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इस्लाम में ब्याज और सूद खाने पर अज़ाब – Net In Hindi.com

इस्लाम में ब्याज और सूद खाने पर अज़ाब

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सूदखोरी ब्याज खाने की मनाही

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

मुमानअते सूदखोरी और ब्याज

सूदखोरी की मुमानअत में काफ़ी आयात नाज़िल हुई हैं और बहुत सी अहादीस भी इस सिलसिले में वारिद हुई हैं, चुनान्चे, बुख़ारी और अबू दावूद की हदीस है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने जिस्म पर नक्श गूदने वाले और नक्श गुदवाने वाले, सूद देने वाले और सूद लेने वाले पर ला’नत की है और कुत्ते की कीमत लेने और बदकारियों से मन्अ फ़रमाया और तस्वीर बनाने वालों पर ला’नत फ़रमाई है।

अहमद, अबू या’ला, सहीह इब्ने खुर्जामा और सहीह इब्ने हब्बान ने हज़रते इब्ने मसऊद रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत की है : इन्हों ने फ़रमाया : सूद लेने वाला, सूद देने वाला, इस पर गवाह बनने वाले, इस की तहरीर करने वाले पर जब कि उसे मालूम हो कि येह तहरीर सूद के लिये हो रही है, जिस्म पर फूल गूदने वाले, फूल गुदवाने वाले पर जो अपनी खूब सूरती के लिये ऐसा करता है, सदके से इन्कार करने वाला और बदवी जो हिजरत के बाद फिर मुर्तद्द हुवा, सब मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की ज़बाने मुबारक से मलऊन करार पाए हैं।

 

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सूद खोर जन्नत में नहीं जायेगा

हाकिम ने ब सनदे सहीह रिवायत की है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि चार शख्स ऐसे हैं जिन के लिये अल्लाह तआला ने लाज़िम कर दिया है कि उन्हें जन्नत में दाखिल नहीं करेगा और न ही वो उस की ने’मतों से लुत्फ़ अन्दोज़ होंगे, शराबी, सूदखोर, नाहक यतीम का माल खाने वाला और वालिदैन का ना फ़रमान ।

हाकिम की एक रिवायत है जिसे सहीह करार दिया गया है कि सूद के तिहत्तर दरवाजे हैं जिन में से सब से कमतर येह है कि जैसे कोई शख्स अपनी मां से निकाह कर ले ।

 

बज्जाज़ ने ब सनदे सहीह रिवायत की है कि सूद के कुछ ऊपर सत्तर अक्साम हैं, इसी तरह शिर्क भी है। बैहक़ी की रिवायत है कि सूद के सत्तर दरवाज़े हैं और सब से अदना येह है कि इन्सान अपनी मां से बदकारी करे ।

तबरानी कबीर में हज़रते अब्दुल्लाह बिन सलाम से रिवायत की है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : वोह दिरहम जो इन्सान सूद में लेता है, अल्लाह के नज़दीक हालते इस्लाम में तेंतीस मरतबा ज़िना करने से भी बदतर है।

इस रिवायत की सनद में इन्किताअ है और इब्ने अबिदन्या और बगवी ने इसे मौकूफैन न हज़रते अब्दुल्लाह बिन सलाम रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत किया है और येही सहीह है और येह हदीसे मौकूफ़ भी हदीसे मरफूअ के हुक्म में है क्यूंकि एक सूदी दिरहम का मजकूरए बाला ता’दाद में ज़िना करने से भी अल्लाह तआला के हां बहुत बड़ा गुनाह होना, वहय के बिगैर मा’लूम होना ना मुमकिन है, गोया कि उन्हों ने येह हदीस हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से सुनी होगी।

सूद खाना ब्याज खाना सबसे बुरा गुनाह है

हज़रते अब्दुल्लाह रज़ीअल्लाहो अन्हो का कहना है, सूद के बहत्तर गुनाह हैं, इस का सब से अदना गुनाह हालते इस्लाम में किसी का अपनी मां से ज़िना करने के बराबर है और एक सूदी दिरहम कुछ ऊपर तीस मरतबा ज़िना करने से बदतर है और उन्हों ने येह भी कहा कि अल्लाह तआला कियामत के दिन हर नेक और बद को खड़े होने की इजाजत देगा मगर सूदखोर खड़ा नहीं होगा लेकिन जैसे वोह शख्स खड़ा होता है जिसे शैतान ने आसेब से बावला कर दिया हो।

अहमद ने ब सनदे जय्यद हज़रते का’ब अहबार रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत की है कि मैं तेंतीस मरतबा ज़िना करने को एक दिरहम सूद खाने से अच्छा समझता हूं, जब मैं सूद कमाऊं तो अल्लाह ही जानता है कि मैं क्या खा रहा हूं ।

अहमद ने ब सनदे सहीह और तबरानी ने येह हदीस नक्ल की है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : इन्सान का जान बूझ कर एक दिरहम सूद खाना तेंतीस मरतबा जिना करने से बदतर है।

इब्ने अबिदुन्या और बैहक़ी की रिवायत है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने सहाबए किराम को खुतबा दिया और सूद और इस की बुराइयां बयान करते हुवे फ़रमाया कि ऐसा एक दिरहम जिसे आदमी ब तौरे सूद लेता है, अल्लाह तआला के यहां इन्सान के तेंतीस मरतबा ज़िना करने से ज़ियादा बुरा है और सब से बड़ा सूद मुसलमान के माल में से कुछ लेना है।

तबरानी ने सगीर और औसत में रिवायत की है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि जिस शख्स ने नाजाइज़ तौर पर किसी ज़ालिम की इआनत की ताकि वोह किसी का माल दबा ले तो ऐसा शख्स अल्लाह और उस के रसूल की ज़िम्मेदारी से बरी है और जिस ने एक दिरहम सूद खाया वोह तेंतीस मरतबा जिना करने के बराबर है और जिस का गोश्त माले हराम खा कर बढ़ा, जहन्नम ऐसे शख्स का ज़ियादा मुस्तहिक़ है।

बैहक़ी की रिवायत है कि सूद के कुछ ऊपर सत्तर दरवाज़े हैं, इस का सब से कमतर गुनाह हालते इस्लाम में मां से ज़िना करने के बराबर है और सूद का एक दिरहम तिरपन मरतबा ज़िना करने से ज़ियादा बुरा है।

तबरानी ने औसत में अम्र बिन राशिद रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत की है कि सूद के बहत्तर दरवाजे हैं, इन में से अदना दरवाज़ा (गुनाह) आदमी का अपनी मां से जिना करने के बराबर है और सब से बुरा सूद येह है कि इन्सान अपने भाई के माल की तरफ़ हाथ लम्बा करे (सूद में मुसलमान भाई का माल ले)।

इब्ने माजा और बैहक़ी ने अबी मा’शर से, उन्हों ने अबू सईद मक़बुरी से और उन्हों ने हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत की है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : सूद में सत्तर गुनाह हैं, सब से अदना गुनाह येह है कि जैसे आदमी अपनी मां से निकाह कर ले ।

 

जिना और सूद का आम हो जाना अजाबे इलाही को दावत देता है।

हाकिम ने सनदे सहीह के साथ हज़रते इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत की है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फलों को बड़ा होने से पहले बेचने से मन्अ फ़रमाया है और फ़रमाया : जब किसी शहर में ज़िना और सूद आम हो जाए तो उन्हों ने गोया खुद ही अल्लाह के अज़ाब को दा’वत दे दी है।

अबू या’ला ने सनदे जय्यद के साथ हज़रते इब्ने मसऊद रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत की है : उन्हों ने हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की हदीस बयान करते हुवे फ़रमाया कि किसी कौम का ज़िना और सूदखोरी ज़ाहिर नहीं होते मगर वोह लोग अज़ाबे इलाही को अपने लिये हलाल कर लेते हैं। (या’नी जो कौम ज़िना और सूदखोरी में मुब्तला है उस ने गोया अज़ाबे इलाही को दावत दी है)।

अहमद ने येह हदीस नक्ल की है : ऐसी कोई कौम नहीं जिस में सूद चल निकले मगर वोह कहतसाली में मुब्तला की जाती है और जिस कौम में ज़िना की कसरत हो जाती है, अल्लाह तआला उसे ख़ौफ़ और कहते आम में मुब्तला कर देता है चाहे बारिश ही क्यूं न हो जाए।

अहमद ने एक तवील हदीस में, इब्ने माजा ने मुख़्तसरन और अस्बहानी ने इस हदीस को बयान किया है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि जब मुझे मेराज में सैर कराई गई और हम सातवें आस्मान पर पहुंचे तो मैं ने ऊपर देखा तो मुझे बिजली की कड़क और गरज चमक नज़र आई, फिर मैं ने ऐसी कौम को देखा जिन के पेट मकानों की तरह थे और बाहर से उन के पेटों में चलते फिरते सांप नज़र आ रहे थे, मैं ने पूछा : जिब्रील ! यह कौन हैं ? उन्हों ने जवाब दिया कि येह सूदखोर हैं।

अस्बहानी ने हज़रते अबू सईद खुदरी रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत की है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि जब मुझे आस्मानों की तरफ़ मे’राज कराई गई तो मैं ने आस्माने दुन्या में ऐसे आदमियों को देखा जिन के पेट बड़े बड़े घड़ों जैसे थे, उन के पेट झुके हुवे थे और वोह फ़िरऔन के पैरूकारो के रास्तों में पड़े हुवे थे और वोह हर सुब्हो शाम जहन्नम के किनारे खड़े हो कर कहते : ऐ अल्लाह ! कियामत कभी काइम न करना, मैं ने पूछा : जिब्रील ! येह कौन हैं ? जिब्रील ने अर्ज की, कि येह आप की उम्मत के सूदखोर हैं। वोह नहीं खड़े होंगे मगर जैसे वोह शख्स खड़ा होता है जिसे शैतान आसेब से बावला कर देता है। अस्बहानी का कौल है कि आले फ़िरऔन जो सुब्हो शाम आग पर पेश किये जाते हैं, उन्हें रौंदते हुवे गुज़रेंगे।

तबरानी ने सनदे सहीह से रिवायत नक्ल की है, आप ने फ़रमाया : क़ियामत से पहले ज़िना, सूद और शराब आम हो जाएगा ।

तबरानी ने कासिम बिन अब्दुल्लाह वर्राक रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत की है कि मैं ने हज़रते अब्दुल्लाह बिन अबी औफ़ा रज़ीअल्लाहो अन्हो को सियारफ़ा (जहां सूद वगैरा का कारोबार होता है) के बाज़ार में देखा, वोह अहले बाज़ार से कह रहे थे ऐ अहले सियारफ़ा ! तुम्हें खुश खबरी हो ! उन्हों ने कहा : अल्लाह आप को जन्नत की खुश खबरी दे, ऐ अबू मुहम्मद ! आप हमें किस चीज़ की खुश खबरी दे रहे हैं ? आप ने कहा : मैं ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को सियारफ़ा के लिये फ़रमाते सुना है कि उन्हें आग की बिशारत दे दो।

तबरानी की हदीस है कि अपने आप को उन गुनाहों से बचा जिन की मगफिरत नहीं होती खियानत ऐसा ही एक गुनाह है, जो जिस चीज़ में खियानत करता है क़ियामत के दिन उसे उसी के साथ लाया जाएगा, सूदखोरी, जो सूद खाता है वोह कियामत के दिन पागल आसेब ज़दा उठाया जाएगा, फिर आप ने येह आयत पढ़ी :

जो सूद खाते हैं वोह उस शख्स की तरह खड़े होंगे जिसे शैतान आसेब से बावला कर देता है।

अस्बहानी की हदीस है कि क़ियामत के दिन सूदखोर पागल की तरह अपने दोनों पहलू खींचता हुवा आएगा, फिर आप ने येह आयत पढ़ी :

“वोह उस शख्स की तरह खड़े होंगे जिसे शैतान आसेब से पागल कर देता है।”

इब्ने माजा और हाकिम की हदीस है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि जो भी सूद से अपना माल बढ़ा लेता है, आखिरे कार वोह तंगदस्ती का शिकार बनता है।

हाकिम ने ब सनदे सहीह येह हदीस नक्ल की है कि सूद ख़्वाह कितना ही बढ़ जाए आखिरे कार किल्लत पर मुन्तज होता है।

अबू दावूद और इब्ने माजा ने हसन से, उन्हों ने हज़रते अबू हुरैरा से रिवायत की है (मुहद्दिसीन ने हज़रते अबू हुरैरा से हसन के समाए हदीस में इख्तिलाफ़ किया है, जमहूर का क़ौल है कि समाअ साबित नहीं है) हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : लोगों पर ऐसा ज़माना आएगा कि उन में कोई भी ऐसा न होगा जो सूद न खाता हो और जो सूद नहीं खाएगा सूद का गुबार उस तक ज़रूर पहुंच जाएगा ।

अब्दुल्लाह बिन अहमद ने जवाइदुल मुस्नद में येह हदीस नक्ल की है कि क़सम है उस जात की जिस के दस्ते कुदरत में मेरी जान है, अलबत्ता मेरी उम्मत के लोग बुराइयों में रात गुज़ारेंगे, ऐशो इशरत करेंगे और लह्वो लड़ब में मश्गूल होंगे, जब सुब्ह होगी तो अल्लाह की हराम कर्दा चीज़ों को हलाल करने, औरतों से गाना बजाना सुनने, शराब पीने, सूद खाने और रेशम पहनने के सबब सुवर और बन्दर बन जाएंगे।अहमद और बैहक़ी की हदीस है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : इस उम्मत का एक गुरौह खाने पीने और लह्वो लइब में रात गुज़ारेगा, जब सुब्ह करेंगे तो उन की सूरतें मस्ख हो चुकी होंगी, वोह बन्दर और खिन्ज़ीर होंगे और अलबत्ता वोह जमीन में धंसेंगे और उन पर पथ्थर बरसाए जाएंगे यहां तक कि लोग कहेंगे, फुलां घर और फुलां लोग जमीन में धंस गए हैं और बिला शुबा उन पर पथ्थरों की बारिश की जाएगी जैसे कौमे लूत पर की गई थी, उन के कबाइल पर उन के घरों पर येह इब्तिला उन के शराब पीने, रेशमी लिबास पहनने, गाने बजाने की महफ़िलें मुन्अक़िद करने, सूद खाने और क़तए रेहूमी के सबब होगा और एक ख़स्लत को बयान करना रावी भूल गए।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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