Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the ad-inserter domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the json-content-importer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the add-search-to-menu domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the health-check domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
जन्नत का बयान और जन्नत के अलग अलग दर्जे – Net In Hindi.com

जन्नत का बयान और जन्नत के अलग अलग दर्जे

दोस्तों को शेयर कीजिये

जन्नत और मरातिबे अहले जन्नत

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

कब्ल अज़ी आप जिस घर के गम व अन्दोह और मेहनत व आलाम का हाल पढ़ चुके हैं, उस घर के मुकाबले में एक और घर है, पहले घर को जहन्नम का नाम दिया गया था और इस दूसरे घर का नाम जन्नत है, अब ज़रा इस घर की ने’मतों और मसर्रतों पर नज़र डालिये क्यूंकि येह बात तो तै शुदा है कि जो एक घर से महरूम होगा उसे दूसरे घर में जाना होगा ख्वाह वोह जन्नत हो या जहन्नम, लिहाज़ा ज़रूरी है कि जहन्नम की हलाकत खैजियों से बचने के लिये अपने दिल में तवील गौरो फ़िक्र कीजिये ताकि किसी तरह इस से नजात हासिल हो जाए और दिल को खौफे खुदा का गहवारा बनाइये और जन्नत की दवामी नेमतों के मुतअल्लिक तवील सोच बिचार करते हुवे अल्लाह तआला की रहमत से उम्मीद रखिये कि वोह हमें भी इस का मकीन बनाएगा जिस का उस ने अपने सालेह बन्दों से वा’दा फ़रमाया है।

अपने नफ़्स को खौफ़े इलाही का चाबुक मारिये और उम्मीद की महार डाल कर सीधे रास्ते पर गामज़न रखिये, इसी सूरत में ही तो आप मुल्के अज़ीम (जन्नत) को पाएंगे और दर्दनाक अज़ाब से महफूज रहेंगे।

जन्नती किस हाल में रहेंगे

अब ज़रा अहले जन्नत के बारे में गौर कीजिये, उन के चेहरों पर अताए रब्बानी की ताज़गी और शगुफ्तगी होगी मोहर कर्दा शराबे तहूर के जाम उन के हाथों में होंगे और वो सुर्ख याकूत के मिम्बरों पर जल्वा अफ़रोज़ होंगे जिन के ऊपर सफ़ेद बराक मोतियों के साइबान तने होंगे, नीचे बे मिसाल सब्ज़ रेशम के फर्श होंगे, वोह शहद व शराब की नहरों के किनारे नसब शुदा तख्तों पर टेक लगाए होंगे जिन्हें गिलमान व नौनिहालाने बिहिश्त और इन्तिहाई हसीनो जमील हूराने बिहिश्ती ने, जो मोती और मूंगों की तरह होंगी (जिन्हें इस से पहले किसी इन्सान और जिन्न ने हाथ नहीं लगाया होगा) येह सब उन्हें घेरे होंगे, जो हरें जन्नत के दरजात में सबुक खिरामी कर रही होंगी, जब उन में से कोई एक चलने पर माइल होगी तो सत्तर हज़ार बिहिश्ती बच्चे उस के लिबास उठाए होंगे, उन पर सफेद रेशमी लिबास होगा जिस को देख कर लोग शशदर रह जाएंगे, लुअ लुअ और मरजान से मुरस्सअ ताज उन के ज़ेबा सर होंगे, वोह इन्तिहाई नाज़ो अन्दाज़ वाली शीरीं अदा इत्रबीज़ और बुढ़ापे और दुख से बे नियाज़ होंगी, वोह याकूत से तय्यार कर्दा महल्लात में फरोकश होंगी और जन्नत के बागों के दरमियान आंखें नीची किये आराम फरमा होंगी, फिर उन जन्नतियों और हूरों पर आब खूरे आफ़्ताबे और शराबे तहूर के प्याले लिये गिलमान फिरेंगे जिन में इन्तिहाई सफेद, लज्जत बख़्श मशरूब होगा और उन के इर्द गिर्द जन्नती ख़ादिम और अमरद , मोतियों की तरह फिर रहे होंगे येह उन के आ’माल की जज़ा होगी कि वोह अम्न वाले मकाम में चश्मों, बागों और नहरों  के दरमियान रब्बे क़दीर के नज़दीक सच्चे मकाम में होंगे, वोह इन में बैठ कर रब्बे करीम का दीदार करेंगे, उन के चेहरों पर अल्लाह की नेमतों की ताज़गी के आसार नुमायां होंगे, उन के चेहरे जिल्लतो रुस्वाई से आलूदा नहीं होंगे बल्कि वोह अल्लाह के मुअज्जज बन्दे होंगे, रब्बे करीम की जानिब से उन्हें तोहफे अता होंगे, वोह अपनी इस पसन्दीदा जगह में हमेशा रहने वाले होंगे, न इस में उन्हें कोई ख़ौफ़ होगा न गम, वोह मौत की तक्लीफ़ से बे खौफ़ होंगे, वोह जन्नत में ने’मतें पाएंगे, जन्नत के लज़ीज़ खाने खाएंगे, दूध, शराब, शहद और साफ़ पानी की ऐसी नहरों से अपनी प्यास बुझाएंगे जिन की ज़मीन चांदी की, कंकरियां मोतियों की और मिट्टी मुश्क की होगी, जिस से तेज़ खुश्बू आएगी, वहां का सब्ज़ा जा’फ़रान का होगा, वोह काफूर के टीलों पर बैठेंगे, और उन पर फूलों के इत्र की बारिश होगी और उन की ख़िदमत में चांदी के प्याले जिन पर मोती जड़े होंगे और जो याकूत व मरजान से मुरस्सअ होंगे, लाए जाएंगे, किसी प्याले में सल-सबील के ठन्डे और मीठे पानी में मुहरबन्द शराब मिली होगी और ऐसा प्याला जिस की सफाई की वज्ह से उस में मौजूद शराब का रंगो रूप बाहर से नज़र आ रहा होगा, आदमी उस जैसा मुरस्सअ मुसफ्फा बरतन बनाने का तसव्वुर ही नहीं कर सकता, वोह प्याला ऐसे खादिम के हाथ में होगा कि आदमी उस के चेहरे की चमक दमक को याद करेगा लेकिन सूरज में उस की दिलकश सूरत, हसीन चेहरा और बे नज़ीर आंखें कहां ?

तअज्जुब है ऐसे शख्स पर जो उस घर पर ईमान रखता है, उस की तारीफ़ों को सच्चा जानता है और इस बात का यक़ीने कामिल रखता है कि उस में रहने वाले कभी भी मौत से हम किनार नहीं होंगे, जो उस में आ जाएगा उसे दुख दर्द नहीं सताएंगे, उस में रहने वालों पर कभी भी तगय्युर नहीं आएगा और वोह हमेशा अम्न व सुकून से रहेंगे, येह सब कुछ जानने के बा वुजूद वोह ऐसे घर में दिल लगाता है जो आखिरे कार उजड़ने वाला है, जिस का ऐश ज़वाल पज़ीर है, ब खुदा ! अगर जन्नत में सिर्फ मौत से बे खौफ़ी होती, इन्सान भूक, प्यास और तमाम हवादिसात से बे ख़ौफ़ ही रह सकता और दीगर इन्आमात न होते तब भी वोह जन्नत इस लाइक़ थी कि उस के लिये दुन्या को छोड़ दिया जाए और उस पर ऐसी चीज़ को तरजीह न दी जाती जो लुट जाने वाली और मिट जाने वाली है चे जाएकि जन्नत में रहने वाले बे ख़ौफ़ बादशाहों की तरह हों, रंगा रंग मसर्रतों, राहतों से हम किनार हों, हर ख्वाहिश को पाने वाले हों, हर रोज़ अर्शे आ ज़म के कुर्ब में जाने वाले हों, रब्बे जुल मिनन का दीदार करने वाले हों, अल्लाह तआला को ऐसी बे मिसाल निगाहों से देखने वाले हों कि जिस निगाह से वोह जन्नत की ने’मतों को नहीं देखा करते थे वोह इन ने’मतों से फिरने वाले न हों, हमेशा इन्हीं ने’मतों में रहें और इन के जवाल से अम्न में हों।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : मुनादी पुकारेगा : ऐ जन्नत के रहने वालो ! तुम हमेशा तन्दुरुस्त रहोगे, कभी बीमार नहीं होगे, हमेशा जिन्दा रहोगे कभी मौत नहीं आएगी, हमेशा जवान रहोगे, कभी बुढ़ापा नहीं आएगा और तुम हमेशा इन्आमो इकराम में रहोगे, कभी ना उम्मीद नहीं होगे। और येही फ़रमाने इलाही है : और पुकारे जाएंगे कि येह बिहिश्त है जिस के  तुम अपने आ माल के सबब वारिस हुवे हो। और तुम जब जन्नत की सिफ़ात जानना चाहो तो कुरआने मजीद पढ़ो क्यूंकि अल्लाह तआला के बयान से उम्दा किसी का बयान नहीं है और अल्लाह तआला के इस फरमान से कि  जो अपने रब के हुजूर खड़ा होने से डरता है उस के लिये दो जन्नतें हैं। सूरए रहमान के आखिर तक पढ़ो, सूरए वाकिआ और दूसरी सूरतों का मुतालआ करो (इन में जन्नत की ने मतों का तजकिरा है)।

और अगर तुम अहादीसे मुक़द्दसा से जन्नत की तफ्सीलात जानना चाहते हो तो मजकूरए बाला इजमाल के बाद अब इस की तफ्सील पर गौरो फिक्र करो, सब से पहले जन्नतों की तादाद जेह्न नशीन कर लो, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाने इलाही : “और उस शख्स के लिये जो अपने रब के हुजूर खड़ा होने से डरा, दो जन्नतें हैं।” की तफ्सीर में फ़रमाया : दो जन्नतें चांदी की हैं, इन की तमाम अश्या और जुरूफ़ वगैरा चांदी के हैं और दो जन्नतें सोने की हैं, इन की तमाम चीजें और जुरूफ़ वगैरा सोने के हैं और जन्नते अदन में लोग और तजल्लिये इलाही के दरमियान सिर्फ रब की किब्रियाई का पर्दा होगा।

रहे जन्नत के दरवाजे तो वोह बहुत बे शुमार होंगे जिस तरह गुनाहों की अक्साम के मुताबिक़ जहन्नम के अलाहिदा अलाहिदा दरवाज़े हैं, इसी तरह इबादत की अक्साम के मुताबिक़ जन्नत के अलाहिदा अलाहिदा दरवाज़े होंगे चुनान्चे, हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि जिस ने अपने माल से राहे खुदा में खर्च किया, वोह जन्नत के तमाम दरवाज़ों से बुलाया जाएगा और जन्नत के आठ दरवाज़े हैं जो शख्स नमाज़ी होगा वोह नमाज़ के दरवाजे से बुलाया जाएगा, रोज़ादार रोजे वाले दरवाजे से, सदका करने वाला सदके के दरवाजे से और मुजाहिद जिहाद के दरवाजे से बुलाया जाएगा। हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ीअल्लाहो अन्हो ने अर्ज की : या रसूलल्लाह ! सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ब खुदा !अल्लाह पर दुश्वार नहीं कि बन्दे को किस दरवाजे पर बुलाया जाए, क्या मख्लूक में से कोई शख्स ऐसा भी होगा जिसे तमाम दरवाज़ों से बुलाया जाए ? आप ने फ़रमाया : हां ! और मुझे उम्मीद है कि तुम उन्ही में से होगे।

हज़रते आसिम बिन ज़मरह, हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत करते हैं, इन्हों ने जहन्नम का बहुत ज़ियादा तजकिरा किया जिसे मैं भूल गया हूं, फिर इन्हों ने कहा :

और जो लोग अपने रब से डरे वोह जन्नत की

तरफ़ जूक दर जूक ले जाए जाएंगे। जब वोह जन्नत के दरवाजों में से एक दरवाजे पर पहुंचेंगे तो वोह ऐसा दरख्त पाएंगे जिस के नीचे पानी के दो चश्मे जारी होंगे वोह हुक्म के मुताबिक़ एक चश्मे पर जाएंगे और पानी पियेंगे जिस के पीते ही उन के जिस्म से तमाम दुख-दर्द और तक्लीफें जाइल हो जाएंगे, फिर वोह दूसरे चश्मे पर जा कर उस से तहारत हासिल करेंगे, तब उन पर अल्लाह तआला की ने मतों की ताज़गी आ जाएगी, इस के बाद कभी भी उन के बाल मुन्तशिर नहीं होंगे और न ही उन के सर कभी दर्द मन्द होंगे, जैसे उन्हों ने तेल लगा लिया हो, फिर वोह जन्नत के दरवाजे पर पहुंचेंगे तो जन्नत के दरबान उन्हें कहेंगे : “तुम पर सलामती हो तुम खुश हाल हुवे लिहाज़ा इस में हमेशा रहने के लिये दाखिल हो जाओ।”

जन्नत में दाखिल होने का हैरत अंगेज़ बयान

जन्नत में दाखिल होते ही उन्हें बच्चे घेर लेंगे जैसे दुन्या में अपने किसी दूर से आने वाले किसी रिश्तेदार को बच्चे  घेर लेते हैं और वोह उस से कहेंगे तुझे खुश खबरी हो, अल्लाह तआला ने तेरे लिये फुलां फुलां इज्जत व करामत रखी है, फिर उन बच्चों में से एक लड़का  उस जन्नती की बीवियों में से किसी बीवी की तरफ़ जो कि जन्नत की हूर होगी, जाएगा और उसे कहेगा कि फुलां आदमी जो दुन्या में फुलां नाम से बुलाया जाता था, आया है। हूर कहेगी : तू ने उसे देखा है, वोह लड़का कहेगा : हां ! मैं उसे देख के आ रहा हूं और वोह भी मेरे अकब में आ रहा है, तब वोह खुशी से अज़रफ़्ता हो कर दरवाजे की देहलीज़ पर फ़र्ते इश्तियाक से खड़ी हो जाएगी। जब वोह जन्नती वहां पहुंचेगा और उस घर की बुन्यादें देखेगा जो मोतियों की होंगी और दीवारें सुर्ख, सब्ज़ और पीले हर रंग के मोतियों से बनी हुई होंगी, तब वोह छत को देखेगा, वोह बिजली की तरह ऐसी ख़ीरा कुन होगी कि अगर अल्लाह तआला उसे कुदरत न देता तो उस की आंखें जाइल हो जातीं, फिर सर झुका कर नीचे नज़र करेगा तो उसे हूरें कितार दर कितार आबखूरे लिये, सफ़ बांधे तक्ये और सजी हुई मस्नदें नज़र आएंगी और वोह उन से तक्या लगा कर कहेगा : “सब तारीफें अल्लाह तआला के लिये हैं जिस ने हमें इस की हिदायत की अगर अल्लाह हमें येह राह न दिखाता तो हम हिदायत न पाते।”

फिर पुकारने वाला पुकारेगा कि तुम ज़िन्दा रहो कभी नहीं मरोगे, इस में हमेशा रहो कभी कूच नहीं कराए जाओगे और सलामत व तन्दुरुस्त रहो कभी बीमार नहीं होगे और हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : मैं कियामत के दिन जन्नत के दरवाजे पर आ कर उसे खुलवाना चाहूंगा, जन्नत का दरबान (रिज़वान) पूछेगा : कौन हो ? मैं कहूंगा मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम दरबान कहेगा : मुझे येही हुक्म दिया गया है कि आप से पहले किसी के लिये दरवाज़ा न खोलूं।

जन्नत के बालाखाने

फिर जन्नत के बालाख़ानों, और बुलन्दो बाला मुख़्तलिफ़ तबकात के मुतअल्लिक गौर करो बेशक आखिरत बहुत बड़े दरजात और बहुत बड़ी अज़मत देने वाली है, जैसा कि लोगों की जाहिरी इबादात और इन की बातिनी सिफ़ात ब ज़ाहिर मुख्तलिफ़ हैं इसी तरह दारुल जज़ा में जन्नत के भी मुख़्तलिफ़ दरजात हैं, अगर तुम जन्नत का आ’ला दरजा हासिल करना चाहते हो तो कोशिश करो कि कोई दूसरा इबादत करने में तुम से सबक़त न ले जाए, अल्लाह तआला ने भी अपनी इताअत में मुक़ाबले और एक दूसरे से सबक़त ले जाने का हुक्म फ़रमाया है चुनान्चे,

फ़रमाने इलाही है:

अपने रब की बख्शिश की तरफ़ सबक़त हासिल करो। एक और मकाम पर इरशाद फ़रमाया : और इसी में चाहिये कि रगबत करने वाले रगबत करें। तअज्जुब की बात तो येह है कि अगर तुम्हारे दोस्त या हमसाए तुम से रूपे पैसे या मकानात की ता’मीर में तुम से सबक़त ले जाएं तो तुम को बहुत अफ्सोस होता है, तुम्हारा दिल तंग होता है हसद की वज्ह से ज़िन्दगी में बे कैफ़ी पैदा हो जाती है मगर तुम ने कभी जन्नत के हुसूल के मुतअल्लिक़ नहीं सोचा, बस अपने हालात को जन्नत के हुसूल के लिये बेहतर बनाओ और तुम जन्नत में ऐसे लोगों को पाओगे जो तुम से सबक़त ले गए होंगे, ऐसे मकामात पर रोनक अफ़रोज़ होंगे कि तमाम दुन्या भी जिस के बराबर नहीं हो सकती।

हज़रते अबू सईद खुदरी रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : बिला शुबा जन्नती अपने ऊपर बुलन्दो बाला बालाख़ानों में रहने वालों को ऐसे देखेंगे, जैसे तुम दूर मशरिको मगरिब के उफ़क़ में बहुत नीचे किसी चमकदार सितारे को देखते हो, येह उन के दरमियान बुलन्दियों की वज्ह से होगा। सहाबए किराम ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम क्या येह अम्बियाए किराम के मकामात होंगे जहां और लोग नहीं पहुंच पाएंगे ? आप ने फ़रमाया : हां कसम है उस जात की जिस के कब्जए कुदरत में मेरी जान है वहां वोह लोग होंगे जो अल्लाह पर ईमान लाए और जिन्हों ने रसूलों की तस्दीक की और आप सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जन्नत के बुलन्द दरजात वाले नीचे से ऐसे दिखाई देंगे जैसे तुम दूर मशरिक या मगरिब में आस्मान के उफ़क़ पर तुलूअ होने वाला सितारा देखते हो और अबू बक्र व उमर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम इन्ही जन्नतियों में से हैं और दोनों खूब हैं।

 

हज़रते जाबिर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम कहते हैं : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हम लोगों से फ़रमाया कि क्या मैं तुम्हें जन्नत के बालाख़ानों के मुतअल्लिक न बताऊं ? मैं ने अर्ज किया : आप पर हमारे मां-बाप कुरबान हों या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ज़रूर इरशाद फ़रमाइये ! आप ने फ़रमाया : जन्नत में मोतियों जैसे बालाखाने हैं जिन के अन्दर वाला हिस्सा बाहर से और बाहर का हिस्सा अन्दर से देखा जा सकता है और इन में ऐसी ने’मतें, लज्जतें और मसर्रतें हैं जिन्हें न किसी आंख ने देखा, न किसी कान ने सुना और न किसी आदमी के दिल में इन का तसव्वुर गुज़रा । मैं ने पूछा : या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम येह बालाखाने किन लोगों के लिये होंगे ? आप ने फ़रमाया : उस शख्स के लिये जो सलाम को फैलाता है, खाना खिलाता है, हमेशा रोजे से रहता है और रात में जब कि लोग सोते हैं वोह नमाज़ पढ़ता है। मैं ने अर्ज की : या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम इन आ’माल को पूरा करने की ताकत कौन रखता है ? आप ने फ़रमाया : मेरे उम्मती इस की ताकत रखते हैं और मैं तुम को इस की तफ्सील बताता हूं, जो शख्स अपने मुसलमान भाई से मिला और उसे सलाम किया तो गोया उस ने सलाम को फैलाया, जिस ने अपने अहलो इयाल को खूब सैर करा कर खाना खिलाया तो उस ने खाना खिलाया, जिस ने माहे रमजान के मुकम्मल और हर महीने में तीन रोजे रखे उस ने दाइमी रोजे रखे, जो नमाजे इशा पढ़ कर सोया और उस ने सुब्ह की नमाज़ जमाअत से अदा की तो गोया उस ने सारी रात इबादत की और लोग या’नी यहूद, नसारा और मजूसी सोते रहे।हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से इस फ़रमाने इलाही : अदन के बाग में पाकीज़ा रहने की जगहें हैं। की तफ्सीर पूछी गई तो आप ने फ़रमाया कि वोह मोतियों के महल्लात होंगे, हर महल में सुर्ख याकूत के सत्तर घर होंगे, हर घर में सब्ज़ जुमर्रद के सत्तर मकान होंगे, हर मकान में एक तख्त होगा, हर तख्त पर किस्म किस्म के सत्तर बिछौने होंगे, हर बिछौने पर उस की बीवी हूरे ऐन होगी, हर मकान में सत्तर दस्तर ख्वान होंगे, हर दस्तर ख्वान पर सत्तर किस्म के खाने होंगे, हर मकान में सत्तर खादिम होंगे और मोमिन हर सुब्ह इन तमाम दस्तर ख्वानों पर बैठ कर खाएंगे।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

Tags

Jannat ka bayan, jannat ki hadise, jannat kesi hogi, jannati ka haal, jannat me huren,

 

 

 

दोस्तों को शेयर कीजिये
Net In Hindi.com