पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत आवश्यक है चंद्रमा
कई प्रकार के उल्कापिंड और धूमकेतु समय-समय पर पृथ्वी और चंद्रमा के पास से गुजरते रहते हैं, यह तो हम जानते हैं कि अगर कोई उल्का पिंड या धूमकेतु पृथ्वी से टकरा जाए तो यह पृथ्वी पर काफी बर्बादी ला सकता है, पृथ्वी के इतिहास में कई बार ऐसा हुआ है कि किसी धूमकेतु के टकराने से जीव जंतुओं की कई प्रजातियां पूरी तरह विलुप्त हो गई, विशालकाय डायनासोर भी एक उल्का पिंड के पृथ्वी से टकरा जाने के कारण ही विलुप्त हुए थे.
क्या हो अगर कोई उल्का पिंड या धूमकेतु हमारे चंद्रमा से टकरा जाए, क्या इस घटना से पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीव जंतुओं पर कोई असर होगा, आइए इन प्रश्नों का उत्तर जानने की कोशिश करते हैं.
आगर हम चंद्रमा की सतह को टेलिस्कोप के जरिए ध्यान से देखें तो हमें इस पर कई छोटे छोटे गड्ढे और क्रेटर दिखाई देते हैं जोकि उल्का पिंडों और धूमकेतु के चंद्रमा से टकराने के कारण बने, इन गड्ढों की संख्या बहुत अधिक है, इस बात से यह पता चलता है कि चंद्रमा पर अक्सर उल्कापिंड और धूमकेतु आकर गिरते रहते हैं, चंद्रमा पर कोई भी वायु मंडल नहीं है चंद्रमा की सतह पर जल या कोई और दूसरा द्रव्य भी मौजूद नहीं है, यही कारण है कि चंद्रमा पर उल्का पिंड के गिरने से बने क्रेटर यानी गड्ढे कभी भी नष्ट नहीं होते, पृथ्वी की सतह पर भी छोटे उल्कापिंड और धूमकेतु गिरते रहते हैं लेकिन पृथ्वी पर वायु, जल पेड़ पौधों और जीव जंतु के कारण इन उल्का पिंडों के निशान मिट जाते हैं
चंद्रमा पर किसी उल्कापिंड या धूमकेतु के टकराने से होने वाला विनाश उस उल्कापिंड या धूमकेतु के आकार एवं गति पर निर्भर करता है.
छोटे आकर का उल्कापिंड या धूमकेतु चंद्रमा से टकराए तो क्या होगा?
अगर कोई छोटे आकार का उनका उल्कापिंड धूमकेतु चंद्रमा से टकराए तो इससे केवल चंद्रमा पर एक छोटा गड्ढा ही बनेगा, इससे पृथ्वी पर कोई भी प्रभाव उत्पन्न नहीं होगा चंद्रमा पर इस तरह के उल्कापिंड धूमकेतु अक्सर गिरते रहते हैं.
माध्यम आकार का उल्कापिंड या धूमकेतु चंद्रमा से टकराए तो क्या होगा?
यदि कोई मध्यम आकार का उल्कापिंड चंद्रमा से टकराए तो इससे बहुत बड़े आकार का क्रेटर बनेगा और कुछ चट्टाने, पत्थर और मलबा अंतरिक्ष में फैल जाएगा, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की वजह से चंद्रमा से निकली यह चट्टाने और पत्थर पृथ्वी की सतह पर गिरेंगे, छोटे पत्थर और चट्टानें तो पृथ्वी के वायुमंडल में जल कर खत्म हो जाएंगे लेकिन बड़े पत्थर उल्का पिंड के रूप में पृथ्वी पर गिरकर एक छोटे क्षेत्र में तबाही मचा सकते हैं, अगर ऐसे पत्थर किसी शहर पर गिरे तो इनसे 100 से 200 मीटर के दायरे में स्थित इमारतें और जंगल तबाह हो सकते हैं.
बड़े आकर का उल्कापिंड या धूमकेतु चंद्रमा से टकराए तो क्या होगा?
अगर कोई बहुत बड़ा उल्कापिंड या धूमकेतु चंद्रमा से आकर टकराए तो यह चंद्रमा को अपनी कक्षा से हटा सकता है, वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रमा को पृथ्वी की कक्षा से हटाने के लिए लगभग चंद्रमा के बराबर आकार का ही उल्कापिंड या धूमकेतु होना चाहिए, वैज्ञानिकों के अनुसार सौर मंडल में ऐसा कोई भी उल्का पुण्य या धूमकेतु नहीं है जो कि आकार में चंद्रमा के बराबर हो और पृथ्वी और चंद्रमा के आस पास से गुजरता हो,
फिर भी यदि हम माने की ऐसा कोई उल्का पिंड चंद्रमा को अपनी कक्षा से हटा दें तो पृथ्वी पर क्या होगा, चंद्रमा पृथ्वी के लिए बहुत महत्वपूर्ण, पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने की गति चंद्रमा के द्वारा ही निर्धारित होती है, पृथ्वी 24 घंटे में एक बार अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करती है जिसे दिन रात होते हैं, चंद्रमा के अपने कक्षा से हट जाने के कारण पृथ्वी के घूमने की गति धीमी हो जाएगी जिससे कि दिन और रात दोनों का समय बढ़ जाएगा, कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसी स्थिति में दिन 20 घंटे का होगा और रात में 20 घंटे की हो जाएगी, यह स्थिति सभी पेड़ पौधों और जीव जंतुओं के लिए भयानक होगी, इससे कई जीव जंतुओं और पेड़ पौधो की की प्रजातियां विलुप्त हो जाएगी.
चंद्रमा की अपनी कक्षा से हट जाने के कारण पृथ्वी का घूर्णन अक्ष भी पूरी तरह बदल जाएगा, इस घूर्णन अक्ष की वजह से ही पृथ्वी पर मौसम बदलते हैं, यह भी महाविनाश का कारण बनेगा, पृथ्वी के सभी महाद्वीपों का मौसम से पूरी तरह बदल जाएगा जिससे कि लगभग सभी प्रकार के पेड़-पौधे और जीव-जंतु का विनाश हो सकता है.
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