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Mahtaab Shayari in Hindi माहताब पर शायरी
Mahtaab Shayari in Hindi माहताब पर शायरी

Mahtaab Shayari in Hindi

माहताब पर शायरी

दोस्तों माहताब पर शेर ओ शायरी का एक अच्छा संकलन हम इस पेज पर प्रकाशित कर रहे है, उम्मीद है यह आपको पसंद आएगा और आप विभिन्न शायरों के “माहताब” के बारे में ज़ज्बात और ख़यालात जान सकेंगे. अगर आपके पास भी “माहताब” पर शायरी का कोई अच्छा शेर है तो उसे कमेन्ट बॉक्स में ज़रूर लिखें.

 

सभी विषयों पर हिंदी शायरी की लिस्ट यहाँ है.

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ग़ालिब छुटी शराब पर अब भी कभी कभी

पीता हूँ रोज़-ए-अब्र-ओ-शब-ए-माहताब में

~ग़ालिब

 

आ गया था उनके होठों पर तबस्सुम ख्वाब में,

वर्ना इतनी दिलकशी कब थी शबे-माहताब में !!

 

बामे-मीना से माहताब उतरे,

दस्ते-साक़ी में आफ़्ताब आए

हर रगे-ख़ूँ में फिर चिराग़ाँ हो,

सामने फिर वो बेनक़ाब आए !! -फ़ैज़

 

झुका-झुका-सा है माहताब आरज़ूओं का

धुआँ-धुआँ हैं मुरादों की कहकशाँ यारों.!!

 

सफ़र ए माहताब हुआ तमाम अब तो

अश्क़ ए इन्तज़ार की रवानी बंद करो

 

भरे शहर में एक ही चेहरा था जिसे आज भी गलियां ढूँढती हैं

किसी सुबह उस की धूप हुई

किसी शाम वो ही माहताब हुआ ~मोहसिन_नक़वी

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Mahtaab Shayari in Hindi माहताब पर शायरी

शब्-ए मिराज़ में उदास, माहताब क्यूँ है!

शमा बुझी-बुझी सी है ,जिगर में इन्कलाब क्यूँ है ..

 

चिराग-ऐ-बज़म ये फासला कीजिए….

बहकती गज़ल कोई कहिए….माहताब ये मेहरबां रौशन है..

 

फिर वही माँगे हुए लम्हे, फिर वही जाम-ए-शराब

फिर वही तारीक रातों में ख़याल-ए-माहताब ….

 

मेरी निगाहों ने ये कैसा ख्वाब देखा है

ज़मीं पे चलता हुआ माहताब देखा है

 

तेरा ख़याल दिलनशीं माहताब सा,

कहने को ज़िन्दगी ये आफ़ताब थी।

 

छा रही उफ़क़ पे सुर्खी की लकीरें..

हो रहे हैं रुख्सत,माहताब और सितारे

 

उसे पता था, कि तन्हा न रह सकूँगी मै

वो गुफ़्तगू के लिए, माहताब छोड़ गया

 

Mahtaab Shayari in Hindi माहताब पर शायरी

हम ख्वाहिश ए दीदार ए माहताब रखते हैं…..

आप हैं के रूख पे नकाब रखते हैं

 

इश्क़ के आग़ोश में बस इक दिले खाना खराब

हुस्न के पहलू में रुकता आफ़ताब-ओ-माहताब

 

तू माहताब सही अपने आसमान का

मैं भी सितारा हूं किसीके अरमान का

 

तू आफ़ताब सही तेरी राह का ए हमदम..

में छोटा सही मगर चिराग हु किसी की उम्मीदों का

 

अब क्या मिसाल दूँ, मैं तुम्हारे शबाब की ।

इन्सान बन गई है किरण माहताब की ।।

 

तुझे आफताब लिखूंगा,तुझे माहताब लिखूंगा

जो लिख सकूँगा,वो तेरी हर बात लिखूंगा

 

Mahtaab Shayari in Hindi माहताब पर शायरी

गुल हो, माहताब हो, आईना हो, खुर्शीद हो

अपना महबूब वही है जो अदा रखता हो

 

ज़मीन तेरी कशिश खींचती रही हमको

गए ज़रूर थे कुछ दूर माहताब के साथ ~शहरयार

 

आसमां को निहारते रातें बीत जाती हैं

भुखे को नजर आती रोटी माहताब मे

 

फिर वही माँगे हुए लम्हे, फिर वही जाम-ए-शराब

फिर वही तारीक रातों में ख़याल-ए-माहताब.. – अली सरदार जाफरी

 

मैं आफताब हूँ … अपनी ही आग से निखरता हूँ …….

तू माहताब है .. तुझे मेरी ज़रूरत है

 

Mahtaab Shayari in Hindi माहताब पर शायरी

वो आज भी मेरे तसव्वुर के माहताब हैं।

नादाँ बादल हूँ, उनपे छा नहीं पाता।।

 

साक़ी नज़र न आये तो गर्दन झुका के देख,

शीशे में माहताब है सच बोलता हूँ मैं।

 

मतला-ए-हस्ती की साज़िश देखते हम भी ‘शकील’।।

हम को जब नींद आ गई फिर माहताब आया तो क्या।। ~शकील बदायूँनी

 

उनका चेहरा कभी आफ़ताब लगा तो कभी माहताब

हम सितारा-ए-मायूस बने सफ़र करते रहे

 

खुशबू के ज़ज़िरों से तारों कि हद तक……

लब-ए लविश माहताब रहेने दो…

 

हिला-ए-ईद का मुँह चूमो इस के आने से

ज़मीं पे देखे कई माहताब ईद के दिन

 

बहार-ए-रंग-ओ-शबाब ही क्या सितारा ओ माहताब भी

तमाम हस्ती झुकी हुई है, जिधर वो नज़रें झुका रहे हैं

 

चाँदनी में न यूँ नकाब हटा, न खफ़ा माहताब हो जाए !

तेरी नज़रों का सुरूर ऐसे बढ़े, एक दिन बेहिसाब हो जाए !

 

Mahtaab Shayari in Hindi माहताब पर शायरी

शाम के नोक से हौले हौले रिस रही है रात..

माहताब के दीदार से आफ़ताब ठिठक गया..

 

गुल हुई जाती है अफ़सुर्दा सुलगती हुई शाम

धुल के निकलेगी अभी चश्म-ए-माहताब से रात

 

तेरी होंठों की पंखुडिया गुलाब लगती है

तेरी मोहक आँखे शराब लगती है

जिक्र करूँ क्या तेरी रूह की मुस्कान का

तेरी हर अदा माहताब लगती है

 

किस बला के हसीन नज़र आते हो मानिन्द-ए-माहताब नज़र आते हो,

है तूफ़ान शायद आने वाला तुम जो ख़ामोश नज़र आते हो।

 

हंसती हो तो बिखरती है शफ़्फ़ाक चांदनी

तुम चौदहवीं का खिलता हुआ माहताब हो

 

आज फिर माहताब को दिलकशी से मुस्कुराते देखा..

पड़ी जब किरणें आफताब की उनके रुखसार पर

 

शिददत से पलटना ज़िन्दगी के पन्ने इस किताब में अज़ाब और माहताब बहुत हैं।

यु ही नही कोई कहता इसे जिंदगी,इस के किस्से लाजवाब बहुत हैं

 

Mahtaab Shayari in Hindi माहताब पर शायरी

“चुन्नी में लिपटा छत पर माहताब आने को हैं!

हसरतों की गली में कोई ख्वाब आने को हैं!!”

 

करवटों के दाग़ लिए फ़ना ज़िस्म पर रूबरू हुए तो क्या,

कांधों का काफ़िया चल पड़ा है अब याद ओ माहताब में…

 

जहाँ ही जाने दिन कब होता है,रात कैसे होती है….

जब नज़रें उठीं उनकी आफताब जल उठे,जब पलकें झुकी माहताब चमक जाए

 

मौसम भी है, उम्र भी, शराब भी है; पहलू में वो रश्के-माहताब भी है;

दुनिया में अब और चाहिए क्या मुझको; साक़ी भी है, साज़ भी है, शराब भी है।

 

“उसके चेहरे में मिलता था माहताब मुझे,

मैंने देखा ही नहीं इसलिए आसमां कभी!!”

 

Mahtaab Shayari in Hindi माहताब पर शायरी

हर एक पुरा ख़्वाब नहीं होता

हर रात पुरा माहताब नहीं होता..

 

न इतना ज़ुल्म कर ऐ चाँदनी बहर-ए-ख़ुदा छुप जा

तुझे देखे से याद आता है मुझ को माहताब अपना ~नज़ीर अकबराबादी

 

हर एक रात को माहताब देखने के लिए

मैं जागता हूँ तेरे ख़्वाब देखने के लिए।

 

न आफताब सा बनना न माहताब मुझे

मैं एक लम्हा हूँ जुगनू सा चमक जाता हूँ

 

“मैंने माहताब की किरणों से बचाया था जिसे,

धूप ओढ़े हुए फिरता है वो बाज़ारों में!!”

 

“इन जागती आँखों में है ख्वाब क्या क्या,

बारिश, भीगे बदन, माहताब क्या क्या!!”

 

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Mahtab Shayari in Hinglish roman font

a gaya tha unake hothon par tabassum khvab mein,

varna itane dilakashe kab the shabe-Mahtab mein !!

 

bame-mena se Mahtab utare,

daste-saqe mein aftab ae

har rage-khoon mein fir chiragan ho,

samane fir vo benaqab ae !! -faiz

 

jhuka-jhuka-sa hai Mahtab arazooon ka

dhuan-dhuan hain muradon ke kahakashan yaron.!!

 

bhare shahar mein ek he chehara tha jise aj bhe galiyan dhoondhate hain

kise subah us ke dhoop hue

kise sham vo he Mahtab hua ~mohasin_naqave

 

mahtab shayari in hindi Mahtab par shayari

 

fir vahe mange hue lamhe, fir vahe jam-e-sharab

fir vahe tarek raton mein khayal-e-Mahtab ….

 

mere nigahon ne ye kaisa khvab dekha hai

zamen pe chalata hua Mahtab dekha hai

 

use pata tha, ki tanha na rah sakoonge mai

vo guftagoo ke lie, Mahtab chhod gaya

 

mahtab shayari in hindi Mahtab par shayari

ham khvahish e dedar e Mahtab rakhate hain…..

ap hain ke rookh pe nakab rakhate hain

 

too Mahtab sahe apane asaman ka

main bhe sitara hoon kiseke araman ka

 

too afatab sahe tere rah ka e hamadam..

mein chhota sahe magar chirag hu kise ke ummedon ka

 

ab kya misal doon, main tumhare shabab ke .

insan ban gae hai kiran Mahtab ke ..

 

tujhe afatab likhoonga,tujhe Mahtab likhoonga

jo likh sakoonga,vo tere har bat likhoonga

 

mahtab shayari in hindi Mahtab par shayari

gul ho, Mahtab ho, aena ho, khurshed ho

apana mahaboob vahe hai jo ada rakhata ho

 

zamen tere kashish khenchate rahe hamako

gae zaroor the kuchh door Mahtab ke sath ~shaharayar

 

main afatab hoon … apane he ag se nikharata hoon …….

too Mahtab hai .. tujhe mere zaroorat hai

 

mahtab shayari in hindi Mahtab par shayari

vo aj bhe mere tasavvur ke Mahtab hain.

nadan badal hoon, unape chha nahin pata..

 

saqe nazar na aye to gardan jhuka ke dekh,

sheshe mein Mahtab hai sach bolata hoon main.

 

matala-e-haste ke sazish dekhate ham bhe shakel..

ham ko jab nend a gae fir Mahtab aya to kya.. ~shakel badayoonne

 

unaka chehara kabhe afatab laga to kabhe Mahtab

ham sitara-e-mayoos bane safar karate rahe

 

bahar-e-rang-o-shabab he kya sitara o Mahtab bhe

tamam haste jhuke hue hai, jidhar vo nazaren jhuka rahe hain

 

chandane mein na yoon nakab hata, na khafa Mahtab ho jae !

tere nazaron ka suroor aise badhe, ek din behisab ho jae !

 

 

tere honthon ke pankhudiya gulab lagate hai

tere mohak ankhe sharab lagate hai

jikr karoon kya tere rooh ke muskan ka

tere har ada Mahtab lagate hai

 

kis bala ke hasen nazar ate ho manind-e-Mahtab nazar ate ho,

hai toofan shayad ane vala tum jo khamosh nazar ate ho.

 

hansate ho to bikharate hai shaffak chandane

tum chaudahaven ka khilata hua Mahtab ho

 

aj fir Mahtab ko dilakashe se muskurate dekha..

pade jab kiranen afatab ke unake rukhasar par

 

mahtab shayari in hindi Mahtab par shayari

“chunne mein lipata chhat par Mahtab ane ko hain!

hasaraton ke gale mein koe khvab ane ko hain!!”

 

jahan he jane din kab hota hai,rat kaise hote hai….

jab nazaren uthen unake afatab jal uthe,jab palaken jhuke Mahtab chamak jae

 

mausam bhe hai, umr bhe, sharab bhe hai; pahaloo mein vo rashke-Mahtab bhe hai;

duniya mein ab aur chahie kya mujhako; saqe bhe hai, saz bhe hai, sharab bhe hai.

 

“usake chehare mein milata tha Mahtab mujhe,

mainne dekha he nahin isalie asaman kabhe!!”

 

mahtab shayari in hindi Mahtab par shayari

har ek pura khvab nahin hota

har rat pura Mahtab nahin hota..

 

na itana zulm kar ai chandane bahar-e-khuda chhup ja

tujhe dekhe se yad ata hai mujh ko Mahtab apana ~nazer akabarabade

 

har ek rat ko Mahtab dekhane ke lie

main jagata hoon tere khvab dekhane ke lie.

 

na afatab sa banana na Mahtab mujhe

main ek lamha hoon juganoo sa chamak jata hoon

 

“in jagate ankhon mein hai khvab kya kya,

barish, bhege badan, Mahtab kya kya!!”

 

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