Dariya Shayari in Hindi
दरिया पर शायरी
दोस्तों दरिया पर शेर ओ शायरी का एक अच्छा संकलन हम इस पेज पर प्रकाशित कर रहे है, उम्मीद है यह आपको पसंद आएगा और आप विभिन्न शायरों के “दरिया” के बारे में ज़ज्बात और ख़यालात जान सकेंगे. अगर आपके पास भी “दरिया” पर शायरी का कोई अच्छा शेर है तो उसे कमेन्ट बॉक्स में ज़रूर लिखें.
सभी विषयों पर हिंदी शायरी की लिस्ट यहाँ है.
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उठाने हैं अभी दरिया से मुझको प्यास के पहरे
अभी तो खुश्क पैरों पे मुझे रिमझिम भी लिखनी है
मेरे दामन को वुसअत दी है तूने दश्त-ओ-दरिया की
मैं ख़ुश हूँ देने वाले, तू मुझे कतरा के राई दे
~नक़्श लायलपुरी
अक्स पानी में मोहब्बत के उतारे होते,
हम जो बैठे हुए दरिया के किनारे होते !! -अदीम हाशमी
अंदाज़ कोई डूबने के सीखे तो हम से,
हम डूब के दरिया के किनारे नहीं निकले !!
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं,
जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना !!
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मिल जाऊँगा दरिया से तो हो जाऊँगा दरिया
सिर्फ़ इस लिए क़तरा हूँ कि दरिया से जुदा हूँ
~नज़ीर
Dariya Shayari in Hindi दरिया पर शायरी
डूबे कि रहे कश्ती दरिया-ए-मोहब्बत में,
तूफ़ान ओ तलातुम पर हम ग़ौर नहीं करते !!
समझ लिया था कभी एक सराब को दरिया,
पर एक सुकून था हमको फ़रेब खाने में !!
शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है,
रिश्ता ही मेरी प्यास का पानी से नहीं है !!
वो जो मुमकिन न हो मुमकिन ये बना देता है,
ख़्वाब दरिया के किनारों को मिला देता है!!
इस बार शहरे दिल में बहुत बारिशें हुईं
दरिया ग़म-ए-हयात के सब बेकिनार हैं
होता है निहाँ गर्द में सहरा मेरे होते
घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया, मेरे आगे
~ग़ालिब
Dariya Shayari in Hindi दरिया पर शायरी
मैं दरिया भी किसी गैर के हाथों से न लूं
एक कतरा भी समन्दर है अगर तू देदे!
फ़स्ल-ए-गुल आई फिर इक बार असिरान-ए-वफ़ा
अपने ही ख़ून के दरिया में नहाने निकले
आँखों मे अश्क बनके हमेशा रहूँगा मैं,
तश्नालबी के बाद भी दरिया रहूँगा मैं
~ काज़िम जरवली
दरिया में यूँ तो होते हैं क़तरे ही क़तरे सब,
क़तरा वही है जिसमें के दरिया दिखाई दे !!
आलम तो देखिए ज़रा उनके शबाब का
जैसे हो मोजज़न कोई दरिया शराब का
चुल्लू में हो दर्द का दरिया ध्यान में उसके होंठ
यूँ भी खुद को प्यासा रखना कितना मुश्किल है
Dariya Shayari in Hindi दरिया पर शायरी
बदन से हो के गुज़रा रूह से रिश्ता बना डाला
किसी की प्यास ने आखि़र मुझे दरिया बना डाला
गो देख चुका हूँ पहले भी नज़्ज़ारा दरिया-नोशी का,
एक और सला-ए-आम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है !!
अगर वो होश में रहते तो दरिया पार कर लेते,
ज़रा सी बात है लकिन कहाँ गाफिल समझते हैं
बढ़ गया था प्यास का एहसास दरिया देख कर
हम पलट आये मगर पानी को प्यासा देख कर
~मेराज
Dariya Shayari in Hindi दरिया पर शायरी
जरा दरिया की तह तक तू पहुंच जाने की हिम्मत कर,
तो फिर ऐ डूबने वाले, किनारा ही किनारा है !!
हुए मदफून-ए-दरिया ज़ेर-ए-दरिया तैरने वाले,
तमांचे मौज़ के खाते थे जो बन कर गुहर निकले।
~इक़बाल
उस तश्ना-लब की नींद न टूटे दुआ करो,
जिस तश्ना-लब को ख़्वाब में दरिया दिखाई दे!!
दरिया में यूँ तो होते हैं क़तरे ही क़तरे सब,
क़तरा वही है जिसमें के दरिया दिखाई दे !!
वो जो मुमकिन न हो मुमकिन ये बना देता है,
ख़्वाब दरिया के किनारों को मिला देता है !! -तैमूर हसन
कह देना समन्दर से हम ओस के मोती हैं
दरिया की तरह तुम से मिलने नहीं आएंगे!
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा
नफरतों के पुल लाँघ आया हूँ मैं,
मुहोब्बत के दरिया में डूब जाने के लिए।
इस बार शहर-ए-दिल में बहुत बारिशें हुईं,
दरिया ग़म-ए-हयात के सब बेकिनार हैं
Dariya Shayari in Hindi दरिया पर शायरी
इश्क़ के दरिया का आदाब ये बड़ा आम है,
दाम-ए-हर-मौज़ की खता है मगर, किश्तियों पे इलज़ाम है।
एक सा बरसता है नूर उसका हर कहीं,
फिर भी कहीं दरिया बना और बना सहरा कहीं।
आँखों से नींद खोलो दरिया रुके हुए हैं
और पर्वतोंपे कबसे बादल झुके हुए हैं
ये सुबह सांस लेगी और बादबाँ खुलेगा
पलकें उठाओ जानम ये आसमां खुलेगा
मेरा साक़ी है बड़ा दरिया दिल,
फिर भी प्यासा हूँ कि सहरा हूँ मैं !!
मुझे ज़िंदगी की दुआ देने वाले
हँसी आ रही है तेरी सादगी पर
जा लगेगी कश्ती-ए-दिल साहिल-ए-उम्मीद पर,
दीदा-ए-तर से अगर दरिया रवाँ हो जाएगा !! -मिर्ज़ा अंजुम
हरेक कश्ती का अपना तज़ुर्बा होता है दरिया में,
सफर में रोज़ ही मंझदार हो ऐसा नहीं होता !!
निगाहें थी वो या था दरिया कोई,
एक बार जो डूबा मैं तो फिर उबार ना सका
Dariya Shayari in Hindi दरिया पर शायरी
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं,
जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना
तिश्नगी ऐसी कि कौसर से भी तस्कीन ना हो,
पानी पानी ही हुआ देखे जो दरिया हम को !!
गहरे पानी में ज़रा आओ उतर कर देखें
हम को दरिया के किनारे नहीं अच्छे लगते
~इन्दिरा वर्मा
लहरों से लङा करता हूं मैं दरिया में उतर कर
साहिल पे खङा होके मैं साजिश नहीं कराता!
मेरे होठों पे जमा सब्र बता सकता है
मैने दरिया की कोई बात नहीं मानी थी
नज़दीकियों में दूरका मंज़र तलाश कर
जो हाथमें नहीं है वो पत्थर तलाश कर
सूरज के इर्द-गिर्द भटकने से फ़ाएदा
दरिया हुआ है गुम तो समुंदर तलाश कर
Dariya Shayari in Hindi दरिया पर शायरी
ये इश्क़ नहीं आसाँ बस इतना समझ लीजे,
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
कौन सियाही घोल रहा था वक़्त के बहते दरिया में
मैंने आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की..!
-कतील शिफ़ाई
कह देना समुन्दर से हम ओस के मोती हैं,
दरिया की तरह तुझ से मिलने नहीं आएँगे!
– बशीर बद्र
तेरे शहर तक पहुँच तो जाते
रस्ते में कितने दरिया पड़ते हैं….
पुल सब तूने जला दिए थे..
-गुलज़ार
Dariya Shayari in Hindi दरिया पर शायरी
तपती रेत पे दौड़ रहा है दरिया की उम्मीद लिए
सदियों से इन्सान का अपने आपको छलना जारी है
~राजेश रेड्डी
दरिया में यूँ तो होते हैं क़तरे-ही-क़तरे सब
क़तरा वही है जिसमें कि दरिया दिखाई दे
~कृष्ण बिहारी नूर
मुद्दतों बाद पशेमाँ हुआ दरिया हमसे
मुद्दतों बाद हमें प्यास छुपानी आई
सब को सैराब-ए-वफ़ा ख़ुद को प्यासा रखना
मुझ को ले डूबेगा दिल तेरा दरिया होना.!!
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा
नेकियाँ कर के जो, दरिया में डाल दोगे अभी
वो हि तूफानों में कश्तियाँ बन कर सांथ देंगी कभी
Dariya Shayari in Hindi दरिया पर शायरी
बचाता कुछ नहीं सारी कमाई डाल देता है
सुना है रोज़ दरिया में वो नेकी डाल देता है.!!
तू ख़ुदा का नाम लेकर घर से निकला है तो फिर
बहते दरिया में उतर जा रास्ता हो जाएगा.!!
डुबो दे अपनी कश्ती को,किनारा ढूँढने वाले
ये दरिया-ए-मोहब्बत है,यहाँ साहिल नहीं मिलता.!!
बढ़ गया था प्यास का एहसास दरिया देख कर।।
हम पलट आए मगर पानी को प्यासा देख कर..!!
“हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा।”
उन्हें हक़ीक़त-ए-दरिया की क्या ख़बर “अमजद”।।
जो अपनी रूह की मंजधार से नहीं गुज़रे..!!
Dariya Shayari in Hindi दरिया पर शायरी
मुद्दतों बाद पशेमाँ हुआ दरिया हमसे।।
मुद्दतों बाद हमें प्यास छुपानी आई..!!
नेकियाँ कर के जो, दरिया में डाल दोगे अभी
वो हि तूफानों में कश्तियाँ बन कर सांथ देंगी कभी
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वो दरिया पर क़ब्ज़ा जमा के बैठा है
ये तिश्नगी कैसी है जो मिटती नहीं
– अभिषेक सिंह
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