(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)
Color Codes – कुरआन मजीद, हदीसे पाक, कौल (Quotes).
शैतान और उस का अज़ाब
फरमाने इलाही है “पस अगर तुम ने अल्लाह और उस के रसूल की इताअत से मुह फेर लिया तो अल्लाह ताआला तुम्हे नहीं बख्शेगा, ना ही तुम्हारी तौबा कुबूल करेगा”
जैसे कुफ्र और तकब्बुर की वजह से शैतान की तौबा कुबूल ना हुई और अपनी गलती का इकरार करने, शर्मिंदा होने और अपने नफ्स को मलामत करने की वजह से आदम अलैहिस्सलाम की तौबा अल्लाह ताआला ने कुबूल फरमा ली. अगरचे कौले सही के मुताबिक आदम अलैहिस्सलाम ने हकीकत में कोई गुनाह नहीं किया था. क्यों की अम्बिया अलैहिस्सलाम नुबुवत से सरफ़राज़ होने से पहले और बाद हर हाल में गुनाहों से पाक होते हैं. लेकिन सूरत गुनाह की सी थी लिहाज़ा आदम और हव्वा अलैहिमुससलाम ने बारगाहे इलाही में अर्ज़ किया “रब्बना ज़लमना अन्फुसना व इल्ललम ताग्फिर लना ल न कुनन्ना मेनल खासेरीन”
आदम अलैहिस्सलाम अपनी गलती पर शर्मशार हुए. अल्लाह की रहमत के उमीदवार हुए और तौबा में जल्दी की जैसा की फरमाने इलाही है
“मेरी रहमत से ना उम्मीद ना हो” लेकिन शैतान ने अपनी गलती को तस्लीम ना किया, परेशान न हुआ, अपने नफ्स को मलामत न की, तौबा में जल्दी न की और तकब्बुर की वजह से रहमते खुदाबंदी से ना उम्मीद हो गया चुनाचे आज भी जिस किसी की कैफियत इब्लीस की तरह होगी उस की तौबा कुबूल न होगी मगर जो आदम अलैहिस्सलाम की तरह करेगा उस की तौबा कुबूल हो जाएगी. क्यों की हर वह गुनाह जिस का ताल्लुक ख्वाईशात ए इंसानी से है, उस की बख्शिश मुमकिन है और जिस गुनाह का ताल्लुक तकब्बुर(घमंड) व खुद बिनी से है, उस की बख्शिश ना मुमकिन है. शैतान की गलती यही थी और आदम अलैहिस्सलाम की खता ख्वाइश ए नफ्स से थी.
मूसा अलैहिस्सलाम के पास शैतान आया
हिकायत – एक मर्तबा शैतान मूसा अलैहिस्सलाम के पास आया और कहने लगा आप को अल्लाह ताआला ने रसूल बनाया है और आप से कलाम फरमाता है आप ने फ़रमाया – हाँ! मगर तुम कौन हो और क्या कहना चाहते हो? कहने लगा मै शैतान हूँ, अल्लाह ताआला से सवाल कीजिये की तेरी मखलूक तुझ से तौबा की तलबगार है. अल्लाह ताआला ने मूसा अलैहिस्सलाम पर वह्यी की. फ़रमाया उस से कहो की हम ने तेरी दरख्वास्त को कुबूल किया मगर एक शर्त के साथ की आदम अलैहिस्सलाम की कब्र पर जाकर सजदा कर ले, जब तू सजदा कर लेगा, मै तेरी तौबा कुबूल कर लूँगा और तेरे गुनाहों को माफ़ कर दूंगा. मूसा अलैहिस्सलाम ने जब शैतान को यह बताया तो वह गुस्से से लाल हो गया और गुरूर और किब्र की वजह से कहने लगा ए मूसा ! मैंने तो आदम को जन्नत में सजदा नहीं किया तो अब उन की कब्र को कैसे सजदा कर लूँ?
हिकायत – शैतान को जहन्नम में आदम को सजदा करने को कहा जायेगा
शैतान को जहन्नम में सख्त अज़ाब दे कर पुछा जायेगा तु ने अज़ाब को कैसा पाया? जवाब देगा बहुत सख्त. उसे कहा जायेगा आदम जन्नत के बागों में हैं उन्हें सजदा कर लो और गुज़रे हुए आमाल की माफ़ी मांग लो ताकि तेरी बख्शिश हो जाये. मगर शैतान सज्दा करने से इंकार कर देगा, फिर उस पर आम जहन्नमियों की निस्बत सत्तर हज़ार गुना ज्यादा अज़ाब भेजा जायेगा.
एक रिवायत में है की अल्लाह ताआला हर एक लाख साल बाद शैतान को आग से निकाल कर उसे आदम को सजदे का हुक्म देगा मगर वह बराबर इंकार करता रहेगा और उसे बार बार जहन्नम में डाला जाता रहेगा
पस अगर तुम इब्लीस से नजात हांसिल करना चाहते हो तो रब्बे करीम के दमन ए रहमत से चिमट जाओ और उसी से पनाह मांगो.
क़यामत के दिन शैतान का क्या होगा?
जब क़यामत का दिन होगा, शैतान के लिए आग की कुर्सी राखी जाएगी, वह उस पर बैठेगा, तमाम शैतान और काफ़िर वहां जमा हो जायेंगे. शैतान गधे की तरह चीखता हुआ कहेगा ऐ जहन्नमियों! तुम ने अपने रब को वादे का कैसा पाया? सब कहेंगे की बिलकुल सच्चा पाया. फिर वह कहेगा मै आज के दिन अल्लाह की रहमत से ना उम्मीद हो गया हूँ. तब अल्लाह ताआला की तरफ से फरिश्तों को हुक्म होगा की उस पर और उस की पैरवी करने वालों पर आग के डंडे बरसाओ, पस वह कभी भी वहां से निकलने का हुक्म नहीं सुनेगे(हमेशा वहीँ रहेंगे).
एक रिवायत है, शैतान को क़यामत के दिन लाया जायेगा और उस के गले में लानत का तौक पहना कर आग की कुर्सी पर बैठाया जायेगा.अल्लाह ताआला जहन्नुम के फरिश्तों को हुक्म देगा, उस की कुर्सी को जहन्नम में धकेल दो मगर वह कोशिश के बावजूद एसा नहीं कर सकेंगे. तब जिब्रील अलैहिस्सलाम को अस्सी हज़ार फरिश्तों के साथ उसे धकेलने का हुक्म मिलेगा मगर वह भी बे बस हो जायेंगे. फिर इस्राफील अलैहिस्सलाम फिर इजराईल अलैहिस्सलाम को फरिश्तों की अस्सी हज़ार की जमाअत के साथ हुक्म मिलेगा मगर वह भी नहीं धकेल सकेंगे. इर्शादे खुदा होगा “अगर मेरे पैदा किये फरिश्तों से दुगने फ़रिश्ते भी आ जाएँ तो भी उसे नहीं हिला सकेंगे क्यों की उस के गले में लानत का तौक पड़ा हुआ है.”
अलग अलग आसमानों पर शैतान के नाम
शैतान का नाम पहले आसमान पर आबिद, दुसरे पर जाहिद तीसरे पर आरिफ चौथे पर वली, पांचवे पर मुत्तकी, छठे पर अज़ाजील और लौहे महफूज़ पर इब्लीस था. वह अपनी आकिबत से बे फ़िक्र था जब उसे हज़रत आदम को सजदा करने का हुक्म मिला तो कहने लगा ऐ अल्लाह! तू ने इसे मुझ पर फ़ज़ीलत दे दी हालाँकि मै इस से बेहतर हूँ, तू ने मुझे आग से और इसे मिटटी से पैदा किया है. अल्लाह ताआला ने फ़रमाया मै जो चाहता हूँ वह करता हूँ! शैतान ने अपने आप को आदम अलैहिस्सलाम से बेहतर समझा और तकब्बुर की वजह से आदम से मुह फेर कर खड़ा हो गया. जब फ़रिश्ते आदम अलैहिस्सलाम को सजदा कर के उठे तो उन्हों ने देखा की शैतान ने सजदा नहीं किया तो वह दोबार सजदा ए शुक्र में गिर गए लेकिन शैतान उन से बे ताल्लुक खड़ा रहा और उसने अपने इस काम पर कोई पशेमानी ना हुई, तब अल्लाह ताआला ने उसकी सूरत बिगाड़ दी.
खिन्ज़िर (सूअर) की तरह लटका हुआ मुहं, सर उंट के सर की तरह, सीना बड़े ऊंट के कोहान जैसा, उन के बीच चेहरा ऐसे जैसे बन्दर का चेहरा, आंखे बड़ी, नथने हज्जाम के बर्तन जैसे खुले हुए, होंट बैल के होंटों की तरह लटके हुए, दांत खिंजीर की तरह बाहर निकले हुए और दाढ़ी में सिर्फ सात बाल, इसी सूरत में उसे जन्नत से नीचे फेंक दिया गया बल्कि आसमान व ज़मीन से ज़जीरों की तरफ फेंक दिया गया. वह अब अपने कुफ्र की वजह से ज़मीन पर छुपते छुपते आता है और क़यामत तक के लिए लानत का मुस्तहिक बन गया है. शैतान कितना खूबसूरत, ज्यादा इल्म वाला, ज्यादा इबादत करने वाला, फरिश्तों का सरदार, मुकर्रबीन का सरखेल था मगर उसे कोई चीज़ अल्लाह के गज़ब से ना बचा सकी. बेशक इस में अकल्मंदो के लिए इबरत है.
एक रिवायत में है की जब अल्लाह ताआला ने शैतान की पकड़ की तो जिब्रील व मीकाईल रोने लगे. रब ने फ़रमाया क्यों रोते हो? अर्ज़ की ए अल्लाह! तेरी पकड़ के खौफ से रोते हैं! इरशाद हुआ इसी तरह मेरी पकड़ से रोते रहना!
औलादे आदम पर शैतान का गलबा
शैतान ने अल्लाह से कहा – ऐ अल्लाह! तू ने मुझे जन्नत से निकाला तो आदम के सबब, अब मुझे औलादे आदम पर गलबा अता फरमा,
अल्लाह ने फ़रमाया मैंने तुझे नबियों के इलावा जिन की इस्मत मुसल्लम है, आदम की औलाद पर गलबा दिया. शैतान बोला कुछ और? अल्लाह ताआला ने फ़रमाया जितनी आदम की औलाद होगी उतनी ही तेरी औलाद होगी. शैतान बोला कुछ और? ख़ुदावंदे कौनैन ने फ़रमाया – मैंने उनके सीनों को तेरा मसकन बनाया, तु उन में खून की तरह गर्दिश करेगा, अर्ज़ की कुछ और? फरमाने इलाही हुआ? अपने सिवा और प्यादा मददगारों से मदद मांग कर उन्हें हराम माल की कमाई पर आमादा कर सकता है, उन्हें हैज़ के दिनों वगैरह में मजामअत से औलादे हराम का हकदार बना सकता है और हरामकरी की वजहें पैदा कर सकता है, उन्हें मुशरिकाना नाम सिखाना इन्हें गन्दी बातें बुरे अफआल और झूटे मजहबों के जरिया गुमराह कर सकता है, इन्हें झूठी तसल्ली दे सकता है जैसे झूठे माबूदों की शफाअत, आबा व अजदाद की करामातों पर फख्र, लम्बी उम्मीदों के ज़रिये तौबा में देर और यह सब कुछ डराने के तौर पर था जैसा की फरमाने इलाही है “तुम जो चाहो करो”.
आदम अलैहिसलाम ने अर्ज़ की ऐ अल्लाह ! तू ने मेरी औलाद पर इब्लीस को मुसल्लत कर दिया, अब उससे रिहाई तेरी रहमत के बगैर कैसे होगी? खुदा ने फ़रमाया तेरे हर एक फरजंद के साथ मै मुहाफिज़ फ़रिश्ते बनाऊंगा. अर्ज़ किया अभी और भी कुछ और! अल्लाह ने फ़रमाया एक नेकी का सवाब उन्हें दस गुना मिलेगा. अर्ज़ की अभी कुछ और? अल्लाह ने फ़रमाया उनकी आखिरी साँस तक उन की तौबा कुबूल करूँगा. अर्ज़ किया की कुछ और अता फरमा! फरमान हुआ उन के लिए बख्शिश आम कर दूंगा. मै बे नियाज़ हूँ. आदम अलैहिस्सलाम बोले ! ए मेरे रब यह काफी है.
शैतान ने कहा ए अल्लाह! तूने आदमी की औलाद में नबी बनाये, उन पर किताबें नाज़िल की, मेरे रसूल और किताबें क्या हैं? जवाब आया काहिन तेरे रसूल और गुदी हुई खालें तेरी किताबें, झूठ तेरी हदीसें, तेरा कुरआन शेर – तेरे मुआज़्ज़िन बाजे, तेरी मस्जिद बाज़ार, तेरा घर हम्माम खाने, तेरा खाना वह जिस पर मेरा नाम ना लिया गया हो तेरा पीना शराब और औरतें तेरा जाल हैं.
*** हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ.-किताब मुकाशफतुल क़ुलूब