन मुआज राजी रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि दाना तीन हैं
जिस ने दुनिया को छोड़ने से पहले दुनिया को तर्क कर दिया।..क़ब्र में जाने से पहले उसे बना लिया और .बारगाहे रब्बुल इज्जत में हाज़िरी से पहले उसे राजी कर लिया।
मजीद फ़रमाया कि दुनिया की तमन्ना ही इन्सान को अल्लाह की “इबादत” से रोक देती है जब कि इन्सान सरापा दुनिया ही का हो जाए (तो क्या हाल होगा)।
हज़रते बक्र बिन अब्दुल्लाह रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि जो शख़्स दुनिया के साथ दुनिया से बे परवाई बरतना चाहता है, वो शख़्स आग को भूसे से बुझा रहा है (कि इस से तो आग और भड़केगी)।
हज़रते बुन्दार रहमतुल्लाह अलैह का क़ौल है कि जब तू दुनिया से किनारा कशी की बातें करने वाले दुनियादारों को देखे तो समझ लेना कि ये शैतान के मुरीद हैं। मजीद फ़रमाया : जो दुनिया की तरफ़ मुतवज्जेह हुवा उस के शो’ले (हिर्स) ने इसे राख कर दिया, जो आखिरत की तरफ़ मुतवज्जेह हुवा उस के शो’लों ने इसे कुन्दन का एक टुकड़ा बना दिया और जिस ने रब तआला की तरफ़ रुजूअ किया उस की वहदत की आग ने इसे बे मिसाल हीरा बना दिया।
हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो का इरशाद है : दुनिया की छे चीजें हैं : 1 खाने की 2.पीने की 3 .पहनने की 4.सुवार होने की 5.शादी करने की और 6.सूंघने की।
…….सब से बेहतर खाने की चीज़ शहद है और वो मख्खी का लुआब(थूक) है। …पीने की सब से उम्दा चीज़ पानी है और इस में सब अच्छे बुरे शरीक हैं। …पहनने की सब से उम्दा चीज़ रेशम है और वो कीड़े का बुना हुवा है। …….सब से बेहतर सुवारी घोड़े की है और इसी पर इन्सान को क़त्ल किया जाता है। …….शादी के लिये औरत उम्दा चीज़ है मगर ये महले मुबाशरत के सिवा कुछ नहीं। औरत की सब से उम्दा चीज़ (चेहरे) को संवारा और सब से बुरी चीज़ (शर्मगाह) को चाहा जाता है। ……सूंघने वाली चीज़ों में मुश्क सब से उम्दा है और ये खून होता है।
बस ? समझ लो कि दुनिया क्या चीज़ है !!!
-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब
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