Nafrat Shayari– नफरत शायरी – Hate Shayari
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नफरत शायरी
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छोटी सी इस कहानी को
एक और फ़साना मिल गया,
उनको हमसे नफ़रत का
एक और बहाना मिल गया !!
वो लोग अपने आप में कितने अज़ीम थे
जो अपने दुश्मनों से भी नफ़रत न कर सके
~खलील तनवीर
जिस क़दर नफ़रत बढ़ाई उतनी ही क़ुर्बत बढ़ी
अब जो महफ़िल में नहीं है वो तुम्हारे दिल में है
~आरज़ू लखनवी
कैसे उन्हें भुलाऊँ मोहब्बत जिन्हों ने की
मुझ को तो वो भी याद हैं नफ़रत जिन्हों ने की
~अहमद मुश्ताक़
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वह मोहब्बत भी उसकी थी, वह नफरत भी उसकी थी
वह अपनाने और ठुकराने की अदा भी उसकी थी
हम अपनी वफा का इंसाफ किससे मांगते
वह शहर भी उसका था वह अदालत भी उसकी थी
अजीब सी आदत और गजब की फितरत है मेरी
मोहब्बत हो कि नफरत हो बहुत शिद्दत से करता हूं
खुदा सलामत रखना उन्हें जो हमसे नफरत करते हैं
प्यार ना सही नफरत ही सही कुछ तो है वह किस सिर्फ हमसे करते हैं
Nafrat Shayari – Hate Shayari
चला जाऊंगा मैं धुंध के बादल की तरह
देखते रह जाओगे मुझे पागल की तरह
जब करते हो मुझसे इतनी नफरत
तो क्यों सजाते हो तुम मुझे काजल की तरह
दिलों में गर पली बेजा कोई हसरत नहीं होती
हम इंसानों को इंसानों से यु नफरत नहीं होती
दुनिया को नफरत का यकीन नहीं दिलाना पड़ता
मगर लोग मोहब्बत का सबूत ज़रूर मांगते है.
मत रख इतनी नफरतें अपने दिल में ए इन्सान
जिस दिल में नफरत होती है उस दिल में रब नहीं बसता
गुजरें हैं राह ए इश्क में हुम उस मुकाम से
नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से
नफरत करोगे तो अधुरा किस्सा हूँ मैं
मोहब्बत करोगे तो तुम्हारा ही हिस्सा हूँ में
मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना
ज़रा से भी चुके तो मोहब्बत हो जाएगी
कोई तो वजह होगी, बेवजह कोई नफरत नहीं करता,
हम तो उनके दिल की समझते हैं,
वो हमें समझने की कोशिश नहीं करता,
प्यार करता हूँ इसलिए फ़िक्र करता हूँ
नफरत करूँगा तो ज़िक्र भी नहीं करूंगा
Nafrat Shayari – Hate Shayari
नफरतों का सिलसिला जारी है
लगता है दूर जाने की तयारी है
दिल तो पहले दे चुके हैं हम
लगता है अब जान देने की बारी है
हक़ से अगर दो तो नफरत भी कबूल हमें
खैरात मैं तो हम तुम्हारी मोहब्बत भी ना लें.
हर चीज़ नहीं है मरकज़ पर
इक ज़र्रा इधर इक ज़र्रा उधर
नफ़रत से न देखो दुश्मन को
शायद वो मोहब्बत कर बैठे
~शकील बदायुनी
नए साल में पिछली नफ़रत भुला दें
चलो अपनी दुनिया को जन्नत बना दें
दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी ले आता हूँ
बस इसी बात से दुश्मन मुझे पहचान गए
~शुजा ख़ावर
उन से सब अपनी अपनी कहते हैं
मेरा मतलब, अदा करे कोई
चाह से आप को तो नफ़रत है
मुझ को चाहे, ख़ुदा करे कोई
पिला दे ओक से साक़ी जो हम से नफ़रत है
पियाला गर नहीं देता न दे शराब तो दे ~मिर्ज़ा ग़ालिब
ख़ुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा
जिसे नफ़रत है उस के आदमी से
~नरेश_कुमार_शाद
Nafrat Shayari – Hate Shayari
नफ़रत-ओ-बोग़्ज़-ओ-अदावत का अन्धेरा दूर हो,
बज़्म मे डालो तुम ऐसी रौशनी आफ़ताब की !!
आज तय कर लिया है फुर्क़त में
उम्र गुज़रेगी तुम से नफ़रत में
~आरिफ_इश्तियाक़
नफ़रत का गुमाँ गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा
क्यूँकर कहूँ लो नाम न उन का मिरे आगे
~Ghalib
पिला दे ओक से साक़ी जो मुझ से नफ़रत है
पियाला गर नहीं देता न दे शराब तो दे
~मिर्ज़ा_ग़ालिब
होने को यूँ तो शहर में अपना मकान था
नफ़रत का रेगज़ार मगर दरमियान था
दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी ले आता हूँ
बस इसी बात से दुश्मन मुझे पहचान गए ~ShujaKhaawar
बे पिए ही शराब से नफ़रत
ये जहालत नही तो और क्या है..?
-साहिर लुधियानवी
रिन्दाने-जहां से ये नफरत,
ऐ हजरते-वाइज़ क्या कहना,
अल्लाह के आगे बस न चला,
बंदों से बगावत कर बैठे।
-फैज़ अहमद फैज़
मुझे सामने बिठा,
गले लगे कईयों से वो,
~नफरत भी ‘वो’
बड़े करीने से करते हैं.
नफ़रत भी क्यों करे उससे,
उतना वास्ता भी क्यों रक्खे उससे..
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, सबको ही सम्मान मिला।
गीता-ग्रंथ-बाइबिल के संग, है पवित्र कुरआन मिला।
नफरत की खाई मत खोदो, मत खींचो दीवार कोई,
जो भी इस माटी में जन्म, उसको हिंदुस्तान मिला।
हर शख्स को नफरत है झूठ से,,
मैं परेशान हु सोच कर की फिर ये झूठ बोलता कौन है …..???
मोहब्बत है की नफरत कोई तो मुझे समझाये,
कभी मैं दिल से लडता हूँ, कभी दिल मुझसे लडता है!
कभी तेरी हसरत में जी लेते थे
अब तेरी नफरत में जी लेते है’
Nafrat Shayari – Hate Shayari
लगता है आज फिर कोई आँधी आने वाली है
दर्द को दर्द से नफरत होने वाली है
शायद मोहबत्त दरवाजे पर दस्तक देने वाली है
अगर मेरी उल्फतों से तंग आ जाओ तो बता देना दोस्तों,
मुझे नफरत तो गवारा है मगर दिखावे की मुहब्बत नहीं
मत देख की कोई गुनेहगार कितना है
यह देख के वो तेरा वफादार कितना है
यह मत सोच के कुछ लोगो को उससे नफरत है
यह देख की उसे तुससे प्यार कितना है
नफरत को हम प्यार देते है …..
प्यार पे खुशियाँ वार देते है …
बहुत सोच समझकर हमसे कोई वादा करना..
” ऐ दोस्त ” हम वादे पर जिदंगी गुजार देते है
इतनी नफरत कहाँ से लाते है लोग ?
मुझे तो मोहब्बत और मुस्कुराने से ही फुर्सत नही मिलती
नफरत करके क्यो बढ़ाते हो अहमियत किसी की!
माफ करके शर्मिंदा करने का तरीका भी तो कुछ बुरा नहीं!!
नफरत बुरी है न पालो इसे. दिलों में,
खलिश है तो हटा लो इसे.
न तेरा. न मेरा. न उसका.
ये सबका वतन है संभालो इसे।
Nafrat Shayari – Hate Shayari in Roman
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chhoti si is kahaani ko
ek aur fasaana mil gaya,
unako hamase nafarat ka
ek aur bahaana mil gaya !!
vo log apane aap mein kitane azim the
jo apane dushmanon se bhi nafarat na kar sake
~khalil tanavir
jis qadar nafarat badhai utani hi qurbat badhi
ab jo mahafil mein nahin hai vo tumhaare dil mein hai
~aarazu lakhanavi
kaise unhen bhulaun mohabbat jinhon ne ki
mujh ko to vo bhi yaad hain nafarat jinhon ne ki
~ahamad mushtaaq
vah mohabbat bhi usaki thi, vah nafrat bhi usaki thi
vah apanaane aur thukaraane ki ada bhi usaki thi
ham apani vapha ka insaaph kisase maangate
vah shahar bhi usaka tha vah adaalat bhi usaki thi
ajib si aadat aur gajab ki phitarat hai meri
mohabbat ho ki nafrat ho bahut shiddat se karata hun
khuda salaamat rakhana unhen jo hamase nafrat karate hain
pyaar na sahi nafrat hi sahi kuchh to hai vah kis sirph hamase karate hain
nafrat shayari – hatai shayari
chala jaunga main dhundh ke baadal ki tarah
dekhate rah jaoge mujhe paagal ki tarah
jab karate ho mujhase itani nafrat
to kyon sajaate ho tum mujhe kaajal ki tarah
dilon mein gar pali beja koi hasarat nahin hoti
ham insaanon ko insaanon se yu nafrat nahin hoti
duniya ko nafrat ka yakin nahin dilaana padata
magar log mohabbat ka sabut zarur maangate hai.
mat rakh itani nafraten apane dil mein e insaan
jis dil mein nafrat hoti hai us dil mein rab nahin basata
gujaren hain raah e ishk mein hum us mukaam se
nafrat si ho gayi hai mohabbat ke naam se
nafrat karoge to adhura kissa hun main
mohabbat karoge to tumhaara hi hissa hun mein
mujhase nafrat hi karani hai to iraade majabut rakhana
zara se bhi chuke to mohabbat ho jaegi
koi to vajah hogi, bevajah koi nafrat nahin karata,
ham to unake dil ki samajhate hain,
vo hamen samajhane ki koshish nahin karata,
pyaar karata hun isalie fikr karata hun
nafrat karunga to zikr bhi nahin karunga
nafrat shayari – hatai shayari
nafraton ka silasila jaari hai
lagata hai dur jaane ki tayaari hai
dil to pahale de chuke hain ham
lagata hai ab jaan dene ki baari hai
haq se agar do to nafrat bhi kabul hamen
khairaat main to ham tumhaari mohabbat bhi na len.
har chiz nahin hai marakaz par
ik zarra idhar ik zarra udhar
nafarat se na dekho dushman ko
shaayad vo mohabbat kar baithe
~shakil badaayuni
nae saal mein pichhali nafarat bhula den
chalo apani duniya ko jannat bana den
dil mein nafarat ho to chehare pe bhi le aata hun
bas isi baat se dushman mujhe pahachaan gae
~shuja khaavar
un se sab apani apani kahate hain
mera matalab, ada kare koi
chaah se aap ko to nafarat hai
mujh ko chaahe, khuda kare koi
pila de ok se saaqi jo ham se nafarat hai
piyaala gar nahin deta na de sharaab to de ~mirza gaalib
khuda se kya mohabbat kar sakega
jise nafarat hai us ke aadami se
~naresh_kumaar_shaad
nafrat shayari – hatai shayari
nafarat-o-bogz-o-adaavat ka andhera dur ho,
bazm me daalo tum aisi raushani aafataab ki !!
aaj tay kar liya hai phurqat mein
umr guzaregi tum se nafarat mein
~aariph_ishtiyaaq
nafarat ka gumaan guzare hai main rashk se guzara
kyunkar kahun lo naam na un ka mire aage
~ghalib
pila de ok se saaqi jo mujh se nafarat hai
piyaala gar nahin deta na de sharaab to de
~mirza_gaalib
hone ko yun to shahar mein apana makaan tha
nafarat ka regazaar magar daramiyaan tha
dil mein nafarat ho to chehare pe bhi le aata hun
bas isi baat se dushman mujhe pahachaan gae ~shujakhaawar
be pie hi sharaab se nafarat
ye jahaalat nahi to aur kya hai..?
-saahir ludhiyaanavi
rindaane-jahaan se ye nafrat,
ai hajarate-vaiz kya kahana,
allaah ke aage bas na chala,
bandon se bagaavat kar baithe.
-phaiz ahamad phaiz
mujhe saamane bitha,
gale lage kaiyon se vo,
~nafrat bhi vo
bade karine se karate hain.
nafarat bhi kyon kare usase,
utana vaasta bhi kyon rakkhe usase..
hindu-muslim-sikh-isai, sabako hi sammaan mila.
gita-granth-baibil ke sang, hai pavitr kuraan mila.
nafrat ki khai mat khodo, mat khincho divaar koi,
jo bhi is maati mein janm, usako hindustaan mila.
har shakhs ko nafrat hai jhuth se,,
main pareshaan hu soch kar ki phir ye jhuth bolata kaun hai …..???
mohabbat hai ki nafrat koi to mujhe samajhaaye,
kabhi main dil se ladata hun, kabhi dil mujhase ladata hai!
kabhi teri hasarat mein ji lete the
ab teri nafrat mein ji lete hai
nafrat shayari – hatai shayari
lagata hai aaj phir koi aandhi aane vaali hai
dard ko dard se nafrat hone vaali hai
shaayad mohabatt daravaaje par dastak dene vaali hai
agar meri ulphaton se tang aa jao to bata dena doston,
mujhe nafrat to gavaara hai magar dikhaave ki muhabbat nahin
mat dekh ki koi gunehagaar kitana hai
yah dekh ke vo tera vaphaadaar kitana hai
yah mat soch ke kuchh logo ko usase nafrat hai
yah dekh ki use tusase pyaar kitana hai
nafrat ko ham pyaar dete hai …..
pyaar pe khushiyaan vaar dete hai …
bahut soch samajhakar hamase koi vaada karana..
” ai dost ” ham vaade par jidangi gujaar dete hai
itani nafrat kahaan se laate hai log ?
mujhe to mohabbat aur muskuraane se hi phursat nahi milati
nafrat karake kyo badhaate ho ahamiyat kisi ki!
maaph karake sharminda karane ka tarika bhi to kuchh bura nahin!!
nafrat buri hai na paalo ise. dilon mein, khalish hai to hata lo ise. na tera. na mera. na usaka. ye sabaka vatan hai sambhaalo ise.
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