Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the ad-inserter domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the json-content-importer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the add-search-to-menu domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the health-check domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
मरने के बाद कब्र में क्या हौता है? – Net In Hindi.com

मरने के बाद कब्र में क्या हौता है?

दोस्तों को शेयर कीजिये

कब्र के हालत और सवाल

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

फ़रमाने नबवी है : जब मय्यित को कब्र में रखा जाता है तो कब्र कहती है : ऐ इन्सान ! तुझ पर अफ़सोस है तुझे मेरे बारे में किस चीज़ ने धोके में डाला था ? क्या तुझे मालूम नहीं था कि मैं आजमाइशों, तारीकियों, तन्हाई और कीड़े मकोड़ों का घर हूं, जब तू मुझ पर से आगे पीछे कदम रखता गुज़रा करता था तो तुझे कौन सा गुरूर घेरे होता था ? अगर मय्यित नेक होती है तो उस की तरफ से कोई जवाब देने वाला क़ब्र को जवाब देता है क्या तुझे मालूम नहीं है यह शख्स नेकियों का हुक्म देता और बुराइयों से रोका करता था। कब्र कहती है : तब तो मैं इस के लिये सब्जे में तब्दील हो जाऊंगी, उस का जिस्म नूरानी बन जाएगा और उस की रूह अल्लाह तआला के कुर्बे रहमत में जाएगी।

मदफ़न की निदा पुकार

उबैद बिन उमैर अल्लैसी रहमतुल्लाह अलैह से मरवी है कि जब कोई शख्स मरता है तो ज़मीन का वह टुकड़ा जिस में उस ने दफ़्न होना होता है, निदा करता है कि मैं तारीकी और तन्हाई का घर हूं, अगर तू अपनी ज़िन्दगी में नेक अमल करता रहा तो मैं आज तुझ पर सरापा रहमत बन जाऊंगा और अगर तू ना फ़रमान था तो मैं आज तेरे लिये सज़ा बन जाऊंगा। मैं वो हूं कि जो मुझ में हक़ का फ़रमां बरदार बन कर आता है वो खुश हो कर बाहर निकलता है और जो ना फ़रमान बन कर आता है वो ज़लील हो कर बाहर निकलता है।

हज़रते मोहम्मद बिन सबीह रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं कि मुझ तक यह रिवायत पहुंची है कि जब आदमी को क़ब्र में रखा जाता है और उसे अज़ाब दिया जाता है तो उस के करीबी मुर्दे कहते हैं : ऐ अपने भाइयों और हमसाइयों के बाद दुन्या में रहने वाले ! क्या तू ने हमारे जाने से कोई नसीहत हासिल न की ? और तेरे सामने हमारा मर कर कब्रों में दफ्न हो जाना कोई काबिले गौर बात न थी ? तू ने हमारी मौत से हमारे आ’माल खत्म होते देखे ! लेकिन तू जिन्दा रहा और तुझे अमल करने की मोहलत दी गई, मगर तू ने इस मोहलत को गनीमत न जाना और नेक आ’माल न किये और उस से ज़मीन का वो टुकड़ा कहता है : ऐ दुन्या की ज़ाहिरी पर इतराने वाले ! तू ने अपने उन रिश्तेदारों से इबरत क्यूं न हासिल की जो दुन्यावी ने’मतों पर इतराया करते थे मगर वो तेरे । सामने मेरे पेट में गुम हो गए, उन की मौत उन्हें कब्रों में ले आई और तू ने उन्हें कन्धों पर सवार उस मन्ज़िल की तरफ़ आते देखा कि जिस से कोई राहे फ़िरार नहीं है।

सभी इस्लामी विषयों टॉपिक्स की लिस्ट इस पेज पर देखें – इस्लामी जानकारी-कुरआन, हदीस, किस्से हिंदी में

‘माल भी मरने वाले से सवाल करते हैं

यज़ीदूरक्काशी रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि मुझे यह रिवायत मिली है : जब मय्यित को क़ब्र में रखा जाता है तो उस के आ’माल जम्अ हो जाते हैं, फिर अल्लाह तआला उन्हें कुव्वते गोयाई देता है और वह कहते हैं : ऐ कब्र के तन्हा इन्सान ! तेरे सब दोस्त और अज़ीज़ तुझ से जुदा हो गए हैं, आज हमारे सिवा तेरा और कोई साथी न होगा।

हज़रते का’ब रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि जब नेक आदमी को क़ब्र में रखा जाता है तो उस के अच्छे आ’माल, नमाज़, रोज़ा, हज, जिहाद और सदक़ा वगैरा उस के पास जम्अ हो जाते हैं, जब अज़ाब के फ़िरिश्ते उस के पैरों की तरफ़ से आते हैं तो नमाज़ कहती है : इस से दूर रहो, तुम्हारा यहां कोई काम नहीं, यह इन पैरों पर खड़ा हो कर अल्लाह तआला की लम्बी लम्बी इबादत करता था।

फिर वह फ़िरिश्ते सर की तरफ़ से आते हैं तो रोज़ा कहता है : तुम्हारे लिये इस तरफ़ कोई राह नहीं है क्यूंकि दुन्या में अल्लाह तआला की खुशनूदी के लिये इस ने बहुत रोजे रखे और तवील भूक प्यास बरदाश्त की, फ़रिश्ते उस के जिस्म के दूसरे हिस्सों की तरफ़ से आते हैं तो हज और जिहाद कहते हैं कि हट जाओ ! इस ने अपने जिस्म को दुख में डाल कर अल्लाह तआला की रिज़ा के लिये हज और जिहाद किया था लिहाज़ा तुम्हारे लिये यहां कोई जगह नहीं है।

फिर वह हाथों की तरफ़ से आते हैं तो सदका कहता है : मेरे दोस्त से हट जाओ ! इन हाथों से कितने सदक़ात निकले हैं जो महज़ खुशनूदिये खुदा के लिये दिये गए और इन हाथों से निकल कर वो बारगाहे इलाही में मकबूलिय्यत के दरजे पर फ़ाइज़ हुवे लिहाज़ा यहां तुम्हारा कोई काम नहीं है। फिर उस मय्यित को कहा जाता है कि तेरी ज़िन्दगी और मौत दोनों बेहतरीन हैं और रहमत के फ़रिश्ते उस की कब्र में जन्नत का फ़र्श बिछाते हैं, उस के लिये जन्नती लिबास लाते हैं, हद्दे निगाह तक उस की कब्र को फ़राख कर दिया जाता है और जन्नत की एक किन्दील उस की कब्र में रोशन कर दी जाती है जिस से वो कयामत के दिन तक रोशनी हासिल करता रहेगा।

 

हज़रते उबैद बिन उमैर ने एक जनाज़े के जुलूस में कहा : मुझे यह रिवायत पहुंची है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : मय्यित को कब्र में बिठाया जाता है, दर-आं-हाल यह कि वह चलने वालों के क़दमों की चाप को सुन रहा होता है तो उस के साथ क़ब्र गुफ्तगू करती है और कहती है कि ऐ इन्सान ! तुझ पर अफ्सोस है क्या तुझे मुझ से, मेरी तंगी से, बदबू से, हैबत और कीड़ों से नहीं डराया गया था ! अब तू मेरे लिये क्या तय्यारी कर के लाया है ?

मोमिन की वफात पर फरिश्तों की आमद

हज़रते बरा बिन आज़िब रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हम हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम  के साथ एक अन्सारी जवान के जनाजे में गए, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम  उस की कब्र पर सर झुका कर बैठ गए, फिर तीन मरतबा :

ऐ अल्लाह ! मैं तुझ से अज़ाबे क़ब्र से पनाह मांगता हूं। कह कर फ़रमाया कि जब मोमिन की मौत का वक़्त करीब आता है तो अल्लाह तआला उस की तरफ़ ऐसे फ़रिश्ते भेजता है जिन के चेहरे सूरज की तरह रोशन होते हैं, वह उस के लिये खुश्बूएं और कफ़न साथ लाते हैं और हृद्दे नज़र तक बैठ जाते हैं, जब उस मोमिन की रूह परवाज़ करती है तो आस्मानो ज़मीन के दरमियान रहने वाले तमाम फ़रिश्ते उस के दरजात की बुलन्दी की दुआ करते हैं, उस के लिये आस्मानों के दरवाजे खोल दिये जाते हैं और आस्मान के हर दरवाजे की ख्वाहिश होती है कि यह रूह मेरे यहां से दाखिल हो, जब उस की रूह ऊपर को जाती है तो कहा जाता है : ऐ अल्लाह ! तेरा फुलां बन्दा आ गया है। रब तआला इरशाद फ़रमाता है :

इसे ले जाओ और इसे वो इन्आमात दिखलाओ जो मैं ने इस के लिये तय्यार किये हैं क्यूंकि मैं ने वादा किया है कि “इन्हें मिट्टी से मैं ने पैदा किया है और इसी में उन को लौटाऊंगा।”.

मुर्दा कब्र में लोगों के जूतों की चाप को सुनता होता है, जब वो उसे दफ्न कर के वापस जा रहे होते हैं, तब उसे कहा जाता है कि ऐ इन्सान ! तेरा रब कौन है ? तेरा दीन क्या है ? और तेरा नबी कौन है ? वो जवाब में कहता है : मेरा रब अल्लाह, मेरा दीन इस्लाम और मेरे नबी मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम है।

फिर फ़रमाया : क़ब्र में फ़िरिश्ते सख़्त सर ज़निश करते हैं और यह आखिरी मुसीबत है जो मय्यित पर कब्र में नाज़िल होती है। जब वो इन के सुवालात के जवाब से फ़ारिग हो जाता है तो मुनादी निदा करता है : तू ने सच कहा और यही फ़रमाने इलाही है : “अल्लाह तआला मोमिनों को मुस्तहकम बात के साथ साबित क़दम रखता है। फिर उस के पास एक हसीनो जमील शख्स आता है जिस के जिस्म से खुश्बू की लपटें आती हैं और वो इन्तिहाई दीदा जैब लिबास जैबे तन किये हुवे होता है, वो आ कर कहता है कि तुझे रहमते खुदावन्दी और हमेशा रहने वाली नेमतों की अमीन “जन्नत” की खुश खबरी हो, मोमिन जवाब में कहता है : अल्लाह तुझे भलाई से सरफ़राज़ फ़रमाए, तू कौन है ? जवाब मिलता है : मैं तेरा नेक अमल हूं, तू नेकियों में बढ़ कर हिस्सा लेता था और बुराइयों से रुक जाता था इस लिये अल्लाह तआला ने तुझे बेहतरीन जज़ा दी है।

फिर मुनादी निदा करता है कि इस मोमिन के लिये जन्नती फ़र्श बिछा दो और इस के लिये जन्नत की जानिब एक दरवाज़ा खोल दो, चुनान्चे, उस के लिये जन्नती फ़र्श बिछा दिया जाता है और जन्नत की तरफ़ एक दरवाज़ा खोल दिया जाता है और वो दुआ मांगता है, ऐ अल्लाह ! कियामत को जल्दी काइम फ़रमा ताकि मैं अपने अहलो इयाल और माल से मुलाकात करूं । – हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : जब काफ़िर का आखिरी वक्त करीब आता है और दुन्या से रुख्सत हुवा चाहता है तो सख्त बेरहम फ़रिश्ते आग और दोज़ख के तारकोल का लिबास लिये आते हैं और उसे इन्तिहाई खौफ़ज़दा कर देते हैं, जब उस की रूह निकलती है तो आस्मान

और जमीन के दरमियान रहने वाले तमाम फ़रिश्ते उस पर ला’नत भेजते हैं, आस्मानों के दरवाजे बन्द कर दिये जाते हैं और हर दरवाज़ा यह चाहता है कि येह रूह इधर से न गुज़रे, जब उस की रूह ऊपर चढ़ती है तो उसे नीचे फेंक दिया जाता है और कहा जाता है : ऐ अल्लाह ! तेरा फुलां बन्दा आया है जिसे ज़मीनो आस्मान ने कबूल नहीं किया है, रब तआला फ़रमाता है कि इसे वापस लौटाओ और इसे वो अज़ाब दिखलाओ जो मैं ने इस के लिये कब्र में तय्यार किया है क्यूंकि इन्सान से मेरा वादा है : “तुम्हें हम ने मिट्टी से पैदा किया और हम तुम्हें उसी में लौटाएंगे।”

और वो मुर्दा क़ब्र में दफ्न कर के वापस जाने वालों के जूतों की चाप सुनता है तब उस से कहा जाता है : ऐ इन्सान ! तेरा रब कौन है ? तेरा नबी कौन है ? और तेरा दीन क्या है ? वोह कहता है : मैं नहीं जानता और उसे कहा जाता है : तू न जाने ।

फिर उस के पास एक बदसूरत, बदबू दार और इन्तिहाई गलीज़ कपड़ों वाला आ कर कहता है : तुझे करे खुदावन्दी और दाइमी दर्दनाक अज़ाब की खुश खबरी हो, मुर्दा काफ़िर कहता है : अल्लाह तआला तुझे बुरी खबर सुनाए तू कौन है ? वो कहता है : मैं तेरे आ’माले बद हूं। ब खुदा तू बुराइयों में बहुत तेज़ी दिखाता था और नेकियों से ए’राज़ किया करता था लिहाज़ा अल्लाह तआला ने तुझे बुरी जज़ा दी। काफ़िर कहता है : अल्लाह तआला तुझे भी जज़ा दे।

फिर उस के लिये एक गूंगा, अन्धा और बहरा फ़रिश्ता मुकर्रर किया जाता है, जिस के पास लोहे का हथोड़ा होता है जिसे अगर जिन्नो इन्सान मिल कर उठाना चाहें तो न उठा सकें, अगर वो पहाड़ पर मारा जाए तो वो मिट्टी हो जाए । वो फ़िरिश्ता उस इन्सान को हथोड़ा मारता है जिस से वो रेज़ा रेज़ा हो जाता है फिर वो ज़िन्दा हो जाता है और फ़रिश्ता उसे आंखों के दरमियान मारता है जिस की आवाज़ जिन्नो इन्सान के सिवा ज़मीन की तमाम मख्लूक सुनती है, फिर मुनादी निदा करता है : इस के लिये जहन्नम की दो तख्तियां बिछाओ और इस के लिये जहन्नम की जानिब एक दरवाज़ा खोल दो ! लिहाजा उस के लिये जहन्नम के दो तख्ते बिछा दिये जाते हैं और जहन्नम की तरफ़ दरवाज़ा खोल दिया जाता है।

हज़रते मोहम्मद बिन अली रहमतुल्लाह अलैह से मरवी है कि हर मरने वाले पर मौत के वक्त उस के अच्छे और बुरे आ’माल पेश किये जाते हैं, वो नेकियों की तरफ़ टिक-टिकी बांधे देखता है और गुनाहों के देखने से आंखें चुराता है।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम- ने फ़रमाया : मोमिन पर जब मौत का वक्त करीब आता है तो फ़रिश्ते रेशम के एक कपड़े में मुश्क और नाज़ बू  की टहनियां लाते हैं, उन जन्नती अश्या को देख कर मोमिन की रूह ऐसी आसानी से निकलती है जैसे आटे में से बाल निकलता है और कहा जाता है : ऐ नफ़्से मुतमइन्ना ! अपने रब की तरफ़ खुश और पसन्दीदा हो कर लौट जा, अल्लाह तआला की तय्यार कर्दा आसाइशों और इज्जत की तरफ़ जा और जब रूह निकल आती है तो उसे उस मुश्क और नाज़ बू में रख कर ऊपर रेशम लपेट कर जन्नत की तरफ़ ले जाया जाता है।

काफ़िर पर अजाब

जब काफ़िर पर मौत का वक्त करीब आता है तो फ़रिश्ते एक टाट पर जहन्नम की चिंगारियां रख कर आते हैं जिस की वज्ह से उस की रूह शदीद अज़ाब से खींची जाती है और कहा जाता है : ऐ नफ्से ख़बीस ! मुसीबत ज़दा और महूर हो कर अल्लाह तआला के अज़ाब और जिल्लतो रुस्वाई की तरफ़ निकल जा, जब उस की रूह निकल आती है तो उसे उन अंगारों पर रखा जाता है जिस से वो उबलने लगती है और उस पर टाट लपेट कर फिर जहन्नम की तरफ़ ले जाया जाता है। हज़रते मुहम्मद बिन का’ब कुरजी रहमतुल्लाह अलैह से मरवी है : इन्हों ने यह फ़रमाने इलाही :

यहां तक कि जब उन में से किसी एक पर मौत आए तो वो कहता है ऐ मेरे रब मुझे वापस लौटा ताकि मैं नेक अमल करूं उस जगह जिसे मैं छोड़ आया हूं। पढ़ कर कहा : यह सुन कर रब तआला ने फ़रमाया : तू क्या चाहता है और तुझे किस चीज़ की ख्वाहिश है ? क्या तू इस लिये जाना चाहता है ताकि माल जम्अ करे ? दरख्त लगाए, इमारतें बनाए और नहरें खुदवाए ? वो कहेगा नहीं बल्कि इस लिये कि मैं छोड़े हुवे नेक अमल कर लूंगा।

रब फ़रमाता है: “तहक़ीक़ ये बात है जिसे वो कहने वाला है।”

हश्त (हरगिज़ नहीं) यह तो एक बात है जो वह अपने मुंह से कहता है। या’नी हर काफ़िर मौत के वक्त यही कलिमात ज़रूर कहता है।

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि मोमिन की कब्र एक सब्ज़ बाग होता है, उस की क़ब्र सत्तर हाथ फ़राख कर दी जाती है और वो चौदहवीं रात के चांद की तरह चमकेगा, फिर फ़रमाया कि ये आयते मुबारका : “बेशक उस के लिये ज़िन्दगी तंग होती है”। जानते हो किस के बारे में नाज़िल हुई है ? सहाबए किराम राज़ी अल्लाहो अन्हुम ने अर्ज किया : अल्लाह और उस का रसूल बेहतर जानता है, आप सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : यह काफ़िर के अजाब के मुतअल्लिक़ है, उस की कब्र में उस पर निनानवे सांप मुसल्लत कर दिये जाते हैं, हर सांप के सात सर होते हैं, जो उस के वुजूद को नोचते, उसे खाते और हश्र के दिन तक उस पर गर्म गर्म फूंकें मारते रहते हैं।

और यह बात भी समझ लीजिये कि इस मख्सूस अदद पर तअज्जुब न कीजिये क्यूंकि उन सांपों की तादाद इन बुराइयों की तादाद के बराबर है जैसे तकब्बुर, दिखावा, हसद, कीना और किसी के लिये दिल में मेल रखना वगैरा अगर्चे इन बुराइयों के उसूल गिने चुने हैं मगर इन की शाखें और फिर इन शाखों की शाखें बहुत ज़ियादा हैं जो सब की सब मोहलिक हैं और कब्र में यही सिफ़ाते मज़मूमा सांपों की शक्ल में तब्दील हो कर आएंगी, जो बुराई उस काफ़िर के वुजूद में ज़ियादा रासिख़ होगी वह अज़दहे की तरह डसेगी, जो ज़रा कम होगी वह बिच्छू की तरह डंक मारेगी और जो इन दो के दरमियान होगी वह सांप की शक्ल में नुमूदार होगी।

अस्हाबे मा’रिफ़त और साहिबे दिल हज़रात अपने नूरे बसीरत से इन मोहलिकात और इन की फुरूअ को जानते हैं मगर इन की तादाद पर मुत्तलअ होना, यह नूरे नबुव्वत का काम है इस जैसी हदीसों के ज़ाहिरी मा ना सहीह और इन के पोशीदा मआनी भी हैं जो अहले मा’रिफ़त ब खूबी समझते हैं, लिहाजा अगर किसी जाहिर बीन पर इन के हक़ाइक़ मुन्कशिफ़ न हों तो उसे इन्कार की बजाए तस्दीक और तस्लीम से काम लेना चाहिये क्यूंकि ईमान का कम अज़ कम दरजा यही है।

 

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

Tags

Marne ke baad kya hota hai, kabr ke halaat, kabr ke andar kya hota he, kabr me sawal jawab, kabr ka azaab, kafir pr kabr me azaab

 

 

 

दोस्तों को शेयर कीजिये
Net In Hindi.com