हेली कॉमेंट धूमकेतु के बारे में रोचक तथ्य
हमारे सौरमंडल में ग्रहों, उपग्रहों, एस्ट्रॉयड के अलावा धूमकेतु भी पाए जाते हैं, धूमकेतु बर्फ और गैसों के जमे हुए पिंड होते हैं जब यह पिंड सूर्य के नजदीक आते हैं तो इन पर जमी हुई बर्फ और गैसे पिघल जाती है सूर्य के प्रकाशीय दबाव से यह गर्म गैसे इस धूमकेतु के पीछे एक पूंछ के रूप में दिखाई देती है, आकाश में कॉमेंट धूमकेतु बहुत आकर्षक दिखाई देते हैं क्योंकि यह चमकदार होते हैं और इनके पीछे एक बहुत लंबी चमकीली पूछ होती है.
अभी तक दिखाई दीये सभी धूमकेतुओं में हेली कॉमेट या हेली का धूमकेतु सबसे प्रसिद्ध पुच्छल तारा है, हैली धूमकेतु भी बर्फ और धूल के कणों और गैसों का बना हुआ है, जब यह सूर्य के पास आता है तो यह गर्म होकर चमकने लगता है, इस चमकते हुए कमेंट को पृथ्वी से आसानी से देखा जा सकता है हेली कॉमेंट के पीछे एक लंबी चमकीली दिखाई देती है, ऐसा माना जाता है कि हैली धूमकेतु देखने का सबसे पहला वर्णन इसा से 240 साल पहले प्राप्त हुआ है, सन 1705 में खगोल शास्त्री एडमंड हेली ने धूमकेतु का अध्ययन किया और पता लगाया कि यह धूमकेतु 75 साल में एक बार पृथ्वी से दिखाई देता है, उन्होंने इस धूमकेतु के आने की सटीक भविष्यवाणी कर दी थी. आइए जानते हैं इस शानदार धूमकेतु के बारे में कुछ रोचक तथ्य
हैली धूमकेतु के बारे में रोचक तथ्य halley comet facts in hindi
हेली धूमकेतु के दिखाएं दिए जाने का सबसे प्रसिद्ध विवरण सन 1066 का है, सन 1066 में फ्रेंच सेना और अंग्रेजी सेनाओं के बीच युद्ध हुआ था इसे बैटल ऑफ हेस्टिंग कहा जाता है इसी युद्ध के दौरान हेली धूमकेतु के आकाश में दिखाई दिए जाने का वर्णन काफी प्रसिद्ध है प्राचीन काल में धूमकेतुओं का आकाश में दिखाई देना राजा के लिए अशुभ माना जाता था, इस युद्ध में इंग्लेंड की सेनाओ की हार हुई थी.
हैली धूमकेतु के खोजकर्ता एडमंड हैली एक खगोल शास्त्री थे उन्होंने इस धूमकेतु के सन 1758 में आने की भविष्यवाणी कर दी थी, परंतु हेली अपनी भविष्यवाणी को सच होते हुए नहीं देख पाए इसके पहले ही उनकी मृत्यु हो गई.
पृथ्वी से हेली धूमकेतु आखरी बार सन 1986 में दिखाई दिया था.
पृथ्वी से हैली धूमकेतु अब सन 2061 में दिखाई देगा इसे नंगी आंखों से भी देखा जा सकेगा.
हेली कॉमेंट को शॉर्ट टर्म कॉमेट भी कहा जाता है क्योंकि यह सूर्य की परिक्रमा 200 साल में पूरी करता है कई धूमकेतु ऐसे हैं जो कि सूर्य की परिक्रमा करने में हेली धूमकेतु की तुलना में ज्यादा समय लेते हैं.
वैसे तो हेली धूमकेतु को देखने का वर्णन कई देशों के इतिहास की किताबों में मिलता है पंरतु एडमंड हैली ने ही इस धूमकेतु के परिक्रमा काल और उसके आने की सही-सही भविष्यवाणी की थी इसलिए उनके सम्मान में इस धूमकेतु का नाम हेली कमेट रखा गया.
सन 1986 में हेली धूमकेतु का अध्ययन रूस के अंतरिक्ष यान द्वारा किया गया था तथा इसकी काफी नजदीक से तस्वीरें खींची गई थी.
हेली कॉमेंट के चमकते हुए मध्य भाग को कोमा कहा जाता है
हेली धूमकेतु 9 मील लंबा है
हेली धूमकेतु की उत्पत्ति सूर्य मंडल सौरमंडल के बाहरी क्षेत्र में स्थित ऑर्ट क्लाउड से हुई है
हेली धूमकेतु का परिक्रमा पथ अंडाकार है यह अपना ज्यादातर समय सूर्य से बहुत दूर व्यतीत करता है
परिक्रमा करते हुए हेली धूमकेतु सूर्य से प्लूटो जितना दूर चला जाता है तथा यह जब सूर्य के पास आता है तो इसकी दूरी सूर्य से शुक्र ग्रह की दूरी के बराबर रह जाती है
हेली धूमकेतु के दिखाई दिए जाने का प्रथम वर्णन हमें चीनी साहित्य में मिलता है,
कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि ईसा मसीह के जन्म के समय जो तारा दिखाई दिया था वह वास्तव में हेली धूमकेतु ही था.
प्रसिद्ध लेखक मार्क टवेन हेली धूमकेतु के आने के वर्ष में पैदा हुए थे तथा उन्होंने यह भविष्यवाणी की थी कि जब दोबारा हेली धूमकेतु आएगा तो उनकी म्रत्यु हो जाएगी और वास्तव में ऐसा ही हुआ.
कोई व्यक्ति अपने जीवन काल में हेली धूमकेतु को अधिक से अधिक दो बार देख सकता है.
जब हैली धूमकेतु सूर्य से दूर होता है तो यह अत्यधिक ठंडा होकर जम जाता है तथा इसकी चमक खत्म हो जाती है.
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Bahut hi acha jankari hai
Hame padh kr samjh me bhi aaya or acha laga-
thanks