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190 प्रकार के पक्षी पृथ्वी से विलुप्त हो चुके हैं – Net In Hindi.com

190 प्रकार के पक्षी पृथ्वी से विलुप्त हो चुके हैं

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पक्षियों की विलुप्त प्रजातियाँ Extinct birds

पृथ्वी पर मानव की गतिविधियों और जंगलों के विनाश की वजह से कई पशु पक्षी विलुप्त हो गए हैं, सन 1500 से लेकर अब तक पक्षियों की 190 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं, विलुप्त होने की यह दर बढ़ती ही जा रही है, हवाई द्वीप के लगभग 30% पक्षियों की प्रजातियां नष्ट हो चुकी है इसी तरह गुआम द्वीप पर तो पक्षियों की 60% प्रजातियां सिर्फ 30 वर्षों के दौरान ही विलुप्त हो गई हैं.

विश्व में करीब 10000 प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं इनमें से कुल 1200 प्रजातियां ऐसी है जोकि लुप्त होने की कगार पर है, इन पक्षियों की प्रजातियों को संकटग्रस्त घोषित किया गया है.

पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त क्यों हो जाती है?

पक्षियों के विलुप्त होने का मूल कारण तो मनुष्य की गतिविधियां ही है, मनुष्य के द्वारा फैलाए गए प्रदूषण और जंगलों के विनाश के द्वारा ही पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त होती जा रही है, पक्षियों के विलुप्त होने के मूल कारण इस प्रकार है.

पक्षियों के आवास का नष्ट होना, मनुष्य गतिविधियों से, प्राकृतिक आपदाओं से, और मौसम के बदलाव के कारण पक्षियों के आवास स्थल नष्ट हो जाते हैं जिससे की पूरी की पूरी प्रजाति विलुप्त हो जाती है

भोजन के स्रोत का खत्म होना,  पक्षियों के भोजन के स्रोत खत्म होने या किसी और जाति के द्वारा उपयोग कर लिए जाने के कारण पक्षी विलुप्त हो जाते हैं.

पक्षियों के शिकार और उनके अंडों के उपयोग की वजह से भी पक्षी विलुप्त हो जाते हैं, कई बार किसी परभक्षी प्रजाति के आने के कारण भी पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त हो जाती है

मनुष्य द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले कीटनाशक पक्षियों के लिए जहरीले होते हैं इसकी वजह से पक्षियों के अंडों नहीं बन पाते हैं और अचानक ही पक्षी की प्रजाति विलुप्त हो जाती है

कई पक्षियों की प्रजातियां वातावरण के प्रति बहुत संवेदनशील है यह किसी एक खास तरह के वातावरण में ही जिंदा रह सकते हैं वातावरण में थोड़ा भी अंतर इन्हें मार डालता है

पक्षियों की प्रजातियां जो विलुप्त हो गई

पृथ्वी से कई शानदार और सुंदर पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं सन पंद्रह सौ से लेकर अब तक 190 प्रकार के पक्षी पृथ्वी से गायब हो चुके हैं इनमें से कुछ पांच प्रमुख पक्षियों की विलुप्त प्रजातियों के बारे में हम यहां संक्षिप्त में वर्णन कर रहे हैं.

डोडो विलुप्त पक्षी

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विलुप्त पक्षियों में डोडो सबसे प्रमुख है, यह उड़ ना सकने वाला बड़े आकार का पक्षी था जो कि मारीशस में पाया जाता था, आश्चर्य की बात है कि यह कबूतर का नजदीकी रिश्तेदार था परन्तु यह  3.3 फीट लंबा था और इसका वजन 20 किलो होता था, सन 1598 में डच समुद्री यात्री इस द्वीप पर आए तो उन्होंने डोडो को उसके मांस के लिए शिकार किया, डोडो पक्षी एक आसान शिकार था क्योंकि यह उड़ नहीं पाता था और ना ही इसका कोई परभक्षी था इसलिए यह भागता भी नहीं था समुद्री यात्रियों ने इस द्वीप पर लगभग सभी डोडो को मार कर पूरी प्रजाति को ही नष्ट कर दिया.

तस्मानियन इमु

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तस्मानियन इमु  पक्षी की इमू की ही एक प्रजाति थी  जो कि तस्मानिया द्वीप में पाई जाती थी, यह पक्षी उड़ नहीं पाता था, तस्मानिया में यह काफी तादाद में पाए जाते थे परंतु किसानों ने इसे एक फसल को नष्ट करने वाला पक्षी मानते हुए इसका शिकार किया और लगभग सारे पक्षियों को मार डाला गया.

कैरोलिना परेकीट Carolina Parakeet

कैरोलिना परेकीट एकमात्र तोते की प्रजाति थी जो कि उत्तरी अमेरिका में पाई जाती थी,  यह अलाबामा राज्य में मुख्य रूप से पाया जाता था तथा यह प्रवास करके ओहायो, आयोवा, इलिनॉइस आदि अमेरिका राज्यों में भी जाता था, इसका आकार 12 इंच का था तथा इसका वजन 280 ग्राम हुआ करता था, मानव विकास के दौरान जंगलों का विनाश किया गया जिससे कि उत्तरी अमेरिका के इस इकलौते तोते का आवास नष्ट हो गए इससे इसकी पूरी प्रजाति का ही विनाश हो गया.

अरबी शुतुरमुर्ग Arabian Ostrich

शुतुरमुर्ग पक्षी अब केवल अफ्रीका में ही पाए जाते हैं पहले यह अरब के रेगिस्तान में भी पाए जाते थे, इनकी कुछ संख्या जॉर्डन इसराइल कुवेत आदि देशों में भी पाई जाती थी इन्हें मध्य पूर्व का शतुरमुर्ग  कहा जाता था, अरब के अमीर लोगों ने खेल के रूप में इस पक्षी का शिकार करना शुरू किया, इस पक्षी का शिकार मास और अंडों उसके पंखों के लिए भी किया जाता था इसके सुंदर पंखों से कई प्रकार के क्राफ्ट्स बनाए जाते थे,  प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बंदूक और राइफल के आ जाने से इनका शिकार और भी आसान हो गया और इन्हें केवल मनोरंजन के लिए ही मारा गया इसका नतीजा यह निकला कि अरबी शतुरमुर्ग की पूरी प्रजाति ही खत्म हो गई.

संदेश वाहक  कबूतर Passenger Pigeon

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संदेश वाहक कबूतर भारी मात्रा में पाए जाते थे,  उनके झुंड इधर-उधर उड़ते हुए देखे जा सकते थे यह उत्तरी अमेरिका के जंगलों में पाए जाते थे, जब अमेरिका में, अफ्रीका से काले  लोगों को गुलाम बनाकर लाया गया तो उन्हें सस्ते भोजन के रूप में संदेशवाहक कबूतरों का मांस खिलाया गया, क्योंकि इनका शिकार आसानी से किया जा सकता था और यह काफी मात्रा में मौजूद थे,  सस्ते मांस खाने से गुलाम ताकतवर बने रहते थे तथा काफी काम कर सकते थे, शहरों को आबाद करने के लिए जंगलों का विनाश किया गया जिससे कि इन संदेशवाहक कबूतरों का आवास नष्ट हो गया, इन दोनों प्रमुख कारणों से उत्तरी अमेरिका में एक भी संदेशवाहक कबूतर नहीं बचा और यह प्रजाति पूर्णता विलुप्त हो गई.

इस तरह की पक्षियों की प्रजातियों के विलुप्त होने का मूल कारण तो मनुष्य और मनुष्य गतिविधियां ही हैं.

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