बर्फीले वातावरण में पेंग्विन पक्षी कैसे रह पाते हैं? Adaptations of Penguins

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पेंग्विन पक्षी का अनोखा अनुकूलन Adaptations of Penguins

पेंग्विन एक अंटार्कटिका महाद्वीप में रहने वाला पक्षी है, पेंग्विन की 17 प्रजातियां पाई जाती है, इनमे से किसी भी प्रकार का पेंग्विन उड़ नहीं पाता है, परंतु पेंग्विन बहुत अच्छे तैराक होते हैं, सभी प्रकार के पेंग्विन बर्फीले अंटार्कटिक महाद्वीप के आसपास के इलाकों में पाए जाते हैं, पेंग्विन अंटार्कटिक महाद्वीप के आसपास छोटे  दीपों के समुद्री किनारों पर बर्फ या जमीन पर अंडे देते हैं.

अंटार्कटिक एक बर्फीला महाद्वीप है तथा इसके आसपास के समुद्र के पानी का तापमान भी जीरो डिग्री सेल्सियस ही बना रहता है,  कुछ पेंग्विन इन अंटार्कटिका से उत्तर में पाए जाने वाले द्वीपों में भी रहते हैं,

पेंग्विन कई महीनों तक समुद्र में रह सकते हैं, ये केवल प्रजनन काल में ही तट पर आते हैं,अंटार्कटिक महाद्वीप के बर्फीले माहौल में रहने के पेंग्विन अनुकूलित हो चुके हैं इनमें कई ऐसी विशेषताओं का विकास हुआ है जिससे कि यह बर्फीले वातावरण में रहने के लिए अनुकूलित हो गए हैं.

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पेंग्विन पक्षी के तेरने का अनुकूलन

पेंग्विंस के बत्तख की तरह झिल्ली दार पैर होते हैं, इनका शरीर पूरी तरह रेखीय होता है जो कि तैरने में  सहायक होता है, पेंग्विन पक्षी के पंख इस तरह से अनुकूलित हो गए हैं कि यह पानी के अंदर आसानी से चप्पू की तरह काम आते हैं.

पेंग्विन पक्षी का गर्म रहने का अनुकूलन

पेंग्विन पक्षी के शरीर का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस के लगभग बना रहता है, जबकि उनके वातावरण का तापमान बर्फ और बर्फीली हवाओं की वजह से शून्य और अक्सर शून्य से भी नीचे चला जाता है, पेंग्विन की त्वचा के नीचे चर्बी की एक मोटी परत होती है यह परत ऊष्मा अवरोधक का काम करती है, पेंग्विन पक्षी अक्सर झुंडों में पास-पास बैठते  हैं जिसकी वजह से इनके शरीर की ऊष्मा बनी रहती है. पेंग्विन पक्षियों में ऐसा सामाजिक व्यवहार उत्पन्न हो गया है की बर्फीली हवाओं के चलने हवाएं चलने पर यह बड़े-बड़े झुंडों में पास पास बैठ जाते हैं जिससे कि यह बर्फीली हवाओं से बच जाते हैं.

पेंग्विन के शरीर का ऊपरी हिस्सा काला होता है जो कि धूप की गर्मी बड़ी तेजी से सोख लेता है इससे इन्हें गर्म रहने में मदद मिलती है.

पेंग्विन पक्षी के पंखो का अनुकूलन

पेंग्विन पक्षी के पंखों में बर्फीले क्षेत्र में रहने का विशेष अनुकूलन उत्पन्न हो गया है उनके पंख बहुत पास पास होते हैं, इससे ऊष्मा का निष्काशन नहीं होता है और यह गर्म बने रहते हैं, पेंग्विन के शरीर की एक विशेष ग्रंथि से तेल जैसा पदार्थ निकलता है जो इन के पंखों पर फैल जाता है, और इन्हें बर्फीले पानी से बचाता है, अंटार्कटिक में पानी का तापमान कभी भी 2 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं जाता है और वर्ष भर यह पानी अधिक ठंडा बना ही रहता है.

पेंग्विन पानी के अंदर कैसे गोता लगा लेते हैं

सभी पक्षियों की हड्डियां खोखली  और हल्की होती है परंतु पेंग्विन की हड्डियां भारी और मजबूत होती है जिससे कि ये पानी  में काफी गहराई तक गोता लगा सकते हैं.

पेंग्विन पर समुद्री पानी का असर क्यों नहीं होता है?

समुद्र के पानी में भारी मात्रा में नमक पाया जाता है अगर कोई जीव इस पानी को पी ले तो उसके शरीर में नमक की मात्रा बढ़ जाती है, ऐसे में उनके शरीर को नमक बाहर निकलने में बहुत दिक्कत होती है, पेंग्विन पक्षी की आंखों के पास एक विशेष प्रकार की ग्रंथि होती है जो कि शरीर से नमक को बाहर निकालती रहती है, यह ग्रंथि इतनी प्रभावशाली होती है कि पेंग्विन पक्षी समुद्र का पानी भी पी सकते हैं और उनके शरीर पर इसका कोई भी हानिकारक प्रभाव नहीं होता है.

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