नाभिकीय विकिरण का मनुष्य के शरीर पर क्या प्रभाव होता है?
नाभिकीय विकिरण क्या होता है?
किसी अस्थिर परमाणु के नाभिक से निकलने वाले उच्च उर्जा वाले आयन कण और गामा किरणों को नाभिकीय विकिरण कहते हैं.
कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जिनके परमाणु का नाभिक स्थिर नहीं होता तथा कुछ समय के बाद यह परमाणु दो परमाणुओं में विभक्त हो जाता है, इस प्रक्रिया को नाभिकीय विखंडन कहते हैं, इस प्रक्रिया के दौरान आयन के के काण और उच्च ऊर्जा वाली गामा किरणें, परमाणु से निकलती है इन्हें नाभिकीय विकिरण कहा जाता है.
नाभिकीय विकिरण में क्या हौता है?
नाभिकीय विकिरण में एक अल्फा पार्टिकल होता है जो कि हीलियम का नाभिक होता है इस पर 2 धनात्मक आवेश होता है तथा इसका रैखिक ऊर्जा स्थानान्तरण बहुत उच्च होता है.
नाभिकीय विकिरण से एक बीटा पार्टिकल भी निकलता है जो कि एक इलेक्ट्रॉन होता है इस पर एक ऋणत्मक आवेश होता है इसका भी रैखिक ऊर्जा स्थानान्तरण बहुत उच्च होता है.
नाभिकीय विकिरण से उच्च ऊर्जा वाली गामा रे किरणें भी निकलती हैं जिन पर किसी भी प्रकार का आवेश नहीं होता.
नाभिकीय विकिरण में पाए जाने वाली ये तीनों तत्व मनुष्य के शरीर को बहुत हानि पहुंचाते हैं.
नाभिकीय विकिरण से मनुष्य के शरीर के किन-किन अंगों को नुकसान पहुंचता है
मनुष्य के शरीर पर नाभिकीय विकिरण का कितना नुकसान होगा यह इस बात पर निर्भर करता है की शरीर के अंदर कितनी ऊर्जा समाहित हुई है? शरीर की कोशिकाओं में जितनी ऊर्जा गई होगी उतना ही ज्यादा नुकसान होगा, शरीर द्वारा सोखी गई उर्जा को वैज्ञानिक rems रेम्स इकाई में नापते हैं.
नाभिकीय विकिरण से मनुष्य के विभिन्न अंगों पर अलग अलग तरह का नुकसान होता है
बालों पर विकिरण का नुकसान
नाभिकीय विकिरण के प्रभाव में आने पर शरीर के बाल झड़ने लगते हैं 200 rems रेम्स या उससे अधिक के विकिरण के संपर्क में आने पर बाल गिरना प्रारंभ हो जाते हैं.
मस्तिष्क पर विकिरण का नुकसान
मस्तिष्क की कोशिकाएं विभाजित नहीं होती इसलिए इन पर नाभिकीय विकिरण का ज्यादा नुकसान नहीं होता, 5000 rems रेम्स या उससे अधिक के विकिरण मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं.
थायराइड ग्रंथि पर नाभिकीय विकिरण का नुकसान
शरीर के कुछ ऐसे हैं अंग हैं जो अलग-अलग प्रकार के रेडिएशन से प्रभावित होते हैं, जैसे कि थायराइड ग्रंथि को रेडियोएक्टिव आयोडीन से ज्यादा नुकसान होता है आयोडीन थायराइड ग्रंथि को पूरी तरह बर्बाद कर सकता है, पोटेशियम आयोडाइड का सेवन करने से रेडियोएक्टिव आयोडीन के प्रभाव को कम किया जा सकता है.
रक्त पर रेडीएशन का दुष्प्रभाव
जब कोई व्यक्ति को 100 rems रेम्स के विकिरण के प्रभाव में आ जाता है तो उसके रक्त के लिंफोसाइट कोशिकाएं कम हो जाती है इससे वह व्यक्ति इनफेक्शन का शिकार हो सकता है इसे रेडिएशन सिकनेस कहते हैं इसके पहले सिम्टम्स सामान्य सर्दी जुकाम और फ्लू की तरह होते हैं, इसका पता तब चलता हे जब कि लिंफोसाइट की संख्या की ब्लड टेस्ट के दौरान चेकिंग की जाती है.
हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम के प्रभाव का निरीक्षण करने पर पता चला है कि, इसके प्रभाव 10 साल बाद तक पाए गए, इस तरह के विकिरण से रक्त में ल्यूकेमिया और लिंफोमा जैसी खतरनाक बीमारी हो जाती है.
दिल पर रेडीएशन का प्रभाव
1000 rems रेम्स से 5000 rems रेम्स तक के विकिरण ह्रदय को नुकसान पहुंचा सकते हैं, रक्त वाहिनीयां और तंत्रिकाएं मरने लगती हैं जिससे कि अचानक हार्ट फैलियर और व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है.
आहार तन्त्र पर किरणों का प्रभाव
नाभिकीय विकिरण मनुष्य के आंतों की परत को खराब कर देते हैं जिससे कि उसे खून की उल्टी होना दस्त लगना आदि बीमारियां हो जाती हें, सिर्फ 200 rems रेम्स के विकिरण भी मनुष्य की आंतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं जो कोशिकाएं बहुत तेजी से विभाजित होती हैं रेडिएशन पर उसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है.
प्रजनन अंगों पर रेडीएशन का नुकसान
प्रजनन अंगों में कोशिकाएं बहुत तेजी से विभाजित होती हैं इसीलिए इन अंगों की कोशिकाएं सिर्फ 200 rems रेम्स के नाभिकीय विकिरण से भी प्रभावित हो जाती हैं और व्यक्ति के प्रजनन अंग काम करना बंद कर देते है और व्यक्ति बाँझ हो जाता है.
इस तरह हम देखते हैं कि जो कोशिकाएं बहुत तेजी से विभाजित होती हैं उनको नाभिकीय विकिरण से सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है, मनुष्य के हृदय और प्रजनन अंग पर रेडियोएक्टिव विकिरणों का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव होता है केवल 200 rems रेम्स के विकिरण भी मनुष्य के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाल सकते हैं.
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