150 Khuda Shayari खुदा पर शायरी
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Khuda Shayari – खुदा शायरी
कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं
नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है
~बेदम शाह वारसी
ऐ दिल न अक़ीदा है दवा पर न दुआ पर
कम-बख़्त तुझे छोड़ दिया हम ने ख़ुदा पर
~सफ़ी औरंगाबादी
सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं
जिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं
~सुदर्शन फ़ाख़िर
ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे
कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे
~बशीर बद्र
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
~AllamaIqbal
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता
~MirzaGhalib
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न मंदिर में सनम होते न मस्जिद में ख़ुदा होता
हमीं से ये तमाशा है न हम होते तो क्या होता
~नौशाद अली
हर शख़्स बन गया है ख़ुदा, तेरे शहर में
किस किस के दर पे माँगीं दुआ तेरे शहर में
~नज़ीर सिद्दीक़ी
कोई चारह नहीं दुआ के सिवा
कोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवा
~हफ़ीज़_जालंधरी
सर-ए-महशर यही पूछूँगा ख़ुदा से पहले
तूने रोका भी था बंदे को ख़ता से पहले
– आनंद नारायण मुल्ला
ऐ आसमान तेरे ख़ुदा का नहीं है ख़ौफ़
डरते हैं ऐ ज़मीन तिरे आदमी से हम
– अज्ञात
आसमाँ पे है ख़ुदा और ज़मीं पे हम
आज कल वो इस तरफ़ देखता है कम
– Sahir Ludhyanvi
ख़ुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को
बदलते वक़्त पे कुछ अपना इख़्तियार भी रख
~निदा फ़ाज़ली
कैसी चली है अब के हवा तेरे शहर में
बंदे भी हो गए हैं ख़ुदा तेरे शहर में
~ख़ातिर_ग़ज़नवी
कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं
ना-ख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है
~बेदम शाह वारसी
हम ख़ुदा के कभी क़ाइल ही न थे
उन को देखा तो ख़ुदा याद आया
ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री ‘ग़ालिब’
हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे
~Ghalib
2 khuda shayari 2 lines
बंदगी हम ने छोड़ दी है ‘फ़राज़’
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ
~Faraz
ज़माना ख़ुदा को ख़ुदा जानता है
यही जानता है तो क्या जानता है
अब तो जाते हैं बुत-कदे से ‘मीर’
फिर मिलेंगे अगर ख़ुदा लाया
~MirTaqiMir
उतार इन में कोई अपनी रौशनी या रब
कि लोग थक गए ज़ुल्मत से अब बहलते हुए
~उबैदुल्लाह_अलीम
पुकारता रहा किस किस को डूबने वाला
ख़ुदा थे इतने मगर कोई आड़े आ न गया
~यगाना_चंगेज़ी
ग़म मुझे, हसरत मुझे, वहशत मुझे, सौदा मुझे,
एक दिल दे कर ख़ुदा ने, दे दिया क्या क्या मुझे
~सीमाब_अकबराबादी
बच्चा बोला देख कर मस्जिद आली-शान
अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान
~NidaFazli ~shair
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
~AllamaIqbal
कैसी चली है अब के हवा तेरे शहर में
बंदे भी हो गए हैं ख़ुदा तेरे शहर में
~ख़ातिर_ग़ज़नवी
कहने को ज़िंदगी थी बहुत मुख़्तसर मगर
कुछ यूँ बसर हुई कि ख़ुदा याद आ गया
~ख़ुमार_बाराबंकवी
न मंदिर में सनम होते न मस्जिद में ख़ुदा होता
हमीं से ये तमाशा है न हम होते तो क्या होता
~नौशाद_अली
बुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्जिद को ढाइए
दिल को न तोड़िए ये ख़ुदा का मक़ाम है
~हैदर_अली_आतिश
ख़ुदा के नाम पे जिस तरह लोग मर रहे हैं
दुआ करो कि अकेला ख़ुदा न रह जाए
~तसनीम_आबिदी
फ़लक-नशीं सही मेरा ख़ुदा मगर ‘मोहसिन’
कभी कभी वो ज़मीं पर उतर भी आता है
~मोहसिन_एहसान
किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में
मिरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं
~अख़्तर_सईद_ख़ान
न कर किसी पे भरोसा कि कश्तियाँ डूबें
ख़ुदा के होते हुए नाख़ुदा के होते हुए
~अहमद_फ़राज़
अच्छा यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देख
इक तू ही नाख़ुदा नहीं ज़ालिम ख़ुदा भी है
~QatilShifai
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता
~मिर्ज़ा_ग़ालिब
रक़ीबों ने रपट लिखवाई है जा जा के थाने में
कि ‘अकबर’ नाम लेता है ख़ुदा का इस ज़माने में
~अकबर_इलाहाबादी
हम ख़ुदा के कभी क़ाइल ही न थे
उन को देखा तो ख़ुदा याद आया
~MirTaqiMir
नए सिरे से तलाश कीजिए !
ख़ुदा जहाँ था वहाँ नहीं है
~Nida Fazli
वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं
~MirzaGhalib
हर एक दौर का मज़हब नया ख़ुदा लाया
करें तो हम भी मगर किस ख़ुदा की बात करें
2 khuda shayari in hindi
मैं इक थका हुआ इंसान और क्या करता
तरह तरह के तसव्वुर ख़ुदा से बाँध लिए
छोड़ा नहीं ख़ुदी को दौड़े ख़ुदा के पीछे,
आसाँ को छोड़ बंदे मुश्किल को ढूँडते हैं
~Adam
ख़ुदा तौफ़ीक़* देता है जिन्हें वो ये समझते हैं
कि ख़ुद अपने ही हाथों से बना करती हैं तक़दीरें
परस्तिश की याँ तक कि ऐ बुत तुझे
नज़र में सभों की ख़ुदा कर चले
~मीर_तक़ी_मीर
जिन से इंसाँ को पहुँचती है हमेशा तकलीफ़
उन का दावा है कि वो अस्ल ख़ुदा वाले हैं
~अब्दुल_हमीद_अदम
उस ख़ुदा की तलाश है ‘अंजुम’
जो ख़ुदा हो के आदमी सा लगे
~Anjum Saleemi
इश्क़ है मैं हूँ दिल-ए-नाकाम है
इस के आगे बस ख़ुदा का नाम है
~आनंद_नारायण_मुल्ला
ख़ुदा का घर भी है दिल में बुतों की चाह भी है
सनम-कदा भी है दिल अपना ख़ानक़ाह भी है
~असमान_जाह_अंजुम*
दिल है क़दमों पर किसी के सर झुका हो या न हो
बंदगी तो अपनी फ़ितरत है ख़ुदा हो या न हो ~जिगर_मुरादाबादी
ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है
रहे सामने और दिखाई न दे ~BashirBadr
आशिक़ी से मिलेगा ऐ ज़ाहिद
बंदगी से ख़ुदा नहीं मिलता
~DaghDehlvi
जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है
~ग़ालिब
पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाए
हम चाँद से आज लौट आए
~KaifiAzmi
वहाँ भी मुझ को ख़ुदा सर-बुलंद रखता है
जहाँ सरों को झुकाए ज़माना होता है ~असअद_बदायुनी
हर ज़र्रा चमकता है अनवार-ए-इलाही से
हर साँस ये कहती है हम हैं तो ख़ुदा भी है ~AkbarAllahabadi
ख़ुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा
जिसे नफ़रत है उस के आदमी से ~NareshKu~Shad
उसका दरवाजा रात गए तक
हर ज़ात के आदमी के लिए खुला रहता है
ख़ुदा जाने उसके कमरे सी कुशादगी
मस्ज़िद और मंदिर के आँगनों में कब पैदा होगी?
-निदा
ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है
रहे सामने और दिखाई न दे ~BashirBadr
सब कुछ ख़ुदा से माँग लिया तुझको माँग कर
उठते नहीं हैं हाथ मेरे इस दुआ के बाद
‘ज़फ़र’ आदमी उस को न जानिएगा
वो हो कैसा ही साहब-ए-फ़हम-ओ-ज़का/
जिसे ऐश में याद-ए-ख़ुदा न रही
जिसे तैश में ख़ौफ़-ए-ख़ुदा न रहा
Bahadur Shah Zafar
shayari on khuda
तुम इतना हुस्न आख़िर क्या करोगे
अरे कुछ तो ख़ुदा के नाम पर दो
-Taaj Bhopali
दिल लिया है तो ख़ुदा के लिए कह दो साहब
मुस्कुराते हो तुम्हीं पर मिरा शक जाता है
~हबीब मूसवी
तेरे भी दिल में हूक सी उठ्ठे ख़ुदा करे
तू भी हमारी याद में तड़पे ख़ुदा करे
~ओवेस अहमद दौराँ
दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर
जो इधर दिल में है या रब वो उधर पैदा कर
~बेख़ुद देहलवी
मेरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए
तू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए
~शाज़ तमकनत
तुम जिसे याद करो फिर उसे क्या याद रहे
न ख़ुदाई की हो परवा न ख़ुदा याद रहे
~शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
उठा सुराही ये शीशा वो जाम ले साक़ी
फिर इस के बाद ख़ुदा का भी नाम ले साक़ी
~कँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
न कोई रंज का लम्हा किसी के पास आए
ख़ुदा करे कि नया साल सब को रास आए
आप के लब पे और वफ़ा की क़सम
क्या क़सम खाई है ख़ुदा की क़सम
~सबा अकबराबादी
कहे कोई किस से सताना तुम्हारा
ख़ुदाई तुम्हारी ज़माना तुम्हारा
~सिद्दीक़ अहमद बेनज़ीर
या ख़ुदा दर्द-ए-मोहब्बत में असर है कि नहीं
जिस पे मरता हूँ, उसे मेरी ख़बर है कि नहीं
~जलील_मानिकपूरी
khuda ki shayari
हमारे साथ उठता बैठता था
वो इक बंदा ख़ुदा होने से पहले
~इसहाक़_विरदग
ज़मीं को ऐ ख़ुदा वो ज़लज़ला दे
निशाँ तक सरहदों के जो मिटा दे
चोरी ख़ुदा से जब नहीं बंदों से किस लिए
छुपने में कुछ मज़ा नहीं सबको दिखा के पी
– Fayyaz Hashmi
हद है अपनी तरफ़ नहीं मैं भी
और उन की तरफ़ ख़ुदाई है
~जोश_मलीहाबादी
जो ज़माने से छुपानी थी मुझे हर वो बात,
शेर-दर-शेर बयाँ है कि ख़ुदा ख़ैर करे !!
ज़माना ख़ुदा को ख़ुदा जानता है
यही जानता है तो क्या जानता है
~यगाना_चंगेज़ी
इश्क़ में बू है किबरियाई की
आशिक़ी जिस ने की ख़ुदाई की
~बक़ा_उल्लाह_बक़ा
किबरियाई = pride, greatness
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब
मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं
~हफ़ीज़_जालंधरी
~
ख़ुदा करे कि तिरी उम्र में गिने जाएँ
वो दिन जो हम ने तिरे हिज्र में गुज़ारे थे
~Nadeem
महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है
~BashirBadr
या ख़ुदा अब के ये किस रंग में आई है बहार
ज़र्द ही ज़र्द है पेड़ों पे हरा कुछ भी नहीं
~राजेश_रेड्डी
मेरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए
तू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए
~शाज़_तमकनत
मैंने दिन-रात ख़ुदा से ये दुआ मांगी थी,
कोई आहट न हो दर पर मेरे जब तू आए !!
ज़िंदगी को न बना लें वो सज़ा मेरे बाद
हौसला देना उन्हें मेरे ख़ुदा मेरे बाद
~हकीम_नासिर
ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला
~बशीर_बद्र
बृन्दाबन के कृष्ण कन्हैय्या अल्लाह हू
बंसी राधा गीता गैय्या अल्लाह हू
~NidaFazli
ख़ुदा के वास्ते ग़म को भी तुम न बहलाओ
इसे तो रहने दो मेरा यही तो मेरा है
~MeenaKu~i ~
तू ख़ुदा है न मेरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें
~AhmadFaraz
कश्ती का ज़िम्मेदार फ़क़त ना-ख़ुदा नहीं
कश्ती में बैठने का सलीक़ा भी चाहिए
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
~मिर्ज़ा_ग़ालिब
ख़ुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को
बदलते वक़्त पे कुछ अपना इख़्तियार भी रख
~निदा_फ़ाज़ली
ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैंने
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला
~बशीर_बद्र
तेरी आँखों में हम ने क्या देखा
कभी क़ातिल कभी ख़ुदा देखा
~सुदर्शन_फ़ाकिर
क़फ़स में मौसमों का कोई अंदाज़ा नहीं होता
ख़ुदा जाने बहार आई चमन में या ख़िज़ाँ आई
~मुनव्वर_राना ~qafas ~Shair
क्यूँ मिरी शक्ल पहन लेता है छुपने के लिए
एक चेहरा कोई अपना भी ख़ुदा का होता
~Gulzar ~Jashne
सिर्फ़ ख़ंजर ही नहीं आँखों में पानी चाहिए
ऐ ख़ुदा दुश्मन भी मुझ को ख़ानदानी चाहिए
~राहत_इंदौरी
~साहिर_लुधियानवी
है कहाँ तमन्ना का दूसरा क़दम या रब
हम ने दश्त-ए-इम्काँ को एक नक़्श-ए-पा पाया
~MirzaGhalib
ये मेरे इश्क़ की मजबूरियाँ मआज़-अल्लाह
तुम्हारा राज़ तुम्हीं से छुपा रहा हूँ मैं
– असरार-उल-हक़ मजाज़
जाते हो ख़ुदा-हाफ़िज़ हाँ इतनी गुज़ारिश है
जब याद हम आ जाएँ, मिलने की दुआ करना
– जलील मानिकपुरी
मेरे ख़ुदा मुझे इतना तो मो’तबर कर दे
मैं जिस मकान में रहता हूँ उसको घर कर दे
Iftikhar Arif
आँखें ख़ुदा ने दी हैं तो देखेंगे हुस्न-ए-यार
कब तक नक़ाब रुख़ से उठाई न जाएगी
~जलील_मानिकपुरी
मेरे हबीब मेरी मुस्कुराहटों पे न जा
ख़ुदा-गवाह मुझे आज भी तेरा ग़म है
~AhmadRahi
ज़माना दोस्त है किस किस को याद रखोगे
ख़ुदा करे कि तुम्हें मुझसे दुश्मनी हो जाए
~QabilAjmeri
अल्लाह रे नाज़ुकी, ये चमेली का एक फूल
सर पर जो रख दिया, तो कमर तक लचक गयी
ख़ुदा करे कि तेरी उम्र में गिने जाएँ
वो दिन जो हम ने तेरे हिज्र में गुज़ारे थे ~AhmadNadeemQasmi
अब तो जाते हैं बुत-कदे से ‘मीर’
फिर मिलेंगे अगर ख़ुदा लाया
~मीर
हम ख़ुदा के कभी क़ाइल ही न थे
उन को देखा तो ख़ुदा याद आया
~मीर_तक़ी_मीर
उम्र भर कौन निभाता है तअल्लुक़ इतना
ऐ मिरी जान के दुश्मन तुझे अल्लाह रक्खे
~अहमद_फ़राज़
उठा सुराही, ये शीशा, वो जाम ले साक़ी
फिर इसके बाद ख़ुदा का भी नाम ले साक़ी
~MahendraSinghBediSahar
बिकता रहता सर-ए-बाज़ार कई क़िस्तों में
शुक्र है मेरे ख़ुदा ने मुझे शोहरत नहीं दी
~AhmadAshfaq
बड़ा मज़ा हो जो महशर में हम करें शिकवा
वो मिन्नतों से कहें चुप रहो ख़ुदा के लिए
~दाग़
khuda shayari hindi
जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं
ख़ुदा मिलाए उन्हें ज़िंदगी के मारों से
~NazirSiddiqui
पूछेगा जो ख़ुदा तो ये कह देंगे हश्र में
हाँ हाँ गुनह किया तेरी रहमत के ज़ोर पर
शब जो मस्जिद में जा फँसे ‘मोमिन’
रात काटी ख़ुदा ख़ुदा कर के ~Momin
वो दिल ही क्या, तेरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे
~QateelShifai
या रब हमें तो ख़्वाब में भी मत दिखाइयो
ये महशर-ए-ख़याल कि दुनिया कहें जिसे
~Ghalib
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं ~ग़ालिब
या ख़ुदा दर्द-ए-मोहब्बत में असर है कि नहीं
जिस पे मरता हूँ उसे मेरी ख़बर है कि नहीं
~JaleelManikpuri
किसी ने चूम के आँखों को ये दुआ दी थी
ज़मीन तेरी ख़ुदा मोतियों से नम कर दे ~बशीर_बद्र
मैं ग़ज़ल की शबनमी आँख से ये दुखों के फूल चुना करूँ
मेरी सल्तनत मेरा फ़न रहे मुझे ताज ओ तख़्त ख़ुदा न दे ~बशीर_बद्र
ख़ुदा रखे तेरी महफ़िल की रौनक़ें आबाद
नज़ारगी से नज़र में कमी नहीं आती ~ShanulHaqHaqqi
वो जल्द आएँगे या देर में ख़ुदा जाने
मैं गुल बिछाऊँ कि कलियाँ बिछाऊँ बिस्तर पर
~ArifLakhnawi
ख़ुदा के डर से हम तुम को ख़ुदा तो कह नहीं सकते
मगर लुत्फ़-ए-ख़ुदा क़हर-ए-ख़ुदा शान-ए-ख़ुदा तुम हो ~NoorNarvi
वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं
ख़ुदा करे कि तिरी उम्र में गिने जाएँ
वो दिन जो हमने तिरे हिज्र में गुज़ारे थे
~Ahmadnadeemqasmi
जानवर आदमी फ़रिश्ता ख़ुदा
आदमी की हैं सैकड़ों क़िस्में ~AltafHusainHali
आबो-हवा देश की बहुत साफ है
कायदा है, कानून है, इंसाफ है,
अल्लाह मियाँ जाने कोई जिए या मरे,
आदमी को खून-वून सब माफ है
-गुलजार
मेरी नज़र की आड़ में उन का ज़ुहूर था
अल्लाह उन के नूर का पर्दा भी नूर था ~FaniBadayuni
कुछ खटकता तो है पहलू में मिरे रह रह कर
अब ख़ुदा जाने तिरी याद है या दिल मेरा ~Jigar
ख़बर सुन कर मिरे मरने की वो बोले रक़ीबों से
ख़ुदा बख़्शे बहुत सी ख़ूबियाँ थीं मरने वाले में ~Dagh
जिस ज़ख़्म की हो सकती हो तदबीर रफ़ू की
लिख दीजियो या रब उसे क़िस्मत में अदू की ~Ghalib
अनोखी वज़ा है सारे ज़माने से निराले हैं
ये आशिक कौन सी बस्ती के या रब रहने वाले हैं ~Allama Iqbal
हम ख़ुदा के कभी क़ाइल ही न थे
उन को देखा तो ख़ुदा याद आया…
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता ~Ghalib
ख़ुदा की देन है जिस को नसीब हो जाए
हर एक दिल को ग़म-ए-जावेदाँ नहीं मिलता ~Asar
कुछ खटकता तो है पहलू में मेरे रह रह कर
अब ख़ुदा जाने तेरी याद है या दिल मेरा
~
हैरत है तुम को देख के मस्जिद में ऐ ‘ख़ुमार’
क्या बात हो गई जो ख़ुदा याद आ गया ~Khu~
या रब मुझे महफ़ूज़ रख उस बुत के सितम से
मैं उस की इनायत का तलबगार नहीं हूँ ~Akbar
तक़दीर के लिखे से सिवा बन गए हैं हम
बंदा न बन सके तो ख़ुदा बन गए हैं हम ~Bedi
नज़र आ रहा है जो वो आसमाँ
ये है मेरे रब का बनाया हुआ ~ShujaaKhawar
ख़बर सुन कर मेरे मरने की वो बोले रक़ीबों से
ख़ुदा बख़्शे बहुत सी ख़ूबियाँ थीं मरने वाले में ~Daag
फ़लसफ़ी को बहस के अंदर ख़ुदा मिलता नहीं
डोर को सुलझा रहा है और सिरा मिलता नहीं ~Akbar
तुम्हें चाहूँ मैं तुम रक़ीबों को चाहो
ये ~इंसाफ़ पेश-ए-ख़ुदा चाहता हूँ ~Zahir
khuda par shayari
ऐ आसमान! तेरे ख़ुदा का नहीं है ख़ौफ़
डरते हैं ऐ ज़मीन तेरे आदमी से हम
मआज़-अल्लाह उस की वारदात-ए-ग़म मआज़-अल्लाह
चमन जिस का वतन हो और चमन-बे-ज़ार हो जाए ~Jigar
उफ़ुक़ के पार जो देखी है रौशनी तुम ने
वो रौशनी है ख़ुदा जाने या अंधेरा है ~meena
कोई बोलता नहीं है मैं पुकारता रहा हूँ
कभी बुत-कदे में बुत को कभी काबे में ख़ुदा को ~ASjafri
जानवर आदमी फ़रिश्ता ख़ुदा
आदमी की हैं सैकड़ों क़िस्में ~haali
हम ख़ुदा के कभी क़ाइल ही न थे /
उन को देखा तो ख़ुदा याद आया
meer Taqi’ meer’
khuda pe shayari
रक़ीबों ने रपट लिखवाई है जा जा के थाने में
‘अकबर’ नाम लेता है ख़ुदा का इस ज़माने में
Akbar Allahabadi
तुझी पर कुछ ऐ बुत नहीं मुनहसिर
/ जिसे हम ने पूजा ख़ुदा कर दिया
Miir taqii ‘miir’
हवा में फिरते हो क्या हिर्स और हवा के लिए
ग़ुरूर छोड़ दो ऐ ग़ाफ़िलो ख़ुदा के लिए
Bahadur Shah Zafar
नाराज़ हो ख़ुदा तो करें बंदगी से ख़ुश
/ माशूक़ रूठ जाए तो क्यूँकर मनाएँ हम
daag dehlvi
ख़ुदा हिमाकत से मेरी ….कोई काफ़िर बदल जाये
बुत था जो पत्थर का….अब वो इंसा नज़र आये….!!
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