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गीबत और चुगलखोरी का अज़ाब – Net In Hindi.com

गीबत और चुगलखोरी का अज़ाब

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मज़म्मते गीबत व चुगलखोरी का अज़ाब

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 कुरआने मजीद में अल्लाह तआला ने गीबत की मज़म्मत फ़रमाई है और गीबत करने वाले को मुर्दार का गोश्त खाने वाले की मिस्ल करार दिया है चुनान्चे, फ़रमाने इलाही है:

और तुम एक दूसरे की गीबत न करो क्या तुम में से कोई एक येह बात पसन्द करता है कि वोह अपने मुर्दा भाई का गोश्त खाए पस तुम इसे बुरा समझोगे। फ़रमाने नबवी है कि हर मुसलमान का खून, माल और इज्जत हराम है।

गीबत इज्जत को खा जाती है गीबत के बारे में हदीसे पाक

गीबत इज्जत को खा जाती है और अल्लाह तआला ने इसे माल और खून के साथ यक्जा ज़िक्र किया है।

हज़रते अबू बरज़ा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि एक दूसरे पर हसद न करो, बुग्ज़ न करो, धोका न दो, पीठ पीछे बुराइयां न करो और एक दूसरे की गीबत न करो, अल्लाह तआला के बन्दो ! भाई-भाई बन जाओ।

हज़रते जाबिर और अबू सईद रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि गीबत से बचो क्यूंकि गीबत ज़िना से भी बुरी है इस लिये कि आदमी ज़िना करता है और तौबा करता है तो अल्लाह तआला उस की तौबा क़बूल फ़रमा लेता है मगर गीबत करने वाले की तौबा उस वक्त तक क़बूल नहीं होती जब तक कि वो शख्स मुआफ़ न करे जिस की गीबत की गई है।

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि मे’राज की रात मेरा ऐसी कौम पर से गुज़र हुवा जो अपने चेहरे नाखुनों से नोच रहे थे, मैं ने कहा : जिब्रील ! येह कौन हैं ? जिब्रील ने कहा : येह वोह लोग हैं कि जो लोगों की गीबत करते हैं और उन की इज्जत को पामाल करते हैं।

हज़रते सुलैमान बिन जाबिर रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि मैं ने हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हो कर अर्ज किया : मुझे ऐसा भला काम बतलाइये जिस से मैं नफ्अ अन्दोज़ हो सकूँ, आप ने फ़रमाया कि भलाई के किसी काम को हक़ीर न समझ अगरचे  तुझे अपने डोल का पानी प्यासे के डोल में ही डालना पड़े और तेरा भाई तुझ से गर्म जोशी से मिले या तुझ से मुंह मोड़ ले, तू उस की गीबत न कर ।

हज़रते बरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हमें खिताब फ़रमाया जिसे पर्दा नशीन औरतों ने अपने घरों में सुना, आप ने फ़रमाया : ऐ वोह लोगो ! जो ज़बान से ईमान लाए हो मगर दिलों में ईमान नहीं रखते हो ! मुसलमानों की गीबत न करो और इन की रुस्वाई की जुस्तजू में न रहो क्यूंकि जो किसी भाई की रुस्वाई के दरपे होता है, अल्लाह तआला उस की रुस्वाई के दरपे होता है और अल्लाह तआला जिस की रुस्वाई के दरपे होता है उसे उस के घर में बे इज्जत और रुस्वा कर देता है ।

कहा गया है कि अल्लाह तआला ने हज़रते मूसा अलैहहिस्सलाम  की तरफ़ वही फ़रमाई कि जो गीबत से ताइब हो कर मरा वोह आखिरी शख्स होगा जो जन्नत में जाएगा और जो ग़ीबत करते करते मर गया वोह पहला शख्स होगा जो जहन्नम में जाएगा।

लोगो का गोश्त खाना

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने लोगों को एक दिन के रोजे का हुक्म दिया और फ़रमाया कि मेरी इजाज़त के बिगैर कोई भी रोजा इफ़तार न करे, यहां तक कि जब शाम हो गई तो लोग आना शुरूअ हुवे और हर शख्स हाज़िर हो कर अर्ज करता : या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम मैं ने दिन में रोज़ा रखा मुझे इजाज़त दीजिये कि मैं इसे इफ़तार करू, आप उसे इजाज़त फ़रमा देते । इसी तरह लोग आते गए और इजाज़त लेते गए ता आंकि एक आदमी ने आ कर अर्ज की : या रसूलल्लाह ! मेरे घर की दो जवान औरतों ने रोज़ा रखा है और वोह आप की ख़िदमत में आते हुवे शरमाती हैं, इजाज़त दीजिये ताकि वोह रोजा इफ़तार करें। हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने मुंह फेर लिया, उस ने फिर अर्ज़ किया : आप ने फिर मुंह फेर लिया, उस ने फिर अर्ज़ की तो आप ने फ़रमाया : उन्हों ने रोज़ा नहीं रखा वोह शख्स कैसे रोज़ादार हो सकता है जिस का दिन लोगों का गोश्त खाते गुज़र जाए तुम जाओ और उन्हें जा कर कहो कि अगर तुम रोज़ादार हो तो किसी तरह उलटी करो चुनान्चे, वोह उन के पास गया और उन्हें सारी बात बता कर उलटी करने को कहा। उन्हों ने उलटी की और हर एक ने खून के लोथड़े की उलटी की, वोह शख्स हुजूर की खिदमत में हाज़िर हुवा और सारी रू दाद सुनाई, आप ने उस की बात सुन कर फ़रमाया : ब ख़ुदा ! अगर येह चीज़ उन के पेट में मौजूद रहती तो उन्हें आग जलाती।

एक रिवायत के अल्फ़ाज़ येह हैं कि जब हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने उस से मुंह फेर लिया तो वोह कुछ देर बाद दोबारा हाज़िर हुवा और अर्ज की : या रसूलल्लाह ! वोह दोनों मर चुकी हैं या मरने के करीब हैं, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : उन्हें मेरे पास लाओ, जब वोह आ गई तो आप ने प्याला मंगवा कर उन में से हर एक से फ़रमाया कि इस में कै करो चुनान्चे, एक ने पीप, खून और बदबू दार मवाद से प्याला भर दिया, फिर आप ने दूसरी से भी कै करने को कहा तो उस ने भी वैसी ही कै की। आप ने फ़रमाया : इन दोनों ने अल्लाह के हलाल कर्दा रिज्क से रोज़ा रखा और अल्लाह तआला की हराम कर्दा अश्या से इफ्तार किया, इन में से एक, दूसरी के पास जा बैठी और येह दोनों मिल कर लोगों का गोश्त खाती रहीं (या’नी गीबत करती रहीं)।

 

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हम से खिताब फ़रमाया और उस में सूद की बुराइयों और कबाहतों का ज़िक्र करते हुवे फ़रमाया कि एक सूदी दिरहम इन्सान के तेंतीस मरतबा ज़िना करने से बदतर है और सब से बड़ा सूद किसी मुसलमान की इज्जत पर डाका डालना है।

चुगुल खोरी येह एक इन्तिहाई बुरी सिफ़त है, फ़रमाने इलाही है : “गीबत करने वाला लोगों के साथ चुगली करने वाला है।”

फिर फ़रमाया : “मुतकब्बिर और इस के बाद बद नसीब ।”

हज़रते अब्दुल्लाह बिन मुबारक रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है कि ‘ज़नीम’ ऐसे वलदुज्जिना को कहते हैं जो बातें पोशीदा नहीं रखता और इन्हों ने इस जानिब इशारा किया है कि जो शख़्स बात मख्फी नहीं रखता और चुगुल खोरी करता है उस का येह फेल इस अम्र पर दलालत करता है कि वोह वलदुज्जिना है क्यूंकि फ़रमाने इलाही में इसी जानिब इशारा मिलता है : “गर्दन अकड़ा कर चलने वाला और इस के बाद वलदुज्जिना।” यहां ज़नीम से मुराद झूटे नसब का मुद्दई है।

और फ़रमाने इलाही है : वैल (हलाकत) है हर गीबत करने वाले हुमज़ह के लिये। एक तशरीह के मुताबिक़ हुमज़ह का मा’ना चुगुल खोर बताया गया है।

और इरशादे इलाही है : “जो लकड़ियों को उठाने वाली है।” कहते हैं कि यहां लकड़ियों से मुराद चुगलियां हैं क्यूंकि वोह बातें उठाए चुगलियां करती रहती थी।

एक और मक़ाम पर इरशादे इलाही है:

“पस उन दो औरतों ने उन की खियानत की और उन्हों ने अल्लाह की तरफ़ उन दोनों की किफ़ायत न की।”

कहते हैं कि इस आयत में दो औरतों का तजकिरा है : एक हज़रते लूत अलैहहिस्सलाम  की बीवी जो कौम को हज़रते लूत अलैहहिस्सलाम  के मेहमानों से ख़बरदार किया करती थी और नूह अलैहहिस्सलाम  की बीवी जो आप को मखबूतुल हवास कहा करती थी।

फ़रमाने नबवी है कि चुगुल ख़ोर जन्नत में नहीं जाएगा। दूसरी हदीस में है कि कत्तात जन्नत में नहीं जाएगा। कत्तात चुगुल खोर को कहते हैं।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि तुम में से अल्लाह तआला को सब से ज़ियादा महबूब वोह लोग हैं जो दुनिया में रहते हैं, वोह लोगों से महब्बत करते हैं और लोग उन्हें महबूब समझते हैं और अल्लाह तआला के यहां सब से बद तरीन वोह लोग हैं जो चुगुल खोरियां करते हैं, भाइयों को बाहम लड़ाते हैं और नेकों की लगजिशों के ख्वाहां होते हैं।

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : क्या मैं तुम्हें बद तरीन आदमियों के मुतअल्लिक न बताऊं ? सहाबा ने अर्ज की : बतलाइये या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम आप ने फ़रमाया : वोह चुगुल खोरी करने वाले, दोस्तों में फ़साद बरपा करने वाले और सालेह लोगों पर झूटी तोहमतें लगाने वाले हैं। (या’नी बद तरीन लोग येह हैं)।

हज़रते अबू ज़र रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जो शख्स नाहक़ किसी मुसलमान के मुतअल्लिक झूटी बात फैलाता है कि उसे ज़लीलो रुस्वा करे तो अल्लाह तआला उसे कियामत के दिन जहन्नम में ज़लीलो रुस्वा करेगा।)

हज़रते अबुदरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम  ने फ़रमाया : जो शख्स मुसलमान के लिये किसी ऐसी बात को फैलाता है जो बिल्कुल गलत हो और वोह इस से उस मुसलमान को दुनिया में रुस्वा करना चाहता है, अल्लाह तआला को हक़ है कि वोह उसे कियामत के दिन जहन्नम में रुस्वा करे ।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जो किसी मुसलमान पर झूटी गवाही देता है वोह अपना ठिकाना जहन्नम में समझे ।

और येह भी कहा गया है कि क़ब्र में एक तिहाई अज़ाब सिर्फ चुगुल ख़ोरी की बदौलत होता है ।

हज़रते इब्ने उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि जब अल्लाह तआला ने जन्नत को पैदा फ़रमाया तो उसे हुक्म दिया कि मुझ से बात कर, वोह बोली कि जो मेरे अन्दर आ गया वोह सआदत मन्द हुवा, तब रब्बे जब्बार  ने फ़रमाया मुझे अपनी इज्जतो जलाल की कसम ! मैं तेरे अन्दर आठ किस्म के लोग दाखिल नहीं करूंगा, आदी शराबी, ज़ानी, चुगुल खोर, बे गैरत, रज़ील, हीजड़ा,कतए रेहमी करने वाला और वोह शख्स जो येह कहता है : मेरा खुदा से अह्द है कि फुलां फुलां बुरा अमल नहीं करूंगा मगर येह वादा पूरा नहीं करता।।

हिकायत – चुगलखोर की वजह से बारिश का ना होना

हज़रते का’ब अहबार रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि एक मरतबा बनी इस्राईल कहत में मुब्तला हो गए, मूसा अलैहहिस्सलाम  ने मुतअद्दिद बार बारिश की दुआ की मगर बारिश न हुई, तब अल्लाह तआला ने मूसा अलैहहिस्सलाम  की तरफ़ वहयी  फ़रमाई कि मैं तेरी और तेरे साथियों की दुआ कैसे क़बूल करूं ? हालांकि तुम में आदी चुगुल खोर मौजूद है ! हज़रते मूसा अलैहहिस्सलाम  ने अर्ज की : या इलाही ! मुझे वोह चुगुल खोर बता ताकि मैं उसे (अपनी जमाअत से) बाहर निकाल दूं ! रब तआला ने फ़रमाया ऐ मूसा ! मैं तुम्हें चुगुल खोरी से मन्अ कर रहा हूं और फिर खुद चुगुल खोरी करूं ? लिहाज़ा उन सब ने तौबा की और बारिश बरसने लगी।

और कहा गया है कि किसी आदमी ने सात सो फ़रसख का तवील सफ़र कर के एक दाना की मजलिस में हाज़िरी दी और उसे कहा कि मैं इतनी तवील मसाफ़त तै कर के आप से सात बातें पूछने आया हूं, अल्लाह तआला ने आप को इल्म दिया है, मुझे येह बतलाइये कि आस्मान से भारी चीज़ क्या है ? ज़मीन से फ़राख चीज़ क्या है ? चट्टान से सख्त चीज़, आग से गर्म चीज़, जमहरीर से भी ठन्डी चीज़, समन्दर से भी ज़ियादा बे नियाज़, यतीम से भी ज़ियादा ख्वार चीज़ क्या है ? उस दाना ने जवाब दिया कि पाक दामन पर बोहतान आस्मान से भी भारी है, हक़ ज़मीन से ज़ियादा फ़राख है, कनाअत पसन्द दिल समन्दर से ज़ियादा बे नियाज़ है, हिर्स और हसद आग से ज़ियादा गर्म हैं, किसी अज़ीज़ से काम, जब कि वोह पूरा न करे ज़महरीर से ज़ियादा सर्द है, काफ़िर का दिल चट्टान से ज़ियादा सख्त और चुगुल खोर, जब उस का किरदार ज़ाहिर हो जाए यतीम से भी ज़ियादा ज़लीलो रुस्वा होता है। किसी शाइर ने क्या खूब कहा है :

जो चुगुल खोर लोगों में चुगुल खोरियां करता है तो उस के दोस्त को भी उस के सांपों और बिच्छूओं से बे ख़ौफ़ न समझ (या’नी वोह दोस्तों की भी चुगलियां करेगा) रात को आने वाले सैलाब की तरह जिस के मुतअल्लिक़ कोई नहीं जानता कि कहां से आया है और किस किस तक पहुंचा है।उस के वादा के लिये हलाकत है वोह उसे कैसे पूरा करेगा और उस की दोस्ती के लिये हलाकत है, वोह कैसे इस की नफ़ी करेगा।

दूसरा शाइर कहता है :

वोह चुगुल खोर जिस तरह तेरी हिमायत करता है इसी तरह तेरी बुराइयां भी बयान करेगा दो चेहरों वाले के मक्रो फ़रेब से गाफ़िल न हो।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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