घमंड और तक़ब्बुर के बारे में आयात और हदीस शरीफ बुजुर्गों के कौल

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 घमंड और तक़ब्बुर की मज़म्मत और बुराइयाँ

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 अल्लाह तआला ने कुरआने मजीद की बहुत सी आयात में तकब्बुर की मज़म्मत की है और हर खुद सर मुतकब्बिर को बुरा गरदाना है चुनान्चे, इरशादे इलाही है : अलबत्ता मैं उन लोगों को अपनी आयात से फेर दूंगा जो ज़मीन में नाहक तकब्बुर करते हैं। और फ़रमाया : इसी तरह अल्लाह हर सरकश मुतकब्बिर के – दिल पर मुहर लगा देता है।

मजीद फ़रमाया : “और उन्हों ने फ़त्ह मांगी और हर सरकश इनाद रखने वाला ना मुराद हुवा।”

एक और आयत में इरशाद फ़रमाया :

वह तकब्बुर करने वालों को महबूब नहीं रखता। मज़ीद फ़रमाया : “बेशक उन्हों ने अपनी जिन्दगियों में तकब्बुर किया और बहुत बड़ी सरकशी की।”

फ़रमाने इलाही है : जो लोग मेरी इबादत से तकब्बुर करते हैं बहुत जल्द जहन्नम में ज़लील हो कर दाखिल होंगे। और भी मुतअद्दिद मकामात पर अल्लाह तआला ने तकब्बुर की मज़म्मत फ़रमाई है।

और फ़रमाने नबवी है : “जिस शख्स के दिल में राई के दाने के बराबर तकब्बुर होगा वो जन्नत में दाखिल नहीं होगा और जिस शख्स के दिल में राई के दाने के बराबर ईमान होगा वो जहन्नम में नहीं जाएगा।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : अल्लाह फ़रमाता है कि अज़मत और किब्रियाई मेरी चादरें हैं जो इन में से किसी का दावा करेगा मैं उसे जहन्नम में डाल दूंगा, मुझे किसी की परवा नहीं है।

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हज़रते अबू सलमह बिन अब्दुर्रहमान रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो और हज़रते अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ीअल्लाहो अन्हो की कोहे सफ़ा पर मुलाकात हुई, कुछ देर ठहरने के बाद अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ीअल्लाहो अन्हो चले गए और हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो रोने लगे, लोगों ने रोने का सबब पूछा तो आप ने फ़रमाया : हज़रते अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ीअल्लाहो अन्हो का कहना है, उन्हों ने हज़रते रसूले अकरम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को यह फ़रमाते सुना है : “जिस शख्स के दिल में राई के बराबर तकब्बुर होगा अल्लाह तआला उसे मुंह के बल जहन्नम में डालेगा।”

फ़रमाने नबवी है कि आदमी अपने नफ़्स की पैरवी में बराबर बढ़ता चला जाता है यहां तक कि उसे मुतकब्बिरीन में लिखा जाता है और उसे उन्हीं के अज़ाब में मुब्तला किया जाएगा।

हज़रते सुलैमान बिन दावूद अलैहहिस्सलाम  ने एक मरतबा परिन्दों, इन्सानों, जिन्नों और दरिन्दों से फ़रमाया कि मेरे साथ में चलो चुनान्चे, आप दो लाख इन्सानों और दो लाख जिन्नों के साथ तख्त पर जल्वा फ़रमा हुवे और इतनी बुलन्दी तक जा पहुंचे कि वहां से फ़िरिश्तों की तस्बीहात की आवाज़ ब आसानी सुनी जा रही थी, फिर वहां से नीचे उतरे यहां तक कि उन के क़दम समन्दर को छूने लगे तो आप ने आवाज़ सुनी, अगर तुम्हारे किसी साथी के दिल में ज़र्रा बराबर तकब्बुर होगा तो जितनी बुलन्दी तक मैं तुम को ले गया हूं उस से भी जियादा गहराई में उसे धंसा दूंगा।

तीन शख्सों पर जहन्नम का मखसूस अजाब

नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम फ़रमाते हैं कि जहन्नम से एक गर्दन निकलेगी जिस के दो कान, दो आंखें और कुव्वते गोयाई रखने वाली ज़बान होगी, वो कहेगी कि मुझे तीन शख्सों पर मुकर्रर किया गया है, हर सरकश मुतकब्बिर के लिये, अल्लाह के साथ शरीक ठहराने वाले के लिये और तसवीरें बनाने वाले के लिये । फ़रमाने नबवी है कि बख़ील, मुतकब्बिर और बद ख्रिसाल जन्नत में नहीं जाएगा।  फ़रमाने नबवी है कि जन्नत और जहन्नम ने बाहम गुफ्तगू की : जहन्नम बोला कि : “मैं ने सरकशों और मुतकब्बिरों को अपने लिये पसन्द किया है।” जन्नत ने कहा : “मेरे अन्दर कमज़ोर, जईफ़ और दरमांदा लोग आएंगे।”

अल्लाह तआला ने जन्नत से फ़रमाया : “तू मेरी रहमत है, मैं जिस बन्दे को चाहूंगा उसे तेरे सिपुर्द कर दूंगा, और जहन्नम से फ़रमाया : “तू मेरा अज़ाब है, मैं जिसे चाहूंगा तेरे अज़ाब में झोंक दूंगा और तुम दोनों को भर दूंगा।

तकब्बुर करने वाला बहुत ही बुरा बन्दा

नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम फ़रमाते हैं कि वो बन्दा बहुत बुरा है जिस ने तकब्बुर किया, सरकशी इख़्तियार की और कादिरे मुतलक खुदा को भूल गया, वो बन्दा बहुत बुरा है जिस ने तकब्बुर किया, अपने आप को बहुत बड़ा समझा और बहुत बड़े बुलन्द व बा इज्जत खुदा को भूल गया, वो बन्दा बहुत बुरा है जो मक्सूदे ज़िन्दगी से गाफ़िल हो गया, उसे भूल गया और कब्रों और मसाइब को भुला बैठा, वो बन्दा बहुत बुरा है जिस ने बगावत और सरकशी की और अपनी इब्तिदा और इन्तिहा को भूल गया।

हज़रते साबित रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हमें मालूम हुवा है, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से कहा गया कि फुलां में कितना तकब्बुर है ! आप ने फ़रमाया : क्या उस के लिये मौत नहीं है ?(या’नी वोह मौत से नहीं डरता)

हज़रते अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि हज़रते नूह अलैहहिस्सलाम  ने वफ़ात के वक़्त अपने बेटों को बुला कर फ़रमाया : मैं तुम्हें दो बातों के करने का हुक्म देता हूं और दो बातों से रोकता हूं, मैं तकब्बुर और शिर्क से मन्अ करता हूं

और “ला इलाहा इललललाहो व सुबहान अल्लाहो वबेहम्देही ” पर कारबन्द रहने का हुक्म देता हूं, क्यूंकि अगर एक पलड़े में आस्मानो ज़मीन अपनी तमाम अश्या समेत रख दिये जाएं और दूसरे पलड़े में ” ला इलाहा इललललाहो” रख दिया जाए तो यह पलड़ा भारी हो जाएगा। अगर आस्मानो ज़मीन अपनी तमाम तर अश्या समेत एक दाइरे की तरह हो जाएं और उन में ” ला इलाहा इललललाहो” रख दिया जाए तो वोह दाइरा टूट जाएगा और मैं तुम्हें, ” व सुबहान अल्लाहो वबेहम्देही” पढ़ने का हुक्म देता हूं क्यूंकि यह हर चीज़ की तस्बीह है और इसी के सबब हर चीज़ को रिज्क दिया जाता है।

हज़रते ईसा अलैहहिस्सलाम  ने फ़रमाया : उसे बशारत हो जिसे अल्लाह ने अपनी किताब का इल्म दिया और वह मुतकब्बिर नहीं मरा ।

फ़रमाने नबवी है कि हर संग दिल, इतरा कर चलने वाला मुतकब्बिर, माल जम्अ करने वाला और किसी को राहे खुदा से रोकने वाला जहन्नमी है और हर मुफ़्लिस ज़ईफ़ जन्नती है।

फ़रमाने नबवी है : हमें सब से ज़ियादा महबूब हमारा सब से ज़ियादा मुकर्रब कयामत में वह शख्स होगा जो तुम में से बेहतरीन अख़्लाक़ का मालिक है और क़यामत के दिन हमें सब से ज़ियादा ना पसन्द और हम से सब से ज़ियादा दूर, लोगों का मुज़हिका उड़ाने वाले, बेहूदा गो और मुंह भर भर कर बातें करने वाले होंगे, पूछा गया : हुजूर ! यह कौन होंगे ? आप ने फ़रमाया : मुतकब्बिर होंगे।

फ़रमाने नबवी है : क़ियामत के दिन मुतकब्बिर च्यूंटियों की तरह उठाए जाएंगे लोग उन्हें रौंदेंगे और रेज़ा रेज़ा कर देंगे और वो इन्तिहाई जिल्लत में होंगे फिर उन्हें जहन्नम के कैदखाने की तरफ ले जाया जाएगा जिस का नाम बूलस है, उन पर जहन्नम की आग भड़केगी, उन्हें दोज़खियों के जिस्मों से निकलने वाली पीप पिलाई जाएगी।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि सरकश और मुतकब्बिरों को कियामत के दिन च्यूंटियों जैसी जसामत में पैदा किया जाएगा, अल्लाह तआला के यहां उन की ना क़द्री की वह से लोग उन्हें रौंद रहे होंगे।

हज़रते मुहम्मद बिन वासे रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि मैं बिलाल बिन अबी बर्दा के यहां गया और उन से कहा कि तुम्हारे वालिद ने मुझे हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की यह हदीस सुनाई थी कि जहन्नम में एक वादी है जिस का नाम “हबहब” है, अल्लाह तआला उस वादी में हर मुतकब्बिर को दाखिल करेगा, ऐ बिलाल ! खयाल रखना कहीं इस वादी के रहने वालों में से न हो जाना ।

फ़रमाने नबवी है कि जहन्नम में एक महल है जिस में तमाम मुतकब्बिरों को जम्अ किया जाएगा और फिर वो महल उन पर गिरा दिया जाएगा।

फ़रमाने नबवी है : ऐ अल्लाह ! मैं तकब्बुर की बुराई से तेरी पनाह मांगता हूं।

और फ़रमाया कि जो शख्स  दुनिया से इस हाल में जाए कि वो तीन चीज़ों से बरी हो, वो जन्नत में जाएगा : तकब्बुर, कर्ज, खियानत ।

हज़रते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो का इरशाद है कि तुम में से कोई भी किसी मुसलमान को हक़ीर न समझे क्यूंकि हक़ीर मुसलमान भी अल्लाह तआला के नज़दीक बहुत मुअज्जज़ होता है।

हज़रते वहब रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है कि अल्लाह तआला ने जन्नते अदन को पैदा फ़रमा कर कहा : तू हर मुतकब्बिर पर हराम है।

हज़रते अहनफ़ बिन कैस रज़ीअल्लाहो अन्हो हज़रते मुसअब बिन जुबैर – रज़ीअल्लाहो अन्हो के साथ चारपाई पर बैठा करते थे, एक दिन अहनफ़ तशरीफ़ लाए तो हज़रते मुसअब पैर लम्बे किये हुवे दराज़ थे, उन्हें देख कर इन्हों ने पैर नहीं समेटे, हज़रते अहनफ़ बैठ गए और उन्हें बहुत दुख हुवा, यहां तक कि उन के चेहरे पर नाराज़ी की अलामतें ज़ाहिर हो गईं, तब इन्हों ने कहा : तअज्जुब है कि इन्सान तकब्बुर करता है हालांकि वो दो पेशाब गाहों से निकला है।

हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो फ़रमाते हैं : तअज्जुब है कि इन्सान रोज़ाना एक या दो मरतबा पाखाना धोता है और फिर भी अल्लाह तआला से मुकाबला करता है।

आयए करीमा (व फी अन फोसिकुम अ फ ला तुब्सेरून) के मुतअल्लिक बा’ज़ उलमा ने कहा है कि इस से मुराद इन्सान की शर्मगाहें हैं।

हज़रते मोहम्मद बिन हुसैन बिन अली रज़ीअल्लाहो अन्हो का क़ौल है कि इन्सान के दिल में जितना तकब्बुर दाखिल होता है उतना ही उस की अक्ल कम होती है, तकब्बुर ज़ियादा हो तो अक्ल बहुत कम होती है और अगर तकब्बुर थोड़ा हो तो उसी के हिसाब से अक्ल कम हो जाती है।

हज़रते सुलैमान रहमतुल्लाह अलैह से उस गुनाह के मुतअल्लिक़ पूछा गया जिस की मौजूदगी में नेकी कोई फ़ाइदा नहीं देती तो उन्हों ने कहा : वह तकब्बुर है।

हज़रते नो’मान बिन बशीर रज़ीअल्लाहो अन्हो ने मिम्बर पर खड़े हो कर फ़रमाया : शैतान के कुछ जाल हैं, उन जालों में से यह जाल भी हैं : अल्लाह की नेमतों पर इतराना, उस की अताओं पर फ़ख्न करना, बन्दगाने खुदा से तकब्बुर करना और अल्लाह तआला की ना पसन्दीदा ख्वाहिशात की इत्तिबाअ करना । ऐ अल्लाह ! अपनी मन्नत और एहसान के तुफैल दुन्या और आख़िरत में हमें अफ़्व और आफ़िय्यत अता फ़रमा ! आमीन ।

फ़रमाने नबवी है कि जो शख्स तकब्बुर की वज्ह से अपने तहबन्द को घसीटता है अल्लाह तआला उसे निगाहे रहमत से नहीं देखता है ।

 

मज़ीद फ़रमाया कि एक शख्स अपनी चादर पर फ़खर  कर रहा था, उस का नफ्स बहुत इतरा रहा था, अल्लाह तआला ने उसे जमीन में धंसा दिया और वह कयामत के दिन तक उसी तरह धंसता चला जाएगा ।

फ़रमाने नबवी है कि जो “तकब्बुर” से अपने कपड़े घसीट कर चलता है अल्लाह तआला कयामत के दिन उस पर निगाहे रहमत नहीं फ़रमाएगा।

हज़रते जैद बिन अस्लम से मरवी है कि मैं हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो की खिदमत में हाज़िर हुवा तो अब्दुल्लाह बिन वाक़िद का गुज़र हुवा जो नए कपड़े पहने हुवे था, मैं ने सुना हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो कह रहे थे ऐ बेटे ! तहबन्द को ऊंचा कर लो क्यूंकि मैं ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को यह फ़रमाते हुवे सुना है कि जो अपने तहबन्द को तकब्बुर से घसीट कर चलता है, अल्लाह तआला उस की तरफ़ निगाहे रहमत नहीं करता।

 

रिवायत है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने एक मरतबा अपनी हथेली पर लुआबे दहन लगा कर फ़रमाया : अल्लाह तआला फ़रमाता है : ऐ इन्सान ! तू उज्व व गुरूर कर रहा है हालांकि मैं ने तुझे इस जैसे पानी से पैदा किया है, यहां तक कि जब मैं ने तुझे मुकम्मल कर दिया तो तू रंग बिरंगे कपड़े पहन कर ज़मीन पर दन-दनाता फिर रहा है ? हालांकि तुझे इसी ज़मीन में जाना है। तू ने माल जम्अ कर के इसे रोक लिया मगर जब मौत तेरे सामने आ जाती है तो सदका करने की इजाज़त तलब करता है, अब सदका करने का वक्त कहां ?

फ़रमाने नबवी है कि जब मेरा उम्मती इतरा कर चलेगा और फ़ारसो रूम वाले उन के ख़िदमत गुज़ार होंगे तो अल्लाह तआला उन पर दूसरों को मुसल्लत कर देगा।

 

फ़रमाने नबवी है:

जो अपने आप को बड़ा समझता है और इतरा कर चलता है, वह अल्लाह तआला से इस हालत में मुलाकात करेगा कि अल्लाह तआला उस पर नाराज़ होगा।

हज़रते अबू बक्र अल हुज़ली रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है :

हम हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो के साथ बैठे हुवे थे कि “इब्नुल अहतम” का गुज़र हुवा जो अपने महल की तरफ जा रहा था। उस ने मुतअद्दिद रेशमी अबाएं एक दूसरे पर पहन रखी थीं और इन की वज्ह से उस की अचकन खुली हुई थी, वह निहायत मुतकब्बिराना अन्दाज़ में एक एक क़दम रखता हुवा जा रहा था । हज़रते हसन ने एक नज़र उसे देखा और फ़रमाया : अफ़सोस ! अफसोस ! नाक चढ़ाने वाला इतरा कर चलने वाला मुंह फुलाए हुवे अपने दोनों पहलू देखता हुवा जा रहा है, ऐ बे वुकूफ ! तू अपने पहलूओं में ऐसी नेमतों को देख रहा है जिन का शुक्र अदा नहीं किया गया जो अल्लाह तआला के हुक्म से बनाई गई और न ही तू ने अल्लाह तआला के हुकूक को अदा किया है, तेरे बदन के हर एक उज्व में अल्लाह की ने’मत है और शैतान हर उज्व पर कब्जे की फ़िक्र में है। ब खुदा ! अपनी फ़ितरत के मुताबिक़ चलना या दीवाने की तरह लड़ खड़ा कर चलना इस चलने से बेहतर है।

इब्नुल अहतम ने जब यह सुना तो आ कर मा’ज़िरत करने लगा। आप ने फ़रमाया : मुझ से मा’ज़िरत न चाहो, अल्लाह तआला से तौबा करो, क्या तू ने यह फ़रमाने इलाही नहीं सुना है :

“और जमीन पर इतरा कर न चल बेशक तू न तो जमीन को फाड़ेगा और न ही पहाड़ों जितना लम्बा हो जाएगा।”

जवानी पर फखर नहीं करना चाहिये।

हज़रते हसन रहमतुल्लाह अलैह के करीब से एक जवान का गुज़र हुवा जो खूब सूरत कपड़े पहने हुवे था आप ने उसे बुला कर फ़रमाया : ऐ इन्सान ! अपनी जवानी पर फ़खर करता है ! अपनी आदतों से महब्बत करता है ! गोया कि क़ब्र ने तेरे वुजूद को छुपा लिया है और तू ने अपने आ’माल देख लिये हैं ! तुझ पर हैफ़ सद हैफ़ ! जा और अपने दिल का इलाज कर क्यूंकि अल्लाह तआला को बन्दों के उम्दा दिलों की ज़रूरत है।

रिवायत है कि हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रज़ीअल्लाहो अन्हो ने ख़िलाफ़त संभालने से पहले हज किया, हज़रते ताऊस रज़ीअल्लाहो अन्हो ने उन्हें देखा कि वह इतरा इतरा कर चल रहे हैं। ताऊस रहमतुल्लाह अलैह ने उन के पहलू को उंगली से दबा कर कहा : यह उस की चाल नहीं है जिस के पेट में गन्दगी भरी हो । जनाबे उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रज़ीअल्लाहो अन्हो ने मा’ज़िरत ख्वाहाना लहजे में कहा : ऐ अम्मे मोहतरम ! मेरे जिस्म के हर उज्व ने मुझे इस चाल पर मजबूर किया और मैं यह चाल सीख गया।

हज़रते मोहम्मद बिन वासेअ रहमतुल्लाह अलैह ने अपने बेटे को नाज़ो नखरे से चलते हुवे देख कर बुलाया और कहा : जानते हो तुम कौन हो ? तुम्हारी मां को मैं ने सो दिरहम में खरीदा था और तुम्हारा बाप मख्लूके खुदा में बहुत से लोगों से कम मर्तबा है।

हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो ने एक आदमी को तहबन्द घसीट कर चलते हुवे देख कर फ़रमाया कि शैतान के भी भाई हैं ! आप ने दो या तीन मरतबा यह जुम्ला दोहराया।

रिवायत है कि मुतर्रिफ़ बिन अब्दुल्लाह बिन अश्शिख्खीर रहमतुल्लाह अलैह ने मुहल्लब को रेशमी जुब्बा पहने नाज़ से चलते देख कर कहा कि ऐ बन्दए खुदा ! यह चाल उन लोगों की है जिन्हें अल्लाह तआला ना पसन्द करता है और जो रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के दुश्मन हैं, मुहल्लब ने कहा : मुझे पहचानते हो मैं कौन हूं ? हज़रते मुतर्रिफ़ रहमतुल्लाह अलैह बोले कि अच्छी तरह पहचानता हूं, तेरी इब्तिदा नापाक नुत्फ़े से, तेरी इन्तिहा गन्दे मुर्दार के तौर पर है और दरमियानी मुद्दत में तू गन्दगी उठाए फिरता है। मुहल्लब ने येह सुन कर मुतकब्बिराना चाल तर्क कर दी और आगे रवाना हो गया।

इसी मौजूअ पर अक्सर शो’रा ने बहुत से अश्आर कहे हैं, उन में से चन्द यह हैं :

उस की बारगाह में उम्दा और पाकीज़ा दिल मक्बूल हैं ।

मैं अपनी सूरत पर फ़खर करने वाले पर हैरान हूं क्यूंकि वह कल तक एक नापाक नुत्फ़ा था। और अपनी खूब सूरती के बा वुजूद कल क़ब्र में एक बदबू दार मुर्दार हो जाएगा।

खलफे अहमर कहता है :

मेरा एक इख़्तिलाफ़ पसन्द दोस्त है जिस की गलतियां ज़ियादा और अच्छाइयां कम हैं। वो गुबरीले से भी ज़ियादा ज़िद्दी है और कव्वे से भी ज़ियादा अकड़ कर चलता है।

एक और शाइर कहता है : .मैं ने मुतकब्बिर से कहा : जब कि उस ने कहा : मुझ जैसे रुजूअ नहीं किया करते । .ऐ बहुत जल्द दुन्या से कूच करने वाले ! तू तवाज़ोअ क्यूं नहीं करता !

हज़रते जुन्नून मिसरी रहमतुल्लाह अलैह इसी मौजूअ पर फ़रमाते हैं : ऐ मौत को न चाहने वाले मुतकब्बिर तुझ पर सलामती हो 1) हम मिट्टी से हैं। (2.)..यह दुन्या की ज़िन्दगी चन्द रोज़ा है, मौत के साथ ही पैर बराबर हो जाएंगे।

मुजाहिद ने फ़रमाने इलाही : के मा’ना यह बयान किये हैं कि वो अपने घर वालों की तरफ़ इतराता हुवा गया।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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