Ghalib Shayari Mirza Ghalib Shayari 125 best sher

ghalib shayari
दोस्तों को शेयर कीजिये

ग़ालिब शायरी – मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी 125 बेस्ट शेर

Ghalib Shayari : – महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब को कौन नहीं जानता, अपने इंतकाल के 150 वर्ष बाद, आज भी ग़ालिब भारत के सबसे प्रसिद्ध शायर हैं, ग़ालिब शायरी आज भी बच्चे बच्चे की जुबान पर है, वेसे तो मिर्ज़ा ग़ालिब आखिरी मुग़ल सुल्तान बहादुर शाह ज़फर के दरबारी शायर थे पर ग़ालिब और ग़ालिब के शेर उनके जीवन कल में और आज तक आम जनता में खूब शौक से पढ़े जाते हैं. ग़ालिब की शायरी हिंदी, उर्दू और फारसी ज़बान में है, शुरू में मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर बहुत मुश्किल हुआ करते थे और वह विद्वानों के भी समझ में नहीं आते थे पर बाद में मिर्ज़ा ग़ालिब ने आम फहम ज़बान में शायरी की और बहुत लोकप्रिय शायर हो गए, ग़ालिब की शायरी में प्यार, दर्द, जुदाई, गम, इश्क, मय शराब, खुदी, खुदा, रूह सबका बेहतरीन ज़िक्र मिलता है.

आपके लिए हम यहाँ मिर्ज़ा ग़ालिब के कुछ प्रसिद्ध और सबसे बेहतरीन शेर पेश कर रहे हैं.. उम्मीद है की आपको यह Ghalib shayari on love पसंद आएगी. यहाँ हमें 125 से भी ज्यादा मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर पेश कर रहे हैं ताकि आप आसानी से पढ़ सके.. Ghalib Poetry का यह पेज आप अपने दोस्तों को ज़रूर शेयर करें, दूसरी वेब्सईट्स पर mirza ghalib shayari in hindi 2 lines हिंदी फॉण्ट में नहीं दी गयी है .इसीलिए हमने यहाँ मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी hindi font में प्रस्तुत की है.

 

मिर्ज़ा ग़ालिब की जीवनी आप यहाँ पढ़ सकते हैं

All Topics of Hindi Shayari

Mirza Ghalib Shayari

****

‘ग़ालिब’ बुरा न मान जो वाइ’ज़ बुरा कहे
ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे …

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है !!

जो कुछ है महव-ए-शोख़ी-ए-अबरू-ए-यार है,
आँखों को रख के ताक़ पे देखा करे कोई !!

फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ !!

इन आबलों से पाँव के घबरा गया था मैं,
जी ख़ुश हुआ है राह को पुर-ख़ार देख कर !!

‏मुहब्बत में उनकी अना का पास रखते हैं,
हम जानकर अक्सर उन्हें नाराज़ रखते हैं !!

चाहें ख़ाक में मिला भी दे किसी याद सा भुला भी दे,
महकेंगे हसरतों के नक़्श* हो हो कर पाएमाल^ भी !!

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा
जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा

जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन,
बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए !!
_
फिर देखिए अंदाज़-ए-गुल-अफ़्शानी-ए-गुफ़्तार,
रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा मिरे आगे !!

क़ासिद के आते आते ख़त इक और लिख रखूँ,
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में !!
__
है एक तीर जिस में दोनों छिदे पड़े हैं
वो दिन गए कि अपना दिल से जिगर जुदा था

Ghalib Status Pictures – Ghalib dp Pictures – Ghalib Shayari Pictures

अगर आप इन खुबसूरत टेक्स्ट मेसेजेस को pictures के रूप में डाउनलोड करना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें.

Ghalib Status Pictures – Ghalib dp Pictures – Ghalib Shayari Pictures


_
नसीहत के कुतुब-ख़ाने* यूँ तो दुनिया में भरे हैं,
ठोकरें खा के ही अक्सर बंदे को अक़्ल आई है !!

ये फ़ित्ना आदमी की ख़ाना-वीरानी को क्या कम है
हुए तुम दोस्त जिस के दुश्मन उस का आसमाँ क्यूँ हो

कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता

ता फिर न इंतिज़ार में नींद आए उम्र भर,
आने का अहद कर गए आए जो ख़्वाब में !! –

क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाए क्यूँ

हम महव-ए-चश्म-ए-रंगीं-ए-जवाब* हुए हैं जबसे,
शौक़-ए-दीदार हुआ जाता है हर सवाल का रंग !!

जिस ज़ख़्म की हो सकती हो तदबीर रफ़ू की,
लिख दीजियो या रब उसे क़िस्मत में अदू की !!

हर रंज में ख़ुशी की थी उम्मीद बरक़रार,
तुम मुस्कुरा दिए मेरे ज़माने बन गये !!

Ghalib Poetry in Hindi ग़ालिब की शायरी हिंदी में

न सुनो गर बुरा कहे कोई,
न कहो गर बुरा करे कोई !!
रोक लो गर ग़लत चले कोई,
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई !!

तेरे वादे पर जिये हम
तो यह जान,झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर न जाते
अगर एतबार होता ..
गा़लिब

तुम अपने शिकवे की बातें
न खोद खोद के पूछो
हज़र करो मिरे दिल से
कि उस में आग दबी है..
गा़लिब

इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
गा़लिब

अपनी गली में मुझ को
न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल
मेरे पते से ख़ल्क़ को
क्यूँ तेरा घर मिले
गा़लिब

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक

कुछ लम्हे हमने ख़र्च किए थे मिले नही,
सारा हिसाब जोड़ के सिरहाने रख लिया !!

भीगी हुई सी रात में जब याद जल उठी,
बादल सा इक निचोड़ के सिरहाने रख लिया !!

अब अगले मौसमों में यही काम आएगा,
कुछ रोज़ दर्द ओढ़ के सिरहाने रख लिया !!

वो रास्ते जिन पे कोई सिलवट ना पड़ सकी,
उन रास्तों को मोड़ के सिरहाने रख लिया !!

अफ़साना आधा छोड़ के सिरहाने रख लिया,
ख़्वाहिश का वर्क़ मोड़ के सिरहाने रख लिया !!

तमीज़-ए-ज़िश्ती-ओ-नेकी में लाख बातें हैं,
ब-अक्स-ए-आइना यक-फ़र्द-ए-सादा रखते हैं !!

ज़रा कर ज़ोर सीने में कि तीरे-पुर-सितम निकले,
जो वो निकले तो दिल निकले, जो दिल निकले तो दम निकले !!

रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज,
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं !!

हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है !!
जान तुम पर निसार करता हूँ,
मैं नहीं जानता दुआ क्या है !!


पड़िए गर बीमार तो कोई न हो तीमारदार
और अगर मर जाइए तो नौहा-ख़्वाँ कोई न हो

हसद से दिल अगर अफ़्सुर्दा है गर्म-ए-तमाशा हो
कि चश्म-ए-तंग शायद कसरत-ए-नज़्ज़ारा से वा हो

हम तो जाने कब से हैं आवारा-ए-ज़ुल्मत मगर,
तुम ठहर जाओ तो पल भर में गुज़र जाएगी रात !!
_
है उफ़ुक़ से एक संग-ए-आफ़्ताब आने की देर,
टूट कर मानिंद-ए-आईना बिखर जाएगी रात !!/
_
दैर नहीं हरम नहीं दर नहीं आस्ताँ नहीं
बैठे हैं रहगुज़र पे हम ग़ैर हमें उठाए क्यूँ

हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है

Ghalib Sher

mirza-ghalib-shayari
mirza-ghalib-shayari

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है

हो उसका ज़िक्र तो बारिश सी दिल में होती है
वो याद आये तो आती है दफ’तन ख़ुशबू

इक शौक़ बड़ाई का अगर हद से गुज़र जाए
फिर ‘मैं’ के सिवा कुछ भी दिखाई नहीं देता

इक क़ैद है आज़ादी-ए-अफ़्कार भी गोया,
इक दाम जो उड़ने से रिहाई नहीं देता

इक आह-ए-ख़ता गिर्या-ब-लब सुब्ह-ए-अज़ल से,
इक दर है जो तौबा को रसाई नहीं देता

इक क़ुर्ब जो क़ुर्बत को रसाई नहीं देता,
इक फ़ासला अहसास-ए-जुदाई नहीं देता
_

आज फिर पहली मुलाक़ात से आग़ाज़ करूँ,
आज फिर दूर से ही देख के आऊँ उस को !!
_

ज़िन्दग़ी में तो सभी प्यार किया करते हैं,
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा !!

तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको,
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है ….

खार भी ज़ीस्त-ए-गुलिस्ताँ हैं,
फूल ही हाँसिल-ए-बहार नहीं !!
_

वो जो काँटों का राज़दार नहीं,
फ़स्ल-ए-गुल का भी पास-दार नहीं !! /
_
मैं चमन में क्या गया गोया दबिस्ताँ खुल गया,
बुलबुलें सुन कर मिरे नाले ग़ज़ल-ख़्वाँ हो गईं !! –

हम जो सबका दिल रखते हैं
सुनो, हम भी एक दिल रखते हैं

शहरे वफा में धूप का साथी नहीं कोई
सूरज सरों पर आया तो साये भी घट गए

_ _
Ghalib Ke Sher ग़ालिब के शेर

उस पे आती है मोहब्बत ऐसे
झूठ पे जैसे यकीन आता है
_ _ _
खुद को मनवाने का मुझको भी हुनर आता है
मैं वह कतरा हूं समंदर मेरे घर आता है
_ _ _ _
फिर आबलों के ज़ख़्म चलो ताज़ा ही कर लें,
कोई रहने ना पाए बाब जुदा रूदाद-ए-सफ़र से !!
_
एजाज़ तेरे इश्क़ का ये नही तो और क्या है,
उड़ने का ख़्वाब देख लिया इक टूटे हुए पर से !!

साज़-ए-दिल को गुदगुदाया इश्क़ ने
मौत को ले कर जवानी आ गई
_ _ _

मैं तो इस सादगी-ए-हुस्न पे सदक़े,
न जफ़ा आती है जिसको न वफ़ा आती है !!

यादे-जानाँ भी अजब रूह-फ़ज़ा आती है,
साँस लेता हूँ तो जन्नत की हवा आती है !!
है और तो कोई सबब उसकी मुहब्बत का नहीं,
बात इतनी है के वो मुझसे जफ़ा करता है !!

हम भी दुश्मन तो नहीं हैं अपने
ग़ैर को तुझ से मोहब्बत ही सही

कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता,
तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता !!

गुज़र रहा हूँ यहाँ से भी गुज़र जाउँगा,
मैं वक़्त हूँ कहीं ठहरा तो मर जाउँगा !! –

गुज़रे हुए लम्हों को मैं इक बार तो जी लूँ,
कुछ ख्वाब तेरी याद दिलाने के लिए हैं !!

क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन

ईमाँ मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मिरे पीछे है कलीसा मिरे आगे

है आदमी बजा-ए-ख़ुद इक महशर-ए-ख़याल,
हम अंजुमन समझते हैं ख़ल्वत ही क्यूँ न हो
_
तिरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना,
कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए’तिबार होता !!

Ghalib Shayari on love

ghalib shayari
ghalib shayari in hindi

बे-नियाज़ी हद से गुज़री बंदा-परवर कब तलक
हम कहेंगे हाल-ए-दिल और आप फ़रमावेंगे क्या

तुम सलामत रहो हज़ार बरस,
हर बरस के हों दिन पचास हज़ार !!

मौत फिर जीस्त न बन जाये यह डर है’गालिब’,
वह मेरी कब्र पर अंगुश्त-बदंदाँ होंगे !!

मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तिरे पीछे,
तू देख कि क्या रंग है तेरा मिरे आगे !!

तुम न आओगे तो मरने की हैं सौ तदबीरें,
मौत कुछ तुम तो नहीं हो कि बुला भी न सकूँ !!

कुछ खटकता था मिरे सीने में लेकिन आख़िर,
जिस को दिल कहते थे सो तीर का पैकाँ निकला !!-

अच्छा है सर-अंगुश्त-ए-हिनाई का तसव्वुर,
दिल में नज़र आती तो है इक बूँद लहू की !!

shayari of ghalib on ishq

की मेरे क़त्ल के बाद उस ने जफ़ा से तौबा,
हाए उस ज़ूद-पशीमाँ का पशीमाँ होना !! –

आता है मेरे क़त्ल को पर जोश-ए-रश्क से
मरता हूँ उस के हाथ में तलवार देख कर

करने गये थे उनसे तगाफुल का हम गिला,
की एक ही निगाह कि हम खाक हो गये !! –

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता !! –

ता करे न ग़म्माज़ी कर लिया है दुश्मन को
दोस्त की शिकायत में हम ने हम-ज़बाँ अपना

‘ग़ालिब’ नदीम-ए-दोस्त से आती है बू-ए-दोस्त
मश्ग़ूल-ए-हक़ हूँ बंदगी-ए-बू-तराब में

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे
होता है तमाशा शब् ओ रोज़ मेरे आगे

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
दिल जिगर तश्ना ए फरियाद आया
दम लिया था ना कयामत ने हनोज़
फिर तेरा वक्ते सफ़र याद आया

जान दी दी हुई उसी की थी
हक़ तो ये है कि हक़ अदा न हुआ

छोड़ूँगा मैं न उस बुत-ए-काफ़िर का पूजना
छोड़े न ख़ल्क़ गो मुझे काफ़र कहे बग़ैर

क्या वो नमरूद की ख़ुदाई थी
जो बंदगी में मिरा भला न हुआ

मुज़्दा ऐ ज़ौक़-ए-असीरी कि नज़र आता है
दाम-ए-ख़ाली क़फ़स-ए-मुर्ग़-ए-गिरफ़्तार के पास

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
ग़ालिब

mirza ghalib shayari in hindi 2 lines

‘ग़ालिब’ वज़ीफ़ा-ख़्वार हो दो शाह को दुआ
वो दिन गए कि कहते थे नौकर नहीं हूँ मैं
ग़ालिब

ग़म-ए-हस्ती का ‘असद’ किस से हो जुज़ मर्ग इलाज
शम्अ हर रंग में जलती है सहर होते तक
ग़ालिब

जाँ दर-हवा-ए-यक-निगाह-ए-गर्म है ‘असद’
परवाना है वकील तिरे दाद-ख़्वाह का
ग़ालिब

मैं बुलाता तो हूँ उस को मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल
उस पे बन जाए कुछ ऐसी कि बिन आए न बने

ख़ार ख़ार-ए-अलम-ए-हसरत-ए-दीदार तो है
शौक़ गुल-चीन-ए-गुलिस्तान-ए-तसल्ली न सही
ग़ालिब

न हुई गर मिरे मरने से तसल्ली न सही
इम्तिहाँ और भी बाक़ी हो तो ये भी न सही

इब्न-ए-मरयम हुआ करे कोई
मेरे दुख की दवा करे कोई
ग़ालिब

ओहदे से मद्ह-ए-नाज़ के बाहर न आ सका
गर इक अदा हो तो उसे अपनी क़ज़ा कहूँ
ग़ालिब

Mirza galib ki shayari

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही
मेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही
ग़ालिब

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
ग़ालिब

न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता
ग़ालिब

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने
क्या बने बात जहाँ बात बताए न बने

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
ग़ालिब

आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रँग करूँ खून-ए-जिगर होने तक
Famous Ghalib Shayari

हो चुकीं ‘ग़ालिब’ बलाएँ सब तमाम
एक मर्ग-ए-ना-गहानी और है
ग़ालिब

इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने
ग़ालिब

इनकार की सी लज़्ज़त इक़रार में कहाँ,
होता है इश्क़ ग़ालिब उनकी नहीं नहीं से !!

कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता
ग़ालिब

देखो तो दिल फ़रेबि-ए-अंदाज़-ए-नक़्श-ए-पा,
मौज-ए-ख़िराम-ए-यार भी क्या गुल कतर गई !! –

देखिए लाती है उस शोख़ की नख़वत क्या रंग
उस की हर बात पे हम नाम-ए-ख़ुदा कहते हैं
-ग़ालिब

best Ghalib Shayari

तू ने कसम मय-कशी की खाई है ‘ग़ालिब’
तेरी कसम का कुछ एतिबार नही है..!
-मिर्ज़ा ग़ालिब

मोहब्बत में नही फर्क जीने और मरने का
उसी को देखकर जीते है जिस ‘काफ़िर’ पे दम निकले..!
-मिर्ज़ा ग़ालिब

मगर लिखवाए कोई उस को खत
तो हम से लिखवाए
हुई सुब्ह और
घरसे कान पर रख कर कलम निकले..
-मिर्ज़ा ग़ालिब

मरते है आरज़ू में मरने की
मौत आती है पर नही आती,
काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’
शर्म तुमको मगर नही आती ।
-मिर्ज़ा ग़ालिब
_

कहाँ मयखाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइज
पर इतना जानते है कल वो जाता था के हम निकले..
-मिर्जा ग़ालिब

बना कर फकीरों का हम भेस ग़ालिब
तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते है..

तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान झूठ जाना,
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता ।

ग़ालिब ने यह कह कर तोड़ दी तस्बीह.
गिनकर क्यों नाम लू उसका जो बेहिसाब देता है।

हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !

Search tags for Ghalib shayari

Ghalib Shayari, Mirza Ghalib Shayari, Ghalib Poetry in Hindi, Ghalib Shayari in Hindi, Ghalib Sher, Ghalib Ke Sher, Ghalib Shayari on love,
mirza ghalib shayari in hindi 2 lines, shayari of ghalib on ishq,
Mirza galib ki shayari, Famous Ghalib Shayari, best Ghalib Shayari, selected Ghalib Shayari,

Ghalib Shayari, Ghalib Hindi Shayari, Ghalib whatsapp status, Ghalib hindi Status, Hindi Shayari of Ghalib, Ghalib whatsapp status in hindi,
ग़ालिब हिंदी शायरी, हिंदी शायरी, ग़ालिब, ग़ालिब स्टेटस, ग़ालिब whatsapp स्टेटस, ग़ालिब पर शायरी, ग़ालिब शायरी, ग़ालिब पर शेर, ग़ालिब की शायरी,

दोस्तों को शेयर कीजिये
Net In Hindi.com