Majburi Shayari – Shayari on Majburi

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Majburi Shayari – मजबूरी शायरी 

Majburi Shayari :  ज़िन्दगी में कभी कभी ऐसे पल आते हैं जब इन्सान मजबूर हो जाता है, वह चाहकर भी अपने मन की नहीं कर सकता, ऐसे ही पलों के ज़ज्बात ज़ाहिर करने के लिए,  दोस्तों इस पेज पर हम आपके लिए मज़बूरी पर शायरी पेश कर रहे हैं, यहाँ मशहूर शायरों के मज़बूरी के बारे में शेर दिए गए हैं, इन्टरनेट पर यह मज़बूरी शायरी का एक सबसे बड़ा संग्रह है, मज़बूरी के बारे में मशहूर शायरों ने क्या क्या कहा है, मज़बूरी पर सारे शेर एक पेज पर पढ़कर आपको काफी अच्छा लगेगा, यहाँ मज़बूरी शायरी पर 150 से भी ज्यादा शेर संकलित जमा किये गए है. 

हमने यहाँ महान शायरों की Majburi shayari 2 lines देवनागरी font में दी है, यह मज़बूरी शायरी hindi (Majburi shayari in hindi ) और उर्दू भाषा में हैं, Majburi shayari in hindi को आप आसानी से कॉपी कर अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं, Majburi par shayari का यह संकलन आपको केसा लगा, कमेंट्स में ज़रूर लिखे.

मज़बूरी शायरी इमेजेस :- इस पेज के अंत में हमने कुछ  मज़बूरी शायरी इमेजेस दी हैं, आप इन मज़बूरी शायरी इमेजेस को आसानी से डाउनलोड और शेयर कर सकते हैं.

सभी hindi शायरी की लिस्ट यहाँ दी गयी है  All Topics Hindi Shayari

 

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बोझ उठाना शौक़ कहाँ है मजबूरी का सौदा है

रहते रहते स्टेशन पर लोग क़ुली हो जाते हैं

~मुनव्वर राना

 

थके लोगों को मजबूरी में चलते देख लेता हूँ

मैं बस की खिड़कियों से ये तमाशे देख लेता हूँ

~मुनीर नियाज़ी

 

मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का

मैं चुप रहूँ तो बड़ी बेबसी सी होती है

~बशीर बद्र

 

उन के सितम भी कह नहीं सकते किसी से हम

घुट घुट के मर रहे हैं अजब बेबसी से हम

~आले रज़ा रज़ा

 

हम तुम में कल दूरी भी हो सकती है

वज्ह कोई मजबूरी भी हो सकती है

~बेदिल हैदरी

 

एक मजबूर का तन बिकता है मन बिकता है

इन दुकानों में शराफ़त का चलन बिकता है

~मुज़फ़्फ़र वारसी ~

 

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गर ज़िंदगी में मिल गए फिर इत्तिफ़ाक़ से

पूछेंगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम

~साहिर_लुधियानवी

 

जितनी हिरनी की दूरी है ख़ुद अपनी कस्तूरी से,

उतनी ही दूरी देखी है इच्छा की मजबूरी से,

 

ज़ालिम था वो और ज़ुल्म की आदत भी बहुत थी

मजबूर थे हम उस से मोहब्बत भी बहुत थी

~कलीम_आजिज़

 

कह तो सकता हूँ मगर मजबूर कर सकता नहीं

इख़्तियार अपनी जगह है बेबसी अपनी जगह

~अनवर_शऊर

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आदत से लाचार है आदत नई अजीब

जिस दिन खाया पेट भर सोया नहीं ग़रीब

~अख़्तर_नज़्मी

 

बहाना कोई तो ऐ ज़िंदगी दे

कि जीने के लिए मजबूर हो जाऊँ

~RajeshReddy

 

ग़म-ए-ज़माना ने मजबूर कर दिया वर्ना

ये आरज़ू थी कि बस तेरी आरज़ू करते

~AkhtarSheerani

 

नाकाम हैं असर से दुआएँ दुआ से हम

मजबूर हैं कि लड़ नहीं सकते ख़ुदा से हम

~Ehsanvi 

 

दोनों का मिलना मुश्किल है दोनों हैं मजबूर बहुत

उस के पाँव में मेहंदी लगी है मेरे पाँव में छाले हैं ~Ameeq Hanafi

 

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चलो हम भी वफ़ा से बाज़ आए

मोहब्बत कोई मजबूरी नहीं है

~मज़हर_इमाम

 

हमारी बेबसी शहरों की दीवारों पे चिपकी है

हमें ढूँडेगी कल दुनिया पुराने इश्तिहारों में ~दाराब_बानो_वफ़ा

 

ग़म-ए-ज़माना ने मजबूर कर दिया वर्ना,

ये आरज़ू थी कि बस तेरी आरज़ू करते !!

 

बहाना कोई तो ऐ ज़िंदगी दे

कि जीने के लिए मजबूर हो जाऊँ

~RajeshReddy

 

majburi shayari in urdu

 

जिस्म-ए-आज़ादी में फूंकी तूने मजबूरी की रूह

ख़ैर जो चाहा किया अब ये बता हम क्या करें ~Fani Badayuni

 

रात के राही थक मत जाना

सुबह की मंजिल दूर नहीं

ढलता दिन मजबूर सही

ढलता सूरज मजबूर नहीं

-साहीर लुधियानवी

 

हर तमन्ना से जुदा मैं

हर खुशी से दूर हूं

जी रहा हूं, क्योंकि

जीने के लिए मजबूर हूं

मुझको मरने भी ना देगा ये तुम्हारा इंतज़ार..

-अंजान

गर ज़िन्दगी में मिल गए फिर इत्तफ़ाक़ से

पूछेंगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम ..

-साहिर लुधियानवी

 

रोक सको तो पहली बारिश की बूँदों को तुम रोको

कच्ची मिट्टी तो महकेगी है मिट्टी की मजबूरी ~Mohsin Bhopali

 

हमारी बेबसी शहरों की दीवारों पे चिपकी है

हमें ढूँडेगी कल दुनिया पुराने इश्तिहारों में

 

बचपन, यौवन और बुढ़ापा,

कुछ दशकों में ख़त्म कहानी।

फिर-फिर जीना, फिर-फिर मरना,

यह मजबूरी या मनमानी?

-अटलजी

 

किस को ख़बर थी मुख़्तारी में होंगे वो इतने मजबूर

हम अपने से शर्मिंदा हैं उन से अर्ज़-ए-हाल के बाद ~Zafar Gorakhpuri

नाकाम हैं असर से दुआएँ दुआ से हम

मजबूर हैं कि लड़ नहीं सकते ख़ुदा से हम ~Ahsan harvi

 

हम ऐब समझते हैं हर इक अपने हुनर को

क्या कीजिए मजबूर हैं क़िस्मत नहीं अच्छी ~Bekhud Dehlvi

 

हम मौत भी आए तो मसरूर नहीं होते

मजबूर-ए-ग़म इतने भी मजबूर नहीं होते ~Fani Badayuni

 

बेबसी किसे कहते हैं ये पूछो उस परिंदे से.

जिसका पिंजरा रखा भी तो खुले आसमान के तले.!

 

चाहत में क्या दुनिया-दारी इश्क़ में कैसी मजबूरी

लोगों का क्या समझाने दो उन की अपनी मजबूरी ~Mohsin Bhopali

 

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Majboori shayari in roman hinglish font

bojh uthana shauq kahan hai majaboori ka sauda hai

rahate rahate steshan par log qule ho jate hain

~munavvar rana

 

thake logon ko majaboori mein chalate dekh leta hun

main bas ke khidakiyon se ye tamashe dekh leta hun

~muner niyaze

 

un ke sitam bhe kah nahin sakate kise se ham

ghut ghut ke mar rahe hain ajab bebasi se ham

~ale raza raza

 

ham tum mein kal dure bhe ho sakate hai

vajh koe majaboori bhe ho sakate hai

~bedil haidare

 

ek majboor ka tan bikata hai man bikata hai

in dukanon mein sharafat ka chalan bikata hai

~muzaffar varase ~

 

pyar mai majburi shayari

 

gar zindage mein mil gae fir ittifaq se

puchhenge apana hal tere bebasi se ham

~sahir_ludhiyanave

 

jitane hirane ke dure hai khud apane kasture se,

utane he dure dekhe hai ichchha ke majaboori se,

 

zalim tha vo aur zulm ke adat bhe bahut the

majboor the ham us se mohabbat bhe bahut the

~kalem_ajiz

 

mairi majburi shayari

 

bahana koe to ai zindage de

ki jene ke lie majboor ho jaun

~rajaishraiddy

 

gam-e-zamana ne majboor kar diya varna

ye arazu the ki bas tere arazu karate

~akhtarshaiairani

 

donon ka milana mushkil hai donon hain majboor bahut

us ke panv mein mehande lage hai mere panv mein chhale hain ~amaiaiq hanafi

 

shayari on majburi

 

chalo ham bhe vafa se baz ae

mohabbat koe majaboori nahin hai

~mazahar_imam

 

 

majburi shayari in urdu

 

rat ke rahe thak mat jana

subah ke manjil dur nahin

dhalata din majboor sahe

dhalata suraj majboor nahin

-saher ludhiyanave

 

har tamanna se juda main

har khushe se dur hun

je raha hun, kyonki

jene ke lie majboor hun

 

rok sako to pahale barish ke bundon ko tum roko

kachche mitte to mahakege hai mitte ke majaboori ~mohsin bhopali

 

ham aib samajhate hain har ik apane hunar ko

kya kejie majboor hain qismat nahin achchhe ~baikhud daihlvi

 

bebasi kise kahate hain ye puchho us parinde se.

jisaka pinjara rakha bhe to khule asaman ke tale.!

 

chahat mein kya duniya-dare ishq mein kaise majaboori

logon ka kya samajhane do un ke apane majaboori ~mohsin bhopali

 

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