Welcome Shayari स्वागत शायरी
Welcome Shayari Swagat Shayari :- दोस्तों शायरी के इस खास पेज पर हम आपके लिए आज स्वागत शायरी, वेलकम शायरी पेश कर रहे हैं, आप अक्सर अपने घर पर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बुलाते होंगे…मेहमान नवाजी करते होंगे ….या आप अपने बर्थडे या और किसी मौके पर अपने दोस्तों को बुलाने के लिए निमंत्रण भेजते होंगे ऐसे ही मौके पर आप अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए इन स्वागत शायरी welcome शायरी का इस्तेमाल कर सकते हैं..आप इन्हें आमद शायरी, खुश आमदीद शायरी, आपके आने से शायरी, आप आये शायरी या मेहमान शायरी कुछ भी नाम दे सकते हैं.
अपने मेहमानों को बुलाने के लिए आप इन स्वागत शायरी और वेलकम शायरी सन्देश भेज सकते हैं.
ये दो लाइनों की स्वागत शायरी और वेलकम शायरी इंतनी खुबसूरत है की इसमें सभी भावनाओं का संगम हैं, आपके इस स्वागत सन्देश शायरी या वेलकम शायरी को पढ़कर ही आपके मेहमान खुश हो जायेंगे.
अगर आप को यह वेलकम शायरी अच्छी लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर अवश्य करें …
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मतलब तिरी आमद से है दरमाँ से नहीं है
‘हसरत’ की क़सम दिल ही दुखाने के लिए आ
~HasratJaipuri
मुबारक शाम की आमद मुबारक
यह किसी की याद ले कर आ रही है
~ज़िया_ज़मीर
ये किस बहिश्त-शमाइल की आमद आमद है
कि ग़ैर-ए-जल्वा-ए-गुल रहगुज़र में ख़ाक नहीं
आमद है किसी की कि गया कोई इधर से,
क्यूँ सब तरफ़-ए-राहगुज़र देख रहे हैं !
आमद से पहले तेरी सजाते कहाँ से फूल,
मौसम बहार का तो तेरे साथ आया है !!
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उनकी वो आमद-आमद अपना यहाँ ये आलम,
इक रंग जा रहा है, इक रंग आ रहा है !!
आप आये तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
कितने भूले हुए ज़ख्मों का पता याद आया
कभी दिल कभी धड़कन कभी नज़रें कभी लब
हर चीज मुस्कुराने लग जाती है आपके आने की खबर से…
इंतज़ार है हमे आपके आने का
वो नज़रे मिला के नज़रे चुराने का
मत पूछ ए_सनम दिल का आलम क्या है
इंतज़ार है बस तुझमे ~सिमट जाने का
यू तो बंजर सा था मेरा आशियाँ
महफ़िल आपके आने से सजी
Welcome Shayari Swagat Shayari for Friends
दिल को था आपका बेसबरी से इंतजार!
पलके भी थी आपकी एक झलक को बेकरार!
आपके आने से आयी है कुछ ऐसी बहार!
कि दिल बस मांगे आपके लिये खुशियाँ बेशुमार!
हर वक्त आपके आने की आस रहती है
हर पल आपसे मिलने की प्यास रहती है
सब कुछ है। बस यहाँ आप नही
इसलिए शायद ये जिंदगी उदास रहती है)
वफाओं में मेरी इतना असर आये
जिन्हें ढूंढती है नजरें
वह नजर आये
हम आ जायेंगे पलक झुकने से पहले
आपने याद किया ये खबर आये
हसरतों से आपकी राह सजा देंगे
कोई फूल नहीं आज मेरे दामन में
लेकिन आपके आने पर पलकें बिछा देंगे
दिलको है बेसबरी से इंतजार
निगाहे भी है
आपकी झलक को बेकरार
आपके आनेसे आयेगी ऐसी बहार
कि छायेगी सबके
दिलोमे खुशिया बेशुमार
हर कोशिश जारी मेरी तुम्हें मनाने की
रक्खी तैयारी लूट जाने की
अब देर है बस आपके आने की….
आपके आने से हुई है ये जिन्दगी रंगीन
पाकर आपका नूरानी दीदार
हर सुबह शाम हो गई है हसीन
आपके आने से जिदंगी खूबसूरत है,
हर कदम पर हमको आपकी जरूरत है
आपके आने की खुशी कैसे करूं मैं ब्यां,
बस इतना जान लो अब रोशन है मेरा सारा जहां
मस्त मस्त मयकदा है, मस्तियों की शाम है,
आपके आने से हुई खुशियों की बरसात है ।।
आपके आने से आई जो खुशिया
कैसे उन्हे हम बताए
हम हर्शाए, हम इतराए
मिलकर सभी गुनगुनाए
Welcome Shayari Swagat Shayari for all
आपके आने की खबर से रात भर घर का दरवाजा खुला रखा,
यादो ने आपकी इतना बेचैन किया,
न नींद आयी, कभी तकिया इधर, कभी उधर रखा
मौत का आना तो तय है मौत आएगी मगर,
आपके आने से थोड़ी ज़िन्दगी बढ़ जाएगी !
आपके आने से जिंदगी खूबसूरत है,
दिल में बसाई है जो वह आपकी ही सूरत है,
क्या बतायें कि क्या होता है आपके आने से
बहार भी आ जाती है आपके आने से
फूल भी खिल जाते हैं आपकी आहट से
हर सुबह होती है आपके ही मुस्कुराने से
क्या मांगू खुदा से गुरुवर तुम्हे पाने के बाद,
किसका करू इंतजार जिंदगी में आपके आने के बाद
हो कर खफा न प्यारमें,कांटे बिछाइये
पहलू में बैठ प्यार के,नगमे सुनाइये
हम मुन्तजिर हैं आपके आने के आजभी,इस साजेदिल को छेडिये,कुछ गुनगुनाइये
आपके आने से आज ये शाम खास हो गयी..
सारे दिन की बोरियत झक्क्कास हो गयी.
आपके आने का शुक्रिया ,
कुछ पल साथ बिताने का शुक्रिया….
सपने दिखाने का शुक्रिया,
और उनहे तोड़ के चले जानेका भी शुक्रिया…
आपका आना, बहारों का आना !
आपका जाना, गुलशन का उजड़ जाना !
हमने कभी दोस्ती को जाना न होता,
अगर हमारी ज़िन्दगी में आपका आना न होता,
युही अकेले गुज़ार देते ज़िन्दगी को,
अगर आपको अपना दोस्त माना न होता…
इंतज़ार मेरी ?उम्र से लंबा हो शायद,
आपका आना इस मर्ज़ की दवा हो शायद।
आपका आना…दिल धडकाना …
मेहंदी लगा यूँ शर्माना…
प्यार आ गया रे…
प्यार आ गया..
आपसे होती मुनव्वर,मेरी कायनात है
आप हों गर साथ तो, फिर रात भी कब रात है
आपका आना हमारे वास्ते सौगात है
आज या तो ईद है,या फिर शबे-बारात है
दोस्तों के बिना यह शाम अधूरी है ,
इसलिए आपका आना जरूरी है |
Welcome Shayari
हमसे मिलने का कभी तो तुम इरादा रखो
मुहब्बत से मुहब्बत का मिलन सादा रखो
चले आओ वक्त से वक़्त चुराकर ज़रा सा
तुम आओगे ज़रुर… हमसे ये वादा करो।
काश…. हो कुछ एेसा इत्तेफाक….!!
तुम रास्ता भूलो और मुझ तक चले आओ….!!
लोग देखेगे हमे ~मोहब्बत करते तो सौ बाते बना देंगे।
तुम यू मेरे दिल मे चले आओ कि किसी को आहट भी ना हो।
चले आओ ना अब, कहाँ गुम हो,,
कितनी बार कहूँ ,मेरे दर्द की दवा तुम हो।
कब कहा मैंने कि मुझको…….चाँद लाकर दो..
तुम ख़ुद चले आओ तो…दीदार-ए-चाँद पूरा हो…
दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
चले आओ जहाँ तक रौशनी मालूम होती है
~नुशूर वाहिदी –
संभाले नहीं संभलता है दिल,
मोहब्बत की तपिश से न जलाओ,
इश्क तलबगार है तुम्हारा चले आओ,
अब ज़माने के बहाने न बनाओ।
खामोशी ने मेरी पुकारा है तुम्हें…….!!
कोई हसीं शाम बनकर ही चले आओ….!!
लोग देखेंगे तो अफसाना बना डालेंगे|
यूँ मेरे दिल में चले आओ के आहट भी न हो।।
सावन के झूले पड़े,तुम चले आओ,
तुम चले आओ, तुम चले आओ…
बहुत आरजू है… इन आंखो को… तेरा ख्वाब देखने की,
कभी तो… इनका मान रखने… सपनो मे चले आओ…!
बहा ले जाती है तुम्हारी
याद मुझे कहाँ से कहाँ तक
कभी तुम भी चले आओ
मेरे ठिकाने तक….
वो मेहमाँ रहे भी तो कब तक हमारे
हुयी शम्मा गुल और डूबे सितारे,
‘क़मर’ इस क़दर उन को जल्दी थी घर की
वो घर चल दिये चाँदनी ढलते ढलते !! -क़मर जलालवी
मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किये हुए,
जोश-ए-क़दह से बज़्म-ए-चिराग़ां किये हुए !!
बहुत से लोग थे मेहमान मेरे घर लेकिन
वो जानता था कि है एहतिमाम किस के लिए
~परवीन_शाकिर
दिल में फिर वस्ल के अरमान चले आते हैं
मेरे रूठे हुए मेहमान चले आते हैं
~बेख़ुद देहलवी
हम बुलाते वो तशरीफ़ लाते रहे
ख़्वाब में ये करामात होती रही
कल रात दिखा के ख़्वाब-ए-तरब जो सेज को सूना छोड़ गया
हर सिलवट से फिर आज उसी मेहमान की ख़ुश्बू आती है ।
-कतील शिफ़ाई
लाख परायोंसे परिचित है
मेल-मोहब्बत का अभिनय है,
जिनके बिन जग सूना सूना
मन के वे मेहमान कहाँ हैं?
-शैलेंद्र
कब वो आएँगे इलाही मिरे मेहमाँ हो कर
कौन दिन कौन बरस कौन महीना होगा
मैं किस तरह उसे मेहमान-सा विदा करता
कि मेरे घर तो उसे बार-बार आना था…!
काफ़ी नहीं ख़ुतूत किसी बात के लिए
तशरीफ़ लाइएगा मुलाक़ात के लिए
इंतेज़ार है आपका आज भी
ज़रा दस्तक तो दीजिए
वजह हो या बेवजह
ज़रा हमारे dm में तशरीफ़ तो लाइये
जो कुछ हो सुनाना उसे बेशक़ सुनाइये
तकरीर ही करनी हो कहीं और जाइये
याँ महफ़िले-सुखन को सुखनवर की है तलाश
गर शौक आपको भी है तशरीफ़ लाइये।
Swagat Shayari
बहोत कर चुके तस्वीरों में दीदार
हो सके तो अब हुजूर रूबरू तशरीफ़ भी लाइये
शोख़ी के रंग शौक़ के अरमाँ लिए हुए,
बाद-ए-ख़िज़ाँ में मुंतज़िर*-ए-बहार गुलमोहर !!
साल, पर साल, और फिर इस साल
मुंतज़िर हम थे मुंतज़िर हम हैं
~शमीम अब्बास
कहाँ ख़्वाहिशों की ज़मीन पर झुकते हैं रोज़ आसमाँ,
मुंतज़िर* हैं ये हादसे भी गिरते सितारों की चाल के !
अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ
शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या
दिल-ए-मुंतज़िर के आगे ख़िज़ाँ की बिसात क्या,
हसरत ही से गुलज़ार है वीराना किसी का !
सारे मौसम थे ख़फा अब सर पे है अब्र-ए-रवाँ*,
उठ निगाह-ए-मुंतज़िर ये है वक़्त इंतिक़ाम^ का !
निगाहें मुंतज़िर हैं किस की दिल को जुस्तुजू क्या है
मुझे ख़ुद भी नहीं मालूम मेरी आरज़ू क्या है
~अख़्तर सईद ख़ान
मुंतज़िर जिसके लिए हम हैं कई सदियों से
जाने किस दौर में वो शख़्स हमारा होगा
मुंतज़िर कौन है किस का ये उसे क्या मालूम
उस की मंज़िल है वही जो भी जहाँ रह जाए
~प्रेम कुमार नज़र
अल्लाह बोलते नहीं तो मुस्कुरा ही दो,
मैं कब से मुंतज़िर हूँ तुम्हारे ~जवाब का !! -अंदलीब शादानी
हवाएँ ज़ोर की चलती थीं हंगामा बला का था
मैं सन्नाटे का पैकर मुन्तज़िर तेरी सदा का था
बंद सीपियों में हूँ मुंतज़िर हूँ बारिश का
मैं तुम्हारी आँखों के पानियों में ज़िंदा हूँ
Welcome Shayari Swagat Shayari Hinglish
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matalab tiri amad se hai daraman se nahin hai
hasarat ki qasam dil hi dukhane ke lie a
~hasratjaipuri
mubarak sham ki amad mubarak
yah kisi ki yad le kar a rahi hai
~ziya_zamir
ye kis bahisht-shamail ki amad amad hai
ki gair-e-jalva-e-gul rahaguzar mein khak nahin
amad hai kisi ki ki gaya koi idhar se,
kyoon sab taraf-e-rahaguzar dekh rahe hain !
amad se pahale teri sajate kahan se fool,
mausam bahar ka to tere sath aya hai !!
unaki vo amad-amad apana yahan ye alam,
ik rang ja raha hai, ik rang a raha hai !!
ap aye to khayal-e-dil-e-nashad aya
kitane bhoole hue zakhmon ka pata yad aya
kabhi dil kabhi dhadakan kabhi nazaren kabhi lab
har chij muskurane lag jati hai apake ane ki khabar se…
intazar hai hame apake ane ka
vo nazare mila ke nazare churane ka
mat poochh e_sanam dil ka alam kya hai
intazar hai bas tujhame ~simat jane ka
yoo to banjar sa tha mera ashiyan
mahafil apake ane se saji
dil ko tha apaka besabari se intajar!
palake bhi thi apaki ek jhalak ko bekarar!
apake ane se ayi hai kuchh aisi bahar!
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har vakt apake ane ki as rahati hai
har pal apase milane ki pyas rahati hai
sab kuchh hai. bas yahan ap nahi
isalie shayad ye jindagi udas rahati hai)
vafaon mein meri itana asar aye
jinhen dhoondhati hai najaren
vah najar aye
ham a jayenge palak jhukane se pahale
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hasaraton se apaki rah saja denge
koi fool nahin aj mere daman mein
lekin apake ane par palaken bichha denge
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bas itana jan lo ab roshan hai mera sara jahan
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apake ane se aj ye sham khas ho gayi..
sare din ki boriyat jhakkkas ho gayi.
apake ane ka shukriya ,
kuchh pal sath bitane ka shukriya….
sapane dikhane ka shukriya,
aur unahe tod ke chale janeka bhi shukriya…
apaka ana, baharon ka ana !
apaka jana, gulashan ka ujad jana !
hamane kabhi dosti ko jana na hota,
agar hamari zindagi mein apaka ana na hota,
yuhi akele guzar dete zindagi ko,
agar apako apana dost mana na hota…
intazar meri ?umr se lamba ho shayad,
apaka ana is marz ki dava ho shayad.
apaka ana…dil dhadakana …
mehandi laga yoon sharmana…
pyar a gaya re…
pyar a gaya..
apase hoti munavvar,meri kayanat hai
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hamase milane ka kabhi to tum irada rakho
muhabbat se muhabbat ka milan sada rakho
chale ao vakt se vaqt churakar zara sa
tum aoge zarur… hamase ye vada karo.
kash…. ho kuchh isa ittefak….!!
tum rasta bhoolo aur mujh tak chale ao….!!
log dekhege hame ~mohabbat karate to sau bate bana denge.
tum yoo mere dil me chale ao ki kisi ko ahat bhi na ho.
chale ao na ab, kahan gum ho,,
kitani bar kahoon ,mere dard ki dava tum ho.
kab kaha mainne ki mujhako…….chand lakar do..
tum khud chale ao to…didar-e-chand poora ho…
diya khamosh hai lekin kisi ka dil to jalata hai
chale ao jahan tak raushani maloom hoti hai
~nushoor vahidi –
sambhale nahin sambhalata hai dil,
mohabbat ki tapish se na jalao,
ishk talabagar hai tumhara chale ao,
ab zamane ke bahane na banao.
khamoshi ne meri pukara hai tumhen…….!!
koi hasin sham banakar hi chale ao
log dekhenge to afasana bana dalenge|
yoon mere dil mein chale ao ke ahat bhi na ho..
savan ke jhoole pade,tum chale ao,
tum chale ao, tum chale ao…
bahut arajoo hai… in ankho ko… tera khvab dekhane ki,
kabhi to… inaka man rakhane… sapano me chale ao…!
baha le jati hai tumhari
yad mujhe kahan se kahan tak
kabhi tum bhi chale ao
mere thikane tak….
vo mehaman rahe bhi to kab tak hamare
huyi shamma gul aur doobe sitare,
‘qamar’ is qadar un ko jaldi thi ghar ki
vo ghar chal diye chandani dhalate dhalate !! -qamar jalalavi
muddat hui hai yar ko mehaman kiye hue,
josh-e-qadah se bazm-e-chiragan kiye hue !!
bahut se log the mehaman mere ghar lekin
vo janata tha ki hai ehatimam kis ke lie
~paravin_shakir
dil mein fir vasl ke araman chale ate hain
mere roothe hue mehaman chale ate hain
~bekhud dehalavi
ham bulate vo tasharif late rahe
khvab mein ye karamat hoti rahi
kal rat dikha ke khvab-e-tarab jo sej ko soona chhod gaya
har silavat se fir aj usi mehaman ki khushboo ati hai .
-katil shifai
lakh parayonse parichit hai
mel-mohabbat ka abhinay hai,
jinake bin jag soona soona
man ke ve mehaman kahan hain?
-shailendr
kab vo aenge ilahi mire mehaman ho kar
kaun din kaun baras kaun mahina hoga
main kis tarah use mehaman-sa vida karata
ki mere ghar to use bar-bar ana tha…!
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jo kuchh ho sunana use beshaq sunaiye
takarir hi karani ho kahin aur jaiye
yan mahafile-sukhan ko sukhanavar ki hai talash
gar shauk apako bhi hai tasharif laiye.
bahot kar chuke tasviron mein didar
ho sake to ab hujoor roobaroo tasharif bhi laiye
shokhi ke rang shauq ke araman lie hue,
bad-e-khizan mein muntazir*-e-bahar gulamohar !!
sal, par sal, aur fir is sal
muntazir ham the muntazir ham hain
~shamim abbas
kahan khvahishon ki zamin par jhukate hain roz asaman,
muntazir* hain ye hadase bhi girate sitaron ki chal ke !
ab kaun muntazir hai hamare lie vahan
sham a gai hai laut ke ghar jaen ham to kya
dil-e-muntazir ke age khizan ki bisat kya,
hasarat hi se gulazar hai virana kisi ka !
sare mausam the khafa ab sar pe hai abr-e-ravan*,
uth nigah-e-muntazir ye hai vaqt intiqam^ ka !
nigahen muntazir hain kis ki dil ko justujoo kya hai
mujhe khud bhi nahin maloom meri arazoo kya hai
~akhtar said khan
muntazir jisake lie ham hain kai sadiyon se
jane kis daur mein vo shakhs hamara hoga
muntazir kaun hai kis ka ye use kya maloom
us ki manzil hai vahi jo bhi jahan rah jae
~prem kumar nazar
allah bolate nahin to muskura hi do,
main kab se muntazir hoon tumhare ~javab ka !! -andalib shadani
havaen zor ki chalati thin hangama bala ka tha
main sannate ka paikar muntazir teri sada ka tha
band sipiyon mein hoon muntazir hoon barish ka
main tumhari ankhon ke paniyon mein zinda hoon