क्या तारे अपना आकार बदलते हैं?
क्या आकाश में स्थित तारे अपना आकार बदलते हैं? क्या समय के साथ तारे बड़े होते जाते हैं या फिर वह सिकुड़ कर छोटे हो जाते हैं, क्या हमारा सूर्य जो की एक तारा है उसका आकार भी बदल रहा है समय के साथ क्या यह बहुत बड़ा होता जा रहा है, क्या सूर्य धीरे-धीरे बड़ा होता जा रहा है? जब हम आकाश में तारों को देखते हैं तो हमारे मन में ऐसे कई मनोरंजक प्रश्न उत्पन्न होते हैं, आइये इन प्रश्नों का जवाब जानने की कोशिश करते हैं.
क्योंकि हमारा सूर्य एक तारा है इसलिए हम इन प्रश्नों का जवाब सूर्य के उदाहरण से ही समझने क प्रयत्न करते हैं, सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है, यह एक मध्यम आकार का तारा है, यूनिवर्स में सूर्य से भी बड़े बड़े तारे पाए जाते हैं.
सूर्य का आकर बढता जा रहा है Sun is expanding
जैसा कि आप जानते हैं एक तारा हाइड्रोजन गैस से बना होता है, अधिक तापमान और दबाव की वजह से दो हाइड्रोजन परमाणु मिलकर एक हीलियम का परमाणु बना लेते है, इस प्रक्रिया को नाभिकीय सल्लयन की प्रकिर्या कहते हैं कहते हैं, तारों से निकलने वाले प्रकाश और ऊष्मा का कारण यही प्रक्रिया होती है. इस प्रक्रिया में द्रव्यमान का कुछ हिस्सा ऊर्जा में बदल जाता है, साथ ही साथ तारों की सतह से प्लाज्मा और विकिरण के रूप में भी द्रव्यमान अंतरिक्ष में बिखरता रहता है इससे तारों का द्रव्यमान समय के साथ कम होता जाता है.
हमारा सूर्य भी समय के साथ धीरे धीरे अपना द्रव्यमान खोता जा रहा है, क्यों की सूर्य के अन्दर भी नाभिकीय सल्लयन होता है साथ ही साथ सूर्य से प्लाज्मा के रूप में पदार्थ बिखरता रहता है इससे हमारे सूर्य का द्रव्यमान कम होता जा रहा है.
सूर्य के द्रव्यमान के कम होते जाने से इसका गुरुत्वाकर्षण कम होता जा रहा है, गुरुत्वाकर्षण के कम होने से सूर्य की सतह फैल रही है और धीरे-धीरे हमारे सूर्य का आकार बढ़ता जा रहा है, हालांकि सूर्य के अंदर इतनी हाइड्रोजन गैस मौजूद है कि यह 5 अरब सालों तक प्रकाशमान रह सकता है, अगले 5 अरब सालों तक सूर्य इसी तरह धीरे-धीरे बड़ा होता जाएगा, सूर्य की बाहरी सतह फैलती चली जाएगी.
जब सूर्य की समस्त हाइड्रोजन हीलियम में बदल जाएगी तो इसकी सतह टूटकर ब्रह्मांड में बिखर जाएगी और इसका आंतरिक क्रोड सिकुड़ कर छोटा वाइट ड्वार्फ तारा बन जाएगा, परन्तु घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि कुछ भी अचानक नहीं होगा बल्कि सूर्य के अंत की शुरुआत 4.5 साल बाद शुरू होगी.
यूनिवर्स में मौजूद सभी तारों का यही हाल है, जैसे कि ओरायन तारामंडल में स्थित बैटलग्युज़ तारा अपने जीवन के अंतिम चरण में है और इसका आकार बढ़ कर विशालकाय हो गया है इसे लाल ऐसे तारों को लाल दानव तारा कहते हैं.
इस तरह हम देखते हैं कि समय के साथ तारों का आकार बदलता रहता है यह उन के अंदर मौजूद हाइड्रोजन की मात्रा और गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर करता है, कई बार 2 तारे पास पास आते हैं एवं एक तारे का द्रव्यमान दूसरे तारे द्वारा खींच लिया जाता है जिससे कि पहले तारे का आकार बहुत छोटा हो जाता है, कई बार किसी ब्लैक होल द्वारा भी तारे से हाइड्रोजन गैस खींच ली जाती है और तारे का आकार छोटा हो जाता है.
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