ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सोन चिरैया
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड जिसे की सोन चिरैया के नाम से जाना जाता है भारत का एक शानदार पक्षी है परंतु यह दुख की बात है कि अब केवल 150 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड ही बचे हैं यह प्रजाति विलुप्ति के कगार पर है तथा अति संकटग्रस्त प्रजाति की श्रेणी में रखी गई है.
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का वैज्ञानिक नाम Ardeotis nigriceps हिंदी में इसे कई नामों से जाना जाता है जैसे गोडावण, सोहन चिड़िया, हुकना, गुरायिन ‘सोन चिरैया’इत्यादि, यह एक बहुत बड़े आकार का पक्षी होता है जिसका क्षेतिज आकार का शरीर होता है तथा लंबे पैर होते हैं, जिसकी वजह से यह ऑस्ट्रिच पक्षी के समान दिखाई देता है, ऑस्ट्रिच पक्षी उड़ नहीं पता है परंतु ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भारी होने के बावजूद उड़ सकता है, यह उड़ने वाले पक्षियों में एक सबसे भारी पक्षी है, अतीत में यह भारतीय सूखे मैदानों में बहुतायत में मिलता था लेकिन अब इनकी संख्या केवल 150 ही बची है, यह एक संकटग्रस्त प्रजाति है जो की शिकार और अपने आवास के नष्ट होने की वजह से विलुप्त होने के कगार पर आ गई, इन शानदार पक्षियों का आवास सूखी घास के मैदान और अर्ध रेगिस्तानी इलाके होते हैं, यह अक्सर काले हिरणों के साथ साथ दिखाई देते हैं क्योंकि दोनों का आवास लगभग एक ही जैसा है. भारत के वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन एक्ट 1972 के तहत यह एक संरक्षित पक्षी है.
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड कहाँ पाया जाता है?
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी पाकिस्तान में भी पाए जाते हैं परंतु यहां भी इनकी संख्या बहुत कम बची है, अतीत में यह लगभग पूरे भारत में पाए जाते हैं इनमें पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ उड़ीसा आंध्र प्रदेश राजस्थान गुजरात महाराष्ट्र कर्नाटक तमिलनाडु आंध्र प्रदेश आदि प्रदेश प्रमुख थे अब यह केवल केवल राजस्थान, गुजरात महाराष्ट्र कर्नाटक और तमिलनाडु में ही पाया जाता है बाकी अन्य प्रदेशों से यह पूरी तरह लुप्त हो चुके हैं.
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड क्या खाता है?
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सोन चिरैया पक्षी सर्वाहारी पक्षी होता है, यह सभी प्रकार के कीट पतंगे खा लेता है यह सभी प्रकार के अनाज, छोटी छिपकलियां, चूहे सभी कुछ खा सकता है, खेती वाले इलाकों में यह फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, क्योंकि यह अनाज और मूंगफली बड़े शौक से खाते हैं, अर्ध रेगिस्तानी इलाकों में पानी कम उपलब्ध होता है, पानी उपलब्ध होने पर यह पक्षी बैठकर पानी पीता है तथा आस पास देखता रहता है, खतरा होने पर मादा पक्षी अपने बच्चों को पंख के नीचे छुपा लेती है यह बहुत ही शर्मिला पक्षी होता है तथा अक्सर लंबी घास के अंदर छुपा होता है.
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का प्रजनन और व्यहवार
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड मार्च से सितंबर के बीच होता है, प्रजनन काल के दौरान इसकी आवाज 500 मीटर दूर से भी सुनाई दी जाती है, मादा सोन चिरैया पक्षी एक बार में एक ही अंडा देती है इस का घोंसला ज़मीन पर ही बना होता है, अंडों को सेने और बच्चों के पालन का कार्य केवल मादा ही करती है इस काम में नर भाग नहीं लेता है, इसके अंडों को कई प्रकार के जीवों से खतरा रहता है जमीन पर चलने वाले शाकाहारी पशु इसके अंडों को कुचल सकते हैं, तथा कोव्वे इनके अन्डो को खा जाते हैं.
ग्रीटइंडियन बस्टर्ड के संरक्षण का कार्य किस राष्ट्रीय अभ्यारण में किया जा रहा है?
राजस्थान सरकार ने इस पक्षी को बचाने के लिए प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की शुरुआत की है यह प्रोजेक्ट सन 2013 में वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे के दिन शुरू किया गया है इस प्रोजेक्ट के तहत ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के आवास स्थल और प्रजनन स्थल की पहचान करना, उसे बचाना और सुरक्षित करना मुख्य उद्देश्य है.
इस पक्षी को बचाने के लिए कई राष्ट्रीय पक्षी अभयारण्य काम कर रहे हैं, जैसलमेर के निकट डेजर्ट नेशनल पार्क अभयारण्य में इस पक्षी को बचाने के लिए काफी कार्य किया जा रहा है गुजरात के कच्छ डिस्ट्रिक्ट में स्थित अबदासा मैं भी इन की कुछ संख्या को बचाया जा रहा है, अन्य प्रदेशों में निम्न अभयारण्यों में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है.
Naliya in Kutch,
Karera Wildlife Sanctuary in Shivpuri district
Great Indian Bustard Sanctuary near Nannaj,18 km from Solapur in Maharashtra,
Shrigonda taluka in Ahmednagar district of Maharashtra,
Chandrapur district in Maharashtra
Rollapadu Wildlife Sanctuary, Kurnool in Andhra Pradesh.
Ranibennur Blackbuck Sanctuary,
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