इम्तिहान शायरी – आज़माइश शायरी Imtihaan Shayari in hindi
Imtihaan shayari दोस्तों हम सबकी ज़िन्दगी में आज़माइश और इम्तिहान आते हें यह जीवन का हिस्सा हे इम्तिहान के दौर में हमें हिम्मत से काम लेना चाहिए, यहाँ इस पेज पर हम इम्तिहान पर कुछ शेर प्रस्तुत कर रहें हे, जब भी आप किसी सख्त मुश्किल और इम्तिहान से गुजरें तो इन अशआर को पढ़कर आप में एक नयी उर्जा और साहस पैदा होगा जो आपको इस इम्तिहान को पूरा करने की ताक़त देगा. उम्मीद है की इम्तिहान पर यह शायरी आपको पसंद आएगी.
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इश्क का इम्तेहान शायरी फॉर लवर्स
हर मुश्किल बदल जाती है आसानी की सूरत में,
अगर दिल आजमाइश के लिये तैयार हो जाये
वो मेरा पलके बिछा कर तकना और तेरा ना आना,
इम्तिहान है इश्क का हिज़्र का हद से गुज़र जाना
उफ्फ!! ये इश्क ये मोहब्बत ये दीवानापन मेरा ,
उसपे ये हुस्न ये जलवा ये लड़कपन तेरा ,
बदहवासी में है ईमान मेरा और इम्तिहान तेरा ,
कुसूर गर मेरा ही है तो दिल भी है बेईमान तेरा।
ख़ुदा ले शौक से तू इम्तिहान मेरा मग़र,
मैं वो नहीं जो तेरा इम्तिहाँ दे पाऊँ !!
मैंने क्या बिगाड़ा है ऐ इश्क तेरा
जो इम्तिहान ले रहा है मेरा
ज़िन्दगी इम्तिहान लेना गर शौक है तेरा तो
तेरे हर इम्तिहान में अव्वल आना जूनून है मेरा
इम्तिहान आज मेरा कुछ बेहिसाब होगा
मिलकर उसको मेरा इकरार होगा……..!!
ज़माने से दूर ऐ सनम तेरा इतजार होगा
तेरी एक मुलाक़ात का असर कुछ खास होगा………!!
ले इम्तिहान जिससे हो दिल मुतमइन तेरा..
बाद उसके इलाज हो मुस्तकिल मेरा….
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Imtihaan Status Pictures – Imtihaan dp Pictures – Imtihaan Shayari
मुझ-सा होगा न कोई भी आशिक तेरा
सौ-सौ बार तू ले इम्तिहान मेरा
दिल के मंदिर में मैं, करूं पूजा तेरी
मैं दीवाना तेरा, तू है दीवानगी
वो सज़दा ही क्या जिसमे सर उठाने का होश रहे?
इज़हारे इश्क़ का इम्तिहान तो अब हो रहा जब आप खामोश हैं और हम बेचैन..
इश्क का सबसे बड़ा…इम्तिहान
इश्क से बाहरनिकलना है।
मेरे इश्क़ को एक बार आजमा करके तो देखो
कभी हद से ज्यादा इश्क़ मुझसे करके तो देखो
कभी मेरे इश्क़ का मजाक यूँ न बनाना
चाहो तो मेरे इश्क़ का इम्तिहान लेकर तो देखो
इन्तहां हो गाई है इश्क का इम्तिहान देने मे…!
पर इत्मीनान बहुत है इश्क का इल्जाम लेने मे..!!
रूह घायल ,लबों पे मुस्कान
यही तो है इश्क़ का इम्तिहान….
हर बात पे मेरे इश्क़ का इम्तिहान लेते हो,
सच बताओ तुम हमें प्यार करते हो या नही…..
इश्क़ है तो ड़र कैसा
टूटना बिखरने का गम कैसा
कमबख़्त_इश्क़ होता ही ऐसा
बस बिखरकर संभलना ही
इश्क़ का इम्तिहान समझना
जो जीत गया ये, बाजी
इश्क़ भी हो गया उसपे राजी
इस “इश्क” का इम्तिहान,अभी “बाकी” है!
दर्दे “दिल” का “हिसाब” अभी “बाकी” है!
जनाब ये तो “बेपनाह” मोहब्बत भरे दिल की बात है!
अभी तो “मन”का भी , जार-जार होना बाकी है!!
मेरे इश्क का इम्तिहान मत ले ऐ दोस्त
हम वो हैं जो अपना वजुद मिटा देते हैं
पर प्यार नहीं बदलते !!
अब और मेरे इश्क का इम्तिहान न लीजिए।
दिल तो ले ही चुके हैँ अब जान न लीजिए..!
मेरे इल्म-ए-इश्क़ का इम्तिहान लेने से पहले
अपने इश्क़ का थोड़ा सा निसाब तो दिया होता
गर फिर भी कामयाब न होता उसमे जरा सा भी
जाके कहीं तब मेरी नाकामी का हिसाब किया होता
इश्क का इम्तिहान आसान नहीं,
किसी का प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं,
किसी के इंतज़ार में मुद्दतें बीत जाती है,
यह कोई पल दो पल का काम नहीं।
रात भर कुछ ऐसे ही याद करती रही मैं तुम्हें;
जैसे सुबह मेरे इश्क़ का इम्तिहान हो…!!
माना कि ये दूरियां मेरे इश्क़ का इम्तिहान ले रही हैं
हौसला है कि दरिया-ए अश्क को तैर पार उतरूंगा ||
इश्क का बाकी इम्तिहान आज भी है
दिल पर तेरा निशान आज भी है
तुम तो सब भूल गए जाके किसी दुनिया में
तेरे लिए कोई परेशान आज भी है
मुहब्बत का उनके ,अंदाजे बयां कैसे करे..
इश्क के इम्तिहान का ,इजहारे बयां कैसे करे…
रोज ही लेता है मेरी खुद्दारी का इम्तिहान
ज़िन्दगी का सबसे मुश्किल पर्चा है इश्क ………..
ए तुफान तु ले ले मेरा इम्तिहान
यहीं डटा हूं यहीं डटा रहूंगा;
आजमा ले तु अपनी ताकत जी भर के;
तेरा हौंसला मैं झुका के रहूँगा।
क़दम क़दम पे वही चश्म ओ लब वही गेसू
तमाम उम्र नज़र इम्तिहान में रहती है
– अहमद मुश्ताक़
नतीजा एक सा निकला दिमाग़ और दिल का
कि दोनों हार गए इम्तिहान में दुनिया के
– एजाज़ गुल
दिल ग़म से जल रहा है जले पर धुआँ न हो
मुमकिन है इसके बाद कोई इम्तिहान न हो
इम्तिहान और मेरी ज़ब्त का तुम क्या लोगे,
मैं ने धड़कन को भी सीने में छुपा रखा है !! -क़तील शिफ़ाई
कहते हैं आज़माइश-ए-इश्क़ है यही, कि जाते हुए,
ऐ निगाह-ए-यार, फिर पलट के इक बार देखना !!
आज़माइश की घड़ी से गुज़र आए तो ज़िया
जश्न ए ग़म जारी हुआ आँखों में आँसू आए
– ज़िया जालंधरी
मेरा कहना हर्फ़-ए-आख़िर भी नहीं
मेरी मानो आज़माइश तो करो
#फ़ारूक़नाज़की
आज़माइश वक़्त ने की
सब यक़ीं टूटे पड़े थे
जाँ देनी है मेरी आज़माइश
दिलदारी है इम्तिहान तुम्हारा
#क़लक़मेरठी
तिरे साथ चलने की आदत नहीं
हमारी न कर आज़माइश हवा
#ख़ालिदमहमूद
‘सबा’ है आज़माइश का तसलसुल
कि दरियाओं पे दरिया पार करना
#सबिहासबा
मुक़ाबिल आएँगे हर बार ताज़ा हौसला ले कर
तुझे हम आज़माइश में सितम-ईजाद रक्खेंगे
गुज़री है आज़माइश-ए-महर-ओ-वफ़ा में उम्र
फ़ुर्सत मुझे मिली न कभी इम्तिहान से
#दाग़
हुज़ूर-ए-शाह में अहल-ए-सुख़न की आज़माइश है
चमन में ख़ुश-नवायान-ए-चमन की आज़माइश है
Ghalib
दिए के और हवाओं के मरासिम खुल नहीं पाते
नहीं खुलता कि इनमें से ये किस की आज़माइश है
हर मुश्किल बदल जाती है आसानी की सूरत में,
अगर दिल आजमाइश के लिये तैयार हो जाये
Imtihaan Shayari in hindi hinglish font
har mushkil badal jate hai asane ke soorat mein,
agar dil ajamaish ke liye taiyar ho jaye
vo mera palake bichha kar takana aur tera na ana,
Imtihaan hai ishk ka hizr ka had se guzar jana
uff!! ye ishk ye mohabbat ye devanapan mera ,
usape ye husn ye jalava ye ladakapan tera ,
badahavase mein hai eman mera aur Imtihaan tera ,
kusoor gar mera he hai to dil bhe hai beeman tera.
khuda le shauk se too Imtihaan mera magar,
main vo nahin jo tera Imtihaan de paoon !!
mainne kya bigada hai ai ishk tera
jo Imtihaan le raha hai mera
zindage Imtihaan lena gar shauk hai tera to
tere har Imtihaan mein avval ana joonoon hai mera
Imtihaan aj mera kuchh behisab hoga
milakar usako mera ikarar hoga……..!!
zamane se door ai sanam tera itajar hoga
tere ek mulaqat ka asar kuchh khas hoga………!!
le Imtihaan jisase ho dil mutamin tera..
bad usake ilaj ho mustakil mera….
mujh-sa hoga na koe bhe ashik tera
sau-sau bar too le Imtihaan mera
dil ke mandir mein main, karoon pooja tere
main devana tera, too hai devanage
vo sazada he kya jisame sar uthane ka hosh rahe?
izahare ishq ka Imtihaan to ab ho raha jab ap khamosh hain aur ham bechain..
ishk ka sabase bada…Imtihaan
ishk se baharanikalana hai.
mere ishq ko ek bar ajama karake to dekho
kabhe had se jyada ishq mujhase karake to dekho
kabhe mere ishq ka majak yoon na banana
chaho to mere ishq ka Imtihaan lekar to dekho
intahan ho gae hai ishk ka Imtihaan dene me…!
par itmenan bahut hai ishk ka iljam lene me..!!
rooh ghayal ,labon pe muskan
yahe to hai ishq ka Imtihaan….
har bat pe mere ishq ka Imtihaan lete ho,
sach batao tum hamen pyar karate ho ya nahe…..
ishq hai to dar kaisa
tootana bikharane ka gam kaisa
kamabakht_ishq hota he aisa
bas bikharakar sambhalana he
ishq ka Imtihaan samajhana
jo jet gaya ye, baje
ishq bhe ho gaya usape raje
is “ishk” ka Imtihaan,abhe “bake” hai!
darde “dil” ka “hisab” abhe “bake” hai!
janab ye to “bepanah” mohabbat bhare dil ke bat hai!
abhe to “man”ka bhe , jar-jar hona bake hai!!
mere ishk ka Imtihaan mat le ai dost
ham vo hain jo apana vajud mita dete hain
par pyar nahin badalate !!
ab aur mere ishk ka Imtihaan na lejie.
dil to le he chuke hain ab jan na lejie..!
mere ilm-e-ishq ka Imtihaan lene se pahale
apane ishq ka thoda sa nisab to diya hota
gar fir bhe kamayab na hota usame jara sa bhe
jake kahen tab mere nakame ka hisab kiya hota
ishk ka Imtihaan asan nahin,
kise ka pyar sirf pane ka nam nahin,
kise ke intazar mein muddaten bet jate hai,
yah koe pal do pal ka kam nahin.
rat bhar kuchh aise he yad karate rahe main tumhen;
jaise subah mere ishq ka Imtihaan ho…!!
mana ki ye dooriyan mere ishq ka Imtihaan le rahe hain
hausala hai ki dariya-e ashk ko tair par utaroonga ||
ishk ka bake Imtihaan aj bhe hai
dil par tera nishan aj bhe hai
tum to sab bhool gae jake kise duniya mein
tere lie koe pareshan aj bhe hai
muhabbat ka unake ,andaje bayan kaise kare..
ishk ke Imtihaan ka ,ijahare bayan kaise kare…
roj he leta hai mere khuddare ka Imtihaan
zindage ka sabase mushkil parcha hai ishk ………..
e tufan tu le le mera Imtihaan
yahen data hoon yahen data rahoonga;
ajama le tu apane takat je bhar ke;
tera haunsala main jhuka ke rahoonga.
nateja ek sa nikala dimag aur dil ka
ki donon har gae Imtihaan mein duniya ke
– ejaz gul
dil gam se jal raha hai jale par dhuan na ho
mumakin hai isake bad koe Imtihaan na ho
Imtihaan aur mere zabt ka tum kya loge,
main ne dhadakan ko bhe sene mein chhupa rakha hai !! -qatel shifae
kahate hain azamaish-e-ishq hai yahe, ki jate hue,
ai nigah-e-yar, fir palat ke ik bar dekhana !!
azamaish ke ghade se guzar ae to ziya
jashn e gam jare hua ankhon mein ansoo ae
– ziya jalandhare
mera kahana harf-e-akhir bhe nahin
mere mano azamaish to karo
#farooqanazake
azamaish vaqt ne ke
sab yaqen toote pade the
jan dene hai mere azamaish
diladare hai Imtihaan tumhara
#qalaqamerathe
muqabil aenge har bar taza hausala le kar
tujhe ham azamaish mein sitam-ejad rakkhenge
guzare hai azamaish-e-mahar-o-vafa mein umr
fursat mujhe mile na kabhe Imtihaan se
#dag
die ke aur havaon ke marasim khul nahin pate
nahin khulata ki inamen se ye kis ke azamaish hai