Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the ad-inserter domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the json-content-importer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the add-search-to-menu domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the health-check domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
जहन्नम दोज़ख के हालात और आखिरत को याद रखना – Net In Hindi.com

जहन्नम दोज़ख के हालात और आखिरत को याद रखना

दोस्तों को शेयर कीजिये

आमाल, मीज़ान और जहन्नम की आग रियाकार का अज़ाब

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 

मीज़ाने अमल और नामए आमाल के दाएं या बाएं हाथ में दिये जाने के बारे में गौर करते रहना तुम्हारे लिये ज़रूरी है क्यूंकि हिसाब के बाद लोगों की तीन जमाअतें होंगी : एक जमाअत वो होगी जिस की कोई नेकी नहीं होगी, तब आगे से एक सियाह गर्दन नुमूदार होगी जो उन्हें इस तरह उचक लेगी जैसे परन्दा दाने उचक लेता है और उन्हें लपेट कर आग में डाल देगी और आग उन्हें निगल लेगी, फिर पुकार कर कहा जाएगा : इन की बद बख़्ती दवामी है और इन के लिये किसी भलाई की तवक्कोअ नहीं है। दूसरी जमाअत वो होगी जिस की कोई बुराई नहीं होगी, उस दिन निदा आएगी कि हर हाल में अल्लाह की हम्द करने वाले खड़े हो जाएं, वो खड़े हो जाएंगे और निहायत इतमीनान से जन्नत में दाखिल होंगे फिर रातों को इबादत करने वालों, तिजारत और खरीदो फरोख्त के बाइस ज़िक्रे खुदा से न रुकने वालों को इसी तरह जन्नत में भेजा जाएगा और कहा जाएगा कि इन के लिये दवामी सआदत है जिस के बाद कोई दुख तक्लीफ़ नहीं है। तीसरी जमाअत वो होगी जिन के नामाए आमाल में नेकियां और गुनाह दोनों दर्ज होंगे लेकिन उन्हें खबर नहीं होगी जब तक अल्लाह तआला अपनी रहमत और अपने अज़ाब का इज़हार फ़रमाए । उन लोगों के नामए आमाल में गुनाह और नेकियां लिपटी हुई होंगी उन के आमाल मीज़ान किये जाएंगे और उन की आंखें नामए आमाल की तरफ़ होंगी कि कौन से हाथ में आता है और मीज़ान का पल्ला किधर झुकता है और यह ऐसी खौफनाक हालत होगी जिस से लोगों के होश उड़ जाएंगे।

 

आखिरत की याद में हजरते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा का रोना

हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लमने  हज़रते आइशा  रज़ीअल्लाहो अन्हा की गोद में सर रखा और आप को ऊंघ आ गई, हज़रते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा आख़िरत को याद कर के रो पड़ीं और उन के आंसू हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के चेहरए अन्वर पर गिरे तो हुजूर की आंख खुल गई। आप ने फ़रमाया : आइशा ! क्यूं रोती हो ? अर्ज किया  : हुजूर आख़िरत को याद कर के रोती हूं, क्या लोग कियामत के दिन अपने घर वालों को याद करेंगे ? आप ने फ़रमाया : ब खुदा ! तीन जगहों में लोगों को अपने सिवा कुछ याद नहीं होगा :

जब मीज़ाने अद्ल रखा जाएगा और आमाल तोले जाएंगे, लोग सब कुछ भूल कर यह देखेंगे कि उन की नेकियां कम होती हैं या ज़ियादा ? (2)……नामए आमाल दिये जाने के वक़्त यह सोचेंगे कि दाएं हाथ में मिलता है या बाएं हाथ में, और 3..पुल सिरात से गुज़रते हुवे सब कुछ भूल जाएंगे।

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि क़ियामत के दिन इन्सानों को मीज़ान के सामने खड़ा किया जाएगा और एक फ़रिश्ता मुकर्रर कर दिया जाएगा, अगर उस की नेकियां भारी हो गई तो वोह फ़रिश्ता बुलन्द आवाज़ से कहेगा कि फुलां ने सआदते अबदी हासिल कर ली है और उसे कभी बद बख्ती से वासता नहीं पड़ेगा और अगर उस की बुराइयां ज़ियादा हो गई तो फ़रिश्ता बुलन्द आवाज़ से पुकारेगा जिस की आवाज़ तमाम मख्लूक सुनेगी कि फुलां ने दाइमी बद बख़्ती पा ली है उस के लिये कभी कोई सआदत नहीं होगी, तब अज़ाब के फ़रिश्ते लोहे के कोड़े लिये आग के कपड़े पहने हुवे आएंगे और जहन्नमियों को जहन्नम में ले जाएंगे।

फ़रमाने नबवी है कि क़ियामत के दिन अल्लाह तआला हज़रते आदम अलैहहिस्सलाम  को बुला कर फ़रमाएगा कि उठिये और जहन्नमियों को जहन्नम में भेज दीजिये, हज़रते आदम अलैहहिस्सलाम  पूछेगे कि कितनों को जहन्नम में भेजूं ? रब फ़रमाएगा कि हर हज़ार में से नव सो निनानवे को भेज दीजिये

सभी इस्लामी विषयों टॉपिक्स की लिस्ट इस पेज पर देखें – इस्लामी जानकारी-कुरआन, हदीस, किस्से हिंदी में

 

सहाबए किराम ने जिक्रे कियामत पर खौफ से हंसना बन्द कर दिया

सहाबए किराम रज़ीअल्लाहो अन्हुम ने जब यह बात सुनी तो वो ना उम्मीद हो गए और हंसना मुस्कुराना छोड़ दिया। हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने जब येह मुशाहदा फ़रमाया तो इरशाद किया कि अमल करो और ख़ातिर जम्अ रखो, रब्बे जुल जलाल की क़सम ! जिस के कब्जए कुदरत में मेरी जान है, काफ़िर इन्सानों और शैतान के चेलों के इलावा दो ऐसी मख्लूकात भी हैं जो अपनी तादाद में तुम से बहुत ज़ियादा हैं। सहाबा ने पूछा : वो कौन हैं ? आप ने फ़रमाया : याजूज और माजूज, सहाबए किराम यह सुनते ही खुश हो गए। आप ने मजीद फ़रमाया : अमल करो और इतमीनान रखो ब खुदा ! तुम कियामत के दिन लोगों में ऐसे होगे जैसे ऊंट के पहलू में तिल या जैसे जानवर की टांग पर नुक्ता होता है।

ऐ फ़ानी दुन्या के धन्दों में मगन और फ़रेब खुर्दा गाफ़िल इन्सान ! इस दारे फ़ानी में गौरो फ़िक्र न कर बल्कि उस मन्ज़िल की फ़िक्र कर जिस के मुतअल्लिक़ खबर दी गई है कि वो तमाम इन्सानों का पड़ाव है चुनान्चे, फ़रमाने इलाही है : “और तुम में से हर एक उस पर गुजरने वाला है तेरे रब का हतमी (पक्का) वा’दा यह है फिर हम परहेज़गारों को नजात देंगे और ज़ालिमों को उस में गिरा हुवा छोड़ेंगे।

 

वहां पर तेरा उतरना यकीनी और तेरी नजात मश्कूक है लिहाज़ा दिल को उस जगह से खौफ़ज़दा कर शायद कि तू इस तरह नजात का रास्ता पा ले और मख्लूकात के हालात के मुतअल्लिक सोच जब वो कियामत की सख्तियों के मुतअल्लिक़ अन्दाजे लगा रहे होंगे और वो उस दुख और दहशत में मुब्तला होंगे और नज़रें उठा कर अपने नामए आमाल की हक़ीक़त के इज़हार का इन्तिज़ार कर रहे होंगे और किसी शफाअत करने वाले के मुन्तज़िर होंगे कि अचानक एक हौलनाक अन्धेरा मुजरिमों को घेर लेगा और भड़कती हुई आग उन पर साया फ़िगन होगी और उस की शिद्दते गज़ब से वो मकरूह आवाजें, चीख और पुकार सुनेंगे, उस दम वो अपनी हलाकत का यकीन कर लेंगे, लोग घुटनों के बल गिर जाएंगे उस वक़्त नेक लोग भी अपने बुरे अन्जाम से खौफ़ज़दा होंगे उस वक्त अज़ाब का फ़रिश्ता पुकारेगा कि फुलां बिन फुलां कहां है जो खुद को दुनिया में तूले अमल से तसल्लियां दिया करता था और अपनी ज़िन्दगी को बुरे आमाल में तज दिया, पस अज़ाब के फ़रिश्ते लोहे के गुर्ज़ ले कर बढ़ेंगे और उस का बहुत ही भयानक इस्तिकबाल करेंगे या’नी उसे सख्त अज़ाब के लिये ले जाएंगे, उसे जहन्नम के गार में डाल कर कहेंगे : अब अज़ाब का मज़ा चखो, तुम तो बड़े बुजुर्ग और मेहरबान थे।

जहन्नम के चन्द अजाब

और वोह उसे ऐसी जगह ठहराएंगे जिस में किनारे तंग, तारीक रास्ते और पोशीदा हलाकतें होंगी, मुजरिम उस में दाइमन रहेगा, उस में आग भड़काई जाएगी, उन का मश्रूब गर्म पानी और उन का ठिकाना जहन्नम होगा, अज़ाब के फ़रिश्ते उन्हें मुन्तशिर करेंगे और जहन्नम उन्हें जम्अ करेगा, वह हलाकत के मुतमन्नी होंगे मगर उन्हें मौत नहीं आएगी, उन के पाउं पेशानियों से बंधे होंगे और उन के चेहरे गुनाहों की सियाही से काले होंगे, वो हर चहार सू पुकारते फिरेंगे : ऐ मालिक ! हमारे लिये सज़ा का वादा पूरा हो चुका । ऐ मालिक ! लोहा हमें फ़ना कर देगा हमारी खालें उतर गई । ऐ मालिक ! हमें इस से निकाल, हम दोबारा बुरे आमाल नहीं करेंगे, अज़ाब के फ़रिश्ते जवाब में कहेंगे : उस वक्त तुम्हें तुम्हारा तअस्सुफ़ कोई “मआमन” फ़राहम नहीं करेगा

और तुम इस ज़िल्लत की जगह से कभी नहीं निकल सकोगे, इसी में रहो और कोई दूसरी बात न करो। अगर तुम इस से निकाल भी दिये गए तो तुम वो ही  कुछ करोगे जो पहले किया करते थे।

तब वो ना उम्मीद हो जाएंगे और अपने गुनाहों पर इन्तिहाई परेशानी का इज़हार करेंगे मगर उन्हें नदामत नहीं बचाएगी और न ही उन का अज़ाब “अफ्सोस” दूर कर सकेगा बल्कि वो बांध कर मुंह के बल नीचे डाल दिये जाएंगे और उन के ऊपर-नीचे, दाएं-बाएं आग होगी और वो सरापा गर्के आतिश होंगे। उन का खाना-पीना, बिस्तर, लिबास सब कुछ आग का होगा और वो आग के शो’लों में लिपटे होंगे, जहन्नम के कतरान का लिबास और लोहे के डन्डे उन की सज़ा के लिये होंगे और जन्जीरों की गिरां बारी तंगी की वज्ह से आवाज़ पैदा कर रही होगी, वो जहन्नम की गहराइयों में शिकस्त खुर्दगी के साथ सर गर्दा होंगे और उस की आग में सख्त परेशान होंगे, आग उन्हें ऐसा उबाल देगी जैसे हांडियों में उबाल आता है और वो गिर्या व जारी करेंगे, मौत को बुलाएंगे, जूं ही वोह हलाकत की तमन्ना करेंगे, उन के सरों पर जहन्नम का खोलता पानी उंडेला जाएगा जिस से उन की आंतें और चमड़ा गल जाएगा और उन के लिये लोहे के हथोड़े होंगे जिन से उन की पेशानियों को तोड़ा जाएगा, उन के मुंह से पीप बहने लगेगी और प्यास से उन के जिगर टुकड़े टुकड़े हो जाएंगे, उन की आंखों की पुतलियां उन के रुख्सारों पर बहेंगी जिस से उन के रुख्सारों का गोश्त उधड़ जाएगा और जब उन का चमड़ा गल जाएगा तो दूसरा चमड़ा पैदा हो जाएगा, उन की हड्डियां गोश्त से खाली होंगी, उन की रूह का रिश्ता रगों से काइम होगा, जो जिस्म से लिपटी हुई होंगी वो आग की गर्मी से फूली होंगी और वो उस वक्त मौत की तमन्ना करेंगे मगर उन्हें मौत नहीं आएगी।

अगर तुम उन्हें इस हालत में देखो तो नज़र आएगा कि उन की शक्लें बहुत ज़ियादा सियाह हैं, आंखें अन्धी, ज़बानें गूंगी, कमरें शिकस्ता, हड्डियां रेज़ा रेज़ा, कान बहरे, चमड़ा चीथड़ों की तरह पारा पारा, हाथ गर्दनों के पीछे बंधे हुवे या’नी शिकन की हुई पेशानी और पाउं यक्जा, मुंह के बल आग पर चलते हुवे, अपनी पलकों से गर्म लोहा रौंदते हुवे, उन के तमाम आ जाए बदन में भड़कती हुई आग होगी, जहन्नम के सांप और बिच्छू उन के जिस्म पर चिमटे हुवे होंगे तो येह मनाज़िर देख कर तुम्हारी क्या हालत होगी !

अब ज़रा उन के हौलनाक अज़ाब की तफ्सील पर गौर करो और जहन्नम की वादियों और घाटियों के सिलसिले में तअम्मुल करो।

फ़रमाने नबवी है कि जहन्नम में सत्तर हज़ार वादियां हैं, हर वादी में सत्तर हज़ार घाटियां हैं और हर घाटी में सत्तर हज़ार सांप और सत्तर हज़ार बिच्छू हैं, काफ़िरों और मुनाफ़िकों को इन तमाम जगहों ही में जाना होगा।

रियाकार का अजाब – दिखावा करने वाले का अज़ाब

हज़रते अली सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : वादिये हुज्न या हज्न की घाटी से पनाह मांगो ! पूछा गया : हुजूर वो क्या है ? आप ने फ़रमाया : वो जहन्नम की एक ऐसी वादी है जिस से हर रोज़ जहन्नम भी सत्तर मरतबा पनाह मांगता है, ये वादी अल्लाह तआला ने रियाकार कारियों के लिये तय्यार की है।

यह जहन्नम की वुस्अत, इस की वादियों की घाटियां, ज़िन्दगी के नशेबो फ़राज़ और ख्वाहिशाते नफ़्सानी की तादाद के बराबर हैं और जहन्नम के दरवाजे इन्सानी जिस्म के उन आ’ज़ा की तादाद के बराबर है जिन से इन्सान जराइम का इतिकाब करता है, वो एक दूसरे के ऊपर हैं, ऊपर वाला जहन्नम, फिर सकर, फिर लज़ा, फिर हुतमा, फिर सईर, फिर जहीम और सब से नीचे हाविया है, ज़रा हाविया की गहराई का तसव्वुर करो, जिस कदर इन्सान की शहवाते नफ़्सानी गहरी होंगी, इसी कदर उसे हाविया की गहराई में ठिकाना मिलेगा और जैसे इन्सान की हर उम्मीद एक दूसरी बड़ी उम्मीद पर ख़त्म होती इसी तरह हाविया की हर गहराई दूसरी गहराई पर जा कर रुकती है।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हम ने एक धमाका सुना । हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जानते हो यह क्या है ? हम ने कहा : अल्लाह और उस के रसूल सल्लल्लाहो अलैह व सल्लमबेहतर जानते हैं, आप ने फ़रमाया : सत्तर साल पेशतर जहन्नम के किनारे से पथ्थर लुढ़काया गया था जो अब उस की गहराई में जा पहुंचा है।(यह उस की आवाज़ थी) ।

दरजाते जहन्नम – दोज़ख के दर्जे

अब जहन्नम के दरजात पर गौर कीजिये ! बेशक आखिरत अपने तबकात और खसाइस के ए’तिबार से बहुत अजीम है, जैसे दुनिया में लोगों के मुख़्तलिफ़ दरजात हैं इसी तरह जहन्नम में मुख्तलिफ़ दरजात होंगे जो गुनाहों का आदी और सख्त ना फ़रमान होगा वो आग में गर्क होगा और मा’मूली तौर पर गुनाह करने वाला एक महदूद हद तक जलेगा इसी तरह आग भी गुनहगार के गुनाहों के मुताबिक़ अज़ाब देगी क्यूंकि अल्लाह तआला किसी पर एक ज़र्रे के बराबर जुल्म नहीं करता है लिहाज़ा हर इन्सान को एक जैसा अज़ाब नहीं होगा बल्कि गुनाहों की मिक्दार के मुताबिक़ सज़ा मिलेगी मगर जहन्नम का सब से मा’मूली अज़ाब भी अगर दुनिया पर पेश कर दिया जाए तो उस की हिद्दत (तेज़ी) से सारी दुनिया जल कर भसम हो जाए।

फ़रमाने नबवी है कि जहन्नम का मामूली अज़ाब यह होगा कि दोज़खी को आग के जूते पहनाए जाएंगे जिस की गर्मी से उस का दिमाग खोलता होगा ।

इस मामूली अज़ाब से उस बड़े अज़ाब का अन्दाज़ा लगाओ ! अगर तुम्हें आग के जलाने में शुबहा हो तो अपनी उंगली इस दुनिया की आग में डाल कर देखो तो तुम्हें पता चल जाएगा, अगर्चे इस दुन्यावी आग को जहन्नम की आग से कोई निस्बत नहीं है लेकिन सोचो तो, जब यह आग दुनिया के सख्त तरीन अज़ाबों में शुमार होती है तो उस आग का क्या आलम होगा ! अगर जहन्नमी वहां इस दुन्यावी आग को पा लें तो खुशी से दौड़ते हुवे उस में घुस जाएं । (इसी में अपनी नजात समझें)

आतशे दोजख और इस दुनिया की आग

इसी लिये बा’ज़ अहादीस में है कि जहन्नम की आग को सत्तर मरतबा रहमत के पानी से धो कर दुन्या में लोगों के इस्ति’माल के लिये भेजा गया है बल्कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया है कि अल्लाह तआला ने हुक्म दिया कि जहन्नम में आग भड़काई जाए, हज़ार साल के बा’द जहन्नम सुर्ख हो गया फिर हज़ार साल तक आग भड़काई गई जिस से वह सफ़ेद हो गया, जब मजीद हज़ार साल आग भड़काई गई तो वह बिल्कुल सियाह और तारीक तरीन हो गया।

फ़रमाने नबवी है : जहन्नम ने रब्बे अज़ीम से शिकायत की, कि मेरे बा’ज़ हिस्से बा’ज़ हिस्सों की तपिश से फ़ना हो रहे हैं तो अल्लाह तआला ने उसे सिर्फ दो सांसों की इजाजत दे दी, एक गर्मी में और एक सर्दी में, गर्मियों में गर्मी की शिद्दत उस के गर्म सांस से और सर्दी की शिद्दत उस के सर्द सांस से होती है।

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : क़ियामत के दिन मालदार तरीन काफ़िरों को लाया जाएगा और उसे आग में गौता दे कर पूछा जाएगा कि तू ने दुनिया में कोई नेमत पाई थी ? वो कहेगा : बिल्कुल नहीं, फिर एक ऐसे शख्स को लाया जाएगा जिस ने दुन्या में सब से ज़ियादा दुख उठाए होंगे, उसे जन्नत में ले जा कर बाहर निकाला जाएगा और पूछा जाएगा : तू ने कभी कोई दुख पाया है ? वोह कहेगा : नहीं।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि अगर मस्जिद में एक हज़ार या इस से भी जियादा लोग मौजूद हों और वहां जहन्नमी शख्स सांस ले तो वो सब के सब मर जाएंगे।

बा’ज़ उलमा ने इस फ़रमाने इलाही की, कि “आग उन के मुंह को झुलस देगी।” तशरीह में लिखा है कि आग की एक ही लपेट से उन की हड्डियों का गोश्त नीचे गिर जाएगा।

अब उस पीप के मुतअल्लिक गौर करो जो इन्तिहाई बदबू दार बन कर उन के जिस्मों से इस कदर बहेगी कि वो उस में गर्क हो जाएंगे, कुरआने करीम में इसी को गस्साक़ का नाम दिया गया है।

हज़रते अबू सईद खुदरी रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया :

अगर दोज़खियों की पीप का एक डोल दुनिया में फेंक दिया जाए तो उस की बदबू से तमाम मख्लूक का दम घुट जाए।

जब दोज़ख़ी प्यास की शिद्दत महसूस करेंगे तो उन्हें यही पीने को दी जाएगी वो पीप का पानी हल्क में डालेंगे, एक घूँट लेंगे मगर उसे निगल नहीं सकेंगे और मौत हर जानिब से उन पर हम्ला करेगी मगर वो नहीं मरेंगे। अगर वो पानी की तमन्ना करेंगे तो उन्हें तांबे की रंगत जैसा पानी दिया जाएगा जो चेहरों को जला देता है, यह बहुत बुरा मशरूब है और जहन्नम बहुत बुरा ठिकाना है।

 

दोज़खियों का खाना

उन के तआम के मुतअल्लिक़ सोचो ! वोह जक्कम (थोहर) होगा जैसा कि फ़रमाने इलाही है:

“फिर तुम ऐ झुटलाने वाले गुमराहो ! जक्कूम का दरख्त खाने वाले हो, इस से पेट भरने वाले हो फिर इस पर गर्म पानी पीने वाले हो और प्यासे ऊंटों की तरह पीने वाले हो।”

मजीद फ़रमाया :

“वोह एक दरख्त है जो जहन्नम की गहराई से निकलता है उस का सर सांप के सरों की मानिन्द है फिर उन के लिये उस में गर्म पानी की मिलावट है फिर उन का दोज़ख़ की तरफ़ जाना है।”

वोह इन मराहिल से गुज़र कर जहन्नम में जाएंगे।

एक और इरशादे रब्बानी है : “वो जलती हुई आग में दाखिल होंगे खोलते हुवे चश्मे से पिलाए जाएंगे।”

बेशक हमारे पास (उन के लिये) बेड़ियां और आग है और गले में अटक जाने वाला खाना और दर्दनाक अज़ाब है।”(1)

हज़रते इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : अगर ज़क्कूम का एक कतरा दुन्या के दरयाओं और समन्दरों में डाल दिया जाए तो लोगों के लिये ज़िन्दगी दूभर हो जाए फिर उन लोगों का क्या हश्र होगा जिन की गिज़ा ही जक्कूम होगी ।

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : अल्लाह तआला ने जिन चीज़ों से महब्बत रखने का हुक्म दिया है उन्हें महबूब रखो और जिन चीज़ों से परहेज़ का हुक्म दिया है उन से परहेज़ करो, अल्लाह के अज़ाब और जहन्नम से डरो, अगर जन्नत का एक ज़र्रा तुम्हारे पास दुनिया में होता तो दुनिया तुम्हारे लिये इन्तिहाई जाज़िबे नज़र और पुर कशिश हो जाती है और अगर जहन्नम की आग की एक चिंगारी तुम्हारे साथ होती तो दुनिया तुम्हारे लिये इन्तिहाई मोहलिक और तबाह कुन बन जाती ।

हज़रते अबुद्दरदा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जहन्नमियों पर भूक मुसल्लत की जाएगी यहां तक कि वो अज़ाब को भूल कर खाने की इल्तिजा करेंगे उन की इल्तिजा के जवाब में उन्हें ज़रीअ पेश की जाएगी जो ऐलवे से ज़ियादा कड़वी और निहायत बदबूदार होगी जो न उन्हें फ़र्बा करेगी और न उन की भूक मिटाएगी, फिर खाने की दरख्वास्त करेंगे तो उन्हें ऐसा खाना दिया जाएगा जो उन के गले में अटक जाएगा तब उन्हें याद आएगा कि वो दुनिया में हल्क में फंसा हुवा लुक्मा पानी से उतारते थे लिहाज़ा वो पानी के लिये इल्तिजा करेंगे तो लोहे की सन्सियों से पकड़ कर गर्म पानी का बरतन उन के आगे लाया जाएगा, जब वो मुंह के करीब होगा तो तपिश से उन के चेहरे झुलस जाएंगे और जब वो पानी उन के पेट में पहुंचेगा तो उन की अंतड़ियां टुकड़े टुकड़े कर देगा, फिर वो कहेंगे कि जहन्नम के निगहबानों को बुलाओ और उन्हें बुला कर कहेंगे : अपने रब से दुआ करो वो हम पर एक दिन के अज़ाब की तखफ़ीफ़ कर दे, वो निगहबान कहेंगे : क्या तुम्हारे पास पैग़म्बर दलाइल ले कर नहीं आए थे ? जहन्नमी कहेंगे : हां आए थे। तब वो कहेंगे : तुम खुद दुआ करो (और काफ़िरों की दुआ कभी राहे रास्त पर नहीं आती)

फिर वो कहेंगे : मालिके जहन्नम को बुलाओ और उसे बुला कर कहेंगे : अल्लाह तआला हम पर मौत मुसल्लत कर दे। मालिक जवाब देगा : तुम्हें मरना नहीं है, हमेशा यहीं रहना है।

हज़रते आअमस रहमतुल्लाह अलैह का कौल है : उन की दुआ और मालिके जहन्नम  के जवाब के दरमियान एक हज़ार बरस गुज़र जाएंगे। फिर कहेंगे कि रब से बढ़ कर कोई मेहरबान नहीं है लिहाज़ा अपने रब के हुजूर में अर्ज करेंगे : ऐ रब ! हम पर बद बख़्ती गालिब आ गई और हम गुमराह हो गए अब हमें निकाल, अगर हम फिर वो ही काम करें तो हम ज़ालिम होंगे। उन्हें जवाब मिलेगा : दूर हो जाओ इसी जहन्नम में रहो और खामोश हो जाओ ! हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : उस वक्त उन्हें हलाकत, सख्ती और नदामत घेर लेगी और वो हर किस्म की भलाई से ना उम्मीद हो जाएंगे ।

हज़रते अबू उमामा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने इस फ़रमाने इलाही :

और वो पीप के पानी से सैराब किया जाएगा। वो उस का घूंट घूंट लेगा मगर गले से नहीं उतरेगा।

की तशरीह में फ़रमाया : जब ये पानी उस की नज़रों के सामने आएगा तो वो इसे बुरा समझेगा, जब होंटों के करीब आएगा तो चेहरों को झुलसा देगा और सर की खाल बालों समेत जला देगा, जब वो इसे पियेगा तो उस की आंतें काट कर बाहर निकाल देगा, फ़रमाने इलाही है :

“और उन को गर्म पानी पिलाया जाएगा जो उन की आंतें काट देगा।” ।

मजीद फ़रमाया : “और जब वो पानी तलब करेंगे तो उन्हें पीप जैसा पानी दिया जाएगा जो चेहरों को भून डालेगा।”

यह भूक के वक्त उन का खाना-पीना होगा।

अब दोज़ख के सांप बिच्छू, उन की जसामत, तेज़ ज़हर और दोज़खियों की रुस्वाई पर। गौर करो, सांप, बिच्छू जो उन पर मुसल्लत किये जाएंगे, उन के सख्त दुश्मन होंगे, एक लम्हा भी काटने और डंक मारने से बाज नहीं रहेंगे।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जिस शख्स को अल्लाह तआला ने माल दिया और उस ने ज़कात अदा नहीं की, क़ियामत के दिन उस का माल गन्जे सांप की शक्ल में आएगा जिस की पेशानी पर दो सियाह नुक्ते होंगे, वो उस के गले से लिपट कर उस के जबड़ों को पकड़ लेगा और कहेगा : मैं तेरा माल और तेरा खज़ाना हूं फिर आप ने ये आयत तिलावत की : “और जो हमारे दिये हुवे माल में बुख़्ल करते हैं

वो ये न समझें कि यह उन के लिये अच्छा है”। फ़रमाने नबवी है : जहन्नम में बख्ती ऊंटों की गर्दनों जैसे (मोटे और लम्बे) सांप होंगे जब वो फंफकारेंगे तो उन की गर्मी चालीस बरस के फ़ासिले से महसूस की जाएगी और हैबतनाक बिच्छू होंगे जिन की सांस की गर्मी चालीस बरस के फ़ासिले से महसूस की जाएगी सांप और बिच्छू उस आदमी पर मुसल्लत होंगे जिस पर दुनिया में बुख़्ल, बद खुल्की और लोगों को सताने का जुल्म आइद होगा और जिस में यह बुराइयां नहीं पाई जाती, उसे कोई तकलीफ़ नहीं दी जाएगी।

इस के बाद दोज़खियों के लम्बे चौड़े जिस्मों पर गौर करो, अल्लाह तआला उन के अजसाम के तूलो अर्ज में इज़ाफ़ा कर देगा ताकि उन्हें जियादा से ज़ियादा अज़ाब हो लिहाजा वो दोज़खी मुतवातिर अपने अजसाम पर जहन्नम की गर्मी और सांपों-बिच्छूओं के डंक झेलता रहेगा।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि जहन्नम में काफ़िर की दाढ़ उहुद पहाड़ के बराबर और उस का निचला होंट सीने पर पड़ा होगा और ऊपर वाला होंट इस कदर ऊपर उठा हुवा होगा जिस से सारा चेहरा छुपा होगा।

फ़रमाने नबवी है कि काफ़िर जहन्नम में अपनी ज़बान घसीट रहा होगा और लोग उस की ज़बान को रौंदते हुवे जाएंगे।

उन की इन अज़ीम जसामतों के बा वुजूद आग उन्हें जलाती रहेगी और कई कई मरतबा उन के चमड़े और गोश्त को तब्दील किया जाएगा हज़रते हसन रहमतुल्लाह अलैह इस इरशादे इलाही के बारे में कि “जब भी उन के चमड़े गल जाएंगे हम और चमड़े बदल देंगे”। कहते हैं कि आग उन के अज्साम को दिन में सत्तर हज़ार मरतबा जलाएगी मगर जूं ही उन के चमड़े जलेंगे, अल्लाह तआला दोबारा उन के अज्साम को मुकम्मल कर देगा।

फिर दोज़खियों की गिर्या व जारी, फरयादो फुगां और हलाकत व मौत की इल्तिजाओं के मुतअल्लिक गौर करो जो इब्तिदाए कयामत ही से उन का मुक़द्दर बन जाएगी।

फ़रमाने नबवी है : क़ियामत के दिन जहन्नम को सत्तर हज़ार मुहारें डाल कर लाया जाएगा और हर मुहार के साथ सत्तर हज़ार फ़रिश्ते होंगे।

हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि जहन्नमियों पर गिर्या व जारी भेजी जाएगी, वो रोते रहेंगे यहां तक कि आंसू खत्म हो जाएंगे, फिर वो खून के आंसू रोएंगे यहां तक कि उन के चेहरों पर गढ़े पड़ जाएंगे, अगर इन में किश्तियां चलाई जाएं तो वो भी रवां हो जाएं ।

उन्हें गिर्या व जारी, आह, फ़रयाद और मौत की दुआ मांगने की इजाज़त होगी जिस से वो दिल का बोझ हलका करेंगे मगर बाद में उन्हें इस से भी मन्अ कर दिया जाएगा।

दोजखियों की इल्तिजाएं रद्द कर दी जाएंगी।

हज़रते मोहम्मद बिन का’ब रहमतुल्लाह अलैह से मरवी है कि अल्लाह तआला दोज़खियों की पांच बातों में से चार का जवाब देगा मगर पांचवें जवाब के बाद फिर कभी कलाम नहीं फ़रमाएगा, वह कहेंगे : ऐ रब तू ने हमें दो मरतबा मारा और दो मरतबा जिन्दा किया, हम ने अपने गुनाहों को मान लिया है पस कोई निकलने का रास्ता है ?

रब फ़रमाएगा : यह इस लिये है कि जब तुम्हें अल्लाह की वहदानिय्यत को बुलाया जाता था तो तुम कुफ्र करते थे अगर उस का शरीक लाया जाता था तो तुम मान लेते थे हुक्म सिर्फ अल्लाह बुजुर्ग व बरतर के लिये है।

फिर वो कहेंगे : ऐ रब हम ने देखा और सुना हमें वापस भेज ताकि हम नेक अमल करें। रब फ़रमाएगा : क्या तुम इस से पहले कसमें नहीं खाते थे कि तुम्हें कोई जवाल नहीं आएगा ।

फिर काफिर कहेंगे : ऐ रब हमें जहन्नम से निकाल, हम पहले से अच्छे अमल करेंगे।

रब फ़रमाएगा : क्या हम ने तुम्हें उम्र नहीं दी थी जिस में तुम नसीहत करने वाले की नसीहत को याद करते और तुम्हारे पास डराने वाला आया था अब तुम अज़ाब चखो ज़ालिमों को कोई मददगार नहीं है।

तब वो कहेंगे : ऐ रब हम पर बद बख़्ती गालिब आ गई और हम गुमराह हो गए थे ऐ रब हमें इस से निकाल अगर हम फिर इसी रास्ते पर लौटे तो हम जालिम होंगे।

और अल्लाह तआला उन्हें फ़रमाएगा जहन्नम में रहो और अब मत बोलो।

उन के लिये इन्तिहाई दरजे का अज़ाब होगा और फिर वो कभी बारी तआला से कलाम नहीं कर सकेंगे।

हज़रते मालिक बिन अनस रहमतुल्लाह अलैह से मरवी है : हज़रते ज़ैद बिन अस्लम ने इस फ़रमाने इलाही : “बराबर है हमारे लिये कि हम जज्अ व फज्अ करें”  या सब्र करें हमारे लिये भागने की जगह नहीं” की तशरीह में फ़रमाया : वो सो साल सब्र करेंगे, फिर सो साल आहो फुगां करेंगे, फिर सो साल सब्र करने के बाद कहेंगे : हमारे लिये सब्र करना और आहो बुका करना दोनों बराबर हैं।

फरमाने नबवी है कि कयामत के दिन मौत को एक मोटे मेंढ़े की शक्ल में ला कर जन्नत और जहन्नम के दरमियान ज़ब्ह किया जाएगा और कहा जाएगा : ऐ जन्नत वालो ! अब मौत का खौफ़ किये बिगैर हमेशा के लिये जन्नत में रहो और जहन्नम वालों से कहा जाएगा कि तुम्हें मौत नहीं आएगी, हमेशा के लिये जहन्नम में रहो ।

हज़रते हसन रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाया करते थे कि एक आदमी जहन्नम से हज़ार साल बाद निकलेगा, काश वो हसन हो।

किसी ने हज़रते हसन रज़ीअल्लाहो अन्हो को एक गोशे में रोता देख कर पूछा क्यूं रो रहे हो ? आप ने फ़रमाया : कहीं बे नियाज़ परवरदीगार मुझे जहन्नम में न डाल दे।

यह मजमूई तौर पर अज़ाबे जहन्नम की किस्में थीं, वहां के गम, तक्लीफ़ों और हसरतों की तफ्सील बहुत तवील है, उन के लिये बद तरीन अज़ाब यह होगा कि वो जन्नत की ने’मतें, रज़ाए खुदावन्दी और दीदारे इलाही से महरूम होंगे क्यूंकि दुन्या में खोटे सिक्के ख़रीदे और फिर उन के बदले चन्द रोज़ा ज़िन्दगी में इन्तिहाई रुस्वा कुन नफ़्सानी ख्वाहिशात खरीद लीं, वो अपने जाएअ शुदा आ’माल और बरबाद कर्दा अय्याम पर अफ्सोस करते हुवे कहेंगे : हाए अपसोस ! हम ने अपने जिस्मों को रब की ना फ़रमानी में तबाह कर दिया, हम ने ज़िन्दगी के मुख़्तसर अय्याम में अपने नफ्स को सब्र पर क्यूं न मजबूर किया, अगर हम उन गुज़रने वाले दिनों में सब्र कर लेते तो रब्बुल आलमीन के जवारे रहमत में जगह पाते, जन्नत और रज़ाए इलाही हासिल कर लेते।

हाए अफ्सोस ! उन की ज़िन्दगी गुनाहों में तबाह हो गई, मसाइब में घिर गए, दुन्यावी ने’मतों और लज्ज़तों का कोई हिस्सा उन के लिये बाकी न रहा, अगर वो बा वुजूद उन मसाइब के जन्नत की ने मतों का नज्जारा न करते तो उन की हसरत दो चन्द न होती मगर उन्हें जन्नत दिखाई जाएगी, चुनान्चे,

फ़रमाने नबवी है कि क़ियामत के दिन कुछ लोगों को जन्नत की तरफ़ लाया जाएगा जब वो जन्नत के करीब पहुंचेगे, उस की खुश्बू सूंघेगे, जन्नतियों के महल्लात को देखेंगे, तब अल्लाह तआला फ़रमाएगा : इन्हें वापस ले जाओ, इन का जन्नत में कोई हिस्सा नहीं है, वो ऐसी हसरत ले कर लौटेंगे कि अव्वलो आख़िर इस की मिसाल नहीं मिलेगी और कहेंगे ऐ रब ! अगर जन्नत और उस में रहने वालों के लिये जो इन्आमात तय्यार हैं वो दिखाने से पहले ही हमें जहन्नम में भेज देता तो हमें कुछ आसानी रहती, रब तआला फ़रमाएगा : ये तुम्हारे साथ इस लिये किया गया है कि जब तुम मेरी बारगाह में आते तो अकड़ कर आते लेकिन जब तुम लोगों से मिलते तो झुक झुक कर मिलते थे, लोगों को अपने दिलों में छुपी बातों से बे ख़बर रखते और रियाकारी से काम लेते थे। तुम लोगों से डरते थे मगर मुझ से नहीं डरते थे, तुम लोगों को बड़ा समझते थे और मुझे नहीं, तुम जाती गरज़ के लिये लोगों से तो तअल्लुकात ख़त्म कर देते थे मगर मेरे लिये नहीं, आज मैं तुम्हें दाइमी ने मतों से महरूम कर के दर्दनाक अज़ाब का मज़ा चखाऊंगा।।

हज़रते अहमद बिन हर्ब रहमतुल्लाह अलैह का कौल है : हम धूप पर साए को तरजीह देते हैं मगर जहन्नम पर जन्नत को तरजीह नहीं देते।

हज़रते ईसा अलैहहिस्सलाम  का इरशाद है कि कितने तन्दुरुस्त जिस्म, खूब सूरत चेहरे और शीरीं कलाम करने वाली ज़बानें, कल जहन्नम के तबकात में पड़े चीख़ रहे होंगे। (हजरते दावूद अलैहहिस्सलाम  की बारगाहे इलाही में इल्तिजा ।

हज़रते दावूद अलैहहिस्सलाम  ने बारगाहे इलाही में अर्ज की : इलाही ! जब मैं सूरज की तपिश पर सब्र नहीं कर सकता तो तेरे जहन्नम की आग पर कैसे सब्र करूंगा ? मैं कि तेरी रहमत की आवाज़ सुनने का हौसला नहीं रखता, तेरे अज़ाब की आवाज़ कैसे सुनूंगा ?

 

ऐ नातवां ! इन हौलनाकियों पर गौर कर और समझ ले कि अल्लाह तआला ने आग को उस की तमाम तर हौलनाकियों के साथ पैदा किया है और उस में रहने वालों को पैदा कर दिया है जो न कम होंगे न ज़ियादा, अल्लाह तआला उन का फैसला फ़रमा चुका है।

फ़रमाने इलाही है :

“और उन्हें हसरत के दिन से डराइये जब काम मुकम्मल किया जाएगा और वो गफलत में हैं और ईमान नहीं लाते ।”(1)

अपनी जान की कसम ! इस में कियामत की तरफ़ इशारा है बल्कि यौमे अज़ल मुराद है लेकिन चूंकि इन फैसलों का इज़हार कियामत के दिन होगा इस लिये इसे कियामत से मन्सूब किया गया है।

तुझ पर तअज्जुब है कि इस बात को जानते हुवे भी कि जाने मेरे हक़ में क्या फैसला हो चुका है तू दुन्यावी बुराइयों और लह्वो लड़ब में मश्गूल है और गफलत में पड़ा है, अगर तेरी तमन्ना येह है कि काश तुझे अपने ठिकाने और अन्जाम का पता चल जाए तो इस की चन्द अलामतें हैं, इन पर नज़र कर और फिर अपनी उम्मीदें काइम रख।

पहले तू अपने अहवाल और आ’माल को देख, अगर तू हर उस अमल पर कारबन्द है जिस के लिये अल्लाह तआला ने तुझे दुनिया में भेजा है और तुझे नेकियों से महब्बत है तो समझ ले कि तू जहन्नम से दूर है और अगर तू नेकी का इरादा करता है मगर ऐसे मवानेअ हाइल हो जाते हैं कि तू नेकी नहीं कर पाता लेकिन जब बुराई का इरादा करता है तो उसे आसानी से कर लेता है तो समझ ले तेरे लिये फैसला हो चुका है क्यूंकि जैसे बारिश का वुजूद सब्जे की नशो नुमा और धुवां आग पर दलालत करता है तो इसी तरह यह फेल भी बुरे अन्जाम का पता देता है।

फ़रमाने इलाही है: नेक ने’मतों और बदकार जहन्नम में होंगे।

अपने आ’माल को इन आयात के आईने में देख ! तब तू अपना मक़ाम पहचान लेगा।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

Tags

Dozakh ke darje, dozakh ki aag, riyakar ka azaab, dikhawa karne wale par azaab, dozakh ka khaana aur pina, jahannam ke halaat aur azab, aakhirat ko yaad rakhna, kam hansna, dozakh hadees, jahannam hadees

 

 

 

 

दोस्तों को शेयर कीजिये
Net In Hindi.com