मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का इस दुनिया ए फानी से पर्दा फरमाना

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हुजूर मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का विसाल

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 

हज़रते इब्ने मसऊद रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हम अपनी मां आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा के घर उस वक्त हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की खिदमत में हाज़िर हुवे जब जुदाई की घड़ी करीब थी, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हमें देखा, आप की आंखें नमनाक हो गई, फिर फ़रमाया : तुम्हें खुश खबरी हो, तुम्हें अल्लाह तआला ने ज़िन्दगी दी, अल्लाह ने तुम्हें पनाह दी अल्लाह तआला ने तुम्हारी मदद फ़रमाई, मैं तुम्हें अल्लाह तआला से डरते रहने की वसिय्यत करता हूं और तुम्हें अल्लाह तआला से मुतअल्लक करता हूं, बेशक मैं तुम्हारे लिये अल्लाह तआला की तरफ़ से खुला हुवा नज़ीर हूं, येह कि अल्लाह तआला के शहरों और बन्दों में अल्लाह तआला की सरकशी न करो, मौत करीब आई और अल्लाह तआला, सिद्रतुल मुन्तहा, जन्नतुल मावा और लबरेज़ जामों की तरफ़ पलटना है पस तुम अपने नफ्सों पर और उस शख्स पर जो मेरे बाद तुम्हारे दीन में दाखिल हो मेरी तरफ़ से सलाम कहो ।

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हुजूर के विसाल के बाद भी अल्लाह तआला उम्मते हबीब का वाली है।

मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने विसाल के वक्त जिब्रील अलैहहिस्सलाम  से फ़रमाया कि मेरे बाद मेरी उम्मत का कौन है ? अल्लाह तआला ने हज़रते जिब्रील अलैहहिस्सलाम  की तरफ़ वहूय फ़रमाई कि मेरे हबीब सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को खुश खबरी दे दो कि मैं उन्हें उम्मत के बारे में शर्मिन्दा नहीं करूंगा और उन्हें इस बात की भी खुश खबरी दे दो कि जब लोग महशर के लिये उठाए जाएंगे तो वोह सब से जल्दी उठेंगे, जब वोह जम्अ होंगे तो मेरा हबीब उन का सरदार होगा

और बेशक जन्नत दीगर उम्मतों पर उस वक़्त तक हराम होगी जब तक कि आप की उम्मत उस में दाखिल न होगी। येह सुन कर हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि अब मेरी आंखें ठन्डी हुई हैं।

हज़रते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा  फ़रमाती हैं : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हमें हुक्म दिया कि मुझे सात कूओं के सात पानियों से गुस्ल दो चुनान्चे, हम ने ऐसा ही किया तो आप ने राहत पाई, फिर बाहर तशरीफ़ ले गए, लोगों को नमाज़ पढ़ाई, शुहदाए उहुद के लिये बख्रिशश की दुआ की, अन्सार के लिये वसिय्यत की और फ़रमाया :

अम्मा बा’द ! ऐ गुरौहे मुहाजिरीन ! तुम बढ़ते जाते हो और अन्सार उस दिन वालिये हैअत पर बाकी हैं, वोह नहीं बढ़े हैं, अन्सार मेरे राज़दार हैं, जिन की तरफ़ मैं ने पनाह ली है लिहाज़ा उन के करीम या’नी नेक की इज्जत करो, उन के बुरे से दर गुज़र करो। फिर फ़रमाया : बेशक बन्दे को दुन्या और अल्लाह तआला के कुर्ब के दरमियान इख्तियार दिया गया तो उस ने उस चीज़ को पसन्द कर लिया जो अल्लाह के यहां है।

हज़रते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो रो दिये और समझ गए कि उस बन्दे से मुराद खुद हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम हैं। तब हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : ऐ अबू बक्र ! तसल्ली रखो, अबू बक्र के दरवाजे के सिवा मस्जिद की तरफ़ खुलने वाले तमाम घरों के दरवाजे बन्द कर दो क्यूंकि मैं ऐसा कोई आदमी नहीं जानता जो दोस्ती में मेरे नज़दीक अबू बक्र से अफ़ज़ल हो ।

हज़रते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा का फ़रमान है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने मेरे घर, मेरे दिन, मेरे दिल और मेरे हुल्कूम के दरमियान विसाल फ़रमाया और अल्लाह तआला ने मौत के वक्त मेरे और आप के लुआबे दह्न को जम्अ किया, मेरे घर मेरे भाई अब्दुर्रहमान आया इस के हाथ में मिस्वाक थी, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम मिस्वाक की तरफ देखने लगे, मैं समझ गई कि आप मिस्वाक पसन्द फ़रमाते हैं लिहाज़ा मैं ने कहा : येह आप के लिये ले लूं ? आप ने सर से इशारा फ़रमाया : हां ! चुनान्चे, मैं ने अब्दुर्रहमान से मिस्वाक ले ली और हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के दर्ने अक्दस में दे दी मगर वोह आप को सख्त महसूस हुवा तो मैं ने कहा कि मैं इसे आप के लिये नर्म कर दूं? आप ने सर के इशारे से हां फ़रमाया । चुनान्चे, मैं ने उसे नर्म किया और हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के सामने पानी का बरतन रखा था, आप उस में हाथ दाखिल करते थे और फ़रमाते : ला इलाहा इललल लाह अलबत्ता मौत के लिये सकरात हैं, फिर आप ने अपना हाथ बुलन्द फ़रमाया और फ़रमाने लगे अर्फिकुल आला अर्फिकुल आला  तब मैं ने अर्ज की : ब खुदा ! आप ने हमें तरजीह नहीं दी है।

अन्सार का इजतिमा

हज़रते सईद बिन अब्दुल्लाह रज़ीअल्लाहो अन्हो ने अपने वालिद से रिवायत की है कि जब अन्सार ने देखा कि नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की तबअ शरीफ़ में गिरानी बढ़ती जा रही है तो वोह मस्जिद के इर्द गिर्द आए, हज़रते अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के पास हाज़िर हुवे और उन्हें अन्सार के इरादे और खौफ़ के मुतअल्लिक़ बताया फिर हज़रते फ़ज़ल रज़ीअल्लाहो अन्हो ने आप से वोही बात अर्ज की फिर हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो घर में दाखिल हुवे और आप ने भी वोही बात अर्ज की जो पहले कर चुके थे चुनान्चे, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने अपना हाथ मुबारक लम्बा किया और फ़रमाया : इसे पकड़ो, पस उन्हों ने आप को थाम लिया और आप ने पूछा : तुम क्या कहते हो ? उन्हों ने अर्ज की : हमें डर है कि आप विसाल फ़रमा जाएंगे। उन की औरतें अपने जवानों को हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के पास जम्अ होने की वज्ह से एक दूसरे को बुलाने लगीं, चुनान्चे, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम उठे और हज़रते अली और फ़ज़्ल रज़ीअल्लाहो अन्हो का सहारा ले कर चले, हज़रते अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो आप के आगे आगे थे, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम सरे अन्वर लपेटे हुवे निकले, आप के पैर मुबारक घिसटते जाते थे यहां तक कि आप मिम्बर शरीफ़ की सब से निचली सीढ़ी पर तशरीफ़ फ़रमा हुवे, लोग आप की तरफ़ उठ आए, आप ने अल्लाह की हम्दो सना के बा’द फ़रमाया :

ऐ लोगो ! मुझे मालूम हुवा है कि तुम मेरी मौत से ख़ौफ़ज़दा हो, गोया तुम मौत को नहीं पहचानते और तुम अपने नबी की मौत को अच्छा नहीं समझते, क्या मैं ने और तुम्हारे नफ्सों ने तुम्हें मौत की खबर नहीं दी ? क्या मुझ से पहले मबऊस होने वाले अम्बियाए किराम में से कोई नबी हमेशा रहा कि मैं भी हमेशा रहूं? बा खबर हो जाओ, मैं अपने रब से मिलने वाला हूं और तुम भी उस से मिलने वाले हो, मैं तुम्हें मुहाजिरीने अव्वलीन के मुतअल्लिक नेकी की वसिय्यत करता हूं

और मैं मुहाजिरीन को एक दूसरे की वसिय्यत करता हूं क्यूंकि फ़रमाने इलाही है : कसम है ज़माने की तहक़ीक़ इन्सान नुक्सान में है मगर वोह लोग जो ईमान लाए । (अल आयत)और तमाम उमूर अल्लाह तआला की मन्शा से पायए तक्मील को पहुंचते हैं, तुम्हें किसी काम की देर, उज्लत पसन्दी पर आमादा न करे क्यूंकि अल्लाह तआला किसी की उज्लत ……तर्जमए कन्जुल ईमान : उस ज़मानए महबूब की क़सम बेशक आदमी ज़रूर नुक्सान में है मगर जो ईमान लाए ।

से उज्लत नहीं करता और जिस ने अल्लाह तआला को गालिब माना वोह खुद गालिब हुवा और जिस ने अल्लाह तआला से फ़रेब किया उस ने खुद से फ़रेब किया।

पस तुम इस बात के करीब हो कि अगर तुम्हें वाली बनाया जाए तो तुम ज़मीन में फ़साद करो और कतए रेहमी करो।

मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की वसीयत – अन्सार के बारे में वसिय्यत

रहमते दो आलम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने अन्सार के बारे में फ़रमाया  और मैं तुम्हें अन्सार से नेकी की वसिय्यत करता हूं क्यूंकि वोही हैं जिन्हों ने (मदीनए तय्यिबा में) हिजरत के घर में ठिकाना बनाया है और तुम से पहले ईमान लाए हैं, तुम उन से एहसान करो, क्या उन्हों ने तुम्हारे लिये फलों को दो हिस्से नहीं किया ? क्या उन्हों ने अपने घरों को तुम्हारे लिये वसीअ नहीं किया ? क्या उन्हों ने तुम्हें खुद पर तरजीह नहीं दी हालांकि वोह खुद तंगदस्त थे ? बा खबर रहो जो शख्स इस बात का वाली बनाया जाए कि वोह दो आदमियों में फैसला करे पस चाहिये कि वोह उन के नेक को कबूल करे और उन के बुरे से दर गुज़र करे बा ख़बर हो जाओ उन पर खुद को तरजीह न दो ! बा खबर रहो मैं तुम्हारे लिये पहले जाने वाला हूं और तुम मुझे मिलने वाले हो, बा खबर रहो, तुम्हारे उतरने की जगह मेरा हौज़ है, मेरा हौज़ शाम के शहर बसरा और सन्आए यमन के दरमियानी फ़ासिले के बराबर है, उस में कौसर के परनाले से ऐसा पानी उंडेला जाता है जो दूध से ज़ियादा सफ़ेद, मख्खन से ज़ियादा नर्म और शहद से ज़ियादा मीठा है, जिस ने उस से पी लिया वोह कभी भी प्यासा नहीं होगा, उस की कंकरियां मोतियों की और उस की ज़मीन मुश्क की है, कल खड़े होने के दिन जो उस से महरूम रहा वोह हर भलाई से महरूम रहा।

बा खबर हो जाओ ! जो येह पसन्द करता है कि कल मेरे पास आए उसे चाहिये कि वोह नाजाइज़ बातों से अपनी ज़बान और हाथ को रोके।

हज़रते अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो ने अर्ज की : या नबिय्यल्लाह ! कुरैश के लिये वसिय्यत कीजिये तो आप ने फ़रमाया : मैं इस बात के लिये कुरैश को वसिय्यत करता हूं लोग कुरैश के ताबेअ हैं, उन का भला उन के भले के लिये और उन का बुरा उन के बुरे के लिये है। ऐ आले कुरैश ! लोगों के साथ भलाई करो, ऐ लोगो ! गुनाह नेमतों को तब्दील कर देते हैं और किस्मत को बदल देते हैं लिहाज़ा जब लोग नेक होते हैं तो उन के हाकिम भी नेक होते ……तर्जमए कन्जुल ईमान : तो क्या तुम्हारे येह लच्छन (अन्दाज़) नज़र आते हैं कि अगर तुम्हें हुकूमत मिले तो ज़मीन में फ़साद फैलाओ और अपने रिश्ते काट दो । (१:

हैं और जब लोग ना फ़रमानियां करते हैं तो वोह ना फ़रमान करार पाते हैं।) या’नी उन के हाकिम ज़ालिम होते हैं,

फ़रमाने इलाही है कि “और इसी तरह हम बा’ज़ ज़ालिमों को बा’ज़ ज़ालिमों का वली बना देते हैं ब सबब उन के आ’माल के।”

मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का आखिरी वक़्त

हज़रते इब्ने मसऊद रज़ीअल्लाहो अन्होसे मरवी है, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हज़रते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो से फ़रमाया : अबू बक्र पूछो ! हज़रते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो ने अर्ज की : या रसूलल्लाह ! वक़्त करीब आ गया है ? आप ने फ़रमाया : हां वक्त करीब आ गया है और बहुत ही करीब आ गया है। हज़रते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो ने अर्ज की : ऐ अल्लाह के नबी ! जो कुछ अल्लाह के यहां है आप को मुबारक हो, काश हम अपने ठिकाने को जानते, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : अल्लाह की तरफ़, सिद्रतुल मुन्तहा की तरफ़, फिर जन्नतुल मावा की तरफ़, फिर फ़िरदौसे आ’ला की तरफ़, शराबे तहूर से भरे हुवे प्याले और रफ़ीके आ’ला की जानिब, मुबारक ज़िन्दगी और हिफ़्जे इलाही की अमान हैं।

हज़रते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो ने पूछा : ऐ अल्लाह के नबी ! आप के गुस्ल के लिये इन्तिज़ाम किस का होगा ? फ़रमाया : मेरे करीबी, फिर उन के करीबी, उन्हों ने अर्ज़ की : हम आप को किन कपड़ों का कफ़न दें ? आप ने फ़रमाया : मेरे इन कपड़ों, यमनी चादर और सफ़ेद मिस्री चादर में । फिर हज़रते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो ने पूछा : हम आप पर नमाज़ कैसे पढ़ें ? चुनान्चे, हम रो पड़े और वोह भी रो दिये। फिर हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : छोड़ो, अल्लाह तआला तुम्हें बख़्शे और तुम्हारे नबी (की तरफ़) से तुम्हें बेहतर जज़ा दे। जब तुम मुझे गुस्ल दे लो, कफ़न पहना लो तो मुझे मेरे इसी घर में मेरी चारपाई पर मेरी क़ब्र के किनारे रख देना, फिर तुम कुछ देर के लिये मुझे तन्हा छोड़ कर बाहर निकल जाना, सब से पहले अल्लाह  मुझ पर रहमत भेजेगा, फिर फ़रिश्तों को मुझ पर दुरूद की इजाजत दी जाएगी और सब से पहले अल्लाह तआला की मख्लूक में से जिब्रीलअलैहहिस्सलाम  . मेरे पास आएंगे और वोह मुझ पर दुरूद पढ़ेंगे, फिर मीकाईल फिर इसराफ़ील और फिर एक कसीर जमाअत के साथ इज़राईल अलैहहिस्सलाम  दुरूद पढ़ेंगे, फिर तमाम फ़िरिश्ते आएंगे और इस के बाद तुम गिरोह  दर गिरोह मुझ पर दाखिल होना और गिरोह की सूरत में मुझ पर सलात पढ़ना और खूब सलाम भेजना और मुझे घर भर कर, आवाजें बुलन्द कर के, चीखो पुकार से तक्लीफ़ न देना और चाहिये कि तुम में से इमाम सब से पहले आए और मेरे करीबी घर वाले, फिर इन से करीब वाले, फिर औरतों की जमाअतें और फिर बच्चों की जमाअतें आएं।

हज़रते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो ने अर्ज की, कि आप को कब्रे अन्वर में कौन उतारेगा ? फ़रमाया : मेरे इन्तिहाई करीबी घर वालों की जमाअत, फिर उन से करीबी, फ़िरिश्तों की कसीर ता’दाद के साथ, तुम उन्हें नहीं देखते हो मगर वोह तुम्हें देखते हैं, खड़े हो जाओ और मेरे बाद आने वालों तक पहुंचा दो।

हज़रते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा  से मरवी है कि जिस दिन हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने विसाल फ़रमाया, लोगों ने दिन के इब्तिदाई हिस्से में आप की तबीअत को हल्का पाया चुनान्चे, वोह खुशी खुशी अपने घरों और कामों के लिये लौट गए और आप को औरतों के दरमियान तन्हा छोड़ गए, हम इस तरह खुशी व मसर्रत में थे कि इतनी खुशी हमें पहले कभी नहीं मिली थी, अचानक हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : तुम सब औरतें बाहर चली जाओ क्यूंकि येह फ़रिश्ता मुझ से अन्दर दाखिल होने की इजाजत मांग रहा है, चुनान्चे, घर से मेरे सिवा सब औरतें बाहर चली गई और आप का सरे मुबारक मेरी गोद में था, आप बैठ गए और मैं घर के एक कोने में हो गई।

उस फ़िरिश्ते ने तवील सरगोशी की, फिर हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने मुझे बुलाया और इसी तरह सर मुबारक मेरी गोद में रख दिया और औरतों से फ़रमाया कि अन्दर आ जाओ, मैं ने हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से अर्ज की, कि मुझे येह आहट जिब्रील की नहीं लगी तो आप ने फ़रमाया : हां आइशा ! येह मलकुल मौत था जो मेरे पास आया था और उस ने कहा कि अल्लाह तआला ने मुझे भेजा है और फ़रमाया है कि मैं आप की इजाजत के बिगैर आप के पास न आऊं, अगर आप इजाज़त दें तो अन्दर आऊं और अल्लाह तआला ने मुझे येह भी हुक्म दिया है कि आप की इजाज़त के बिगैर रूहे मुक़द्दस को कब्ज़ न करूं । अब आप की क्या राए है ? चुनान्चे, मैं ने कहा : अभी ठहरो ता आंकि मेरे पास जिब्रील आ जाए, येह जिब्रील के आने का वक्त है।

 

हज़रते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा  ने फ़रमाया कि हम पर ऐसा अम्र वारिद हुवा कि जिस के बारे में हमारे पास कोई जवाब न था और न ही उस बारे में कोई राए थी, हम सब ख़ौफ़ज़दा हो कर खामोश थे, गोया अहले बैत में से कोई एक भी उस अज़ीम अम्र की वज्ह से बोल नहीं सकता था, उस की हैबत ने हमारे जिस्मों को खून से भर दिया था ।

हज़रते आइशा राज़ी अल्लाहो अन्हा फ़रमाती हैं कि उस साअत में जिब्रीले अमीन हाज़िर हुवे, मैं ने उन की आहट को पहचान लिया, घर वाले बाहर निकल गए, जिब्रील अन्दर दाखिल हुवे और अर्ज़ की : ऐ नबी ! अल्लाह आप पर सलाम फ़रमाता है और फ़रमाता है कि आप अपने आप को कैसा पाते हैं हालांकि वोह आप के मुतअल्लिक आप से ज़ियादा जानता है लेकिन अल्लाह का इरादा येह है कि आप की इज्जत व वक़ार में इज़ाफ़ा फ़रमाए और मख्लूक पर आप की इज्जत व वकार पायए तक्मील को पहुंच जाए और आप की उम्मत में मिसाल हो जाए।

आप ने फ़रमाया कि मैं रन्ज व दर्द पाता हूं, जिब्रील ने अर्ज़ की : आप को खुश खबरी हो कि अल्लाह तआला ने इरादा फ़रमाया है कि आप को उन इन्आमात में पहुंचाए जो उस ने आप के लिये तय्यार किये हैं। आप ने फ़रमाया : जिब्रील ! मलकुल मौत ने मुझ से इजाज़त चाही और मुझे बात बतला गया है। जिब्रील ने अर्ज की : ऐ मुहम्मद ! आप का रब आप के दीदार का मुश्ताक है, क्या उस ने आप को नहीं बताया कि अल्लाह तआला आप से किस चीज़ का इरादा फ़रमाता है, ब खुदा ! मलकुल मौत ने हरगिज़ किसी से कभी भी इजाज़त तलब नहीं की, और न ही वोह आयिन्दा किसी से इजाज़त तलब करेगा, बा ख़बर हो जाइये ! अल्लाह तआला आप के इज्जतो शरफ़ को पूरा फ़रमाने वाला है और वोह आप का मुश्ताक है।

आप ने फ़रमाया : तब तो मैं उस वक्त तक चैन नहीं पाऊंगा जब तक कि अल्लाह तआला के हुजूर न पहुंच जाऊं, आप ने औरतों को अन्दर आने की इजाजत दे दी और हज़रते फ़ातिमा राज़ी अल्लाहो अन्हा से फ़रमाया : मेरे करीब आओ चुनान्चे, वोह आप पर गिर गई, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने उन से सरगोशी फ़रमाई । जब उन्हों ने सर उठाया तो उन की आंखें नमनाक थीं और वोह शिद्दते गम से कलाम न कर सकती थीं, फिर फ़रमाया : अपना सर मेरे करीब करो चुनान्चे, हज़रते फ़ातिमा रज़ीअल्लाहो अन्हा  फिर आप से लिपट गई, आप ने उन से सरगोशी फ़रमाई और जब उन्हों ने सर उठाया तो हंस रही थीं और बात करने की ताब न थी।

 

हम ने जब येह अजीब बात देखी तो हम ने बाद में हज़रते फ़ातिमा रज़ीअल्लाहो अन्हा  से इस के मुतअल्लिक़ पूछा तो इन्हों ने बताया कि मुझे हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने जब येह खबर दी कि मैं आज विसाल करने वाला हूं तो मैं रो दी और फिर जब फ़रमाया : मैं ने अल्लाह तआला से दुआ की, कि वोह तुझे मेरे घर वालों में से सब से पहले मुझ से मिलाएगा और तुम्हें मेरे साथ रखेगा तो मैं हंस पड़ी।

फिर आप ने हज़रते फ़ातिमा राज़ी अल्लाहो अन्हा के दो बेटों को बुलाया और उन्हें प्यार किया, हज़रते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा  फ़रमाती हैं फिर मलकुल मौत आए, उन्हों ने इजाजत मांगी तो आप ने उसे इजाज़त दे दी। मलकुल मौत ने अर्ज की, कि मेरे लिये क्या हुक्म है ? आप ने फ़रमाया कि मुझे अब मेरे रब के पास ले चलो। मलकुल मौत ने अर्ज की, कि आज (आप की इजाज़त से) ऐसा ही होगा और आप का रब आप का मुश्ताक है और मैं ने आप के सिवा किसी और के पास बार बार आमदो रफ़्त नहीं की और न आप के सिवा मुझे किसी के पास जाने के लिये इजाजत लेने का हुक्म मिला लेकिन आप की साअत आप के सामने है और वोह निकल गए।

हज़रते आइशा राज़ी अल्लाहो अन्हो  फ़रमाती हैं कि फिर जिब्रील अलैहहिस्सलाम  आए और अर्ज की : येह आखिरी पैगामात थे जो ज़मीन पर भेजे गए, अब हमेशा के लिये सिलसिलए वहूय मुन्कतेअ कर दिया गया है और दुन्या लपेट दी जाएगी और जमीन में मेरे लिये आप के बिगैर

और कोई हाजत नहीं और जमीन में आप के पास आना ही मेरी ज़रूरत थी और अब मैं अपने मकाम पर रहूंगा और वहां से कहीं नहीं जाऊंगा, ब खुदा ! जिस ने मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को हक़ के साथ मबऊस फ़रमाया है।

हज़रते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा  फ़रमाती हैं : फिर मैं हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के पास गई और आप का सरे अन्वर अपने सीने पर रख कर उसे थाम लिया और आप पर गुनूदगी सी तारी होने लगी और आप की पेशानी मुबारक से पसीना टपकने लगा। मैं ने ऐसा पसीना किसी इन्सान की पेशानी पर नहीं देखा, फिर येह पसीना मुबारक बहने लगा और मैं ने उस से ज़ियादा उम्दा खुश्बू किसी चीज़ में नहीं पाई, पस मैं कहने लगी जूही आप को इफ़ाक़ा हुवा मेरे मां-बाप और जान व घर आप पर कुरबान हों, आप की पेशानी मुबारक से पसीना क्यूं जारी है ? आप ने फ़रमाया : आइशा ! मोमिन का नफ्स पसीने में निकलता है और काफ़िर की जान दोनों बाछों से गधे की तरह निकलती है। फिर हम लोग घबरा गए और अपने घर वालों की तरफ़ आदमी भेजे, पस सब से पहला आदमी जो हमारे पास आया और हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को न पाया, मेरा भाई था जिसे मेरे बाप ने मेरी तरफ़ भेजा था, चुनान्चे, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने किसी के आने से क़ब्ल विसाल फ़रमाया ।

अल्लाह तआला ने मर्दो को इस लिये रोक दिया था कि उस वक्त जिब्रील व मीकाईल हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की खिदमत में थे, गोया आप को इख़्तियार दिया जा रहा था, और जब आप कलाम करते तो फ़रमाते नमाज़, नमाज़, तुम हमेशा एक दूसरे के मुआविन रहोगे जब तक तुम सब पढ़ते रहोगे नमाज़, नमाज़, गोया हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम येह वसिय्यत करते हुवे जहान से तशरीफ़ ले गए कि नमाज़ नहीं छोड़ना।

हज़रते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा  का क़ौल है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने सोमवार के दिन चाश्त और ऐन दोपहर के दरमियानी वक्त में विसाल फ़रमाया।

हज़रते फ़ातिमा रज़ीअल्लाहो अन्हा का क़ौल है कि मैं ने सोमवार के दिन तन्हा मुसीबत नहीं देखी बल्कि ब खुदा ! उस दिन उम्मत को बहुत मसाइब मिले हैं।

हज़रते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा  फ़रमाती हैं कि जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने विसाल फ़रमाया तो लोग टूट पड़े और उन के रोने की आवाजें बुलन्द होने लगी और फ़रिश्तों ने दो कपड़ों में हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को लपेट दिया। लोगों ने बहुत इख़्तिलाफ़ किया, बा’ज़ ने आप की मौत को झुटलाया और बा’ज़ लोग गूंगे बन कर रह गए और तवील मुद्दत के बाद बोलने लगे और बा’ज़ की हालत खल्त मल्त हो गई और उन्हों ने बिगैर किसी बयान के बातें करना शुरू की और बा’ज़ अपनी उकूल ले कर बैठ गए और दूसरों को भी बिठा दिया, हज़रते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो उन लोगों में से थे जिन्हों ने आप की मौत का इन्कार किया और हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो बैठने वालों में से थे और हज़रते उस्मान रज़ीअल्लाहो अन्होI उन लोगों में से थे जो गूंगे हो कर रह गए।

मुसलमानों में से किसी एक का हाल हज़रते अबू बक्र और हज़रते अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो जैसा नहीं था, अल्लाह तआला ने उन्हें तौफ़ीक़ मरहमत फ़रमाई और गुफ्तार व किरदार की रास्ती बख़्शी और लोग हज़रते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो के कौल से बहुत घबरा गए यहां तक कि हज़रते अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो आए और कहा : क़सम है उस ज़ात की जिस के सिवा कोई मा’बूद नहीं अलबत्ता हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने मौत का जाइका चख लिया है और आप ने तुम्हें अपनी मौजूदगी में कह दिया था : तहकीक तू भी फ़ौत होने वाला है और तहकीक वोह भी मरने वाले हैं फिर तहकीक तुम कियामत के दिन अपने रब के नज़दीक झगड़ोगे। और हज़रते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो को येह खबर मिली दर आं हाल येह कि वोह बनू अल हारिस बिन खज़रज के यहां थे, वोह आए और हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के पास दाखिल हुवे, आप की तरफ़ देखा फिर आप की तरफ़ देखा और आप पर झुक गए, चूमा और अर्ज की : या रसूलल्लाह ! मेरे मां-बाप आप पर कुरबान हों, अल्लाह तआला आप को दो मरतबा मौत का जाइका नहीं चखाएगा पस अलबत्ता ब खुदा, रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम रिहलत फ़रमा गए हैं फिर आप लोगों की तरफ़ आए और कहा : ऐ लोगो ! जो शख्स मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की इबादत करता है पस बेशक मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम रिहलत फ़रमा गए हैं और जो शख्स मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के रब की इबादत करता है तो उन का रब जिन्दा है, वोह कभी नहीं मरेगा, फ़रमाने इलाही है:

और नहीं मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम मगर रसूल तहकीक गुज़रे हैं इस से पहले बहुत पैगम्बर पस अगर वोह फ़ौत हो जाए या कत्ल किया जाए तो

क्या तुम फिर जाओगे अपनी ऐड़ियों पर। गोया लोगों ने इस दिन से पहले येह आयत नहीं सुनी थी। (.तर्जमए कन्जुल ईमान : और मुहम्मद तो एक रसूल हैं उन से पहले और रसूल हो चुके तो क्या अगर वोह इन्तिकाल फ़रमाएं या शहीद हों तो तुम उलटे पाउं फिर जाओगे । )

एक रिवायत में है कि जब हज़रते अबू बक्र रज़ीअल्लाहो अन्हो को येह खबर मिली तो वोह हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के घर दाखिल हुवे दर आं हाल येह कि वोह नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम पर दुरूद भेज रहे थे और उन की आंखों से आंसू बह रहे थे, उन की हिचकी बन्धी हुई थी जैसे पानी से भरा हुवा घड़ा उछलता है और उन्हों ने इस के बा वुजूद क़ौलो फेल में सब्र का दामन न छोड़ा, पस वोह हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम पर झुक गए और आप के चेहरए अन्वर से कपड़ा हटाया, आप की पेशानी और रुख्सारों को चूमा, आप के चेहरए अक्दस पर हाथ फेरा और रोना शुरू हो गए और कहने लगे मेरे मां-बाप, जान और घर बार आप पर कुरबान हो, आप ज़िन्दगी और मौत दोनों में ताहिर व पाकीज़ा हैं, आप के विसाल से वोह सिलसिला मुन्कतेअ हो गया है जो दीगर अम्बियाए किराम से मुन्कतेअ नहीं हुवा था, आप हर वस्फ़ से बाला तर और रोने धोने से बरतर हैं, आप तसल्ली का बाइस हो गए, आप का जूदो करम सब को आम है, अगर आप का विसाल आप के अपने ईसार से न होता तो हम मर जाते और अगर हमारे रोने से कुछ हो सकता तो हम आप पर अपनी आंखों का पानी खुश्क कर देते । बहर हाल हम जिस चीज़ को अपने से अलग नहीं कर सकते वोह गम और आप की याद है जो हमेशा बर करार रहेंगे, ऐ अल्लाह ! हमारा येह पैगाम अपने हबीब सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की बारगाह में पहुंचा दे।

ऐ मुहम्मद ! सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम आप अपने रब के पास हमारी शफाअत फ़रमाएं और अपने दिल में हमारा ख़याल रखें, आप अगर सुकून के अस्बाब मुहय्या न फ़रमाते तो वहशत की वज्ह से हम में से कोई अपनी जगह से न उठ सकता। ऐ अल्लाह ! तू अपने नबी की खिदमत में हमारे येह जज्बात पहुंचा दे और उन का फ़जलो करम हमारे शामिले हाल फ़रमा। येह है वोह जो हमारी ताकत में है और येह हैं हमारे जज़्बात व एहसासात, खुदा करे कि हम रसूले अकरम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के उस्वए हसना पर अमल पैरा हों, हम अल्लाह से उम्मीद करते हैं कि वोह हमारी खताओं को नेकियों में तब्दील फ़रमाएगा और ईमान के साथ बारगाहे नबुव्वत में शरफे बारयाबी अता फ़रमाएगा। खालिके आलम की जाते गिरामी ही बेहतरीन मसऊल और आ’ला तरीन उम्मीदों का मलजा व मावा है ।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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