ग़ालिब शायरी – मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी 125 बेस्ट शेर

Ghalib Shayari : – महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब को कौन नहीं जानता, अपने इंतकाल के 150 वर्ष बाद, आज भी ग़ालिब भारत के सबसे प्रसिद्ध शायर हैं, ग़ालिब शायरी आज भी बच्चे बच्चे की जुबान पर है, वेसे तो मिर्ज़ा ग़ालिब आखिरी मुग़ल सुल्तान बहादुर शाह ज़फर के दरबारी शायर थे पर ग़ालिब और ग़ालिब के शेर उनके जीवन कल में और आज तक आम जनता में खूब शौक से पढ़े जाते हैं. ग़ालिब की शायरी हिंदी, उर्दू और फारसी ज़बान में है, शुरू में मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर बहुत मुश्किल हुआ करते थे और वह विद्वानों के भी समझ में नहीं आते थे पर बाद में मिर्ज़ा ग़ालिब ने आम फहम ज़बान में शायरी की और बहुत लोकप्रिय शायर हो गए, ग़ालिब की शायरी में प्यार, दर्द, जुदाई, गम, इश्क, मय शराब, खुदी, खुदा, रूह सबका बेहतरीन ज़िक्र मिलता है.

आपके लिए हम यहाँ मिर्ज़ा ग़ालिब के कुछ प्रसिद्ध और सबसे बेहतरीन शेर पेश कर रहे हैं.. उम्मीद है की आपको यह Ghalib shayari on love पसंद आएगी. यहाँ हमें 125 से भी ज्यादा मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर पेश कर रहे हैं ताकि आप आसानी से पढ़ सके.. Ghalib Poetry का यह पेज आप अपने दोस्तों को ज़रूर शेयर करें, दूसरी वेब्सईट्स पर mirza ghalib shayari in hindi 2 lines हिंदी फॉण्ट में नहीं दी गयी है .इसीलिए हमने यहाँ मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी hindi font में प्रस्तुत की है.

 

मिर्ज़ा ग़ालिब की जीवनी आप यहाँ पढ़ सकते हैं

All Topics of Hindi Shayari

Mirza Ghalib Shayari

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‘ग़ालिब’ बुरा न मान जो वाइ’ज़ बुरा कहे
ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे …

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है !!

जो कुछ है महव-ए-शोख़ी-ए-अबरू-ए-यार है,
आँखों को रख के ताक़ पे देखा करे कोई !!

फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ !!

इन आबलों से पाँव के घबरा गया था मैं,
जी ख़ुश हुआ है राह को पुर-ख़ार देख कर !!

‏मुहब्बत में उनकी अना का पास रखते हैं,
हम जानकर अक्सर उन्हें नाराज़ रखते हैं !!

चाहें ख़ाक में मिला भी दे किसी याद सा भुला भी दे,
महकेंगे हसरतों के नक़्श* हो हो कर पाएमाल^ भी !!

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा
जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा

जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन,
बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए !!
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फिर देखिए अंदाज़-ए-गुल-अफ़्शानी-ए-गुफ़्तार,
रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा मिरे आगे !!

क़ासिद के आते आते ख़त इक और लिख रखूँ,
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में !!
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है एक तीर जिस में दोनों छिदे पड़े हैं
वो दिन गए कि अपना दिल से जिगर जुदा था

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नसीहत के कुतुब-ख़ाने* यूँ तो दुनिया में भरे हैं,
ठोकरें खा के ही अक्सर बंदे को अक़्ल आई है !!

ये फ़ित्ना आदमी की ख़ाना-वीरानी को क्या कम है
हुए तुम दोस्त जिस के दुश्मन उस का आसमाँ क्यूँ हो

कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता

ता फिर न इंतिज़ार में नींद आए उम्र भर,
आने का अहद कर गए आए जो ख़्वाब में !! –

क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाए क्यूँ

हम महव-ए-चश्म-ए-रंगीं-ए-जवाब* हुए हैं जबसे,
शौक़-ए-दीदार हुआ जाता है हर सवाल का रंग !!

जिस ज़ख़्म की हो सकती हो तदबीर रफ़ू की,
लिख दीजियो या रब उसे क़िस्मत में अदू की !!

हर रंज में ख़ुशी की थी उम्मीद बरक़रार,
तुम मुस्कुरा दिए मेरे ज़माने बन गये !!

Ghalib Poetry in Hindi ग़ालिब की शायरी हिंदी में

न सुनो गर बुरा कहे कोई,
न कहो गर बुरा करे कोई !!
रोक लो गर ग़लत चले कोई,
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई !!

तेरे वादे पर जिये हम
तो यह जान,झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर न जाते
अगर एतबार होता ..
गा़लिब

तुम अपने शिकवे की बातें
न खोद खोद के पूछो
हज़र करो मिरे दिल से
कि उस में आग दबी है..
गा़लिब

इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
गा़लिब

अपनी गली में मुझ को
न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल
मेरे पते से ख़ल्क़ को
क्यूँ तेरा घर मिले
गा़लिब

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक

कुछ लम्हे हमने ख़र्च किए थे मिले नही,
सारा हिसाब जोड़ के सिरहाने रख लिया !!

भीगी हुई सी रात में जब याद जल उठी,
बादल सा इक निचोड़ के सिरहाने रख लिया !!

अब अगले मौसमों में यही काम आएगा,
कुछ रोज़ दर्द ओढ़ के सिरहाने रख लिया !!

वो रास्ते जिन पे कोई सिलवट ना पड़ सकी,
उन रास्तों को मोड़ के सिरहाने रख लिया !!

अफ़साना आधा छोड़ के सिरहाने रख लिया,
ख़्वाहिश का वर्क़ मोड़ के सिरहाने रख लिया !!

तमीज़-ए-ज़िश्ती-ओ-नेकी में लाख बातें हैं,
ब-अक्स-ए-आइना यक-फ़र्द-ए-सादा रखते हैं !!

ज़रा कर ज़ोर सीने में कि तीरे-पुर-सितम निकले,
जो वो निकले तो दिल निकले, जो दिल निकले तो दम निकले !!

रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज,
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं !!

हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है !!
जान तुम पर निसार करता हूँ,
मैं नहीं जानता दुआ क्या है !!


पड़िए गर बीमार तो कोई न हो तीमारदार
और अगर मर जाइए तो नौहा-ख़्वाँ कोई न हो

हसद से दिल अगर अफ़्सुर्दा है गर्म-ए-तमाशा हो
कि चश्म-ए-तंग शायद कसरत-ए-नज़्ज़ारा से वा हो

हम तो जाने कब से हैं आवारा-ए-ज़ुल्मत मगर,
तुम ठहर जाओ तो पल भर में गुज़र जाएगी रात !!
_
है उफ़ुक़ से एक संग-ए-आफ़्ताब आने की देर,
टूट कर मानिंद-ए-आईना बिखर जाएगी रात !!/
_
दैर नहीं हरम नहीं दर नहीं आस्ताँ नहीं
बैठे हैं रहगुज़र पे हम ग़ैर हमें उठाए क्यूँ

हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है

Ghalib Sher

mirza-ghalib-shayari
mirza-ghalib-shayari

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है

हो उसका ज़िक्र तो बारिश सी दिल में होती है
वो याद आये तो आती है दफ’तन ख़ुशबू

इक शौक़ बड़ाई का अगर हद से गुज़र जाए
फिर ‘मैं’ के सिवा कुछ भी दिखाई नहीं देता

इक क़ैद है आज़ादी-ए-अफ़्कार भी गोया,
इक दाम जो उड़ने से रिहाई नहीं देता

इक आह-ए-ख़ता गिर्या-ब-लब सुब्ह-ए-अज़ल से,
इक दर है जो तौबा को रसाई नहीं देता

इक क़ुर्ब जो क़ुर्बत को रसाई नहीं देता,
इक फ़ासला अहसास-ए-जुदाई नहीं देता
_

आज फिर पहली मुलाक़ात से आग़ाज़ करूँ,
आज फिर दूर से ही देख के आऊँ उस को !!
_

ज़िन्दग़ी में तो सभी प्यार किया करते हैं,
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा !!

तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको,
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है ….

खार भी ज़ीस्त-ए-गुलिस्ताँ हैं,
फूल ही हाँसिल-ए-बहार नहीं !!
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वो जो काँटों का राज़दार नहीं,
फ़स्ल-ए-गुल का भी पास-दार नहीं !! /
_
मैं चमन में क्या गया गोया दबिस्ताँ खुल गया,
बुलबुलें सुन कर मिरे नाले ग़ज़ल-ख़्वाँ हो गईं !! –

हम जो सबका दिल रखते हैं
सुनो, हम भी एक दिल रखते हैं

शहरे वफा में धूप का साथी नहीं कोई
सूरज सरों पर आया तो साये भी घट गए

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Ghalib Ke Sher ग़ालिब के शेर

उस पे आती है मोहब्बत ऐसे
झूठ पे जैसे यकीन आता है
_ _ _
खुद को मनवाने का मुझको भी हुनर आता है
मैं वह कतरा हूं समंदर मेरे घर आता है
_ _ _ _
फिर आबलों के ज़ख़्म चलो ताज़ा ही कर लें,
कोई रहने ना पाए बाब जुदा रूदाद-ए-सफ़र से !!
_
एजाज़ तेरे इश्क़ का ये नही तो और क्या है,
उड़ने का ख़्वाब देख लिया इक टूटे हुए पर से !!

साज़-ए-दिल को गुदगुदाया इश्क़ ने
मौत को ले कर जवानी आ गई
_ _ _

मैं तो इस सादगी-ए-हुस्न पे सदक़े,
न जफ़ा आती है जिसको न वफ़ा आती है !!

यादे-जानाँ भी अजब रूह-फ़ज़ा आती है,
साँस लेता हूँ तो जन्नत की हवा आती है !!
है और तो कोई सबब उसकी मुहब्बत का नहीं,
बात इतनी है के वो मुझसे जफ़ा करता है !!

हम भी दुश्मन तो नहीं हैं अपने
ग़ैर को तुझ से मोहब्बत ही सही

कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता,
तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता !!

गुज़र रहा हूँ यहाँ से भी गुज़र जाउँगा,
मैं वक़्त हूँ कहीं ठहरा तो मर जाउँगा !! –

गुज़रे हुए लम्हों को मैं इक बार तो जी लूँ,
कुछ ख्वाब तेरी याद दिलाने के लिए हैं !!

क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन

ईमाँ मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मिरे पीछे है कलीसा मिरे आगे

है आदमी बजा-ए-ख़ुद इक महशर-ए-ख़याल,
हम अंजुमन समझते हैं ख़ल्वत ही क्यूँ न हो
_
तिरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना,
कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए’तिबार होता !!

Ghalib Shayari on love

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बे-नियाज़ी हद से गुज़री बंदा-परवर कब तलक
हम कहेंगे हाल-ए-दिल और आप फ़रमावेंगे क्या

तुम सलामत रहो हज़ार बरस,
हर बरस के हों दिन पचास हज़ार !!

मौत फिर जीस्त न बन जाये यह डर है’गालिब’,
वह मेरी कब्र पर अंगुश्त-बदंदाँ होंगे !!

मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तिरे पीछे,
तू देख कि क्या रंग है तेरा मिरे आगे !!

तुम न आओगे तो मरने की हैं सौ तदबीरें,
मौत कुछ तुम तो नहीं हो कि बुला भी न सकूँ !!

कुछ खटकता था मिरे सीने में लेकिन आख़िर,
जिस को दिल कहते थे सो तीर का पैकाँ निकला !!-

अच्छा है सर-अंगुश्त-ए-हिनाई का तसव्वुर,
दिल में नज़र आती तो है इक बूँद लहू की !!

shayari of ghalib on ishq

की मेरे क़त्ल के बाद उस ने जफ़ा से तौबा,
हाए उस ज़ूद-पशीमाँ का पशीमाँ होना !! –

आता है मेरे क़त्ल को पर जोश-ए-रश्क से
मरता हूँ उस के हाथ में तलवार देख कर

करने गये थे उनसे तगाफुल का हम गिला,
की एक ही निगाह कि हम खाक हो गये !! –

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता !! –

ता करे न ग़म्माज़ी कर लिया है दुश्मन को
दोस्त की शिकायत में हम ने हम-ज़बाँ अपना

‘ग़ालिब’ नदीम-ए-दोस्त से आती है बू-ए-दोस्त
मश्ग़ूल-ए-हक़ हूँ बंदगी-ए-बू-तराब में

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे
होता है तमाशा शब् ओ रोज़ मेरे आगे

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
दिल जिगर तश्ना ए फरियाद आया
दम लिया था ना कयामत ने हनोज़
फिर तेरा वक्ते सफ़र याद आया

जान दी दी हुई उसी की थी
हक़ तो ये है कि हक़ अदा न हुआ

छोड़ूँगा मैं न उस बुत-ए-काफ़िर का पूजना
छोड़े न ख़ल्क़ गो मुझे काफ़र कहे बग़ैर

क्या वो नमरूद की ख़ुदाई थी
जो बंदगी में मिरा भला न हुआ

मुज़्दा ऐ ज़ौक़-ए-असीरी कि नज़र आता है
दाम-ए-ख़ाली क़फ़स-ए-मुर्ग़-ए-गिरफ़्तार के पास

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
ग़ालिब

mirza ghalib shayari in hindi 2 lines

‘ग़ालिब’ वज़ीफ़ा-ख़्वार हो दो शाह को दुआ
वो दिन गए कि कहते थे नौकर नहीं हूँ मैं
ग़ालिब

ग़म-ए-हस्ती का ‘असद’ किस से हो जुज़ मर्ग इलाज
शम्अ हर रंग में जलती है सहर होते तक
ग़ालिब

जाँ दर-हवा-ए-यक-निगाह-ए-गर्म है ‘असद’
परवाना है वकील तिरे दाद-ख़्वाह का
ग़ालिब

मैं बुलाता तो हूँ उस को मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल
उस पे बन जाए कुछ ऐसी कि बिन आए न बने

ख़ार ख़ार-ए-अलम-ए-हसरत-ए-दीदार तो है
शौक़ गुल-चीन-ए-गुलिस्तान-ए-तसल्ली न सही
ग़ालिब

न हुई गर मिरे मरने से तसल्ली न सही
इम्तिहाँ और भी बाक़ी हो तो ये भी न सही

इब्न-ए-मरयम हुआ करे कोई
मेरे दुख की दवा करे कोई
ग़ालिब

ओहदे से मद्ह-ए-नाज़ के बाहर न आ सका
गर इक अदा हो तो उसे अपनी क़ज़ा कहूँ
ग़ालिब

Mirza galib ki shayari

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही
मेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही
ग़ालिब

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
ग़ालिब

न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता
ग़ालिब

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने
क्या बने बात जहाँ बात बताए न बने

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
ग़ालिब

आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रँग करूँ खून-ए-जिगर होने तक
Famous Ghalib Shayari

हो चुकीं ‘ग़ालिब’ बलाएँ सब तमाम
एक मर्ग-ए-ना-गहानी और है
ग़ालिब

इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने
ग़ालिब

इनकार की सी लज़्ज़त इक़रार में कहाँ,
होता है इश्क़ ग़ालिब उनकी नहीं नहीं से !!

कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता
ग़ालिब

देखो तो दिल फ़रेबि-ए-अंदाज़-ए-नक़्श-ए-पा,
मौज-ए-ख़िराम-ए-यार भी क्या गुल कतर गई !! –

देखिए लाती है उस शोख़ की नख़वत क्या रंग
उस की हर बात पे हम नाम-ए-ख़ुदा कहते हैं
-ग़ालिब

best Ghalib Shayari

तू ने कसम मय-कशी की खाई है ‘ग़ालिब’
तेरी कसम का कुछ एतिबार नही है..!
-मिर्ज़ा ग़ालिब

मोहब्बत में नही फर्क जीने और मरने का
उसी को देखकर जीते है जिस ‘काफ़िर’ पे दम निकले..!
-मिर्ज़ा ग़ालिब

मगर लिखवाए कोई उस को खत
तो हम से लिखवाए
हुई सुब्ह और
घरसे कान पर रख कर कलम निकले..
-मिर्ज़ा ग़ालिब

मरते है आरज़ू में मरने की
मौत आती है पर नही आती,
काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’
शर्म तुमको मगर नही आती ।
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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कहाँ मयखाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइज
पर इतना जानते है कल वो जाता था के हम निकले..
-मिर्जा ग़ालिब

बना कर फकीरों का हम भेस ग़ालिब
तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते है..

तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान झूठ जाना,
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता ।

ग़ालिब ने यह कह कर तोड़ दी तस्बीह.
गिनकर क्यों नाम लू उसका जो बेहिसाब देता है।

हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !

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Welcome Shayari स्वागत शायरी

Welcome Shayari Swagat Shayari :- दोस्तों शायरी के इस खास पेज पर हम आपके लिए आज स्वागत शायरी, वेलकम शायरी पेश कर रहे हैं, आप अक्सर अपने घर पर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बुलाते होंगे…मेहमान नवाजी करते होंगे ….या आप अपने बर्थडे या और किसी मौके पर अपने दोस्तों को बुलाने के लिए निमंत्रण भेजते होंगे ऐसे ही मौके पर आप अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए इन स्वागत शायरी welcome शायरी का इस्तेमाल कर सकते हैं..आप इन्हें आमद शायरी, खुश आमदीद शायरी, आपके आने से शायरी, आप आये शायरी या मेहमान शायरी कुछ भी नाम दे सकते हैं.

अपने मेहमानों को बुलाने के लिए आप इन स्वागत शायरी और वेलकम शायरी सन्देश भेज सकते हैं.

ये दो लाइनों की स्वागत शायरी और वेलकम शायरी इंतनी खुबसूरत है की इसमें सभी भावनाओं का संगम हैं, आपके इस स्वागत सन्देश शायरी या वेलकम शायरी को पढ़कर ही आपके मेहमान खुश हो जायेंगे.

अगर आप को यह वेलकम शायरी अच्छी लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर अवश्य करें …

 

सभी hindi शायरी की लिस्ट यहाँ हैं Hindi Shayari

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मतलब तिरी आमद से है दरमाँ से नहीं है

‘हसरत’ की क़सम दिल ही दुखाने के लिए आ

~HasratJaipuri

 

मुबारक शाम की आमद मुबारक

यह किसी की याद ले कर आ रही है

~ज़िया_ज़मीर

 

ये किस बहिश्त-शमाइल की आमद आमद है

कि ग़ैर-ए-जल्वा-ए-गुल रहगुज़र में ख़ाक नहीं

 

आमद है किसी की कि गया कोई इधर से,

क्यूँ सब तरफ़-ए-राहगुज़र देख रहे हैं !

 

आमद से पहले तेरी सजाते कहाँ से फूल,

मौसम बहार का तो तेरे साथ आया है !!

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उनकी वो आमद-आमद अपना यहाँ ये आलम,

इक रंग जा रहा है, इक रंग आ रहा है !!

 

आप आये तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया

कितने भूले हुए ज़ख्मों का पता याद आया

 

कभी दिल कभी धड़कन कभी नज़रें कभी लब

हर चीज मुस्कुराने लग जाती है आपके आने की खबर से…

 

इंतज़ार  है हमे  आपके  आने  का

वो नज़रे  मिला  के नज़रे  चुराने  का

मत  पूछ  ए_सनम  दिल का आलम क्या  है

इंतज़ार  है  बस तुझमे  ~सिमट  जाने  का

 

यू तो बंजर सा था मेरा आशियाँ

महफ़िल आपके आने से सजी

Welcome Shayari Swagat Shayari for Friends

दिल को था आपका बेसबरी से इंतजार!

पलके भी थी आपकी एक झलक को बेकरार!

आपके आने से आयी है कुछ ऐसी बहार!

कि दिल बस मांगे आपके लिये खुशियाँ बेशुमार!

 

हर वक्त आपके आने की आस रहती है

 हर पल आपसे मिलने की प्यास रहती है

 सब कुछ है। बस यहाँ आप नही

 इसलिए शायद ये जिंदगी उदास रहती है)

 

वफाओं में मेरी इतना असर आये

जिन्हें ढूंढती है नजरें

वह नजर आये

हम आ जायेंगे पलक झुकने से पहले

आपने याद किया ये खबर आये

 

हसरतों से आपकी राह सजा देंगे

कोई फूल नहीं आज मेरे दामन में

लेकिन आपके आने पर पलकें बिछा देंगे

 

 

दिलको है बेसबरी से इंतजार

निगाहे भी है

आपकी झलक को बेकरार

आपके आने‍से आयेगी ऐसी बहार

कि छायेगी सबके

दिलोमे खुशिया बेशुमार

 

हर कोशिश जारी मेरी तुम्हें मनाने की

रक्खी तैयारी लूट जाने की

अब देर है बस आपके आने की….

 

आपके आने से हुई है ये जिन्दगी रंगीन

पाकर आपका नूरानी दीदार

हर सुबह शाम हो गई है हसीन

 

आपके आने से जिदंगी खूबसूरत है,

हर कदम पर हमको आपकी जरूरत है

 

आपके आने की खुशी कैसे करूं मैं ब्यां,

बस इतना जान लो अब रोशन है मेरा सारा जहां

 

मस्त मस्त मयकदा है, मस्तियों की शाम है,

 आपके आने से हुई खुशियों की बरसात है ।।

 

आपके आने से आई जो खुशिया

कैसे उन्हे हम बताए

हम हर्शाए, हम इतराए

मिलकर सभी गुनगुनाए

Welcome Shayari Swagat Shayari for all

आपके आने की खबर से रात भर घर का दरवाजा खुला रखा,

यादो ने आपकी इतना बेचैन किया,

न नींद आयी, कभी तकिया इधर, कभी उधर रखा

 

मौत का आना तो तय है मौत आएगी मगर,

आपके आने से थोड़ी ज़िन्दगी बढ़ जाएगी !

 

आपके आने से जिंदगी खूबसूरत है,

दिल में बसाई है जो वह आपकी ही सूरत है,

Welcome Shayari Swagat Shayari
Welcome Shayari Swagat Shayari

क्या बतायें कि क्या होता है आपके आने से

बहार भी आ जाती है आपके आने से

फूल भी खिल जाते हैं आपकी आहट से

हर सुबह होती है आपके ही मुस्कुराने से

 

क्या मांगू खुदा से गुरुवर तुम्हे पाने के बाद,

किसका करू इंतजार जिंदगी में  आपके आने के बाद

 

हो कर खफा न प्यारमें,कांटे बिछाइये

पहलू में बैठ प्यार के,नगमे सुनाइये

हम मुन्तजिर हैं आपके आने के आजभी,इस साजेदिल को छेडिये,कुछ गुनगुनाइये

 

आपके आने से आज ये शाम खास हो गयी..

सारे दिन की बोरियत झक्क्कास हो गयी.

 

आपके आने का शुक्रिया ,

कुछ पल साथ बिताने का शुक्रिया….

सपने दिखाने का शुक्रिया,

और उनहे  तोड़ के चले जानेका भी शुक्रिया…

 

आपका आना, बहारों का आना !

आपका जाना, गुलशन का उजड़ जाना !

 

हमने कभी दोस्ती को जाना न होता,

अगर हमारी ज़िन्दगी में आपका आना न होता,

युही अकेले गुज़ार देते ज़िन्दगी को,

अगर आपको अपना दोस्त माना न होता…

 

इंतज़ार मेरी ?उम्र से लंबा हो शायद,

आपका आना  इस मर्ज़ की दवा हो शायद।

 

आपका आना…दिल धडकाना …

मेहंदी लगा यूँ शर्माना…

प्यार आ गया रे…

प्यार आ गया..

 

आपसे होती मुनव्वर,मेरी कायनात है

आप हों गर साथ तो, फिर रात भी कब रात है

आपका आना हमारे वास्ते सौगात है 

आज या तो ईद है,या फिर शबे-बारात है

 

दोस्तों के बिना यह शाम अधूरी है ,

इसलिए आपका आना जरूरी है |

Welcome Shayari 

हमसे मिलने का कभी तो तुम इरादा रखो

मुहब्बत से मुहब्बत का मिलन सादा रखो

चले आओ वक्त से वक़्त चुराकर ज़रा सा

तुम आओगे ज़रुर… हमसे ये वादा करो।

 

काश…. हो कुछ एेसा इत्तेफाक….!!

तुम रास्ता भूलो और मुझ तक चले आओ….!!

 

लोग देखेगे हमे ~मोहब्बत करते तो सौ बाते बना देंगे।

तुम  यू मेरे दिल मे चले आओ कि किसी को आहट भी ना हो।

 

चले आओ ना अब, कहाँ गुम हो,,

 

कितनी बार कहूँ ,मेरे दर्द की दवा तुम हो।

 

कब कहा मैंने कि मुझको…….चाँद लाकर दो..

तुम ख़ुद चले आओ तो…दीदार-ए-चाँद पूरा हो…

 

दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है

चले आओ जहाँ तक रौशनी मालूम होती है

~नुशूर वाहिदी –

 

संभाले नहीं संभलता है दिल,

मोहब्बत की तपिश से न जलाओ,

इश्क तलबगार है तुम्हारा चले आओ,

अब ज़माने के बहाने न बनाओ।

 

खामोशी ने मेरी पुकारा है तुम्हें…….!!

कोई हसीं शाम बनकर ही चले आओ….!!

 

लोग देखेंगे तो अफसाना बना डालेंगे|

यूँ मेरे दिल में चले आओ के आहट भी न हो।।

 

सावन के झूले पड़े,तुम चले आओ,

तुम चले आओ, तुम चले आओ…

 

बहुत आरजू है… इन आंखो को… तेरा ख्वाब देखने की,

कभी तो… इनका मान रखने… सपनो मे चले आओ…!

 

बहा ले जाती है तुम्हारी

याद मुझे कहाँ से कहाँ तक

कभी तुम भी चले आओ

मेरे ठिकाने तक….

welcome shayari swagat shayari 2
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वो मेहमाँ रहे भी तो कब तक हमारे

हुयी शम्मा गुल और डूबे सितारे,

‘क़मर’ इस क़दर उन को जल्दी थी घर की

वो घर चल दिये चाँदनी ढलते ढलते !! -क़मर जलालवी

 

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किये हुए,

जोश-ए-क़दह से बज़्म-ए-चिराग़ां किये हुए !!

 

बहुत से लोग थे मेहमान मेरे घर लेकिन

वो जानता था कि है एहतिमाम किस के लिए

~परवीन_शाकिर

 

दिल में फिर वस्ल के अरमान चले आते हैं

मेरे रूठे हुए मेहमान चले आते हैं

~बेख़ुद देहलवी

 

हम बुलाते वो तशरीफ़ लाते रहे

ख़्वाब में ये करामात होती रही

 

कल रात दिखा के ख़्वाब-ए-तरब जो सेज को सूना छोड़ गया

हर सिलवट से फिर आज उसी मेहमान की ख़ुश्बू आती है ।

-कतील शिफ़ाई

 

लाख परायोंसे परिचित है

मेल-मोहब्बत का अभिनय है,

जिनके बिन जग सूना सूना

मन के वे मेहमान कहाँ हैं?

-शैलेंद्र

 

कब वो आएँगे इलाही मिरे मेहमाँ हो कर

कौन दिन कौन बरस कौन महीना होगा

 

मैं किस तरह उसे मेहमान-सा विदा करता

कि मेरे घर तो उसे बार-बार आना था…!

 

काफ़ी नहीं ख़ुतूत किसी बात के लिए

तशरीफ़ लाइएगा मुलाक़ात के लिए

 

इंतेज़ार है आपका आज भी

ज़रा दस्तक तो दीजिए

वजह हो या बेवजह

ज़रा हमारे dm में तशरीफ़ तो लाइये

 

जो कुछ हो सुनाना उसे बेशक़ सुनाइये

तकरीर ही करनी हो कहीं और जाइये

 

याँ महफ़िले-सुखन को सुखनवर की है तलाश

गर शौक आपको भी है तशरीफ़ लाइये।

Swagat Shayari

बहोत कर चुके तस्वीरों में दीदार

हो सके तो अब हुजूर रूबरू तशरीफ़ भी लाइये

 

शोख़ी के रंग शौक़ के अरमाँ लिए हुए,

बाद-ए-ख़िज़ाँ में मुंतज़िर*-ए-बहार गुलमोहर !!

 

साल, पर साल, और फिर इस साल

मुंतज़िर हम थे मुंतज़िर हम हैं

~शमीम अब्बास

 

कहाँ ख़्वाहिशों की ज़मीन पर झुकते हैं रोज़ आसमाँ,

मुंतज़िर* हैं ये हादसे भी गिरते सितारों की चाल के !

 

अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ

शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या

 

दिल-ए-मुंतज़िर के आगे ख़िज़ाँ की बिसात क्या,

हसरत ही से गुलज़ार है वीराना किसी का !

 

सारे मौसम थे ख़फा अब सर पे है अब्र-ए-रवाँ*,

उठ निगाह-ए-मुंतज़िर ये है वक़्त इंतिक़ाम^ का !

 

निगाहें मुंतज़िर हैं किस की दिल को जुस्तुजू क्या है

मुझे ख़ुद भी नहीं मालूम मेरी आरज़ू क्या है

~अख़्तर सईद ख़ान

 

मुंतज़िर जिसके लिए हम हैं कई सदियों से

जाने किस दौर में वो शख़्स हमारा होगा

 

मुंतज़िर कौन है किस का ये उसे क्या मालूम

उस की मंज़िल है वही जो भी जहाँ रह जाए

~प्रेम कुमार नज़र

 

अल्लाह बोलते नहीं तो मुस्कुरा ही दो,

मैं कब से मुंतज़िर हूँ तुम्हारे ~जवाब का !! -अंदलीब शादानी

 

हवाएँ ज़ोर की चलती थीं हंगामा बला का था

मैं सन्नाटे का पैकर मुन्तज़िर तेरी सदा का था

 

बंद सीपियों में हूँ मुंतज़िर हूँ बारिश का

मैं तुम्हारी आँखों के पानियों में ज़िंदा हूँ 

 

Welcome Shayari Swagat Shayari Hinglish

 

 

 

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matalab tiri amad se hai daraman se nahin hai

hasarat ki qasam dil hi dukhane ke lie a

~hasratjaipuri

 

mubarak sham ki amad mubarak

yah kisi ki yad le kar a rahi hai

~ziya_zamir

 

ye kis bahisht-shamail ki amad amad hai

ki gair-e-jalva-e-gul rahaguzar mein khak nahin

 

amad hai kisi ki ki gaya koi idhar se,

kyoon sab taraf-e-rahaguzar dekh rahe hain !

 

amad se pahale teri sajate kahan se fool,

mausam bahar ka to tere sath aya hai !!

 

unaki vo amad-amad apana yahan ye alam,

ik rang ja raha hai, ik rang a raha hai !!

 

ap aye to khayal-e-dil-e-nashad aya

kitane bhoole hue zakhmon ka pata yad aya

 

kabhi dil kabhi dhadakan kabhi nazaren kabhi lab

har chij muskurane lag jati hai apake ane ki khabar se…

 

intazar  hai hame  apake  ane  ka

vo nazare  mila  ke nazare  churane  ka

mat  poochh  e_sanam  dil ka alam kya  hai

intazar  hai  bas tujhame  ~simat  jane  ka

 

yoo to banjar sa tha mera ashiyan

mahafil apake ane se saji

 

dil ko tha apaka besabari se intajar!

palake bhi thi apaki ek jhalak ko bekarar!

apake ane se ayi hai kuchh aisi bahar!

ki dil bas mange apake liye khushiyan beshumar!

 

har vakt apake ane ki as rahati hai

 har pal apase milane ki pyas rahati hai

 sab kuchh hai. bas yahan ap nahi

 isalie shayad ye jindagi udas rahati hai)

 

vafaon mein meri itana asar aye

jinhen dhoondhati hai najaren

vah najar aye

ham a jayenge palak jhukane se pahale

apane yad kiya ye khabar aye

 

hasaraton se apaki rah saja denge

koi fool nahin aj mere daman mein

lekin apake ane par palaken bichha denge

 

 

dilako hai besabari se intajar

nigahe bhi hai

apaki jhalak ko bekarar

apake anese ayegi aisi bahar

ki chhayegi sabake

dilome khushiya beshumar

 

har koshish jari meri tumhen manane ki

rakkhi taiyari loot jane ki

ab der hai bas apake ane ki….

 

apake ane se hui hai ye jindagi rangin

pakar apaka noorani didar

har subah sham ho gai hai hasin

 

apake ane se jidangi khoobasoorat hai,

har kadam par hamako apaki jaroorat hai

 

apake ane ki khushi kaise karoon main byan,

bas itana jan lo ab roshan hai mera sara jahan

 

mast mast mayakada hai, mastiyon ki sham hai,

 apake ane se hui khushiyon ki barasat hai ..

 

apake ane se ai jo khushiya

kaise unhe ham batae

ham harshae, ham itarae

milakar sabhi gunagunae

 

apake ane ki khabar se rat bhar ghar ka daravaja khula rakha,

yado ne apaki itana bechain kiya,

na nind ayi, kabhi takiya idhar, kabhi udhar rakha

 

maut ka ana to tay hai maut aegi magar,

apake ane se thodi zindagi badh jaegi !

 

apake ane se jindagi khoobasoorat hai,

dil mein basai hai jo vah apaki hi soorat hai,

 

kya batayen ki kya hota hai apake ane se

bahar bhi a jati hai apake ane se

fool bhi khil jate hain apaki ahat se

har subah hoti hai apake hi muskurane se

 

kya mangoo khuda se guruvar tumhe pane ke bad,

kisaka karoo intajar jindagi mein  apake ane ke bad

 

ho kar khafa na pyaramen,kante bichhaiye

pahaloo mein baith pyar ke,nagame sunaiye

ham muntajir hain apake ane ke ajabhi,is sajedil ko chhediye,kuchh gunagunaiye

 

apake ane se aj ye sham khas ho gayi..

sare din ki boriyat jhakkkas ho gayi.

 

apake ane ka shukriya ,

kuchh pal sath bitane ka shukriya….

sapane dikhane ka shukriya,

aur unahe  tod ke chale janeka bhi shukriya…

 

apaka ana, baharon ka ana !

apaka jana, gulashan ka ujad jana !

 

hamane kabhi dosti ko jana na hota,

agar hamari zindagi mein apaka ana na hota,

yuhi akele guzar dete zindagi ko,

agar apako apana dost mana na hota…

 

intazar meri ?umr se lamba ho shayad,

apaka ana  is marz ki dava ho shayad.

 

apaka ana…dil dhadakana …

mehandi laga yoon sharmana…

pyar a gaya re…

pyar a gaya..

 

apase hoti munavvar,meri kayanat hai

ap hon gar sath to, fir rat bhi kab rat hai

apaka ana hamare vaste saugat hai 

aj ya to id hai,ya fir shabe-barat hai

 

doston ke bina yah sham adhoori hai ,

isalie apaka ana jaroori hai |

 

hamase milane ka kabhi to tum irada rakho

muhabbat se muhabbat ka milan sada rakho

chale ao vakt se vaqt churakar zara sa

tum aoge zarur… hamase ye vada karo.

 

kash…. ho kuchh isa ittefak….!!

tum rasta bhoolo aur mujh tak chale ao….!!

 

log dekhege hame ~mohabbat karate to sau bate bana denge.

tum  yoo mere dil me chale ao ki kisi ko ahat bhi na ho.

 

chale ao na ab, kahan gum ho,,

 

kitani bar kahoon ,mere dard ki dava tum ho.

 

kab kaha mainne ki mujhako…….chand lakar do..

tum khud chale ao to…didar-e-chand poora ho…

 

diya khamosh hai lekin kisi ka dil to jalata hai

chale ao jahan tak raushani maloom hoti hai

~nushoor vahidi –

 

sambhale nahin sambhalata hai dil,

mohabbat ki tapish se na jalao,

ishk talabagar hai tumhara chale ao,

ab zamane ke bahane na banao.

 

khamoshi ne meri pukara hai tumhen…….!!

koi hasin sham banakar hi chale ao

 

log dekhenge to afasana bana dalenge|

yoon mere dil mein chale ao ke ahat bhi na ho..

 

savan ke jhoole pade,tum chale ao,

tum chale ao, tum chale ao…

 

bahut arajoo hai… in ankho ko… tera khvab dekhane ki,

kabhi to… inaka man rakhane… sapano me chale ao…!

 

baha le jati hai tumhari

yad mujhe kahan se kahan tak

kabhi tum bhi chale ao

mere thikane tak….

 

vo mehaman rahe bhi to kab tak hamare

huyi shamma gul aur doobe sitare,

‘qamar’ is qadar un ko jaldi thi ghar ki

vo ghar chal diye chandani dhalate dhalate !! -qamar jalalavi

 

muddat hui hai yar ko mehaman kiye hue,

josh-e-qadah se bazm-e-chiragan kiye hue !!

 

bahut se log the mehaman mere ghar lekin

vo janata tha ki hai ehatimam kis ke lie

~paravin_shakir

 

dil mein fir vasl ke araman chale ate hain

mere roothe hue mehaman chale ate hain

~bekhud dehalavi

 

ham bulate vo tasharif late rahe

khvab mein ye karamat hoti rahi

 

kal rat dikha ke khvab-e-tarab jo sej ko soona chhod gaya

har silavat se fir aj usi mehaman ki khushboo ati hai .

-katil shifai

 

lakh parayonse parichit hai

mel-mohabbat ka abhinay hai,

jinake bin jag soona soona

man ke ve mehaman kahan hain?

-shailendr

 

kab vo aenge ilahi mire mehaman ho kar

kaun din kaun baras kaun mahina hoga

 

main kis tarah use mehaman-sa vida karata

ki mere ghar to use bar-bar ana tha…!

 

kafi nahin khutoot kisi bat ke lie

tasharif laiega mulaqat ke lie

 

intezar hai apaka aj bhi

zara dastak to dijie

vajah ho ya bevajah

zara hamare dm mein tasharif to laiye

 

jo kuchh ho sunana use beshaq sunaiye

takarir hi karani ho kahin aur jaiye

 

yan mahafile-sukhan ko sukhanavar ki hai talash

gar shauk apako bhi hai tasharif laiye.

 

bahot kar chuke tasviron mein didar

ho sake to ab hujoor roobaroo tasharif bhi laiye

 

shokhi ke rang shauq ke araman lie hue,

bad-e-khizan mein muntazir*-e-bahar gulamohar !!

 

sal, par sal, aur fir is sal

muntazir ham the muntazir ham hain

~shamim abbas

 

kahan khvahishon ki zamin par jhukate hain roz asaman,

muntazir* hain ye hadase bhi girate sitaron ki chal ke !

 

ab kaun muntazir hai hamare lie vahan

sham a gai hai laut ke ghar jaen ham to kya

 

dil-e-muntazir ke age khizan ki bisat kya,

hasarat hi se gulazar hai virana kisi ka !

 

sare mausam the khafa ab sar pe hai abr-e-ravan*,

uth nigah-e-muntazir ye hai vaqt intiqam^ ka !

 

nigahen muntazir hain kis ki dil ko justujoo kya hai

mujhe khud bhi nahin maloom meri arazoo kya hai

~akhtar said khan

 

muntazir jisake lie ham hain kai sadiyon se

jane kis daur mein vo shakhs hamara hoga

 

muntazir kaun hai kis ka ye use kya maloom

us ki manzil hai vahi jo bhi jahan rah jae

~prem kumar nazar

 

allah bolate nahin to muskura hi do,

main kab se muntazir hoon tumhare ~javab ka !! -andalib shadani

 

havaen zor ki chalati thin hangama bala ka tha

main sannate ka paikar muntazir teri sada ka tha

 

band sipiyon mein hoon muntazir hoon barish ka

main tumhari ankhon ke paniyon mein zinda hoon

 

Aitbaar Shayari– ऐतबार शायरी 

Aitbaar Shayari :- Here you can get the best collection of Hindi Shayari on Aitbaar(Trust shayari), You can use it as your hindi whatsapp status or can send this Aitbaar Shayari to your facebook friends. These Hindi sher on Aitbaar is excellent in expressing your emotions and feeling of Aitbar the trust.

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ऐतबार शायरी

ऐतबार शायरी: – ऐतबार पर हिंदी शायरी का सबसे अच्छा संग्रह यहाँ उपलब्ध है, आप इस ऐतबार शायरी को अपने वाहट्सएप्प स्टेटस के रूप में उपयोग कर सकतें है या आप इस बेहतरीन ऐतबार शायरी को अपने दोस्तों को फेसबुक पर भी भेज सकतें हैं। ऐतबार पर हिंदी के यह शेर, आपकी भावनाओं  को व्यक्त करने में आपकी मदद कर सकतें हैं। ऐतबार पर शायरी का यहाँ सबसे अच्छा कलेक्शन है. अगर कोई आपसे ऐतबार करता है तो आप मशहूर शायरों के ऐतबार शायरी पर यह शेर उसे भेज सकते हैं या ऐतबार शायरी अपने स्टेटस में लिख सकते हैं.

सभी हिंदी शायरी की लिस्ट यहाँ हैं। Hindi Shayari

 

*****

मेरी ज़बान के मौसम बदलते रहते हैं

मैं आदमी हूँ मेरा  ऐतबार मत करना

~आसिम वास्ती

मोहब्बत इस लिए ज़ाहिर नहीं की

कि तुम को ऐतबार आए न आए

जो तुम्हारी तरह तुम से कोई झूटे वादे करता

तुम्हीं मुंसिफ़ से कह दो तुम्हें ऐतबार होता

~दाग़ देहलवी

मेरी तरफ़ से तो टूटा नहीं कोई रिश्ता

किसी ने तोड़ दिया ऐतबार टूट गया

~अख़्तर नज़्मी

तेरे वादे पर सितमगर अभी और सब्र करते

अगर अपनी ज़िंदगी का हमें ऐतबार होता

#दाग़_देहलवी

 

‏मुसाफ़िरों से मोहब्बत की बात कर लेकिन

मुसाफ़िरों की मोहब्बत का ऐतबार न कर

#उमर_अंसारी

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ग़ज़ब किया तेरे वादे पे ऐतबार किया

तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया

~दाग़ देहलवी

मैं ज़बाँ से तुमको सच्चा,कहो लाख बार कह दूँ,

उसे क्या करूँ के दिल को, नहीं एतबार होता !!

वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े से

मैं ऐतबार न करता तो और क्या करता

#वसीम_बरेलवी

धड़कता जाता है दिल मुस्कुराने वालों का

उठा नहीं है अभी ऐतबार नालों का !!-कलीम आजिज़

वादा किया था फिर भी न आये मज़ार पर,

हमने तो जान दी थी, इसी एतबार पर !!

‏Aitbaar Shayari in Hindi Font ऐतबार शायरी

बड़े वसूक़ से दुनिया फ़रेब देती है,

बड़े ख़ुलूस से हम ऐतबार करते हैं !!

यक़ीन चाँद पे, सूरज में ऐतबार भी रख

मगर निगाह में थोड़ा सा इंतज़ार भी रख

#NidaFazli

 

कोई बात ख़्वाब ओ ख़याल की जो करो तो वक़्त कटेगा अब

‘हमें मौसमों के मिज़ाज पर कोई ऐतबार कहाँ रहा’

#अदा_ज़ाफ़री

रिश्तों का एतबार वफ़ाओं का इंतिज़ार,

हम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं !! – निदा फ़ाज़ली

‏बडा दोगला है ये शख्स भी, कोइ ऐतबार करे तो क्या,

ना तो झूठ बोले कभी कभी, ना कभी कहे वो खरा खरा..!

-गुलज़ार

 

आदतन तुमने कर दिए वादे

आदतन हमने ऐतबार किया

तेरी राहों में बारहा रुक कर

हमने अपना ही इंतजार किया

-गुलज़ार

गज़ब किया तेरे वादे पर ऐतबार किया/

तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया

 

Hinglish Font me Aitbaar Shayari – Trust Shayari

 

Aitbaar par hindi shayari ka sabase achchha sangrah yahan upalabdh hai, ap is Aitbaar hindi shayari ko apane Aitbaar wahatsapp satus ke roop mein upayog kar sakaten hai ya ap is Aitbaar shayari ko apane doston ko facebook par bhi bhej sakaten hain. Aitbaar par hindi ke yah sher, apaki bhavanaon  ko vyakt  karane mein apaki madad kar sakaten hain. Aitbaar par shayari ka yahan sabase achchha collection hai.

sabhi hindi shayari ki list yahan hain. Hindi Shayari

 

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meri zabaan ke mausam badalate rahate hain

main aadami hoon mera  aitabaar mat karana

~aasim vaasti

mohabbat is lie zaahir nahin ki

ki tum ko aitabaar aae na aae

jo tumhaari tarah tum se koi jhoote vaade karata

tumhin munsif se kah do tumhen aitabaar hota

~daag dehalavi

meri taraf se to toota nahin koi rishta

kisi ne tod diya aitabaar toot gaya

~akhtar nazmi

tere vaade par sitamagar abhi aur sabr karate

agar apani zindagi ka hamen aitabaar hota

#daag_dehalavi

 

‏musaafiron se mohabbat ki baat kar lekin

musaafiron ki mohabbat ka aitabaar na kar

#umar_ansaari

 

gazab kiya tere vaade pe aitabaar kiya

tamaam raat qayaamat ka intizaar kiya

~daag dehalavi

main zabaan se tumako sachcha,kaho laakh baar kah doon,

use kya karoon ke dil ko, nahin etabaar hota !!

 

‏vo jhoot bol raha tha bade saliqe se

main aitabaar na karata to aur kya karata

#vasim_barelavi

dhadakata jaata hai dil muskuraane vaalon ka

utha nahin hai abhi aitabaar naalon ka !!-kalim aajiz

vaada kiya tha phir bhi na aaye mazaar par,

hamane to jaan di thi, isi etabaar par !!

bade vasooq se duniya fareb deti hai,

bade khuloos se ham aitabaar karate hain !!

 

yaqin chaand pe, sooraj mein aitabaar bhi rakh

magar nigaah mein thoda sa intazaar bhi rakh

#nidafazli

 

koi baat khvaab o khayaal ki jo karo to vaqt katega ab

hamen mausamon ke mizaaj par koi aitabaar kahaan raha

#ada_zaafari

 

rishton ka etabaar vafaon ka intizaar,

ham bhi charaag le ke havaon mein aae hain !! – nida faazali

bada dogala hai ye shakhs bhi, koi aitabaar kare to kya,

na to jhooth bole kabhi kabhi, na kabhi kahe vo khara khara..!

-gulazaar

 

aadatan tumane kar die vaade

aadatan hamane aitabaar kiya

teri raahon mein baaraha ruk kar

hamane apana hi intajaar kiya

-gulazaar

gazab kiya tere vaade par aitabaar kiya/

tamaam raat qayaamat ka intizaar kiya

 

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Bharosa Shayari– भरोसा शायरी – Hate Shayari

Bharosa shayari :- Here you can get the best collection of Hindi Shayari on Bharosa (Trust shayari), You can use it as your hindi whatsapp status or can send this Bharosa Shayari to your facebook friends. These Hindi sher on Bharosa is excellent in expressing your emotions and anger. For other subject list of all Hindi Shayari is here Hindi Shayari .

 

Bharosa shayari :- दोस्तों जीवन में भरोसा यानि यकीन बहुत ज़रूरी होता है, जीवन में कई लोग आप पर भरोसा करतें हैं और आप भी अपने साथियों पर भरोसा करते हैं …परसपर यह विश्वास और भरोसा ही हर रिश्ते को बनता है ……आइये जानते हैं के प्रख्यात शायरों ने भरोसा पर शायरी में क्या कहा है …..

भरोसा पर हिंदी शायरी का सबसे अच्छा संग्रह यहाँ उपलब्ध है, आप इस भरोसा शायरी को अपने वाहट्सएप्प स्टेटस के रूप में उपयोग कर सकतें है या आप इस बेहतरीन भरोसा शायरी को अपने दोस्तों को फेसबुक पर भी भेज सकतें हैं। भरोसा पर हिंदी के यह शेर, आपकी भावनाओं  को व्यक्त करने में आपकी मदद कर सकतें हैं। भरोसा पर शायरी का यहाँ सबसे अच्छा कलेक्शन है. अगर कोई आपसे भरोसा करता है तो आप मशहूर शायरों के भरोसा शायरी पर यह शेर उसे भेज सकते हैं या भरोसा शायरी अपने स्टेटस में लिख सकते हैं.

भरोसा = यकीन = ट्रस्ट 

सभी हिंदी शायरी की लिस्ट यहाँ हैं। Hindi Shayari

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वो मुझ को भूल चुका अब यक़ीन है वर्ना

वफ़ा नहीं तो जफ़ाओं का सिलसिला रखता

~इफ़्फ़त ज़र्रीं

 

वाए ख़ुश-फ़हमी कि पर्वाज़-ए-यक़ीं से भी गए

आसमाँ छूने की ख़्वाहिश में ज़मीं से भी गए

~ज़फ़र कलीम

 

यूँ मुलाक़ात का ये दौर बनाए रखिए

मौत कब साथ निभा जाए भरोसा क्या है

 

चाहिए ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिल

हौसला किस का बढ़ाता है कोई

~शकील बदायुनी

  

न कोई वादा न कोई यक़ीं न कोई उमीद

मगर हमें तो तेरा इंतिज़ार करना था

~फ़िराक़ गोरखपुरी

 

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Bharosa Status Pictures – Bharosa dp Pictures – Bharosa Shayari Pictures

 

दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था

ताले की ईजाद से पहले सिर्फ़ भरोसा होता था

जब तक माथा चूम के रुख़्सत करने वाली ज़िंदा थी

दरवाज़े के बाहर तक भी मुँह में लुक़्मा होता था

~अज़हर फ़राग़

 

अजब ये दौर आया है कि जिस में

ग़लत कुछ भी नहीं सब कुछ सही है

मुकम्मल ख़ुद को जो भी मानता है

यक़ीं माने बहुत उस में कमी है

~नीरज गोस्वामी

     

तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं

कमाल ये है कि, फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं

~दुष्यंत कुमार

 

उसे गुमाँ है कि मेरी उड़ान कुछ कम है

मुझे यक़ीं है कि ये आसमान कुछ कम है

~नफ़स अम्बालवी

 

यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता है

हवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है

~मंज़ूर_हाशमी

 

कोई भी नहीं जिस पे भरोसा कीजे

याँ लोग बदल जाते हैं मौसम की तरह

Bharosa shayari भरोसा शायरी 

उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ़

हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा

~अमीर क़ज़लबाश

 

उम्र जितनी भी कटी उस के भरोसे पे कटी

और अब सोचता हूँ उस का भरोसा क्या था

~शहज़ाद अहमद

 

सवाल ही नहीं दुनिया से मेरे जाने का

मुझे यक़ीन है जब तक किसी के आने का

~अनवर शऊर

 

आदमी बुलबुला है पानी का

क्या भरोसा है ज़िंदगानी का

 

मेरी ज़बाँ से मेरी दास्ताँ सुनो तो सही

यक़ीं करो न करो मेहरबाँ सुनो तो सही

~सुदर्शन फ़ाकिर ~Goodmorning

 

यक़ीं न आए तो इक बात पूछ कर देखो

जो हँस रहा है, वो ज़ख़्मों से चूर निकलेगा

~अमीर क़ज़लबाश

  

मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर

तेरा क्या भरोसा है चारागर,

ये तेरी नवाज़िश-ए-मुख़्तसर

मेरा दर्द और बढ़ा न दे,

~ShakeelBadayuni

 

 सो देख कर तिरे रुख़्सार ओ लब यक़ीं आया

कि फूल खिलते हैं गुलज़ार के अलावा भी

~Faraz

 

दिल को तेरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है

और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता

~अहमद फ़राज़

 

वो शख़्स बड़ा है तो ग़लत हो नहीं सकता

दुनिया को भरोसा ये अभी तो नहीं होगा

~आलोक_श्रीवास्तव

इरादे छूटने वाले ना अरमाँ टूटने वाले

मुझे तुझ पर यक़ीं हैं ऐ मेरा दिल लूटने वाले

तुझे मेरी मुहब्बत का न अब तक ऐतबार आया

न कोई वादा न कोई यक़ीं न कोई उम्मीद

मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था

~Firaq

 

हसीनो पर यक़ीं करना सरासर बेवकूफ़ी है,

अदा इन की है क़ाफ़िर तो फरेबी चाल है प्यारे !!

 

यक़ीन उसी के वादे पे लाना पड़ेगा

ये धोखा तो दानिस्ता खाना पड़ेगा

~मुनीर_भोपाली

 

ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें,

जो हो ज़ौक़-ए-यक़ीं पैदा तो कट जाती हैं ज़ंजीरें !! -अल्लामा इक़बाल

इस हादसे को सुन के करेगा यक़ीं कोई

सूरज को एक झोंका हवा का बुझा गया

 

आदमी बुलबुला है पानी का

क्या भरोसा है ज़िंदगानी का

~रज़ा

Bharosa shayari भरोसा शायरी हिंदी में 

  

जो होने वाला है अब उसकी फ़िक्र क्या कीजे

जो हो चुका है उसी पर यक़ीं नहीं आता

~ Shahryar 

 

मैं उस के वादे का अब भी यक़ीन करता हूँ

हज़ार बार जिसे आज़मा लिया मैं ने

~मख़मूर_सईदी

  

उस पे आती है मोहब्बत ऐसे

झूठ पे जैसे यकीन आता है

 

मुश्किल का मेरी उनको मुश्किल से यक़ीन आया

समझे मेरी मुश्किल को लेकिन बड़ी मुश्किल से

  

नज़र जो कोई भी तुझ सा हसीं नहीं आता

किसी को क्या मुझे ख़ुद भी यक़ीं नहीं आता

          

 

सर में सौदा* भी नहीं,  दिल में तमन्ना भी नहीं

लेकिन इस तर्क-ए-मोहब्बत का भरोसा भी नहीं

 

यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता है

हवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है

 

अब ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं रहा

मरने लगे हैं लोग क़ज़ा के बग़ैर भी

~Munawwar Rana

 

मिल ही जाएगा कभी दिल को यक़ीं रहता है

वो इसी शहर की गलियों में कहीं रहता है

~अहमद_मुश्ताक़

 

उम्र जितनी भी कटी उस के भरोसे पे कटी

और अब सोचता हूँ उस का भरोसा क्या था

~शहज़ाद_अहमद

 

उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़

हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा

~अमीर_क़ज़लबाश

 

यक़ीन किस पे करें किस को दोस्त ठहराएँ

हर आस्तीन में पोशीदा कोई ख़ंजर है

~हफ़ीज़_बनारसी

 

मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर तिरा क्या भरोसा है चारागर

ये तिरी नवाज़िश-ए-मुख़्तसर मेरा दर्द और बढ़ा न दे

~शकील_बदायुनी

 

न कर किसी पे भरोसा कि कश्तियाँ डूबें

ख़ुदा के होते हुए नाख़ुदा के होते हुए

~अहमद_फ़राज़

 

  

अच्छा यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देख

इक तू ही नाख़ुदा नहीं ज़ालिम ख़ुदा भी है

~QatilShifai

 

यक़ीन चाँद पे सूरज में ए’तिबार भी रख

मगर निगाह में थोड़ा सा इंतिज़ार भी रख

~NidaFazli

  

चाहिए ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिल

हौसला किसका बढ़ाता है कोई

 

यूँ न मुरझा कि मुझे ख़ुद पे भरोसा न रहे

पिछले मौसम में तिरे साथ खिला हूँ मैं भी

~मज़हर_इमाम

बुरी है आग पेट की,बुरे हैं दिल के दाग़ ये

न दब सकेंगे,एक दिन बनेंगे इन्क़लाब ये

तू ज़िन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर

~शैलेन्द्र

यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता है

हवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है

~ManzoorHashmi

 

उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़

हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा

~AmeerQazalbash

 

क्यूँ इतना हमें अपनी मोहब्बत पे यक़ीं है

दुनिया तो मोहब्बत की परस्तार नहीं है

~आलम_ख़ुर्शीद

 

~BackToBachpan

मुझको यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं

जब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थीं

यक़ीन चाँद पे, सूरज में एतिबार भी रख

मगर निगाह में थोड़ा सा इंतिज़ार भी रख

~NidaFazli

उठा कर रोज़ ले जाता है मेरे ख़्वाब का मंज़र

वो मुझ से रोज़ कहता है भरोसा क्यूँ नहीं करते

~ख़ालिद_महमूद

 

तुम समुंदर की रिफ़ाक़त पे भरोसा न करो

तिश्नगी लब पे सजाए हुए मर जाओगे

कैफ़_अज़ीमाबादी

Bharosa shayari भरोसा शायरी

नहीं नहीं मैं बहुत ख़ुश रहा हूँ तेरे बग़ैर

यक़ीन कर कि ये हालत अभी अभी हुई है

~IrfanSattar

 

दिल को तेरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है

और तुझसे बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता

~AhmadFaraz

 

नक़ाब कहती है मैं पर्दा-ए-क़यामत हूँ

अगर यक़ीन न हो देख लो उठा के मुझे ~जलील_मानिकपुरी

 

न कोई वादा, न कोई यक़ीं. न कोई उम्मीद

मगर हमें तो तेरा इंतिज़ार करना था

~Firaq

    

उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़

हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा ~AmeerQazalbash

मुंसिफ़ = judge

 

यक़ीन चाँद पे सूरज में ए’तिबार भी रख

मगर निगाह में थोड़ा सा इंतिज़ार भी रख ~NidaaFazali

  

यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता है

हवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है ~manzoorhashmi

 

 

 Bharosa Shayari – Trust Shayari roman

doston jevan mein bharosa yani yaken bahut zaroore hota hai, jevan mein kae log ap par bharosa karaten hain aur ap bhe apane sathiyon par bharosa karate hain …parasapar yah vishvas aur bharosa he har rishte ko banata hai ……aiye janate hain ke prakhyat shayaron ne bharosa par shayari mein kya kaha hai ..

 

Bharosa par hindi shayari ka sabase achchha sangrah yahan upalabdh hai, ap is Bharosa hindi shayari ko apane Bharosa wahatsapp status ke roop mein upayog kar sakaten hai ya ap is Bharosa shayari ko apane doston ko facebook par bhi bhej sakaten hain. Bharosa par hindi ke yah sher, apaki bhavanaon  ko vyakt  karane mein apaki madad kar sakaten hain. Bharosa par shayari ka yahan sabase achchha collection hai.

sabhi hindi shayari ki list yahan hain. Hindi Shayari

 

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vo mujh ko bhool chuka ab yaqin hai varna

vafa nahin to jafaon ka silasila rakhata

~iffat zarrin

 

vae khush-fahami ki parvaz-e-yaqin se bhi gae

asaman chhoone ki khvahish mein zamin se bhi gae

~zafar kalim

 

yoon mulaqat ka ye daur banae rakhie

maut kab sath nibha jae bharosa kya hai

 

chahie khud pe yaqin-e-kamil

hausala kis ka badhata hai koi

~shakil badayuni

  

na koi vada na koi yaqin na koi umid

magar hamen to tera intizar karana tha

~firaq gorakhapuri

   

divaren chhoti hoti thin lekin parda hota tha

tale ki ijad se pahale sirf bharosa hota tha

jab tak matha choom ke rukhsat karane vali zinda thi

daravaze ke bahar tak bhi munh mein luqma hota tha

~azahar farag

 

ajab ye daur aya hai ki jis mein

galat kuchh bhi nahin sab kuchh sahi hai

mukammal khud ko jo bhi manata hai

yaqin mane bahut us mein kami hai

~niraj gosvami

     

tumhare panv ke niche koi zamin nahin

kamal ye hai ki, fir bhi tumhen yaqin nahin

~dushyant kumar

 

use guman hai ki meri udan kuchh kam hai

mujhe yaqin hai ki ye asaman kuchh kam hai

~nafas ambalavi

 

yaqin ho to koi rasta nikalata hai

hava ki ot bhi le kar charag jalata hai

~manzoor_hashami

 

koi bhi nahin jis pe bharosa kije

yan log badal jate hain mausam ki tarah

usi ka shahar, vahi muddi, vahi munsif

hamen yaqin tha hamara qusoor nikalega

~amir qazalabash

 

umr jitani bhi kati us ke bharose pe kati

aur ab sochata hoon us ka bharosa kya tha

~shahazad ahamad

 

saval hi nahin duniya se mere jane ka

mujhe yaqin hai jab tak kisi ke ane ka

~anavar shoor

 

adami bulabula hai pani ka

kya bharosa hai zindagani ka

 

meri zaban se meri dastan suno to sahi

yaqin karo na karo meharaban suno to sahi

~sudarshan fakir ~goodmorning

 

yaqin na ae to ik bat poochh kar dekho

jo hans raha hai, vo zakhmon se choor nikalega

~amir qazalabash

  

mujhe chhod de mere hal par

tera kya bharosa hai charagar,

ye teri navazish-e-mukhtasar

mera dard aur badha na de,

~shakaiailbadayuni

 

 so dekh kar tire rukhsar o lab yaqin aya

ki fool khilate hain gulazar ke alava bhi

~faraz

 

dil ko teri chahat pe bharosa bhi bahut hai

aur tujh se bichhad jane ka dar bhi nahin jata

~ahamad faraz

 

vo shakhs bada hai to galat ho nahin sakata

duniya ko bharosa ye abhi to nahin hoga

~alok_shrivastav

irade chhootane vale na araman tootane vale

mujhe tujh par yaqin hain ai mera dil lootane vale

tujhe meri muhabbat ka na ab tak aitabar aya

na koi vada na koi yaqin na koi ummid

magar hamen to tira intizar karana tha

~firaq

 

hasino par yaqin karana sarasar bevakoofi hai,

ada in ki hai qafir to farebi chal hai pyare !!

 

yaqin usi ke vade pe lana padega

ye dhokha to danista khana padega

~munir_bhopali

 

gulami mein na kam ati hain shamashiren na tadabiren,

jo ho zauq-e-yaqin paida to kat jati hain zanjiren !! -allama iqabal

is hadase ko sun ke karega yaqin koi

sooraj ko ek jhonka hava ka bujha gaya

 

adami bulabula hai pani ka

kya bharosa hai zindagani ka

~raza

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jo hone vala hai ab usaki fikr kya kije

jo ho chuka hai usi par yaqin nahin ata

~ shahryar 

 

main us ke vade ka ab bhi yaqin karata hoon

hazar bar jise azama liya main ne

~makhamoor_saidi

  

us pe ati hai mohabbat aise

jhooth pe jaise yaken ata hai

 

mushkil ka meri unako mushkil se yaqin aya

samajhe meri mushkil ko lekin badi mushkil se

  

nazar jo koi bhi tujh sa hasin nahin ata

kisi ko kya mujhe khud bhi yaqin nahin ata

    

sar mein sauda* bhi nahin,  dil mein tamanna bhi nahin

lekin is tark-e-mohabbat ka bharosa bhi nahin

 

yaqin ho to koi rasta nikalata hai

hava ki ot bhi le kar charag jalata hai

 

ab zindagi ka koi bharosa nahin raha

marane lage hain log qaza ke bagair bhi

~munawwar ran

 

mil hi jaega kabhi dil ko yaqin rahata hai

vo isi shahar ki galiyon mein kahin rahata hai

~ahamad_mushtaq

 

umr jitani bhi kati us ke bharose pe kati

aur ab sochata hoon us ka bharosa kya tha

~shahazad_ahamad

 

usi ka shahar vahi muddi vahi munsif

hamen yaqin tha hamara qusoor nikalega

~amir_qazalabash

 

yaqin kis pe karen kis ko dost thaharaen

har astin mein poshida koi khanjar hai

~hafiz_banarasi

 

mujhe chhod de mere hal par tira kya bharosa hai charagar

ye tiri navazish-e-mukhtasar mera dard aur badha na de

~shakil_badayuni

 

na kar kisi pe bharosa ki kashtiyan dooben

khuda ke hote hue nakhuda ke hote hue

~ahamad_faraz

achchha yaqin nahin hai to kashti duba ke dekh

ik too hi nakhuda nahin zalim khuda bhi hai

~qatilshifai

 

yaqin chand pe sooraj mein etibar bhi rakh

magar nigah mein thoda sa intizar bhi rakh

~nidafazli

  

chahie khud pe yaqin-e-kamil

hausala kisaka badhata hai koi

 

yoon na murajha ki mujhe khud pe bharosa na rahe

pichhale mausam mein tire sath khila hoon main bhi

~mazahar_imam

buri hai ag pet ki,bure hain dil ke dag ye

na dab sakenge,ek din banenge inqalab ye

too zinda hai to zindagi ki jit mein yaken kar

~shailendr

yaqin ho to koi rasta nikalata hai

hava ki ot bhi le kar charag jalata hai

~manzoorhashmi

 

usi ka shahar vahi muddi vahi munsif

hamen yaqin tha hamara qusoor nikalega

~amaiairqazalbas

 

kyoon itana hamen apani mohabbat pe yaqin hai

duniya to mohabbat ki parastar nahin hai

~alam_khurshid

 

~bachktobachhpan

mujhako yaqin hai sach kahati thin jo bhi ammi kahati thin

jab mere bachapan ke din the chand mein pariyan rahati thin

yaqin chand pe, sooraj mein etibar bhi rakh

magar nigah mein thoda sa intizar bhi rakh

~nidafazli

utha kar roz le jata hai mere khvab ka manzar

vo mujh se roz kahata hai bharosa kyoon nahin karate

~khalid_mahamood

 

tum samundar ki rifaqat pe bharosa na karo

tishnagi lab pe sajae hue mar jaoge

kaif_azimabadi

 

nahin nahin main bahut khush raha hoon tere bagair

yaqin kar ki ye halat abhi abhi hui hai

~irfansattar

 

dil ko teri chahat pe bharosa bhi bahut hai

aur tujhase bichhad jane ka dar bhi nahin jata

~ahmadfaraz

 

naqab kahati hai main parda-e-qayamat hoon

agar yaqin na ho dekh lo utha ke mujhe ~jalil_manikapuri

 

na koi vada, na koi yaqin. na koi ummid

magar hamen to tera intizar karana tha

~firaq

    

usi ka shahar vahi muddi vahi munsif

hamen yaqin tha hamara qusoor nikalega ~amaiairqazalbash

munsif = judgai

 

yaqin chand pe sooraj mein etibar bhi rakh

magar nigah mein thoda sa intizar bhi rakh ~nidafazali

  

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Koshish Shayari– कोशिश शायरी – Effort Shayari

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कोशिश शायरी

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सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मिरा मक़्सद नहीं

मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए

~दुष्यंत कुमार –

 

हो गए कोशिश में अपनी काम वाले कामयाब

और नाकारा मुक़द्दर का गिला करते रहे

~ख़लीलुर्रहमान राज़

 

कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ

उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की

~गुलज़ार

मेरी कोशिश तो यही है कि ये मासूम रहे

और दिल है कि समझदार हुआ जाता है

– विकास शर्मा राज़

 

कोशिश भी कर, उमीद भी रख, रास्ता भी चुन

फिर इस के बाद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर

~निदा फ़ाज़ली

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मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए

बन गई है मसअला सारे ज़माने के लिए

~ज़फ़र गोरखपुरी

 

इस क़दर लुत्फ़ बिखरने में मिला है मुझ को

मैं ने कोशिश ही नहीं की कभी यकजा हो जाऊँ

~सरफ़राज़_नवाज़

‏Koshish Shayari– कोशिश शायरी

ये और बात कि चाहत के ज़ख़्म गहरे हैं

तुझे भुलाने की कोशिश तो वर्ना की है बहुत

~महमूद_शाम

चलो इक और कोशिश कर के देखें

यूँही घुट घुट के मर जाना नहीं है

~बिलक़ीस_ज़फ़ीरुल_हसन

 

बेगुनाही जुर्म था अपना सो इस कोशिश में हूँ

सुर्ख़-रू मैं भी रहूँ क़ातिल भी शर्मिंदा न हो

~सुरूर_बाराबंकवी

कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया

हर काम में हमेशा कोई काम रह गया

~nidafazli

Koshish Shayari– कोशिश शायरी

हर साँस उखड़ जाने की कोशिश में परेशाँ,

सीने में कोई है जो गिरफ़्तार बहुत है !!

चारागर लाख करें कोशिश-ए-दरमाँ लेकिन

दर्द इस पर भी न कम हो तो ग़ज़ल होती है !!

koshish shayari
koshish shayari

एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है

मैंने हर करवट सोने की कोशिश की

~Gulzar

 

लाख कोशिश पर भी घर को घर न कर पाए ‘शफ़ीक़’

और फिर हमने मकाँ को बस मकाँ रहने दिया

~ShafiqSaleemi

 

कल फ़िर चाँद का खंजर घोप के सीने में

रात ने मेरी जान लेने की कोशीश की..!

-गुलज़ार

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कोशिश हज़ार करती रहें तेज़ आँधियाँ

लेकिन वो एक पत्ता अभी तक हिला न था ~Asshufta

 

जुगनुओं की कोशिशों को सब बुरा कहने लगे….

लोग सूरज को उजाले का खुदा कहने लगे!

 

Koshish Shayari– कोशिश शायरी

ख़्वाहिश ये नहीं की तारीफ़ हर कोई करे……

कोशिश ये ज़रूर है की कोई बुरा ना कहे…..

 

ज़िन्दगी तेरे किसी रंगों से, रंगदारी ना हो पायी,

हर लम्हा मैंने कोशिश की, पर यारी ना हो पायी !!

 

Hinglish Font me Koshish Shayari – Effort Shayari

irf hangama khada karana mira maqsad nahin

meri koshish hai ki ye soorat badalani chahie

~dushyant kumar –

 

ho gae koshish mein apani kam vale kamayab

aur nakara muqaddar ka gila karate rahe

~khalilurrahaman raz

 

kitani lambi khamoshi se guzara hoon

un se kitana kuchh kahane ki koshish ki

~gulazar

meri koshish to yahi hai ki ye masoom rahe

aur dil hai ki samajhadar hua jata hai

– vikas sharma raz

 

koshish bhi kar, umid bhi rakh, rasta bhi chun

fir is ke bad thoda muqaddar talash kar

~nida fazali

 

meri ik chhoti si koshish tujh ko pane ke lie

ban gai hai masala sare zamane ke lie

~zafar gorakhapuri

 

is qadar lutf bikharane mein mila hai mujh ko

main ne koshish hi nahin ki kabhi yakaja ho jaoon

~sarafaraz_navaz

‏koshish shayari– koshish shayari

ye aur bat ki chahat ke zakhm gahare hain

tujhe bhulane ki koshish to varna ki hai bahut

~mahamood_sham

chalo ik aur koshish kar ke dekhen

yoonhi ghut ghut ke mar jana nahin hai

~bilaqis_zafirul_hasan

 

begunahi jurm tha apana so is koshish mein hoon

surkh-roo main bhi rahoon qatil bhi sharminda na ho

~suroor_barabankavi

koshish ke bavajood ye ilzam rah gaya

har kam mein hamesha koi kam rah gaya

~nidafazli

koshish shayari– koshish shayari

har sans ukhad jane ki koshish mein pareshan,

sine mein koi hai jo giraftar bahut hai !!

charagar lakh karen koshish-e-daraman lekin

dard is par bhi na kam ho to gazal hoti hai !!

 

ek hi khvab ne sari rat jagaya hai

mainne har karavat sone ki koshish ki

~gulzar

 

lakh koshish par bhi ghar ko ghar na kar pae shafiq

aur fir hamane makan ko bas makan rahane diya

~shafiqsalaiaimi

 

kal fir chand ka khanjar ghop ke sine mein

rat ne meri jan lene ki koshish ki..!

-gulazar

‏‏

koshish hazar karati rahen tez andhiyan

lekin vo ek patta abhi tak hila na tha ~asshuft

 

juganuon ki koshishon ko sab bura kahane lage….

log sooraj ko ujale ka khuda kahane lage!

 

koshish shayari– koshish shayari

khvahish ye nahin ki tarif har koi kare……

koshish ye zaroor hai ki koi bura na kahe…..

 

zindagi tere kisi rangon se, rangadari na ho payi,

har lamha mainne koshish ki, par yari na ho payi !!

 

 

 

 

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Nafrat Shayari– नफरत शायरी – Hate Shayari

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नफरत शायरी

नफरत पर हिंदी शायरी का सबसे अच्छा संग्रह यहाँ उपलब्ध है, आप इस नफरत शायरी को अपने वाहट्सएप्प स्टेटस के रूप में उपयोग कर सकतें है या आप इस बेहतरीन नफरत शायरी को अपने दोस्तों को फेसबुक पर भी भेज सकतें हैं। नफरत पर हिंदी के यह शेर, आपकी भावनाओं और गुस्से को व्यक्त करने में आपकी मदद कर सकतें हैं। नफरत पर शायरी का यहाँ सबसे अच्छा कलेक्शन है. अगर कोई आपसे नफरत करता है तो आप मशहूर शायरों के नफरत शायरी पर यह शेर उसे भेज सकते हैं या नफरत शायरी अपने स्टेटस में लिख सकते हैं.

सभी हिंदी शायरी की लिस्ट यहाँ हैं। Hindi Shayari

 

छोटी सी इस कहानी को

एक और फ़साना मिल गया,

उनको हमसे नफ़रत का

एक और बहाना मिल गया !!

 

वो लोग अपने आप में कितने अज़ीम थे

जो अपने दुश्मनों से भी नफ़रत न कर सके

~खलील तनवीर

 

जिस क़दर नफ़रत बढ़ाई उतनी ही क़ुर्बत बढ़ी

अब जो महफ़िल में नहीं है वो तुम्हारे दिल में है

~आरज़ू लखनवी

 

कैसे उन्हें भुलाऊँ मोहब्बत जिन्हों ने की

मुझ को तो वो भी याद हैं नफ़रत जिन्हों ने की

~अहमद मुश्ताक़

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वह मोहब्बत भी उसकी थी, वह नफरत भी उसकी थी

वह अपनाने और ठुकराने की अदा भी उसकी थी

हम अपनी वफा का इंसाफ किससे मांगते

वह शहर भी उसका था वह अदालत भी उसकी थी

 

अजीब सी आदत और गजब की फितरत है मेरी

मोहब्बत हो कि नफरत हो बहुत शिद्दत से करता हूं

 

खुदा सलामत रखना उन्हें जो हमसे नफरत करते हैं

 प्यार ना सही नफरत ही सही कुछ तो है वह किस सिर्फ हमसे करते हैं

Nafrat Shayari – Hate Shayari

 

 

चला जाऊंगा मैं  धुंध  के बादल की तरह

देखते रह जाओगे मुझे पागल की तरह

जब करते हो मुझसे इतनी नफरत

तो क्यों सजाते  हो तुम मुझे काजल की तरह

 

दिलों में गर पली बेजा कोई हसरत नहीं होती

हम इंसानों को इंसानों से यु नफरत नहीं होती

 

दुनिया को नफरत का यकीन नहीं दिलाना पड़ता

मगर लोग मोहब्बत का सबूत ज़रूर मांगते है.

 

मत रख इतनी नफरतें अपने दिल में ए इन्सान

जिस दिल में नफरत होती है उस दिल में रब नहीं बसता

 

गुजरें हैं राह ए इश्क में हुम उस मुकाम से

नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से

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नफरत करोगे तो अधुरा किस्सा हूँ मैं

मोहब्बत करोगे तो तुम्हारा ही हिस्सा हूँ में

 

मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना

ज़रा से भी चुके तो मोहब्बत हो जाएगी

 

कोई तो वजह होगी, बेवजह कोई नफरत नहीं करता,

हम तो उनके दिल की समझते हैं,

वो हमें समझने की कोशिश नहीं करता,

 

प्यार करता हूँ इसलिए फ़िक्र करता हूँ

नफरत करूँगा तो ज़िक्र भी नहीं करूंगा

 

Nafrat Shayari – Hate Shayari

 

नफरतों का सिलसिला जारी  है

लगता है दूर जाने की तयारी है

दिल तो पहले दे चुके हैं हम

लगता है अब जान देने की बारी है

 

हक़ से अगर दो तो नफरत भी कबूल हमें

खैरात मैं तो हम तुम्हारी मोहब्बत भी ना लें.

 

हर चीज़ नहीं है मरकज़ पर

इक ज़र्रा इधर इक ज़र्रा उधर

नफ़रत से न देखो दुश्मन को

शायद वो मोहब्बत कर बैठे

~शकील बदायुनी

 

नए साल में पिछली नफ़रत भुला दें

चलो अपनी दुनिया को जन्नत बना दें

 

दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी ले आता हूँ

बस इसी बात से दुश्मन मुझे पहचान गए

~शुजा ख़ावर

 

उन से सब अपनी अपनी कहते हैं

मेरा मतलब, अदा करे कोई

चाह से आप को तो नफ़रत है

मुझ को चाहे, ख़ुदा करे कोई

 

 

पिला दे ओक से साक़ी जो हम से नफ़रत है

पियाला गर नहीं देता न दे शराब तो दे ~मिर्ज़ा ग़ालिब

 

ख़ुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा

जिसे नफ़रत है उस के आदमी से

~नरेश_कुमार_शाद

 

Nafrat Shayari – Hate Shayari

 

नफ़रत-ओ-बोग़्ज़-ओ-अदावत का अन्धेरा दूर हो,

बज़्म मे डालो तुम ऐसी रौशनी आफ़ताब की !!

 

आज तय कर लिया है फुर्क़त में

उम्र गुज़रेगी तुम से नफ़रत में

~आरिफ_इश्तियाक़

 

नफ़रत का गुमाँ गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा

क्यूँकर कहूँ लो नाम न उन का मिरे आगे

 ~Ghalib

 

पिला दे ओक से साक़ी जो मुझ से नफ़रत है

पियाला गर नहीं देता न दे शराब तो दे

~मिर्ज़ा_ग़ालिब

 

होने को यूँ तो शहर में अपना मकान था

नफ़रत का रेगज़ार मगर दरमियान था

 

दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी ले आता हूँ

बस इसी बात से दुश्मन मुझे पहचान गए ~ShujaKhaawar

 

बे पिए ही शराब से नफ़रत

ये जहालत नही तो और क्या है..?

-साहिर लुधियानवी

रिन्दाने-जहां से ये नफरत,

ऐ हजरते-वाइज़ क्या कहना,

अल्लाह के आगे बस न चला,

बंदों से बगावत कर बैठे।

-फैज़ अहमद फैज़

 

मुझे सामने बिठा,

गले लगे कईयों से वो,

~नफरत भी ‘वो’

बड़े करीने से करते हैं.

 

नफ़रत भी क्यों करे उससे,

उतना वास्ता भी क्यों रक्खे उससे..

 

हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, सबको ही सम्मान मिला।

गीता-ग्रंथ-बाइबिल के संग, है पवित्र कुरआन मिला।

नफरत की खाई मत खोदो, मत खींचो दीवार कोई,

जो भी इस माटी में जन्म, उसको हिंदुस्तान मिला।

 

हर शख्स को नफरत है झूठ से,,

मैं परेशान हु सोच कर की फिर ये झूठ बोलता  कौन है …..???

 

मोहब्बत है की नफरत कोई तो मुझे समझाये,

कभी मैं दिल से लडता हूँ,  कभी दिल मुझसे लडता है!

 

कभी तेरी हसरत में जी लेते थे

अब तेरी नफरत में जी लेते है’

 

Nafrat Shayari – Hate Shayari

 

लगता  है आज फिर कोई आँधी आने वाली है

दर्द को दर्द से नफरत होने वाली है

शायद मोहबत्त दरवाजे पर दस्तक देने वाली है

 

अगर मेरी उल्फतों से तंग आ जाओ तो बता देना दोस्तों,

मुझे नफरत तो गवारा है मगर दिखावे की मुहब्बत नहीं

 

मत देख की कोई गुनेहगार कितना है

यह देख के वो तेरा वफादार कितना है

यह मत सोच के कुछ लोगो को उससे नफरत है

यह देख की उसे तुससे प्यार कितना है

 

नफरत को हम प्यार देते है …..

प्यार पे खुशियाँ वार देते है …

बहुत सोच समझकर हमसे कोई वादा करना..

” ऐ दोस्त ” हम वादे पर जिदंगी गुजार देते है

 

इतनी नफरत कहाँ से लाते है लोग ?
मुझे तो मोहब्बत और मुस्कुराने से ही फुर्सत नही मिलती

 

नफरत करके क्यो बढ़ाते हो अहमियत किसी की!
माफ करके शर्मिंदा करने का तरीका भी तो कुछ बुरा नहीं!!

 

नफरत बुरी है न पालो इसे. दिलों में,

 खलिश है तो हटा लो इसे.

न तेरा. न मेरा. न उसका.

ये सबका वतन है संभालो इसे।

 

Nafrat Shayari – Hate Shayari in Roman

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chhoti si is kahaani ko

ek aur fasaana mil gaya,

unako hamase nafarat ka

ek aur bahaana mil gaya !!

 

vo log apane aap mein kitane azim the

jo apane dushmanon se bhi nafarat na kar sake

~khalil tanavir

 

jis qadar nafarat badhai utani hi qurbat badhi

ab jo mahafil mein nahin hai vo tumhaare dil mein hai

~aarazu lakhanavi

 

kaise unhen bhulaun mohabbat jinhon ne ki

mujh ko to vo bhi yaad hain nafarat jinhon ne ki

~ahamad mushtaaq

 

vah mohabbat bhi usaki thi, vah nafrat bhi usaki thi

vah apanaane aur thukaraane ki ada bhi usaki thi

ham apani vapha ka insaaph kisase maangate

vah shahar bhi usaka tha vah adaalat bhi usaki thi

 

ajib si aadat aur gajab ki phitarat hai meri

mohabbat ho ki nafrat ho bahut shiddat se karata hun

 

khuda salaamat rakhana unhen jo hamase nafrat karate hain

 pyaar na sahi nafrat hi sahi kuchh to hai vah kis sirph hamase karate hain

nafrat shayari – hatai shayari

 

 

chala jaunga main  dhundh  ke baadal ki tarah

dekhate rah jaoge mujhe paagal ki tarah

jab karate ho mujhase itani nafrat

to kyon sajaate  ho tum mujhe kaajal ki tarah

 

dilon mein gar pali beja koi hasarat nahin hoti

ham insaanon ko insaanon se yu nafrat nahin hoti

 

duniya ko nafrat ka yakin nahin dilaana padata

magar log mohabbat ka sabut zarur maangate hai.

 

mat rakh itani nafraten apane dil mein e insaan

jis dil mein nafrat hoti hai us dil mein rab nahin basata

 

gujaren hain raah e ishk mein hum us mukaam se

nafrat si ho gayi hai mohabbat ke naam se

 

nafrat karoge to adhura kissa hun main

mohabbat karoge to tumhaara hi hissa hun mein

 

mujhase nafrat hi karani hai to iraade majabut rakhana

zara se bhi chuke to mohabbat ho jaegi

 

koi to vajah hogi, bevajah koi nafrat nahin karata,

ham to unake dil ki samajhate hain,

vo hamen samajhane ki koshish nahin karata,

 

pyaar karata hun isalie fikr karata hun

nafrat karunga to zikr bhi nahin karunga

 

nafrat shayari – hatai shayari

 

nafraton ka silasila jaari  hai

lagata hai dur jaane ki tayaari hai

dil to pahale de chuke hain ham

lagata hai ab jaan dene ki baari hai

 

haq se agar do to nafrat bhi kabul hamen

khairaat main to ham tumhaari mohabbat bhi na len.

 

 

 

har chiz nahin hai marakaz par

ik zarra idhar ik zarra udhar

nafarat se na dekho dushman ko

shaayad vo mohabbat kar baithe

~shakil badaayuni

 

nae saal mein pichhali nafarat bhula den

chalo apani duniya ko jannat bana den

 

dil mein nafarat ho to chehare pe bhi le aata hun

bas isi baat se dushman mujhe pahachaan gae

~shuja khaavar

 

un se sab apani apani kahate hain

mera matalab, ada kare koi

chaah se aap ko to nafarat hai

mujh ko chaahe, khuda kare koi

 

pila de ok se saaqi jo ham se nafarat hai

piyaala gar nahin deta na de sharaab to de ~mirza gaalib

 

khuda se kya mohabbat kar sakega

jise nafarat hai us ke aadami se

~naresh_kumaar_shaad

 

nafrat shayari – hatai shayari

 

nafarat-o-bogz-o-adaavat ka andhera dur ho,

bazm me daalo tum aisi raushani aafataab ki !!

 

aaj tay kar liya hai phurqat mein

umr guzaregi tum se nafarat mein

~aariph_ishtiyaaq

 

‏nafarat ka gumaan guzare hai main rashk se guzara

kyunkar kahun lo naam na un ka mire aage

 ~ghalib

 

pila de ok se saaqi jo mujh se nafarat hai

piyaala gar nahin deta na de sharaab to de

~mirza_gaalib

 

hone ko yun to shahar mein apana makaan tha

nafarat ka regazaar magar daramiyaan tha

 

dil mein nafarat ho to chehare pe bhi le aata hun

bas isi baat se dushman mujhe pahachaan gae ~shujakhaawar

 

be pie hi sharaab se nafarat

ye jahaalat nahi to aur kya hai..?

-saahir ludhiyaanavi

 

rindaane-jahaan se ye nafrat,

ai hajarate-vaiz kya kahana,

allaah ke aage bas na chala,

bandon se bagaavat kar baithe.

-phaiz ahamad phaiz

 

mujhe saamane bitha,

gale lage kaiyon se vo,

~nafrat bhi vo

bade karine se karate hain.

 

nafarat bhi kyon kare usase,

utana vaasta bhi kyon rakkhe usase..

 

hindu-muslim-sikh-isai, sabako hi sammaan mila.

gita-granth-baibil ke sang, hai pavitr kuraan mila.

nafrat ki khai mat khodo, mat khincho divaar koi,

jo bhi is maati mein janm, usako hindustaan mila.

 

har shakhs ko nafrat hai jhuth se,,

main pareshaan hu soch kar ki phir ye jhuth bolata  kaun hai …..???

 

mohabbat hai ki nafrat koi to mujhe samajhaaye,

kabhi main dil se ladata hun,  kabhi dil mujhase ladata hai!

 

kabhi teri hasarat mein ji lete the

ab teri nafrat mein ji lete hai

 

nafrat shayari – hatai shayari

 

lagata  hai aaj phir koi aandhi aane vaali hai

dard ko dard se nafrat hone vaali hai

shaayad mohabatt daravaaje par dastak dene vaali hai

 

agar meri ulphaton se tang aa jao to bata dena doston,

mujhe nafrat to gavaara hai magar dikhaave ki muhabbat nahin

 

mat dekh ki koi gunehagaar kitana hai

yah dekh ke vo tera vaphaadaar kitana hai

yah mat soch ke kuchh logo ko usase nafrat hai

yah dekh ki use tusase pyaar kitana hai

 

nafrat ko ham pyaar dete hai …..

pyaar pe khushiyaan vaar dete hai …

bahut soch samajhakar hamase koi vaada karana..

” ai dost ” ham vaade par jidangi gujaar dete hai

 

itani nafrat kahaan se laate hai log ?

mujhe to mohabbat aur muskuraane se hi phursat nahi milati

 

nafrat karake kyo badhaate ho ahamiyat kisi ki!

maaph karake sharminda karane ka tarika bhi to kuchh bura nahin!!

 

nafrat buri hai na paalo ise. dilon mein, khalish hai to hata lo ise. na tera. na mera. na usaka. ye sabaka vatan hai sambhaalo ise.

 

 

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Shayari on Wafa वफ़ा शायरी – वफ़ा पर शायरी

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वफ़ा पर हिंदी शायरी का सबसे अच्छा संग्रह यहाँ उपलब्ध है, आप इस वफ़ा हिंदी शायरी को अपने हिंदी वाहट्सएप्प स्टेटस के रूप में उपयोग कर सकतें है या आप इस बेहतरीन हिंदी शायरी को अपने दोस्तों को फेसबुक पर भी भेज सकतें हैं। वफ़ा लफ्ज़ पर हिंदी के यह शेर, आपकी भावनाओं को व्यक्त करने में आपकी मदद कर सकतें हैं। वफ़ा पर शायरी का यहाँ सबसे अच्छा कलेक्शन है.

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Shayari on Wafa

उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो

हर बात में लज़्ज़त है अगर दिल में मज़ा हो

~अमीर मीनाई

 

क्यूँ किसी से वफ़ा करे कोई

दिल न माने तो क्या करे कोई

~यगाना चंगेज़ी

 

ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती

ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें

~अहमद फ़राज़

 

क्यूँ पशेमाँ हो अगर वादा वफ़ा हो न सका

कहीं वादे भी निभाने के लिए होते हैं

~इबरत मछलीशहरी

 

इस ज़िंदगी ने साथ किसी का नहीं दिया

किस बेवफ़ा से तुझ को तमन्ना वफ़ा की है

~मख़फ़ी बदायूनी

    

वफ़ा तुम से करेंगे, दुख सहेंगे, नाज़ उठाएँगे

जिसे आता है दिल देना उसे हर काम आता है

~आरज़ू लखनवी

Shayari on Wafa

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ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक

न लो इंतिक़ाम मुझ से मेरे साथ साथ चल के

~ख़ुमार बाराबंकवी

  

उन्हों ने क्या न किया और क्या नहीं करते

हज़ार कुछ हो मगर इक वफ़ा नहीं करते

~मुज़्तर_ख़ैराबादी

    

हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद

जो नहीं जानते वफ़ा क्या है

~मिर्ज़ा ग़ालिब

 

सज़ा ये दी है कि आँखों से छीन लीं नींदें

क़ुसूर ये था कि जीने के ख़्वाब देखे थे

किसी ने रेत के तूफ़ाँ में ला के छोड़ दिया

ये जुर्म था कि वफ़ा के सराब देखे थे ”

~आमिर उस्मानी

   

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त

मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी

~Shaheed Bhagat Singh

Shayari on Wafa

  

मुझे वफ़ा की तलब है मगर हर इक से नहीं

कोई मिले मगर उस यार-ए-बेवफ़ा की तरह

~अहमद फ़राज़

  

इश्क़ पाबंद-ए-वफ़ा है न कि पाबंद-ए-रुसूम

सर झुकाने को नहीं कहते हैं, सज्दा करना

 

वफ़ा का अहद था, दिल को सँभालने के लिए

वो हँस पड़े, मुझे मुश्किल में डालने के लिए

~एहसान_दानिश

 

ज़िंदगी तू ने तो सच है कि वफ़ा हम से न की

हम मगर ख़ुद तुझे ठुकराएँ ज़रूरी तो नहीं

~ज़ाहिदा ज़ैदी

 

उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो

हर बात में लज़्ज़त है, अगर दिल में मज़ा हो

~अमीर मीनाई

       

चुप-चाप सुलगता है दिया, तुम भी तो देखो

किस दर्द को कहते हैं वफ़ा, तुम भी तो देखो

~बशर नवाज़      

  

वो कहते हैं हर चोट पर मुस्कुराओ

वफ़ा याद रक्खो सितम भूल जाओ

-Kaleem Aajiz

 

वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँ

मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

~HasratMohani     

           

वफ़ा तुम से करेंगे दुख सहेंगे नाज़ उठाएँगे

जिसे आता है दिल देना, उसे हर काम आता है

~आरज़ू_लखनवी

 

दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद

अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद

~JigarMoradabadi

 

वफ़ा का ज़िक्र छिड़ा था कि रात बीत गई

अभी तो रंग जमा था कि रात बीत गई

~तैमूर_हसन

 Shayari on Wafa

   

कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद

याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद

~अमीर मीनाई

 

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त

मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी

~LalChandFalak     

  

वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गया

जिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया

    

हम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसे

वो यार बा-वफ़ा न सही बेवफ़ा तो है

~जमील_मलिक

  

ज़िंदगी तू ने तो सच है कि वफ़ा हम से न की

हम मगर ख़ुद तुझे ठुकराएँ, ज़रूरी तो नहीं

~ज़ाहिदा_ज़ैदी

 

यक़ीं मुझे भी है वो आएँगे ज़रूर मगर

वफ़ा करेगी कहाँ तक कि ज़िंदगी ही तो है

~फ़ारूक़_बाँसपारी

Shayari on Wafa

बला से जाँ का जियाँ हो इस एतिमाद की खैर,

वफ़ा करे न करे फिर भी यार अपना है !! /

    

दिल को मैं और मुझे दिल महव-ए-वफ़ा रखता है,

किस क़दर ज़ौक़-ए-गिरफ़्तारी-ए-हम है हमको !! -ग़ालिब

  

मुतमइन हैं बहुत ही दुनिया से

फिर भी कितने उदास हैं कुछ लोग

~अज़ीज़_बानो_************_वफ़ा

    

मोहब्बत अदावत वफ़ा बे-रुख़ी

किराए के घर थे बदलते रहे

~बशीर_बद्र

    

 क्यूँ किसी से वफ़ा करे कोई

ख़ुद बुरे हों तो क्या करे कोई

~ज़हीर_देहलवी

 

वफ़ा का ज़िक्र छिड़ा था कि रात बीत गई

अभी तो रंग जमा था कि रात बीत गई

~तैमूर_हसन

  

उम्र भर कुछ ख़्वाब दिल पर दस्तकें देते रहे

हम कि मजबूर-ए-वफ़ा थे आहटें सुनते रहे

~बक़ा_बलूच    

 

शहरे वफा में धूप का साथी नहीं कोई

सूरज सरों पर आया तो साये भी घट गए

  

चुप-चाप सुलगता है दिया तुम भी तो देखो

किस दर्द को कहते हैं वफ़ा तुम भी तो देखो

~बशर_नवाज़

    

मैं तो इस सादगी-ए-हुस्न पे सदक़े,

न जफ़ा आती है जिसको न वफ़ा आती है !! /

           

‏हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद

जो नहीं जानते वफ़ा क्या है

~मिर्ज़ा ग़ालिब

    

जब तेरा दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है,

एक समंदर मेरी आँखों से बहा करता है !! /

  

दौलत से वफ़ा ना-मुम्किन है दौलत पे ज़ियादा नाज़ न कर,

सब ठाट पड़ा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजारा !! -पॉपुलर मेरठी

Shayari on Wafa

  

दुनिया से वफ़ा कर के सिला ढूँढ रहे हैं

हम लोग भी नादाँ हैं ये क्या ढूँढ रहे हैं

~सुदर्शन_फ़ाकिर

    

सोचा तुझे देखा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझे

मेरी वफ़ा मेरी ख़ता, तेरी ख़ता कुछ भी नहीं

~बशीर_बद्र

    

चारों तरफ़ बिखर गईं साँसों की ख़ुशबुएँ

राह-ए-वफ़ा में आप जहाँ भी जिधर गए

 

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त

मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी

~लाल_चन्द_फ़लक

 

मैं ने जिन के लिए राहों में बिछाया था लहू

हम से कहते हैं वही अहद-ए-वफ़ा याद नहीं

~SagharSiddiqui

 

तुझ से वफ़ा न की तो किसी से वफ़ा न की

किस तरह इंतिक़ाम लिया अपने आप से

~HiatAliShayar     

 

दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद

अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद

~जिगर_मुरादाबादी

 

मैं ने दिल दे कर उसे की थी वफ़ा की इब्तिदा

उस ने धोका दे के ये क़िस्सा मुकम्मल कर दिया

~RahatIndori

 

कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद

याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद

~अमीर_मीनाई

  

वफ़ा की कौन सी मंज़िल पे उस ने छोड़ा था

कि वो तो याद हमें भूल कर भी आता है

~मोहसिन_नक़वी 

    

वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे

तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था

~DaghDehlvi

    

उदास हो किसी की बेवफ़ाई पर

वफ़ा कहीं तो कर गए हो ख़ुश रहो

~फ़ाज़िल_जमीली

    

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त

मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी

~Lal Chand Falak

            

दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद

अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद

~JigarMoradabadi

 

वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँ

मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

~हसरत_मोहानी

 

क्या मैं तिरे इस लुत्फ़ के क़ाबिल भी नहीं हूँ

ऐ जान-ए-वफ़ा दिल ही दुखाने के लिए आ

~रम्ज़_आफ़ाक़ी

Shayari on Wafa

  

कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद

याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद

~AmeerMinai

  

अब के ठहराई है हम ने भी यही शर्त-ए-वफ़ा

जो भी इस शहर में आए वो सितम-गर हो जाए

~महताब_हैदर_नक़वी

  

ये वफ़ा की सख़्त राहें, ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक

न लो इंतिक़ाम मुझसे मेरे साथ-साथ चल के

~Khumaar

  

आप छेड़ें न वफ़ा का क़िस्सा

बात में बात निकल आती है

~DardAsadi

 

चलो हम भी वफ़ा से बाज़ आए

मोहब्बत कोई मजबूरी नहीं है

~मज़हर_इमाम

    

मोहब्बत, अदावत, वफ़ा, बे-रुख़ी

किराए के घर थे बदलते रहे

~बशीर_बद्र

Shayari on Wafa

   

फिर इस दुनिया से उम्मीद-ए-वफ़ा है

तुझे ऐ ज़िंदगी क्या हो गया है

~नरेश_कुमार_शाद

  

बेवफ़ाई पे तेरी जी है फ़िदा

क़हर होता जो बा-वफ़ा होता

~मीर

 

वफ़ा कैसी कहाँ का इश्क़ जब सर फोड़ना ठहरा

तो फिर ऐ संग-दिल तेरा ही संग-ए-आस्ताँ क्यूँ हो ~Ghalib

 

ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक

न लो इंतिक़ाम मुझ से मेरे साथ साथ चल के

~ख़ुमार_बाराबंकवी

  

हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद

जो नहीं जानते वफ़ा क्या है

~ग़ालिब

    

उस के यूँ तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोई

जी नहीं ये मानता वो बे-वफ़ा पहले से था ~परवीन_शाकिर

  

हज़ार राहें मुड़ के देखी

कहीं से कोई सदा ना आई

बड़ी वफ़ा से निभाई तुमने

हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई

-गुलज़ार

 

दुनिया ने किस का राह-ए-वफ़ा में दिया है साथ

तुम भी चले-चलो यूँही जब तक चली चले

~Zauq

 

शामिल है मेरा ख़ून-ए-जिगर तेरी हिना में

ये कम हो तो अब ख़ून-ए-वफ़ा साथ लिए जा ~Sahir

 

ये भी तो सज़ा है कि गिरफ़्तार-ए-वफ़ा हूँ

क्यूँ लोग मोहब्बत की सज़ा ढूँढ रहे हैं

-सुदर्शन फ़ाकिर

 

वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे

तुम्हे भी याद है कुछ ये कलाम किसका था

-दाग दहेलवी

           

हम बेवफा हरगीज न थे

पर हम वफ़ा कर न सके

हमको मिली उसकी सजा

हम जो खता कर ना सके..

-आनंद बक्षी

  

बिछाये शोख़ के सजदे वफ़ा की राहों में

खड़े हैं दीद की हसरत लिए निगाहों में

कबूल दिल की इबादत हो और तू आये..!

-साहीर

 

मुझ से तू पूछने आया है वफ़ा के मअ’नी

ये तेरी सादा-दिली मार न डाले मुझ को ~QatilShifai

  

इस हुस्र-ए-इत्तिफ़ाक पे लुटकर भी शाद हु

तेरी रजा जो थी वो तकाज़ा वफ़ा का था..!

-अहमद नदीम कासमी

  

हाँ जो जफ़ा भी आप ने की,कायदे से की,

हाँ हम ही काराबंद-ए-उसूल-ए-वफ़ा ना थे।

-फ़ैज अहमद फ़ैज

  

जो भूले से बचपन में पकड़ी थी तितली

सुरूर-ए-वफ़ा में भी उतरा वही रंग ~इन्दिरावर्मा

~shair ~

  

ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक

न लो इंतिक़ाम मुझ से मेरे साथ साथ चल के ~KhuBarabankvi

 

वफ़ा के नाम पे तुम क्यूँ सँभल के बैठ गए

तुम्हारी बात नहीं बात है ज़माने की

          

‏Shayari on Wafa

  

ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं

वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम ~JaunEliya

  

मुझे मालूम है अहल-ए-वफ़ा पर क्या गुज़रती है

समझ कर सोच कर तुझ से मोहब्बत कर रहा हूँ मैं ~AhmadMushtaq

  

दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद

अब मुझको नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद ~Jigar

 

यूँ तो हैं बे-शुमार वफ़ा की निशानियाँ

लेकिन हर एक शय से निराले तुम्हारे ख़त ~WasiShah

  

वफ़ा तुझ से ऐ बे-वफ़ा चाहता हूँ

मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ ~Hasart

~shair

  

ज़िद की है और बात मगर ख़ू बुरी नहीं

भूले से उस ने सैकड़ों वाद़े वफ़ा किए ~Ghalib

   

वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे

तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था ~Daag

 

उन्हें रंज अब क्यूँ हुआ हम तो ख़ुश हैं

कि मर कर शहीद-ए-वफ़ा हो गए हम ~hasrat

 

कुछ तो ले काम तग़ाफ़ुल से वफ़ा के पैकर

ये तिरा प्यार कहीं मार न डाले मुझ को ~wafa

  

नाम ले जब भी वफ़ा का कोई

जाने क्यूँ आँख मिरी भर आए @wafa

  

कब तक निभाइए बुत-ए-ना-आश्ना के साथ

कीजे वफ़ा कहाँ तलक उस बेवफ़ा के साथ ~wafa

  

उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने से

कभी गोया किसी में थी ही नहीं ~wafa

  

तू जफ़ाओं से जो बदनाम किए जाता है

याद आएगी तुझे मेरी वफ़ा मेरे बाद

 

दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद

अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद

  

अब तुम आए हो तो मैं कौन सी शै नज़्र करो

कि मिरे पास ब-जुज़ मेहर ओ वफ़ा कुछ भी नहीं

 

दोनों ही बराबर हैं रह-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा में

जब तुम ने वफ़ा की है तो हम ने भी वफ़ा की ~

  

पाँव छलनी तो वफ़ा घाइल थी

जाने उस मोड़ पे क्या याद आया

  

करते रहेंगे तुम से मोहब्बत भी वफ़ा भी

गो तुम को मोहब्बत न वफ़ा याद रहेगी

  

कोई पुरसाँ नहीं पीर-ए-मुग़ाँ का

फ़क़त मेरी वफ़ा है और मैं हूँ

‏   

की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं

होती आई है कि अच्छों को बुरा कहते हैं

    

ये अदा-ए-बे-नियाज़ी तुझे बे-वफ़ा मुबारक

मगर ऐसी बे-रुख़ी क्या के सलाम तक न पहुँचे

Shakeel Badayuni 

  

किसी बे-वफ़ा की ख़ातिर ये जुनूँ  ‘फ़राज़’ कब तक

जो तुम्हें भुला चुका है उसे तुम भी भूल जाओ

ahmad ‘faraz’  

 

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Wafa Shayari in Hindi Roman

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sabhi hindi shayari ki list yahan hain. hindi shayari

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wafa shayari in hindi

 

ulfat mein barabar hai wafa ho ki jafa ho

har bat mein lazzat hai agar dil mein maza ho

~amir minai

 

kyoon kisi se wafa kare koi

dil na mane to kya kare koi

~yagana changezi

 

dhoondh ujade hue logon mein wafa ke moti

ye khazane tujhe mumakin hai kharabon mein milen

~ahamad faraz

 

kyoon pasheman ho agar vada wafa ho na saka

kahin vade bhi nibhane ke lie hote hain

~ibarat machhalishahari

 

is zindagi ne sath kisi ka nahin diya

kis bewafa se tujh ko tamanna wafa ki hai

~makhafi badayooni

    

wafa tum se karenge, dukh sahenge, naz uthaenge

jise ata hai dil dena use har kam ata hai

~arazoo lakhanavi

 

wafa shayari in hindi

 

ye wafa ki sakht rahen ye tumhare panv nazuk

na lo intiqam mujh se mere sath sath chal ke

~khumar barabankavi

  

unhon ne kya na kiya aur kya nahin karate

hazar kuchh ho magar ik wafa nahin karate

~muztar_khairabadi

    

ham ko un se wafa ki hai ummid

jo nahin janate wafa kya hai

~mirza galib

 

 

saza ye di hai ki ankhon se chhin lin ninden

qusoor ye tha ki jine ke khvab dekhe the

kisi ne ret ke toofan mein la ke chhod diya

ye jurm tha ki wafa ke sarab dekhe the ”

~amir usmani

 

 

dil se nikalegi na mar kar bhi vatan ki ulfat

meri mitti se bhi khushaboo-e-wafa aegi

~shahaiaid bhagat singh

wafa shayari in hindi

 

mujhe wafa ki talab hai magar har ik se nahin

koi mile magar us yar-e-bewafa ki tarah

~ahamad faraz

  

ishq paband-e-wafa hai na ki paband-e-rusoom

sar jhukane ko nahin kahate hain, sajda karana

 

wafa ka ahad tha, dil ko sanbhalane ke lie

vo hans pade, mujhe mushkil mein dalane ke lie

~ehasan_danish

    

 

zindagi too ne to sach hai ki wafa ham se na ki

ham magar khud tujhe thukaraen zaroori to nahin

~zahida zaidi

 

ulfat mein barabar hai wafa ho ki jafa ho

har bat mein lazzat hai, agar dil mein maza ho

~amir minai

 

chup-chap sulagata hai diya, tum bhi to dekho

kis dard ko kahate hain wafa, tum bhi to dekho

~bashar navaz     

  

vo kahate hain har chot par muskurao

wafa yad rakkho sitam bhool jao

-kalaiaim ajiz

 

wafa tujh se ai bewafa chahata hoon

meri sadagi dekh kya chahata hoon

~hasratmohani     

wafa tum se karenge dukh sahenge naz uthaenge

jise ata hai dil dena, use har kam ata hai

~arazoo_lakhanavi

 

duniya ke sitam yad na apani hi wafa yad

ab mujh ko nahin kuchh bhi mohabbat ke siva yad

~jigarmoradabadi

 

wafa ka zikr chhida tha ki rat bit gai

abhi to rang jama tha ki rat bit gai

~taimoor_hasan

 wafa shayari in hindi

‏  

kaun uthaega tumhari ye jafa mere bad

yad aegi bahut meri wafa mere bad

~amir minai

 

dil se nikalegi na mar kar bhi vatan ki ulfat

meri mitti se bhi khushaboo-e-wafa aegi

~lalchhandfalak     

 

wafa jis se ki bewafa ho gaya

jise but banaya khuda ho gaya

    

ham se koi talluq-e-khatir to hai use

vo yar ba-wafa na sahi bewafa to hai

~jamil_malik

 

zindagi too ne to sach hai ki wafa ham se na ki

ham magar khud tujhe thukaraen, zaroori to nahin

~zahida_zaidi

 

yaqin mujhe bhi hai vo aenge zaroor magar

wafa karegi kahan tak ki zindagi hi to hai

~farooq_bansapari

wafa shayari in hindi

bala se jan ka jiyan ho is etimad ki khair,

wafa kare na kare fir bhi yar apana hai !! /

    

dil ko main aur mujhe dil mahav-e-wafa rakhata hai,

kis qadar zauq-e-giraftari-e-ham hai hamako !! -galib

  

mohabbat adavat wafa be-rukhi

kirae ke ghar the badalate rahe

~bashir_badr

    

 kyoon kisi se wafa kare koi

khud bure hon to kya kare koi

~zahir_dehalavi

 

wafa ka zikr chhida tha ki rat bit gai

abhi to rang jama tha ki rat bit gai

~taimoor_hasan

  

umr bhar kuchh khvab dil par dastaken dete rahe

ham ki majaboor-e-wafa the ahaten sunate rahe

~baqa_balooch

 

shahare vafa mein dhoop ka sathi nahin koi

sooraj saron par aya to saye bhi ghat gae

  

chup-chap sulagata hai diya tum bhi to dekho

kis dard ko kahate hain wafa tum bhi to dekho

~bashar_navaz

    

main to is sadagi-e-husn pe sadaqe,

na jafa ati hai jisako na wafa ati hai !! /

           

‏ham ko un se wafa ki hai ummid

jo nahin janate wafa kya hai

~mirza galib

 

jab tera dard mere sath wafa karata hai,

ek samandar meri ankhon se baha karata hai !! /

  

daulat se wafa na-mumkin hai daulat pe ziyada naz na kar,

sab that pada rah jaega jab lad chalega banjara !! -popular merathi

 

wafa shayari in hindi

  

duniya se wafa kar ke sila dhoondh rahe hain

ham log bhi nadan hain ye kya dhoondh rahe hain

~sudarshan_fakir

    

    

socha tujhe dekha tujhe chaha tujhe pooja tujhe

meri wafa meri khata, teri khata kuchh bhi nahin

~bashir_badr

    

charon taraf bikhar gain sanson ki khushabuen

rah-e-wafa mein ap jahan bhi jidhar gae

 

dil se nikalegi na mar kar bhi vatan ki ulfat

meri mitti se bhi khushaboo-e-wafa aegi

~lal_chand_falak

 

main ne jin ke lie rahon mein bichhaya tha lahoo

ham se kahate hain vahi ahad-e-wafa yad nahin

~sagharsiddiqui

 

tujh se wafa na ki to kisi se wafa na ki

kis tarah intiqam liya apane ap se

~hi

**************

duniya ke sitam yad na apani hi wafa yad

ab mujh ko nahin kuchh bhi mohabbat ke siva yad

~jigar_muradabadi

 

main ne dil de kar use ki thi wafa ki ibtida

us ne dhoka de ke ye qissa mukammal kar diya

~rahatindori

 

kaun uthaega tumhari ye jafa mere bad

yad aegi bahut meri wafa mere bad

~amir_minai

 

wafa ki kaun si manzil pe us ne chhoda tha

ki vo to yad hamen bhool kar bhi ata hai

~mohasin_naqavi 

  

wafa karenge nibahenge bat manenge

tumhen bhi yad hai kuchh ye kalam kis ka tha

~daghdaihlvi

    

udas ho kisi ki bewafai par

wafa kahin to kar gae ho khush raho

~fazil_jamili

    

dil se nikalegi na mar kar bhi vatan ki ulfat

meri mitti se bhi khushaboo-e-wafa aegi

~lal chhand falak

             

duniya ke sitam yad na apani hi wafa yad

ab mujh ko nahin kuchh bhi mohabbat ke siva yad

~jigarmoradabadi

    

 

wafa tujh se ai bewafa chahata hoon

miri sadagi dekh kya chahata hoon

~hasarat_mohani

 

kya main tire is lutf ke qabil bhi nahin hoon

ai jan-e-wafa dil hi dukhane ke lie a

~ramz_afaqi

shayari on waf

  

kaun uthaega tumhari ye jafa mere bad

yad aegi bahut meri wafa mere bad

~amaiairminai

  

ab ke thaharai hai ham ne bhi yahi shart-e-wafa

jo bhi is shahar mein ae vo sitam-gar ho jae

~mahatab_haidar_naqavi

  

ye wafa ki sakht rahen, ye tumhare panv nazuk

na lo intiqam mujhase mere sath-sath chal ke

~khumar

  

ap chheden na wafa ka qissa

bat mein bat nikal ati hai

~dardasadi

 

chalo ham bhi wafa se baz ae

mohabbat koi majaboori nahin hai

~mazahar_imam

    

mohabbat, adavat, wafa, be-rukhi

kirae ke ghar the badalate rahe

~bashir_badr

shayari on waf

  

fir is duniya se ummid-e-wafa hai

tujhe ai zindagi kya ho gaya hai

~naresh_kumar_shad

  

bewafai pe teri ji hai fida

qahar hota jo ba-wafa hota

~mir

 

wafa kaisi kahan ka ishq jab sar fodana thahara

to fir ai sang-dil tera hi sang-e-astan kyoon ho ~ghalib

 

ye wafa ki sakht rahen ye tumhare panv nazuk

na lo intiqam mujh se mere sath sath chal ke

~khumar_barabankavi

        

ham ko un se wafa ki hai ummid

jo nahin janate wafa kya hai

~galib

    

us ke yoon tark-e-mohabbat ka sabab hoga koi

ji nahin ye manata vo be-wafa pahale se tha ~paravin_shakir

           

  

hazar rahen mud ke dekhi

kahin se koi sada na ai

badi wafa se nibhai tumane

hamari thodi si bewafai

-gulazar

    

 

duniya ne kis ka rah-e-wafa mein diya hai sath

tum bhi chale-chalo yoonhi jab tak chali chale

~zauq

 

shamil hai mera khoon-e-jigar teri hina mein

ye kam ho to ab khoon-e-wafa sath lie ja ~sahir

 

ye bhi to saza hai ki giraftar-e-wafa hoon

kyoon log mohabbat ki saza dhoondh rahe hain

-sudarshan fakir

          

wafa karenge nibahenge bat manenge

tumhe bhi yad hai kuchh ye kalam kisaka tha

-dag dahelavi

           

ham bevafa haragij na the

par ham wafa kar na sake

hamako mili usaki saja

ham jo khata kar na sake..

-anand bakshi

  

bichhaye shokh ke sajade wafa ki rahon mein

khade hain did ki hasarat lie nigahon mein

kabool dil ki ibadat ho aur too aye..!

-sahir

 

mujh se too poochhane aya hai wafa ke mani

ye teri sada-dili mar na dale mujh ko ~qatilshifai

  

is husr-e-ittifak pe lutakar bhi shad hu

teri raja jo thi vo takaza wafa ka tha..!

-ahamad nadim kasami

  

han jo jafa bhi ap ne ki,kayade se ki,

han ham hi karaband-e-usool-e-wafa na the.

-faij ahamad faij

  

jo bhoole se bachapan mein pakadi thi titali

suroor-e-wafa mein bhi utara vahi rang ~indiravarma

~shair ~

  

ye wafa ki sakht rahen ye tumhare panv nazuk

na lo intiqam mujh se mere sath sath chal ke ~khubarabankvi

 

wafa ke nam pe tum kyoon sanbhal ke baith gae

tumhari bat nahin bat hai zamane ki

          

‏shayari on waf

  

ye kafi hai ki ham dushman nahin hain

wafa-dari ka dava kyoon karen ham ~jaunailiy

  

mujhe maloom hai ahal-e-wafa par kya guzarati hai

samajh kar soch kar tujh se mohabbat kar raha hoon main ~ahmadmushtaq

  

duniya ke sitam yad na apani hi wafa yad

ab mujhako nahin kuchh bhi mohabbat ke siva yad ~jigar

 

yoon to hain be-shumar wafa ki nishaniyan

lekin har ek shay se nirale tumhare khat ~wasishah

  

wafa tujh se ai be-wafa chahata hoon

meri sadagi dekh kya chahata hoon ~hasart

~shair

  

zid ki hai aur bat magar khoo buri nahin

bhoole se us ne saikadon vade wafa kie ~ghalib

  

wafa karenge nibahenge bat manenge

tumhen bhi yad hai kuchh ye kalam kis ka tha ~dag

 

 

unhen ranj ab kyoon hua ham to khush hain

ki mar kar shahid-e-wafa ho gae ham ~hasrat

 

  

kuchh to le kam tagaful se wafa ke paikar

ye tira pyar kahin mar na dale mujh ko ~waf

  

nam le jab bhi wafa ka koi

jane kyoon ankh miri bhar ae @waf

  

kab tak nibhaie but-e-na-ashna ke sath

kije wafa kahan talak us bewafa ke sath ~waf

  

ud gai yoon wafa zamane se

kabhi goya kisi mein thi hi nahin ~waf

  

too jafaon se jo badanam kie jata hai

yad aegi tujhe meri wafa mere bad

  

duniya ke sitam yad na apani hi wafa yad

ab mujh ko nahin kuchh bhi mohabbat ke siva yad

  

ab tum ae ho to main kaun si shai nazr karo

ki mire pas ba-juz mehar o wafa kuchh bhi nahin

 

donon hi barabar hain rah-e-ishq-o-wafa mein

jab tum ne wafa ki hai to ham ne bhi wafa ki ~

  

panv chhalani to wafa ghail thi

jane us mod pe kya yad aya

  

karate rahenge tum se mohabbat bhi wafa bhi

go tum ko mohabbat na wafa yad rahegi

  

koi purasan nahin pir-e-mugan ka

faqat meri wafa hai aur main hoon

           

‏  

ki wafa ham se to gair is ko jafa kahate hain

hoti ai hai ki achchhon ko bura kahate hain

    

ye ada-e-be-niyazi tujhe be-wafa mubarak

magar aisi be-rukhi kya ke salam tak na pahunche

shakaiail badayuni 

  

kisi be-wafa ki khatir ye junoon  faraz kab tak

jo tumhen bhula chuka hai use tum bhi bhool jao

ahmad faraz

 

 

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गुरुर शायरी – गुरूर पर शायरी

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जानता किस तरह कि क्या है ग़ुरूर

वो जो उठकर गिरा नहीं होता

~दरवेश भारती

 

शाम-ए-फ़िराक़ आई तो दिल डूबने लगा

हम को भी अपने आप पे कितना ग़ुरूर था

~मुनीर नियाज़ी

 

फिर वही दिल की गुज़ारिश, फिर वही उनका ग़ुरूर,

फिर वही उनकी शरारत, फिर वही मेरा कुसूर …

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‏इक बे-लिबास अना का बस हाशिया हो तुम,

किस ज़ोम-ए-ख़ुदी पर तुम्हें इतना ग़ुरूर है !!

 

नीची रक़ीब से न हुई आँख उम्र भर,

झुकता मैं क्या नज़र में तुम्हारा ग़रूर था !! -‘अमीर’ मिनाई

 

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए

साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था

~मिर्ज़ा ग़ालिब Shayari on Gurur

 

चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है

जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है

 

सँभल के चलने का सारा ग़ुरूर टूट गया

इक ऐसी बात कही उस ने लड़खड़ाते हुए

 

जिन सफ़ीनों ने कभी तोड़ा था मौजों का ग़ुरूर

उस जगह डूबे जहाँ दरिया में तुग़्यानी न थी

 

अल्लाह रक्खे उस का सलामत ग़ुरूर-ए-हुस्न

आँखों को जिस ने दी है सज़ा इंतिज़ार की

 

नीची रक़ीब से न हुई आँख उम्र भर,

झुकता मैं क्या, नज़र में तुम्हारा ग़रूर था !!

किस काम के रहे जो किसी से रहा न काम

सर है मगर ग़ुरूर का सामाँ नहीं रहा

Shayari on Gurur

 

बहुत ग़ुरूर है तुझ को ऐ सर-फिरे तूफ़ाँ

मुझे भी ज़िद है की दरिया को पार करना है

 

जिन सफ़ीनों ने कभी तोड़ा था मौजों का ग़ुरूर

उस जगह डूबे जहाँ दरिया में तुग़्यानी न थी #Manzur

 

हवा में फिरते हो क्या हिर्स और हवा के लिए

ग़ुरूर छोड़ दो ऐ ग़ाफ़िलो ख़ुदा के लिए

Bahadur Shah Zafar  Shayari on Gurur

 

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janata kis tarah ki kya hai gurur

vo jo uthakar gira nahin hota

~daravesh bharati

 

sham-e-firaq ai to dil dubane laga

ham ko bhi apane ap pe kitana gurur tha

~munir niyazi

 

phir vahi dil ki guzarish, phir vahi unaka gurur,

phir vahi unaki shararat, phir vahi mera kusur …

 

‏ik be-libas ana ka bas hashiya ho tum,

kis zom-e-khudi par tumhen itana gurur hai !!

 

nichi raqib se na hui ankh umr bhar,

jhukata main kya nazar mein tumhara garur tha !! -amir minai

 

aina dekh apana sa munh le ke rah gae

sahab ko dil na dene pe kitana gurur tha

~mirza galib

 

chehare pe khushi chha jati hai ankhon mein surur a jata hai

jab tum mujhe apana kahate ho apane pe gurur a jata hai

 

sanbhal ke chalane ka sara gurur tut gaya

ik aisi bat kahi us ne ladakhadate hue

 

jin safinon ne kabhi toda tha maujon ka gurur

us jagah dube jahan dariya mein tugyani na thi

 

allah rakkhe us ka salamat gurur-e-husn

ankhon ko jis ne di hai saza intizar ki

Shayari on Gurur

 

nichi raqib se na hui ankh umr bhar,

jhukata main kya, nazar mein tumhara garur tha !!

kis kam ke rahe jo kisi se raha na kam

sar hai magar gurur ka saman nahin raha

 

bahut gurur hai tujh ko ai sar-phire tufan

mujhe bhi zid hai ki dariya ko par karana hai

 

jin safinon ne kabhi toda tha maujon ka gurur

us jagah dube jahan dariya mein tugyani na thi #manzur

 

hava mein phirate ho kya hirs aur hava ke lie

gurur chhod do ai gafilo khuda ke lie

bahadur shah zafar

 

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खामोशी पर शायरी Shayari on Khamoshi  

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मेरी आवाज़ किसी शोर में गर डूब गई

मेरी खामोशी बहुत दूर सुनाई देगी..

~गुलज़ार

 

चेहरा पढ़ कर देखोगे तो जानोगे

ख़ामोशी का क्या क्या मतलब होता है

~इनआम आज़मी

 

ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना

बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता

~जावेद अख़्तर

 

कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ

उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की

~गुलज़ार

 

रंग दरकार थे हम को तेरी ख़ामोशी के

एक आवाज़ की तस्वीर बनानी थी हमें

~नाज़िर_वहीद

shayari on khamoshi
shayari on khamoshi

जैसे इक तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी

आज मिरी बस्ती में ऐसा सन्नाटा है

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ख़ामोशी के दल-दल में

कब से मेरे पाँव फँसे हैं !

                      ~गुलज़ार

खामोशी पर शायरी Shayari on Khamoshi

 

कोई जब पूछ बैठेगा ख़ामोशी का सबब तुमसे,

बहुत समझाना चाहोगे मगर समझा ना पाओगे !!

 

ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी थी

उन की बात सुनी भी हम ने अपनी बात सुनाई भी

~GulzarTranslate Tweet

 

होने को वो जैसा भी हो, हम हैं तो वो होगा

ख़ामोशी ही ख़ामोशी है इस बात से आगे

~जमील_मज़हरी

 

ख़ामोशी का राज़ खोलना भी सीखो

आँखों की ज़बाँ से बोलना भी सीखो

~सूफ़ी_तबस्सुम

 

मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन

आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन

~NidaFazli

 

हम लबों से कह न पाये उन से हाल-ए-दिल कभी

और वो समझे नहीं ये ख़ामोशी क्या चीज़ है

~NidaFazli ~

खामोशी पर शायरी Shayari on Khamoshi

 

रगों में ज़हर-ए-ख़ामोशी उतरने से ज़रा पहले

बहुत तड़पी कोई आवाज़ मरने से ज़रा पहले

 

तन्हाइयों से परहेज़ कुछ यूँ भी है,

की ख़ामोशी में तेरी आवाज़ सुनाई देती है !! ~पाकीज़ा

 

 ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना

बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता

 

ख़ामोशी के कुएँ में उतरो कभी

रेत ही रेत पड़ी है ख़स्ता आवाज़ों की

मुर्दा लफ़्ज़ों के कंकर हैं

काई लगी है दीवारों पर…

~गुलज़ार

 

मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन,

आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन !! -निदा फ़ाज़ली

खामोशी पर शायरी Shayari on Khamoshi

 

ये पानी ख़ामोशी से बह रहा है

इसे देखें कि इस में डूब जाएँ

~अहमद_मुश्ताक़

 

हम लबों से कह न पाए उनसे हाल-ए-दिल कभी

और वो समझे नहीं ये ख़ामोशी क्या चीज़ है -निदा फ़ाज़ली

 

जो सुनता हूँ सुनता हूँ मैं अपनी ख़मोशी से

जो कहती है कहती है मुझ से मेरी ख़ामोशी

~BedamShahWarsi

 

यार सब जमा हुए रात की ख़ामोशी में

कोई रो कर तो कोई बाल बना कर आया

~अहमद_मुश्ताक़

 

किताबों से ये हुनर सिखा है हमने,

सब कुछ छिपाए रखो खुद में,

मगर ख़ामोशी से…!!!

-गुलज़ार

 जिन्हों ने सजाये यहा मेले

सुख दुख संग संग झेले

वही चुनकर खामोशी

यूँ चले जाये अकेले कहा..

बस एक एहसास की ख़ामोशी है-गूँजती है

बस एक तकमील का अँधेरा है-जल रहा है

गुलज़ार

 

मेरी आवाज किसी शोर में गर डूब गयी

मेरी ख़ामोशी बहुत दुर सुनाई देगी

-गुलज़ार

 

प्यार कोई बोल नहीं

प्यार आवाज नहीं

इक ख़ामोशी है,सुनती है,कहा करती है..!

-गुलज़ार

 

इस ख़ामोशी को मेरी कमज़ोरी मत समझना,

कलम झटकता हु तो सियाही अब भी दुर तक जाती है !

-गुलज़ार

 

मुहँ की बात सुने है कोई

दिल के दर्द को जाने कौन।

आवाजों के बाज़ारों में

ख़ामोशी पहचाने कौन?

-निदा फाजली

 

 है कुछ तो बात ‘मोमिन’ जो छा गई ख़ामोशी

किस बुत को दे दिया क्यूँ बुत से बन गए हो ~Momin

 

ख़ामोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है

तड़प ऐ दिल तड़पने से ज़रा तस्कीन होती है

 

ख़ामोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है

 तड़प ऐ दिल तड़पने से ज़रा तस्कीन होती है

खामोशी पर शायरी Shayari on Khamoshi

Shad Azimabadi

 

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meri avaz kisi shor mein gar doob gai

meri khamoshi bahut door sunai degi..

~gulazar

 

chehara padh kar dekhoge to janoge

khamoshi ka kya kya matalab hota hai

~inam azami

 

galat baton ko khamoshi se sunana hami bhar lena

bahut hain faede is mein magar achchha nahin lagata

~javed akhtar

 

kitani lambi khamoshi se guzara hoon

un se kitana kuchh kahane ki koshish ki

~gulazar

 

rang darakar the ham ko teri khamoshi ke

ek avaz ki tasvir banani thi hamen

~nazir_vahid

 

jaise ik toofan se pahale ki khamoshi

aj miri basti mein aisa sannata hai

 

khamoshi ke dal-dal mein

kab se mere panv phanse hain !

                      ~gulazar

koi jab poochh baithega khamoshi ka sabab tumase,

bahut samajhana chahoge magar samajha na paoge !! 2/4

 

khamoshi ka hasil bhi ik lambi si khamoshi thi

un ki bat suni bhi ham ne apani bat sunai bhi

~gulzartranslatai twaiait

 

hone ko vo jaisa bhi ho, ham hain to vo hoga

khamoshi hi khamoshi hai is bat se age

~jamil_mazahari

 

khamoshi ka raz kholana bhi sikho

ankhon ki zaban se bolana bhi sikho

~soofi_tabassum

 

munh ki bat sune har koi dil ke dard ko jane kaun

avazon ke bazaron mein khamoshi pahachane kaun

~nidafazli

 

ham labon se kah na paye un se hal-e-dil kabhi

aur vo samajhe nahin ye khamoshi kya chiz hai

~nidafazli ~rip

 

ragon mein zahar-e-khamoshi utarane se zara pahale

bahut tadapi koi avaz marane se zara pahale

 

tanhaiyon se parahez kuchh yoon bhi hai,

ki khamoshi mein teri avaz sunai deti hai !! ~pakiza

 

 galat baton ko khamoshi se sunana hami bhar lena

bahut hain faede is mein magar achchha nahin lagata

 

khamoshi ke kuen mein utaro kabhi

ret hi ret padi hai khasta avazon ki

murda lafzon ke kankar hain

kai lagi hai divaron par…

~gulazar

munh ki bat sune har koi dil ke dard ko jane kaun,

avazon ke bazaron mein khamoshi pahachane kaun !! -nida fazali

 

ye pani khamoshi se bah raha hai

ise dekhen ki is mein doob jaen

~ahamad_mushtaq

 

ham labon se kah na pae unase hal-e-dil kabhi

aur vo samajhe nahin ye khamoshi kya chiz hai -nida fazali

 

jo sunata hoon sunata hoon main apani khamoshi se

jo kahati hai kahati hai mujh se meri khamoshi

~baidamshahwarsi

 

yar sab jama hue rat ki khamoshi mein

koi ro kar to koi bal bana kar aya

~ahamad_mushtaq

 

kitabon se ye hunar sikha hai hamane,

sab kuchh chhipae rakho khud mein,

magar khamoshi se…!!!

-gulazar

 jinhon ne sajaye yaha mele

sukh dukh sang sang jhele

vahi chunakar khamoshi

yoon chale jaye akele kaha..

bas ek ehasas ki khamoshi hai-goonjati hai

bas ek takamil ka andhera hai-jal raha hai

gulazar

 

meri avaj kisi shor mein gar doob gayi

meri khamoshi bahut dur sunai degi

-gulazar

 

pyar koi bol nahin

pyar avaj nahin

ik khamoshi hai,sunati hai,kaha karati hai..!

-gulazar

 

is khamoshi ko meri kamazori mat samajhana,

kalam jhatakata hu to siyahi ab bhi dur tak jati hai !

-gulazar

 

muhan ki bat sune hai koi

dil ke dard ko jane kaun.

avajon ke bazaron mein

khamoshi pahachane kaun?

-nida phajali

 

 hai kuchh to bat momin jo chha gai khamoshi

kis but ko de diya kyoon but se ban gae ho ~momin

 

khamoshi se musibat aur bhi sangin hoti hai

tadap ai dil tadapane se zara taskin hoti hai

 

khamoshi se musibat aur bhi sangin hoti hai

 tadap ai dil tadapane se zara taskin hoti hai

shad azimabadi

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