Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the ad-inserter domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6131

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the json-content-importer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6131

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the add-search-to-menu domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6131

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the health-check domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6131
नफ्स को काबू में रखना रियाज़त – कम खाने के फायदे – Net In Hindi.com

नफ्स को काबू में रखना रियाज़त – कम खाने के फायदे

दोस्तों को शेयर कीजिये

रियाज़त और नफ्स की ख्वाइशें

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

Color Codes –  कुरआन मजीदहदीसे पाककौल (Quotes). 

मूसा अलैहहिसलाम  को दुरुद पढने का हुक्म

अल्लाह ताआला ने हज़रत मूसा अलैहहिसलाम  पर वह्यी नाज़िल फरमाई की ऐ मूसा अगर तुम चाहते हो की मै तुम्हारी ज़बान पर तुम्हारे कलाम से, तुम्हारे दिल में ख़यालात से, तुम्हारे बदन में तुम्हारी रूह से, तुम्हारी आँखों में नूर ए बसारत से, और तुम्हारे कानों में तुम्हारी सुनने की ताक़त से ज्यादा करीब रहूँ तो फिर मोहम्मद स.अ.व. पर कसरत से दरूद भेजो. अस्स्लातो  वास्सलामो अलैका या रसूलल्लाह!

फरमाने खुदा है –

“हर नफ्स यह देखे की क़यामत के लिए उसने क्या अमल किये हैं.”

ऐ इन्सान अच्छी तरह समझ ले की तुझे बुराई की तरफ ले जाने वाला तेरा नफ्स, तेरा शैतान से भी बड़ा दुश्मन है और शैतान को तुझ पर तेरी ख्वाइशात की बदौलत गलबा हांसिल हौता है, लिहाज़ा तुझे तेरा नफ्स झूटी उम्मीदों और धोके में डाले है, जो शख्श बे खौफ हुआ और गफ़लत में गिरिफ्तार हुआ, अपने नफ्स की पैरवी करता है उस इन्सान का हर दावा झूठा है, अगर तू  नफ्स की रज़ा में उस की ख्वाइशों  की पैरवी करेगा तो हालाक हो जायेगा और अगर उस के मुहासबा से गाफिल होगा तो गुनाहों के समंदर में डूब जायेगा.

अगर तू उसकी मुखालफत से आज़िज़ आकर उसकी ख्वाइशों की पैरवी करेगा तो यह तुझे जहन्नम की तरफ खीच ले जायेगा. नफ्स का लौटना भलाई की तरफ नहीं है बल्कि यह मुसीबतों की जड़, शर्मिंदगी की कान, इब्लीस का खजाना, और बुराई का ठिकाना और इस की फितना अन्गेज़ियों को सिवाय आलिमे खैर व शर के यानी अल्लाह ताआला के सिवा कोई नहीं जानता.

फरमाने इलाही है

“और अल्लाह से डरो, बेशक अल्लाह तुम्हारे तमाम आमाल से बाखबर है.”

तफसीर अबिल्लैस रहमतुल्लाह अलैह में है, जब कोई बंदा आखिरत की चाहत की वजह से अपनी गुजरी हुई ज़िन्दगी पर गौर और फ़िक्र करता है तो यह फ़िक्र करना उस के दिल के लिए ग़ुस्ल का काम देता है, जैसा की फरमाने नबवी है,

“एक घडी का तफ़क्कुर साल भर की इबादत से बेहतर है.”

लिहाज़ा हर अक़लमंद के लिए ज़रूरी है की अपने पिछले गुनाहों की मगफिरत तलब करे, जिन चीज़ों का इकरार करता है उन में तफ़क्कुर करे और क़यामत के दिन के लिए तोशा बनाये, उम्मीदों को कम करे, तौबा में जल्दी करे, अल्लाह ताआला का ज़िक्र करता रहे, हराम चीज़ों से बचे और नफ्स को सब्र पर आमादा करे. नफ्स की ख्वाइशों की पैरवी ना करे क्यों की नफ्स एक बुत की तरह है जो नफ्स की पैरवी करता है वह गोया बुत की इबादत करता है और जो इख्लास से अल्लाह की इबादत करता है, वह अपने नफ्स पर जब्र करता है.

हजरते मालिक बिन दीनार ने इन्जीर खाना चाहा

जनाबे मालिक इब्ने दीनार रहमतुल्लाह अलैह एक दिन बसरा के बाज़ार से गुज़र रहे थे की आप को इन्जीर नज़र आये, दिल में उन्हें खाने की ख्वाइश हुयी, दुकानदार के पास पहुंचे और कहा मेरे इन जूतों के बदले अंजीर दे दो, दुकानदार ने जूतों को पुराना देखकर कहा इन के बदले में कुछ नहीं मिल सकता, आप यह जवाब सुन  कर चल पड़े, किसी ने दुकानदार से कहा, जानते हो यह बुज़ुर्ग कौन थे? वह बोला नहीं, उस ने कहा यह मशहूर मदनी हज़रते मालिक बिन दीनार रज़िअल्लाहो अन्हो थे, दुकानदार ने जब यह सुना तो अपने गुलाम को एक टोकरी अंजीरों से भर कर दी और कहा अगर जनाब मालिक बिन दीनार रज़िअल्लाहो अन्हो तुझ से यह टोकरी कबूल कर लें तो इस खिदमत के बदले तू आज़ाद है, गुलाम भागा भागा आप की खिदमत में आया और अर्ज़ किया हुज़ूर यह कुबूल फरमाइए, आप ने कहा की में नहीं लेता, गुलाम बोला अगर आप इसे कुबूल कर लें तो में आज़ाद हो जाऊंगा, आप ने जवाब दिया इस में तेरे लिए तो आज़ादी है मगर मेरे लिए हलाक़त है, जब गुलाम ने इसरार किया तो आप ने फ़रमाया की में ने कसम खाई है की दीन के बदले में मैं अंजीर नहीं खाऊंगा और मरते दम तक कभी भी अंजीर नहीं लूँगा.

ज़िन्दगी की आखिरी घडी में सब्र

हज़रते मालिक बिन दीनार रज़िअल्लाहो अन्हो को मर्ज़े वफ़ात में इस बात की इच्छा हुई की मैं गर्म रोटी का सरीद बनाकर खाऊ जिस में दूध और शहद शामिल हो चुनाचे आपके हुक्म से खादिम यह तमाम चीज़ें लेकर हाज़िर हुआ. आप कुछ देर उन चीज़ों को देखते रहे, फिर बोले ए नफ्स! तूने तीस साल लगातार सब्र किया अब ज़िन्दगी की इस आखिरी घडी में क्या सब्र नहीं कर सकता?यह कहा और प्याला छोड़ दिया और उसी तरह सब्र करते हुए वासिले बा हक़ हो गए. हकीक़त यह है की अल्लाह के नेक बन्दों में यानि अम्बिया, औलिया, सिद्दिकीन, आशिकीन और ज़हिदीन के हालात ऐसे ही थे.

हज़रात सुलेमान अलैहिस्सलाम का कौल है की “जिस शख्श ने अपने नफ्स पर काबू पाया,वह उस शख्श से ज्यादा ताक़तवर है जो तने तनहा एक शहर को फ़तह कर लेता है.”

हजरते अली रज़िअल्लाहो अन्हो का कौल है की “मैं अपने नफ्स के साथ बकरियों के झुण्ड पर एक ऐसे जवान की तरह हूँ की जब वह एक तरफ उन्हें इकठ्ठा करता है तो वह दूसरी तरफ फ़ैल जाती हैं.”

जो शख्श अपने नफ्स को फ़ना कर देता है उसे रहमत के कफ़न में लपेट कर करामत की ज़मीन में दफ़न किया जाता है,और जो शख्श अपने ज़मीर (क़ल्ब) को ख़त्म कर देता है उसे लानत के कफ़न में लपेट कर आजाब की ज़मीन में दफ़न किया जाता है.

 

जनाब याह्या बिन मआज़ राज़ी रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं की अपने नफ्स का इताआत और बंदगी कर के मुकाबला करो. रियाज़त, शब बेदारी (रात में जागना)क़लील गुफ्तगू (कम बोलना), लोगों की तकलीफों को बर्दाशत करना और कम खाने का नाम है, कम सोने से ख़यालात पाकीज़ा होते हैं, कम बोलने से इन्सान आफतों से महफूज़ रहता है, तकलीफे बर्दाश्त करने से दर्जे बुलंद होते हैं और कम खाने से शहवत ए नफसानी ख़त्म हो जाती है, क्यों की बहुत खाना दिल की स्याही और उसे गिरफ्तारे ज़ुल्मत करना है. भूक हिकमत का नूर है, और सैर होना अल्लाह ताआला से दूर कर देता है.

फरमाने नबी सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम है की

अपने दिलों को भूक से रोशन करो,  अपने नफ्स का भूक प्यास से मुकाबला करो, और हमेशा भूक के वसीले से जन्नत का दरवाज़ा खटखटाते रहो, भूके रहने वाले को अल्लाह के रास्ते में लड़ने वाले के सवाब के बराबर सवाब मिलता है,और अल्लाह ताआला के नज़दीक भूखे प्यासे रहने से बेहतर कोई अमल नहीं, आसमान के फ़रिश्ते उस इन्सान के पास बिलकुल नहीं आते जिसने अपना पेट भर कर इबादत का मज़ा खो दिया हो.

मिन्हाजुल आबेदीन में हजरते अबू बकर सिद्दीक रज़िअल्लाहो अन्हो  का यह कौल मजकूर है की मै जब से ईमान लाया हूँ, कभी पेट भर कर खाना नहीं खाया ताकि में अपने रब की इबादत का मज़ा हांसिल कर सकूँ, और अपने रब के शौक ए दीदार की वजह से कभी सैर हो कर पानी नहीं पिया है इसलिए की बहुत खाने से इबादत में कमी वाकेअ हो जाती है, क्यों की जब इन्सान खूब सैर हो कर खा लेता है तो उस का जिस्म भरी और आँखें नींद से बोझल हो जाती हैं, उस के बदन के आज़ा ढीले पड़ जाते हैं फिर वह कोशिश के बावजूद  सिवाए नीद के कुछ भी हांसिल नहीं कर पाता और इस तरह वह उस मुरदार की तरह बन जाता है जो रास्ते में पड़ा हो.

मुन्यतुल मुफ़्ती में है की जनाब लुकमान हकीम ने अपने बेटे से कहा खाना और सोना कम करो क्यों की जो शख्श ज्यादा खाता और ज्यादा सोता है वह क़यामत के दिन नेक कामों से खाली हाथ होगा.

नबीए करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का फरमान है की “अपने दिलों को ज्यादा खाने पीने से हलाक ना करो, जिस तरह ज्यादा पानी से खेती तबाह हो जाती है उसी तरह ज़्यादा खाने पीने से दिल हलाक हो जाता है.”

नेक लोगों ने मैदा (पेट ) को एसी हांड़ी से मिसाल दी है जो उबलती रहती है और उस के बुखारात भांप बराबर दिल पर पहुँचते रहते हैं, फिर उन्ही भांपों की ज्यादती दिल को गन्दा और मैला बना देती है, ज़्यादा खाने से इल्म व फ़िक्र में कमी वाकेअ हो जाती है और शिकम पुरी (पेट भरना) अक़ल्मंदी, व ज़हानत को बर्बाद कर देती है.

हिकायत – हज़रत याह्या बिन ज़कारिया अलैहिस्सलाम ने शैतान को देखा वह बहुत से जाल उठाये हुए था, आपने पुछा यह क्या है? शैतान ने कहा यह ख्वाइशात हैं जिन से मै इब्ने आदम को कैद करता हूँ. आप ने फ़रमाया मेरे लिए भी कोई फंदा है? शैतान बोला नहीं मगर एक रात आपने पेट भर कर खाना खा लिया था जिस से आप को नमाज़ में सुस्ती पैदा हो गयी थी, तब हजरते याह्या अलैहहिससलाम बोले, आइन्दा में कभी पेट भर कर खाना नहीं खाऊंगा, शैतान बोला अगर यह बात है तो में भी आइन्दा किसी को नसीहत नहीं करूंगा.

यह उस मुक़द्दस हस्ती का हाल है जिस ने सारी उम्र में सिर्फ एक रात पेट भर कर खाना खाया था, उस शख्श का क्या हाल होगा जो उम्र भर कभी भूका नहीं रहता और पेट भर कर खाना खाता है और उस पर वह चाहता है की वह इबादत गुज़ार बन जाये.

हिकायत – हजरते याह्या अलैहहिससलाम ने एक रात  जौ की रोटी पेट भर कर खा ली और इबादत ए इलाही में हाज़िर ना हुए अल्लाह ताआला ने वह्यी की ऐ याह्या क्या तू ने इस दुनिया को आखिरत से बेहतर समझा है या मेरे जवारे रहमत से बेहतर तू ने कोई और जवार पा लिया है. मुझे इज्ज़त व जलाल की क़सम अगर तु जन्नतुल फिरदौस का नज़ारा कर ले और जहन्नम को देख ले तो आंसुओं के बदले खून रोये और इस अच्छे लिबास की जगह लोहे का लिबास पहने.

*** हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ.-किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

Tags – nafs, nafs par kaboo, nafs ki khwaishen, kam khana, kam sona, riyazat

 

दोस्तों को शेयर कीजिये
Net In Hindi.com