एस्टेरोइड और कॉमेट धूमकेतु में अंतर
क्षुद्र ग्रह और धूमकेतु में अंतर
हमारे सौरमंडल में पृथ्वी के अलावा भी कई छोटे पिंड सूर्य की परिक्रमा करते हैं, इनमे एस्टेराइड और कॉमेट प्रमुख है, एस्टेरोइड और कॉमेट दोनों में कई समानताएं पाई जाती है, एस्टेरोइड और कॉमेट दोनों ही सौरमंडल के बनने के बाद बचे हुए तत्वों से मिलकर बने हैं, दोनों का निर्माण लगभग 4.5 वर्ष पूर्व हुआ था, एस्टेरोइड और कॉमेट के परिक्रमा पथ ग्रहों की तुलना में अलग प्रकार के होते हैं, ये समानताएं होने के बावजूद भी एस्टेरोइड और कॉमेट में कई असमानताएं पाई जाती है, इनमें सबसे बड़ी विभिन्नता यह है की ये दोनों अलग-अलग प्रकार के पदार्थों से मिलकर बने होते हैं, आइए जानते हैं कि एस्टेरोइड और कॉमेट क्या अंतर है?
एस्टेरोइड और कॉमेट में विभिन्नता
एस्टेरोइड धातु और ठोंस चट्टानों का बना होता है जबकि धूमकेतु बर्फ और धूल के कणों के बने होते हैं, इनमें कुछ मात्रा में चट्टाने और और कार्बनिक योगिक भी हो सकते हैं, जब कॉमेट धूमकेतु सूर्य के पास आते हैं तो यह गर्मी की वजह से पिघल जाते हैं, धूमकेतु पर मौजूद बर्फ और गैसे सूर्य के नजदीक आने पर पिघल कर एक चमकीली पूंछ का निर्माण करते हैं, इससे धूमकेतु अपना कुछ द्रव्यमान हर परिक्रमा में खोते रहते हैं, वहीं दूसरी ओर सूर्य के नजदीक आने पर भी एस्ट्रॉयड ठोंस बने रहते हैं तथा यह इनका द्रव्यमान कम नहीं होता है.
ज्यादातर एस्ट्रॉयड मंगल और पृथ्वी के बीच पाए जाने वाले एस्टेरॉइड बेल्ट के क्षेत्र में पाए जाते हैं, इस क्षेत्र में लाखों छोटे छोटे पत्थर और चट्टानें पाई जाती है, जबकि दूसरी ओर धूमकेतु सौरमंडल के बाहरी क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं, नेपच्यून ग्रह की कक्षा के आगे कुइपर बेल्ट के क्षेत्र और ऑर्ट क्लाउड के क्षेत्र में इनका निर्माण होता है, वैज्ञानिकों के अनुसार ऑर्ट क्लाउड क्षेत्र में लाखों की संख्या में धूमकेतु मौजूद हो सकते हैं, जो कि सूर्य से 20 ट्रिलियन किलोमीटर की दूरी पर रह कर उसकी परिक्रमा करते हैं तथा कभी भी आंतरिक सौरमंडल में प्रवेश नहीं करते हैं, यही कारण है कि यह छोटे धूमकेतु कभी भी दिखाई नहीं देते हैं.
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि एस्ट्रॉयड का निर्माण सूर्य के बहुत पास हुआ है, सूर्य के नजदीक के क्षेत्र में बर्फ ठोस अवस्था में नहीं रहता है इसलिए इस क्षेत्र में कोई भी धूमकेतु नहीं पाया जाता, धूमकेतु सूर्य से बहुत दूर पाए जाते हैं जहाँ इनका बर्फीला पदार्थ ठोस रूप में जमा रहता है.
वैज्ञानिकों के अनुसार बड़े ग्रहों का गुरुत्वाकर्षण बल एंड्रॉयड और कॉमेट दोनों को अपने अपने क्षेत्र से आंतरिक सौरमंडल में खींच लेता है, यही कारण है कि समय-समय पर कई एस्ट्रॉयड और कॉमेट पृथ्वी के पास से गुजरते रहते हैं, एस्ट्रॉयड और कॉमेट दोनों पृथ्वी के लिए बहुत खतरनाक है
जब धूमकेतु सूर्य के नजदीक पहुंचते हैं तो इनके अंदर जमा बर्फीला पदार्थ पिघल जाता है इससे धूमकेतु और एंड्राइड के बीच एक और अंतर सामने आता है, यह अंतर एक चमकीली पूछ होता है, जहां एक और धूमकेतु सूर्य के पास जाने पर एक चमकीली पूछ बनाते हैं जबकि एस्ट्रॉयड सूर्य के पास जाने पर पूछ नहीं बनाते हैं, धूमकेतु में कई ऐसे पदार्थ पाए जाते हैं जो सूर्य की गर्मी से पिघल जाते हैं इनमे बर्फ अमोनिया, मिथेन प्रमुख हैं, धूमकेतु से निकलने वाली यह पूछ सूर्य के प्रकाशीय दबाव की वजह से हमेशा सूर्य की विपरीत दिशा में दिखाई देती है, धूमकेतु की पूंछ में कई गर्म गैसे और धुल के कण कण पाए जाते हैं.
एस्टेरोइड और कॉमेट में प्रमुख अंतर
इस प्रकार हम देखते हैं कि एस्टेरोइड और कॉमेट में निम्नलिखित प्रमुख अंतर है
धूमकेतु बर्फ के बने होते हैं जबकि एस्टेरोइड चट्टानों के बने होते हैं.
धूमकेतु सूर्य के नजदीक आने पर गर्म होकर पिघल जाते हैं जबकि एस्ट्रोराइड नहीं पिघलते हैं.
धूमकेतु सूर्य के नजदीक आने पर एक पूँछ का निर्माण करते हैं जबकि एस्टेरोइड में पूछ नहीं बनती है.
एस्ट्रॉयड मंगल और पृथ्वी ग्रह के बीच एस्टेरोइड बेल्ट के क्षेत्र कोई पाए जाते हैं जबकि धूमकेतु नेपच्यून की कक्षा के आगे कुइपर बेल्ट तथा ऑर्ट क्लाउड में पाए जाते हैं.
एस्ट्रॉयड की संख्या कॉमेट की तुलना में बहुत कम है ऑर्ट क्लाउड में लाखो धूमकेतु पाए जाते हैं.
एस्टेरोइड और कॉमेट दोनों ही दोनों ही पृथ्वी के लिए बहुत खतरनाक है यह पृथ्वी से टकरा कर महाविनाश उत्पन्न कर सकते हैं.
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