अन्तरिक्ष यान में परमाणु उर्जा का उपयोग
परमाणु ऊर्जा का उपयोग पृथ्वी पर बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है कई देशों में परमाणु रिएक्टर बिजली घर बनाए गए हैं, इन परमाणु रिएक्टर में परमाणु ऊर्जा का उपयोग कर भाप का निर्माण किया जाता है और इसके बाद इस भाप से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है, परंपरागत इंधन को जलाकर बिजली बनाने की तुलना में परमाणु ऊर्जा का उपयोग करने से वातावरण में प्रदूषण नहीं होता साथ ही साथ से जंगलों का विनाश भी नहीं होता है, क्या परमाणु ऊर्जा का उपयोग अंतरिक्ष विज्ञान में किया जा सकता है? क्या परमाणु ऊर्जा के द्वारा रॉकेट और अंतरिक्ष यान चलाए जा सकते हैं, क्या चंद्रमा पर जाने के लिए और मंगल पर मानव बस्तियां बसाने में हम परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं, वैज्ञानिकों ने इस दिशा में प्रयास काफी पहले से ही प्रारंभ कर दिया है. आइये इन प्रश्नों के जवाब पता करते हैं.
अंतरिक्ष में परमाणु ऊर्जा का उपयोग Use of Nuclear energy in space shuttle
अंतरिक्ष में परमाणु ऊर्जा का उपयोग वैज्ञानिकों ने प्रारंभ कर दिया है, अंतरिक्ष में परमाणु ऊर्जा का उपयोग दो प्रकार से किया जा सकता है, किसी रेडियो एक्टिव पदार्थ के स्वतः विघटन से प्राप्त परमाणु ऊर्जा का उपयोग तथा दूसरा किसी परमाणु विखंडन की प्रक्रिया द्वारा प्राप्त परमाणु ऊर्जा का उपयोग.
किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ के विघटन से प्राप्त होने वाली परमाणु ऊर्जा का उपयोग अंतरिक्ष में कई वर्षों से किया जा रहा है, इसका उपयोग अंतरिक्ष में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए तथा अंतरिक्ष में ऑब्जरवेशन करने के लिए दोनों ही प्रकार से हो रहा है.
अंतरिक्ष में ऑब्जरवेशन करने के लिए Mössbauer spectrometer का उपयोग किया जाता है यह एक radioisotope thermoelectric generator इसका इस्तेमाल कई स्पेस प्रोब्स में किया गया है, जो मनुष्य चंद्रमा पर गए थे उनके साथ भी यह यंत्र ले जाया गया था,
अन्तरिक्ष में परमाणु रिएक्टर Nuclear reactro in space
वैज्ञानिकों ने कई ऐसे छोटे परमाणु ऊर्जा से चलने वाले रिएक्टर बनाए हैं जोकि कृत्रिम उपग्रहों में उपयोग किए जाते हैं ऐसा ही एक परमाणु रिएक्टर TOPAZ nuclear reactor है, इस प्रकार के रिएक्टर में एक रेडियो एक्टिव पदार्थ में स्वतः विघटन से ऊष्मा प्राप्त की जाती है इसके जरिए कई दशकों तक ऊष्मा प्राप्त की जा सकती है, रूस ने 40 परमाणु ऊर्जा से चलने वाले उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े हैं रूस का बनाया गया TOPAZ-II reactor 10 किलो वाट ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है.
रूस के द्वारा ही बनाया गया Romashka reactor यूरेनियम के विघटन से ऊर्जा प्राप्त कर सीधे ही विद्युत उत्पादन कर सकता है जहां दूसरे रिएक्टर में पहले भाप बनाई जाती है जिससे कि टरबाइन चलाकर विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है इस परमाणु ऊर्जा से चलित रिएक्टर में सीधे ही विद्युत बन जाती है,अमेरिका के नासा द्वारा भी किलोपावर नाम का एक छोटा परमाणु ऊर्जा से चलित रिएक्टर बनाया जा रहा है जिसकी क्षमता भी 10 किलोवाट है
परमाणु ऊर्जा का अंतरिक्ष में किस तरह उपयोग किया जा सकता है different uses of nuclear energy in space programmes
परमाणु ऊर्जा का अंतरिक्ष में कई तरह का तरीके से उपयोग किया जा सकता है इससे परमाणु ऊर्जा द्वारा चलित राकेट बनाए जा सकते हैं, यह रॉकेट दो प्रकार के हो सकते हैं छोटे स्पेस प्रोब जो की रेडियोएक्टिव पदार्थ के विघटन से प्राप्त ऊर्जा से बहुत लंबी दूरी तक कई दशकों तक अंतरिक्ष में सफर कर सकते हैं, दूसरी प्रकार के नाभिकीय विखंडन से प्राप्त ऊर्जा से चलने वाले रॉकेट बहुत तेज गति से अंतरिक्ष में सफर कर सकते हैं, नाभिकीय विखंडन से प्राप्त ऊर्जा का इस्तेमाल न केवल राकेट को चलाने के लिए बल्कि अंतरिक्ष यान को गर्म रखने, एवं सभी प्रकार के यंत्रों को चलाने के लिए भी किया जा सकता है.
मंगल ग्रह पर मानव बस्ती में परमाणु उर्जा का उपयोग Use of Nuclear energy on human mars colony
सोलर ऊर्जा की तुलना में परमाणु ऊर्जा का उपयोग अंतरिक्ष विज्ञान में वरदान साबित हो सकता है, परमाणु ऊर्जा रिएक्टर वजन में बहुत हल्के होते हैं तथा काफी लंबे समय तक ऊर्जा देते रहते हैं, यह आकार में भी बहुत छोटे होते हैं इन्हें अंतरिक्ष यान में कहीं भी लगाया जा सकता है, जहां वर्तमान समय में राकेट को चलाने के लिए तरल रासायनिक ईंधन का उपयोग किया जाता है तथा अंतरिक्ष यान की सभी व्यवस्था को संचालित करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाता है लेकिन परमाणु ऊर्जा रिएक्टर से अंतरिक्ष यान कि यह दोनों आवश्यकताएं पूरी की जा सकती है इससे न केवल राकेट को बहुत तेज गति से चलाया जा सकता है बल्कि अंतरिक्ष यान के अंदर स्थित सभी प्रकार के यंत्रों को भी ऊर्जा दी जा सकती है.
मंगल ग्रह पर मानव बस्ती बसाने के लिए वैज्ञानिक कई मॉडल विकसित कर रहे हैं, मंगल ग्रह पर इन मानव बस्तियों के लिए उर्जा का प्रमुख स्रोत परमाणु रिएक्टर ही होंगे, क्यों की मंगल पर सूर्य का प्रकाश पृथ्वी की तुलना में कम हे और वहां पृथ्वी की तरह इंधन के दुसरे साधन जैसे की पेट्रोलियम और लकड़ी आदि मोजूद नहीं हैं, ना ही वहां नदियाँ हैं जिन पर बांध बनाकर बिजली उत्पादन किया जा सके, एसी स्थिति में परमाणु उर्जा का ही एकमात्र विकल्प बचता है.
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