Miscellaneous quotes in Hindi विविध अनमोल वचन

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Miscellaneous quotes in Hindi
Miscellaneous quotes in Hindi विविध अनमोल वचन

Miscellaneous quotes in Hindi

विविध अनमोल वचन

 

दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपके लिए भिन्न भिन्न विषयों (Misclenious quotes in Hindi) पर महान व्यक्तियों के बुधिमत्ता पूर्ण अनमोल वचन प्रस्तुत कर रहे हैं, विविध विषयों पर इन सुविचारों को पढ़कर आपके ज्ञान में वृद्धि होगी और आपको कई विषयों की ज्ञानवर्धक जानकारी मिल सकेगी.

 

*योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।
वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।
अलंकरोति इति अलंकारः ।

*सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।

( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है )

 

*बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही ।

*एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय ।

*रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥

*उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।

*भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।
भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )
— भर्तृहरि

*चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।
— लैब्रेटर

*हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।
— बेन्जामिन

Miscellaneous quotes in Hindi

*हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।
— अनोन

*कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥
— तुलसीदास

*स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं ; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे ।
— अलबर्ट हबर्ड

*अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने के लिये , बिल्कुल नहीं।
— महात्मा गाँधी

*विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।
— प्रेमचंद

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*अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।
— प्रेमचंद

*मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।
— महात्मा गाँधी

*परमार्थ : उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता ।

*बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.

*एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.

*अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |
-– थियोडॉर रूज़वेल्ट

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*आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता |
-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ

*ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’ बनाया.

*काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.

*वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.

*हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.

*तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं
-– माले

*सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |
-– माओरी

*खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |
-– इतालवी सूक्ति

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*यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।
-– हैरी एस ट्रुमेन

*जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के सामने खड़ा हूँ.
— एलेक्जेंडर स्मिथ

*अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली.

*कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों को विश्वास ही नहीं होगा |
-– अलबर्ट हब्बार्ड

*कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.
-– रॉबर्ट ग्रेव्स
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*बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा क्या जा रहा है.

*तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देखेंगी ?
— रविंद्रनाथ टैगोर

*जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)
( जननी ( माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)

*जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द

*जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.

*कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।
उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो होय।।
—-सन्त कबीर

*ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।
—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन, कानपुर जिले के निवासी)

*तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।
ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय ॥

*अति सर्वत्र वर्जयेत् ।
( अति करने से सर्वत्र बचना चाहिये । )

*कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक

*प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह

*जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद

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*ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी समदर्शी होते हैं ।

*यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने वाला पुरूष नष्ट नही होता।

*कोई भी वस्तु निरर्थक या तुच्छ नहीम है । प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति मे सर्वोत्कृष्ट है ।
— लांगफेलो

*दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत ।
इंसान जरा सैर करे , घर से निकल कर ॥
— दाग

*विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते ।
— आगस्टाइन

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*दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा रामकुमार वर्मा

*डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात

*जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात

*अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का ।
— कहावत

*ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा ।
–विनोबा

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*विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है ।
–रवींद्रनाथ ठाकुर

*आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। -महात्मा गांधी

*पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। – जयशंकर प्रसाद

*उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते हैं।
–अज्ञात

*विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है । – अज्ञात

*गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। – सादी

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*जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता । – रामकृष्ण परमहंस

*मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो। – अज्ञात

*जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के हृदय की वृत्ति को बताती हैं। – महात्मा गांधी

*देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’

*दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं चाहता है। -अज्ञात

*चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। -रवीन्द्र

*जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर

*चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। -सत्यसांई बाबा

*अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है। – प्रेमचंद

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*खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है और न स्वाद। -शरतचन्द्र

*लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है । -मुक्ता

*अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध

*मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। – रवीन्द्रनाथ ठाकुर

*प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। – रवीन्द्रनाथ ठाकुर

*मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है । -‘गौतम बुद्ध

Miscellaneous quotes in Hindi

*स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक

*त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ

*दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद

*अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर प्रसाद

*अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं -महर्षि अरविन्द

*द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है। – विनोबा

*सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना । – डा शंकर दयाल शर्मा

*सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। – श्री अरविंद

*सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध । – सरदार पटेल

*तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। – वाल्मीकि

Miscellaneous quotes in Hindi

*भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।
– रत्वान रोमेन खिमेनेस

*जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।

*तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।

*लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।

*रत्नं रत्नेन संगच्छते ।
( रत्न , रत्न के साथ जाता है )

*गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।
( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण है , बल प्रयोग नहीं )

*निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।
( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक है । )

*अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।
( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )

*अङ्गुलिप्रवेशात्‌ बाहुप्रवेश: |
( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश किया जता है । )

*अति तृष्णा विनाशाय.
( अधिक लालच नाश कराती है । )

Miscellaneous quotes in Hindi

*अति सर्वत्र वर्जयेत् ।
( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )

*अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्‌.
( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय के चरती है । )

*अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌.
( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )

*अल्पविद्या भयङ्करी.
( अल्पविद्या भयंकर होती है । )

*कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌.
( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )

*ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.
( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )

*प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌.
( सोलह वर्ष की होने पर गदही भी अप्सरा बन जाती है । )

*प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.
( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )

*मधुरेण समापयेत्‌.
( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )

*मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.
( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )

*शठे शाठ्यं समाचरेत् ।
( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । )

*सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.
( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )

*सा विद्या या विमुक्तये.
( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )

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