Shayari on Wafa वफ़ा शायरी – वफ़ा पर शायरी
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Shayari on Wafa
उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो
हर बात में लज़्ज़त है अगर दिल में मज़ा हो
~अमीर मीनाई
क्यूँ किसी से वफ़ा करे कोई
दिल न माने तो क्या करे कोई
~यगाना चंगेज़ी
ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें
~अहमद फ़राज़
क्यूँ पशेमाँ हो अगर वादा वफ़ा हो न सका
कहीं वादे भी निभाने के लिए होते हैं
~इबरत मछलीशहरी
इस ज़िंदगी ने साथ किसी का नहीं दिया
किस बेवफ़ा से तुझ को तमन्ना वफ़ा की है
~मख़फ़ी बदायूनी
वफ़ा तुम से करेंगे, दुख सहेंगे, नाज़ उठाएँगे
जिसे आता है दिल देना उसे हर काम आता है
~आरज़ू लखनवी
Shayari on Wafa
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Wafa Status Pictures – Wafa dp Pictures – Wafa Shayari Pictures
ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक
न लो इंतिक़ाम मुझ से मेरे साथ साथ चल के
~ख़ुमार बाराबंकवी
उन्हों ने क्या न किया और क्या नहीं करते
हज़ार कुछ हो मगर इक वफ़ा नहीं करते
~मुज़्तर_ख़ैराबादी
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
~मिर्ज़ा ग़ालिब
सज़ा ये दी है कि आँखों से छीन लीं नींदें
क़ुसूर ये था कि जीने के ख़्वाब देखे थे
किसी ने रेत के तूफ़ाँ में ला के छोड़ दिया
ये जुर्म था कि वफ़ा के सराब देखे थे ”
~आमिर उस्मानी
दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी
~Shaheed Bhagat Singh
Shayari on Wafa
मुझे वफ़ा की तलब है मगर हर इक से नहीं
कोई मिले मगर उस यार-ए-बेवफ़ा की तरह
~अहमद फ़राज़
इश्क़ पाबंद-ए-वफ़ा है न कि पाबंद-ए-रुसूम
सर झुकाने को नहीं कहते हैं, सज्दा करना
वफ़ा का अहद था, दिल को सँभालने के लिए
वो हँस पड़े, मुझे मुश्किल में डालने के लिए
~एहसान_दानिश
ज़िंदगी तू ने तो सच है कि वफ़ा हम से न की
हम मगर ख़ुद तुझे ठुकराएँ ज़रूरी तो नहीं
~ज़ाहिदा ज़ैदी
उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो
हर बात में लज़्ज़त है, अगर दिल में मज़ा हो
~अमीर मीनाई
चुप-चाप सुलगता है दिया, तुम भी तो देखो
किस दर्द को कहते हैं वफ़ा, तुम भी तो देखो
~बशर नवाज़
वो कहते हैं हर चोट पर मुस्कुराओ
वफ़ा याद रक्खो सितम भूल जाओ
-Kaleem Aajiz
वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँ
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
~HasratMohani
वफ़ा तुम से करेंगे दुख सहेंगे नाज़ उठाएँगे
जिसे आता है दिल देना, उसे हर काम आता है
~आरज़ू_लखनवी
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद
अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद
~JigarMoradabadi
वफ़ा का ज़िक्र छिड़ा था कि रात बीत गई
अभी तो रंग जमा था कि रात बीत गई
~तैमूर_हसन
Shayari on Wafa
कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद
याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद
~अमीर मीनाई
दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी
~LalChandFalak
वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गया
जिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया
हम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसे
वो यार बा-वफ़ा न सही बेवफ़ा तो है
~जमील_मलिक
ज़िंदगी तू ने तो सच है कि वफ़ा हम से न की
हम मगर ख़ुद तुझे ठुकराएँ, ज़रूरी तो नहीं
~ज़ाहिदा_ज़ैदी
यक़ीं मुझे भी है वो आएँगे ज़रूर मगर
वफ़ा करेगी कहाँ तक कि ज़िंदगी ही तो है
~फ़ारूक़_बाँसपारी
Shayari on Wafa
बला से जाँ का जियाँ हो इस एतिमाद की खैर,
वफ़ा करे न करे फिर भी यार अपना है !! /
दिल को मैं और मुझे दिल महव-ए-वफ़ा रखता है,
किस क़दर ज़ौक़-ए-गिरफ़्तारी-ए-हम है हमको !! -ग़ालिब
मुतमइन हैं बहुत ही दुनिया से
फिर भी कितने उदास हैं कुछ लोग
~अज़ीज़_बानो_************_वफ़ा
मोहब्बत अदावत वफ़ा बे-रुख़ी
किराए के घर थे बदलते रहे
~बशीर_बद्र
क्यूँ किसी से वफ़ा करे कोई
ख़ुद बुरे हों तो क्या करे कोई
~ज़हीर_देहलवी
वफ़ा का ज़िक्र छिड़ा था कि रात बीत गई
अभी तो रंग जमा था कि रात बीत गई
~तैमूर_हसन
उम्र भर कुछ ख़्वाब दिल पर दस्तकें देते रहे
हम कि मजबूर-ए-वफ़ा थे आहटें सुनते रहे
~बक़ा_बलूच
शहरे वफा में धूप का साथी नहीं कोई
सूरज सरों पर आया तो साये भी घट गए
चुप-चाप सुलगता है दिया तुम भी तो देखो
किस दर्द को कहते हैं वफ़ा तुम भी तो देखो
~बशर_नवाज़
मैं तो इस सादगी-ए-हुस्न पे सदक़े,
न जफ़ा आती है जिसको न वफ़ा आती है !! /
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
~मिर्ज़ा ग़ालिब
जब तेरा दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है,
एक समंदर मेरी आँखों से बहा करता है !! /
दौलत से वफ़ा ना-मुम्किन है दौलत पे ज़ियादा नाज़ न कर,
सब ठाट पड़ा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजारा !! -पॉपुलर मेरठी
Shayari on Wafa
दुनिया से वफ़ा कर के सिला ढूँढ रहे हैं
हम लोग भी नादाँ हैं ये क्या ढूँढ रहे हैं
~सुदर्शन_फ़ाकिर
सोचा तुझे देखा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझे
मेरी वफ़ा मेरी ख़ता, तेरी ख़ता कुछ भी नहीं
~बशीर_बद्र
चारों तरफ़ बिखर गईं साँसों की ख़ुशबुएँ
राह-ए-वफ़ा में आप जहाँ भी जिधर गए
दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी
~लाल_चन्द_फ़लक
मैं ने जिन के लिए राहों में बिछाया था लहू
हम से कहते हैं वही अहद-ए-वफ़ा याद नहीं
~SagharSiddiqui
तुझ से वफ़ा न की तो किसी से वफ़ा न की
किस तरह इंतिक़ाम लिया अपने आप से
~HiatAliShayar
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद
अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद
~जिगर_मुरादाबादी
मैं ने दिल दे कर उसे की थी वफ़ा की इब्तिदा
उस ने धोका दे के ये क़िस्सा मुकम्मल कर दिया
~RahatIndori
कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद
याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद
~अमीर_मीनाई
वफ़ा की कौन सी मंज़िल पे उस ने छोड़ा था
कि वो तो याद हमें भूल कर भी आता है
~मोहसिन_नक़वी
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे
तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था
~DaghDehlvi
उदास हो किसी की बेवफ़ाई पर
वफ़ा कहीं तो कर गए हो ख़ुश रहो
~फ़ाज़िल_जमीली
दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी
~Lal Chand Falak
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद
अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद
~JigarMoradabadi
वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
~हसरत_मोहानी
क्या मैं तिरे इस लुत्फ़ के क़ाबिल भी नहीं हूँ
ऐ जान-ए-वफ़ा दिल ही दुखाने के लिए आ
~रम्ज़_आफ़ाक़ी
Shayari on Wafa
कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद
याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद
~AmeerMinai
अब के ठहराई है हम ने भी यही शर्त-ए-वफ़ा
जो भी इस शहर में आए वो सितम-गर हो जाए
~महताब_हैदर_नक़वी
ये वफ़ा की सख़्त राहें, ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक
न लो इंतिक़ाम मुझसे मेरे साथ-साथ चल के
~Khumaar
आप छेड़ें न वफ़ा का क़िस्सा
बात में बात निकल आती है
~DardAsadi
चलो हम भी वफ़ा से बाज़ आए
मोहब्बत कोई मजबूरी नहीं है
~मज़हर_इमाम
मोहब्बत, अदावत, वफ़ा, बे-रुख़ी
किराए के घर थे बदलते रहे
~बशीर_बद्र
Shayari on Wafa
फिर इस दुनिया से उम्मीद-ए-वफ़ा है
तुझे ऐ ज़िंदगी क्या हो गया है
~नरेश_कुमार_शाद
बेवफ़ाई पे तेरी जी है फ़िदा
क़हर होता जो बा-वफ़ा होता
~मीर
वफ़ा कैसी कहाँ का इश्क़ जब सर फोड़ना ठहरा
तो फिर ऐ संग-दिल तेरा ही संग-ए-आस्ताँ क्यूँ हो ~Ghalib
ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक
न लो इंतिक़ाम मुझ से मेरे साथ साथ चल के
~ख़ुमार_बाराबंकवी
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
~ग़ालिब
उस के यूँ तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोई
जी नहीं ये मानता वो बे-वफ़ा पहले से था ~परवीन_शाकिर
हज़ार राहें मुड़ के देखी
कहीं से कोई सदा ना आई
बड़ी वफ़ा से निभाई तुमने
हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई
-गुलज़ार
दुनिया ने किस का राह-ए-वफ़ा में दिया है साथ
तुम भी चले-चलो यूँही जब तक चली चले
~Zauq
शामिल है मेरा ख़ून-ए-जिगर तेरी हिना में
ये कम हो तो अब ख़ून-ए-वफ़ा साथ लिए जा ~Sahir
ये भी तो सज़ा है कि गिरफ़्तार-ए-वफ़ा हूँ
क्यूँ लोग मोहब्बत की सज़ा ढूँढ रहे हैं
-सुदर्शन फ़ाकिर
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे
तुम्हे भी याद है कुछ ये कलाम किसका था
-दाग दहेलवी
हम बेवफा हरगीज न थे
पर हम वफ़ा कर न सके
हमको मिली उसकी सजा
हम जो खता कर ना सके..
-आनंद बक्षी
बिछाये शोख़ के सजदे वफ़ा की राहों में
खड़े हैं दीद की हसरत लिए निगाहों में
कबूल दिल की इबादत हो और तू आये..!
-साहीर
मुझ से तू पूछने आया है वफ़ा के मअ’नी
ये तेरी सादा-दिली मार न डाले मुझ को ~QatilShifai
इस हुस्र-ए-इत्तिफ़ाक पे लुटकर भी शाद हु
तेरी रजा जो थी वो तकाज़ा वफ़ा का था..!
-अहमद नदीम कासमी
हाँ जो जफ़ा भी आप ने की,कायदे से की,
हाँ हम ही काराबंद-ए-उसूल-ए-वफ़ा ना थे।
-फ़ैज अहमद फ़ैज
जो भूले से बचपन में पकड़ी थी तितली
सुरूर-ए-वफ़ा में भी उतरा वही रंग ~इन्दिरावर्मा
~shair ~
ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक
न लो इंतिक़ाम मुझ से मेरे साथ साथ चल के ~KhuBarabankvi
वफ़ा के नाम पे तुम क्यूँ सँभल के बैठ गए
तुम्हारी बात नहीं बात है ज़माने की
Shayari on Wafa
ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं
वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम ~JaunEliya
मुझे मालूम है अहल-ए-वफ़ा पर क्या गुज़रती है
समझ कर सोच कर तुझ से मोहब्बत कर रहा हूँ मैं ~AhmadMushtaq
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद
अब मुझको नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद ~Jigar
यूँ तो हैं बे-शुमार वफ़ा की निशानियाँ
लेकिन हर एक शय से निराले तुम्हारे ख़त ~WasiShah
वफ़ा तुझ से ऐ बे-वफ़ा चाहता हूँ
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ ~Hasart
~shair
ज़िद की है और बात मगर ख़ू बुरी नहीं
भूले से उस ने सैकड़ों वाद़े वफ़ा किए ~Ghalib
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे
तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था ~Daag
उन्हें रंज अब क्यूँ हुआ हम तो ख़ुश हैं
कि मर कर शहीद-ए-वफ़ा हो गए हम ~hasrat
कुछ तो ले काम तग़ाफ़ुल से वफ़ा के पैकर
ये तिरा प्यार कहीं मार न डाले मुझ को ~wafa
नाम ले जब भी वफ़ा का कोई
जाने क्यूँ आँख मिरी भर आए @wafa
कब तक निभाइए बुत-ए-ना-आश्ना के साथ
कीजे वफ़ा कहाँ तलक उस बेवफ़ा के साथ ~wafa
उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने से
कभी गोया किसी में थी ही नहीं ~wafa
तू जफ़ाओं से जो बदनाम किए जाता है
याद आएगी तुझे मेरी वफ़ा मेरे बाद
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद
अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद
अब तुम आए हो तो मैं कौन सी शै नज़्र करो
कि मिरे पास ब-जुज़ मेहर ओ वफ़ा कुछ भी नहीं
दोनों ही बराबर हैं रह-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा में
जब तुम ने वफ़ा की है तो हम ने भी वफ़ा की ~
पाँव छलनी तो वफ़ा घाइल थी
जाने उस मोड़ पे क्या याद आया
करते रहेंगे तुम से मोहब्बत भी वफ़ा भी
गो तुम को मोहब्बत न वफ़ा याद रहेगी
कोई पुरसाँ नहीं पीर-ए-मुग़ाँ का
फ़क़त मेरी वफ़ा है और मैं हूँ
की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं
होती आई है कि अच्छों को बुरा कहते हैं
ये अदा-ए-बे-नियाज़ी तुझे बे-वफ़ा मुबारक
मगर ऐसी बे-रुख़ी क्या के सलाम तक न पहुँचे
Shakeel Badayuni
किसी बे-वफ़ा की ख़ातिर ये जुनूँ ‘फ़राज़’ कब तक
जो तुम्हें भुला चुका है उसे तुम भी भूल जाओ
ahmad ‘faraz’
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Wafa Shayari in Hindi Roman
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wafa shayari in hindi
ulfat mein barabar hai wafa ho ki jafa ho
har bat mein lazzat hai agar dil mein maza ho
~amir minai
kyoon kisi se wafa kare koi
dil na mane to kya kare koi
~yagana changezi
dhoondh ujade hue logon mein wafa ke moti
ye khazane tujhe mumakin hai kharabon mein milen
~ahamad faraz
kyoon pasheman ho agar vada wafa ho na saka
kahin vade bhi nibhane ke lie hote hain
~ibarat machhalishahari
is zindagi ne sath kisi ka nahin diya
kis bewafa se tujh ko tamanna wafa ki hai
~makhafi badayooni
wafa tum se karenge, dukh sahenge, naz uthaenge
jise ata hai dil dena use har kam ata hai
~arazoo lakhanavi
wafa shayari in hindi
ye wafa ki sakht rahen ye tumhare panv nazuk
na lo intiqam mujh se mere sath sath chal ke
~khumar barabankavi
unhon ne kya na kiya aur kya nahin karate
hazar kuchh ho magar ik wafa nahin karate
~muztar_khairabadi
ham ko un se wafa ki hai ummid
jo nahin janate wafa kya hai
~mirza galib
saza ye di hai ki ankhon se chhin lin ninden
qusoor ye tha ki jine ke khvab dekhe the
kisi ne ret ke toofan mein la ke chhod diya
ye jurm tha ki wafa ke sarab dekhe the ”
~amir usmani
dil se nikalegi na mar kar bhi vatan ki ulfat
meri mitti se bhi khushaboo-e-wafa aegi
~shahaiaid bhagat singh
wafa shayari in hindi
mujhe wafa ki talab hai magar har ik se nahin
koi mile magar us yar-e-bewafa ki tarah
~ahamad faraz
ishq paband-e-wafa hai na ki paband-e-rusoom
sar jhukane ko nahin kahate hain, sajda karana
wafa ka ahad tha, dil ko sanbhalane ke lie
vo hans pade, mujhe mushkil mein dalane ke lie
~ehasan_danish
zindagi too ne to sach hai ki wafa ham se na ki
ham magar khud tujhe thukaraen zaroori to nahin
~zahida zaidi
ulfat mein barabar hai wafa ho ki jafa ho
har bat mein lazzat hai, agar dil mein maza ho
~amir minai
chup-chap sulagata hai diya, tum bhi to dekho
kis dard ko kahate hain wafa, tum bhi to dekho
~bashar navaz
vo kahate hain har chot par muskurao
wafa yad rakkho sitam bhool jao
-kalaiaim ajiz
wafa tujh se ai bewafa chahata hoon
meri sadagi dekh kya chahata hoon
~hasratmohani
wafa tum se karenge dukh sahenge naz uthaenge
jise ata hai dil dena, use har kam ata hai
~arazoo_lakhanavi
duniya ke sitam yad na apani hi wafa yad
ab mujh ko nahin kuchh bhi mohabbat ke siva yad
~jigarmoradabadi
wafa ka zikr chhida tha ki rat bit gai
abhi to rang jama tha ki rat bit gai
~taimoor_hasan
wafa shayari in hindi
kaun uthaega tumhari ye jafa mere bad
yad aegi bahut meri wafa mere bad
~amir minai
dil se nikalegi na mar kar bhi vatan ki ulfat
meri mitti se bhi khushaboo-e-wafa aegi
~lalchhandfalak
wafa jis se ki bewafa ho gaya
jise but banaya khuda ho gaya
ham se koi talluq-e-khatir to hai use
vo yar ba-wafa na sahi bewafa to hai
~jamil_malik
zindagi too ne to sach hai ki wafa ham se na ki
ham magar khud tujhe thukaraen, zaroori to nahin
~zahida_zaidi
yaqin mujhe bhi hai vo aenge zaroor magar
wafa karegi kahan tak ki zindagi hi to hai
~farooq_bansapari
wafa shayari in hindi
bala se jan ka jiyan ho is etimad ki khair,
wafa kare na kare fir bhi yar apana hai !! /
dil ko main aur mujhe dil mahav-e-wafa rakhata hai,
kis qadar zauq-e-giraftari-e-ham hai hamako !! -galib
mohabbat adavat wafa be-rukhi
kirae ke ghar the badalate rahe
~bashir_badr
kyoon kisi se wafa kare koi
khud bure hon to kya kare koi
~zahir_dehalavi
wafa ka zikr chhida tha ki rat bit gai
abhi to rang jama tha ki rat bit gai
~taimoor_hasan
umr bhar kuchh khvab dil par dastaken dete rahe
ham ki majaboor-e-wafa the ahaten sunate rahe
~baqa_balooch
shahare vafa mein dhoop ka sathi nahin koi
sooraj saron par aya to saye bhi ghat gae
chup-chap sulagata hai diya tum bhi to dekho
kis dard ko kahate hain wafa tum bhi to dekho
~bashar_navaz
main to is sadagi-e-husn pe sadaqe,
na jafa ati hai jisako na wafa ati hai !! /
ham ko un se wafa ki hai ummid
jo nahin janate wafa kya hai
~mirza galib
jab tera dard mere sath wafa karata hai,
ek samandar meri ankhon se baha karata hai !! /
daulat se wafa na-mumkin hai daulat pe ziyada naz na kar,
sab that pada rah jaega jab lad chalega banjara !! -popular merathi
wafa shayari in hindi
duniya se wafa kar ke sila dhoondh rahe hain
ham log bhi nadan hain ye kya dhoondh rahe hain
~sudarshan_fakir
socha tujhe dekha tujhe chaha tujhe pooja tujhe
meri wafa meri khata, teri khata kuchh bhi nahin
~bashir_badr
charon taraf bikhar gain sanson ki khushabuen
rah-e-wafa mein ap jahan bhi jidhar gae
dil se nikalegi na mar kar bhi vatan ki ulfat
meri mitti se bhi khushaboo-e-wafa aegi
~lal_chand_falak
main ne jin ke lie rahon mein bichhaya tha lahoo
ham se kahate hain vahi ahad-e-wafa yad nahin
~sagharsiddiqui
tujh se wafa na ki to kisi se wafa na ki
kis tarah intiqam liya apane ap se
~hi
**************
duniya ke sitam yad na apani hi wafa yad
ab mujh ko nahin kuchh bhi mohabbat ke siva yad
~jigar_muradabadi
main ne dil de kar use ki thi wafa ki ibtida
us ne dhoka de ke ye qissa mukammal kar diya
~rahatindori
kaun uthaega tumhari ye jafa mere bad
yad aegi bahut meri wafa mere bad
~amir_minai
wafa ki kaun si manzil pe us ne chhoda tha
ki vo to yad hamen bhool kar bhi ata hai
~mohasin_naqavi
wafa karenge nibahenge bat manenge
tumhen bhi yad hai kuchh ye kalam kis ka tha
~daghdaihlvi
udas ho kisi ki bewafai par
wafa kahin to kar gae ho khush raho
~fazil_jamili
dil se nikalegi na mar kar bhi vatan ki ulfat
meri mitti se bhi khushaboo-e-wafa aegi
~lal chhand falak
duniya ke sitam yad na apani hi wafa yad
ab mujh ko nahin kuchh bhi mohabbat ke siva yad
~jigarmoradabadi
wafa tujh se ai bewafa chahata hoon
miri sadagi dekh kya chahata hoon
~hasarat_mohani
kya main tire is lutf ke qabil bhi nahin hoon
ai jan-e-wafa dil hi dukhane ke lie a
~ramz_afaqi
shayari on waf
kaun uthaega tumhari ye jafa mere bad
yad aegi bahut meri wafa mere bad
~amaiairminai
ab ke thaharai hai ham ne bhi yahi shart-e-wafa
jo bhi is shahar mein ae vo sitam-gar ho jae
~mahatab_haidar_naqavi
ye wafa ki sakht rahen, ye tumhare panv nazuk
na lo intiqam mujhase mere sath-sath chal ke
~khumar
ap chheden na wafa ka qissa
bat mein bat nikal ati hai
~dardasadi
chalo ham bhi wafa se baz ae
mohabbat koi majaboori nahin hai
~mazahar_imam
mohabbat, adavat, wafa, be-rukhi
kirae ke ghar the badalate rahe
~bashir_badr
shayari on waf
fir is duniya se ummid-e-wafa hai
tujhe ai zindagi kya ho gaya hai
~naresh_kumar_shad
bewafai pe teri ji hai fida
qahar hota jo ba-wafa hota
~mir
wafa kaisi kahan ka ishq jab sar fodana thahara
to fir ai sang-dil tera hi sang-e-astan kyoon ho ~ghalib
ye wafa ki sakht rahen ye tumhare panv nazuk
na lo intiqam mujh se mere sath sath chal ke
~khumar_barabankavi
ham ko un se wafa ki hai ummid
jo nahin janate wafa kya hai
~galib
us ke yoon tark-e-mohabbat ka sabab hoga koi
ji nahin ye manata vo be-wafa pahale se tha ~paravin_shakir
hazar rahen mud ke dekhi
kahin se koi sada na ai
badi wafa se nibhai tumane
hamari thodi si bewafai
-gulazar
duniya ne kis ka rah-e-wafa mein diya hai sath
tum bhi chale-chalo yoonhi jab tak chali chale
~zauq
shamil hai mera khoon-e-jigar teri hina mein
ye kam ho to ab khoon-e-wafa sath lie ja ~sahir
ye bhi to saza hai ki giraftar-e-wafa hoon
kyoon log mohabbat ki saza dhoondh rahe hain
-sudarshan fakir
wafa karenge nibahenge bat manenge
tumhe bhi yad hai kuchh ye kalam kisaka tha
-dag dahelavi
ham bevafa haragij na the
par ham wafa kar na sake
hamako mili usaki saja
ham jo khata kar na sake..
-anand bakshi
bichhaye shokh ke sajade wafa ki rahon mein
khade hain did ki hasarat lie nigahon mein
kabool dil ki ibadat ho aur too aye..!
-sahir
mujh se too poochhane aya hai wafa ke mani
ye teri sada-dili mar na dale mujh ko ~qatilshifai
is husr-e-ittifak pe lutakar bhi shad hu
teri raja jo thi vo takaza wafa ka tha..!
-ahamad nadim kasami
han jo jafa bhi ap ne ki,kayade se ki,
han ham hi karaband-e-usool-e-wafa na the.
-faij ahamad faij
jo bhoole se bachapan mein pakadi thi titali
suroor-e-wafa mein bhi utara vahi rang ~indiravarma
~shair ~
ye wafa ki sakht rahen ye tumhare panv nazuk
na lo intiqam mujh se mere sath sath chal ke ~khubarabankvi
wafa ke nam pe tum kyoon sanbhal ke baith gae
tumhari bat nahin bat hai zamane ki
shayari on waf
ye kafi hai ki ham dushman nahin hain
wafa-dari ka dava kyoon karen ham ~jaunailiy
mujhe maloom hai ahal-e-wafa par kya guzarati hai
samajh kar soch kar tujh se mohabbat kar raha hoon main ~ahmadmushtaq
duniya ke sitam yad na apani hi wafa yad
ab mujhako nahin kuchh bhi mohabbat ke siva yad ~jigar
yoon to hain be-shumar wafa ki nishaniyan
lekin har ek shay se nirale tumhare khat ~wasishah
wafa tujh se ai be-wafa chahata hoon
meri sadagi dekh kya chahata hoon ~hasart
~shair
zid ki hai aur bat magar khoo buri nahin
bhoole se us ne saikadon vade wafa kie ~ghalib
wafa karenge nibahenge bat manenge
tumhen bhi yad hai kuchh ye kalam kis ka tha ~dag
unhen ranj ab kyoon hua ham to khush hain
ki mar kar shahid-e-wafa ho gae ham ~hasrat
kuchh to le kam tagaful se wafa ke paikar
ye tira pyar kahin mar na dale mujh ko ~waf
nam le jab bhi wafa ka koi
jane kyoon ankh miri bhar ae @waf
kab tak nibhaie but-e-na-ashna ke sath
kije wafa kahan talak us bewafa ke sath ~waf
ud gai yoon wafa zamane se
kabhi goya kisi mein thi hi nahin ~waf
too jafaon se jo badanam kie jata hai
yad aegi tujhe meri wafa mere bad
duniya ke sitam yad na apani hi wafa yad
ab mujh ko nahin kuchh bhi mohabbat ke siva yad
ab tum ae ho to main kaun si shai nazr karo
ki mire pas ba-juz mehar o wafa kuchh bhi nahin
donon hi barabar hain rah-e-ishq-o-wafa mein
jab tum ne wafa ki hai to ham ne bhi wafa ki ~
panv chhalani to wafa ghail thi
jane us mod pe kya yad aya
karate rahenge tum se mohabbat bhi wafa bhi
go tum ko mohabbat na wafa yad rahegi
koi purasan nahin pir-e-mugan ka
faqat meri wafa hai aur main hoon
ki wafa ham se to gair is ko jafa kahate hain
hoti ai hai ki achchhon ko bura kahate hain
ye ada-e-be-niyazi tujhe be-wafa mubarak
magar aisi be-rukhi kya ke salam tak na pahunche
shakaiail badayuni
kisi be-wafa ki khatir ye junoon faraz kab tak
jo tumhen bhula chuka hai use tum bhi bhool jao
ahmad faraz
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