कुइपर बेल्टकी खोज
18 फरवरी सन 1930 को Clyde Tombaugh द्वारा प्लूटो के खोजे जाने के बाद से ही खगोल शास्त्रियों को यह लगने लगा था कि सौरमंडल के बाहरी क्षेत्र में प्लूटो अकेला नहीं है, जैसे-जैसे समय बढ़ता गया वैज्ञानिक अंदाजा लगाने लगे कि क्षेत्र में और कई ऑब्जेक्ट हो सकते हैं, इन ऑब्जेक्ट की खोज आगे चलकर सन 1992 में हुई, कुइपर बेल्ट सौरमंडल के बाहरी किनारे पर स्थित एक क्षेत्र है जिसमें की छोटी-छोटी बर्फ की चट्टाने, ग्रहिकाएँ तथा बोने ग्रह मौजूद है, कुइपर बेल्ट की भविष्यवाणी उसकी खोज से पहले ही कर दी गई थी. कुइपर बेल्ट का नाम एक डच अमेरिकन खगोल शाश्त्री गेरार्ड कुइपेर के नाम पर रखा गया है.
कुइपर बेल्ट की परिभाषा
सौरमंडल के आठ प्रमुख ग्रहों के आगे एक ऐसा क्षेत्र पाया जाता है जहां छोटी-छोटी बर्फ की चट्टानें और बौने ग्रह मौजूद है इस क्षेत्र को ही कुइपर बेल्ट कहा जाता है, नेपच्यून ग्रह की कक्षा के बाहर से शुरू होकर यह सूर्य से 50 एस्टॉनोमिकल यूनिट की दूरी तक फैला हुआ है, यह पृथ्वी और मंगल के बीच पाए जाने वाले एस्टेरॉइड बेल्ट की तरह ही है, इस क्षेत्र में कई छोटे-छोटे पिंड पाए जाते हैं जो की सौरमंडल के बनने के बाद बच गए थे, एस्टेरॉइड बेल्ट की तुलना में कुइपर बेल्ट का आकार बहुत बड़ा है यह एस्टेरॉइड बेल्ट से 20 गुना ज्यादा चौड़ा है तथा यह 200 गुना ज्यादा विस्तृत है.
कुइपर बेल्ट कहां मौजूद है
कुइपर बेल्ट का क्षेत्र सूर्य से 30 एस्टॉनोमिकल यूनिट की दूरी से शुरू होकर सूर्य से 50 एस्टॉनोमिकल यूनिट की दूरी पर खत्म होता है यही कुइपर बेल्ट का क्षेत्र है, नीचे के चित्र में आप कुइपर बेल्ट की स्थिति आसानी से समझ सकते हैं.
कुइपर बेल्ट मैं कोई बड़ा ग्रह क्यों नहीं है?
नेपच्यून की कक्षा के आगे कुइपर बेल्ट शुरू होता है, वैज्ञानिकों का एसा अनुमान है कि नेपच्यून के गुरुत्वाकर्षण की वजह से कुइपर बेल्ट में पाए जाने वाले शुद्र ग्रह कभी भी एक बड़े ग्रह का आकार नहीं ले पाए, अगर सौरमंडल में नेपच्यून नहीं होता तो इस क्षेत्र में पाए जाने वाले छोटे-छोटे बोने ग्रह आपस में जुड़कर एक ग्रह का निर्माण कर लेते हैं, परन्तु नेपच्यून के गुरुत्वाकर्षण की वजह से यह आपस में जुड़ नहीं पाते हैं और आपस में टूट कर छोटे-छोटे टुकड़ों में बट गए हैं.
कुइपर बेल्ट में क्या है?
प्लूटो के अलावा कुइपर बेल्ट में 1000 से ज्यादा बोने ग्रह और बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें खोजी गई है, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस क्षेत्र में 100 किलो मीटर व्यास आकार के करीब एक लाख बोने ग्रह मौजूद है, यह पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर है कि इसलिए यह पता लगाना संभव नहीं है कि यह बोने ग्रह, चट्टानें किस पदार्थ की बनी हुई, Kuiper Belt का क्षेत्र सभी धूमकेतुओं का स्रोत है, लगभग सभी प्रकार के धूमकेतु का निर्माण इसी क्षेत्र में हुआ है, सबसे प्रसिद्ध हेली धूमकेतु का जन्म भी Kuiper Belt में हुआ था नेपच्यून के गुरुत्वाकर्षण से खींचकर यह आंतरिक सौर मंडल में आ गया और एक धूमकेतु बन गया.
कुइपर बेल्ट का भविष्य क्या है
कुइपर बेल्ट के छोटे-छोटे ग्रह, चट्टानें आपस में टकराकर छोटे होते जा रहे हैं वैज्ञानिकों का अनुमान है कि समय के साथ यह पिंड आपस में टकराकर पूरी तरह धूल के बादल में बन जाएंगे यह बादल अंतरिक्ष में चारो ओर फैल जाएगा और इस तरह बैकुइपर बेल्ट में पाए जाने वाले छोटे ग्रहों का अस्तित्व ख़त्म हो जाएगा.
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