Ghar Me Barkat ke Islamic Tarike – Musalmano ke ghar me barkat
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अस सलाम अलय्कुम दोस्तों, हम यहाँ आपके लिए पेश कर रहें हैं बरकत के बारे में कुछ इरशादात और अच्छी इस्लामी बातें. इन बातो से खुद भी फायदा उठायें अपने कामों और घरों में बरकत लायें और इन्हें अपने दोस्तों को भी भेजें ताकि उनके घरों में भी बरकत हो. बरकत हांसिल करने के लिए आपको मेहनत के साथ साथ गुनाहों को छोड़कर नेक काम करने होंगे. जब आप इन आमाल और वजीफों को पढेंगे तो आपके घर में इंशा अल्लाह बरकत होगी और रिज्क और उम्र में इजाफा होगा.
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Barkat Islamic Quotes and Status – Ghar me barkat kese aaye.
घरों से बरकत इसलिए चली गयी क्यों की अब घरों में कुरआन ए पाक की तिलावत नहीं होती.
जिस घर में कुत्ता, तस्वीर और बे ग़ुस्ल इन्सान हो उस घर में रहमत का फ़रिश्ता नहीं आता.
कसरत असल चीज़ नहीं है बल्कि बरकत असल चीज़ है, इसीलिए जब अल्लाह से मांगो तो बरकत मांगो कसरत नहीं.
(कसरत = ज्यादा होना)
घर में बरकत के लिए कुरआन की तिलावत और नमाज़ निहायत ज़रूरी है.
Ghar me Barkat kese ho
नफ्ल नमाज़ों का घर में पढना घर में बरकत लाने का बायस बनता है,
हदीस ए पाक – तुम में से जब कोई शख्स मस्जिद में नमाज़ पढ़े तो अपनी नमाज़ का कुछ हिस्सा अपने घर के लिए भी रखे, क्यों की घर में नमाज़ का कुछ हिस्सा अदा करने से अल्लाह ता आला खैरो भलाई को लाता है.
बावज़ु रहने से रिज़्क़ बढ़ता है और बरकत आती है.
बुख्ल करने से बरकत ख़त्म हो जाती है.
तर्के गुनाह से अल्लाह रिज़्क़ आसान कर देता है और बरकत मिलती है.
(तर्के गुनाह = गुनाह करना छोड़ देना)
Musalmano ke ghar me barkat (Islamic concept of Barkat)
खून के रिश्तेदारों पर खर्च करने, नेकी और एहसान करने से रिज़्क़ और उम्र में बरकत हौती है.
हदीस ए पाक – अगर तुम चाहते हो की तुम्हारा रिज़्क़ कुशादा कर दिया जाये, उम्र बढ़ा दी जाये तो खूनी रिश्तेदारों के साथ नेकी और एहसान किया करो.
सुबह का सोना रोज़ी से महरूम कर देता है, अल्लाह सुबह सादिक और तुलु आफ़ताब के दरमियान लोगो को रोज़ी तकसीम फरमाता है.
रिज़्क़ की बेअदबी करने से बरकत चली जाती है, हुज़ूर ताजदारे अम्बिया स.अ.व. ने फ़रमाया रोटी का एहतेराम करो की यह चीज़ जब किसी कौम से चली गयी तो लौट कर नहीं आई.
हज़रत अनस बिन मालिक रजी. से रिवायत है की रसूलल्लाह स.अ.व. ने फ़रमाया की जब बंदा वालदैन के लिए दुआ छोड़ देता है तो उसके रिज़्क़ में कमी वाकेअ हो जाती है.
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रजी. से रिवायत है की हुज़ूरे अकरम स.अ.व. ने फ़रमाया की हज़रत नूह अलेहीस्सलाम ने अपने बेटे से फ़रमाया की में तुझको दो चीज़ों का हुक्म देता हूँ एक “ला इलाहा इल्लल्लाह” का और दुसरे “ सुबहानललाहे व बेहम्देही” का, इसलिए की यही दोनों कलमे हर चीज़ का वजीफा हैं, और इन्ही के ज़रिये सभी को रिज़्क़ मिलता है.
Barkat ke amal aur wazife
हज़रत इब्ने उमर रजी. से रिवायत है की एक शख्स रसूलल्लाह स.अ.व. की खिदमत में हाज़िर हुआ और अर्ज़ किया की हुज़ूर मैं तंगदस्त हो गया हूँ, आप ने इरशाद फ़रमाया की तुझको मलाएका (फरिश्तों) की दुआ और खलाएक की तस्बीह की खबर नहीं-
तुलु फज्र के बाद से नमाज़े सुबह तक सौ दफा “सुबहानललाहे व बेहम्देही सुबहानलाहिल अज़ीम अस्ताग्फिरुल्लाह” पढ़ लिया कर, दुनिया तेरे पास नाक घिसती चली आएगी.
नमाज़े फज्र के फ़र्ज़ और सुन्नत के दरमियाँ अव्वल आखिर 11 बार दरूद शरीफ एक सौ एक बार दफा यह तस्बीह पढ़ लिया करे
“सुबहानललाहे व बेहम्देही सुबहानलाहिल अज़ीम वबेहम्देही अस्ताग्फिरुल्लाह, वला हौला वला कुव्वता इल्ला बिल्लाह”
इंशाअल्लाह कुछ रोज़ में तंगदस्ती दूर होगी और कारोबार में तरक्की बरकत नसीब होगी.
दो चीज़ें कभी जमा नहीं हो सकती मुफलिसी और चाश्त की नमाज़. जो चाश्त की नमाज़ का पाबंद होगा कभी मुफलिस ना होगा.
आशूरा के दिन मिस्कीनो को खाना खिलाएं इस रोज़ जो चीज़ खिलाई पिलाई जाती है साल भर तक उसमे बरकत रहती है.
Ghar me Barkat in hindi for Muslims
जब घर में दाखिल हों तो हुज़ूर स.अ.व. की बारगाह में सलाम भेजें “अस्सलामो अलैका अय्यो हन नब्बिय्यो व रहमतुल्लाहे व बरकतोंहु” एक मर्तबा दरूद शरीफ पढ़कर तीन मर्तबा सूरा ए इखलास पढ़े – हज़रत मसऊद रजी. से रिवायत है की हुज़ूर स.अ.व. ने फ़रमाया जो शख्स सूरा ए इखलास आखिर तक पढ़ कर घर में दाखिल होगा फ़िक्र (मोहताजी) उसके और उसके पड़ोसियों के घर से दूर हो जाएगी.
घर और रोज़ी में बरकत के लिए फज्र की सुन्नत पढ़ कर अव्वल आखिर दरूद शरीफ और 100 मर्तबा “या रज्ज़ाको” पढ़े.
बे नमाज़ी की नज़र से भी बरकत उठ जाती है!
हज़रत सैयदना गौसे आज़म शैख़ अब्दुल कादीर जिलानी रह. का वाकिया किस्सा
हज़रत सैयदना गौसे आज़म शैख़ अब्दुल कादीर जिलानी रह. की बारगाह में एक शख्स हाजिर हुआ और अर्ज़ करने लगा या सैयदना गौसे आज़म में तंगदस्ती का शिकार हूँ .. हुज़ूर कोइ इलाज फरमाइए.
हुज़ूर गौसे आज़म ने फ़रमाया पंज वक्ता नमाज़ पढ़ते हो ? उसने अर्ज़ किया हाँ, आपने पुछा तुम्हारा मकान कहाँ हैं? उसने अर्ज़ किया की रस्ते के किनारे. हजुर गौसे आज़म ने फ़रमाया की तुम अपने दरवाज़े पर पर्दा लगा दो, उसने अर्ज़ किया की मेरा दरवाज़ा तो बंद रहता है, आपने इरशाद फ़रमाया की इसके बावजूद भी पर्दा लगा दो.
हज़रात गौसे आज़म के फरमान पर अमल करते हुए उसने दरवाज़े पर पर्दा लगा दिया. पंद्रह दिन के बाद हाजिर हुआ तो गौसे पाक की बारगाह में कुछ अशरफियाँ पेश की जो आपने गरीबों में तकसीम कर दी.
उस शख्स ने अर्ज़ किया की हुज़ूर मेने घर के दरवाज़े पर पर्दा लगा दिया, अल्लाह तबारक व ता आला ने बरकत व वुसअत अता फरमाई. हज़रत गौसे आज़म ने इरशाद फ़रमाया तुम्हारा घर रास्ते के किनारे पर था बेशुमार लोग आते जाते थे, उनमे बे नमाज़ी भी थे जिनकी नज़र तुम्हारे घर के दरवाज़े पर पड़ती थी इस वजह से घर से बरकत उठ गयी थी.
ज़रा सोचे बे नमाज़ी के नज़र पड़ने से ही बरकते उठा ली जाती हैं तो जिस घर में बे नमाज़ी हो उस घर का क्या हाल होता होगा?