Aaftab Suraj Shayari
आफ़ताब-सूरज पर शायरी
दोस्तों आफ़ताब-सूरज पर शेर ओ शायरी का एक अच्छा संकलन हम इस पेज पर प्रकाशित कर रहे है, उम्मीद है यह आपको पसंद आएगा और आप विभिन्न शायरों के “आफ़ताब-सूरज” के बारे में ज़ज्बात और ख़यालात जान सकेंगे. अगर आपके पास भी “आफ़ताब-सूरज” पर शायरी का कोई अच्छा शेर है तो उसे कमेन्ट बॉक्स में ज़रूर लिखें.
सभी विषयों पर हिंदी शायरी की लिस्ट यहाँ है.
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न जाने कितने चिरागों को मिल गई शोहरत
इक आफताब के बे वक्त डूब जाने से।
माथे की तपिश जवाँ, बुलंद शोला-ए-आह,
आतिश-ए-आफ़ताब को हमने टकटकी से देखा है।
तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चिराग़
लोग क्या सादा हैं सूरज को दिखाते हैं चिराग़
~Faraz
इन अँधेरों से ही सूरज कभी निकलेगा “नज़ीर”
रात के साए ज़रा और निखर जाने दे
~नज़ीर बनारसी
मैं भटकती हूँ क्यूँ अंधेरे में
वो अगर आफताब जैसा है
Aaftab Suraj Shayari आफ़ताब-सूरज पर शायरी
तीरगी चाँद को ईनाम-ए-वफ़ा देती है,
रात-भर डूबते सूरज को सदा देती है !! -शमीम हनफ़ी
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अब आ भी जा कि सुबह से पहले ही बुझ न जाऊं
ऐ मेरे आफताब बहोत तेज है हवा
तारीकियों में और चमकती है दिल की धूप,
सूरज तमाम रात यहां डूबता नहीं !! -बशीर बद्र
पसीने बाटंता फिरता है हर तरफ सूरज
कहीं जो हाथ लगा तो निचोड़ दूगां उसे।
चाँद सूरज मिरी चौखट पे कई सदियों से
रोज़ लिक्खे हुए चेहरे पे सवाल आते हैं
~rahatindori
हमें चराग समझ कर बुझा न पाओगे
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं
~rahatindori
Aaftab Suraj Shayari आफ़ताब-सूरज पर शायरी
अगर ख़ुदा न करे सच ये ख़्वाब हो जाए
तेरी सहर हो मेरा आफ़ताब हो जाए
~दुष्यंत कुमार
मैं ज़ख़्म-ए-आरज़ू हूँ, सरापा हूँ आफ़ताब
मेरी अदा-अदा में शुआयें हज़ार हैं
~shair
गिरती हुइ दीवार का हमदर्द हूँ लेकिन
चढ़ते हुए सूरज की परस्तिश नहीं करता
~मुज़फ्फर वारसी
अपनी ताबीर के चक्कर में मेरा जागता हुआ ख्वाब
रोज सूरज की तरह धर से निकल पड़ता है।
फनकार है तो हाथ पे सूरज सजा के ला
बुछता हुआ दिया न मुकाबिल हवा के ला।
Aaftab Suraj Shayari आफ़ताब-सूरज पर शायरी
आये कुछ अब्र कुछ शराब आये,
उसके बाद आये तो अज़ाब आये,
बाम-इ-मिन्हा से महताब उतरे,
दस्त-ए-साक़ी में आफ़ताब आये।
काश होता मेरे हाथों में सूरज का निजाम
तेरे रस्ते में कभी धूप न आने देता।
मैं सूरज हूँ कोई मंज़र निराला छोड़ जाऊँगा,
उफ़क़ पर जाते जाते भी उजाला छोड़ जाऊंगा
घबराएँ हवादिस से क्या हम जीने के सहारे निकलेंगे
डूबेगा अगर ये सूरज भी तो चाँद सितारे निकलेंगे !!
Aaftab Suraj Shayari आफ़ताब-सूरज पर शायरी
मंद रौशनी है धुंधला सा आफ़ताब है,
ए सुबह। तू भी आज गम-ज़दा है क्या।
हर ज़र्रा आफ़ताब है, हर शय है बा-कमाल
निस्बत नही कमाल को शरहे कमाल से !! –
तेरे चेहरे के नूर से आफ़ताब भी चमकता है,
ए ज़िन्दगी। तू नहीं तो कुछ भी नहीं।
किसी दिन,तय है सूरज का ठिकाना ढ़ूँढ़ ही लेंगे,
उजालों की हमारे पास एक पुख्ता निशानी है
Aaftab Suraj Shayari आफ़ताब-सूरज पर शायरी
चलता रहा तू साथ मेरे,
कभी आफ़ताब बनके,
कभी महताब बन के।
आपकी नज़रों में आफताब की है जितनी अज़्मत
हम चिरागों का भी उतना ही अदब करते हैं
चढ़ने दो अभी और ज़रा वक़्त का सूरज,
हो जायेंगे छोटे जो अभी साये बड़े हैं !!
तेरे जलवों में घिर गया आखिर,ज़र्रे को आफताब होना था
कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी,कुछ मुझे भी खराब होना था
चौदवी का चाँद हो, या आफताब हो,
जो भी हो तुम, खुदा की क़सम, लाजवाब हो!!
चमन में शब को जो शोख़ बेनक़ाब आया,
यक़ीन हो गया शबनम को आफ़ताब आया !!
Aaftab Suraj Shayari आफ़ताब-सूरज पर शायरी
तू है सूरज तुझे मालूम कहां रात का दुख
तू किसी रोज उतर घर में मेरे शाम के बाद!
कल भी सूरज निकलेगा
कल भी पंछी गायेंगे
सब तुझको दिखाई देंगे
पर हम ना नज़र आएंगे
आँचलमें संजो लेना हमको
सपनोंमें बुला लेना हमको
~नरेंद्र_शर्मा
उजाले के पुजारी मुज़्महिल क्यूँ हैं अँधेरे से,
के ये तारे निगलते हैं तो सूरज भी उगलते हैं.!!
वो डूबते हुए सूरज को देखता है फराज़
काश मैं भी किसी शाम का मंजर होता
कभी चाँद चमका ग़लत वक़्त पर
कभी घर में सूरज उगा देर से
-निदा फ़ाजली
रात के राही थक मत जाना
सुबह की मंजिल दूर नहीं
ढलता दिन मजबूर सही
ढलता सूरज मजबूर नहीं
-साहीर लुधियानवी
Aaftab Suraj Shayari आफ़ताब-सूरज पर शायरी
रौशनी की भी हिफाज़त है इबादत की तरह
बुझते सूरज से चरागों की जलाया जाए
सूरज कही भी जाये
तुम पर ना धूप आये
तुम को पुकारते हैं
इन गेसूओं के साये
आ जाओ मैं बना दू
पलकों का शामियाना
-कमाल अमरोही
थका-थका सूरज जब नदी से होकर निकलेगा..
हरी-हरी काई पे पांव पड़ा तो फिसेलगा..
-गुलज़ार
गज़ल का हुस्न हो तुम नज़्म का शबाब हो तुम
सदा ये साज़ हो तुम नगमा ये रबाब हो तुम
जो दिल में सुबह जगाये वो आफ़ताब हो तुम..
-साहीर लुधियानवी
नज़दीकियों में दूरका मंज़र तलाश कर
जो हाथमें नहीं है वो पत्थर तलाश कर
सूरज के इर्द-गिर्द भटकने से फ़ाएदा
दरिया हुआ है गुम तो समुंदर तलाश कर
Aaftab Suraj Shayari आफ़ताब-सूरज पर शायरी
सूरज एक नटखट बालक सा
दिन भर शोर मचाए
इधर उधर चिड़ियों को बिखेरे
किरणों को छितराये
कलम,दरांती,बुरुश,हथोड़ा
जगह जगह फैलाये(1/1)
-निदा फ़ाज़ली
किरन-किरन अलसाता सूरज
पलक-पलक खुलती नींदें
धीमे-धीमे बिखर रहा है
ज़र्रा-ज़र्रा जाने कौन ।
-निदा फ़ाजली
रात जब गहरी नींद में थी कल
एक ताज़ा सफ़ेद कैनवस पर,
आतिशी सुर्ख रंगों से,
मैंने रौशन किया था इक सूरज
-गुलज़ार
काले घर में सूरज रख के,
तुमने शायद सोचा था,मेरे सब मोहरे पिट जायेंगे,
मैंने एक चिराग़ जला कर,
अपना रस्ता खोल लिया..!
-गुलज़ार
रात के पेड़ पे कल ही तो उसे देखा था..
चाँद बस गिरने ही वाला था फ़लक से पक कर
सूरज आया था,ज़रा उसकी तलाशी लेना
-गुलज़ार
Aaftab Suraj Shayari आफ़ताब-सूरज पर शायरी
कुछ ख़्वाबों के ख़त इनमें
कुछ चाँदके आईने सूरज की शुआएँ हैं
नज़मों के लिफाफ़ोंमें कुछ मेरे तजुर्बे हैं
कुछ मेरी दुआएँ हैं
गुलज़ार
कोई सूरज से ये पूछे के क्या महसूस होता है
बुलंदी से नशेबों में उतरने से ज़रा पहले
~शाद
तरस रहे हैं एक सहर को जाने कितनी सदियों से
वैसे तो हर रोज़ यहाँ सूरज का निकलना जारी है
~राजेश रेड्डी
मैं वो शजर भी कहाँ जो उलझ के सूरज से
मुसाफिरों के लिए साएबाँ बनाता है
~शाद
सारा दिन बैठा,मै हाथ में लेकर खाली कासा
रात जो गुजरी,चाँद की कौड़ी डाल गई उसमें
सूदखोर सूरज कल मुझसे ये भी ले जायेगा।
-गुलज़ार
आप को शब के अँधेरे से मोहब्बत है, रहे
चुन लिया सुबह के सूरज का उजाला मैंने.!!
ज़रा सी देर के लिये,जो आ गया मैं अब्र में
इधर ये शोर मच गया,के आफ़ताब ढल गया.!!
न जाने कितने चरागों को मिल गई शोहरत
एक आफ़ताब के बे-वक़्त डूब जाने से..!!
~इक़बाल अशहर
Aaftab Suraj Shayari आफ़ताब-सूरज पर शायरी
हम वो राही हैं लिये फिरते हैं सर पर सूरज।।
हम कभी पेड़ों से साया नहीं माँगा करते..!!
चढ़ने दो अभी और ज़रा वक़्त का सूरज।।
हो जाएँगे छोटे जो अभी साये बड़े हैं..!!
अपना सूरज तो तुझे ख़ुद हि उगाना होगा।।
धूप और छाँव के इलहाक़ में क्या ढूँढता है
~मेराज
हम वो राही हैं लिये फिरते हैं सर पर सूरज।।
हम कभी पेड़ों से साया नहीं माँगा करते..!!
आप को शब के अँधेरे से मोहब्बत है, रहे।।
चुन लिया सुबह के सूरज का उजाला मैंने..!!
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Aaftab Suraj Shayari in Hinglish
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ik aftab ke be vakt dub jane se.
mathe ke tapish javan, buland shola-e-ah,
atish-e-aftab ko hamane takatake se dekha hai.
tere hote hue mahafil mein jalate hain chirag
log kya sada hain suraj ko dikhate hain chirag
~faraz
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rat ke sae zara aur nikhar jane de
~nazer banarase
main bhatakate hun kyun andhere mein
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terage chand ko enam-e-vafa dete hai,
rat-bhar dubate suraj ko sada dete hai !! -shamem hanafe
ab a bhe ja ki subah se pahale he bujh na jaun
ai mere aftab bahot tej hai hava
tarekiyon mein aur chamakate hai dil ke dhup,
suraj tamam rat yahan dubata nahin !! -basher badr
pasene batanta firata hai har taraf suraj
kahen jo hath laga to nichod dugan use.
chand suraj mire chaukhat pe kae sadiyon se
roz likkhe hue chehare pe saval ate hain
~rahatindori
hamen charag samajh kar bujha na paoge
ham apane ghar mein kae aftab rakhate hain
~rahatindori
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agar khuda na kare sach ye khvab ho jae
tere sahar ho mera aftab ho jae
~dushyant kumar
main zakhm-e-arazu hun, sarapa hun aftab
mere ada-ada mein shuayen hazar hain
~shair
girate hui devar ka hamadard hun lekin
chadhate hue suraj ke parastish nahin karata
~muzaffar varase
apane taber ke chakkar mein mera jagata hua khvab
roj suraj ke tarah dhar se nikal padata hai.
fanakar hai to hath pe suraj saja ke la
buchhata hua diya na mukabil hava ke la.
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aye kuchh abr kuchh sharab aye,
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bam-i-minha se mahatab utare,
dast-e-saqe mein aftab aye.
kash hota mere hathon mein suraj ka nijam
tere raste mein kabhe dhup na ane deta.
main suraj hun koe manzar nirala chhod jaunga,
ufaq par jate jate bhe ujala chhod jaunga
ghabaraen havadis se kya ham jene ke sahare nikalenge
dubega agar ye suraj bhe to chand sitare nikalenge !!
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mand raushane hai dhundhala sa aftab hai,
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har zarra aftab hai, har shay hai ba-kamal
nisbat nahe kamal ko sharahe kamal se !! –
tere chehare ke nur se aftab bhe chamakata hai,
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kabhe aftab banake,
kabhe mahatab ban ke.
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ham chiragon ka bhe utana he adab karate hain
chadhane do abhe aur zara vaqt ka suraj,
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jo bhe ho tum, khuda ke qasam, lajavab ho!!
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yaqen ho gaya shabanam ko aftab aya !!
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tu hai suraj tujhe malum kahan rat ka dukh
tu kise roj utar ghar mein mere sham ke bad!
kal bhe suraj nikalega
kal bhe panchhe gayenge
sab tujhako dikhae denge
par ham na nazar aenge
anchalamen sanjo lena hamako
sapanommen bula lena hamako
~narendr_sharma
ujale ke pujare muzmahil kyun hain andhere se,
ke ye tare nigalate hain to suraj bhe ugalate hain.!!
vo dubate hue suraj ko dekhata hai faraz
kash main bhe kise sham ka manjar hota
kabhe chand chamaka galat vaqt par
kabhe ghar mein suraj uga der se
-nida fajale
rat ke rahe thak mat jana
subah ke manjil dur nahin
dhalata din majabur sahe
dhalata suraj majabur nahin
-saher ludhiyanave
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raushane ke bhe hifazat hai ibadat ke tarah
bujhate suraj se charagon ke jalaya jae
suraj kahe bhe jaye
tum par na dhup aye
tum ko pukarate hain
in gesuon ke saye
a jao main bana du
palakon ka shamiyana
-kamal amarohe
thaka-thaka suraj jab nade se hokar nikalega..
hare-hare kae pe panv pada to fiselaga..
-gulazar
gazal ka husn ho tum nazm ka shabab ho tum
sada ye saz ho tum nagama ye rabab ho tum
jo dil mein subah jagaye vo aftab ho tum..
-saher ludhiyanave
nazadekiyon mein duraka manzar talash kar
jo hathamen nahin hai vo patthar talash kar
suraj ke ird-gird bhatakane se faeda
dariya hua hai gum to samundar talash kar
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suraj ek natakhat balak sa
din bhar shor machae
idhar udhar chidiyon ko bikhere
kiranon ko chhitaraye
kalam,darante,burush,hathoda
jagah jagah failaye(1/1)
-nida fazale
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palak-palak khulate nenden
dheme-dheme bikhar raha hai
zarra-zarra jane kaun .
-nida fajale
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mainne raushan kiya tha ik suraj
-gulazar
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mainne ek chirag jala kar,
apana rasta khol liya..!
-gulazar
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chand bas girane he vala tha falak se pak kar
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-gulazar
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~shad
taras rahe hain ek sahar ko jane kitane sadiyon se
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~shad
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kaude dal gae usamen
sudakhor suraj kal mujhase ye bhe le jayega.
-gulazar
ap ko shab ke andhere se mohabbat hai, rahe
chun liya subah ke suraj ka ujala mainne.!!
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na jane kitane charagon ko mil gae shoharat
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~iqabal ashahar
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ham vo rahe hain liye firate hain sar par suraj..
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chadhane do abhe aur zara vaqt ka suraj..
ho jaenge chhote jo abhe saye bade hain..!!
apana suraj to tujhe khud hi ugana hoga..
dhup aur chhanv ke ilahaq mein kya dhundhata hai
~meraj
ham vo rahe hain liye firate hain sar par suraj..
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ap ko shab ke andhere se mohabbat hai, rahe..
chun liya subah ke suraj ka ujala mainne..!!
very good line sir g
Bahare hushna Teri,mousme sabaab Tera,kanha see dhundh ke laye koi jawab Tera,yeh Subhah tere rukhsaar ki jhalak hi to Hai,ki leke na’am nikalta aaftaab Mera.
दिन भर उजाला देकर भी
जब देखता है अंधेरा हर जगह
कुछ यूं निराश होकर
सूरज चाँद हो जाता है
_______सूरज सक्सेना
इत्र नगरी कन्नौज