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मीज़ान और पुल सिरात का बयान – Net In Hindi.com

मीज़ान और पुल सिरात का बयान

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मीज़ान  और पुल सिरात

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

अबू दावूद ने हज़रते हसन से उन्हों ने हज़रते आइशा रज़ीअल्लाहो अन्हा से नक्ल किया है कि वोह रोई तो हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने पूछा : आइशा ! क्यूं रोती हो ? उन्हों ने अर्ज की, कि मैं जहन्नम को याद कर के रोई हूं, क्या आप कियामत के दिन अपने घर वालों को याद रखेंगे ? हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि तीन मकामात पर कोई किसी को याद नहीं करेगा, मीज़ाने अमल के वक्त यहां तक कि वोह येह जान ले कि उस का मीज़ान हल्का हुवा या भारी, नामए आ’माल के उड़ने के वक्त  यहां तक कि वोह येह जान ले कि उस का सहीफ़ए आ’माल दाएं हाथ में आता है या बाएं हाथ में या पीठ के पीछे, और जब पुल सिरात को जहन्नम पर रखा जाएगा यहां तक कि वोह येह न जान ले कि वोह उसे उबूर कर सकता है या नहीं।

 

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 हुजर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम दस्तगीरिये उम्मत के लिये पुल सिरात पर तशरीफ फरमा होंगे।

तिर्मिज़ी शरीफ़ में है कि हज़रते अनस रज़ीअल्लाहो अन्हो ने कहा : मैं ने नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से सवाल किया कि आप कियामत के दिन मेरी सिफ़ारिश फ़रमाएंगे ? आप ने फरमाया : मैं  ऐसा करूंगा ! मैं ने अर्ज की : मैं आप को कहां तलाश करूं ? आप ने फ़रमाया : पहले मुझे पुल सिरात पर तलाश करना, मैं ने अर्ज की, कि अगर मैं पुल सिरात पर आप को न पा सकू तो फिर कहां तलाश करूं? आप ने फ़रमाया कि फिर मुझे मीज़ान के करीब तलाश करना, मैं ने अर्ज की, कि अगर मैं आप को मीज़ान के करीब भी न पा सकू तो कहां तलाश करूं ? आप ने फ़रमाया : फिर मुझे हौज़ के करीब तलाश करना क्यूंकि मैं इन तीन मकामात के इलावा कहीं नहीं होऊंगा।

हाकिम की रिवायत है कि क़ियामत के दिन मीज़ान रखा जाएगा, अगर उस में वज़न किया जाए या जमीनो आस्मान उस में रख दिये जाएं तो वोह रखे जा सकेंगे, तब फ़िरिश्ते अर्ज करेंगे : .या’नी तक्सीम होते वक़्त ।

ऐ अल्लाह ! इस में किस के आ’माल का वज़्न किया जाएगा ? रब तआला फ़रमाएगा : अपनी मख्लूक़ में से जिस के लिये चाहूंगा। फ़िरिश्ते अर्ज करेंगे: ।

पाक है तू, हम तेरी कमा-हक्कुहू इबादत नहीं कर सके।

और पुल सिरात रखा जाएगा जो उस्तरे की धार जैसा होगा। फ़िरिश्ते अर्ज करेंगे इसे कौन उबूर करेगा ? रब तआला फ़रमाएगा कि मेरी मख्लूक में से जिस को मैं चाहूंगा, फ़िरिश्ते अर्ज़ करेंगे : पाक है तू, हम तेरी कमा-हक्कुहू इबादत नहीं कर सके।

पुल सिरात जहन्नम के ऊपर रखा जाएगा

हज़रते अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि पुल सिरात को जहन्नम के ऊपर रखा जाएगा जो पतली तल्वार की धार की तरह होगी जो फ़िसलने की जगह होगी, उस पर आग के कांटे होंगे जिन से वोह लोगों को उचक लेगी, उस पर रुकने वाला उस में गिरेगा और कुछ तेज़ चलने वाले होंगे जिन में से बा’ज़ बिजली की तरह गुज़रेंगे और वोह उस से गुज़र कर ही रुकेंगे, बा’ज़ उस से हवा की तरह गुज़रेंगे यहां तक कि वोह नजात पा लेंगे, बा’ज़ घुड़ सुवार की तरह जाएंगे, फिर बा’ज़ लोग दौड़ते हुवे आदमी की तरह, फिर इस से कुछ कम रफ्तार में दौड़ते हुवे, फिर पैदल चलने वाले आदमी की तरह लोग गुज़रेंगे, फिर इन में सब के आखिर में ऐसा आदमी गुज़रेगा कि जिसे आग ने झुल्सा दिया होगा और तक्लीफ़ उठा कर आया होगा, तब अल्लाह तआला उसे अपनी रहमत और फ़ज़्लो करम के तुफैल जन्नत में दाखिल करेगा और उसे कहा जाएगा कि आरजू कर और मांग, वोह शख्स कहेगा कि तू रब्बुल इज्जत हो कर मुझ से मिज़ाह करता है ? फिर उसे कहा जाएगा कि तमन्ना कर और मांग, यहां तक कि उस की तमाम तमन्नाएं पूरी हो जाएंगी, रब तआला फ़रमाएगा : तेरे लिये वोह भी है जो तू ने मांगा और उस के बराबर और भी उस के साथ है।

मुस्लिम शरीफ़ की रिवायत है : हज़रते उम्मे मुबश्शिर अन्सारिय्या रज़ीअल्लाहो अन्हा फ़रमाती हैं कि मैं ने हज़रते हफ़्सा रज़ीअल्लाहो अन्हा के यहां हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लमसे सुना, आप फ़रमा रहे थे : उन लोगों में से, जिन्हों ने दरख्त के नीचे बैअत की थी, कोई भी जहन्नम में नहीं जाएगा, हज़रते हफ़्सा रज़ीअल्लाहो अन्हा ने अर्ज की : हां या रसूलल्लाह ! आप ने उन्हें चुप करवा दिया तो वोह बोली : तुम में से कोई नहीं मगर उस पर वारिद होने वाला है। इस पर हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है : फिर नजात देंगे हम उन को जो परहेज़गारी करते  हैं और छोड़ देंगे उस में ज़ालिमों को गिरा हुवा। हज़रते अहमद रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि एक जमाअत ने जहन्नम में दाखिल होने वाले लोगों के बारे में इख़्तिलाफ़ किया है। बा’ज़ का कहना है कि उस में मोमिन दाखिल नहीं होंगे और बा’ज़ ने कहा है कि तमाम लोग उस में वारिद होंगे, फिर अल्लाह तआला उन लोगों को नजात देगा जो तक्वा रखते हैं।

तमाम लोग उस में वारिद होंगे। फिर उंगलियों को कानों के करीब ले जा कर कहा कि येह दो बहरे हों अगर मैं ने हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को येह फ़रमाते हुवे न सुना हो कि वुरूद से मुराद दुखूल है, कोई नेक और बुरा बाक़ी न रहेगा मगर सब उस में दाखिल होंगे, तब वोह जहन्नम मोमिनों पर हज़रते इब्राहीम अलैहहिस्सलाम  की तरह ठन्डा और सलामती वाला हो जाएगा यहां तक कि उस आग या जहन्नम के लिये आप ने फ़रमाया : मोमिनों की सर्दी की वज्ह से फ़रयाद निकलेगी फिर अल्लाह तआला उन लोगों को नजात देगा जो परहेज़गारी करते हैं और ज़ालिमों को जहन्नम में गिरा हुवा छोड़ देगा।

हाकिम की रिवायत है कि लोग जहन्नम में वारिद होंगे और अपने आ’माल की बदौलत उस से निकलेंगे, पहले बिजली की चमक की तरह, फिर घुड़ सुवार की तरह, फिर ऊंट सुवार की तरह, फिर दौड़ते हुवे आदमी की तरह और फिर पैदल आदमी की तरह निकलेंगे।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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