बेस्ट हमसफर शायरी Humsafar Shayari
हमसफ़र मतलब सफ़र में साथ चलने वाला, अब ये सफ़र कोई भी हो सकता है .जीवन का सफ़र भी …जीवन के सफ़र में साथ चलने वाले को जीवनसाथी हमसफर कहते हैं, इस पेज पर हम आपके लिए बेहतरीन हमसफर शायरी पेश कर रहें हैं, अपने साथी अपने हमसफर तक अपनी मन की बात और जज्बात पहुँचाने के लिए इन हमसफर शायरी का इस्तेमाल कीजिये .. अपने हमसफ़र को ये हमसफ़र शायरी sms, व्हाट्स अप्प मेसेज और हमसफर व्हाट्स अप्प स्टेटस के ज़रिये पहुँचिये
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आप जैसा हँसी हमसफ़र हो अगर,
जा रहे हैं कहाँ सोचता कौन है ?
एक ही मंजिल है उनकी‚ एक ही है रास्ता
क्या सबब फिर हमसफ़र से हमसफ़र लड़ने लगे
जो ब-जाहिर हमसे सदियों की मुसाफ़त-बर रहे,
हम उन्हें हर शाम अपना हमसफ़र देखा किये
फिरते हैं कब से दरबदर अब इस नगर अब उस नगर
एक दूसरे के हमसफ़र, मैं और मेरी आवारगी …
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Hamsafar Status Pictures – Hamsafar dp Pictures – Hamsafar Shayari Pictures
ज़िन्दगी से मेरी आदत नहीं मिलती
मुझे जीने की सूरत नहीं मिलती
कोई मेरा भी कभी हमसफ़र होता
मुझे ही क्यूँ मुहब्बत नहीं मिलती ।
जिंदगी देने वाले मरता छोड़ गये
अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये
जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की
वो जो साथ चलने वाले रास्ता मोड़ गये।
तू हमसफ़र तू हमडगर तू हमराज नज़र आता है……
मेरी अधूरी सी जिंदगी का ख्वाब नज़र आता है…..
कैसी उदास है जिंदगी… बिन तेरे… हर लम्हा,
मेरे हर लम्हे में…. तेरी मौजूदगी का अहसास नज़र आता है।
मेरे बाद किसी और को हमसफ़र बनाकर देख लेना ..
तेरी ही धड़कन कहेगी कि उसकी वफ़ा में
कुछ और ही बात थी।
शाम आई तो बिछुड़े हुए हमसफ़र
आंसुओं से इन आंखों में आने लगे।
आंखें मंज़र हुई, काम नग़्मा हुए
घर के अन्दाज़ ही घर से जाते रहे।
शाम आयी , तो बिछड़े हुए हमसफ़र
आंसुओं से इन आंखों में आके रहे।
हर मुसाफिर है तन्हा-तन्हा क्यों
एक-एक हमसफ़र से पूछते हैं
राह-ए-वफ़ा में कोई हमसफ़र ज़रूरी है
ये रास्ता कहीं तनहा कटे तो मुश्किल है
जहाँ भी जाऊँ ये लगता है, तेरी महफ़िल है
#NidaFazli
हमसफर शायरी
बिना हमसफर के कब तलक कोई मसाफ़तों में लगा रहे,
जहाँ कोई किसी से जुदा न हो मुझे उस राह की तलाश है !!
अकेला छोड़ने वालों को ये बताए कोई
कि हम तो राह को भी हमसफ़र समझते हैं -सऊद उस्मानी
हमसफ़र मेरे हमसफ़र पंख तुम परवाज़ हम
ज़िंदगी का साज़ हो तुम साज़ की आवाज़ हम
ना तो कारवाँ की तलाश है, ना तो हमसफ़र की तलाश है
मेरे शौक़-ए-खाना खराब को, तेरी रहगुज़र की तलाश है
साहिर
मुद्दतों के बाद कोई हमसफर अच्छा लगा ….
गुफ़्तगु अच्छी लगी ज़ौक़-ए-नज़र अच्छा लगा …
रात तनहाईयों की दुश्मन है
हर सफ़र हमसफ़र से रोशन है,
मौज के पास जो किनारा है
वो किनारा हसीन लगता है
-निदा फ़ाजली
किसी राह में, किसी मोड़ पर
चल न देना मुझको तू छोड़कर
मेरे हमसफर, मेरे हमसफर,
मेरे हमसफर, मेरे हमसफर
हम नादां थे जो उन्हें हमसफ़र समझ बैठे,
वो चलते थे मेरे साथ पर किसी और की तलाश में
..
तेरी बेवफाई पर इतना ही कहूँगी ……..
ऐ हमसफ़र………
मैं खुद को इस क़ाबिल बनाऊँगी के……
.. तेरी आँखें मेरे दीदार को तरसें।।
सुन मेरे हमसफ़र
क्या तुझे इतनी सी भी खबर
की तेरी साँसे चलती जिधर
रहूँगा बस वही उम्र भर
रहूँगा बस वही उम्र भर हाय
चलते चलते मुझसे पूछा मेरे पांव के छालों ने।
बस्ती कितनी दूर बसा ली दिल मे बसने वालो ने।।
“रुस्वाई ज़िंदगी का मुकद्दर हो गयी,
मेरे दिल भी पत्थर हो गया,
जिसे रात दिन पाने के ख्वाब देखे,
वो बेवफा किसी और की हमसफर हो गई”
राह भी तुम हो राहत भी तुम ही हो
मेरे सुख और दुख को बांटने वाली हमसफर भी तुम ही हो
मेरे हर दर्द का मरहम ,बाहो का सुकून भी तुम ही हो
इस क़दर मसरूफ़ रहता हूँ तुम्हारी यादो में
फुरसतों को भी फुर्सत नही मिलती अब तो
क्योंकि अब वहा भी तुम ही हो
हमसफर शायरी
हमसफर बन गए ,
हमनवा बन तुम मेरे आसमां … मेरी जमीन बन गए
तू हमसफ़र, तू हम डगर, तू हमराज, नजर आता है,
मेरी अधूरी सी जिंदगी का.. ख्वाब नजर आता है,
कैसी उदास है जिंदगी तेरे बिन हर लम्हा,
मेरे हर लम्हे में तेरा अहसास नजर आता है!
मेरे हमसफर मेरे हमनवां,बस सिर्फ दो कदम मेरे साथ चल
ये इल्तिज़ा तो तू मेरी मान ही ले,ऐसा न हो मैं हो जाऊं कल
हमनवां-मित्र इल्तिज़ा-अनुरोध
मेरे साथ रिशता निभाओगे क्या ?
कहो ना ,मेरे साथ आओगे क्या ?
हमें आरज़ू है तुम्हारे साथ की
मुझे हमसफ़र तुम बनाओगे क्या ?
मेरा कोई घर या ठिकाना नहीं
मेरे साथ घर बसाओगे क्या ?
सुना है तुम्हें सिर्फ झूठे ही मिले
मुझे एक दफ़ा आजमाओगे क्या ?
आज तुझसे नही शायद खुद से ही मेरी रुसवाई है
तुझसे करके प्यार मैने जिंदगी में पाई सिर्फ तन्हाई है
दामन छुड़ा के प्यार का मेरे तूने अपनी दुनियां बसाई है
मैने समझा तुझे हमसफर अपना तू निकला हरजाई है
ये लकीरें, ये नसीब, ये किस्मत
सब फ़रेब के आईनें हैं…
हाथों में तेरा हाथ होने से ही
मुकम्मल ज़िंदगी के मायने हैं…
फिर नींद से उठकर इधर उधर देखते है तुम्हे
क्यों ख्वाबों में मेरे इतने करीब चले आते हो तुम
बातें मंज़िलों की तू न कर मुझसे,
है हमसफ़र… तो मेरे साथ आ !!
वही है डगर, वही है सफ़र
है नही साथ मेरे मगर, अब मेरा हमसफ़र
इधर उधर ढूंढें नजर, वही है डगर
कहाँ गयी शामें मदभरी, वो मेरे मेरे वो दिन गए किधर
राह के हमसफ़र ऐ मेरे साथिया,
ख्वाब में तुम सदा आते जाते रहें!
जिंदगी जंग है,कण्टकाकीर्ण पथ,
शूल या फूल तुम मुस्कुराते रहे ! !
हुमज़ुबां मेरे थे इनके दिल मगर अच्छे न थे
मंज़िलें अच्छी थीं मेरे हमसफ़र अच्छे न थे
वो आती है रोज मेरे कब्र पर
अपने हमसफर के साथ
कौन कहता है
की दफनाने के बाद जलाया नही जाता
अब इस के बाद घने जंगलो की मंजिल है
ये वक़्त है के पलट जाएँ हमसफ़र मेरे
तलाश कर मेरी मोहब्बत को अपने दिल में,
ए मेरे हमसफ़र दर्द हो तो समझ लेना की मोहब्बत अब भी बाकि है..!!
तुम बन के उजाला यकीन का
साथ साथ चलना मेरे सतगुरु हमसफ़र
अँधेरा है…यूँ ही सिमट जायेगा
ये सितम की रात हैं ढलने को है
अन्धेरा गम का पिघलने को है
ज़रा देर इस में लगे अगर ना उदास हो मेरे हमसफ़र…
तेरी बेवफाई पर
इतना ही कहूँगा हमसफर….
मैं खुद को इस काबिल
बनाऊंगा की तेरी आँखे मेरे दीदार
को तरसेगी
हमसफर शायरी
बहुत नजदीक से गुजरे वो बेखबर बनकर |
कल तलक साथ थे जो मेरे हमसफर बनकर ||
हमसफ़र साथ-साथ चलते हैं
रास्ते तो बेवफ़ा बदलते हैं
आपका चेहरा है जब से मेरे दिल में
जाने क्यों लोग मेरे दिल से जलते हैं
जो अपने हमसफ़र थे दुबारा नहीं मिले,
पीछे जो रह गये थे, मेरे हम-क़दम हुए…
कुछ इस तरह से साथ मेरे हमसफ़र चले,
साये से जैसे जिस्म कोई बेख़बर चले l
मेरे मरने पर किसी को ज्यादा फर्क नहीं होगा,
बस तन्हाई रोएगी कि मेरा हमसफ़र चला गया !
उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे..
मुझे रोक रोक पूछा तेरा हमसफर कहाँ है
जो उड़ाते थे मेरे सफर का मजाक
रफ्ता रफ्ता मेरे हमसफर हो गए
इतनी अकेली क्यों है ये ज़िंदगी
कोई हमसफ़र क्यों नहीं साथ मेरे
तुम भी दो क़दम साथ चल
छोड़ गए बीच मँझधार
अब कटेगी ये ज़िंदगी किसकेसहारे
पहले कुछ दूर तक साथ चलके परख
फिर मेरे हमसफ़र मुझे हमसफ़र बोलना
मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर तेरा क्या भरोसा ए हमसफ़र…
तेरी यु प्यार करने की अदा, कहीं मेरा दर्द और न बढ़ा दे…
खुबसूरत बात ये, चार पल का साथ ये
सारी उम्र मुझको को रहेगा याद
मैं अकेला था मगर, बन गयी वो हमसफ़र, वो मेरे साथ हो गयी..
हमसफर शायरी
मेरे साथ जुगनू है हमसफ़र मगर इस शरर की बिसात क्या,
ये चराग़ कोई चराग़ है न जला हुआ न बुझा हुआ #Badr
मेरे रास्ते मेरी मंजिलें मेरे हमसफ़र मेरे हमनशीं
मुझे लूट कर सभी चल दिए, मेरे पास कुछ भी बचा नहीं.
मेरे हमसफ़र मेरे पास आ, मुझे शोहरतें का कोई काम नहीं||
जो तू मुझे मिल जाये तो ,मुझे किसी बात की हया न हो||||
तुझे क्या ख़बर मेरे हमसफ़र, मेरा मरहला कोई और है।
मुझे मंज़िलों से गुरेज़ है मेरा रास्ता कोई और है।
गगन से भी ऊंचा मेरा प्यार है…
तुझी पर मिटूंगा ये इकरार है…
तू इतना समझ ले मेरे हमसफ़र….
तेरे प्यार से मेरा संसार है
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Humsafar shayari in hindi roman font
zindagi se mere adat nahin milate
mujhe jene ke soorat nahin milate
koe mera bhe kabhe hamasafar hota
mujhe he kyoon muhabbat nahin milate .
jindage dene vale marata chhod gaye
apanapan jatane vale tanha chhod gaye
jab pade jaroorat hamen apane hamasafar ke
vo jo sath chalane vale rasta mod gaye.
too hamasafar too hamadagar too hamaraj nazar ata hai……
mere adhoore se jindage ka khvab nazar ata hai…..
kaise udas hai jindage… bin tere… har lamha,
mere har lamhe mein…. tere maujoodage ka ahasas nazar ata hai.
mere bad kise aur ko hamasafar banakar dekh lena ..
tere he dhadakan kahege ki usake vafa mein
kuchh aur he bat the.
sham ae to bichhude hue hamasafar
ansuon se in ankhon mein ane lage.
ankhen manzar hue, kam nagma hue
ghar ke andaz he ghar se jate rahe.
har musafir hai tanha-tanha kyon
ek-ek hamasafar se poochhate hain
rah-e-vafa mein koe hamasafar zaroore hai
ye rasta kahen tanaha kate to mushkil hai
#nidafazli
hamasafar shayari
ap jaisa hanse hamasafar ho agar,
ja rahe hain kahan sochata kaun hai ?
ek he manjil hai unake‚ ek he hai rasta
kya sabab fir hamasafar se hamasafar ladane lage
jo ba-jahir hamase sadiyon ke musafat-bar rahe,
ham unhen har sham apana hamasafar dekha kiye
firate hain kab se darabadar ab is nagar ab us nagar
ek doosare ke hamasafar, main aur mere avarage …
bina hamasafar ke kab talak koe masafaton mein laga rahe,
jahan koe kise se juda na ho mujhe us rah ke talash hai !!
akela chhodane valon ko ye batae koe
ki ham to rah ko bhe hamasafar samajhate hain -saood usmane
hamasafar mere hamasafar pankh tum paravaz ham
zindage ka saz ho tum saz ke avaz ham
na to karavan ke talash hai, na to hamasafar ke talash hai
mere shauq-e-khana kharab ko, tere rahaguzar ke talash hai
sahir
muddaton ke bad koe hamasafar achchha laga ….
guftagu achchhe lage zauq-e-nazar achchha laga …
rat tanahaeyon ke dushman hai
har safar hamasafar se roshan hai,
mauj ke pas jo kinara hai
vo kinara hasen lagata hai
-nida fajale
kise rah mein, kise mod par
chal na dena mujhako too chhodakar
mere hamasafar, mere hamasafar,
mere hamasafar, mere hamasafar
ham nadan the jo unhen hamasafar samajh baithe,
vo chalate the mere sath par kise aur ke talash mein
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tere bevafae par itana he kahoonge ……..
ai hamasafar………
main khud ko is qabil banaoonge ke……
.. tere ankhen mere dedar ko tarasen..
“rusvae zindage ka mukaddar ho gaye,
mere dil bhe patthar ho gaya,
jise rat din pane ke khvab dekhe,
vo bevafa kise aur ke hamasafar ho gae”
rah bhe tum ho rahat bhe tum he ho
mere sukh aur dukh ko bantane vale hamasafar bhe tum he ho
hamasafar shayari
hamasafar ban gae ,
hamanava ban tum mere asaman … mere jamen ban gae
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mere hamasafar mere hamanavan,bas sirf do kadam mere sath chal
ye iltiza to too mere man he le,aisa na ho main ho jaoon kal
hamanavan-mitr iltiza-anurodh
mere sath rishata nibhaoge kya ?
kaho na ,mere sath aoge kya ?
hamen arazoo hai tumhare sath ke
mujhe hamasafar tum banaoge kya ?
aj tujhase nahe shayad khud se he mere rusavae hai
tujhase karake pyar maine jindage mein pae sirf tanhae hai
daman chhuda ke pyar ka mere toone apane duniyan basae hai
maine samajha tujhe hamasafar apana too nikala harajae hai
ye lakeren, ye naseb, ye kismat
sab fareb ke aenen hain…
hathon mein tera hath hone se he
mukammal zindage ke mayane hain…
fir nend se uthakar idhar udhar dekhate hai tumhe
kyon khvabon mein mere itane kareb chale ate ho tum
baten manzilon ke too na kar mujhase,
hai hamasafar… to mere sath a !!
vahe hai dagar, vahe hai safar
hai nahe sath mere magar, ab mera hamasafar
idhar udhar dhoondhen najar, vahe hai dagar
kahan gaye shamen madabhare, vo mere mere vo din gae kidhar
rah ke hamasafar ai mere sathiya,
khvab mein tum sada ate jate rahen!
jindage jang hai,kantakakern path,
shool ya fool tum muskurate rahe ! !
humazuban mere the inake dil magar achchhe na the
manzilen achchhe then mere hamasafar achchhe na the
ab is ke bad ghane jangalo ke manjil hai
ye vaqt hai ke palat jaen hamasafar mere
talash kar mere mohabbat ko apane dil mein,
e mere hamasafar dard ho to samajh lena ke mohabbat ab bhe baki hai..!!
ye sitam ke rat hain dhalane ko hai
andhera gam ka pighalane ko hai
zara der is mein lage agar na udas ho mere hamasafar…
bahut najadek se gujare vo bekhabar banakar |
kal talak sath the jo mere hamasafar banakar ||
hamasafar sath-sath chalate hain
raste to bevafa badalate hain
apaka chehara hai jab se mere dil mein
jane kyon log mere dil se jalate hain
jo apane hamasafar the dubara nahin mile,
pechhe jo rah gaye the, mere ham-qadam hue…
kuchh is tarah se sath mere hamasafar chale,
saye se jaise jism koe bekhabar chale l
mere marane par kise ko jyada fark nahin hoga,
bas tanhae roege ki mera hamasafar chala gaya !
unhen raston ne jin par kabhe tum the sath mere..
mujhe rok rok poochha tera hamasafar kahan hai
jo udate the mere safar ka majak
rafta rafta mere hamasafar ho gae
itane akele kyon hai ye zindage
koe hamasafar kyon nahin sath mere
tum bhe do qadam sath chal
chhod gae bech manjhadhar
ab katege ye zindage kisakesahare
pahale kuchh door tak sath chalake parakh
fir mere hamasafar mujhe hamasafar bolana
mujhe chhod de mere hal par tera kya bharosa e hamasafar…
tere yu pyar karane ke ada, kahen mera dard aur na badha de…
khubasoorat bat ye, char pal ka sath ye
sare umr mujhako ko rahega yad
main akela tha magar, ban gaye vo hamasafar, vo mere sath ho gaye..
hamasafar shayari
mere sath juganoo hai hamasafar magar is sharar ke bisat kya,
ye charag koe charag hai na jala hua na bujha hua #badr
mere raste mere manjilen mere hamasafar mere hamanashen
mujhe loot kar sabhe chal die, mere pas kuchh bhe bacha nahin.
mere hamasafar mere pas a, mujhe shoharaten ka koe kam nahin||
jo too mujhe mil jaye to ,mujhe kise bat ke haya na ho||||
tujhe kya khabar mere hamasafar, mera marahala koe aur hai.
mujhe manzilon se gurez hai mera rasta koe aur hai.
gagan se bhe ooncha mera pyar hai…
tujhe par mitoonga ye ikarar hai…
too itana samajh le mere hamasafar….
tere pyar se mera sansar hai