शराबी पर अजाब
(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)
अल्लाह तआला ने शराब के बारे में जो आयात नाज़िल फ़रमाई इन में से पहली यह है : आप से शराब और जूए के बारे में सुवाल करते हैं फ़रमा दीजिये इन दोनों में बड़ा गुनाह है और (ब ज़ाहिर) लोगों के वासिते फ़ाइदे हैं। यह आयत सुन कर कुछ लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया और कुछ इसी तरह पीते रहे यहां तक कि एक आदमी शराब पी कर नमाज़ पढ़ने लगा तो उस की ज़बान से ना मुनासिब कलिमात निकले, तब अल्लाह तआला ने यह आयत नाज़िल फ़रमाई : ऐ मोमिनो नमाज़ के करीब मत जाओ इस हाल में कि तुम नशे में हो। पस यह आयत सुन कर जिस ने शराब पी उस ने पी और जिस ने उसे छोड़ दिया उस ने छोड़ दिया यहां तक कि हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो ने एक बार शराब पी और ऊंट का जबड़ा उठा कर हज़रते अब्दुर्रहमान बिन औफ़ रज़ीअल्लाहो अन्हो के सर पर मारा और उन का सर फोड़ दिया, फिर बैठ कर बद्र के मक्तूलों पर रोने लगे, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को जब येह खबर मिली तो आप ने गुस्से की हालत में चादर घसीटते हुवे बाहर कदम रन्जा फ़रमाया और अपने पास जो चीज़ थी उस से इन्हें मारा, तब हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो बोले कि मैं अल्लाह और उस के रसूल के गज़ब से पनाह मांगता हूं और अल्लाह तआला ने येह आयत नाज़िल फ़रमाई : सिवाए उस के नहीं कि शैतान इरादा करता है कि तुम्हारे दरमियान शराब और जूए की वज्ह से बुग्ज व अदावत डाले।।
हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो ने येह आयत सुन कर कहा : हम रुक गए, हम रुक गए।
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शराब ना पिने के बारे में हदीस शरीफ
शराब की हुरमत में मुत्तफ़िक अलैह अहादीस भी हैं चुनान्चे, फ़रमाने नबवी है कि आदी शराब खोर जन्नत में नहीं जाएगा।
नबिय्ये अकरम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि बुतों की इबादत की मुमानअत के बाद अल्लाह तआला ने मुझे सब से पहले शराब पीने और लोगों पर ला’नतें भेजने से रोका है।
फ़रमाने नबवी है कि कोई जमाअत ऐसी नहीं है जो दुनिया में किसी नशा आवर चीज़ पर जम्अ होते हैं मगर अल्लाह तआला उन्हें जहन्नम में जम्अ करेगा और वोह एक दूसरे को मलामत करना शुरू करेंगे, एक दूसरे को कहेगा : ऐ फुलां ! अल्लाह तआला तुझे मेरी तरफ़ से बुरी जज़ा दे तू ने ही मुझे इस मकाम तक पहुंचाया है और दूसरा इस से इसी तरह कहेगा।– हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि जिस ने दुनिया में शराब पी, अल्लाह तआला उसे जहन्नमी सांपों का ज़हर पिलाएगा जिसे पीने से पहले ही उस के चेहरे का गोश्त गल कर बरतन में गिर जाएगा और जब वोह उसे पियेगा तो उस का गोश्त और खाल उधड़ जाएगी जिस से जहन्नमी अजिय्यत पाएंगे।
शराब पीने वाले, कशीद करने वाले, निचोड़ने वाले, उठाने वाले, जिस के लिये लाई गई हो और इस की कीमत खाने वाले, सब के सब गुनाह में बराबर के शरीक हैं, अल्लाह तआला उन में से किसी का नमाज़, रोज़ा और हज कबूल नहीं करता यहाँ तक की वोह तौबा न करें, पस अगर वोह तौबा किये बिगैर मर गए तो अल्लाह तआला पर हक़ है कि उन्हें शराब के हर घूंट के इवज़ जहन्नम की पीप पिलाए । याद रखिये हर नशा आवर चीज़ हराम है और हर शराब हराम है (ख्वाह वोह किसी किस्म की हो)।
इब्ने अबिद्दुन्या रज़ीअल्लाहो अन्हो से मन्कूल है कि उन की नशे में धुत एक ऐसे शख्स से मुलाकात हुई जो हाथ पर पेशाब कर रहा था और वुजू करने वाले की तरह पेशाब से हाथ धो रहा था और कह रहा था :
हम्द है अल्लाह तआला की जिस ने इस्लाम को नूर बख़्शा और पानी को पाक फ़रमाया।
अब्बास बिन मिरदास से ज़मानए जाहिलिय्यत में कहा गया कि तुम शराब क्यूं नहीं पीते, इस से तुम्हारे अन्दर तेज़ी बढ़ जाएगी, उस ने जवाब दिया : मैं अपने हाथों से जहालत को पकड़ कर खुद अपने पेट में दाखिल करने वाला नहीं हूं और न ही मैं इस बात पर राजी हूं कि मैं सुब्ह अपनी कौम के सरदार होने की हैसिय्यत से करूं और शाम उन में बे वुकूफ़ की सिफ़त से मुत्तसिफ़ हो कर करूं ।
शराब हर बुराई की जड़ है
बैहक़ी ने हज़रते इब्ने उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत की है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : शराब से बचो, तुम से पहले लोगों में एक इबादत गुज़ार शख्स था जो लोगों से अलाहिदा रहता था, एक औरत ने उस का पीछा किया और अपना एक खादिम भेज कर उसे बुलाया और कहा कि हम तुझे गवाही के लिये बुलाने आए हैं चुनान्चे, आबिद उन के घर में दाखिल हो गया, वोह जूही किसी दरवाजे से आगे बढ़ता वोह औरत उस दरवाजे को बन्द कर देती, यहां तक कि वोह औरत के पास पहुंचा, वोह बद किरदार औरत बैठी हुई थी, उस के पास एक लड़का था और एक बरतन था जिस में शराब रखी हुई थी। उस औरत ने कहा : मैं ने तुझे किसी गवाही के लिये नहीं बल्कि इस लड़के के क़त्ल और अपने साथ जिमाअ के लिये बुलाया है, या फिर शराब का येह प्याला पी ले, अगर तू ने इन्कार कर दिया तो मैं चिल्लाऊंगी और तुझे रुस्वा करूंगी।
जब उस आबिद ने कोई चारए कार न देखा तो कहा : अच्छा मुझे शराब पिला दे, चुनान्चे, उस ने शराब का प्याला पिला दिया। आबिद प्याला पी कर बोला : और दे दे, यहां तक कि शराब से बद मस्त हो कर उस ने औरत से जिना किया और लड़के को भी कत्ल कर दिया। लिहाज़ा शराब से बचो, पस ब खुदा ! ईमान और दाइमी शराब नोशी किसी शख्स के सीने में कभी भी जम्अ नहीं हो सकते अलबत्ता इन में से एक, दूसरे को निकाल देता है।
किस्सए हारूत व मारुत
अहमद और इब्ने हब्बान ने अपनी सहीह में हज़रते इब्ने उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत की है कि इन्हों ने हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को येह फ़रमाते सुना कि जब आदम अलैहहिस्सलाम को ज़मीन पर उतारा गया तो फ़िरिश्तों ने कहा : ।
“ऐ रब तू ज़मीन पर उस शख्स को अपना ख़लीफ़ा बना कर भेज रहा है जो फ़साद करेगा और खून बहाएगा और हम तेरी हम्द के साथ तस्बीह करते हैं और तेरी पाकी बयान करते हैं (लिहाज़ा हम इस मन्सब के ज़ियादा मुस्तहिक़ हैं) रब्बे जलील ने फ़रमाया : बेशक मैं जानता हूं जो तुम नहीं जानते।”
उन्हों ने अर्ज की : ऐ अल्लाह ! हम तेरी बनी आदम से ज़ियादा इताअत करते हैं। अल्लाह तआला ने फ़रमाया : तुम में से दो फ़िरिश्तें आएं ताकि हम देखें कि वोह कैसा अमल करते हैं ? उन्हों ने अर्ज की, कि हारूत व मारूत हाज़िर हैं।
रब तआला ने उन्हें हुक्म दिया कि तुम ज़मीन पर जाओ और अल्लाह तआला ने जोहरा सितारे को उन के सामने हसीनो जमील औरत के रूप में भेजा, वोह दोनों उस के यहां आए और उस से रफाकत का सवाल किया : मगर उस ने इन्कार कर दिया और कहा : ब खुदा ! उस वक्त तक नहीं जब तक तुम दोनों येह कलिमए शिर्क न कहो, उन्हों ने कहा : ब खुदा ! हम कभी भी अल्लाह तआला का शरीक नहीं ठहराएंगे, चुनान्चे, वोह औरत उन के पास से उठ कर चली गई और जब वापस आई तो वोह एक बच्चा उठाए हुवे थी। उन्हों ने उस से फिर वोही सुवाल किया मगर उस ने कहा : ब खुदा ! उस वक्त तक नहीं जब तक तुम दोनों इस बच्चे को क़त्ल न करो। उन्हों ने कहा : ब खुदा ! हम कभी भी इसे कत्ल नहीं करेंगे। फिर वोह शराब का प्याला ले कर लौटी और उन दोनों ने उसे देख कर फिर वोही सुवाल दोहराया, औरत ने कहा : ब खुदा ! उस वक्त तक नहीं जब तक तुम येह शराब न पी लो।
चुनान्चे, उन्हों ने शराब पी और नशे की हालत में उस से जिमाअ किया और बच्चे को कत्ल कर दिया। जब उन का नशा उतरा तो औरत ने कहा : ब खुदा ! तुम ने ऐसा कोई काम नहीं छोड़ा जिस के करने से तुम ने इन्कार कर दिया था, नशे की हालत में तुम सब काम कर
गुज़रे । तब उन्हें दुन्यावी अज़ाब और आखिरत के अज़ाब में से किसी एक को इख्तियार करने का हुक्म दिया गया और उन्हों ने दुन्यावी अज़ाब को पसन्द कर लिया।
हज़रते उम्मे सलमह रज़ीअल्लाहो अन्हा फ़रमाती हैं कि मेरी बेटी बीमार हो गई तो मैंने प्याले में नबीज़ बनाई, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम मेरे हां तशरीफ़ लाए तो वोह उबल रही थी। आप ने फ़रमाया : उम्मे सलमह येह क्या है ? मैं ने अर्ज की, कि मेरी बेटी बीमार है, उस की दवाई बना रही हूं। आप ने फ़रमाया : अल्लाह तआला ने हराम कर्दा अश्या में मेरी उम्मत के लिये शिफ़ा नहीं रखी ।
एक रिवायत में है कि जब अल्लाह तआला ने शराब को हराम फरमा दिया तो इस में जितने भी फवाइद थे, सब छीन लिये।
(नोट : फ़िरिश्ते मासूम हैं इन से गुनाह नहीं होता। हारूत व मारूत के बारे में इस तरह के वाकिआत की कोई हकीकत नहीं चुनान्चे, हारूत, मारूत दो फ़िरिश्ते हैं जिन्हें बनी इस्राईल की आजमाइश के लिये अल्लाह तआला ने भेजा था। इन के बारे में गलत किस्से बहुत मशहूर हैं और वोह सब बातिल हैं।आ’ला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह ने हारूत और मारूत के बारे में जो कलाम फरमाया उस का खुलासा येह है कि हारूत और मारूत का वाकिआ जिस तरह अवाम में मश्हर है आइम्मए किराम इस का शदीद और सख्त इन्कार करते हैं। इस की तफ्सील शिफ़ा शरीफ़ और इस की शुरूहात में मौजूद है, यहां तक कि इमामे अजल काज़ी इयाज़ रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया : हारूत और मारूत के बारे में येह खबरें यहूदियों की किताबों और इन की घड़ी हुई बातों में से हैं। और राजेह येही है कि हारूत और मारूत दो फिरिश्ते हैं जिन्हें अल्लाह तआला ने मख्लूक की आज़माइश के लिये मुकर्रर फरमाया कि जो जादू सीखना चाहे उसे नसीहत करें कि हम तो आज़माइश ही के लिये मुकर्रर हुवे हैं तो कुफ़ न कर। और जो इन की बात न माने वोह अपने पाउं पे चल के खुद जहन्नम में जाए, येह फ़िरिश्ते अगर उसे जादू सिखाते हैं तो वोह फ़रमां बरदारी कर रहे हैं न कि ना फरमानी कर रहे हैं।
-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब
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