मज़म्मते दुनिया – इस ख़त्म हो जाने वाली दुनिया की बुराइयाँ
(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)
बा’ज़ तारिकीने दुनिया (दुनिया को छोड़ देने वालों) का कहना है : नेक अमल करने में पेश पेश रहो, अल्लाह तआला से डरते रहो, झूटी उम्मीदों में न पड़ो, मौत को न भूलो और दुनिया से रगबत न रखो क्यूंकि यह फरेबी और मक्कार है जिस ने धोका दे कर राहे खुदा से दूर कर दिया, इस की झूटी उम्मीदों ने तुम्हें आज़माइश में डाल दिया और यह तुम्हारे सामने इन्तिहाई हसीन शक्ल (बहरूप) में बे पर्दा दुल्हन बन कर आती है, आंखें इसे देखती हैं, दिल इस पर फ़िदा हैं और रूहें इस की फ़ोफ्ता हैं मगर इस ने कितने आशिकों को क़त्ल कर दिया और अपने परवानों को जिल्लत व रुस्वाई के गढ़ों में धकेल दिया है ? तुम इसे निगाहे हकीकत बीन से देखो तो मा’लूम होगा, यह मसाइब का घर है, इस के
खालिक ने भी इस की मज़म्मत की है, इस का हर नया पुराना हो जाता है, इस की सल्तनत ख़त्म हो जाती है, इस का मुअज्जज़ ज़लील हो जाता है, इस की कसरत किल्लत में तब्दील हो जाती है, इस की महब्बत फ़ना हो जाती है, इस की भलाई गुज़र जाती है, अल्लाह तुम पर रहमत करे, गफ्लत से जागो, इस की मीठी नींद से बेदार हो जाओ क़ब्ल इस के कि कहा जाए : फुलां बीमार है या उसे जान के लाले पड़े हैं, कोई ऐसी दवा या ऐसा तबीब है जो उसे शिफ़ा दे ? फिर तबीब बुलाया जाए और वो तेरी ज़िन्दगी के बारे में ना उम्मीदी का इज़हार करे, फिर कहा जाए कि फुलां ने अपनी दौलत का हिसाब लगा कर वसिय्यत कर दी है, फिर कहा जाए : उस की ज़बान बन्द हो गई और वो अपने अज़ीजों से बात नहीं कर सकता और हमसायों को नहीं पहचान सकता है, उस वक्त तेरी पेशानी पर पसीने के क़तरे उभर आएं, तेरी आहो बुका सुनाई दे, मौत पर तेरा यकीन रासिख़ हो जाए, तेरी निगाह टिकटिकी बांध कर देखने लगे, तेरे अन्देशे सच साबित हों, तेरी ज़बान गुंग हो जाए, तेरे अज़ीज़ रोने लगें और तुझ से कहा जाए : वोह तेरा फुलां बेटा है, यह तेरा फुलां भाई है मगर तू उन से गुफ्तगू न कर सके, तेरी ज़बान पर मोहर लग जाए, तू इसे हिला न सके फिर तुझ पर मौत तारी हो, तेरे तमाम आ’ज़ा से रूह निकाली जाए और इसे आसमान की तरफ़ ले जाया जाए, उस वक़्त तेरे भाई तुझ पर जम्अ हो जाएं, तेरे लिये कफ़न लाया जाए, फिर तुझे नहला कर कफ़न पहनाया जाए, तेरी तमाम उम्मीदें मुन्कतअ हो जाएं और तेरे दुश्मन सुकून का सांस लें, तेरे अहले खाना तेरे माल की तरफ़ मुतवज्जेह हों और तू अपने आ’माल की सज़ा पाने के लिये तन्हा रह जाए।
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एक ज़ाहिद की एक बादशाह को नसीहतें
किसी तारिके दुनिया ने एक बादशाह से कहा कि दुनिया की मज़म्मत और इसे छोड़ देने का लोगों में सब से ज़ियादा मुस्तहिक वो शख्स है जो मालदार है और दौलत के बलबूते पर अपने काम अन्जाम दे रहा है, हो सकता है इस के माल पर कोई आफ़त नाज़िल हो कर इसे मोहताज कर दे या कोई आफ़त इस की जम्अ कर्दा पूंजी और इस के दरमियान तफ़रका डाल दे या कोई बादशाह इस के मालो दौलत को पामाल करता हुवा गुज़र जाए या कोई तकलीफ़ इस के जिस्म में सरायत कर जाए या दुनिया की कोई जान से प्यारी चीज़ इसे दोस्तों की नज़रों में गिरा दे और बई तौर पर भी दुनिया लाइके मज़म्मत है कि यह जो कुछ देती है वापस ले लेती है, यह एक ही वक्त में दो दो आदमियों से महब्बत करती है, यह हंसने वालों पर हंसती और रोने वालों पर रोती है, देते वक़्त वापसी का तकाज़ा भी कर देती है, आज मालदारों के सर पर ताज रखती है
और कल उसे मिट्टी में छुपा देती है, चाहे जाने वाला इसी के गम में मर गया हो और जिन्दा इसी के लिये जिन्दा हो, यह हर जाने वाले के वारिस के गले मिल जाती है और किसी तग़य्युर व तबहुल की परवाह नहीं करती।
हजरते हसन बसरी रज़ीअल्लाहो अन्हो के इरशादात
हज़रते हसन बसरी रज़ीअल्लाहो अन्हो ने हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रज़ीअल्लाहो अन्हो को लिखा कि यह दुनिया कूच की जगह है, ठहरने का मकाम नहीं है, हज़रते आदम अलैहिस्सलाम को आज़माइश के तौर पर इस पर उतारा गया था इस लिये अमीरुल मोमिनीन इस से दूर दूर रहिये। इस दुनिया का तोशा इस को छोड़ देना, इस की सरमाया दारी फ़को फ़ाका है, हर वक्त अपने चाहने वालों को कत्ल करती रहती है, इज्जत वाले को ज़लील और मालदार को फ़क़ीर बना देती है, यह ज़हर है जिसे इन्सान बे ख़बरी में खा कर मौत से हमकिनार हो जाता है, इस में जराहत का इलाज करने वाले मजरूह की तरह तवील दुख से बचने के लिये कुछ देर सब्र कीजिये और तवील बीमारी से बचने के लिये कुछ लम्हों तक इलाज की शिद्दत बरदाश्त कीजिये और इस फरेबी धोकेबाज़ से जो खूब बन ठन कर जल्वानुमा हुई है और मक्र का जाल फैलाए हुवे है, झूटी उम्मीदों की फ़िरावानी साथ लाई है और एक ऐसी दुल्हन का अन्दाज़ अपनाए है जिसे आंखें देखना चाहती हैं, जिस के दिल शैदाई हैं और जानें इस पर फ़िदाई हैं और यह तमाम चाहने वालों को ख़त्म करती चली आई है और मिटाती चली जाएगी, क्या कोई अक्लमन्द इस से नसीहत हासिल नहीं करता ?
जब इस का कोई आशिक इसे पा लेता है तो वो गुमराह हो जाता है और इस से कामिल शगफ़ के बाइस अपनी आखिरत को भी भूल जाता है यहां तक कि उस के कदम डगमगा जाते हैं और वो दाइमी हसरत में गिरिफ़्तार हो जाता है, उस पर मौत की सख़्तियां और दुख तारी होते हैं, कमाहक्कुहु न पाने की हसरत और मतलूब तक रसाई हासिल न कर सकने का अफसोस उसे और ज़ियादा दुखी बना देता है, उस की रूह शदीद दुख के आलम में बिगैर किसी ज़ादे राह के निकलती है और उस के कदम कहीं नहीं टिकते । अमीरल मोमिनीन ! इस से बचते रहिये क्यूंकि दुनियादार जब इस की मसर्रत में डूब जाता है तो वो इसे दुख में मुब्तला कर देती है, इस में नुक्सान पाने वाला फ़रेब ज़दा है, इस में नफ़्अ पाने वाला दोहरा फ़रेब खुर्दा है क्यूंकि इस की वुस्अत मसाइब तक जा पहुंची है, इस का वुजूद आमादए फ़ना है, इस की खुशी दुखों में लिपटी हुई है, जो इस का हो जाता है वो वापस नहीं लौटता और अन्जाम से बे खबर रहता है इस की उम्मीदें झुटी, तमन्नाएं बातिल, इस का साफ़ गदला, इस की ऐश मुख़्तसर है, इन्सान अगर गौर करे तो वो इस के ख़तरात में घिरा हुवा है, इस की ने’मतें पुर खतर और इस के अलम हौलनाक हैं, अल्लाह तआला ने इस की तम्बीह की है और नसीहत फ़रमाई है, अल्लाह के यहां इस की कोई कद्र नहीं
और न अल्लाह तआला ने इस पर कभी रहमत की नज़र डाली है। नबिय्ये अकरम दुनियासल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के हुजूर में इस के ख़ज़ाने और इन की कुन्जियां पेश की गई मगर आप ने कबूल करने से इन्कार कर दिया क्यूंकि अल्लाह तआला के यहां इस की हैसिय्यत मच्छर के पर से भी कम है, अगर आप इसे कबूल फ़रमा लेते तब भी अल्लाह तआला के खज़ानों में कोई फ़र्क न आता, देखना ! कहीं इस की महब्बत में हुक्मे खुदा की मुखालफ़त न हो, इस की उल्फ़त में अल्लाह की नाराज़ी न हो और इसे इस के मालिक की मन्शा के मुखालिफ़ मकाम न मिले । अल्लाह तआला ने इसे बतौरे आजमाइश मोमिनों से फेर दिया और अपने दुश्मनों की फ़रेफ़्तगी की वज्ह से इन्हें दौलत से मालामाल कर दिया, जो बे वुकूफ़ इसे पा लेता है वोह समझता है कि शायद अल्लाह ने इसे इज्जत दे दी है और यह भूल जाता है कि अल्लाह तआला के महबूब नबी दुनियासल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने अपने शिकमे मुबारक पर पथ्थर बांधे थे।
मजम्मते दुनिया में एक और हदीसे कुदसी
हदीसे कुदसी है : अल्लाह तआला ने हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम से फ़रमाया कि जब तू दौलतमन्दी को अपनी जानिब आता देखे तो समझ लेना कि किसी गुनाह की सज़ा आ रही है और जब फ़करो फ़ाक़ा को देखे तो कह खुश आमदीद, क्यूंकि यह नेकों की अलामत है। ऐ लोगो ! अगर चाहो तो ईसा अलैहिस्सलाम के नक्शे कदम पर चलो जो फ़रमाया करते थे कि भूक मेरी खाल, खौफ़ मेरी आदत, ऊन मेरा लिबास, सर्दियों में सूरज की किरनें मेरी आग, चांद मेरा चराग, दो पाउं मेरी सवारी और जमीन की सब्जियां मेरी गिजा हैं, न सुब्ह मेरे पास कुछ होता है और न शाम को कुछ होता है मगर दुनिया में मुझ से बढ़ कर कोई गनी नहीं है।
हज़रते वब बिन मुनब्बेह रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं कि जब अल्लाह तआला ने हज़रते मूसा और हारून अलैहिस्सलाम को फ़रऔन की तरफ़ भेजा तो फ़रमाया : उस की दुनियावी शानो शौकत से खौफ़ज़दा न होना वो मेरी इजाज़त के बिगैर न बोल सकता है, न सांस ले सकता है और न ही पलक झपका सकता है क्यूंकि उस की पेशानी मेरे हाथ में है और दुनिया से उस की नफ्अ अन्दोजी तुम को तअज्जुब में न डाले, यह चीज़ दुनिया की रौनक है और बेवकूफों की जीनत, अगर मैं चाहूं तो तुम्हें ऐसी जाहो हश्मत और दुनियावी कद्रो मन्ज़िलत दे कर भेजूं कि फ़िरऔन देखते ही अपने इज्ज़ का इकरार कर ले लेकिन मैं ने तुम से दुनिया को पोशीदा कर लिया है और तुम्हारी तवज्जोह इस से हटा दी है क्यूंकि मैं अपने दोस्तों को दुनियावी नेमतों से दूर कर देता हूं जैसे मेहरबान गडरिया अपनी बकरियों को हलाकत खैज़ चरागाहों से दूर रखता है और मैं उन्हें दुनिया के फरेब से बचाता हूं जैसे चरवाहा अपने ऊंटों को खतरनाक जगहों से बचाता है, यह उन की हिकारत के लिये नहीं है बल्कि इस लिये है कि वो मेरी बख़्शी हुई इज्जत से पूरा हिस्सा पा लें, मैं अपने दोस्तों को इन्किसारी, खौफ, दिलों के खुशूअ व खुजूअ और तकवा से मुज़य्यन करता हूं जिन का असर उन के जिस्मों पर नुमायां होता है, ये ही उन का लिबास है, ये ही उन का ज़ाहिर और ये ही उन का बातिन है, ये ही उन की मतलूबा नजात, तमन्नाएं, काबिले फ़ख्न इज्जत और पहचान है, जब तुम उन से मिलो, नर्म बरताव करो और उन के लिये दिल और ज़बान को सरापा तवाज़ोअ बनाओ और याद रखो ! जिस ने मेरे किसी दोस्त को ख़ौफ़ज़दा किया उस ने मुझे जंग की दावत दी और मैं कियामत के दिन उस पर ग़ज़बनाक होऊंगा।
हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो ने एक दिन खुतबा दिया और फ़रमाया : बा खबर रहो ! तुम मरने वाले हो, मौत के बाद फिर उठाए जाओगे और अपने आ’माल की जज़ा व सज़ा पाओगे, तम्हें दुनिया की जिन्दगी धोके में मुब्तिला न कर दे. यह मसाइब में लिपटी हुई, नापाएदारी में मशहूर, धोके से मौसूफ़ और इस की हर चीज़ ज़वाल पज़ीर है, यह अपने चाहने वालों में डोल की तरह है, हमेशा एक हालत में नहीं रहती, इस में उतरने वाला मसाइब से नहीं बच सकता. कभी तो यह अपने चाहने वालों पर खुशी व मसर्रत बिखेरती है और कभी गम व अन्दोह से हम किनार कर देती है, इस की हालतें मुख्तलिफ़ हैं, यह अदलती बदलती रहती है, इस में आराम काबिले मज़म्मत और वुस्अते माल नापाएदार है, यह अपने बसने वालों को तीरों की तरह कमान से निकाल कर निशानों पर मारती रहती है और उन्हें मौत से हम किनार करती रहती है।
हर किसी की मौत का वक्त मुकर्रर है और हर शख्स को पूरा रिज्क दिया जाता है और ऐ बन्दगाने खुदा ! बा खबर रहो, तुम उस रास्ते के राही हो जिस पर तुम से पहले तवील उम्रों वाले गुज़र चुके हैं, वोह तुम से ज़ियादा ताकतवर, बेहतरीन कारीगर और उम्दा यादगारें छोड़ने वाले थे मगर दुनिया के इन्किलाब में उन की आवाजें खामोश हो गई, उन के जिस्म बोसीदा, शहर वीरान और यादगारें मिट गई और मज़बूत महल्लात और मसर्रत के बदले में उन्हें पथ्थरों के तक्ये मिले और पथ्थरों से तय्यार शुदा क़बें उन का मदफ़न बनीं, उन के ठिकाने करीब हैं लेकिन उन के मकीन दर के हैं. वोह अपने कबीलें से अलाहिदा और अहले महल्ले से बे परवा हैं, उन का आबादी से कोई तअल्लुक नहीं, अज़ीज़ों और पड़ोसियों के करीब होते हुवे भी उन का बाहम कोई मेल मिलाप नहीं है और मेल मिलाप हो भी कैसे सकता है ? उन्हें मसाइब की चक्कियों ने पीस दिया है और नमनाक मिट्टी और पथ्थर उन्हें खा गए हैं. वोह चन्द रोजा जिन्दगी गुजार कर मर गए, उन की खुशहाली किस्सए पारीना बन गई, उन की मौत पर उन के अज़ीज़ रोए और वोह मिट्टी के नीचे जा सोए, उन्हों ने दुनिया से कूच किया, अब उन्हें वापस नहीं आना है, अफसोस ! सद अफ्सोस ! गोया वो एक हुक्म से जो काइल की ज़बान से निकल चुका, अब लौट कर किस तरह आ सकता है और उन के सामने कियामत के दिन तक आलमे बरजख है गोया तुम भी वैसे ही हो जैसे वो हो चुके, वो ही दुख, वो ही कब्र में तन्हाई है, तुम उन कब्रों के गिरवी हो और उन्हीं में तुम्हें रहना है, तुम पर क्या बीतेगी अगर तुम उन बातों को देख लो जब क़ब्र खोली जाएंगी, दिलों के राज़ सामने होंगे और तुम आ’माल की जज़ा हासिल करने के लिये रब तआला के हुजूर खड़े होंगे, गुज़श्ता गुनाहों पर तुम्हारे जिगर फटने को होंगे, तमाम पर्दे हट जाएंगे और तमाम गुनाह और राज़ की बातें तुम्हारे सामने होंगी, तब हर एक को उस के आ’माल का बदला दिया जाएगा।
फ़रमाने इलाही है : “ताकि बुरे अपनी बुराइयों की सज़ा और नेक अपनी अच्छाइयों की जज़ा पाएं।”
मजीद फरमाया कि “नामए आ’माल रखे जाएंगे हर नेक व बद इसे देखेगा।”
रब्बे जुल जलाल हमें और आप को अपने अहकामात पर अमल पैरा होने और अपने दोस्तों के नक्शे कदम पर चलने की तौफ़ीक़ दे ताकि हम उस की रहमत के तुफैल खुल्दे बरी को हासिल कर लें, बिला शुबा वोह हमीदो मजीद है।
बा’ज़ दानाओं का कौल है कि दिन तीर और लोग निशाने हैं। ज़माना हर दिन एक तीर फेंकता है और तुझे दिन रात की गर्दिश के फ़रेब में मुब्तला कर देता है, यहां तक कि तेरे तमाम अज्जा बोसीदा हो जाते हैं, मरूरे अय्याम में तेरी बक़ा और सलामती ना मुमकिन है, अगर तुझे अपने ऊपर गुज़रे हवादिसाते ज़माना की खबर लग जाए जिन्हों ने तेरे वुजूद को नुक्सान में डाला है तो तुझे हर आने वाला दिन ख़ौफ़ज़दा कर दे और एक एक लम्हा तुझ पर भारी हो जाए लेकिन अल्लाह तआला की तदबीर हर तदबीर से बाला है, उस ने इन्सानों को दुनियावी लज्जतों की मिठास में डाल दिया है हालांकि यह दुनिया हुन्ज़ल (तुम्मा) से भी ज़ियादा तल्ख बनाई गई है। हर मद्दाह इस की ज़ाहिरी शानो शौकत की वज्ह से इस के उयूब समझने में नाकाम रहा है और हर वाइज़ इस के अजाइबात को बढ़ा चढ़ा कर बयान करता है, ऐ अल्लाह ! हमें नेकी की हिदायत दे। आमीन !
किसी दाना से दुनिया और बक़ा के मुतअल्लिक़ पूछा गया : उस ने कहा : इस का वफ़ा चश्मे ज़दन जितना है क्यूंकि जो वक़्त गुज़र गया है वो वापस नहीं आएगा और मुस्तक्बिल का तुझे इल्म ही नहीं है, हर दिन गुज़श्ता रात की खबर सुनाता है और लम्हात के गुज़रने की दास्तान बयान करता है, हवादिसाते ज़माना इन्सान को मुतवातिर तग़य्युर और नुक्सान से हम किनार करते रहते हैं, ज़माना जमाअतों को मुन्तशिर और परा गन्दा कर देता है और दौलत को मुन्तकिल करता रहता है, उम्मीदें तवील और ज़िन्दगी थोड़ी है और अल्लाह ही की तरफ़ हर काम को रुजूअ होना है।
हजरते उमर बिन अब्दुल अजीज रज़ीअल्लाहो अन्हो का खुतबा
हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रज़ीअल्लाहो अन्हो ने खुतबे में फ़रमाया : ऐ लोगो ! तुम एक खास मक्सद के लिये पैदा किये गए हो, अगर तुम इस की तस्दीक करते हो तो तुम बे वुकूफ़ हो क्यूंकि तुम्हारे आ’माल वैसे नहीं हैं और अगर तुम इसे झुटलाते हो तो हलाकत में पड़ गए हो, तुम्हें इस दुनिया में हमेशा नहीं रहना है बल्कि एक जगह से दूसरी जगह मुन्तकिल होना है, ऐ बन्दगाने खुदा ! तुम ऐसे घर में रहते हो जिस का खाना गले में फन्दा है और जिस का पीना उच्छू लगना है, अगर तुम एक ने’मत के हुसूल में खुश होते हो तो दूसरी ने’मत की जुदाई तुम्हें मगमूम कर देती है, उस घर को पहचानो जिस की तरफ़ तुम को लौटना है और जिस में तुम को हमेशा रहना है, फिर आप रोते हुवे मिम्बर से उतर आए।
हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो ने अपने खुतबे में फ़रमाया : “मैं तुम्हें अल्लाह तआला से डरने और दुनिया को छोड़ने की वसिय्यत करता हूं, दुनिया तुम्हें छोड़ने वाली है मगर तुम उस से चिमटे हुवे हो, वो तुम्हारे अजसाम बोसीदा करती जा रही है और तुम उसे नया करने की फ़िक्र में हो, तुम्हारी मिसाल एक मुसाफ़िर की है, दुनिया में तुम सफ़रे आखिरत के लिये जादे राह तय्यार करने आए हो जिस तरह मुसाफ़िर को सफ़र के दरमियान आराम नहीं होता और वो शबो रोज़ तै मनाज़िल के लिये कदम मारता चला जाता है, इसी तरह दुनिया में करार नहीं लेना चाहिये और शबो रोज़ आ’माले सालेहा के क़दमों से सफ़रे आखिरत ते करना चाहिये।
बहुत से इन्सान ऐसे हैं जिन की अजल करीब आ गई और कुछ ऐसे हैं जिन की जिन्दगियों में से अभी एक ही दिन बाकी है, इसे तलाश करने वाला इस की तमन्ना में इसे छोड़ जाता है लिहाज़ा इस के दुख तक्लीफ़ पर वावेला मत करो क्यूंकि यह सब चीजें अन करीब ख़त्म होने वाली हैं, इस के मालो दौलत पर खुशी न मनाओ क्यूंकि यह अन करीब जाइल हो जाएगी, तालिबे दुनिया पर हैरानगी है कि वो दुनिया तलाश कर रहा है और मौत उस की तलाश में है, वो मौत से गाफ़िल है मगर मौत उस से गाफिल नहीं है।
अरबाबे तरीक़त का दुनिया के हुसूल में तरीकए कार
हज़रते मुहम्मद बिन अल हुसैन रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है कि जब अहले इल्मो फज्ल, साहिबे अदबो मारिफ़त लोगों को मालूम हुवा कि अल्लाह तआला ने दुनिया की मज़म्मत की है, वो उस के हुजूर में इन्तिहाई ज़लील चीज़ है और वो इसे अपने दोस्तों के लिये पसन्द नहीं करता और हुजूर दुनियासल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने इस से किनारा कशी पसन्द फ़रमाई है और सहाबए किराम रज़ीअल्लाहो अन्हो को इस के फ़रेब से बचने की ताकीद की तो अहले इल्म हज़रात ने इस से दरमियानी हिस्सा लिया, बाकी को अल्लाह की राह में बांट दिया, वो कुते ला-यमूत (थोड़ी रोज़ी) पर राजी हो गए और बाकी को छोड़ दिया, उन्हों ने मामूली कपड़ों से तन ढांपा, मामूली गिजा से भूक मिटाई और दुनिया को फ़ानी और आख़िरत को बाकी समझते हुवे वो दुनिया से एक सवार का ज़ादे राह ले कर चले, उन्हों ने दुनिया को वीरान और आखिरत को आबाद कर लिया और वो सरापा आखिरत की तरफ़ मुतवज्जेह हो गए जिस के मुतअल्लिक उन्हें यक़ीन था कि वो अन करीब इसे पा लेंगे और वो दिली तौर पर आखिरत की तरफ़ कूच कर गए जिस के मुतअल्लिक उन्हें कामिल यकीन था कि वो अन करीब अपने जिस्मों समेत उधर ही जाएंगे जहां वो तवील नेमतें हासिल करेंगे और मसाइब से उन्हें कोई वासता नहीं होगा और सब कुछ अल्लाह की तौफ़ीक़ से होगा जिस की पसन्द उन्हों ने अपनी पसन्द और जिस की ना पसन्दीदगी को उन्हों ने ना पसन्द समझ लिया है।
-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब
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